KARNTAKA CRISIS RESOLVED
After four days of hectic parleys, the Congress on Thursday announced, former CM Siddaramaiah will take oath as the next chief minister of Karnataka, while state party president D K Shivakumar will be sworn in as deputy chief minister. The new cabinet will be sworn in on May 20 at 12.30 pm in Bengaluru, said party general secretary K C Venugopal. Shivakumar will continue as state party president till 2024 Lok Sabha polls are over, he said. He did not reveal the power-sharing formula agreed upon between the two claimants for CM post. Till Wednesday night, Shivakumar was adamant and wanted the chief minister’s post for himself, but he later relented due to pressures from Gandhi family. Apart from fulfilling electoral promises, the Congress wants to come out with a good result from Karnataka in next year’s Lok Sabha elections. In the 2019 LS polls, Congress won only one out of a total of 28 LS seats. The lone seat was won by D K Shivakumar’s brother D K Suresh. The Congress high command knows that for scoring a good result in LS polls, the party leaders will have to work unitedly. Now that the rapprochement has taken place, the party hopes for the best in next year’s LS polls.
BAGESHWAR DHAM CHIEF’S BIHAR VISIT
Bageshwar Dham chief Dhirendra Krishna Shastri left Bihar after a four-day visit, with thousands of devotees following him to the airport tarmac. On Wednesday, posters of Shastri were found blackened and defaced with the numerals ‘420’ written on some of them. BJP leaders Manoj Tiwari and Vijay Sinha demanded action against those who defaced the posters. In reply, RJD leader Mrityunjay Tiwari challenged BJP to project Dhirendra Krishna Shastri as its chief ministerial candidate in Bihar. Shastri will now visit Gujarat. Three points are clear from the political comments made by Bihar politicians: One, Lalu Yadav’s Tej Pratap Yadav had threatened not to allow Shastri to enter Bihar, but the latter came, stayed for four days in Bihar and gave sermons at his ‘durbar’. Huge crowds assembled at the pandal, while RJD leaders watched the spectacle silently. Two, RJD leaders levelled charges against Shastri for violating the Constitution and laws, but looking at his huge popularity, they could not summon the courage to file FIR or take action against him. Three, when a senior RJD leader described Dhirendra Krishna Shastri as a ‘madaari’ (juggler) fooling the people, Shastri replied: ‘Same to you’. When the baba was told that his posters were defaced and blackened, he replied, ‘how can anybody erase the faith of our devotees?’ Dhirendra Krishna Shastri’s replies are quick-witted, and through such repartees, he silenced his political rivals. He carried on with his sermons and left Bihar, and nobody could stop him. It could have been better if RJD and JD-U leaders had attended his discourse and remained silent instead of making political comments. Shastri would then have been deprived of his chance to make his quick repartees.
‘UNHOLY’ ACT AT TRIMBAKESHWAR SHRINE
The Shiv Sena-BJP government in Maharashtra has formed a Special Investigation Team to probe how a group of Muslim youths tried to enter the famous Trimbakeshwar temple, in Nashik, considered a holy Jyotirlinga shrine by Hindus, on May 13 night. The youths, numbering 10 to 12, tried to enter the sanctum sanctorum by carrying a green ‘chadar’ and a sheet of flowers, but on seeing security guards, they quickly left the place. On Tuesday, the temple was ‘purified’ with holy Godavari water and cow urine, and the jyotirlinga was washed with water brought from seven rivers. Entry of non-Hindus is barred in this shrine. An FIR has been filed against four persons, including a Muslim dargah caretaker Matin and Salim Syed. Matin Syed said, ‘sandal yatra’ takes place every year on behalf of Muslims till the main gate of the temple, but Hindu leaders say, nobody is allowed to enter the shrine. Matin Syed said, their livelihood depends upon devotees who visit the shrine daily, and every year they offer ‘lobaan’ (frankincense) outside the temple. Hindu outfit activists staged protests at Shivaji Chowk on Tuesday, and security at the shrine has now been beefed up. Hindu outfits are demanding action under MCOCA Act against those who violated the sanctity of the shrine. Shiv Sena (Uddhav) leader Sanjay Raut said, this was a BJP conspiracy. BJP leader Tushar Bhosale replied, Shiv Sena (Uddhav) has now become an anti-Hindu party and it seems Sanjay Raut has stopped being a Hindu. NCP leader Chhagan Bhujbal said, several Muslim artistes had performed in the temple premises in the past, but nobody raised the issue at that time. He also alleged that the BJP was trying to divert attention from real issues. Trimbakeshwar is one of the 12 Jyotirlingas spread across India, and is considered holy by millions of Hindus. If any mischief occurs at a holy shrine, the sentiments of Hindus are hurt. It is a good thing that Deputy CM Devendra Fadnavis immediately ordered SIT probe, and those who tried to enter have also come forward with their versions. One should wait for the inquiry report and there should be no politics on this score.
