PARLIAMENT STALLED
Work in both Houses of Parliament has been stalled for the last four days due to sloganeering from both sides. While BJP is demanding Rahul Gandhi’s apology for insulting India by making ‘democracy under attack’ remarks, the opposition is demanding a joint parliamentary committee probe into Adani controversy.. Rahul Gandhi came to Parliament for the first time on Thursday and said he would like to speak if allowed to do so inside the House. The moot point is, by making ‘democracy under threat’ remarks in Britain, Rahul Gandhi has given BJP a big issue. Several opposition leaders feel that Rahul’s remarks have taken the wind out of their sail, because they had been raising the Adani group issue for more than a month. The situation now is that both the sides are now using Parliament and media for their one-upmanship. Both sides want to project themselves as ‘clean’ before the people. As a result, work in Parliament has come to a standstill, and public money is being squandered.
LALU IN A WHEELCHAIR IN COURT
On Wednesday, RJD supremo Lalu Prasad Yadav, sitting in a wheelchair, along with wife Rabri Devi and daughter Misa Bharati appeared in a Delhi court in the ‘land-for-jobs’ scam. The court granted bail to all 15 accused including the above three. The next hearing will be on March 29. There was celebration in the RJD camp in Patna as if Lalu Prasad has won the case. Since CBI did not arrest Lalu or any other accused in this case, and since chargesheet has been filed, the court granted bail. Earlier, Supreme Court had given verdicts clearly saying that if an accused is not arrested during investigation, and if chargesheet has already been filed, then the accused can be granted bail in all cases except a few. Whatever be the merits of this case, Lalu Prasad is bound to gain sympathy as he was shown wearing a mask and sitting in a wheelchair. Lalu has undergone kidney transplant in a Singapore hospital, his immunity level is low. There is risk of infection spreading if he moves in a crowd. It would have been better if he had not been summoned to appear in court. Politics apart, Lalu Prasad should have been granted exemption from appearance, given his medical condition.
MAHARASHTRA
On one hand, government employees in Maharashtra have gone on indefinite strike since the last three days demanding restoration of Old Pension Scheme, while on the other hand, thousands of farmers, ASHA workers and tribals are on a 200-km-long march from Dindori, Nashik, to Mumbai. They are demanding Rs 600 per quintal for onion growers, 12 hour continuous power supply and waiver of farm loans. Farmers in Maharashtra are not getting remunerative prices for their crops. In my ‘Aaj Ki Baat’ show, I had shown how a farmer got a cheque of only Rs 2.49 paise after selling 512 kg onion in Lasalgaon market. On the other hand, onion is being sold at Rs 25 a kg to consumers. The Rs 300 per quintal subsidy proposed by the state government to onion growers is inadequate. Farmers say, it costs nearly Rs 1,200 to grow and transport one quintal of onion. Similarly, potato, tomato and garlic growers are also facing problems. Government must pay attention to their grievances. The farmers had been raising their problems for more than a month. Had the Shinde government spoken to them, they would not have marched to Mumbai. It appears, Chief Minister Eknath Shinde is busy breaking away leaders from Uddhav Thackeray camp. In the process, the common people are facing problems.
क्या इमरान खान गिरफ्तार होंगे?
लाहौर में पिछले दो दिनों से ज़मां पार्क के पास इमरान खान को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा जारी है। इमरान खान के समर्थकों के साथ पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस की कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी है। ज़मां पार्क में इमरान खान के घर के बाहर जमा कई हज़ार समर्थकों की भीड़ कल से डेरा डाले हुए है और पुलिस अफसरों को घर के अन्दर नहीं जाने दे रही है। भीड़ ने पुलिस पर कई बार पथराव किया और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। कम से कम 54 पुलिसवाले और 8 नागरिक घायल हुए हैं। मंगलवार रात और बुधवार सुबह फिर झड़पें हुई। इमरान खान अपने घर में ही छिपे रहे। पुलिस तोशखाना मामले में कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट को तामील करने के लिए इमरान खान को गिरफ्तार करना चाहती है। इमरान खान के वकीलों ने गिरफ्तारी वारंट को रद्द कराने के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अर्ज़ी दी है। इमरान खान जानते हैं कि पाकिस्तान में कोई सिस्टम नहीं है। लोगों को अपने हुक्मरां पर भरोसा नहीं है और सियासत करने वालों को अदालतों पर भरोसा नहीं रहा। सबको लगता है कि सारी ताकत फौज के हाथ में है और आजकल फौज इमरान खान के खिलाफ है। जिस फौज ने इमरान को प्रधानमंत्री बनाया, उसी ने इमरान को कुर्सी से उतारा। अब इमरान और फौज आमने-सामने हैं। और ये कोई छुपी हुई बात नहीं है। पाकिस्तान में सब कुछ खुले आम होता है । इसीलिए इमरान अदालत में हाज़िर नहीं हुए और कोर्ट को उनके खिलाफ वारंट जारी करना पड़ा । इमरान ने अपने समर्थकों से कहा है कि अगर उन्हें जेल में डाला गया तो वे सड़कों पर जंग के लिए तैयार रहें। अब शहबाज़ शरीफ की सरकार है तो इमरान को जेल भेजने की तैयारी हो रही है और समर्थक सड़कों पर लड़ेंगे। जब इमरान प्रधानमंत्री थे तो नवाज शरीफ जेल में थे और उनके समर्थक सड़कों पर उतरे थे । कुल मिलाकर यही पाकिस्तान की सियासत है। पाकिस्तान इस वक्त बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है । जनता महंगाई से त्रस्त है, लेकिन जनता की फिक्र न पहले किसी को थी और न अब किसी को है।
बिहार विधानसभा में माइक भंग
बिहार विधानसभा में एक बीजेपी विधायक लखेंद्र कुमार रौशन ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान अपने माइक को तोड़ दिया। उन्होंने आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं के बारे में तीन पूरक सवाल पूछे और वह चौथा सवाल पूछना चाहते थे। लेकिन स्पीकर ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी और उनका माइक म्यूट कर दिया गया । गुस्से में विधायक ने माइक तोड़ दिया । इस आचरण के लिए उन्हें सदन से दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया । तस्वीरों में साफ दिखाई दिया कि बीजेपी के विधायक गुस्से में आकर माइक तोड़ रहे थे। अगर वे अपनी गलती मान लेते तो बात इतनी न बढ़ती। उन्होंने पहले माइक तोड़ा फिर अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश की। एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं । उनके चक्कर में बीजेपी ने भी स्टैंड ले लिया और सदन से वॉकआउट किया । बीजेपी विधायकों ने जमकर नारेबाज़ी की । इसकी जरूरत नहीं थी । पार्टी के सीनियर नेताओं को अपने विधायक को समझाना चाहिए था और मामले को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए थी ।
ऑस्कर : उत्तर बनाम दक्षिण ?
