Rahul should have chosen his words carefully in Cambridge
Congress leader Rahul Gandhi has waded into a fresh controversy by alleging on foreign soil that ‘Indian democracy is under threat’ and several leaders, including himself are under surveillance. He was delivering a lecture at Cambridge University, UK, as a visiting fellow of Cambridge Judge Business School, and the topic of the lecture was ‘Learning to Listen in the 21st Century’.
Rahul Gandhi said: “In my view, Narendra Modi is destroying the architecture of India. So, I am not bothered about two or three good policies…if heis blowing our country to smithereens, I think that is what he is doing. He is imposing an idea on India that India cannot absorb. India, as I said, is a Union of States. It is a negotiation and if you try to force one idea on a Union, it will react.”
Rahul Gandhi alleged that Israeli Pegasus spyware was installed on the phones of a large number of politicians, including himself. He said, “I myself, had Pegasus on my phone. A large number of politicians have Pegasus on their phones…So this is a constant pressure that we feel.”
BJP immediately reacted and said it was “a brazen attempt” to denigrate India on foreign soil, in the name of targeting Narendra Modi. Information & Broadcasting Minister Anurag Thakur said, “What was his compulsion in not submitting his cellphone to check whether there was Pegasus spyware or not? He is already on bail in a corruption case (National Herald). What was there in his phone that he needed to hide? Why didn’t he and other leaders submit their phones?”
Assam chief minister Himanta Biswa Sarma gave a point-by-point rebuttal to the issues raised by Rahul Gandhi in Cambridge.
In a long Twitter thread, Sarma wrote: “First foreign agents target us! Then our own targets us on a foreign land! Rahul Gandhi’s speech at Cambridge was nothing but a brazen attempt to denigrate our country on foreign soil in the guise of targeting Adarniya PM Shri Narendra Modi ji.
“Rahul says, Indian democracy is under threat because he can’t freely express himself. FACT: He travelled 4,000 km in his yatra incident-free under the protection provided by Modi Govt. Do we need to remind him how yatras led by BJP leaders were sabotaged when Cong was in power?
“Rahul says Pegasus was found on his phone and an “officer” warned him regarding it. FACT: He refused to submit his phone for investigation when Supreme Court asked for it. Following extensive investigation, SC concluded that there was no evidence of Pegasus.
“Rahul says, India’s minorities are unsafe and treated like second class citizens. FACT: Since May, 2014, communal violence in India has been the lowest ever and prosperity of minority families the highest ever. Many minority leaders have reposed their faith in Modi govt.
“Rahul says, India is a Union of States modelled after Europe. FACT: Bharat & her Mahajanapadas as a civilisation entity has been in existence thousands of years before even Europe became a political entity, yet we are modelled after them?
“Rahul praises China as an aspiring superpower, cites Belt and Road Initiative (BRI) as an example. FACT: BRI is solely responsible for the debt crisis facing several countries today. Uncle Pitroda should have told him this.
“Rahul says manufacturing isn’t conducive in democracy. FACT: When Indira Gandhi suspended democracy, manufacturing didn’t increase. But when Modi Govt introduced PLI scheme, it did. Is Cong agenda for 2024 is to take India back to Communist dictatorial era?
“Rahul goes on to say, China not believing in Intellectual Property Rights is a profound and powerful concept. Want to ask if P. Chidambaram also thinks that discarding copyright laws and encouraging piracy will boost manufacturing?
“Rahul even admits he is fascinated by China and Communist Party members have shaped his thoughts. Such rich praise for the Chinese is understandable. Gandhi family is trying to pay off its debts for the donations they took from them!
“Rahul says, in Kashmir militants saw him, but he knew they wouldn’t target him. Why was this not reported to security agencies? Was there some understanding Cong had with these militants to protect Rahul?
“Rahul described the Pulwama attack as “a car bomb that killed 40 soldiers”. How dare he insult our jawans? It wasn’t a bomb sir, but a terror attack. No surprises that he refused to name Pakistan behind Pulwama attack. Is this part of the understanding Cong had with militants?”
Information & Technology Minister Ashwini Vaishnaw said, “There is no need to reply to Rahul, because his needle is stuck at only one point.”
As opposition leader, Rahul Gandhi has the democratic right to question Pegasus spyware. But when he made this allegation on foreign soil, he should have also mentioned that the Supreme Court went into the Pegasus issue and did not find any evidence.
BJP leaders said, at a time when Indian armed forces are guarding the Line of Actual Control in an eyeball-to-eyeball confrontation, Rahul is praising China. One BJP leader said, China has only three friends left in the world: Pakistan, North Korea and Rahul Gandhi. It may have been said in jest, but the message is clear: Rahul should have chosen his words carefully while speaking in Cambridge.
नॉर्थ-ईस्ट के नतीजे : बीजेपी में जश्न, कांग्रेस के लिए सबक
सत्तारूढ़ बीजेपी ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है जबकि नागालैंड में एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन ने जीत हासिल की है। वहीं मेघालय में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। वहां मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है और बीजेपी के समर्थन से एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है।
इस जीत के बाद दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों राज्यों के मतदाताओं को धन्यवाद दिया और वह विपक्षी दलों पर जमकर बरसे। मोदी ने कहा, ‘जब कुछ लोग मोदी की कब्र खोदने की ख्वाहिश कर रहे हैं, मोदी तेरी कब्र खुदेगी के नारे लगा रहे हैं तब नॉर्थ-ईस्ट के लोगों ने कमल को चुना। कमल खिलता ही जा रहा है। कुछ लोग बेईमानी भी कट्टरता से करते हैं और ये कट्टर लोग कहते हैं कि मर जा मोदी, लेकिन देश कह रहा है मत जा मोदी’।
मोदी ने कहा, ‘बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्ट के लोगों का दिल जीत लिया है। अब नॉर्थ-ईस्ट से न दिल्ली दूर है और न नॉर्थ-ईस्ट दिलों से दूर है। मुझे तो इस बात पर हैरानी है कि नॉर्थ-ईस्ट के चुनाव नतीजों के बाद अब तक ईवीएम को गाली नहीं पड़ी।‘
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब तक यह फैलाया जाता था कि अल्पसंख्यक भाई बीजेपी को वोट नहीं देते लेकिन चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया कि देश के सभी वर्ग ‘सबका साथ सबका विकास’ मंत्र का समर्थन कर रहे हैं। मेघालय और नागालैंड में ईसाइयों ने भी हमारी पार्टी का समर्थन किया है।
पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भी निशाना साधा जिन्होंने चुनाव परिणामों पर कहा कि नॉर्थ-ईस्ट के तीनों राज्य छोटे हैं और इनके नतीजे उतना मायने नहीं रखते। मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कह रहे हैं कि ये तो छोटे राज्य हैं। यह नॉर्थ-ईस्ट के लोगों का अपमान है। इसी मानसिकता के कारण कांग्रेस पार्टी लगातार चुनाव हार रही है।‘
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले बीजेपी को ‘बनिया पार्टी’ और ‘हिंदी बेल्ट की पार्टी’ कहा जाता था, लेकिन नॉर्थ-ईस्ट के लोगों ने अब बीजेपी को स्वीकार कर लिया है। पीएम मोदी ने वादा किया कि एक दिन केरल में भी भाजपा की सरकार बनेगी।
त्रिपुरा में बीजेपी ने विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 32 सीटों पर जीत दर्ज की। नागालैंड में बीजेपी ने विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि उसकी सहयोगी नैशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) 25 सीटें जीतने में सफल रही। इस तरह बीजेपी गठबंधन को विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिल गया। उधर, मेघालय में मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 26 सीटों पर जीत हासिल की जबकि बीजेपी दो सीटें जीतने में कामयाब रही। 60 सीटों वाली विधानसभा में कोनराड संगमा कुछ अन्य छोटे दलों के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे हैं।
वहीं कांग्रेस की बात करें तो वह नागालैंड में खाता भी नहीं खोल पाई जबकि मेघालय में सिर्फ पांच सीटें जीत पाई। त्रिपुरा में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटें मिली जबकि उसकी सहयोगी पार्टी सीपीएम 11 सीटें ही जीत पाई। त्रिपुरा में एक नए क्षेत्रीय दल टिपरा मोथा पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की। इस पार्टी की अगुवाई पूर्व त्रिपुरा रजवाड़े के शासक प्रद्योत देव बर्मन कर रहे हैं।
मौदी मौके पर चौका लगाते हैं और अपने पर हो रहे हमलों को कैसे अवसर में बदलना है, ये अच्छी तरह जानते हैं। कल मौका भी था, माहौल भी था और दस्तूर भी था। इसीलिए मोदी ने सारा हिसाब बराबर कर लिया। उन्होंने कांग्रेस को बता दिया कि जिन राज्यों को कांग्रेस छोटा समझती है आज उन्हीं राज्यों ने कांग्रेस को ‘छोटा’ बना दिया। जिस नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस की तूती बोलती थी आज वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
नार्थ-ईस्ट में बीजेपी को मिली यह चुनावी जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरगामी रणनीति का नतीजा है। 2014 में जब मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त नॉर्थ-ईस्ट के किसी राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं थी। केवल अरुणाचल प्रदेश में ही 2003 में बीजेपी ने थोड़े समय के लिए सरकार बनाई थी। उसके बाद पूर्वोत्तर में बीजेपी का ज्यादा वजूद नहीं था। मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट के विकास पर फोकस किया। इस इलाके को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशें शुरू हुई। इसका नतीजा ये हुआ कि पहले पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में बीजेपी की सरकार बनी। यहां बीजेपी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। अब त्रिपुरा में भी बीजेपी ने दोबारा जीत दर्ज की है।