कर्नाटक में सस्पेंस बरकरार
कर्नाटक के नतीजे आए चार दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. बुधवार को मुख्यमंत्री पद के दोनों मुख्य दावेदार – सिद्धरामैया और डी के शिवकुमार ने सोनिया और राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे से मुलाकात की, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, हालांकि मीडिया की खबरों के मुताबिक, सिद्धरामैया सीएम बनेंगे, और शिवकुमार डिप्टी सीएम पद के साथ कई महत्वपूर्ण विभाग संभालेंगे. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 48 से 72 घंटे के अन्दर नयी सरकार शपथ लेगी. सिद्धरामैया कह रहे हैं कि 90 से ज्यादा विधायक उनके साथ हैं, उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, जबकि डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि सभी 135 विधायक उनके हैं, कांग्रेस पार्टी उनकी मां है, और मां अच्छी तरह समझती है कि उसके बच्चे को क्या चाहिए, इसलिए वो कुछ नहीं कहेंगे, कुछ नहीं मांगेंगे, न किसी की पीठ में छुरा घोंपेंगे और न बगावत करेंगे । मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को मशक्कत करनी पड़ रही है, इसमें कोई नई बात नहीं है. जब भी कोई पार्टी विषम परिस्थितियों में जीतती है, लंबी लड़ाई के बाद सफलता हासिल करती है तो जीत के कई दावेदार होते हैं. कर्नाटक में दो दावेदार तो सामने दिखाई दे रहे हैं, कई पर्दे के पीछे हैं, इसलिए फैसला करना आसान नहीं होगा. सिद्धरामैया का दावा है कि उनके साथ ज्यादा एमएलए हैं, डीके का दावा है कि जीत में उनका योगदान ज्यादा है. सिद्धरामैया की अपील है कि उम्र को देखते हुए उनके लिए आखिरी मौका है, डीके का कहना है कि गांधी परिवार के प्रति उनकी लॉयल्टी को देखते हुए चांस तो उनका बनता है. मुझे लगता है कि एक दो दिन में मामला सुलझ जाएगा. कांग्रेस ऐसी गलती नहीं करना चाहती कि एक और राजस्थान खड़ा हो जाए. इसलिए सोच-विचार करके टाइम लगाकर ही फैसला करने में समझदारी है.
बिहार में बागेश्वर धाम प्रमुख को लेकर सियासत
बिहार में धीरेन्द्र शास्त्री के दरबार ने सियासत को गरम कर दिया है. जेडी-यू और आरजेडी के नेताओं ने धीरेन्द्र शास्त्री पर हमले शुरू कर दिए हैं. लालू यादव ने कहा कि ये कोई बाबा नहीं है, आरजेडी नेता जगदानंद सिंह ने कहा कि मदारी भी डुगडुगी बजाता है, तो भीड़ जुट जाती है इसलिए धीरेन्द्र शास्त्री के दरबार में भीड़ जुटना कौन सी बड़ी बात है. जवाब में गिरिराज सिंह ने कहा कि जो लोग जालीदार टोपी लगाकर इफ्तार पार्टियों में जाते हैं, उन्हें हनुमान कथा कहने वाला जोकर ही लगेगा. धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर इस तरह की खूब बयानबाजी हुई. धीरेन्द्र शास्त्री की कथा से ज्यादा चर्चा उनको लेकर हुई राजनीति पर हो रही है, लेकिन धीरेन्द्र शास्त्री अपने काम में लगे हैं, और उन्हें सुनने देखने के लिए जिस तरह से लाखों की भीड़ उमड़ी है, उसे देखकर हर कोई हैरान है. दिन हो या रात, कथास्थल हो या बाबा का होटल, पटना में चारों तरफ सिर्फ बाबा के भक्तों की भीड़ दिख रही है, ट्रैफिक जाम है. भयानक गर्मी में लोग बाबा की एक झलक पाने के इंतजार में कई कई घंटों से सड़क पर खड़े हैं. लालू यादव के बेटे और बिहार सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री बिहार के लोगों को गाली दे रहे हैं, सबको पागल कह रहे हैं, उनके प्रोग्राम में लोगों की तबीयत खराब हो रही है, ऐसा इंसान कोई बाबा नहीं हो सकता. तेजप्रताप ने कहा कि बिहार में आकर बिहारियों को गाली देने वालों को हमेशा याद रखना चाहिए कि गाली देने वालों पर श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चलाया था. गिरिराज सिंह को जवाब देने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देरी नहीं की. नीतीश कुमार से जब ये पूछा गया कि बाबा के दरबार से भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही जा रही है, तो नीतीश ने कहा कि ये फिजूल की बातें हैं, वो इस पर ध्यान भी नहीं देते. एक बात नोट करने वाली है. तेजप्रताप यादव ने पहले धमकी दी थी कि वो धीरेन्द्र शास्त्री को बिहार में घुसने नहीं देंगे लेकिन जब धीरेन्द्र शास्त्री की कथा के पंडाल लगे, उनके पहुंचने से पहले ही लाखों की संख्या में भक्त पहुंच गए , तो लोगों की तादाद देखकर तेजप्रताप खामोश हो गए. लेकिन आरजेडी के एक नेता ने उन्हें मदारी कह दिया, जेडीयू के नेताओं ने भी कटाक्ष किए . मुझे हैरानी है जिस व्यक्ति के लिए लाखों लोग पहुंचे, दिन हो या रात, मैदान हो या होटल, लोगों की ऐसी दीवानगी दिखाई दी, भारी गर्मी में बिना सुविधाओं के लोग बागेश्वर धाम के बाबा के लिए पहुंचे, जब किसी के पास इतना जन समर्थन हो , तो उसका विरोध करने की क्या जरूरत? धीरेंद्र शास्त्री का विरोध इसलिए किया जा रहा है कि उनकी कथा में मंच पर बीजेपी के बड़े-बड़े नेता पहुंचे? क्या सिर्फ इसलिए आरोप लगाया गया कि बीजेपी माहौल खराब करने के लिए धार्मिक उन्माद पैदा करने के लिए धीरेन्द्र शास्त्री को बिहार लाई है? इससे ज्यादा समझदारी तो मध्यप्रदेश में नेताओं ने दिखाई थी,जहां शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ दोनों बागेश्वर धाम पहुंचे थे.
