आजकल हर तरफ कोरोना की बेकाबू स्पीड की चर्चा है। लोगों में डर और तरह-तरह की आशंकाएं हैं। लेकिन इन सबके बीच आशा की किरण भी है। कोरोना के इस संकट से लड़ने के हमारे वैज्ञानिक नए-नए रास्ते खोज रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि कोरोना की नई नेज़ल वैक्सीन (कोडनेम BBV-154) आने वाली है। इसे एक-दो दिन में ही मंजूरी मिल सकती है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन को बनाया है। यह वैक्सीन बूस्टर डोज की तरह काम करेगी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की एक्सपर्ट कमेटी जल्द ही इसके इस्तेमाल की मंजूरी देने पर फैसला लेने वाली है। यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर उन लोगों को भी दी जाएगी जिन्होंने कोवैक्सीन या कोविशील्ड की दोनों डोज ले रखी है।
भारत बायोटेक ने 5 हज़ार लोगों पर अपनी इस नेज़ल वैक्सीन (BBV154) का क्लिनिकल ट्रायल किया है। जिन लोगों पर ट्रायल हुआ है उनमें से 50 प्रतिशत यानी ढाई हज़ार लोगों को कोविशील्ड और ढाई हज़ार लोगों को कोवैक्सीन की दोनों डोज लगी थी। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो देश को यह इंट्रानेज़ल बूस्टर वैक्सीन इस साल मार्च महीने में उपलब्ध हो जाएगी। इस बूस्टर वैक्सीन को कोरोना की दूसरी डोज के छह महीने बाद दिया जाएगा।
उधर, डीसीजीआई की एक्सपर्ट कमेटी की ओर से रूस की स्पुतनिक लाइट वैक्सीन को भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इस वैक्सीन को डॉ. रेड्डीज लैब ने बनाया है। इसके थर्ड फेज के ट्रायल का डेटा सरकार को दिया गया है। स्पूतनिक लाइट वैक्सीन कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ असरदार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को इस बात का संकेत दिया था कि नेज़ल वैक्सीन को बूस्टर डोज की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी दिन उन्होंने 15 से 18 साल के उम्र के लोगों के लिए देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने का ऐलान किया था।
एक और अच्छी खबर यह है कि भारत की दवा निर्माता कंपनी मैनकाइंड फार्मा (Merck) एंटी वायरल कोविड की गोली मॉलन्यूपीराविर को अगले सप्ताह से मार्केट में उतारनेवाली है। इस दवा की कीमत प्रति कैप्सूल 28 से 35 रुपये के बीच है। एक दिन की दवा की कीमत करीब पौने तीन सौ रुपये होगी। कुल पांच दिनों का कोर्स होगा। यानि कोरोना का इलाज कुल 1400 रुपये में हो जाएगा। कंपनी ने कहा है कि यह दवा पूरे देश में मिलेगी। अमेरिका में इस दवा की कीमत करीब 700 डॉलर है। चूंकि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने पहले ही इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है इसलिए इसकी मार्केटिंग को लेकर कोई समस्या नहीं होगी। दवा के प्रोडक्शन के लिए 13 भारतीय फार्मा कंपनियों के साथ टाईअप किया गया है। यानी मैनकाइंड फार्मा के साथ-साथ 13 भारतीय कंपनियां भी इस ओरल दवा का प्रोडक्शन करेंगी। मॉलन्यूपीराविर एक एंटी-वायरल दवा है जिसकी खोज इन्फ्लुएंजा के इलाज के लिए हुई थी लेकिन जब कोरोना के मरीजों पर भी इसका टेस्ट किया गया तो इसके बेहतर नतीजे सामने आए।
मंगलवार को देशभर में 24 घंटे में कोरोना के कुल 37,379 मामले सामने आए। पिछले साल सितंबर महीने के बाद यह कोरोना के मामलों में सबसे बड़ा उछाल है। वहीं वैक्सीनेशन की बात करें तो देशभर में 150 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। नेज़ल वैक्सीन की शुरुआत भारतीय दवा निर्माताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। वैक्सीन और दवाओं की खोज एक दिन के अंदर नहीं हो जाती हैं। इन्हें बनाने, इनके ट्रायल और फिर ड्रग रेग्युलेटर से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने और बाजार में उतारने में महीनों लग जाते हैं।
दुनिया भर में अब तक कोरोना वैक्सीन की जितनी डोज लगी है उनमें आधी से ज्यादा वैक्सीन भारत में बनी थी। इस संकट की घड़ी में हमारा देश दुनिया का मददगार बन रहा है। सोमवार से देश में 15 साल से 18 साल की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया है। इस आयु वर्ग की कुल आबादी करीब सात करोड़ है। सोमवार को वैक्सीनेशन के पहले दिन ही 47 लाख से ज्यादा बच्चों ने वैक्सीन की डोज ले ली। मंगलवार को दूसरे दिन भी 40 लाख से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन लगी। अगर इस स्पीड से वैक्सीनेशन का काम चला तो 15 से 18 साल के तक सभी बच्चों को बीस दिन में ही वैक्सीन लग जाएगी। देश के बच्चे अपना फर्ज समझ रहे हैं और अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस मामले में नेताओं को बच्चों से सीखने की जरूरत है। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कई राज्यों में बड़े-बड़े नेता कोरोना का शिकार हो रहे हैं। यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव होनेवाले हैं और जबरदस्त प्रचार हो रहा है। सभी पार्टियों के नेता बड़ी-बड़ी रैली और रोड शो कर रहे हैं और कोरोना का शिकार हो रहे हैं।
