ईरान और इज़रायल के बीच जारी जंग और तेज़ होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सोमवार रात को अचानक जी-7 शिखर सम्मेलन बीच में छोड़ कर वाशिंगटन लौट गये, जहां उन्होने मंगलवार को सिचुएशन रुम में एक ज़रूरी बैठक की. ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा कि “फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने ये गलत बात बतायी है कि मैं ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम कराने गया हूं. ये बिल्कुल गलत है. मैक्रों को पता ही नहीं है कि मैं क्यों लौट रहा हूं, लेकिन इसका युद्धविराम से कोई मतलब नहीं है. उससे भी बड़ी कोई बात होने वाली है.”
ट्रम्प ने एक अन्य पोस्ट में तेहरान में रहने वाले लोगों से कहा कि वो फौरन ईरान की राजधानी छोड़ कर चले जाएं. ट्रम्प ने लिखा कि ईरान को समझौते पर दस्तखत कर देना चाहिए था. ये बहुत ही शर्म की बात है और लोगों की जानें बरबाद हो रही है. सीधी बात अगर कहूं तो ईरान अपने पास न्यूक्लियर हथियार कतई नहीं रख सकता. ये बात मैं बार बार कह चुका हूं. हर किसी को तेहरान छोड़ कर चले जाना चाहिए.
इज़रायल की सेना ने मंगलवार को दावा किया कि उसने ईरान की सेना के चीफ ऑफ स्टाफ अली शादमानी को मार डाला है. इज़रायल ने सेमवार रात को ईरान के सकारी टीवी स्टेशन पर बम गिराये दिसके कारण न्यूज़रीड़र को स्टुडियो से भागना पड़ा. ईरान ने कहा कि इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि इज़रायल का आरोप है कि यह टीवी स्टेशल ईरान की सेना के लिए संचार केंद्र के तौर पर काम रहा था.
दोनों देश अब खुल कर एक दूसरे को एटम बम से उड़ाने की धमकियां दे रहे हैं. मध्य पूर्व क्षेत्र इस समय एक बड़ी त्रासदी के मुहाने पर है. कनाडा में जी-7 शिशर सम्मेलन ने एक साझा बयान जारी कर इज़रायल का समर्थन किया और कहा कि ईरान मध्य पूर्व में अस्थिरता पैदा कर रहा है. साझा बयान में ये भी कहा गा कि इज़रायल को अपनी हिफाज़त करने का पूरा हक़ है. जी-7 का ये मानना है कि ईरान के पास परमाणु हथियार कतई नहीं होना चाहिए.
इज़राइल और ईरान की जंग अब बेहद ख़तरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. तेहरान से लाखों की तादाद में लोग शहर छोड़ कर भाग रहे हैं. उधर, ईरान के जवाबी हमले में इज़राइल की राजधानी तेल अवीव और पोर्ट सिटी हाइफ़ा में भारी तबाही हुई है.
इजरायल के निशाने पर ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने हैं, उन्हें तबाह करने की प्लानिंग है. मैंने ईरान के एक्सपर्ट्स की बात सुनी है. उनका दावा है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट्स जमीन में 60 से 80 मीटर नीचे है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इजरायल के पास जो मिसाइल्स हैं, वो जमीन के अंदर ज्यादा से ज्यादा 6 फीट नीचे तक पहुंच सकती हैं. ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों तक पहुंचने की क्षमता सिर्फ अमेरिका के पास है. सिर्फ अमेरिका की मिसाइल्स इतना नीचे जाकर मार कर सकती है. ईरान इजरायल की मारक क्षमता को समझता है और उसे ये भी मालूम है कि अगर जमीन के नीचे न्यूक्लियर ठिकाने पर हमले हुए तो इसे अमेरिका की तरफ से सीधा हमला माना जाएगा और फिर लड़ाई अमेरिका से होगी. अगर ये होता है तो सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान को होगा क्योंकि इजरायल ने साफ कहा है कि ईरान के बाद अगर कोई गैरजिम्मेदार एटमी ताकत वाला मुल्क है, तो वह पाकिस्तान है.
ईरान पर इज़राइल के इन हमलों का सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ पाकिस्तान में दिख रहा है. पाकिस्तान की संसद के भीतर वहां के बड़े बड़े लीडरान और मंत्री इज़राइल के ख़िलाफ़ तक़रीरें कर रहे हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने कहा कि इज़राइल के ख़िलाफ़ दुनिया के 50 से ज़्यादा इस्लामिक देशों को एकजुट होना होगा वरना एक दिन ऐसा आएगा कि इज़राइल सभी इस्लामिक मुल्कों को बारी-बारी से निशाना बनाएगा.
पाकिस्तान में इज़राइल के इस ख़ौफ़ की वजह इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का वो बयान है, जो उन्होंने 14 साल पहले दिया था. उस वक्त नेतान्याहू ने पाकिस्तान और ईरान को दुनिया के लिए सबसे बडा खतरा बताया था.