धर्मांतरण के ज़रिए आतंक
मध्य प्रदेश पुलिस ने युवकों और युवतियों का ब्रेनबॉश करके उनका धर्मपरिर्वतन कराने वाले एक गिरोह को पकड़ा है . इस गिरोह में शामिल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है . मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वो मध्य प्रदेश में एक और केरला स्टोरी नहीं बनने देंगे. 11 लोगों को भोपाल से और पांच लोगों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है. इन लोगों पर हिन्दुओं को बहला फ़ुसलाकर इस्लाम क़ुबूल करवाने का इल्जाम है. दावा ये किया गया है कि ये सारे लोग हिज़्ब उत तहरीर नाम के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के लिए काम कर रहे थे. ये संगठन दुनिया के पचास देशों में फैला है, इसके 10 लाख से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं और इस संगठन को ISIS से भी ज्यादा कट्टर माना जाता है . सरकार ने केस की जांच मध्य प्रदेश के एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) को सौंपी है. ATS ने भोपाल से जिन 11 लोगों को अरेस्ट किया है, इनमें से तीन ऐसे हैं, जो हिंदू और जैन धर्म छोड़कर इस्लाम में कनवर्ट हुए थे. और इसके बाद इन तीनों ने चार हिंदू लड़कियों को इस्लाम क़ुबूल कराया था, उनके नाम बदल दिए और उनसे शादी कर ली. तेलंगाना की पुलिस ने हैदराबाद से पांच लोगों को गिरफ़्तार किया. गिरफ़्तार लोगों में कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, तो कोई जिम ट्रेनर, कोई कोचिंग सेंटर चला रहा था, तो कोई कंप्यूटर टेक्निशियन है. 11 आरोपी भोपाल के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे थे. पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में हथियारों की ट्रेनिंग का एक कैंप भी लगाया था. सारे लोग, कट्टरपंथी मुस्लिम प्रचारक ज़ाकिर नाइक से प्रेरित थे. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा कि ये मामला तो लव जिहाद से भी आगे की बात है. ऊंचे तबक़े के पढ़े लिखे लोग, बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन करा रहे थे, लोगों को जिहाद के लिए तैयार कर रहे थे. नरोत्तम मिश्र ने बताया कि पकड़ा गया एक आरोपी, हैदराबाद में ओवैसी के छोटे भाई के कॉलेज में काम करता था. मध्य प्रदेश ATS की अब तक की जांच में पता चला है कि गिरफ़्तार तीन लोग इस्लाम में कनवर्ट हो चुके थे. वेणु कुमार, अब्बास अली बन गया था. देवीप्रसाद पांडे ने इस्लाम कबूल करके अपना नाम अब्दुर्रहमान रख लिया था. ये दोनों हैदराबाद में रह रहे थे, जबकि सौरभ राजवैद्य मुहम्मद सलीम बन गया था. उसने इस्लाम क़ुबूल कर लिया उसके बाद उसने मानसी नाम की लड़की से शादी की और उसका भी धर्म परिवर्तन करा दिया. मध्य प्रदेश पुलिस ने जो खुलासा किया है, उसमें नोट करने वाली बात ये है कि धर्म परिवर्तन का धंधा तेरह साल से चल रहा था. सौरभ राजवैद्य ने 2010 में इस्लाम कबूल किया था ,इसके बाद वो खुद धर्म परिवर्तन कराने के खेल में शामिल हो गया, कई हिन्दू लड़कों और लड़कियों को इस्लाम कबूल करवाया, इसीलिए मध्य प्रदेश पुलिस का कहना है कि अभी तो सिर्फ 16 लोग पकड़े गए हैं, जांच आगे बढ़ेगी तो और भी मामले सामने आएंगे. हालांकि अब कुछ लोग ये कहेंगे कि संविधान हर नागरिक को अपनी मर्जी के हिसाब से किसी भी धर्म को फॉलो करने की आजादी देता है, तो अगर कोई हिन्दू इस्लाम कबूल करता है तो गलत क्या है ? ये बात सही भी है, लेकिन ये भी सही है कि साजिश के तहत, लालच देकर, बहला फुसलाकर या दबाव बनाकर किसी का धर्म परिवर्तन कराने की इजाजत संविधान नहीं देता. मध्य प्रदेश में जो मामला सामने आया है उससे लगता है कि लोगों को गुमराह करके देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करने की साजिश के तहत इस्लाम कबूल करवाया गया, इसलिए इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और हकीकत सामने आनी ही चाहिए, क्योंकि इस तरह की हरकतों से देश का माहौल खराब होता है.
