दिल्ली की हवा सांस लेने लायक नहीं है और काली हो चुकी यमुना का पानी हाथ से छूने लायक नहीं है। सरकारों के रुख को देखकर लगता है कि दिल्ली की हवा के जहर को ताजी हवा ही खत्म करेगी जो पिछले एक पखवाड़े से दिल्ली पर मंडरा रही जहरीली हवा को अपने साथ बहाकर ले जाएगी। यह ताजी भी हवा करीब तीन दिन के बाद चलेगी। वहीं यमुना का पानी साफ होने में अभी तीन साल और लगेंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को यमुना को साफ करने का एक्शन प्लान जारी करते हुए इसकी डेडलाइन भी तय कर दी। केजरीवाल ने वादा किया है कि फरवरी, 2025 तक यमुना साफ हो जाएगी। उन्होंने यमुना को साफ करने के लिए छह-सूत्रीय कार्य योजना का अनावरण किया। इस योजना में नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना, मौजूदा एसटीपी की क्षमता में वृद्धि और नई तकनीकी का उपयोग शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रदूषित पदार्थ नदी तक नहीं पहुंच सकें। उन्होंने सभी स्लम्स एरिया में सार्वजनिक शौचालयों की नालियों को बड़े सीवर नेटवर्क से जोड़ने और बरसाती नालों को प्रदूषित होने से रोकने का वादा किया है।
केजरीवाल ने वादा किया कि वह खुद अगले विधानसभा चुनावों से पहले यमुना में डुबकी लगाएंगे। मौजूदा समय में यमुना बेहद प्रदूषित हो गई है। इसका पानी बेहद गंदा हो चुका है। राजधानी में यमुना के 23 किलोमीटर के हिस्से में 22 नाले इसमें गिरते हैं। केजरीवाल जानते हैं कि दिल्ली में यमुना को साफ करना कोई नामुमकिन काम नहीं है, हालांकि ये बहुत मुश्किल काम है। इससे पहले भी केजरीवाल ने कम से कम पांच बार यमुना को साफ करने का वादा किया था। अब गुरुवार को उन्होंने एक नई डेडलाइन दे दी है।
केजरीवाल का कहना है कि यमुना पिछले 70 वर्षों में इतनी गंदी हो चुकी है कि इसे दो दिनों में साफ नहीं किया जा सकता है। केजरीवाल ने कहा-‘हमने युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है और 6 सूत्री योजना के एक-एक प्वॉइंट को मैं खुद मॉनिटर करूंगा। मैंने हर प्वाइंट के लिए एक डेडलाइन फिक्स कर दिया है। 2025 में होनेवाले दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले दिल्ली के लोग साफ यमुना में डुबकी लगा सकेंगे।’
दिल्ली में यमुना की मौजूदा स्थिति क्या है? यहां यमुना के किनारे खड़े होकर आप सांस नहीं ले सकते। इतनी बदबू आती है और अगर गलती से इसके काले हो चुके पानी में हाथ लगा दिया तो दर्जनों बीमारियां साथ लेकर आएंगे। आखिर यमुना का पानी इतना गंदा क्यों है? इस सवाल का जबाव समझने के लिए किसी वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत नहीं है। इस नदी में रोजाना 18 बड़े और 24 छोटे नालों का पानी गिरता है।
हरियाणा की ओर से बहकर आनेवाली यमुना वजीराबाद बराज तक साफ रहती है जहां से पीने के पानी की सप्लाई के लिए इसके पानी को जमा किया जाता है। लेकिन असली दिक्कत इसके बाद शुरू होती है। दरअसल वजीराबाद बैराज के थोड़ा आगे नजफगढ़ नाले से इंडस्ट्रियल वेस्ट और सीवर का पानी यमुना में मिल जाता है। यह नाला यमुना में गिरने वाला सबसे बड़ा नाला है। यह नाला ही यमुना नदी को एक नाले में तब्दील कर देता है। शाहदरा नाला और बारापुला नाला सहित 17 अन्य बड़े नाले भी इस नदी में गिरते हैं। दिल्ली के 34 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से अधिकांश 60 फीसदी क्षमता के साथ ही काम कर पाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली में 720 MGD (मिलियन गैलन रोजाना) गंदा पानी रोज निकलता है और इसमें से करीब पांच सौ MGD ही ट्रीट हो पाता है बाकी गंदा पानी यमुना में चला जाता है। झुग्गी बस्तियों की सारी गंदगी सीधे यमुना में गिरती है।