इस वक्त नार्थ-ईस्ट के आठ में से छह राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। ये बड़ी बात है। कुछ लोग कह सकते हैं कि नॉर्थ-ईस्ट के सारे राज्यों को मिला दें तो भी किसी बड़े राज्य का मुकाबला नहीं कर सकते इसलिए पूर्वोत्तर में जीत और सरकार बनाने से क्या राजनीतिक फायदा होगा।
लेकिन मुझे लगता है कि नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी की इस जीत का राजनीतिक फायदा होगा। एक तो बीजेपी हिन्दी भाषी राज्यों की पार्टी की पुरानी छवि से बाहर निकलेगी। दूसरी बात, नॉर्थ-ईस्ट में लोकसभा की 25 सीटें हैं। अगर अगले लोकसभा चुनावों में दूसरे राज्यों में बीजेपी को थोड़ा बहुत नुकसान होता है तो नॉर्थ-ईस्ट से इसकी भरपाई हो जाएगी। इसलिए नॉर्थ-ईस्ट के इन राज्यों में बीजेपी की जीत के बड़े मायने हैं।
अब सवाल ये है कि नॉर्थ-ईस्ट में कभी जबरदस्त पकड़ रखने वाली कांग्रेस का इतना बुरा हाल क्यों हुआ ? तीनों राज्यों में कांग्रेस का सफाया क्यों हुआ? इसकी बड़ी वजह है पार्टी की कैजुअल एप्रोच। दिल्ली से बैठकर नॉर्थ ईस्ट को समझने की कोशिश करना। लोकल लीडरशिप के साथ न तो बात करना और ना ही उनकी बात सुनना। इसका ताजा उदाहरण टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत देव बर्मन हैं जो त्रिपुरा के पूर्व शासक रहे हैं और टिपरा मोथा पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। कांग्रेस हाईकमान ने उनकी बात नहीं सुनी। अपमानित होने के बाद उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ी।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद इंडिया टीवी पर एक इंटरव्यू में प्रद्योत देव बर्मन ने कहा, ‘अगर कांग्रेस को बीजेपी से लड़ना है तो राहुल गांधी को अपनी सोच बदलनी होगी, अपने सलाहकार बदलने होंगे। घर में बैठकर चुनाव हरवाने वाले नेताओं के बजाए जमीन पर काम करने वाले नेताओं की बात सुननी होगी, तभी कांग्रेस का भला हो सकता है। वरना , भारत जोड़ो यात्रा से कोई फायदा नहीं होगा।’
लेकिन कांग्रेस अभी भी इस बात को समझने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में स्थानीय मुद्दों के चलते हार हुई है। त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रंट का वोट कांग्रेस में ट्रांसफर नहीं हुआ जबकि मेघालय में ममता की टीएमसी ने कांग्रेस का वोट काटकर परोक्ष रूप से बीजेपी का समर्थन किया। इसलिए कांग्रेस की हार हुई।
गुरुवार को चुनाव नतीजे आने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए किसी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘जो लोग बीजेपी को हराना चाहते हैं, वे हमारा समर्थन करें।’
त्रिपुरा में ममता की पार्टी एक फीसदी से कम वोट हासिल करने के बावजूद खाता खोलने में नाकाम रही। उन्होंने बंगाल के सागरदीघी विधानसभा उपचुनाव के नतीजे पर कहा कि तृणमूल को हराने के लिए कांग्रेस-सीपीएम और बीजेपी ने परदे के पीछे गठबंधन कर लिया था इसलिए उनकी पार्टी चुनाव हार गई।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘अगर आप बीजेपी के वोट गिनें तो आपको दिखेगा कि उनका 22 प्रतिशत वोट था। इस बार उन्होंने अपना वोट कांग्रेस को ट्रांसफर कर दिया। कांग्रेस को इस बार 13 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले। बीजेपी का वोट कांग्रेस को चला गया। सीपीएम-कांग्रेस साथ है और बीजेपी का वोट भी कांग्रेस को ट्रांसफर हुआ।’ सागरदीघी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बायरन विश्वास ने तृणमूल के उम्मीदवार देवाशीष बनर्जी को करीब 23 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया जबकि बीजेपी उम्मीदवार दिलीप साहा तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें 25,793 वोट मिले। मुस्लिम बहुल सागरदिघी विधानसभा सीट पर मिली हार निश्चित रूप से ममता बनर्जी के लिए एक झटका है।
North-East results: Cheers for BJP, Lessons for Congress
The ruling Bharatiya Janata Party on Thursday scored a comfortable majority in Tripura assembly elections, while in Nagaland, the NDPP-BJP combine swept the polls. In Meghalaya, which threw up a hung assembly, the ruling NPP, led by chief minister Conrad Sangma emerged as the single largest party, and is set to form the government again with support from BJP.
Addressing party workers outside the BJP headquarters in Delhi, Prime Minister Narendra Modi thanked the voters of all three states and lashed out at the opposition. He said, there were slogans of ‘Modi Teri Qabr Khudegi’(Modi, your grave will be dug), but the people of north-east have chosen the lotus (BJP poll symbol). “Some kattar (fanatical) people were saying ‘mar jaa Modi’, but the nation is saying ‘mat jaa Modi’ (Don’t go Modi).
Modi said, BJP has won the hearts of the people of north-east. “Now, North-East is neither far from Delhi nor from ‘dil’ (heart)..I am surprised why those from the opposition have not blamed EVM (electronic vote machine) bungling this time”, Modi said.
The Prime Minister said, contrary to the assumptions of many people that minorities avoided supporting the BJP, Thursday’s poll results have made it clear that the Christians in Meghalaya and Nagaland have supported his party. He lashed out at Congress president Mallikarjun Kharge for saying that all the three were “small states of North-East which generally go with Central Government trend”.
“By saying this, the Congress President has insulted the mandate. Because of such a mindset of belittling the north-eastern states, the Congress party is losing elections continuously”, Modi said.
The Prime Minister said, in earlier days, BJP was being dubbed as a ‘bania party’ and a ‘Hindi belt party’, but the people of North-East have now opted for BJP. He promised that Kerala will also get a BJP government one day.
In Tripura, BJP won 32 out of a total of 60 assembly seats, while in Nagaland, BJP won 12 while its ally National Democratic Progressive Party (NDPP) won 25 seats, this giving the combine a clear majority in the 60-seat assembly. In Meghalaya, chief minister Conrad Sangma’s National People’s Party (NPP) won 26 seats, while BJP won two seats. Sangma is going to form a government with the support of some other smaller parties in a House of 60.
The Congress failed to open its account in Nagaland, while in Meghalaya, it won five seats, and in Tripura, it won only three seats despite allying with CPI(M) which won 11 seats. A new regional party, Tipra Motha party, led by ex-ruler Pradyot Dev Burman, won 13 seats.
Narendra Modi never misses a big stroke in the game of politics. He knows the art of converting attacks from political rivals into opportunities. He plainly told the Congress that by dubbing North-East states as “small”, the party itself is becoming smaller by the day.
The electoral victory in North-East is the result of Modi’s long-term strategy. When he became the PM in 2014, there was not a single state in the North-East where BJP was in power. Only in Arunachal Pradesh, in 2003, BJP had formed a government for a brief period. After becoming the PM, Modi focused on development in the North-East and tried to connect the north-eastern states with the national mainstream. As a result, the biggest north-eastern state, Assam, was captured by BJP, where the party won two consequent assembly elections, and now, in Tripura, the party has registered its second consecutive win.
Presently, in six out of eight north-eastern states, BJP and its allies run governments. This is an achievement. Some people say that even if all the eight north-eastern states are combined, they cannot be compared to a big state in either the North, the West or the South. They ask whether Modi can reap political benefits on a national scale.
I feel, the victories in north-eastern states are surely going to yield good political dividends. One, BJP will come out of its old image of being a party from the Hindi-speaking belt. Two, there are 25 Lok Sabha seats in the North-East, and these seats matter during next year’s Lok Sabha elections.
The question now is: why Congress, which once used to wield a big influence in the North-East has been reduced to a small party? The answer lies in the casual approach of the party. The Congress leadership, sitting in Delhi, is trying to understand the North-East. It is neither in constant touch with the local leadership, nor does it listen to their advice. The latest example is that of Pradyot Dev Burman, former ex-ruler of Tripura and chief of Tipra Motha party. He was insulted and he had to leave the Congress.
In an interview on India TV, soon after the Tripura results were out, Pradyot Dev Burman said, ‘if Congress intends to give a fight to BJP, Rahul Gandhi must change his mindset and his advisers. Instead of sitting at home and listening to advisers who make his party lose, he must listen to those leaders who work on the ground. Only then can the Congress survive, otherwise events like Bharat Jodo Yatra will not help’.
Congress leadership is still unwilling to listen to sane advice. The party leadership says it lost in Tripura, Nagaland and Meghalaya due to “local factors”. In Tripura, the traditional pro-Left voters did not vote for Congres, while in Meghalaya, Mamata Banerjee’s TMC spoiled the chances of Congress and indirectly helped BJP.
On Thursday, after the election results were out, Mamata Banerjee said, her party will not enter into any alliance for next year’s Lok Sabha elections. “Let those who want to defeat BJP, support us”, she said.
In Tripura, her party failed to open its account despite getting less than one per cent vote share. She attributed her party’s defeat in Bengal’s Sagardighi assembly byelections to an “immoral alliance” between Congress and BJP.
“If we count the BJP vote percentage, the party has transferred its vote to the Congress”, said Mamata Banerjee. In Sagardighi, the Congress candidate Bayron Biswas defeated the TMC rival Debashis Banerjee by a margin on 23,000 votes while the BJP candidate Dilip Saha came third, getting 25,793 votes. The defeat in Sagardighi, a Muslim-dominated constituency, is surely a setback for Mamata Banerjee.