KARNATAKA: THE SUSPENSE CONTINUES
The suspense over the post of chief minister in Karnataka continued on Wednesday with both claimants Siddaramaiah and D K Shivakumar meeting Congress leaders Sonia and Rahul Gandhi, amidst media reports that Siddaramaiah may be made the CM and Shivakumar may become deputy CM with several plum portfolios. Later reports said, Shivakumar does not want Siddaramaiah to become the CM. The situation continues to be fluid with no formal announcement made till afternoon. The Sri Kanteerava stadium in Bengaluru is being kept ready for the oathtaking ceremony. Party spokesperson Randeep Surjewala said, the oathtaking ceremony will take place within the next 48 to 72 hours. He said, talks for the post of CM are still continuing and no final decision has yet been taken. The top Congress leadership is trying its best to work out an amicable agreement. This is not a new phenomenon. Whenever the Congress wins after fighting a long battle, several leaders try to claim credit for the victory. The two main claimants are known to all, but there are some others behind closed doors. Taking a decision may not be easy for the high command. Siddaramaiah claims he has the majority support of newly elected MLAs, while D K Shivakumar claims that his contribution to the party’s victory is big. Siddaramaiah wants a last chance to become CM, given his age, while DK Shivakumar says, his loyalty to the Gandhi family must be taken note of. A solution may be reached within a day or two. Congress does not want to commit any mistake that can create a Rajasthan type crisis.
CONTROVERSY OVER BAGESHWAR DHAM HEAD IN BIHAR
The Hanumant Katha organized by Bageshwar Dham head Dhirendra Krishna Shastri in Naubatpur near Patna has drawn huge crowds on all five days. Looking at the big response, Shastri has promised to come to Gaya, Bihar, again in September. Meanwhile, political circles in Bihar are abuzz with both the RJD and BJP camps taking snipes at each other. Top BJP leaders like Sushil Modi, Ravi Shankar Prasad, Giriraj Singh and Ashwini Choubey have already met Shastri and sought his blessings, while Lalu Yadav’s son Tej Pratap Yadav, a minister in Bihar government, said, Bihar will witness “not Ram Raj, but Krishna Raj”. Lalu Yadav made a cryptic comment, “What baba? He is not a baba”. Tej Pratap alleged that the baba was abusing the people of Bihar. “Those abusing Bihar will face the Sudarshan Chakra”, he said. Senior RJD leader Jagadanand Singh compared the baba with a ‘madaari’ (juggler). “He is speaking against the Constitution, and those who sponsor him cannot be patriots”, he said. Union Minister Giriraj Singh said, “why should leaders who wear Muslim topis and attend iftar parties, go to listen Hanumant Katha? Because they do not find votes for their parties there”. Chief Minister Nitish Kumar said, the baba’s promise to make India a ‘Hindu rashtra’ is rubbish, and “I do not want to give it credence.” One thing to note: Tej Pratap Yadav had earlier threatened not to allow the baba to enter Bihar, but when lakhs of devotees poured in to pandals to listen to the baba, he became silent. RJD and JD-U leaders are making caustic comments about the baba. I am surprised, where is the necessity to oppose a religious preacher, who gets so much public support despite heat wave, with thousands waiting for hours in pandals? Is Dhirendra Shastri being opposed only because some top BJP leaders went to the dais to welcome him? Is it because of allegations that Dhirendra Shastri has been brought to cause religious tension in Bihar? At least the leaders in Madhya Pradesh are more clever. Both chief minister Shivraj Singh Chouhan and Congress leader Kamal Nath went to Bageshwar Dham to seek his blessings.
