Rajat Sharma

कोरोना वैक्सीन की उम्मीद के साथ नए साल का आग़ाज़

akbआप सभी को नए साल की शुभकामनाएं। 2020 बीत गया और यह डराने वाला साल था। ना अपनों को गले लगा सके, ना किसी के घर जा सके और ना किसी को मिलने बुला सके। मैंने 2020 के नौ महीने सिर्फ घर और इंडिया टीवी के स्टूडियो में गुजारे हैं। किसी से मुलाकात नहीं की । जो भी बात की वो वीडियो कॉल के जरिए फोन पर की। ब्रॉडकास्ट सेंटर के स्टूडियो में रोज जाता हूं पर करीब 280 दिन हो गए हैं, किसी से आमने-सामने नहीं मिला। सारी टीम से वीडियो कॉल के जरिए ही बात की।असल में ये कभी मेरा स्वभाव नहीं रहा। लोगों से मिलना- जुलना और दुख-सुख में अपनों के साथ खड़े होना मुझे अच्छा लगता है । इससे ऊर्जाऔर ताकत मिलती है। सीखने को मिलता है, पर क्या करते 2020 में हम सब मजबूर थे ।

जब कोरोना शुरू हुआ तो सलमान खान ने मुझसे कहा-‘सर, ये टाइम ऐसा है कि जो डर गया वो बच गया’। सब डर कर रहे। ना किसी की शादी में जा सके, ना किसी कि अंतिम यात्रा में कंधा दे सके। जीने का तरीका बदला, मरने का तरीका भी बदल गया। अब नए साल में दुआ करें कि ये डर मिट जाए, पाबंदियां हट जाए। हम अपनों का हाथ थाम सकें। जो तकलीफ में हो, उसे सीने से लगा कर हिम्मत दे सकें। जो खुशियां मनाना चाहता है उसके साथ हंस सकें और उसके उत्सव में शामिल हो सकें।

नए साल की बात अच्छी खबर से शुरू करते हैं। अच्छी खबर ये है कि देश नए साल का स्वागत कोरोना के वैक्सीन के साथ करेगा। सरकार ने फैसला किया है कि दो जनवरी से पूरे देश में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) का ड्राई रन शुरू हो जाएगा और पूरी उम्मीद है कि नए साल के दूसरे हफ्ते से वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा। सरकार का पैनल ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और बायोटेक के दो अहम वैक्सीन की समीक्षा करेगा, जबकि फाइजर अपना प्रेजेंटेशन देगा। इन तीनों कंपनियों ने अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए भारत सरकार से मंजूरी मांगी है। लगता है आत्मनिर्भर भारत के जमाने में पहला शॉट स्वदेशी वैक्सीन का होगा। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को कोरोना से लड़ाई का अपडेट दिया और राज्यों से वैक्सीनेशन के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा कि देश में बनी वैक्सीन देश के लोगों तक कम से कम समय में और सबसे पहले पहुंचे, इसके लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।

इस वक्त पूरी दुनिया में खुशखबरी का मतलब एक ही है-कोरोना से निजात यानी कोरोना की वैक्सीन। दुनिया के कई मुल्कों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है। लेकिन हमारे यहां जिस तरह के हालात हैं और कोरोना को जिस तरह से काबू में रखा गया है उसे देखते हुए जल्दबाजी में फैसला लेने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन को अपने सारे टेस्ट में पास होने के बाद ही मंजूरी मिलेगी। अभी तक ऐसा लगता है कि कोविशील्ड नाम की वैक्सीन को मंजूरी जल्दी मिल सकती है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशिल्ड वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है। कोविशील्ड की पांच करोड़ खुराक (डोज) पुणे में बनकर तैयार है। हर घंटे 5 लाख डोज का उत्पादन हो रहा है। इस महीने के अंत तक इस वैक्सीन का उप्तपादन बढ़कर दस लाख डोज प्रति घंटे हो जाएगा।

वैक्सीन आने और वैक्सीनेशन शुरू होने का मतलब ये कतई नहीं है कि कोरोना तुरंत खत्म हो जाएगा। कोरोना का खतरा रहेगा। खास तौर से कोरोना वायरस के नए रूप से सबको सतर्क रहने की जरूरत है। इसलिए कोरोना को लेकर अब नारा बदलना होगा। पीएम मोदी ने गुरुवार को कहा कि पहले नारा था,’जब तक दवाई नहीं तब तक ढ़िलाई नहीं’ लेकिन अब नारा है-दवाई भी और दवाई के साथ-साथ कड़ाई भी। यानि सावधानी जरूरी है।

पिछले कई वर्षों से पूरी दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम भारत में चल रहा है। दुनिया की दो तिहाई वैक्सीन का उत्पादन हमारे ही देश में होता है। एक बार जब भारत में कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी तो यहां दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन प्रोग्राम चलेगा। मोदी सरकार ने देशभऱ में 130 करोड से ज्यादा आबादी के वैक्सीनेशन की रणनीति तैयार की है। अब तक 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना तैयार कर ली गई है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने उम्मीद जताई है कि जुलाई तक कोविशील्ड वैक्सीन की 30 करोड खुराक तैयार हो जाएंगी। इसलिए देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का नर्व सेंटर (नब्ज) है। दुनिया भर को दवा देने के बाद भी इस खतरे से कोई भी देश अकेले नहीं लड़ सकता। मोदी ने कहा कि दुनिया भर की सेहत ठीक रखनी है तो बीमारियों से और कोरोना जैसे खतरों से दुनिया को एक होकर लड़ना होगा।