इससे पहले जब यमुना तुलनात्मक रूप से साफ थी तो इस नदी में मछलियों की 52 प्रजातियां पाई जाती थीं। अब केवल मछलियों की एक प्रजाति ही पाई जाती है और वो भी तेजी से विलुप्त होने के कगार पर है। इसकी वजह ये है कि यमुना के पानी में ऑक्सीजन का लेवल गिरकर जीरो हो गया है।
आमतौर पर नदियों के पानी का pH वैल्यू 7.4 होता है यानी ये पानी पीने लायक होता है। लेकिन दिल्ली में ज्यादातर जगहों पर यमुना के पानी का pH वैल्यू 11.4 तक है। अगर आम भाषा में कहें तो यह पानी छूने लायक भी नहीं है। यह पानी स्किन को जला सकता है। आमतौर पर घरों में आप अक्सर पानी का टीडीएस (Total Dissolved Solids) देखते होंगे। अगर RO से निकलने वाले पानी का टीडीएस बढ़ जाए तो पानी का स्वाद बदल जाता है। पीने लायक पानी का TDS 100 से कम हो तो बेहतर माना जाता है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में यमुना के पानी का TDS 1100 तक देखा गया है।
इसका मुख्य कारण यमुना में गिरने वाली वो नाले और नालियां हैं जो जीवनदायिनी यमुना को जहरीला बना देते हैं। सोचिए जिस पानी के पास खड़े होना मुश्किल हो उस पानी से सब्जियां उगाई जाएं तो वो सब्जियां कितनी जहरीली होंगी। यमुना के किनारे सब्जियां उगाकर उन्हें बाजारों में बेचा जाता है। इसीलिए सरकार ने यमुना के किनारे सब्जी की खेती पर रोक लगा रखी है। यमुना के गंदे पानी के कारण इन सब्जियों में ज्यादातर जहरीले पदार्थ होते हैं। दिल्ली में यमुना का पानी न केवल त्वचा की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, बल्कि आपके लिवर, किडनी और अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह कैंसर और जैनेटिकल डिसऑर्डर का कारण बन सकता है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नदी ख़ुद को साफ करती है लेकिन इसके लिए ये जरूरी है कि नदी में बहाव बना रहे। दिल्ली में आने से पहले यमुना साफ रहती है और फिर दिल्ली से निकलने के बाद औरैया पहुंचते-पहुंचते काफी हद साफ हो जाती है। दिल्ली में यमुना का ज्यादातर पानी खींच (वाटर सप्लाई के लिए) लिया जाता है और बदले में नाले का पानी छोड़ दिया जाता है। बरसात के मौसम को छोड़ बाकी समय में दिल्ली में यमुना सूखी रहती है। फिर ऐसे यमुना को साफ करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। सवाल ये है कि दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाने के लिए यमुना से पानी लेना जरूरी है तो फिर क्या किया जाए?
इसका एक ही उपाय है। सबसे पहले नालों के पानी को यमुना में सीधे जाने से रोका जाए। सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और ज्यादा बनाए जाएं और इसके साथ-साथ दिल्ली में भूगर्भीय जल के पुराने स्रोतों को दोबारा जिंदा किया जाए। कुल मिलाकर यमुना को सियासी मुद्दा बनाने के बजाए, बड़े-बड़े वादे और दावे करने के बजाय, सही नीति और सही नियत से काम किया जाए तो यमुना का उद्धार हो जाएगा और अगर यमुना साफ हो गई तो दिल्ली वालों का उद्धार हो जाएगा। इसलिए मैं तो प्रार्थना करूंगा कि अरविन्द केजरीवाल यमुना को साफ करने में कामयाब हों और 2025 तक यमुना साफ हो जाए।