माफिया पर योगी का शिकंजा : यूपी के लिए स्वागत योग्य कदम
प्रयागराज में बुलेट से खूनी खेल खेलने वाले अपराधियों को पनाह देने वालों के घरों पर बाबा का बुलडोजर चल गया। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने बुधवार और गुरुवार को अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद यूपी के माफिया डॉन अतीक अहमद के दो करीबी सफदर अली और खालिद जफर की संपत्तियों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया।
प्रशासन ने बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी को दिनदहाड़े हुए हत्या के बाद उठाए गए कदमों के तहत यह कार्रवाई की। यूपी पुलिस ने अतीक अहमद के बेटे की गिरफ्तारी के लिए 50 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है। अतीक का बेटा अपनी मां शाइस्ता परवीन के साथ अंडरग्राउंड हो गया है।
पुलिस का कहना है कि उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या में अतीक अहमद का बेटा और तीन अन्य लोग शामिल थे। पुलिस और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने कम से कम 20 ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो अतीक अहमद और उसके गैंग के करीबी बताए जाते हैं। इन लोगों की संपत्तियों पर भी बुलडोजर चलाने की तैयारी है। ये संपत्तियां प्रयागराज शहर के चकिया, तेलियारगंज, धूमनगंज, सलेमसराय, हरवारा, जयंतीपुर, सादियापुर, मिंदेरा, झालवा और अटाला में हैं। उमेश पाल हत्या कांड के चार आरोपियों में से एक अरबाज को पुलिस ने 27 फरवरी को मुठभेड़ में मार गिराया।
बुधवार को प्रयागराज के चकिया इलाके में जफर अहमद के घर पर बुलडोजर चला। इस घऱ में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन अपने दो बेटों के साथ रह रही थीं। जफर अहमद का यह मकान उसने किराए पर ले रखा था। पुलिस अधिकारियों का आरोप है कि इसी घर में उमेश पाल को मारने की साजिश रची गई थी और शाइस्ता परवीन हत्यारों से मिली थीं। करीब 200 वर्गमीटर में बने इस मकान की लगात ढाई से तीन करोड़ रुपये है। तोड़फोड़ से पहले तलाशी के दौरान पुलिस को इस मकान से दो राइफल और तलवारें मिलीं। यह मकान भीड़भाड़ वाले इलाके में था, इसलिए इसे गिराने में बहुत सावधानी बरती गई।
चकिया इलाके में ही अतीक अहमद का आलीशान घर था लेकिन पिछले साल अतीक के इस घर पर बाबा का बुलडोजर चल गया था। उसके बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने जफर अहमद का घर किराए पर ले लिया था। जफर अहमद अतीक का करीबी है और वह बांदा में रहता है। जफर ने दो साल पहले यह घर खरीदा था। जिस दिन उमेश पाल की हत्या हुई उसी दिन शाइस्ता ने प्रेस कॉनफ्रेंस करके यह दावा किया कि इस हत्याकांड में उसकी कोई भूमिका नहीं हैं। लेकिन जैसे ही एफआईआर में शाइस्ता का नाम आया तो वह फरार हो गई।
शाइस्ता परवीन ने कितनी जल्दबाजी में छोड़ा उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भागने से पहले अपने एजुकेशन के दस्तावेज, बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस भी साथ नहीं ले जा पाईं। ज़फर अहमद के वकील खान सौलत हनीफ ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया। हनीफ के मुताबिक यह मकान बेनामी सम्पति नहीं है। यह ज़फर अहमद का मकान है। हनीफ ने कहा कि प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जफर अहमद को बिना नोटिस दिए, बिना उसका पक्ष सुने घर पर बुलडोजर चला दिया।
प्रयागराज में अतीक अहमद के कुछ और साथियों के घर पर बुलडोजर चल सकते हैं। गुड्डू मुस्लिम, नफीज, अरमान, सदाकत और गुलाम के घर भी गिराए जा सकते हैं। जिस गाड़ी में उमेश पाल पर हमला करने वाले आरोपी आए थे वह गाड़ी रुखसाना नाम की महिला की है। ऐसे में उसका घर भी गिराया जा सकता है। अतीक अहमद का बेटा असद भी इस हमले में शामिल था। उसकी भी तलाश की जा रही है।
STF ने लखनऊ में यूनिवर्सल अपार्टमेंट में छापा मारा। यहां पर अतीक अहमद का बेटा असद रहता था। बताया जा रहा है कि 24 फरवरी (जिस दिन उमेश पाल की हत्या हुई) को असद और उसके साथी इस फ्लैट में आए थे। 24 फरवरी को ही उन्हें आखिरी बार देखा गया और उसके बाद से वो फरार है। यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलग-अलग जगहों पर टीमें भेजी हैं। असद के फ्लैट को पुलिस ने सील कर दिया है और उसकी दो लग्जरी कारों को जब्त कर लिया है
बुधवार को यूपी विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश पर माफियाओं और गुंडों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। योगी ने कहा कि उनकी सरकार यूपी में ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ योजना लाई लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन माफिया’ स्कीम चला रखा थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजकल अखिलेश हर बात में जाति देखते हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि प्रयागराज में जिस राजू पाल की पहले हत्या हुई थी और जिस उमेश पाल का एक हफ्ते पहले मर्डर किया गया वो भी तो किसी जाति के ही थे।
योगी ने कहा कि इस हत्याकांड के एक आरोपी के साथ अखिलेश यादव की फोटो है और इस पर सफाई देने की बजाय अखिलेश बातों को घुमा रहे हैं। उस समय अखिलेश यादव सदन में नहीं थे। वे तमिलनाडु दौरे पर थे। लेकिन जैसे ही उन्हें खबर लगी कि योगी ने उनपर माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया है तो अखिलेश ने तुरंत जबाव दिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ‘ख़ुद पर लगे केसों में ख़ुद को ‘माफ़’ करने वालों को ‘माफ़िया’ की बात नहीं करनी चाहिए।’
योगी आदित्यनाथ की बात सही है कि उत्तर प्रदेश में आज भी अपराधियों की जाति देखी जाती है। यहां वर्षों तक जाति के आधार पर माफिया को संरक्षण मिलता था। पहले जातियों का समर्थन हासिल करने के लिए राजनैतिक दलों ने माफिया का सहारा लिया। फिर जातियों के आधार पर ताकतवर बनने वाले बाहुबली-अपराधी खुद राजनीति में उतरे। चुनाव लड़कर विधायक और सांसद बने।
जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपराधियों का दबदबा हो गया तो उन्हें गुंडागर्दी करने से कौन रोक सकता था। लेकिन पिछले 6 वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने इस ट्रेंड को बदल दिया है। उनकी जीरो टॉलरेंस की नीतियों से पुलिस को हिम्मत और ताकत मिली। पहले पुलिस अपराधियों से डरती थी। लेकिन अब अपराधी यूपी पुलिस से थर-थर कांपते हैं।
बुधवार को साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सुरक्षा की मांग की है। याचिका में यह कहा गया कि अतीक और उनके परिवार के सदस्यों की जान को वास्तविक और प्रत्यक्ष खतरा है।
अपनी याचिका में अतीक ने आरोप लगाया कि उसके दो नाबालिग बेटों को पुलिस ने ‘अवैध रूप से हिरासत’ में ले लिया है और अज्ञात जगह पर रखा है।अतीक ने खुद को गुजरात की साबरमती जेल से यूपी में शिफ्ट करने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता (अतीक अहमद) वास्तव में इस बात को लेकर आशंकित है कि उसे उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किसी न किसी बहाने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जा सकता है।
अगर सारे राजनीतिक दल माफिया के दुश्मन हो जाएं, गुंडों को टिकट और संरक्षण देना बंद कर दें, अपनी पार्टियों से आपराधिक तत्वों को निकाल बाहर करें तब ना तो गाड़ी पलटने की जरूरत पड़ेगी और ना बुलडोजर चलाने की। यह भी सच है कि अगर माफियाओं के बीच डर पैदा करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया गया होता, तो कानून और व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता था।
Yogi’s crackdown on mafia: A welcome step for UP
The Prayagraj Development Authority (PDA), on Wednesday and Thursday, used bulldozers to demolish properties of Safdar Ali and Khalid Zafar, two close aides of UP mafia don Atiq Ahmed, presently in Sabarmati jail of Ahmedabad.
This was part of a major crackdown following the February 24 killing of Umesh Pal, a key witness in BSP MLA Raju Pal’s murder case. UP Police has announced a bounty of Rs 50,000 for the arrest of Atiq Ahmed’s son, who along with his mother, has gone underground.
Police says, Atiq Ahmed’s son and three others were involved in the broad daylight killing of Umesh Pal. Police and PDA have identified at least 20 persons, said to be close to Atiq Ahmed and his gang, whose properties have been listed for demolition. These properties are in Chakiya, Teliyarganj, Dhumanganj, Salemsarai, Harwara, Jayantipur, Sadiapur, Mindera, Jhalwa and Atala of Prayagraj city. One of the four accused, Arbaaz, was gunned down by police in an encounter on February 27.
On Wednesday, in Chakiya locality of Prayagraj, the illegal constructions at Zafar Ahmed’s house were razed with the help of bulldozers. Aitq Ahmed’s wife Shaista Parveen was staying in this house with her two sons. She had taken this house belonging to Zafar Ahmed on rent. Police officials allege that this was the house, where the plot to kill Umesh Pal was hatched, and Shaista Parveen met the killers. The building built on 200 sq. metre area costs between Rs 2.5 crore and Rs 3 crore. Before demolition, police, during search, found two rifles and swords. Utmost care was taken to demolish the house because it was in a congested locality.
Last year, Atiq Ahmed’s house was razed to the ground. Zafar Ahmed, who is close to Atiq Ahmed, hails from Banda, UP. He had bought this house two years ago. The day Umesh Pal was gunned down, Shaista Parveen held a press conference and claimed that she had no role in the murder, but after her name was mentioned in police FIR, she went underground. While fleeing, she left her education documents, her children’s birth certificates and driving licences in the house. Zafar Ahmed’s lawyer Khan Saulat Hanif alleged that the demolition was illegal and it was not a benami property. Hanif alleged that no notice was issued by PDA prior to demolition.