भारतीय फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू-नाटू’ और शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने पर राज्य सभा में खुशी जताई गई और सदस्यों ने बधाई दी । दो दर्जन से ज्यादा नेताओं ने अपनी बात रखी । सदन के नेता पीयूष गोयल ने सबसे पहले बात शुरू की। उन्होंने ‘नाटू-नाटू’ और ‘द एलिफेंट विस्पर्स’ की टीम को बधाई दी। पीयूष गोयल के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘नाटू-नाटू’ और ‘द एलीफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर मिलना वाकई में बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन उन्होने ये भी कहा कि अब ऐसा न हो कि इसका क्रेडिट बीजेपी के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देने लगें । खरगे ने कहा कि ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि ऑस्कर जीतने वाले दक्षिण भारत के हैं । खरगे के इस बयान पर जया बच्चन ने गुस्से में आकर कहा- ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां से हैं, उत्तर से हैं या दक्षिण से हैं, पूरब से हैं या पश्चिम से हैं । वे भारतीय हैं । मैं यहां अपनी फिल्म बिरादरी के लिए गर्व और सम्मान के साथ खड़ी हूं, जिन्होंने कई बार देश का प्रतिनिधित्व किया और कई पुरस्कार जीते । सिनेमा का बाजार यहां है, अमेरिका में नहीं है । यह तो एक शुरूआत है।’ जया बच्चन की बात सही है कि फिल्म के अवॉर्ड को उत्तर या दक्षिण में नहीं बांटा जाना चाहिए और न ही इसे बीजेपी-कांग्रेस का सवाल बनाना चाहिए । ये अच्छी बात है कि एक दिन के बाद ही सही लेकिन कम से कम 94 साल में पहली बार ऑस्कर जीतने वालों को राज्यसभा में बधाई तो दी गई।
बंटा हुआ विपक्ष
बुधवार को 18 विपक्षी दलों के सांसदों ने दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर की ओर मार्च किया लेकिन पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रास्ते में ही रोक दिया । तृणमूल कांग्रेस के सांसद इस मार्च में शामिल नहीं हुए । इसी तरह मंगलवार को जब विपक्षी सांसदों ने अडानी विवाद की जेपीसी जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, तो वे बंटे हुए नजर आए । कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद, विपक्षी खेमे में एकजुटता नहीं दिखी । कांग्रेस सांसदों ने पार्लियामेंट गेट के बाहर अलग प्रदर्शन किया तो तृणमूल कांग्रेस ने महात्मा गांधी की मूर्ति के बाहर अलग से प्रदर्शन किया । वहीं आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति के सांसदों ने ईडी के छापों और दिल्ली शराब घोटाले को लेकर प्रदर्शन किया। सभी विपक्षी नेता यह मानते हैं कि अलग-अलग रहकर मोदी का मुकाबला करना नामुमकिन है । फिर भी एक ही मुद्दे पर एक ही जगह पर कांग्रेस., तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस और आम आदमी पार्टी ने तीन अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया । स्पष्ट है कि विपक्षी एकता में कमी नजर आ रही है । इसकी वजह भी साफ है । मोदी के डर से सब एक साथ आने की बात तो कहते हैं लेकिन जैसे ही यह सवाल आता है कि मोदी की जगह प्रधानमंत्री पद का दावेदार किसे बनाया जाय, तो आपस में झग़ड़ा शुरू हो जाता है । कांग्रेस राहुल गांधी को नेता बनाना चाहती है जबकि तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि मोदी विरोधी मोर्चे की अगुआई ममता बनर्जी करें। के. चन्द्रशेखर राव भी अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं और अरविंद केजरीवाल तो खुद को मोदी का सबसे बेहतर विकल्प मानते हैं । स्वाभाविक रूप से झगड़ा कुर्सी का है और ये बार-बार दिखाई दे रहा है।
WILL IMRAN KHAN BE ARRESTED?
The tug-of-war in Lahore between Pakistan Rangers, police and Imran Khan’s supporters continued for the second day amidst high-voltage drama on Wednesday. There were pitched battles outside the former PM’s residence in Lahore’s Zaman Park, with mobs stoning police, and the latter firing tear gas shells. At least 54 policemen and eight civilians were injured in clashes. There were clashes during the night and again on Wednesday morning, while Imran Khan was holed up inside his fortified residence. Police wants to arrest Imran Khan in order to comply with court’s arrest warrant in the Toshakhana case. Imran Khan’s lawyers have filed a petition in Islamabad High Court seeking quashing of arrest warrant. Former PM Imran Khan is very much aware that there is presently no system worth the name working in Pakistan, and majority of the citizens do not have any faith in law courts. Most Pakistanis feel, the real power lies with the army, and Imran Khan is fighting against the Army. It was the army which helped Imran Khan to become PM, and the army later unseated him. Both Imran and the army are now locked in close combat. This is no secret. In Pakistan, most developments take place in the open. That is why Imran Khan continues to defy and refuse to appear in court despite issue of production warrant. Imran Khan has told his supporters to fight in the streets if he is put in jail. When Imran was PM, Nawaz Sharif was put in jail and Sharif’s supporters were out in the streets. This is what Pakistan politics is all about. Neither sides have no empathy for the public, which is groaning under price rise and is staring at economic disaster.
BREAKING MIKE IN BIHAR ASSEMBLY
A BJP MLA Lakhendra Kumar Raushan on Tuesday broke his mike during question hour inside Bihar assembly. He had asked three supplementary questions on Anganwadi workers, and wanted to ask a fourth question, but was disallowed. The Speaker did not allow him, and his mike was kept on mute. In the heat of anger, the MLA broke his mike. Later, the House suspended him for two days for this gross misconduct. The video clearly showed Raushan breaking his mike in anger. Had he pleaded guilty, the matter could have rested, but he later tried to cover up his mistake. BJP MLAs tried to defend him and staged walkout. It would have been better if senior party leaders had tried to persuade him to tender apology.
OSCARS: NORTH VS SOUTH?
On a day, when Rajya Sabha members, led by Leader of the House Piyush Goyal, were congratulating the composer and directors of ‘RRR’ and ‘The Elephant Whisperers’ for winning Oscar awards, the leader of Opposition Mallikarjun Kharge said, “It must not happen that BJP members start giving credit to Narendra Modi for this. We should also remember that the Oscar winners are from South India.” An angry Jaya Bachchan rose up and said, “it doesn’t matter where they are from: North, East, South or West. They are Indians. I stand here with pride and respect for our film fraternity who have represented our country many times and won many awards…The market of cinema is here, it is not in America. This is just the beginning.” Jaya Bachchan is right when she says film award winners should not be categorized into North and South. Nor should it be categorized into Congress or BJP. It is a historic moment that Indian film makers have won Oscars after 94 years, and the Upper House of Parliament congratulated them.
A DIVIDED OPPOSITION
On Wednesday, MPs from 18 opposition parties marched towards Enforcement Directorate office in Delhi, but were stopped on the way by police, which has put barricades. Trinamool Congress MPs did not join this march. Similarly, on Tuesday, while opposition MPs staged protests demanding JPC probe into Adani controversy, they appeared to be divided. Congress MPs staged protest outside Parliament gate, Trinamool Congress MPs sat in protest outside Gandhi statue, while AAP and Bharat Rashtra Samithi MPs sat in protest against ED raids and arrests in the Delhi liquor scam. While all the opposition leaders agree that it is impossible to counter the BJP if they remain divided, protests at three different places clearly underline lack of opposition unity. Though opposition leaders try to put up a united face out of fear of Narendra Modi, bickerings start when the question arises about the PM candidate. Congress leaders want Rahul Gandhi to become the PM candidate, while TMC wants Mamata Banerjee to lead the opposition front. Telangana CM K. Chandrashekhar Rao has also put forth his claim. Arvind Kejriwal considers himself to be the best alternative to Narendra Modi. Naturally, the fight is over the throne, and lack of unity in opposition camp appears again and again.