TERROR THROUGH CONVERSION
Madhya Pradesh anti-terror squad has arrested 16 persons (11 from Bhopal and five from Hyderabad) in connection with a ‘The Kerala Story’ type conversion conspiracy. Police said, these people were working a radical Islamic outfit Hizb Ut Tahrir(HUT), spread over 50 countries, and has more than a million active members. HUT is considered more radical than the Islamic State. Among the eleven arrested in Bhopal are three persons, who were Hindus and Jains, and converted to Islam. These three persons converted four Hindu girls to Islam, and married them after changing their names. Telangana police cooperated and arrested five persons from Hyderabad. Among those arrested are a software engineer, a gym trainer, a person running a coaching centre and a computer technician. Police said, these people were working towards the aim of establishing Islamic rule in India through HUT. MP Home Minister Narottam Mishra alleged that one of those arrested was working in a college in Hyderabad, run by AIMIM chief Asaduddin Owaisi’s brother Akbaruddin Owaisi. Police said, these HUT activists used to contact each other through the dark web. Among those arrested, Venu Kumar converted and changed his name to Abbas Ali, Devi Prasad Pandey changed his name to Abdur Rahman. Both lived in Hyderabad, while Saurabh Rajvaidya changed his name to Mohd Saleem. Saleem married a Hindu girl, Manasi and changed her name. According to police, the religious conversion was going on for the last 13 years. Saurabh Rajvaidya converted to Islam in 2010, and later converted other Hindu males and females. Some may argue that the Constitution gives every citizen the freedom to follow the religion he or she likes. If any Hindu converts to Islam, what is the harm? It’s right, but to convert a citizen to another religion through conspiracy, allurement or deceit, is illegal. In this case, it appears people were misled by radical elements to convert to Islam and participate in anti-national activities. The matter should be thoroughly investigated and the truth must come out. Such activities can spoil the atmosphere in our country.
पाकिस्तान : फौज और सरकार बनाम न्यायपालिका और इमरान
पाकिस्तान : फौज और सरकार बनाम न्यायपालिका और इमरान
पाकिस्तान में सोमवार रात को सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर की अध्यक्षता में कोर कमांडर्स की विशेष बैठक हुई. इसमें ये तय हुआ कि 9 मई को जिन सैनिक ठिकानों पर हमले हुए, उनके दोषियों के खिलाफ आर्मी एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि जिन लोगों ने 9 मई के हमलों की प्लानिंग की, और उन्हें अंजाम दिया, उनके बारे में फौज को सब कुछ पता है और कार्रवाई होगी. इसके चंद घंटे पहले सोमवार को पाकिस्तान में जूडिशीएरी का सरेआम अपमान किया गया, सरकार में शामिल पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के उस गेट पर कंटेनर लगा दिए गए हैं, जिस गेट से सुप्रीम कोर्ट के जज आते जाते हैं. सरकार में शामिल 13 पार्टियों के हजारों कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट को घेर कर बैठे हैं. पाकिस्तान की पार्लियामेंट में चीफ जस्टिस को इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की नसीहत दी गई और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग की गई। दूसरी तरफ इमरान खान ने कहा कि अब उनकी पत्नी बुशरा बीबी को जेल में डालने की साजिश हो रही है और उनकी पार्टी पर बैन लगाने की तैयारी हो गई है. सोमवार को लाहौर हाई कोर्ट ने बुशरा बीबी को 23 मई तक के लिए जमानत दे दी और इमरान खान की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा. इमरान खान का इल्जाम है कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, वो लंदन में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की लिखी हुई स्क्रिप्ट है.