Some other associates of Atiq Ahmed, like Guddu Muslim, Nafeez, Armaan, Sadaqat and Ghulam may also face demolition action. The vehicle used for gunning down Umesh Pal belonged to a woman named Rukhsana. Her house may also be demolished. Atiq Ahmed’s son Asad used to stay in Universal Apartments of Lucknow. He along with his associate had come to this flat on February 24 (the day Umesh Pal was killed), and since then, they have all gone underground. Special Task Force of UP police has sent teams to different places to nab the accused. Asad’s flat has been sealed by police and his two luxury cars have been seized.
On Wednesday, in the UP assembly, chief minister Yogi Adityanath lambasted the Samajwadi Party for, what he said, introducing ‘one district, one mafia’, unlike BJP government’s ‘one district, one product’ policy. Yogi said, “Akhilesh Yadav (SP chief) tries to find out the caste of criminals and victims in every case. I want to ask, to which castes did Raju Pal and Umesh Pal belonged? There is a photograph of one of the accused shaking hands with Akhilesh Yadav. Instead of clarifying, Akhilesh is trying to beat around the bush.” Akhilesh Yadav, who had gone to Tamil Nadu, later tweeted: “Those who pardon themselves in cases by giving ‘maafi’, should not talk about mafia”.
Yogi Adityanath is right. Even today, castes of criminals and victims in UP are taken note of. For decades, mafia leaders and gangsters in UP got political protection because of their castes and communities. Political parties took the help of mafia leaders to garner support from certain castes and communities. Later gangsters became politicians and contested elections to become MPs and MLAs.
Over the years, these mafia dons wielded tremendous clout in UP politics. Nobody had the courage to stop them from committing crimes which included land grabbing, extortion and murders. In the last six years, Yogi Adityanath changed this trend. Because of his zero-tolerance policy towards criminals, police officials gained confidence and courage. Earlier, policemen used to fear mafia dons, but now gangsters tremble at the sight of UP police.
On Wednesday, Atiq Ahmed, from Sabarmati jail, filed a petition before Supreme Court, seeking protection for his life. In his petition, he claimed that there is a “genuine and perceptible threat” to his life and his family members. In his petition, he alleged that
his two minor sons have been taken into “illegal custody” by police and kept in an undisclosed location. Atiq has sought a direction from the apex court restraining UP police from taking him from Sabarmati central jail to Prayagraj or any other part of Uttar Pradesh. The petition says, “Petitioner genuinely apprehends and believes that he may be killed in a fake encounter on one pretext or the other by UP police”.
Questions are now being raised about encounters. But remember the dark days when mafia dons ruled the roost in UP. It is true that innocent people must not become victims, but it is also true that had not bulldozers been used to strike fear among the mafia dons, the overall law and order situation could not have improved.
शराब घोटाला : क्या पंजाब में भी भगवंत मान को मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा ?
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मनीष सिसोदिया की जमानत अर्ज़ी खारिज होने के कुछ ही मिनट बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने दो मंत्रियों, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा मंजूर कर लिया और इसे उपराज्यपाल के पास भेज दिया। ऐसी खबरें हैं कि अन्य मंत्रियों पर काम का बोझ कम करने के लिए आम आदमी पार्टी के दो विधायक, सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री बनाया जा सकता है।
सत्येंद्र जैन पिछले 9 महीने से तिहाड़ जेल में हैं, वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 18 विभागों को संभाल रहे थे। सिसोदिया के पास वित्त, योजना, लोक निर्माण, श्रम, उत्पाद शुल्क, शिक्षा, तकनीकी और उच्च शिक्षा, विजिलेंस, पर्यटन, गृह, स्वास्थ्य, शहरी विकास, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, बिजली, पानी और उद्योग जैसे अहम विभाग थे। सत्येंद्र जैन को पिछले साल मई महीने में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था जबकि सिसोदिया दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई की हिरासत में है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सिसोदिया के वकील से कहा कि जमानत के लिए या तो ट्रायल कोर्ट या दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा: ‘यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मामला है। क्या आप राहत पाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के सामने यही दलीलें नहीं रख सकते? आपके पास दिल्ली हाईकोर्ट जाने के भी उपाय हैं। आप हाईकोर्ट जाएं, जो हमारे फैसलों से बंधा है…आप इन सभी बातों को सक्षम कोर्ट के सामने रख सकते हैं। नहीं तो फिर ऐसा होगा कि जमानत याचिकाओं पर विचार के लिए भी लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट आएंगे और यह ऐसे मामलों की सुनवाई का पहला मंच बन जाएगा। दिल्ली में घटना होने का मतलब यह नहीं है कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाएं.. आपके पास निचली अदालत के साथ-साथ दिल्ली हाईकोर्ट के पास जाने के भी उपाय हैं। हमें उस प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए।”
इस बीच, सीबीआई ने संकेत दिया है कि वह सिसोदिया की पांच दिन की हिरासत की मियाद बढ़ाने की मांग करेगी । सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत अर्ज़ी खारिज होने के तुरंत बाद, डिप्टी सीएम के इस्तीफे की तीन पन्नों की चिट्ठी मीडिया को जारी की गई।
अपने इस्तीफे की चिट्ठी में सिसोदिया ने लिखा – “मैं और मेरा भगवान जानते हैं कि ये सभी आरोप झूठे हैं. ये आरोप वास्तव में कायरों और कमजोरों की साजिश से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जो लोग अरविंद केजरीवाल की सच की राजनीति से डरे हुए हैं. मैं उनका निशाना नहीं हूं, आप [केजरीवाल] उनके निशाने पर हैं. क्योंकि आज दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता आपको एक ऐसे नेता के रूप में देख रही है जिसके पास देश के लिए एक विजन है और उसे लागू करके लोगों के जीवन में बड़े बदलाव लाने की क्षमता है.’
मुख्यमंत्री केजरीवाल की तारीफ करते हुए पत्र में सिसोदिया ने लिखा – ‘अरविंद केजरीवाल आज देश भर में आर्थिक संकट, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहे करोड़ों लोगों की आंखों में उम्मीद का नाम बन गए हैं… उन्होंने बहुत कोशिश की थी कि मैं आपका (केजरीवाल) साथ छोड़ दूं। मुझे डराया, धमकाया, लालच दिया। जब मैं उनके सामने नहीं झुका तो मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए जेल जानेवाला मैं दुनिया का पहला आदमी नहीं हूं… मेरे खिलाफ लगाए गए ये सभी आरोप फर्जी हैं और ये कायर और कमजोर लोगों द्वारा रची गई साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है। ये लोग अरविंद केजरीवाल की सच्चाई की राजनीति से घबराए हुए लोग हैं।’
पत्र में सिसोदिया ने लिखा: “सरकारी स्कूल के लाखों बच्चों और उनके माता-पिता की दुआएं मेरे साथ हैं। मेरे पास सबसे बड़ी चीज उन हजारों शिक्षकों का आशीर्वाद है, जिन्होंने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी।“ सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी का अंत इन क्रांतिकारी पंक्तियों के साथ की- ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है।’
अब सवाल उठता है कि क्या सिसोदिया और जैन दोनों ने अपना इस्तीफा केजरीवाल को पहले ही दे दिया था, क्योंकि दोनों के इस्तीफे को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने मंजूर कर लिया। हैरानी की बात है कि पिछले नौ महीने जेल में रहने के बावजूद केजरीवाल ने जैन को अपने कैबिनेट से नहीं हटाया। दूसरी ओर, सिसोदिया का इस्तीफा गिरफ्तारी के 48 घंटे के भीतर मंजूर कर लिया। क्या केजरीवाल अब इसे नैतिकता का मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाएंगे?
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद मंगलवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस पूरी करके जा ही रहे थे तभी उन्हें दोनों मंत्रियों के इस्तीफा मंजूर करने की जानकारी मिली। वे लौटे और कहा कि यह दिल्ली में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत है कि एक मंत्री जेल में है और दूसरा सीबीआई की हिरासत में है।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए कहा कि सिसोदिया को दिल्ली की शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए दंडित किया गया है। आप नेताओं ने कहा, सिसोदिया और जैन दोनों अब मंत्री नहीं हैं, लेकिन पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है।
एक ओर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिसोदिया की गिरफ्तारी को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताते हुए सार्वजनिक तौर पर आम आदमी पार्टी का समर्थन किया लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया तो केजरीवाल और उनके सहयोगी चुप क्यों थे।
मनीष सिसोदिया के मामले में सीबीआई कुछ भी कहे, अदालत जो भी फैसला सुनाए, केजरीवाल और बाकी विरोधी पार्टियों के लोग इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घसीटेंगे। इसे गौतम अडानी से जोड़ेंगे। वे सरकार पर विरोधियों का गला दबाने और दोस्तों को बचाने का आरोप लगाते रहेंगे। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने इस्तीफा क्यों दिया?