दो ऑस्कर अवार्ड : उल्लास से भरा दिन
सोमवार का दिन भारतीयों के लिए खुशियों से भरा रहा। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने दो ऑस्कर अवॉर्ड जीते। पहला सर्वश्रेष्ठ ऑरिजिनल गीत का पुरस्कार ‘नाटू-नाटू’ को मिला जबकि दूसरा अवार्ड शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को मिला। ‘नाटू -नाटू’ गाना मूल रूप से तेलुगू में है और इसे एस.एस. राजामौली की मूवी ‘आरआरआर’ के लिये फिल्माया गया है। इस गाने के संगीतकार हैं एम.एम. किरवानी । ऑस्कर पुरस्कार समारोह में इस गाने का परफॉर्मेंस भी हुआ। फिल्म स्टार दीपिका पादुकोण ने इसके परफॉर्मेंस का स्टेज से ऐलान किया। अपने बेहतरीन म्यूजिक और डांस से इस गाने ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं कार्तिकी गोंज़ाल्विस द्वारा निर्देशित और गुनीत मोंगा द्वारा निर्मित शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ ने भी ऑस्कर अवार्ड जीता। इस फिल्म में एक ऐसे आदिवासी परिवार का चित्रण किया गया है जिसने तमिलनाडु के अभयारण्य में हाथियों के दो अनाथ बच्चों को गोद लिया था। पहली बार भारतीय फिल्म निर्माताओं द्वारा जुड़वां ऑस्कर जीतने पर बधाइयों का तांता लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म से जुड़ी तमाम हस्तियों ने विजेताओं को बधाई दी। ‘नाटू-नाटू’ गाने के लिए और ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ के लिए ऑस्कर मिलना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। ऑस्कर पूरी दुनिया में फिल्म का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड है। अब न तो इस बात के लिए रोना चाहिए कि अब तक हमारी फिल्मों को ये अवॉर्ड क्यों नहीं मिला और ना ही इस बात को लेकर माथा पीटना चाहिए कि अमेरिका में मिले अवॉर्ड को हम इतना महत्व क्यों दे रहे हैं? ‘नाटू नाटू’ का मतलब है ‘नाचो नाचो…’ और वाकई में फिल्म इंडस्ट्री के लिए खुशी से नाचने का दिन है। ‘नाटू-नाटू’ गाने में एक लय है, एक्शन है, जबरदस्त कोरियोग्राफी है। रामचरण और जूनियर एनटीआर के स्टेप्स पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गए हैं। ये कोई छोटी बात नहीं है कि सब भाषाओं में इसके वर्जन्स को मिला दिया जाए तो अब तक पूरी दुनिया में बीस करोड़ से ज्यादा लोग इस गाने को पसंद कर चुके हैं। हमें तो इस बात पर खुश होना चाहिए कि संगीत, नृत्य, सुर की और ताल की कोई बाउंड्री नहीं होती। यह एक बार फिर साबित हो गया।
संसद में हंगामा
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पिछले दो दिनों से हंगामा हो रहा है। पहले दिन, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अडानी मामले में जेपीसी जांच की मांग करते हुए कार्यवाही रोक दी, लेकिन बीजेपी ने लोकतंत्र के मुद्दे पर भारत को बदनाम करने के लिए राहुल गांधी से बिना शर्त माफी की मांग की। मुझे लगता है कि यह बात राहुल गांधी भी जानते हैं कि भारत में लोकतंत्र पूरी मजबूती के साथ कायम है। देश की जनता भी जानती है कि यहां किसी के बोलने पर ना तो कोई पाबंदी है और ना कोई पाबंदी लगा सकता है। 1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर बोलने की आजादी पर रोक लगाई थी, उसका नतीजा पूरी दुनिया ने देखा। 1977 के चुनाव में जनता ने इमरजेंसी लगाने वाली, तानाशाही कायम करने वाली सरकार को उखाड़ फेंका था। इसलिए अब कोई भी नेता कभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बोलने की आजादी छीनने की हिम्मत नहीं करेगा। लंदन में राहुल गांधी ने यह बात कहकर बड़ी राजनीतिक गलती कर दी कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने बीजेपी को एक अच्छा खासा मुद्दा दे दिया जिसके आधार पर बीजेपी आसानी से कांग्रेस को घेर सकती है। कांग्रेस के नेताओं ने दूसरे पार्टियों के नेताओं के साथ मिलकर अडानी के सवाल पर सरकार को बचाव की मुद्रा में ला दिया था, पर राहुल ने मौका दिया और बीजेपी ने बाजी पलट दी। अब कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है। बाकी पार्टियों के नेता आधे मन से राहुल के लोकतंत्र वाले बयान का समर्थन कर रहे हैं। और कांग्रेस भी किसी तरह अडानी वाले मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश में लगी है। कांग्रेस, नरेन्द्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाने की पूरी कोशिश कर रही है और यह विरोधी दल के तौर पर यह उसका दायित्व भी है। अडानी को लेकर कांग्रेस नरेंद्र मोदी को घेरती रही है लेकिन अडानी पर इन बातों का कोई असर नहीं दिखाई दिया। उल्टा अडानी ग्रुप्स के स्टॉक्स में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। अडानी ने रविवार ऐलान किया था कि उन्होंने 2.65 बिलियन डॉलर्स के लोन को चुका दिया है। इसका असर ये हुआ कि अडानी के निवेशकों के रुख में बदलाव आया और अडानी के स्टॉक्स में रौनक दिखाई दी।
उद्धव को झटका
इन दिनों संकट से गुजर रहे शिवसेना (ठाकरे ग्रुप) के प्रमुख उद्धव ठाकरे को सोमवार को एक और झटका लगा। उद्धव के करीबी सहयोगी सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थाम लिया। सुभाष देसाई की हैसियत इस वक्त उद्धव गुट में नंबर दो की है। उद्धव, सुभाष देसाई की सलाह को तवज्जो देते हैं इसलिए सुभाष देसाई के बेटे का एकनाथ शिन्दे के साथ जाना उद्धव के लिए बड़ा झटका है। अब आदित्य यह कहें कि भूषण देसाई से कोई लेना-देना नहीं हैं, भूषण देसाई पर पहले से भ्रष्टाचार के इल्जाम है तो ये बातें बेमानी हैं। अगर भूषण देसाई घोटाले का आरोपी है तो अब तक उसे पार्टी से क्यों नहीं निकाला था? इस मामले पर सुभाष देसाई का बयान भी आया है। सुभाष देसाई का कहना है कि उनका बेटा सक्रिय राजनीति में नहीं था इसलिए वो किस पार्टी में जाता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन इतना तय है कि उनकी निष्ठा, ठाकरे परिवार के साथ थी, है और रहेगी।
DAY TO REJOICE: TWO OSCARS
Indians across the world rejoiced on Monday when our film industry won two Oscar awards – one for Best Original Song and the other for Best Documentary Short film. The irresistibly catchy and popular Telugu film song ‘Naatu Naatu’, with its electrifying dance moves, from S. S. Rajamouli’s movie ‘RRR’, was composed by M. M. Keeravaani. The dance song swept the audience, with actor Deepika Padukone making the introduction. The documentary ‘The Elephant Whisperers’, directed by Kartiki Gonsalves and produced by Guneet Monga, won the Oscar for its portrayal of a tribal family which adopted two orphan baby elephants in a Tamil Nadu forest reserve. Plaudits came in from Prime Minister Narendra Modi, and from all top-notch film celebrities for the Oscar winners. The Oscar award is considered the world’s most prestigious film award. The twin awards have silenced those naysayers who have been cribbing about Indian films unable to win Oscars till date. The awards have also silenced those who were questioning why we give too much importance to Oscar awards. ‘Naatu Naatu’ means ‘dance, dance’ and it is a day to rejoice and dance. The dance sequence has a nice rhythm, wonderful choreography and Junior NTR and Ram Charan Teja won the hearts of people with their precise dance steps. More than 20 crore people across the world have watched this dance sequence dubbed in different languages. We in India should be happy that an Indian dance song has won encomiums crossing all bars of language. It once again proves dance, rhythm and music have no boundaries.
UPROAR IN PARLIAMENT
Parliament has been witnessing uproar for the last two days of the second phase of its Budget session. On the first day, Congress and other opposition parties stalled the proceedings demanding JPC probe into Adani issue, but BJP turned the tables by demanding unconditional apology from Rahul Gandhi for denigrating India on the issue of democracy. I think even Rahul Gandhi is very much aware that democracy continues to remain strong in India today. People in India are also aware that there is no ban on speech and expression, nor can anyone dare to impose such a ban. In 1975, Indira Gandhi had imposed censorship during Emergency, and the world has seen its consequences. The people of India uprooted the authoritarian regime during the general elections of 1977. No leader can now dare to curb freedom of speech and expression. Rahul Gandhi made a big blunder by saying in UK that democracy is under threat in India. He has given BJP a handle on which it can corner the Congress. Congress leaders along with other opposition leaders had put the Centre on defensive on Adani issue, but Rahul, by raising the issue of democracy, has allowed BJP to turn the tables. Leaders of other opposition parties are half-heartedly supporting Rahul on his ‘democracy’ remarks, while Congress is trying to hard to keep the Adani issue alive. As the main opposition, Congress has the right to create an atmosphere against Narendra Modi, but at the bourses, shares of Adani group companies have regained past losses. Adani group had announced on Sunday it has repaid $ 2.56 billion loan and it had a positive impact at the stock exchanges.
UDDHAV GETS A JOLT
Uddhav Thackeray, the embattled chief of Shiv Sena (Thackeray group) got a jolt when his close aide Subhash Desai’s son Bhushan Desai joined the BJP on Monday. Subhash Desai is presently at No. 2 position in Uddhav Thackeray’s party. Uddhav gives much importance to Subhash Desai’s advice. Even if Uddhav’s son Aditya Thackeray may say that the party has nothing to do with Subhash Desai’s son, because there are corruption charges against him, such a logic has no basis. If Bhushan Desai was facing corruption charges, why was he not thrown out of Thackeray’s party? Subhash Desai, in a statement, has said that his son was never in active politics, and therefore, it won’t matter which party he joins. Subhash Desai says, his loyalty to Thackeray family will continue.