एक बात तो कहनी पड़ेगी कि नरेन्द्र मोदी ने वक्त पर कोरोना के खतरे की गंभीरता को समझा। देश के हालात को समझते हुए सही वक्त पर लॉकडाउन जैसा कड़ा फैसला लिया। 133 करोड़ के देश में लोगों को घर में रखना आसान काम नहीं है लेकिन मोदी ने राज्य सरकारों की मदद से ये कर दिखाया। कोई भूख ना रहे इसका इंतजाम किया। लोग कोरोना के खतरे से बच कर रहें इसके लिए लोगों को प्रेरित किया और रास्ता दिखाया। उन्होंने दस महीने दस बार देश को संबोधित किया। यही लीडर का काम होता है।

इसी का नतीजा है कि आज देश में हालात कमोबेश नियंत्रण में है। अकेले दिसंबर में कोरोना के मामले छह महीने के निचले स्तर 8.2 लाख तक गिर गए। दिसंबर महीने में 11,400 मौतें हुईं जो कि एक महीने में मई के बाद कोरोना से होनेवाली सबसे कम मौतों की संख्या है। मई महीने में कुल 4,267 लोगों की इस संक्रमण से मौत हुई थी। सितंबर में सबसे ज्यादा 33 हजार लोगों की मौत हुई थी। दिसंबर लगातार तीसरा ऐसा महीना रहा जिसमें मृत्यु दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। ऐसे समय में जब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हमें इस समय बेहद सतर्क रहने और उम्मीद बनाए रखने की जरूरत है।

आज ज्यादातर विकसित राष्ट्र भारत की ओर देख रहे हैं कि हमारी सरकार इस महामारी से कैसे निपट रही है। ये मुल्क हमारी तरफ मदद के लिए देख रहे हैं और मोदी की रणनीति की तारीफ कर रहे हैं। चूंकि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी में लोगों ने लॉकडाउन खुलने के बाद लापरवाही की तो कोरोना ने दोबारा हमला कर दिया। ये तमाम बड़े और पैसे वाले मुल्क परेशान हैं। इसीलिए मोदी ने कहा कि अब हमें वो गलती नहीं करनी है, जो दूसरों ने की।

अब नए साल में पूरा देश वैक्सीन से उम्मीद लगाए बैठा है। लेकिन सिर्फ वैक्सीन बन जाए और मिल जाए, ये काफी नहीं है।133 करोड़ लोगों के देश में सबतक वैक्सीन पहुंचाना बहुत बड़ा काम है। वैक्सीन बन जाने के बाद उसे स्टोर करने के लिए हर राज्य में हजारों कोल्ट स्टोरेज की जरूरत है। वैक्सीनेशन के लिए करोडों सीरिंज की जरूरत होगी। वैक्सीन लगाने वाले लाखों प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत होगी। ये काम आसान नहीं है, लेकिन चूंकि नरेन्द्र मोदी ने पहले से प्लानिंग और तैयारी की, इसलिए हम दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। वैक्सीन को लेकर सरकार किस स्तर पर तैयारी कर रही है इसका अंदाजा आपको इस बात से होगा कि वैक्सीन को अभी मंजूरी नहीं मिली है,लेकिन वैक्सीनेशन के लिए सरकार 83 करोड़ सिरिंज का ऑर्डर दे चुकी है। कई कंपनियों में हर घंटे 1 लाख सीरिंज बनाई जा रही है। देश भऱ में वैक्सीनेशन की ट्रेनिंग दी जा रही है। 59 हजार तो सिर्फ ट्रेनर हैं जो हर जिले,हर तालुका में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर हॉस्पिटल्स तक में लोगों को वैक्सीनेशन के प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वैक्सीन को स्टोर करने के लिए हर राज्य में हजारों कोल्ड स्टोर बनकर तैयार है। लेकिन सरकार कितनी भी तेजी कर ले, कितने भी संसाधनों का इस्तेमाल कर ले, जुलाई तक देश में सिर्फ 25 करोड़ लोगों का ही वैक्सीनेशन हो पाएगा।