अब तक तो आम आदमी पार्टी की पॉलिसी यह रही है कि कितने भी आरोप लगें, मंत्री चाहे जेल में रहें लेकिन इस्तीफा देने की जरूरत नहीं पड़ी। सत्येन्द्र जैन नौ महीने से जेल में हैं, मगर न तो उनसे इस्तीफा मांगा गया और ना ही उन्होंने इस्तीफा दिया। मनीष सिसोदिया के मामले में भी केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने का इंतजार किया और जब उनके पक्ष में फैसला नहीं आया तो फिर मनीष सिसोदिया के पहले से तैयार इस्तीफे का ऐलान हुआ। जब मनीष का इस्तीफा हो गया तो जेल में बंद सत्येंद्र जैन अपने पद पर कैसे बने रह सकते थे । उसका ऐलान भी करना पड़ा। साफ है कि जेल में बंद मंत्रियों के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।
केजरीवाल के लिए एक और परेशानी की बात ये है कि इन दोनों के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में जो वरिष्ठ मंत्री बचे हैं वे भी मुसीबत में हैं। डीटीसी बस खरीद मामले में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत पर सीबीआई जांच की तलवार लटक रही है। सीबीआई ने दिल्ली के बस घोटाले की भी जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को दिल्ली के नंदनगरी डिपो में सीबीआई की रेड हुई है। अगर सीबीआई को घोटाले के सबूत मिले तो फिर कैलाश गहलोत की मुसीबतें भी बढ़ेंगी।
केजरीवाल के लिए चिंता की दूसरी बात ये है कि शराब घोटाले की आंच अब पंजाब में भगवंत मान सरकार तक पहुंचने लगी है। पंजाब में भी शराब को लेकर आबकारी नीति (एक्साइज पॉलिसी) बदली गई। वहां भी पॉलिसी को बदलने के बाद उसे रातों-रात वापस ले लिया गया। नई शराब नीति के लिए जो ऑनलाइन फॉर्म रिलीज किए थे उन्हें वेबसाइट से हटा दिया गया है। इल्जाम ये है कि पंजाब की आबकारी नीति भी दिल्ली की ही तर्ज पर बनी थी। इसके बाद लाइसेंस रिन्यू करने के लिए ऑनलाइन फॉर्म जारी किए गए थे लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद ऑनलाइन फॉर्म वापस लेने का फैसला हुआ।
पंजाब के शराब कारोबारी और विपक्ष के नेता पहले से ही इस नई शराब नीति का विरोध कर रहे थे। विपक्ष का आरोप है कि पंजाब की जो नई आबकारी नीति बनी उसका सारा ड्राफ्ट दिल्ली में मनीष सिसोदिया के घर पर ही तय किया गया। पॉलिसी ऐसी बनाई गई कि पंजाब में शराब का सारा कारोबार बाहर के व्यापारियों के हाथों में चला जाएगा। इसीलिए अब अकाली दल और बीजेपी के नेता पंजाब की शराब नीति की भी सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं।
बीजेपी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया कि उन्होंने पिछले साल सितंबर में ही ईडी और सीबीआई को चिट्ठी भेजकर पंजाब में हो रहे शराब घोटाले की शिकायत की थी। सिरसा का आरोप है कि पंजाब सरकार की एक्साइज पॉलिसी बनाने के लिए पंजाब के आबकारी मंत्री और अफसर दिल्ली आते थे और मनीष सिसोदिया के घर पर मीटिंग होती थी। इन लोगों ने ऐसी पॉलिसी बनाई कि होलसेल का काम सिर्फ दो ही पार्टियों को मिले। सिरसा ने सीबीआई को जो चिट्ठी भेजी था उसमें राघव चड्ढा, मनीष सिसोदिया, विजय नायर, पंजाब की SAS नगर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक कुलवंत सिंह समेत 14 लोगों को नामजद आरोपी बनाने की मांग की थी। सिरसा का आरोप है कि जिन कंपनियों पर केस चल रहे हैं, जो कंपनियां ब्लैकलिस्टेड हैं, उन्हें पंजाब में शराब का कारोबार सौंपने की तैयारी हो रही है।
जिस तरह से शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया फंसे हैं अगर उस तरह पंजाब में भी एक्शन हुआ और पंजाब सरकार के मंत्री लपेटे में आए तो केजरीवाल के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि पंजाब सरकार ने शराब के ठेकों के लिए जो ऑनलाइन फॉर्म जारी किए थे उन्हें वापस लेते हुए वेबसाइट से हटा लिया है, इसलिए संदेह और बढ़ गया है। यही कारण है कि अब पंजाब में भी विरोधी दलों ने भगवंत मान और अरविन्द केजरीवाल पर हमले तेज कर दिए हैं।
Liquor scam: Will Bhagwant Mann face fresh trouble in Punjab?
Within minutes of the Supreme Court rejecting Manish Sisodia’s bail plea on Tuesday, Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal accepted the resignations of two ministers, Sisodia and Satyendar Jain, and forwarded them to the Lt. Governor for approval. There are reports that two AAP MLAs, Saurav Bhardwaj and Atishi, may be inducted as ministers, to ease the work load on other ministers.
With Saytendar Jain in Tihar jail since the last nine months, Manish Sisodia as Deputy Chief Minister was handling 18 departments, which included Finance, Planning, Public Works, Labour, Excise, Education, Technical & Higher Education, Vigilance, Tourism, Home, Health, Urban Development, Irrigation and Flood Control, Power, Water and Industry. Jain was arrested in May last year in a money laundering case, while Sisodia is now in CBI custody in the Delhi liquor excise scam.
In the Supreme Court, on Tuesday, a bench of Chief Justice D Y Chandrachud and Justice P S Narasimha told Sisodia’s counsel to approach either the trial court or Delhi High Court for bail.
The bench told Sisodia’s counsel Abhishek Manu Singhvi: “This is a case under Prevention of Corruption Act. Can you not make the same arguments before the Delhi High Court, which is available to you as a forum to seek similar reliefs? Go to the High Court, which is bound by our judgements…. You can raise all these arguments before the competent court. Otherwise, what will happen is that we will be the first forum for entertaining bail petitions. An incident happening in Delhi does not mean, you will rush to the Supreme Court.. You have the full remedy of moving the competent court and the Delhi High Court. We should not be interfering in that process.”
Meanwhile, CBI has indicated that it intends to seek extension of five-day remand for Sisodia. Soon after the apex court turned down Sisodia’s bail plea, the deputy chief minister’s three-page letter in Hindi was released to the media.
In his resignation letter, Sisodia wrote: “ They tried hard to force me to leave you (Kejriwal). They even threatened and coerced me. When I did not bow down, they arrested me. But I am not the first person in the world who has gone to jail while fighting on the path of truth. ..All these charges levelled against me are fake and it is nothing more than a conspiracy hatched by cowards, who are afraid of Arvind Kejriwal’s politics of truth. I am not their target, but you.”
Praising the chief minister, Sisodia wrote: “Arvind Kejriwal has become a beacon of hope for people who are faced with financial crisis, poverty, unemployment, price rise and corruption. Your words are not viewed as ‘jumlas’ … The prayers of lakhs of government school children and their parents are with me. The biggest thing that I have is the blessings of thousands of teachers who brought about a revolution in the field of education in Delhi.” He ended the letter with the famous revolutionary couplet, “Sarfaroshi ki tamnna ab hamare dil me hai, dekhna hai zor kitna baajoo-e-qatil me hai.”
The question arises whether both Sisodia and Jain had given their resignation letters to Kejriwal in advance, as both were accepted by the chief minister soon after the apex court order. It is surprising that Kejriwal had not removed Jain from his cabinet even though he has been in jail for the last nine months. On the other hand, Sisodia’s resignation was accepted within 48 hours of his arrest. Will Kejriwal now make it an issue of morality and go to the people?
Senior BJP leader Ravi Shankar Prasad had finished his press conference on Tuesday and was leaving when he got information about the acceptance of the resignations of both ministers. He returned and commented that it was the victory of his party’s workers in Delhi that one minister is in jail and the other is in CBI custody.
AAP leader Sanjay Singh sought to play the victim card and said that Sisodia has been punished for revamping Delhi’s education system. AAP leaders said, both Sisodia and Jain may not be ministers any more but the party stands solidly behind them.
On one hand, TMC chief Mamata Banerjee, Kerala CM Pinarayi Vijayan, Telangana CM K. Chandrashekhar Rao and former Maharashtra CM Uddhav Thackeray have publicly supported AAP, describing Sisodia’s arrest as part of what they called ‘political vendetta’, but on the other hand, Congress spokesperson Supriya Shrinate raised the question why Kejriwal and his associates were silent when Congress leader Pawan Khera was arrested at Delhi airport.
Whatever CBI or the courts may say about Manish Sisodia, Kejriwal and other opposition parties will now sharpen their attacks on Prime Minister Narendra Modi and industrialist Gautam Adani. They will allege that the opposition is being muzzled and Modi is trying to shield his friends. But the main question is: Why did Sisodia and Jain resign?
Till now, Aam Aadmi Party had been saying there was no necessity for the ministers to resign, even if they are in custody. Satyendar Jain is in jail since nine months, but his resignation was never sought nor did he tender his resignation. In Sisodia’s case, the AAP leadership waited for the Supreme Court hearing, and when the apex court denied bail, the announcement of resignations of both the ministers was made. Clearly, there was no way out for the ministers in custody, but to resign.
For Kejriwal, there is fresh trouble brewing. Transport Minister Kailash Gehlot is facing the sword of CBI probe in the DTC bus purchase case. On Tuesday, CBI sleuths went to Nand Nagri DTC bus depot in connection with the probe which was approved by the Lt. Governor in August last year.
Secondly, the Delhi liquor excise scam has its fallout in Punjab, where Chief Minister Bhagwant Mann’s government had implemented the new liquor excise policy. Opposition leaders in Punjab have pointed out that the Punjab excise policy is similar to that of Delhi, and it appeared to have been drafted by Manish Sisodia and his team. Online licence renewal forms that were posted on the website of Punjab excise department’s website have been suddenly removed.
Liquor traders and opposition leaders had been opposing the new excise policy. Both Shiromani Akali Dal and BJP have demanded a CBI probe into Punjab excise policy case. BJP leader Manjinder Singh Sirsa had drawn the attention of CBI and ED in September last year alleging a scam. He had alleged that the Punjab excise minister had gone to Delhi and there used to be meetings in Sisodia’s residence to draft the excise policy.
Sirsa alleged that the policy was formulated in such a manner that the wholesale trade was given to only two parties. In his letter to CBI, Sirsa had demanded that case be filed against 14 persons including Raghav Chadha, Manish Sisodia, Vijay Nair, and AAP MLA from SAS Nagar Kulwant Singh. Sirsa alleged that companies that have been blacklisted are going to get liquor licences in Punjab.
If AAP ministers and leaders in Punjab face CBI action, as it happened in Delhi, it could become difficult for Kejriwal to give a credible reply. The sudden withdrawal of online licence renewal forms from Punjab excise department’s website has already led to suspicions. The opposition in Punjab is bound to make it an issue.