भारत की होली डिप्लोमेसी
बुधवार को देशभर में रंगों की बारिश हुई। लोगों ने पूरे जोश और उमंग के साथ होली मनाई। होली का जोश नेताओं में भी दिखा। राजनीतिक दलों और बड़े-बड़े नेताओं ने होली के कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में होली के रंग के अलावा सियासत और डिप्लोमेसी के रंग भी दिखे। दिल्ली में राजनाथ सिंह ने अपने घर पर होली मिलन का कार्यक्रम रखा और इसमें अमेरिका की कॉमर्स सेक्रेट्री जीना रायमोंडो भी शामिल हुई। उन्होंने ‘आज बिरज में होली रे रसिया’ गीत की धुन पर डांस किया। उन्होंने अपने साथ राजनाथ सिंह को भी डांस कराया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ताली बजाई। इस होली मिलन समारोह में जी-20 देशों के ज्यादातर मंत्रियों ने हिस्सा लिया। राजनाथ सिंह ने जीना रायमोंडो को एक दिग्गज राजनीतिज्ञ बताया। उन्होंने कहा कि जीना होली समारोह को लेकर उत्सुक थीं इसलिए मैंने उन्हें यहां आमंत्रित किया। रायमोंडो चार दिनों की यात्रा पर भारत आई हैं और वह भारत-अमेरिका वाणिज्यिक वार्ता और सीईओ फोरम में हिस्सा लेंगी। अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने कहा, उनकी यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच ‘व्यापार और निवेश के नए अवसरों को खोलना है’। भारत और अमेरिका हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे का हिस्सा हैं। पीयूष गोयल ने कहा भारत और अमेरिका एक-दूसरे के नेचुरल सहयोगी हैं। हमारा एजेंडा संभावनाओं से भरा है और हम एक सुरक्षित इंडो-पैसेफिक (हिंद-प्रशांत) के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहुत रिजर्व रहने वाले इंसान हैं लेकिन जब जीना रायमोंडो ने उनसे डांस करने का आग्रह किया तब पहली बार वे कैमरे के सामने थिरकते हुए नजर आए।
केजरीवाल, सिसोदिया और तिहाड़ जेल
जब पूरा देश होली खेल रहा था, लोग रंगों से सराबोर थे, उस वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 7 घंटे तक ध्यान किया और ‘देश के लिए प्रार्थना की।’ आम आदमी पार्टी के बाकी नेता भी दिल्ली के आबकारी घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए मेडिटेशन कर रहे थे। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को तिहाड़ जेल में पेशेवर अपराधियों के बीच रखा गया है, और उनकी जान को खतरा है, लेकिन जेल प्रशासन ने तुरंत ही आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। जेल प्रशासन ने एक बयान में कहा, ‘सिसोदिया की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक अलग वॉर्ड में रखा गया है। वॉर्ड में बहुत कम कैदी हैं जो कुख्यात अपराधी नहीं हैं और उनका जेल में अच्छा आचरण है।’ यह सही है कि मनीष सिसोदिया कोई पेशेवर अपराधी नहीं हैं, उन्हें जेल में सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए। उनकी सेहत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, पर केजरीवाल के साथियों को यह तय करना होगा कि वे जेल के बारे में क्या सोचते हैं। पिछले साल नवंबर में, जब AAP के तत्कालीन मंत्री सत्येंद्र जैन का बलात्कार के एक आरोपी से मालिश कराने और जेल के अंदर शाही लंच करने के वीडियो सामने आए, तो AAP नेता मसाज को सही ठहरा रहे थे। सौरभ भारद्वाज ने तब कहा था कि जैन को जेल के अंदर सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। आज यही लोग कह रहे हैं कि जेल में मनीष सिसोदिया की हत्या हो सकती है। मजे की बात ये है कि जेल का प्रशासन केजरीवाल की सरकार के अंडर आता है, तो फिर उनकी शिकायत किससे है?
यूपी की जेलों में गैंगस्टर
उत्तर प्रदेश में अपराधियों की होली खौफ में बीती, क्योंकि उमेश पाल मर्डर केस के बाद पुलिस ने जबरदस्त सख्ती कर दी है। जो अपराधी अधिकारियों के साथ मिलकर जेल में ऐश कर रहे थे, अब उनकी जान आफत में है। गैंगस्टर अतीक अहमद का भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है। उसने ही अपने साले सद्दाम को बताया था कि प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या को कैसे अंजाम दिया जाए। सद्दाम ने ही जेल में अशरफ और शूटरों की मुलाकात कराई थी। पुलिस ने अशरफ की मदद करने वाले जेल के आरक्षी शिव हरि अवस्थी और जेल में सब्जी की सप्लाई करने वाले दयाराम उर्फ नन्हे को गिऱफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि नन्हे सब्जी की गाड़ी में मोबाइल फोन, खाने-पीने का सामान और दूसरी चीजें छिपाकर अशरफ को पहुंचाया करता था, जबकि आरक्षी अवस्थी सद्दाम के साथ 5-6 लोगों को जेल के अंदर पहुंचा देता था, फिर वे जेल के अंदर बने एक गोदाम में मीटिंग करते थे। आरोप ये भी हैं कि अशरफ, जिसका असली नाम खालिद अजीम है, जेले से ही अपने केस के गवाहों को धमकाया करता था। अशरफ के ऊपर दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, जमीन पर अवैध कब्जे और रंगदारी समेत गैंगस्टर एक्ट के तहत कई केस दर्ज हैं। अशरफ राजू पाल के मर्डर केस का मुख्य आरोपी है। अतीक के जेल जाने के बाद उसका दहशत का कारोबार अशरफ ही चला रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की सख्ती के बावजूद पिछले 6 सालों में यूपी की जेलों के अंदर माफिया सरगनाओं का राज रहा है। अशरफ जैसे गैंगस्टर जेलों के अंदर बैठकर पूरे सिस्टम को कंट्रोल किया करते थे। यूपी की चित्रकूट जेल में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का विधायक बेटा अब्बास अंसारी अपनी पत्नी से जेल के कमरे में बेरोकटोक मुलाकात किया करता था। वह बाहरी लोगों से संपर्क करने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करता था। अचानक छापेमारी के बाद जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर और वार्डन को गिरफ्तार करना पड़ा। इससे साबित होता है कि जेलों में तैनात पुलिसकर्मी, अपराधी और सप्लायर सब आपस में मिले हुए हैं। जरूरत इस बात की है कि जेल अधिकारियों और अपराधियों के इस नेक्सस को तोड़ने के लिए एक बार यूपी की सारी जेलों की जांच कराई जाए। जहां-जहां माफिया और जेल प्रशासन की मिलीभगत मिले, वहां सख्त कार्रवाई की जाए।
India’s Holi diplomacy
On Wednesday, US Commerce Secretary Gina Raimondo grooved to the tune of ‘Aaj Biraj Me Holi Re Rasiya’ song at a get-together at Defence Minister Rajnath Singh’s residence, as External Affairs Minister S. Jayashankar and Commerce Minister Piyush Goyal clapped. The Holi reception was attended by ministers from most of the G-20 countries. Rajnath Singh described Gina Raimondo as “a stalwart politician from US. She wanted to enjoy Holi celebrations, so I invited her here”. This was India’s Holi diplomacy at its best. Raimondo is on a four-day visit and she will take part in India-US Commercial Dialogue and CEO Forum. The US Commerce Department said, her visit “aims to unlock new trade and investment opportunities” between both countries. India and the US are part of the Indo-Pacific Economic Framework. Piyush Goyal said, India and the US “are natural allies. The agenda is full of possibilities and we are working together for a safe, secure Indo-Pacific.” Rajnath Singh, normally a reserved person, shook his legs for a few seconds, when requested by Gina Raimondo to groove with her.