इमरान खान ने आशंका जताई है कि जिस तरह से सरकार और फौज उन्हें दस साल के लिए जेल में डालने की साजिश रच रही है. इसी तरह से शहबाज शरीफ की हुकूमत अब उन जजों के खिलाफ गंदी राजनीति करेगी जो सरकार की लाइन पर नहीं चल रहे हैं, जो संविधान के मुताबिक फैसले कर रहे हैं. अब सवाल ये है कि इमरान खान को जेल में डालने के लिए क्या शहबाज शरीफ चीफ जस्टिस को हटाने की कोशिश करेंगे? चूंकि इमरान खान के समर्थक सरकार और फौज के खिलाफ सड़क पर हैं, और नवाज शरीफ के समर्थक सुप्रीम कोर्ट को घेर कर बैठे हैं, इसलिए सवाल ये भी है कि क्या अब पाकिस्तान में इमरजेंसी जैसे हालात हैं ? पाकिस्तान में ऐसा लगता है कि किसी भी संस्थान का सम्मान नहीं बचा है. न कोई संसद को कुछ समझता है, न सरकार को. पिछले कुछ दिनों में फौज की इज्जत भी सारेआम उछाली गई और सोमवार को जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को जलील किया गया, जजों को जिस तरह से गालियां दी गईं, वो किसी को भी हैरान कर सकता है. लेकिन आज पाकिस्तान में जो हो रहा है, उसे वहां की आवाम ने पहले भी कई बार देखा है. 1997 में जब सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ के खिलाफ फैसले सुनाए थे, तब सज्जाद अली शाह पाकिस्तान के चीफ जस्टिस थे. उस वक्त भी नवाज शरीफ की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया था. जजों के चैंबर्स तक पहुंच गए थे और यहां तक धमकी दी थी कि अगर कोर्ट ने अपना फैसला नहीं बदला तो जजों को मार देंगे. सज्जाद अली शाह ने खुद को अपने चेंबर में कैद कर लिया था और डिस्ट्रेस कॉल दी थी, पाकिस्तान की फौज से मदद मांगी थी. फौज की सुरक्षा में जजों को कोर्ट से निकाला गया था. उस वक्त फजुलर्रहमान की पार्टी ने कोर्ट पर हमले की निंदा की थी और आज फजुलर्रहमान नवाज शरीफ की पार्टी के नेताओं के साथ खुद हजारों की भीड़ लेकर सुप्रीम कोर्ट के गेट पर कंटेनर लगा कर बैठे हैं. इसीलिए मैंने कहा कि पाकिस्तान में जो हो रहा है, वो नया नहीं है, ऐसा कई बार हो चुका है, सिर्फ खिलाड़ी बदले हैं, हरकतें वही पुरानी हैं.
कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस
कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनाव तो जीत लिया, जश्न भी मना लिया लेकिन अब इस सवाल पर गाड़ी अटकी है कि मुख्यमंत्री कौन होगा. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैय़ा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार, दोनों ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया है. बेंगलुरू में ये मामला नहीं सुलझा तो अब दिल्ली में माथापच्ची चल रही है. दोनों नेता दिल्ली पहुंच गए हैं. मुख्यमंत्री कौन होगा ये फैसला करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.कांग्रेस हाई कमान के सामने कई मजबूरियां हैं.सिद्धारमैया पुराने नेता हैं, उन्होंने ज्यादा संख्या में विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया है, इसलिए उन्हें नाराज करना खतरे से खाली नहीं हो सकता, लेकिन डीके शिवकुमार की ये बात सही है कि जब पार्टी मुश्किल में थी, लोग कांग्रेस छोड़कर जा रहे थे, तो उन्होंने सोनिया गांधी के कहने पर जान लगा दी. डीके शिवकुमार को आज अहमद पटेल की कमी महसूस हो रही है. अहमद पटेल उन्हें बहुत मानते थे. अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव को फाइनेंस करने की वजह से ही उनपर रेड हुई थी, उनके रिश्तेदारों और बिजनेस पार्टनर पर बहुत सारे केस दर्ज हुए थे. डीके शिवकुमार को लगता है कि उन्होंने अपमान सहे, जेल गये, तो भी कांग्रेस को फिर से खड़ा किया, चुनाव जितवाया इसलिए मुख्यमंत्री तो उन्हें ही बनना चाहिए. डी के शिवकुमार को लगता है कि उन्होंने सोनिया गांधी को कर्नाटक डेलिवर किया, अब बारी सोनिया गांधी की है, उन्हें चीफ मिनिस्टर का पद डेलिवर करने की. डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के टकराव को देखते हुए कांग्रेस बीच का रास्ता निकालना चाहती है. पता ये लगा है कि शुरू के दो साल सिद्धारमैया को और फिर बाद में तीन साल डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की गई. लेकिन शिवकुमार इसके लिए तैयार नहीं है, क्योंकि वो राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हाल देख चुके हैं, इसलिए डीके कह रहे हैं कि कांग्रेस हाईकमान को फैसला करने दीजिए, वो वक्त आने पर बोलेंगे. डीके की यही खामोशी कांग्रेस को परेशान कर रही है, लेकिन इतना तो तय है कि डीके शिवकुमार अब दूसरे सचिन पायलट नहीं बनना चाहते.