सिसोदिया की गिरफ्तारी : इसका राजनीतिक असर
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। तिहाड़ जेल में क़ैद एक अन्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने फौरन दोनों इस्तीफों को मंज़ूर कर लिया।
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी रविवार की रात को हुई । दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने उन्हें 4 मार्च तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। सीबीआई की विशेष अदालत के जज एमके नागपाल ने अपने देश में कहा, 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की सही और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई हिरासत में भेजने की इजाजत दी जाती है।
अदालत ने कहा, ‘हालांकि आरोपी पहले दो मौकों पर जांच में शामिल हुआ लेकिन वह पूछताछ के दौरान ज्यादातर सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। अब तक की गई जांच में अपने खिलाफ सामने आए आपत्तिजनक सबूतों के बारे में आरोपी कानूनन सही जवाब देने में विफल रहा ।
जज ने कहा, ये सही है कि सिसोदिया से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती जिसमें वह खुद अपनी गलती मान लें, लेकिन न्याय के हित में और निष्पक्ष जांच के हित में ये जरूरी है कि उन्हें जांच अधिकारी के उन सवालों के सही जवाब देने चाहिए जो उनसे पूछे गये ।
जज नागपाल ने कहा, सिसोदिया के अधीनस्थ काम करनेवालों ने कुछ तथ्यों का खुलासा किया है जिसके आधार पर उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है, साथ ही उनके खिलाफ कुछ दस्तावेज भी बतौर सबूत सामने आ चुके हैं। कोर्ट ने कहा, इस मामले में अब तक की गई जांच से पता चला है कि सिसोदिया ने ‘कथित अपराधों को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका’ निभाई। अपने आदेश में जज ने कहा कि ऐसा लगता है कि सिसोदिया ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के सदस्य और एक्साइज मंत्री होने के नाते एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के साथ पेश की गई ड्राफ्ट पॉलिसी पर कैबिनेट नोट में कुछ बदलाव करके हेराफेरी की।
सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक पंकज गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और इस साजिश से जुड़े सही तथ्यों का खुलासा नहीं कर रहे हैं। गुप्ता ने कोर्ट के बताया कि सिसोदिया सरकारी अफसरों और कई अन्य आरोपियों की भूमिका और हवाला के ज़रिये मिले धन के स्रोतों के बारे में सही-सही जानकारी नहीं दे रहे हैं।
सिसोदिया की ओर से तीन सीनियर वकीलों, दयान कृष्णन, सिद्धार्थ अग्रवाल और मोहित माथुर ने कोर्ट में कहा कि आबकारी नीति में हेराफेरी करने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं, क्योंकि आबकारी नीति को बाद में उपराज्यपाल ने मंजूरी दी थी। मंत्रिपरिषद और सरकार का निर्णय होने के कारण इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती ।
सिसोदिया को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजते हुए कोर्ट ने कुछ शर्तें रखीं। पूछताछ ऐसी जगह पर होगी जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हों। उस फुटेज को सीबीआई के अधिकारी संभाल कर रखेंगे, हर 48 घंटे में एक बार सिसोदिया की मेडिकल जांच करानी होगी और रोज शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच आधे घंटे के लिए अपने वकीलों से मिलने की इजाजत होगी। मुलाकात के दौरान सीबीआई के कर्मचारी उनकी बातचीत न सुनें । कोर्ट ने सिसोदिया को अपनी पत्नी से मुलाकात के लिए हर रोज 15 मिनट की मोहलत दी ।
आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में देश के कई शहरों में सड़कों पर उतरे लेकिन पार्टी के नेता शराब नीति के घोटाले पर बात नहीं कर रहे हैं । सारे नेता एक ही इल्जाम लगा रहे हैं कि सिसोदिया को राजनीतिक बदले की भावना से गिरफ्तार किया गया है। लेकिन कोई ये नहीं बता रहा है कि सीबीआई ने जो केस दर्ज किया है उसमें क्या गड़बड़ी है, क्या कमियां हैं? केस की मेरिट पर आम आदमी पार्टी के किसी नेता ने बात नहीं की। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पॉलिसी बनाने के दौरान मनीष सिसोदिया शराब कारोबारियों के संपर्क में थे। दिल्ली के एक होटल में दक्षिण भारत के एक कंसोर्टियम ने आबकारी नीति तैयार की। सीबीआई पहले ही आरोप लगा चुकी है कि जांच शुरू होते ही सिसोदिया समेत 36 आरोपियों ने अपने सेलफोन से सभी डेटा डिलीट कर दिए और अपने हैंडसेट को नष्ट कर दिया या बदल दिया।
सीबीआई का आरोप है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ पिछले साल 19 अगस्त को केस दर्ज हुआ और उन्होंने अगले 24 घंटे में तीन फोन और एक सिम बदला। 20 अगस्त को मनीष सिसोदिया ने तीन फोन का इस्तेमाल किया। सिसोदिया ने अगस्त से सितंबर 2022 के बीच 18 फोन बदले। वहीं शराब घोटाले के कुल 36 आरोपियों ने 170 फोन बदले जिनकी क़ीमत करीब एक करोड़ 38 लाख रुपये आंकी गई है। सीबीआई यह जानना चाहती है कि आखिर इतने फोन क्यों बदले गए और उन फोन्स के डेटा कहां हैं? सीबीआई का कहना है कि पूछताछ के दौरान मनीष सिसोदिया ने सहयोग नहीं किया। सिसोदिया सवालों के सीधे-सीधे जवाब नहीं दे रहे हैं इसलिए उनके रिमांड की जरूरत है ताकि दूसरे आरोपियों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सके।
आम आदमी पार्टी सिसोदिया की गिरफ़्तारी पर इतनी आक्रामक क्यों है? इसकी वजह बिल्कुल साफ़ है। शराब घोटाले की आंच अब सीधे अरविंद केजरीवाल तक पहुंच सकती है। क्योंकि इस मामले की जांच ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भी कर रही है। 4 दिन पहले ईडी ने इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार से पूछताछ की थी।
इस पूरे केस की मोटी-मोटी बात यह है कि दिल्ली में जो शराब नीति बनाई गई वह शराब कारोबारियों को बेहिसाब फायदा पहुंचाने वाली नीति थी। कौन मानेगा कि इस पॉलिसी को लागू करने के लिए उन्होंने आम आदमी पार्टी को करोड़ों रुपए नहीं पहुंचाए। दूसरी बात ये कि अगर मनीष सिसोदिया ने वाकई में कुछ गलत नहीं किया तो बार-बार क्यों फोन बदलते रहे, सिम कार्ड नष्ट करके और कंप्यूटर से डेटा डिलीट करके सबूत मिटाने की कोशिश क्यों की गई?
सीबीआई का आरोप है कि गुरुग्राम के एक शराब कारोबारी दिनेश अरोड़ा से मनीष सिसोदिया सीधे डील करते थे। दिनेश अरोड़ा अब सरकारी गवाह बन गया है। आबकारी विभाग (एक्साइज डिपार्टमेंट) के अफसरों ने भी सीबीआई को काफी कुछ बताया है। इसलिए मनीष सिसोदिया की मुसीबतें बढ़ेंगी। जब सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ेंगी तो उसकी आंच केजरीवाल तक भी पहुंच सकती हैं। केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं लेकिन एक भी मंत्रालय उनके पास नहीं है। उन्होंने 33 में से 18 मंत्रालय मनीष सिसोदिया को दिए हुए थे।
सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया केजरीवाल की सरकार के स्तम्भ हैं और दोनों सलाखों के पीछे हैं। राजनैतिक तौर पर केजरीवाल के लिए फायदे की चीज़ ये है कि उन्हें एक ऐसा मुद्दा मिल गया है जिसके आधार पर वो देश भर में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सकते हैं।
सिसोदिया की गिरफ्तारी का एक और सियासी फायदा ये हुआ है कि केजरीवाल को कई सारे राजनैतिक दलों का समर्थन मिला है। तृणमूल कांग्रेस, अखिलेश यादव और शिवसेना (उद्धव) नेताओं ने पहले ही गिरफ्तारी की निंदा की है, लेकिन कांग्रेस इस पर चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस नेता असमंजस में हैं कि गिरफ्तारी का समर्थन करें या विरोध। पिछले हफ्ते जब कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया तो आप नेता खामोश रहे। सोमवार को अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा कि गिरफ्तारी के पीछे कोई कारण नहीं है, लेकिन इसके तुरंत बाद, उन्होंने फिर से स्पष्ट करने के लिए ट्वीट किया कि वह एक वकील के रूप में टिप्पणी कर रहे थे, न कि पार्टी प्रवक्ता के रूप में।
विरोधी दलों के नेताओं की बात सही है कि पिछले सात-आठ साल में विरोधी पार्टी के नेताओं पर बड़ी तादाद में ईडी और सीबीआई ने छापे मारे, गिरफ्तारियां की और केस दर्ज किए। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली में तो ये साफ-साफ देखने को मिला है। लेकिन बीजेपी का तर्क यह है कि अगर किसी ने भ्रष्टाचार किया है तो क्या उसे क्या सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जाए कि वो एक राजनीतिक दल का नेता है?
अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और आम आदमी पार्टी के कई नेता ऐसे मामलों में संलग्न हैं। कई जेल में हैं औऱ कई बेल पर हैं। लेकिन दिल्ली के शराब घोटाले का केस अकेला ऐसा केस है जहां एक साथ दो राज्यों, दो सरकारों और दो राजनीतिक दलों के नेताओं के नेक्सस का आरोप है। सीबीआई के मुताबिक तेलंगाना के व्यापारियों ने पॉलिसी बनाई, दिल्ली की सरकार ने उसे लागू किया औऱ दोनों राज्यों के नेताओं के बीच पैसे का लेनदेन हुआ। इसीलिए केसीआर ने सबसे पुरजोर तरीके से मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का विरोध किया।
अब सीबीआई के सामने बड़ी चुनौती ये है कि वह इस केस को कोर्ट में साबित करे, वरना सरकार की बहुत फजीहत होगी। फिर विरोधियों को ये कहने का मौका मिलेगा कि बीजेपी ने विपक्ष के नेताओं को झूठे मामले में फंसाया। आजकल तो हालत ये है कि अगर किसी को जमानत मिल जाती है तो वो विजय जुलूस निकालता है और ये इंप्रेशन क्रिएट किया जाता है जैसे केस खत्म हो गया हो।
Sisodia’s Arrest: The Political Fallout
The arrest of Delhi deputy chief minister Manish Sisodia by CBI has led to protests by Aam Aadmi Party workers in different parts of the country. The arrest took place on Sunday night and on Monday afternoon, a CBI court in Delhi sent him to CBI custody till March 4. Special CBI court judge M K Nagpal said, this was to allow the CBI “to get genuine and legitimate” answers to questions being put to him about alleged irregularities in the liquor excise policy of 2021-22 for “a proper and fair investigation”.
The court said, “Though it has been observed that the accused joined the investigation on two earlier occasions, it has also been observed that he has failed to provide satisfactory answers to most of the questions put to him during his examination and has thus failed to legitimately explain the incriminating evidence which has allegedly surfaced against him in the investigation conducted so far.”
The judge however said, Sisodia could not be expected to make self-incriminating statements, but “in the interests of justice and of a fair investigation, require that he should come up with legitimate answers to the questions that are being put up to him by the investigation officer.”
Judge Nagpal said: “Some of Sisodia’s subordinates are found to have disclosed certain facts that can be taken as incriminating him and some documentary evidence against him has also already surfaced”. The court said, the investigation conducted in this case so far has revealed Sisodia played “an active role in commission of the alleged offences”. In his order, the judge felt that Sisodia, being member of the group of ministers as well as being the excise minister, manipulated certain changes in the cabinet note on the draft policy that was put up along with the expert committee report.
Special Public Prosecutor on behalf of CBI Pankaj Gupta told the court that Sisodia was not cooperating in the investigation and that he did not disclose true facts related to above conspiracy, the role of other accused, including public servants, as well as the trail of ill-gotten money received through hawala channels.
Three senior advocates, Dayan Krishnan, Siddharth Aggarwal and Mohit Mathur, appearing for Sisodia, told the court that the allegations of manipulation in excise policy were totally While false as the excise policy had subsequently received the approval of the Lt. Governor and the same, being an act of the council of ministers and the government, cannot be challenged in court.
While sending Sisodia to five days’ CBI custody, the court put certain conditions. Interrogation shall be conducted in a place which should have CCTV coverage, the footage of the same must be preserved by CBI, Sisodia must be medically examined once every 48 hours and he should allow to meet his lawyers daily for half an hour between 6 pm and 7 pm in a manner that CBI personnel must not be able to hear their conversations. The court also allowed Sisodia to meet his wife day for 15 minutes.
While AAP leaders are staging protests throughout the country alleging “political vendetta”, none of them are going through the nitty-gritties of the excise case. CBI has alleged that Manish Sisodia was in contact with liquor trades during the formulation of policy, a consortium from the South formulate the excise policy at a Delhi hotel. CBI has already alleged that as soon as it started the probe, 36 accused including Sisodia, deleted all data from their cellphones and destroyed or changed their handsets.
CBI alleged that when the case was filed against Manish Sisodia on August 19 last year, the deputy CM changed three cellphones within a span of 24 hours, changed one SIM card, and started using three new cellphones on August 20. Between August and September, 2022, Sisodia changed 18 cellphones. A total of 170 cellphones, costing Rs 1.38 crore, were changed by all the 36 accused. CBi investigators want to know why these cellphones were changed, and where are the data that were deleted. CBI investigators now want to interrogate Sisodia in the presence of other accused.
Why is AAP so much aggressive over Sisodia’s arrest? The reasons are simple. The investigation into the liquor scam can now reach Chief Minister Arvind Kejriwal. Already, the Enforcement Directorate is working on this angle. Four days ago, ED had interrogated Vibhav Kumar, personal assistant of Kejriwal.
In a nutshell, the new excise policy that was formulated by the Delhi AAP government was meant to ensure huge profits for liquor traders, that the policy was drafted by liquor traders, and nobody will believe that crores of rupees did not exchange hands. Secondly, if Sisodia has not committed any irregularities, why did he change his cellphones frequently and destroyed the SIM cards? Why were date completely deleted from computer servers?
CBI alleged that a Gurugram-based liquor trader Dinesh Arora, who is the accused in this case, dealt directly with Sisodia. Arora is now a prosecution witness. Excise department officials also revealed several facts to CBI investigators. Sisodia’s troubles are bound to increase and the flames of this scam can reach Arvind Kejriwal, sooner or later. Kejriwal is Chief Minister of Delhi, but he does not have a single portfolio with him. He has entrusted 18 out of 33 departments to Sisodia.
Health Minister Satyendar Jain, who has been spending time in Tihar jail, has not yet been removed from cabinet. Both Jain and Sisodia are the pillars of Kejriwal government, and both of them are now in custody. Politically, Kejriwal may make it a major issue about ruling party’s vendetta. Already, Trinamool Congress, Akhilesh Yadav and Shiv Sena (Uddhav) leaders have condemned the arrest, but the Congress is maintaining a discreet silence. Congress leaders are confused, whether to support or oppose the arrest. Last week, when Congress spokesperson Pawan Khera was arrested from Delhi airport, AAP leaders remained silent. On Monday, Abhishek Manu Singhvi tweeted saying there was no reason behind the arrest, but soon after, he again tweeted to clarify that he was commenting as a lawyer, not as party spokesperson.
Opposition leaders are right in remarking that a large number of raids and arrests of leaders from opposition were made by ED and CBI during the last eight years, whether in West Bengal, Maharashtra, Karnataka, and now in Delhi. But BJP leaders say that if any leader has been found involved in corruption, should he or she be absolved, only because they belonged to a political party?
Congress, TMC, NCP and AAP leaders have been found involved in several cases in different states. Many of them are in jail and some of them are out on bail, but the Delhi excise case in an exception. It involves two states, two governments and two parties from Delhi and Telangana – Aam Aadmi Party and Bharat Rashtra Samiti (earlier TRS). There appears to be a nexus between the two.
CBI investigators say, Delhi excise policy was drafted by liquor traders from Telangana and it was implemented by Delhi government. Money exchanged hands between leaders from both the states. Telangana CM K. Chandrasekhar Rao’s BRS leaders are quite vocal in condemning Sisodia’s arrest. The CBI now faces a big challenge: it has to prove the accused guilty in court, otherwise the Centre may have to face embarrassment. Opposition leaders will then get a handle to allege that their leaders have been arrested in false cases. Nowadays the situation is such that when leaders come out on bail, they head victory processions as if to show that they have been acquitted.
मोदी को गाली देने से पहले कांग्रेस नेताओं को सोचना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिलॉन्ग में एक चुनावी सभा में कांग्रेस पर तीखा जवाबी हमला बोला। मोदी ने कांग्रेस के उन नेताओं की जमकर आलोचना की जो कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट पर बैठकर ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ का नारा लगा रहे थे।
नरेंद्र मोदी ने कहा, “जिनको देश ने नकार दिया है, जिन्हें देश अब स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जो निराशा की गर्त में डूब चुके हैं वो आजकल माला जपते हुए कहते है मोदी तेरी कब्र खुदेगी। जबकि देश कह रहा है, हिंदुस्तान का हर कोना कह रहा है- मोदी तेरा कमल खिलेगा। देश की जनता इस प्रकार के विकृत सोच वाले, विकृत भाषा बोलने वाले लोगों को करारा जवाब देग।”
मोदी ने आगे कहा: “लंबे समय तक मेघालय सहित इस पूरे रीजन को कुछ लोगों ने अपने परिवार और स्वार्थ की पॉलिटिक्स के लिए प्रयोग किया। इन लोगों ने नॉर्थ ईस्ट के हर स्टेट को, मेघालय को ATM बना दिया है। यहां के लोगों को छोटे-छोटे मुद्दों पर बांटा गया। मेघालय के हितों को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई। उन्होंने इस राज्य का बहुत नुकसान किया है, यहां के युवाओं का नुकसान किया है। लेकिन मुझे खुशी है कि इस प्रदेश के साथ ही पूरे नॉर्थ ईस्ट की जनता अब भाजपा के साथ है। कमल के साथ है। मेघालय एक मजबूत पार्टी के नेतृत्व में स्थिर और मजबूत सरकार चाहता है। मेघालय आज फैमिली फर्स्ट के बजाय… पीपल फर्स्ट वाली सरकार चाहता है।”
यह हाल के महीनों में कांग्रेस के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी की सबसे कड़ी प्रतिक्रियाओं में से एक थी। कांग्रेस के नेता ये जानते हैं कि मोदी को गाली देने से नुकसान ही होता है। कई चुनावों में इसका नतीजा देख चुके हैं। इसके बाद भी पता नहीं क्यों चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के नेता सेल्फ गोल कर देते हैं।
पहले पवन खेड़ा ने पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरेंद्र मोदी के पिता के लिए अपमानजनक बातें कहीं बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी, तब उन्हें जमानत मिली। लेकिन पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के वक्त एयरपोर्ट पर धरना दे रहे कांग्रेस के नेताओं ने ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे नारे लगा दिए।
अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर खामोश हैं। लेकिन मोदी ने इस बात को पकड़ लिया है और अब वो जब-जब कांग्रेस की गालियों का जिक्र करेंगे तो उसमें यह नारा भी सुनने को मिलेगा।
Congress leaders must think twice before abusing Modi
In a scathing counter-attack at an election meeting in Shillong on Friday, Prime Minister Narendra Modi lambasted Congress leaders who sat on the tarmac of Delhi airport and chanted “Modi Teri Qabr Khudegi”(Modi, your grave will be dug) slogan, while protesting the arrest of Congress spokesperson Pawan Khera.