KEJRIWAL, SISODIA AND TIHAR JAIL
Even as the entire nation was celebrating Holi, Delhi chief minister Arvind Kejriwal skipped Holi and sat on a seven-hour-long meditation “to pray for the country”. Other Aam Aadmi Party leaders also sat on meditation to protest the imprisonment of Manish Sisodia in the Delhi liquor excise scam. AAP leader Saurabh Bhardwaj alleged that Sisodia has been kept in Tihar jail with hardened criminals, and there was threat to his life, but the jail administration promptly refuted the charge. It issued a statement saying “Sisodia has been assigned to a segregated ward keeping his security in mind. The ward has minimum number of inmates who are not gangsters and are maintaining good conduct inside the jail.” It is true, Manish Sisodia is not a professional criminal, and he should be provided a safe and secure atmosphere inside the jail. Attention must also be paid to his health, but Kejriwal’s associates must decide what they think about jail facilities. In November last year, when videos surfaced about AAP minister Satyendar Jain getting massage from a rape accused and having a sumptuous lunch inside his cell, AAP leaders were justifying the massage. Saurabh Bhardwaj had then said that Jain should get all facilities inside jail. The same leaders are now expressing fear about Sisodia’s life. Delhi’s jail administration comes under the purview of Arvind Kejriwal’s government. The question is: to whom are they addressing their complaint?
GANGSTERS IN U.P. JAILS
Gangsters in most of the jails of Uttar Pradesh spent a tense Holi on Wednesday as authorities beefed up their watch over the secret nexus between the gangsters and some corrupt jail officials. Gangster Atiq Ahmed’s brother Ashraf is lodged in Bareilly jail. It was he who briefed his brother-in-law Saddam how to carry out the murder of Umesh Pal in Prayagraj. It was Saddam who arranged a meeting between Ashraf and the shooters in jail. Police have arrested a constable Shiv Hari Awasthi and a vegetable supplier Dayaram alias Nanhe. Nanhe used to sneak inside the jail, cell phones, food and other articles meant for Ashraf, hidden in vegetable loaded vehicles. The constable Awasthi used to secretly arrange visits of five or six persons inside the jail. They used a godown for their secret rendezvous with Ashraf, who used to threaten witnesses on phone from jail. Ashraf, whose real name is Khalid Azeem, has dozens of cases like murder, attempt to murder, kidnapping, land grab and extortion against him. He is the main accused in Raju Pal murder case and he used to run the gang in the absence of Atiq Ahmed. During the last six years, mafia gangsters used to rule inside the jails of UP, despite strictness on part of chief minister Yogi Adityanath’s government. Gangsters like Ashraf used to control the entire system sitting inside jails. In Chitrakoot jail of UP, Abbas Ansari, MLA and son of gangster Mukhtar Ansari used to meet his wife inside a jail room without any hindrance. He used WhatsApp to contact outsiders. The jail superintendent, jailor, deputy jailor and warden had to be arrested after a sudden raid was conducted. This shows that police personnel posted in jails, criminals and suppliers were in cahoots to bypass the system. There is urgent need to carry out strict audit of all jails in UP and break the gangster-jail officials nexus. Strong action must be taken against the offenders.
राहुल गांधी और आरएसएस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना दुनिया भर में कट्टरपंथी हिंसा के लिए बदनाम संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से करके एक नया विवाद पैदा कर दिया है। उनका कहना है ‘आरएसएस फासिस्ट और कट्टरपंथी संगठन है जो लोकतन्त्र की मदद से सत्ता पर काबिज होकर लोकतन्त्र को ही खत्म करना चाहता है। आरएसएस को आप एक गोपनीय संगठन कह सकते हैं। इसे मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर बनाया गया है।’ इस मामले में यह समझना चाहिए कि ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने इस तरह की बातें पहली बार कही है। आरएसएस, नरेंद्र मोदी, संसद और न्यायपालिका के बारे में वे इस तरह की बातें कहते रहते हैं। अगर राहुल ये बातें लंदन में नहीं दोहराते तो शायद इन पर कोई ज्यादा तवज्जो भी नहीं देता। क्योंकि जो लोग भारत में रहते हैं वे इतना तो जानते हैं कि आरएसएस क्या करता है और क्या कर सकता है।
भारत के लोग जानते हैं कि न्यायपालिका सरकार के नियंत्रण में नहीं है और राहुल गांधी को संसद में बोलने से कभी नहीं रोका जाता है। लोग जानते हैं कि राहुल ने संसद के अंदर और बाहर कितनी बार बोला। किसी ने उनका माइक बंद नहीं किया। मुझे याद है एक बार तो उन्होंने कहा था कि मुझे दस मिनट बोलने दो भूचाल आ जाएगा। इसके बाद वो आधा घंटा तक बोले लेकिन कोई भूचाल नहीं आया। हमने राहुल को राफेल, जीएसटी, किसान बिल पर बोलते सुना है। थोड़े दिन पहले हमने राहुल को पार्लियामेंट में आधा घंटे से ज्यादा कारोबारी गौतम अडानी पर बोलते देखा। अडानी के साथ मोदी की तस्वीरों को संसद में लहराते देखा लेकिन उन्हें किसी ने नहीं रोका। राहुल जब भी बोलना चाहा स्पीकर ने उन्हें बोलने का पूरा मौका दिया।
इसलिए ये समझना मुश्किल है कि राहुल ने लंदन में यह क्यों कहा कि उन्हें संसद में चर्चा नहीं करने दी जाती। उनकी जुबान बंद कर दी जाती है। या तो वो ये सोचते हैं कि लंदन में उनके सामने जो लोग बैठे थे उन्हें पता नहीं होगा कि असलिय़त क्या है? इसलिए कुछ भी बोल दो। हैरानी की बात यह है कि डिजिटल इंडिया के जमाने में कोई ऐसा कैसे सोच सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह थी जब राहुल ने लंदन के एक कार्यक्रम में मौजूद एक सिख भाई की तरफ इशारा करके कहा कि नरेन्द्र मोदी सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझते हैं। मोदी विरोध में राहुल को यह नहीं भूलना चाहिए था कि ऐसे बयानों का फायदा भारत विरोधी ताकतें उठाएंगी। ऐसे बयान का इस्तेमाल वे भारत में लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए करेंगे। राहुल गांधी को ऐसी बातें बोलने से बचना चाहिए।
सीबीआई और लालू प्रसाद
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद से मंगलवार को सीबीआई आधिकारियों ने दिल्ली में करीब पांच घंटे तक पूछताछ की। यह पूछताछ ‘नौकरी के बदले जमीन’ लेने के केस में हुई। लालू यादव बीमार हैं। हाल में वे सिंगापुर से किडनी ट्रांसप्लांट करवा कर लौटे हैं और डॉक्टरों ने मिलनेवालों पर पाबंदिया लगाई हुई हैं। ऐसे में उनसे पूछताछ कुछ दिन बाद होती तो बेहतर होता। लेकिन इस केस के बारे में यह कहना गलत होगा कि बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन की सरकार बनने के कारण मोदी सरकार ने लालू को घेरने की कोशिश की। यह मामला तब सामने आया जब जद (यू) नेता ललन सिंह ने सीबीआई से इसकी शिकायत की। उस वक्त डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। अब ना तेजस्वी ललन सिंह से पूछेंगे कि उन्होंने लालू के खिलाफ यह शिकायत क्यों की थी और न ललन सिंह अब लालू यादव पर भ्रष्टाचार का इल्जाम लगाएंगे। क्योंकि दोनों दल अब हाथ मिला चुके हैं। इसके उलट ललन सिंह अब कहेंगे कि लालू के साथ ज्यादती हो रही है और सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
अशोक गहलोत और शहीदों की विधवाएं
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पुलवामा के शहीदों की विधवाएं (वीरांगनाओं) के साथ बदसलूकी को लेकर घिर गई है। रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करके दोषी पुलिस वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है और शहीदों के परिवारों से किए गए वादों को तुरंत पूरा करने का आग्रह किया है। बड़ी बात यह है कि कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी वही बात कही जो राजनाथ सिंह कह रहे हैं। सचिन पायलट ने पुलवामा के शहीदों के परिवार वालों से मुलाकात की और मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर शहीदों के परिजनों के साथ मारपीट करने वाले पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
वीरांगनाओं के साथ, शहीदों के परिजनों के साथ राजस्थान की पुलिस ने जिस तरह का सलूक किया वो शर्मनाक था। इस तरह की हरकत करने वाले पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए। जहां तक वीरांगनाओं की मांगों का सवाल है तो शहीदों के परिवार वालों ने कोई नई मांग नहीं रखी है। वे तो सिर्फ उन वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं जो सरकार ने पुलवामा हमले में शहीदों को लेकर किए थे। इसमें गलत क्या है? सरकार ने चार साल पहले जो वादे किए थे वो अब तक पूरे क्यों नहीं हुए? हमारे सीआरपीएफ के जवानों ने देश के लिए अपनी प्राणों की आहुति दे दी। क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि शहीदों के परिवारों का ख्याल रखे? नौकरी की मांग को लेकर, शहीदों की मूर्ति लगवाने के लिए वीरांगनाओं को आंदोलन करना पड़े, धरना देना पड़े और पुलिस उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटे। ये पूरे समाज के लिए शर्मनाक है।
RAHUL AND RSS
Congress leader Rahul Gandhi has raised a fresh controversy by equating the RSS with Muslim Brotherhood, and describing the saffron outfit as a “fundamentalist, fascist organization, which has basically captured pretty much all of India’s institutions. You can call it a secret society built along the lines of Muslim Brotherhood”. It is not the first time that Rahul Gandhi has said such things about RSS, Narendra Modi, Parliament and judiciary. Had he not spoken about these issues in London, nobody here would have bothered to go through his speech. As people in India know pretty much well about the activities of RSS and its capability. The people of India are aware that the judiciary is not under government’s control and that, Rahul Gandhi is never prevented from speaking in Parliament. People remember the umpteen number of times Rahul spoke inside and outside Parliament. Nobody switched off his mike. I remember, he once said, let me speak for 10 minutes in Parliament and there will be an earthquake. He spoke for nearly half an hour but no such tremors were felt. We have heard Rahul speak on Rafael deal, on GST, on the farmers’ bills. A few weeks ago, he spoke for more than half an hour on industrialist Gautam Adani, and showed a photograph of Modi with Adani inside the House. Nobody stopped him. The Speaker allowed him full time to speak. It is therefore difficult to understand why Rahul alleged in London that opposition is not allowed to debate in Parliament and why its voice is being stifled. Did he presume that his audience there were not aware about the ground realities in India? It is strange how anybody can think on those lines in this Digital India age. The most worrying part was when Rahul, at a London programme, pointed towards a Sikh sitting in the audience and alleged that Mr Narendra Modi considers Sikhs as second class citizens. In his blind opposition to Modi, Rahul should not forget that anti-Indian forces can take advantage of such loose remarks. Such statements can be used to foment tension in India. Rahul Gandhi should avoid making such remarks.