सचिन पायलट का अल्टीमेटम
सचिन पायलट राजस्थान में अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा कर रहे हैं. सोमवार को उनकी पदयात्रा का आखिरी दिन था. इस मौके पर सचिन पायलट ने साफ साफ कहा कि अगर 30 मई तक उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वो गांधीवादी रास्ता छोड़कर सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे. सचिन पायलट ने कांग्रेस हाईकमान के सामने तीन शर्तें रखीं , वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए आय़ोग बने, जिस राजस्थान सेवा चयन आयोग के पेपर लीक हुए हैं, उस आयोग को पुनर्गठित किया जाए और इम्तिहान में बैठने वाले उम्मीदवारों को जो नुक़सान हुआ है उनको हर्ज़ाना दिया जाए. उधर, गहलोत सरकार में मंत्री राजेन्द्र गुढा अपनी ही सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के इल्जाम लगा रहे हैं. गूढा ने आरोप लगाया है कि गहलोत ने अपनी सरकार बचाने के लिए बीजेपी के विधायकों को 20-20 करोड़ रुपये दिये. सवाल ये है कि फिर वो जांच क्यों नहीं करवाते ? जांच एजेंसियों को सबूत क्यों नहीं देते ? अगर कोई उनकी नहीं सुनता तो इस्तीफा क्यों नहीं देते? हकीकत ये है कि ये सब आरोप सियासी हैं. अशोक गहलोत को कमजोर करने, चुनाव से पहले गहलोत को घेरने की रणनीति है. सचिन पायलट चाहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान इस बार चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे, लेकिन अशोक गहलोत ने हाईकमान को समझा दिया है कि सचिन पायलट बीजेपी की गोद में खेल रहे हैं, इसलिए पायलट की ये उम्मीद तो पूरी होती नहीं दिख रही हैं. फिर सवाल ये है कि सचिन पायलट का क्या होगा? लगता तो ये है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी का झगड़ा निपट जाए, सरकार का गठन हो जाए, उसके बाद मल्लिकार्जुन खरगे सचिन पायलट के बारे में फैसला करेंगे. और अभी तक के जो हालात हैं, उसमें लगता तो यही है कि सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई होगी, फिर सचिन पायलट अलग पार्टी बनाकर चुनाव के मैदान में उतरेंगे. कांग्रेस अंदरूनी झगड़ों में फंसी है, उधर, बीजेपी ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव की तैयार शुरू कर दी है.
PAKISTAN: ARMY, GOVT VERSUS JUDICIARY, IMRAN
A special corps commanders’ conference presided over by Army Chief Gen. Asim Munir on Monday night decided that those involved in attacks on army installations on May 9 will now be tried under Army Act and Official Secrets Act. The commanders said, the army was aware about planners, instigators, abettors and perpetrators of the attacks. Hours before, the judiciary in Pakistan was openly insulted and condemned by leaders belonging to the ruling PDM (Pakistan Democracy Movement) coalition on Monday in the presence of thousands of workers belonging to 13 parties. Huge containers were brought outside the Supreme Court, from which leaders, including Nawaz Sharif’s daughter Maryam Sharif and Jamiat leader Maulana Fazlur Rahman, demanded the resignation of Chief Justice Umar Ata Bandial. The leaders challenged the Chief Justice to resign and contest elections. Inside the National Assembly, one member demanded that former PM Imran Khan be hanged in public for the violence that took place on May 9. On the other hand, Imran Khan alleged that a conspiracy is afoot to imprison his wife Bushra Bibi and impose ban on his party, Tehreek-i-Insaaf. Lahore High Court granted protective bail to Bushra Bibi till May 23, while the High Court has reserved order on Imran’s bail plea. Imran Khan alleged that whatever that is happening in Pakistan has been scripted by former PM Nawaz Sharif, sitting in London. He said, the army was preparing to imprison him for at least ten years and debar him from contesting elections. The army and the government are veering towards a collision course against the judiciary and Imran Khan’s party. It seems, not a single institution in Pakistan today is commanding respect from the people. The parliament, the government, the army and now, the Supreme Court, are being insulted, one by one. The abuses hurled against judges outside Supreme Court are really worrying. The happenings in Pakistan are not new. In 1997, when Supreme Court gave its verdict against Nawaz Sharif, Sajjad Ali Shah was the Chief Justice. At that time, Nawaz Sharif’s supporters stormed the Supreme Court and reached the chambers of judges. They even threatened to killed the judges if the verdict was not overturned. Chief Justice Sajjad Ali Shah locked himself up inside his chamber and sent out distress calls, seeking support from the army. The judges were escorted out with the help of army. At that time, Maulana Fazlur Rahman had condemned the attack on Supreme Court judges, but on Monday, it was the same Maulana, who stood atop a container with other PML(N) leaders, and roundly condemned the judges. That is why I say, whatever is happening in Pakistan is nothing new. Such incidents have happened in the past. Only the players have changed, the acts remain the same.