Narendra Modi said, “Some people, who have been rejected by the people of this country, are now so frustrated that they are now praying with beads (maala), saying, ‘Modi your grave will be dug’, but the people of the country are saying, ‘Modi, your lotus will bloom’. The people of India will give a befitting reply to such people for using such language and having such a mindset…Every corner of the country is saying, ‘Modi, your lotus will bloom’. The blessings of the people of India are making some people so much frustrated that they feel things will not work out for them so long as Modi is alive. So, they are digging Modi’s grave. How long will you dig my grave? Do some social work…”
Modi went on: “When Congress ruled north-east states, its central leaders used these states as ATMs to fill their pockets. But BJP used technology to ensure that the money reached the bank accounts of poor people, without any cut or commission. The people of Meghalaya want a ‘people-first’ government, not a ‘family-first’ government.”
This was one of the strongest reactions from Prime Minister Modi against the Congress in recent months. Congress leaders know it very well that abusing Modi can harm them during elections. The results of several elections in the past are witness to this. Yet, there are some Congress leaders who excel in scoring self-goals.
First, Pawan Khera used insulting words about Modi’s father Damodardas Modi at his party’s press conference. He later tendered apology before Supreme Court through his lawyer and got interim bail. But while staging sit-in on Delhi airport tarmac to protest his arrest, some Congress leaders chanted slogan ‘Modi Teri Qabr Khudegi’.
Senior party leaders are now maintaining a silence over this signal, but Modi has caught on to their mistake. Whenever he will recount the abuses hurled by Congress, this slogan is sure to crop up in the list.
पंजाब हिंसा: भगवंत मान समय रहते कट्टरपंथ को जड़ से खत्म करें
गुरुवार को पंजाब से चिंता में डालने वाली तस्वीरें आईं। अमृतसर में हिंसक भीड़ ने बंदूक और तलवारें लहराते हुए खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए और अजनाला थाने का घेराव किया। ये लोग अपने एक सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफ़ान की रिहाई की मांग कर रहे थे। इस भीड़ का नेतृत्व कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह ने किया। वहां के एसपी ने जब 24 घंटे के अंदर लवप्रीत तूफान को रिहा करने का वादा किया तब थाने पर घेराव को खत्म किया गया। शुक्रवार को अजनाला की अदालत ने तूफान को रिहा कर दिया।
ये कट्टरपंथी दिवंगत पंजाबी अभिनेता दीप सिंह सिद्धू द्वारा स्थापित संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़े हुए थे। दीप सिद्धू खालिस्तान के समर्थक थे और कनाडा में छिपकर रह रहे अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रति निष्ठा रखते थे।
लवप्रीत सिंह ऊर्फ तूफान अपहरण के एक मामले में आरोपी है, लेकिन गुरुवार को एसएसपी सतिंदर सिंह ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर ऐलान किया कि ‘अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर हम लवप्रीत को रिहा कर देंगे। एसपी तेजबीर सिंह के नेतृत्व वाली एसआईटी अमृतपाल सिंह के खिलाफ दर्ज अपहरण और मारपीट के मामले की जांच करेगी।’
गुरुवार की रात प्रसारित अपने ‘आज की बात’ शो में हमने सैकड़ों की तादाद में हथियारबंद खालिस्तान समर्थकों का वीडियो दिखाया जो बंदूक और तलवार लेकर बैरिकेड्स तोड़ते हुए अजनाला थाने पर हमला बोल रहे थे। इससे घंटों पहले भीड़ ने कपूरथला जिले में ढिलवां टोल प्लाजा के पास दिल्ली-अमृतसर हाईवे को जाम कर दिया। अमृतपाल सिंह ने खुले तौर पर खालिस्तान की मांग की और गुरुवार को हिंसक भीड़ का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह गुरु को धन्यवाद देने के लिए तूफ़ान की रिहाई के बाद दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) जाएंगे।
अमृतसर में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वाली भीड़ के दृश्य वास्तव में परेशान करने वाले हैं। कट्टरपंथियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गये। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने अमृतपाल सिंह की धमकी के आगे घुटने टेक दिए। अमृतपाल सिंह ने धमकी दी थी कि अगर उनके सहयोगी तूफान को रिहा नहीं किया गया तो वे घेराव जारी रखेंगे। हिंसक भीड़ के आगे सैकड़ों पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा।
अमृतपाल सिंह जून, 1984 में भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान मारे गए आतंकवादी और मास्टरमाइंड जरनैल सिंह भिंडरावाले का कट्टर अनुयायी होने का दावा करता है। अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों द्वारा एक शख्स वरिंदर सिंह की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। आरोपों के मुताबिक 15 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने उसका अपहरण कर लिया था। पुलिस ने वरिंदर सिंह की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में पुलिस ने अमृतपाल सिंह के क़रीबी लवप्रीत सिंह तूफान को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अमृतपाल ने समर्थकों के साथ गुरुवार को थाने का घेराव किया था।
सवाल यह उठता है कि जब पुलिस ने एफआईआर वापस लेने का फैसला किया तो घटना की जांच के लिए एसआईटी क्यों गठित की गई? शिरोमणि अकाली दल के नेता हरपाल सिंह बलेर (सिमरनजीत सिंह मान) ने मामले को सुलझाने के लिए अमृतपाल सिंह की ओर से सीनियर पुलिस अधिकारियों से बात की।
अमृतपाल सिंह खालिस्तान का कट्टर समर्थक है और उसका जन्म अमृतसर में ही हुआ था। 2012 में वह दुबई चला गया था। दुबई में वह क़रीब दस साल रहा। ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस किया। दुबई में ही वह खालिस्तानियों के संपर्क में आया। 2022 में जब वह भारत लौटा तो ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख बन गया है। कहने को ‘वारिस पंजाब दे’ सामाजिक संगठन है लेकिन हकीकत में यह अलगाव की आग लगाने का काम कर रहा है।
यह संगठन दीप सिंद सिद्धू ने बनाया था। आपको बता दें कि ये दीप सिंह सिद्धू वही है जिस पर किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को लाल क़िले पर हिंसा करने का आरोप था। पिछले साल 15 फ़रवरी को एक सड़क हादसे में दीप सिंह सिद्धू की मौत हो गई थी। उसके बाद, पिछले साल सितंबर में अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ का चीफ बन गया। अमृतपाल सिंह की ताजपोशी का प्रोग्राम, मोगा ज़िले में जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोड़े में हुआ था। संगठन की कमान संभालते ही अमृतपाल सिंह काफ़ी एक्टिव हो गया। वह अपने समर्थकों के साथ गांवों में घूम-घूम कर कट्टरपंथियों को अपने साथ जोड़ रहा है।
अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को भी चेतावनी दी थी। अपने एक भाषण में उसने कहा कि अमित शाह खालिस्तान की बात करने वालों को कुचलने की बात करते हैं तो उन्हें याद रखना चाहिए कि इंदिरा गांधी का हाल क्या हुआ था। लेकिन बाद में अमृतपाल ने कहा कि उसने अमित शाह को धमकी नहीं दी थी बल्कि उसके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।
अहम बात ये है कि हिंसक भीड़ द्वारा थाने को घेरकर बंदूक, तलवार और लाठियों से पुलिस पर हमला करना , ये कोई छोटी बात नहीं हैं। इस मामले में सख्ती होनी चाहिए। हिंसक भीड़ अलगाववादी नारे भी लगा रही थी। हैरानी की बात ये है कि पंजाब की भगवंत मान की सरकार इस तरह के देशद्रोहियों को सख्ती से कुचलने की जगह उनके सामने हाथ बांधे खड़ी है। दबाव में आकर खालिस्तान के नारे लगाने वालों को रिहा कर रही है। ये ठीक नहीं हैं।
अमृतपाल सिंह अकेला नहीं है। उसे कनाडा में बैठे और भारत के कट्टर भारत विरोधी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का समर्थन मिल रहा है। पन्नू नियमित रूप से भारतीय तिरंगे का अपमान करने वाले वीडियो पोस्ट करता है और उसके समर्थक कनाडा और ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं।
अमृतपाल सिंह पन्नू को अपना आदर्श बताता है। अमृतपाल सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी थी और इंदिरा गांधी जैसा हाल करने की बात कही थी। उसके खिलाफ पंजाब सरकार ने कुछ नहीं किया। फिर अमृतपाल सिंह ने जालंधर के गुरुद्वारों में तोड़फोड़ की, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए लगाई गई कुर्सियों को सड़क पर लाकर जलाया। उसके बाद भी अमृतपाल के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ गई, पंजाब में खालिस्तानी कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद हो गए।
थाने को इस तरह से घेर लेना गंभीर घटना है। ये कट्टरपंथी सिख बिरादरी को भड़का कर सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने भले ही अजनाला थाने में हालात को शांत करने में अपनी परिपक्वता दिखाई लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार को यह समझना चाहिए कि कट्टरपंथियों के खिलाफ नरमी बरतने से काम नहीं चलेगा।
मुझे याद है कि एक साल पहले कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह बात कही थी कि पाकिस्तान की शह पर पंजाब में एक बार फिर माहौल को खराब करने की कोशिश हो रही है। पाकिस्तान से नशे की खेप और हथियार भेजे जा रहे हैं और लोगों को भड़काया जा रहा है।
कैप्टन अमरिंदर की उस बात पर पंजाब सरकार को गौर करना चाहिए और वक्त रहते अमृतपाल सिंह जैसे लोगों को सबक सिखाना चाहिए। इस वक्त राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार को केंद्र सरकार के साथ मिलकर बड़ी सावधानी से हालात से निपटना चाहिए। सबसे जरुरी बात यह है कि इस मामले को लेकर कोई पॉलिटिकल प्वाइंट स्कोर करने की कोशिश ना करे।