Rajat Sharma

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट का फैसला: इमरान की ‘आखिरी बॉल’

rajat-sirपाकिस्तान में सियासी उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान को जबरदस्त झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने गुरुवार की रात नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर की रूलिंग को गैरकानूनी करार दिया। डिप्टी स्पीकर ने इमरान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को रद्द कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को भंग करने के फैसले को भी गलत बताते हुए उसे रद्द कर दिया और स्पीकर असद कैसर को हुक्म दिया कि वह 9 अप्रैल को सुबह 10.30 बजे नेशनल असेंबली की बैठक बुलाकर मतदान कराएं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला हुए बिना सत्र का समापन नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार ‘असेंबली सत्र में नेशनल असेंबली के किसी भी सदस्य की भागीदारी में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।’

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जहां विपक्षी दलों ने खुशी जताई वहीं इमरान खान ने कहा कि वह ‘आखिरी गेंद तक पाकिस्तान के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।’ सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इस केस पर अपना फैसला दिया। कोर्ट ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा- ‘राष्ट्रपति के आदेश को प्रभावी बनाने के लिए अब तक जो भी कार्यवाही हुई है या शुरू की गई है, उनका अब कोई कानूनी प्रभाव नहीं है और उन्हें निरस्त किया जाता है।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘डिप्टी स्पीकर का फैसला संविधान और कानून के विपरीत है और इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं है, इसे रद्द किया जाता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की नेशनल असेंबली को भंग करने की घोषणा भी ‘संविधान और कानून के विपरीत है और इनका कोई कानूनी प्रभाव नहीं है… आगे यह घोषणा की जाती है कि (नेशनल) असेंबली हर समय अस्तित्व में थी और आगे भी बनी रहेगी ।’ सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि प्रधानमंत्री और सभी संघीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सलाहकारों और सरकार के अन्य पदाधिकारियों को 03 अप्रैल 2022 के प्रभाव से संबंधित दफ्तरों में बहाल किया जाए।

विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा, ‘इस फैसले ने निश्चित तौर पर जनता की अपेक्षाओं को पूरा किया है।’ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने इसे ‘लोकतंत्र और संविधान की जीत बताया है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा, ‘देश को बर्बाद करनेवाले ऐसे शख्स से छुटकारा पाने के लिए पाकिस्तान के लोगों को बधाई। उन्होंने आम जनता को भूखा रखा। आज डॉलर 200 रुपए के स्तर तक पहुंच गया है और लोग महंगाई से हताश हैं।’ नवाज शरीफ इन दिनों लंदन में हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष ने इमरान खान पर जीत दर्ज की है। अब अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना है या इस्तीफा देना है, यह फैसला इमरान खान को लेना है। सुप्रीम कोर्ट के सभी पांच जजों का मत था कि अर्थव्यवस्था में मंदी है और जनता महंगाई से पीड़ित है, ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को एक मजूबत और स्थिर सरकार की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट के जजों का मत था कि चुनाव होने चाहिए लेकिन यह नेशनल असेंबली को तय करना है कि चुनाव में कब जाना है, और चुनाव की तारीखों का फैसला चुनाव आयोग को करना है। पाकिस्तान चुनाव आयोग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट में तलब किया गया था। चुनाव आयोग ने कहा कि देश में अक्टूबर से पहले चुनाव नहीं हो सकते क्योंकि निर्वाचन क्षेत्रों को परिसीमन करना जरूरी है।

इमरान खान जानते थे कि नेशनल असेंबली का गणित और उनके सहयोगी दल उनके खिलाफ हैं। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने बहुमत खो दिया है। उनके अपने 22 सांसद भी उनके खिलाफ हैं। पाकिस्तान की आर्मी उनके खिलाफ है। महंगाई के कारण आवाम भी उनसे नाराज है। विपक्ष के सारे नेता उनके खिलाफ एकजुट हैं।

इमरान खान को आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से रही होगी। उन्हें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल जाएगी। लेकिन इमरान खान की हर चाल को सुप्रीम कोर्ट ने बेनकाब कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर और राष्ट्रपति द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने के फैसले को निरस्त कर दिया।

सीधे शब्दों में कहें तो सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के इस आरोप से सहमत था कि इमरान खान ने तमाम नियमों और कानूनों को हवा में उड़ाकर संविधान का मजाक बनाया है। दूसरे शब्दों में कहें तो सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान और सलाहकारों द्वारा किए गए विश्वासघात का पर्दाफाश कर दिया है।

इमरान खान ने अमेरिका का नाम लेकर और विपक्ष के साथ मिलकर उनकी सरकार को गिराने की साजिश का आरोप लगाकर जनता की सहानुभूति लेने की कोशिश की। उन्होंने विपक्षी नेताओं को मीर जाफर बताया (मीर जाफर ने 18 वीं शताब्दी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के खिलाफ विश्वासघात किया था और भारत पर ब्रिटिश कब्जे के लिए रास्ता खोल दिया था)।

इमरान खान जानते थे कि उन्होंने संसद में बहुमत खो दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी छोड़कर जाने वाले सदस्यों को डराने-धमकाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं डरे। अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर उन्होंने गठबंधन छोड़नेवाले अपने सहयोगियों को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन वो भी नहीं माने। इसके बाद इमरान ने जनसभा बुलाई और वहां एक चिट्ठी लहराई। उन्होंने विदेशी ताकतों की साजिश की बात की लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। फिर उन्होंने नेशनल टेलीकास्ट में अमेरिका पर उनकी सरकार गिराने की सजिश का इल्जाम लगाया और विरोध करने वाले नेताओं को अमेरिका का पिट्ठू बताया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

जब इमरान को लगा कि बाजी हाथ से जाने वाली है तो उन्होंने विपक्ष से डील करने और फौज को बीच में डालने की कोशिश की। इमरान कुर्सी छोड़ने को तैयार हो गए लेकिन इस शर्त पर कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव वापस ले और पाकिस्तान में चुनाव कराए जाएं।

जब विपक्ष ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया और यहां भी बात नहीं बनी तो इमरान खान ने नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव खारिज करवा दिया। नेशनल असेंबली भंग कर चुनाव की घोषणा करवा दी। इमरान खान को लगा कि उन्होंने मास्टर स्ट्रोक खेला है। उन्हें लगा कि अब वह चुनाव में आक्रामक रहेंगे। अमेरिका पर साजिश का इल्जाम लगाकर हीरो बन जाएंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इमरान की इस चाल को भी नाकाम कर दिया।

इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अब संसद में अविश्वास मत का सामना करना पड़ेगा। नेशनल असेंबली में उनकी हार तय मानी जा रही है। ऐसे में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसी स्थिति में नई सरकार बनेगी। विपक्ष पहले ही एकजुट होकर प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज शरीफ को अपना उम्मीदवार बनाने पर सहमत हो गया है। नई सरकार के गठन के बाद चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का एलान करेगा। अब तक तो इमरान खान कह रहे थे कि ‘आखिरी बॉल तक खेलेंगे’। अब बेहतर यही होगा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘आखिरी बॉल’ मान लें।

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