CBI AND LALU PRASAD
On Tuesday, CBI officials questioned former Bihar chief minister and RJD supremo Lalu Prasad Yadav in Delhi for nearly five hours in the ‘land for jobs’ scam. Lalu Yadav is unwell. He underwent kidney transplant in Singapore and doctors have put restrictions on meeting outside visitors. It would have been better if the questioning could have been postponed, but it would be incorrect to say that Modi government is trying to target Lalu Yadav because his party has entered into an alliance with Nitish Kumar’s JD(U). The ‘land for jobs’ scam surfaced when JD(U) leader Lallan Singh complained to CBI when Dr Manmohan Singh was prime minister. Now, neither Tejashwi Yadav will ask Lallan Singh why he complained against Lalu Yadav, nor Lallan Singh will now level corruption charges against the RJD supremo, since both the parties have now joined hands. On the contrary, Lallan Singh will now say that CBI is committing excess against Lalu Yadav and investigation agencies are being misused.
ASHOK GEHLOT AND MARTYRS’ WIDOWS
Rajasthan chief minister Ashok Gehlot is facing flak after some police personnel misbehaved with the widows of Pulwama terror attack martyrs recently. Defence Minister Rajnath Singh has asked Gehlot to probe the incident and ensure that the promises made to the widows are fulfilled. Congress leader Sachin Pilot also wrote a letter to his CM making the same request. The misbehaviour with the widows of martyrs is really shameful. Action must be taken against the police personnel responsible. The martyrs’ families have not put any fresh demand. They are only demanding that the promises that were made by the government after Pulwama attack be fulfilled. There is nothing wrong in this. The promises were made four years ago. Our CRPF jawans had given their supreme sacrifice. Is it not the responsibility of the government to take care of the martyrs’ families? They are demanding jobs for their family members. These widows were demanding that statues of the martyrs be erected, but police personnel, with lathis, started beating them up. It brings nothing but shame to our society.
यूपी में योगी माफिया गिरोहों को मटियामेट कर रहे हैं
समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने हाल में हुए पुलिस एनकाउंटर और उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किए जाने पर सवाल उठाया है। शिवपाल यादव का कहना है कि अपराधियों को पकड़ना पुलिस का काम है और सज़ा देना अदालत का काम है। बुलडोजर और गोली चलाना ठीक नहीं है। लेकिन सच्चाई यह कि यूपी में माफिया की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उनको खत्म करने के लिए पुराने तौर-तरीके काम नहीं आएंगे। सख्त कार्रवाई की जरूरत है। अब तक योगी आदित्यनाथ की सरकार अतीक अहमद और उसके सहयोगियों की करीब 11 सौ करोड़ से ज्यादा की सम्पति पर या तो बुलडोजर चलवा चुकी है या जब्त कर चुकी है। लेकिन इससे अतीक अहमद के गिरोह पर कोई असर नहीं पड़ा। प्रयागराज से करीब 12 सौ किलोमीटर साबरमती जेल में बैठकर वह प्रयागराज में हत्याएं करवा रहा है। अगर अतीक के आंतक को खत्म करना है तो फिर उसके गैंग को खत्म करना ही होगा। इसलिए योगी का एक्शन ठीक है। अतीक अहमद हों या फिर मुख्तार अंसारी, इनके गिरोह में सिर्फ अपराधी ही नहीं हैं बल्कि ऐसी खबरें हैं कि पुलिस में मौजूद कुछ लोग भी इनके मददगार हैं। जेल इनके लिए साजिशों को अंजाम तक पहुंचाने की सुरक्षित पनाहगार बन जाती है। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल के अंदर अधिकारियों को हुक्म देता था। अब्बास अंसारी की पत्नी को जेल में अपने पति से बेरोक-टोक मिलने की छूट थी। हाल में एक छापे के दौरान पता चला कि जेलर से लेकर जेल सुप्रिटेंडेंट तक उससे मिले हुए थे। जेल के अंदर पैसे, गिफ्ट और ऐशो-आराम की चीजें मुहैया कराई जाती थीं। सोमवार को जेल सुप्रिटेंडेंट, जेलर और वार्डन को गिरफ्तार कर लिया गया। योगी आदित्यनाथ की सरकार को छह साल होने वाले हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ 10 हज़ार 760 ऑपरेशन किए और मुठभेड़ों में 178 अपराधियों को ढेर कर दिया। 4900 अपराधी घायल हुए जबकि 23 हजार से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं इन मुठभेड़ों में यूपी पुलिस के 15 जवान शहीद हुए जबकि 1425 जवान घायल हुए हैं। इन आंकड़ों पर उन लोगों को ध्यान देना चाहिए जो यूपी पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का इल्जाम लगाते हैं। बड़ी बात यह है कि आज यूपी में क़ानून का राज है, आमलोग चैन और शांति से रहते हैं। अब लोगों को घर से बाहर निकलने में डर नहीं लगता। उत्तर प्रदेश की बहन-बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं और किसी भी मुख्यमंत्री के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।
ब्रिटेन में राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों ब्रिटेन में हैं और वहां भी उन्होंने नरेंद्र मोदी की सरकार को कोसना जारी रखा। चाहे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उनका संबोधन हो या फिर प्रवासी भारतीयों के बीच उनका भाषण, राहुल के निशाने पर मोदी सरकार ही रही। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। मुझे इस बात की शिकायत नहीं है कि राहुल गांधी ने लंदन में जाकर क्या बोला और वहां क्यों बोला? डिजिटल मीडिया के ज़माने में इस बात का कोई मतलब नहीं है कि कौन कहां बोलता है। सबकी बात सारी दुनिया कहीं भी, कभी भी, देख सकती है और सुन सकती है। मुझे तो लगता है कि लंदन में लोग राहुल की यह बात सुनकर हैरान हुए होंगे कि उन्हें देश में बोलने की आजादी नहीं है और विपक्ष का गला घोंटा जा रहा है। क्योंकि वहां के लोगों ने भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल के भाषण सुने होंगे। संसद में राहुल का भाषण देखा होगा। सब जानते हैं कि राहुल तो भारत में हर बात पर बोलते हैं। चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी हो, या फिर चीन का मुद्दा हो, जितना और जैसा चाहें वैसा बोलते हैं। कोई नहीं रोकता। राहुल गांधी जब संसद में इन सारे विषयों पर बोलते हैं तो सारे टीवी चैनल लाइव दिखाते हैं। भारत जोड़ो यात्रा का भाषण हो या राहुल की प्रेस वार्ता, लोग उनके भाषणों को आज भी यूट्यूब और विभिन्न वेबसाइटों पर देख सकते हैं। इसलिए इस बात पर तो कोई यक़ीन नहीं करेगा कि राहुल को बोलने की आज़ादी नहीं है । बल्कि लोग यह कहेंगे कि समस्या ये है कि इंडिया हो या लंदन, राहुल वही बातें बोलते हैं। न शब्द बदलते हैं,न भाव बदलते हैं, न इल्जाम बदलते हैं और न किरदार बदलते हैं। सिर्फ जगह बदलती है। बेहतर होता राहुल लंदन जाकर कुछ नया बोलते, तीखा बोलते, तथ्यों और आंकड़ों के साथ बोलते, फिर किसी को सवाल उठाने का मौका नहीं मिलता।
सीबीआई, राबड़ी देवी और विपक्ष
सोमवार को पटना में सीबीआई की टीम ने ‘नौकरी के बदले जमीन’ मामले में बिहारी की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके घर पर चार घंटे तक पूछताछ की। राबड़ी देवी से पूछताछ करने के लिए सीबीआई की टीम अचानक नहीं पहुंची थी। सीबीआई ने पहले नोटिस दिया था और राबड़ी देवी को पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन राबड़ी देवी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सीबीआई से घर पर पूछताछ करने का अनुरोध किया था। जगह, वक्त और तारीख राबड़ी देवी ने ही तय की थी। मंगलवार को सीबीआई की टीम लालू की बेटी मीसा भारती के दिल्ली स्थित घर पर भी लालू यादव से पूछताछ करने पहुंची। लालू सिंगापुर में हुई सर्जरी के बाद इन दिनों मीसा भारती के घर पर ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। सोमवार को कई विपक्षी नेताओं शरद पवार, संजय राउत, अरविंद केजरीवाल, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने का आरोप लगाया और इसकी निंदा की।