उधर, मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। केजरीवाल चार दिन से पंजाब और उत्तराखंड में रैली कर रहे थे। वहीं महाराष्ट्र में पीडब्ल्यूडी मंत्री एकनाथ शिंदे, बालासाहेब थोराट, वर्षा गायकवाड़ समेत 13 मंत्री कोरोना की चपेट में आए हैं। केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडे और बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। उधर, कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीएस नागेश, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव और कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी पॉजिटिव पाए गए हैं। कोरोना महामारी का सबसे बड़ा खतरा उन राज्यों में है जहां चुनाव होनेवाले हैं। वहीं चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि कोरोना की वजह से चुनाव नहीं टलेंगे लेकिन नेताओं से अपील की है कि चुनावी रैलियों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का ख्याल रखें।
इस बीच, ज्यादातर राज्य सरकारों ने पाबंदियां लागू कर दी है। दिल्ली सरकार ने इस सप्ताह से वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। उधर इस फैसले से व्यापारी नाराज हैं। दुकानदारों का कहना है कि वैसे ही दो साल से धंधा चौपट है। अब धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही थी तो सरकार ने फिर पाबंदियां लगा दी। अधिकांश दुकानदारों ने इंडिया टीवी के संवाददाताओं से कहा कि नेताओं की रैलियों के वक्त क्या कोरोना छुट्टी पर चला जाता है? इन रैलियों पर रोक क्यों नहीं लगती? नेताओं की दुकान चल रही है और व्यापारियों की दुकान बंद कराई जा रही है। यह ठीक नहीं है। दुकानदारों का गुस्सा समझा जा सकता है। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से वाकई इनके कारोबार पर काफी असर पड़ा है। लेकिन दिल्ली के बाजारों में जबरदस्त भीड़ लग रही है। बाजारों का हाल देखकर लगता है कि किसी को कोई डर नहीं है।
दिल्ली जैसा हाल महाराष्ट्र का भी है। महाराष्ट्र कोरोना के मामलों में देश भर में नंबर वन पर है। यहां मंगलवार को पिछले 24 घंटे में कोरोना के 18 हजार 466 नए केस सामने आए । देश में कोरोना के जितने मामले आए उनमें से करीब 50 प्रतिशत यानी आधे केस अकेले महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र के 13 मंत्रियों और 70 विधायकों का कोविड टेस्ट पॉजिटिव रहा है। वहीं एक्टिव मामले बढ़कर 13 हजार के आंकड़े को पार कर गए हैं।
नए साल का जश्न भारी पड़ गया। एक कहावत है- ‘गए थे नमाज पढ़ने, रोजे गले पड़ गए’। चाहे गोवा हो, महाराष्ट्र या अन्य राज्यों में नए साल के जश्न के दौरान लोगों ने सावधानी नहीं बरती। क्रूज कॉर्डेलिया पर लोग नए साल की पार्टी करने गए थे। लेकिन कई यात्रियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। हालांकि इसमें इन लोगों की कोई गलती नहीं हैं। कोरोना वायरस है ही ऐसा। जो लोग क्रूज में सवार हुए उनकी 48 घंटे पहले की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव थी। सभी लोग वैक्सीनेटेड थे। इसके बाद भी कोरोना क्रूज पर पहुंच गया और नए साल की शुरुआत खराब कर दी। खतरा यही है कि जो कोरोना से संक्रमित है उसे खुद नहीं मालूम कि वो कोरोना वायरस का कैरियर बन गया है। जो 48 घंटे पहले की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आ रहा है उसे नहीं मालूम कि इन 48 घंटों में कोरोना उसके शरीर में पहुंच चुका है। कोरोना चुपके से आ रहा है और आने की खबर भी नहीं दे रहा है। चूंकि ज्यादातर मरीज एसिम्टोमैटिक हैं लिहाजा अनजाने में ही कोरोना के मरीज दूसरों को कोरोना का वायरस बांट रहे हैं, इसलिए ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
मैंने सोमवार को भी कहा था और आज फिर कह रहा हूं। खुद को कोरोना पॉजिटिव मानिए और अपने आसपास वाले लोगों को भी कोरोना पॉजिटिव मानिए, तभी इस वायरस से बच सकते हैं। क्योंकि यह वारयस कहीं भी पहुंच सकता है और आम हो या खास सबको अपना शिकार बना सकता है।