पाकिस्तान पर इज़राइल का ख़ौफ़ किस क़दर तारी है, उसका एक और सबूत देखने को मिला. ईरान की राष्ट्रय सुरक्षा परिषद के सदस्य औक एक सीनियर कमांडर जनरल मोहसिन रज़ावी ये कहते हुए देख गये कि अगर इज़राइल ने ईरान पर परमाणु बम से हमला किया, तो पाकिस्तान ने हमसे वादा किया है कि वो इज़राइल पर एटम बम दाग देगा. पाकिस्तान को लगा कि ईरान के जनरल का ये बयान सुनकर कहीं इज़राइल उसके ऊपर हमला न कर दे, इसलिए पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक़ डार ने सीनेट में आकर सफ़ाई दी कि, पाकिस्तान ने कभी भी इज़राइल पर हमले की बात नहीं की, पाकिस्तान का एटम बम सिर्फ़ अपनी हिफ़ाज़त के लिए है, किसी और देश की मदद के लिए नहीं
न्यूक्लियर ठिकानों को लेकर पाकिस्तान की कई समस्याएं हैं. पहली तो ये कि पूरी दुनिया में न्यूक्लियर बम की धमकी देने वालों में पाकिस्तान पहले नंबर पर है. जिस तरह से पाकिस्तान के मंत्री न्यूक्लियर बम के बारे में सतही ढंग से बात करते हैं, वो दुनिया के लिए बड़ा खतरा है. जिस मुल्क का रेलवे मंत्री टीवी पर दावा करता है कि पाकिस्तान के पास 141 न्यूक्लियर बम हैं, वो देश कितना गैर जिम्मेदार होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
दूसरी बात ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली एटमी जंग रुकवा दी. इसका मतलब ये है कि जब भारत की मिसाइल्स ने पाकिस्तान के एयरबेस तबाह किए तो पाकिस्तान रोते-रोते अमेरिका के पास पहुंचा और कहा कि अगर भारतीय सेना ने हमले नहीं रोके तो वो एटमी ताकत का इस्तेमाल करेगा. इन सारी बातों को इजरायल अच्छी तरह समझता है. मोसाद के पास पाकिस्तान की हर हरकत की सूचना रहती है.
पाकिस्तान ने इजरायल के खिलाफ ईरान को पूरा समर्थन दिया है. इसीलिए उसका ये डर लाज़िमी है कि इजरायल पाकिस्तान के एटमी ठिकानों को निशाना बना सकता है. अब पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या ये है कि इजरायल के खिलाफ रोने के लिए वो अमेरिका के पास भी नहीं जा सकता. ईरान के खिलाफ इजरायल और अमेरिका मिलकर लड़ रहे हैं. इसीलिए पाकिस्तान की फौज की नींद उड़ी हुई है, अपनी ताकत को लेकर जो उन्होंने झूठ फैलाया था, वो भी अब एक्सपोज़ हो चुका है. इसीलिए वो अब न इधर के रहे, न उधर के.
ड्रीमलाइनर: खामियाँ, शक और डर
अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश के बाद सोमवार को फिर ड्रीमलाइनर में टैक्निकल ग्लिच की दो खबरें आईं. हॉन्गकॉन्ग से दिल्ली आ रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-315 को तकनीकी खराबी के बाद लौटना पड़ा. हॉंगकॉग से बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर ने दिल्ली के लिए टैकऑफ किया था लेकिन कुछ ही देर के बाद पायलट ने टैक्निकल ग्लिच की खबर ATC को दी. इसलिए फ्लाइट को वापस बुला लिया गया.
लंदन से चैन्नई आने वाली ब्रिटिश एयरवेज़ के ड्रीमलाइनर विमान में उड़ान भरने के करीब एक घंटे के बाद पायलट ने प्लेन के फ्लैप में गड़बड़ी की जानकारी दी गई. चूंकि ड्रीमलाइनर प्लेन उस वक्त समंदर के ऊपर उड़ रहा था, इसलिए पायलट ने पहले प्लेन का वजन कम करने के लिए आधे से ज्यादा ईंधन को समंदर में गिराया, इसके बाद उतरा. मंगलवार सुबह एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से लंदन जाने वाला था लेकिन इस उड़ान को तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया. DGCA ने इस घटना के बाद एयर इंडिया के इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख से पूछताछ की.
लखनऊ एयरपोर्ट पर एक हादसा होते-होते बचा. सऊदी अरबिया एयरलाइंस के प्लेन के पहिए में टैक्निकल प्रॉब्लम आई. टचडाउन होने के तुंरत बाद टायर के पास से चिंगारी और धुआं निकलने लगा. सभी यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया गया.
ये सही है कि सऊदी अरब एयरलाइंस के प्लेन में समस्या आई. ये भी चिंता की बात है कि बोइंग के दो ड्रीमलाइनर उड़ान भरने के बाद वापस आ गए. इन सब बातों से लोगों के मन में डर पैदा होना लाजिमी है. एक हफ्ते के भीतर ये सारी घटनाएं एक साथ हो गईं. इसलिए टेंशन और बढ़ गई.
मुझे लगता है कि पूरी एहतियात बरतने में कोई समस्या नहीं होना चाहिए. जहां तक अहमदाबाद के बोइंग क्रैश का सवाल है, ब्लैक बॉक्स के एनालिसिस का, उसकी रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए. उसके बाद ही इस मामले में कुछ साफ कहा जा सकेगा.