अरविन्द केजरीवाल इसलिए चिंतित हैं क्योंकि उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में दिल्ली की एक अदालत ने 20 मार्च तक के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है। केजरीवाल सीबीआई और ईडी के एक्शन को मुद्दा बनाकर एनसीपी, शिवसेना, सपा, राजद, नेशनल कॉन्फ्रेंस, टीएमसी, बीआरएस जैसी अन्य पार्टियों को मिलाकर मोदी विरोधी मोर्चा बनाना चाहते हैं। उन्हें तेजस्वी यादव, शरद पवार, ममता बनर्जी, केसीआर, फारूख अब्दुल्ला, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे का समर्थन भी मिल गया है। लेकिन नोट करने वाली बात यह है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस और जेडीयू ने केजरीवाल का साथ नहीं दिया। कांग्रेस का कहना है कि कुछ मामलों में सीबीआई और ईडी का एक्शन राजनीति से प्रेरित होता है लेकिन दिल्ली में मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीाई का एक्शन बिल्कुल ठीक है। कांग्रेस का कहना है कि जिस तरह मोदी सरकार सीबीआई और ईडी विरोधियों को परेशान कर रही है ठीक उसी तरह से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके कांग्रेस के नेताओं को निशाना बना रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जहां अपने विजिलेंस डिपार्टमेंट की कार्रवाई को कानूनी बताते हैं, वहीं दिल्ली में सीबीआई और ईडी की कार्रवाई को अवैध और राजनीति से प्रेरित बताते हैं। यह दोहरे मापदंड के अलावा और कुछ नहीं है।
How Yogi is decimating mafia gangs
Samajwadi Party leader Shivpal Yadav has questioned recent police encounters and demolitions of the properties of those accused in Umesh Pal murder case. He has said it is the responsibility of courts, not the police, to punish criminals. The fact is, the roots of mafia gangs in UP are so deep that strong action, rather than conventional measures, is required. Till now, Yogi Adityanath’s government has either demolished or attached more than Rs 1100 crore worth properties of Atiq Ahmed and his associates, but it didn’t completely stop the activities of his criminal gang. Sitting 1200 km away in Sabarmati Jail, Atiq Ahmed masterminded the killing of Umesh Pal in Prayagraj. Yogi is working in the right direction. He has decided to finish off the terror unleashed by criminal gangs, whether they belong to Atiq Ahmed or Mukhtar Ansari. There are reports of even some policemen helping these gangs. Jails have become protective asylums for these criminal dons. Gangster Mukhtar Ansari’s son Abbas Ansari used to order officials inside Chitrakoot jail. His wife was allowed easy access to meet him in a closed room. During a recent raid, it was found that officials, right from jailors to jail superintendent, were in cahoots with the gangster. Money, gifts and other luxuries were being provided to Mukhtar’s son inside jail. On Monday, the jail superintendent, jailor and warden were arrested. Chief Minister Yogi Adityanath is going to complete six years of his rule. According to official statistics, in the last six years, UP police carried out 10,760 operations against criminals, and 178 criminals were killed in encounters. Nearly 4,900 criminals were injured and more than 23,000 criminals were arrested. Fifteen UP policemen were martyred and 1,425 were injured in encounters. Those who allege fake encounters by UP Police must go through these statistics carefully. The moot point is that there is now rule of law in UP, the common man is living in peace and there is no fear when people move out of their homes. Women in UP also feel secure and this is a big achievement for any chief minister.
RAHUL GANDHI IN UK
Congress leader Rahul Gandhi continued to criticize Narendra Modi’s government in the United Kingdom in his speech at Cambridge University or while addressing Indian diaspora. He alleged that the voice of opposition in Parliament is being stifled. I have no objection to Rahul Gandhi saying this on foreign soil. In this age of global digital media, it matters the least where one speaks . Anybody from anywhere across the globe can watch somebody saying from anywhere. I feel people in London must have been surprised when they watched Rahul say that there is no freedom of speech in India and that the opposition’s voice is being muzzled. People in UK must have watched Rahul making his points while undertaking his Bharat Jodo Yatra. They must have watched his speeches in Parliament. People in UK know Rahul has spoken on all issues in India, whether it was demonetization, GST, pandemic lockdown and China. He spoke on all these issues and nobody stopped him. When Rahul spoke on these issues in Parliament, most of the news channels telecast his speech live. People can watch his speeches even today on YouTube and different websites. So, nobody will believe Rahul’s allegation that there is no freedom of speech in India. Rather, people will say that Rahul speaks the same words, delivers the same dialogues, and levels the same allegations, without any change in nuances. Only the locations change, not the character. It would have been better had Rahul spoken something new, something sharp, backed by facts and figures. Then nobody could have got the chance to raise questions.
CBI, RABRI DEVI AND OPPOSITION
On Monday, in Patna, CBI sleuths questioned Rabri Devi for four hours at her residence in the ‘land for jobs’ scam. This was not a sudden one. CBI had given notice in advance, it had summoned her but Rabri Devi, citing health issues, requested the CBI to question her at home. The time, place and date were decided by Rabri Devi. CBI also went to Lalu’s daughter Misa Bharati’s residence in Delhi on Tuesday to question ailing RJD supremo Lalu Prasad Yadav, who is convalescing after a major surgery in Singapore. On Monday, several opposition leaders Sharad Pawar, Sanjay Raut, Arvind Kejriwal, Priyanka Gandhi and Tejashwi Yadav denounced this questioning and alleged that Modi government is trying to harass political rivals.
Kejriwal is worried because his close aide Manish Sisodia has been sent to Tihar jail till March 20 by a Delhi court in connection with Delhi liquor excise scam. Kejriwal wants to forge an anti-Modi front with other parties like NCP, Shiv Sena, SP, RJD, NC, TMC, BRS. He has got the support of Tejashwi Yadav, Sharad Pawar, Mamata Banerjee, K Chandrashekhar Rao, Dr Farooq Abdullah, Akhilesh Yadav and Uddhav Thackeray, but Congress and Janata Dal (United) are not in this list. Congress says, CBI and ED action in some matters could be politically motivated, but in the case of Manish Sisodia, CBI action was appropriate. In Punjab, Congress, which is in opposition, has alleged that the AAP government is misusing investigative agencies to target opposition leaders. While Punjab CM Bhagwant Mann describes his vigilance department’s action as legal, he brands CBI and ED’s action in Delhi as illegal and politically motivated. This is nothing but double standards.