इसीलिए बार-बार कहा जा रहा है कि वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद लापरवाही नहीं करनी है क्योंकि अगर एक भी कोरोना का मरीज रह गया तो खतरा फिर बढ़ जाएगा। जब तक सब को वैक्सीन नहीं लग जाती मास्क हमारे साथ रहेगा। दो गज की दूरी बनी रहेगी। इसके साथ-साथ एक और सावधानी की जरूरत है, अफवाहों से दूरी बनाकर रखिए। न अफवाह पर यकीन करिए और न अफवाह को फैलाने में मदद करिए। क्योंकि अफवाहें कोरोना वायरस से भी ज्यादा तेजी से फैलती हैं। वैक्सीन आई नहीं लेकिन वैक्सीन के बारे में अफवाह घर-घऱ पहुंच गई। मैंने तो दो हफ्ते पहले आपको अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ दिखाया था कि मुंबई में दस मुस्लिम संगठनों के मौलानाओं और उलेमाओं की मीटिंग हुई थी। इसमें तय हुआ था कि जो वैक्सीन भारत में इस्तेमाल होगी उसके बारे में पहले मुस्लिम संगठन तसल्ली करेंगे। इस बात की जांच करेंगे कि उसमें कोई गैर हलाल मटीरियल यानी सूअर की चर्बी तो इस्तेमाल नहीं की गई।अगर ऐसा हुआ तो फिर मुसलमान वैक्सीन का बॉयकॉट करेंगे।इसीलिए गुरुवार को मोदी ने इन अफवाहों को लेकर साफ बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2021 में कोरोना के अलावा वैक्सीन की अफवाहों से भी बचने की जरूरत है।सोशल मीडिया पर कोई भी मैसेज आता है तो उसपर आंख मूंद कर भरोसा ना करें क्योंकि ये अनजान दुश्मन कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। कोरोना वैक्सीनेशन के लिए सरकार की गाइडलाइंस का पालन कीजिए।

जो लोग वैक्सीन को लेकर इस तरह के सवाल उठा रहे हैं उन जैसे लोगों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी की बात सुननी चाहिए। मौलाना मदनी से भी यही सवाल पूछा गया था कि क्या मुसलमानों में कोरोना वैक्सीन को लेकर कुछ गफलत है? मुसलमानों को क्या करना चाहिए? तो मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि वैसे तो इस्लाम में जो जायज नहीं है वो नहीं करना है,लेकिन जब और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा, जान पर बन आएगी तो फिर हलाल और हराम का फर्क भूलना ही बेहतर है। वहीं देवबंद के मौलाना कारी इसहाक गोरा ने गुरुवार को साफ तौर पर कहा कि जान है तो जहान है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाई वैक्सीन को लेकर किसी तरह की अफवाहों पर यकीन ना करें। जान रहेगी तो इबादत भी कर पाएंगे और इंसानियत की खिदमत का फर्ज भी निभा पाएंगे। इसलिए जान बचाने के लिए जो करना पड़े, सब हलाल है।

इस तरह की अफवाह सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि दुनिया के तमाम इस्लामिक मुल्कों में फैल रही है। हालत ये हो गई कि इंडोनेशिया की सरकार ने चीन से कोरोना वैक्सीन की 12 लाख डोज मंगवा ली लेकिन इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि ये अफवाह फैल गई कि वैक्सीन में सुअर की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है। जरा सोचिए, अफवाहों के सामने सरकारें भी बेबस हैं। इसीलिए अब दुनियाभर के मौलाना अफवाहों पर स्थिति साफ कर रहे हैं और लोगों को समझा रहे हैं। सऊदी अरब के बड़े मौलाना शेख आसिम बिन लुकमान अल-हकीम का कहना है कि अगर जान बचाने के लिए वैक्सीन जरूरी है और वैक्सीन में कोई ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल इस्लाम में हराम है तो भी उसका उपयोग करने में कोई हर्ज नहीं है।

अमेरिका में तो सोशल मीडिया पर बिल गेट्स के नाम से अफवाह उड़ा दी गई कि बिल गेट्स ने कहा है कि वैक्सीन का साइड इफेक्ट ऐसा होगा कि 7 लाख लोगों की जान चली जाएगी। जबकि बिल गेट्स ने तो सिर्फ इतना कहा था कि सात लाख लोगों को वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। एक और खतरा ये है कि वैक्सीन आने पर दुनिया के बड़े माफिया, साइबर क्राइम के क्रिमिनल गैंग एक्टिव हो गए हैं। ऐसे लोगों से भी सावधान रहने की जरूरत है। ऐसी कई शिकायतें मिली हैं जहां वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन के नाम पर लोगों से आधार कार्ड का नंबर या ओटीपी मांगा गया। बैंको में कई ग्राहक इस तरह की शिकायत लेकर आए हैं जहां वैक्सीन के नाम पर ओटीपी मांगा और बैंक एकाउंट साफ कर दिया। इसलिए मैं आपको आगाह करना चाहता हूं कि वैक्सीन रजिस्ट्रेशन कराने के बहाने आपका आधार नंबर, ई-मेल आईडी, ओटीपी मांगने वालों से सावधान रहें और अफवाहों पर भरोसा न करें। इस समय जरूरत इस बात की है कि खुद भी सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान करें। कोरोना वायरस के गाइडलाइंस का पालन करें और सुरक्षित रहें। नया साल एक नई उम्मीद लेकर आया है। हमें साहस और दृढ़ विश्वास के साथ मानव जाति पर हुए इस घातक हमले का सामना करने लिए कोविड वैक्सीन का इंतजार करना होगा।

Watch Video Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

Comments are closed.