राहुल अपने शब्दों के चयन में सावधानी बरतें
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेशी धरती पर आरोप लगाकर एक नए विवाद को जन्म दिया है । ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय मे अपने भाषण में राहुल ने कहा कि ‘भारतीय लोकतंत्र खतरे में है’ और उनके सहित विपक्ष के कई अन्य नेताओं के फोन पर निगरानी रखी जा रही है।
राहुल कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल के विजिटिंग फेलो के रूप में व्याख्यान दे रहे थे । राहुल गांधी ने कहा, “मेरे विचार से नरेंद्र मोदी भारत के पूरे ढांचे को कमज़ोर कर रहे हैं। मुझे उनकी दो- तीन अच्छी नीतियों से मतलब नहीं है। वह हमारे देश को टुकड़ों में बांट रह हैं, मुझे लगता है वह भारत पर एक ऐसा विचार थोप रहे हैं, जिसे भारत आत्मसात नहीं कर सकता, क्योंकि भारत राज्यों का एक संघ है। यह आम सहमति से बना है और अगर आप एक विचार को संघ (देश) पर थोपने की कोशिश करेंगे तो प्रतिक्रिया तो होगी ।”
राहुल ने आरोप लगाया कि उनके समेत बड़ी संख्या में विपक्ष के नेताओं के फोन पर इजरायली पेगासस स्पाईवेयर से निगरानी हो रही थी । “मेरे अपने फोन में भी पेगासस लगा था। हमारे यहां बहुत से राजनेताओं के फोन में पेगासस लगा था । यह एक तरह का दबाव है, जिसमें हम काम कर रहे हैं ।”
भाजपा ने राहुल गांधी के इस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया दी । सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह मोदी विरोध के नाम पर विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने का “शर्मनाक प्रयास” है। उन्होंने कहा ‘पेगासस स्पाईवेयर लगा है या नहीं, यह जांचने के लिए उन्हें (राहुल गांधी को) अपना सैलफोन जमा न कराने के पीछे क्या मजबूरी थी? वह भ्रष्टाचार के एक मामले (नेशनल हेराल्ड) में पहले से ही जमानत पर हैं। उनके फोन में ऐसा क्या था जिसे वह छिपाना चाहते थे ? उन्होंने और अन्य नेताओं ने अपने फोन जांच के लिए क्यों नहीं सौंपे?”
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों का बिंदुवार खंडन किया। एक लंबे ट्विटर थ्रेड में हिमंत विश्व शर्मा ने लिखा, “पहले विदेशी एजेंट हमें निशाना बनाते हैं! फिर एक विदेशी भूमि पर हमारे अपने हमें निशाना बनाते हैं! कैंब्रिज में राहुल गांधी का भाषण कुछ और नहीं, सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की आड़ में विदेशी धरती पर हमारे देश को बदनाम करने का एक बेशर्म प्रयास था।
“वहां जाकर “राहुल कहते हैं कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है, क्योंकि उनके पास स्वतंत्र अभिव्यक्ति नहीं हैं। जबकि तथ्य यह है कि उन्होंने मोदी सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा के कारण देश में 4000 किलोमीटर लम्बी यात्रा बिना किसी अड़चन के पूरी की। क्या हमें उन्हें याद दिलाने की जरूरत है कि जब भाजपा नेताओं की यात्राएं निकलती थीं और कांग्रेस सत्ता में थी तो किस तरह उनमें अडंगे डाले जाते थे?
“राहुल कह रहे हैं कि पेगासस स्पाईवेयर उनके फोन में पाया गया था और एक “अधिकारी” ने उन्हें इसके बारे में सतर्क किया था । तथ्य यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा तो उन्होंने (राहुल ने) जांच के लिए अपना फोन जमा करने से इनकार कर दिया। व्यापक जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पेगासस स्पाईवेयर लगाये जाने का कोई सबूत नहीं था।
“राहुल कहते हैं कि भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं और उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाता है। तथ्य यह है कि मई 2014 के बाद से भारत में सांप्रदायिक हिंसा सबसे कम रही है और अल्पसंख्यक परिवारों की समृद्धि अब तक की सबसे अधिक स्तर की है। कई अल्पसंख्यक नेताओं ने मोदी सरकार में अपना विश्वास दोहराया है।
” राहुल कहते हैं कि भारत यूरोप की तर्ज़ पर बना राज्यों का संघ है। जबकि तथ्य यह है कि भारत और उसके महाजनपद एक सभ्यता इकाई के रूप में हजारों साल पहले अस्तित्व में थे। तब तक यूरोप एक राजनीतिक इकाई बना भी नहीं था, तो फिर ये क्यों कह रहे हैं कि भारत यूरोप की तर्ज़ पर बना है?
“राहुल ने कहा कि चीन विश्व की एक महाशक्ति बनना चाहता है। उन्होने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का ज़िक्र किया. तथ्य ये है कि बीआरआई के कारण आज कई देश कर्ज़ संकट का सामना कर रहे हैं. क्या उनके अंकल सैम पिट्रोदा ने उन्हें ये बात नहीं बताई?
“राहुल कहते हैं कि मैन्यूफैक्चरिंग लोकतंत्र के लिए अनुकूल नहीं है। तथ्य यह है कि जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया था तो मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि नहीं हुई, लेकिन जब मोदी सरकार ने पीएलआइ योजना शुरू की तो मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि हुई। क्या कांग्रेस का 2024 का एजेंडा भारत को कम्युनिस्ट तानाशाही युग में वापस ले जाना है?
“राहुल आगे कहते हैं कि चीन बौद्धिक संपदा अधिकारों में विश्वास नहीं करता और यह एक गहन और शक्तिशाली अवधारणा है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या पी. चिदंबरम भी सोचते हैं कि कॉपीराइट कानूनों को खत्म करने और चोरी को बढ़ावा देने से मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा?”
“राहुल स्वीकार करते हैं कि वह चीन से आकर्षित हैं और वहां की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों ने उनके विचारों को प्रभावित क्या है। चीनियों के लिए इतनी प्रशंसा समझ में आती है। गांधी परिवार चीन से मिले दान के एवज में अपना कर्ज चुकाने की कोशिश कर रहा है!
“राहुल कहते हैं कि कश्मीर में उन्हें आतंकवादियों ने देखा, लेकिन उन्हें पता था कि वे उन्हें निशाना नहीं बनाएंगे। अगर यह सच था तो सुरक्षा एजेंसियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई? क्या राहुल को बचाने के लिए कांग्रेस की इन आतंकवादियों के साथ कुछ सांठगांठ थी?”
“राहुल ने पुलवामा हमले को एक कार बम के रूप में वर्णित किया, जिसमें 40 सैनिक मारे गए थे। ऐसा कहकर उन्होंने हमारे जवानों का अपमान करने की हिम्मत कैसे की? श्रीमान जी यह बम नहीं था, एक आतंकी हमला था। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का नाम लेने से इनकार कर दिया। क्या यह भी आतंकवादियों के साथ कांग्रेस की सांठगांठ का एक हिस्सा है?”
अनुराग ठाकुर और हिमंत विश्व शर्मा के अलाव केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी निशाना साधा। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘राहुल को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी सुई एक ही जगह फंसी है।”
विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी का यह अधिकार बनता है कि पेगासस स्पाईवेयर पर सवाल उठाएं लेकिन जब उन्होंने यह आरोप विदेशी धरती पर लगाया तो उन्हें यह भी बताना चाहिए था कि सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले को देखा और उसे कोई सबूत नहीं मिला।
भाजपा नेता अब कह रहे हैं कि ऐसे समय में जबकि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चानी सेना के आमने-सामने हैं, राहुल चीन की प्रशंसा कर रहे हैं। एक बीजेपी नेता ने कहा, दुनिया में चीन के तीन ही दोस्त बचे हैं: पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और राहुल गांधी। यह भले ही मजाक में कहा गया हो, लेकिन संदेश साफ है कि राहुल को कैंब्रिज में बोलते समय अपने शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए था।