SUSPENSE OVER CM IN KARNATAKA
The suspense continues over who will become the next chief minister of Karnataka, with both former CM Siddaramaiah and state Congress chief D K Shivkumar, unwilling to budge from their stands. The three central observers who met all the Congress legislators, have given their report to party president Mallikarjun Kharge. Both D K Shivkumar and Siddaramaiah are now in Delhi for consultations with the party leadership. Rahul Gandhi reached Kharge’s residence and held consultations. There are several compulsions before the party high command. Siddaramaiah is an old, experienced leader and most of the legislators are supporting him. The leadership cannot take the risk of making him unhappy. D K Shivkumar’s argument is right when he says it was he, who, at the instance of Sonia Gandhi, toiled hard when the party was in deep crisis, and brought the party back to power. D K Shivkumar is feeling the absence of Late Ahmed Patel, who used to respect him. It was Shivkumar who financed Ahmed Patel’s election to Rajya Sabha, and subsequently, there were raids against him, his relatives and business partners. Shivkumar feels, he suffered extreme humiliation, spent time in jail, and later rebuilt the party in Karnataka. He considers himself the best candidate for chiefministership. He feels it was he who delivered Karnataka to Sonia Gandhi, and now it was Sonia Gandhi’s turn to deliver the CM post to him. The Congress wants a middle path without hurting either of the two. An offer was made to make Siddaramaiah CM for the first two years and then install Shivkumar as CM for the remaining three years, but the latter is unwilling to accept this. Shivkumar has already witnessed what happened in Rajasthan and Chhattisgarh. He says, let the high command decide, he would speak when the time comes. Shivkumar’s silence is worrying the party leadership. The endgame is clear: Shivkumar does not want to become another Sachin Pilot.
SACHIN PILOT’S ULIMATUM TO CONGRESS
Rajasthan is witnessing a strange spectacle of a senior Congress leader Sachin Pilot taking out a ‘padayatra’ against his own government. On Monday, the last day of his ‘padayatra’, Pilot gave an ultimatum to the government to accept his demands by May 30, otherwise he would discard the Gandhian path and start agitation. His demands: Set up a commission to probe charges of corruption against former CM Vasundhara Raje, reconstitute Rajasthan Service Selection Commission, whose question paper was leaked recently, and compensation be paid to candidates who faced loss. While Pilot levelled corruption charges against the former BJP CM, his supporters levelled corruption charges against Chief Minister Ashok Gehlot and his ministers. One minister Rajendra Singh Gudha alleged that corruption has crossed all limits during the Congress regime. He claimed, he had evidence to prove Gehlot had paid Rs 20 crore each to BJP MLAs to save his government. The question is: Rajendra Singh Gudha is a senior minister and he is levelling corruption charges. Then why is the charge not been probed? Why is Gudha not giving evidence to investigation agencies? Why is he not resigning? The fact is: most of the allegations are political in nature and are meant to ‘weaken’ Chief Minister Ashok Gehlot. It appears to be part of a strategy to corner Gehlot before elections take place this year-end. Sachin Pilot wants, he should be projected as CM candidate in the elections, but Gehlot has convinced the party high command that Pilot is playing into the hands of BJP. Pilot may not find his hopes fulfilled. Then, what will happen to Pilot? It seems, once the Karnataka CM selection is over, Congress president Mallikarjun Kharge will take a decision about Pilot. All indicators point to the possibility of the party taking action against Pilot, who may then form a new party to contest elections. Congress is embroiled in infightings, while the BJP has started preparing for the assembly polls in Rajasthan, Madhya Pradesh, Chhattisgarh and Telangana.
कर्नाटक में कांग्रेस ने कैसे बीजेपी को हराया
बहुत दिनों बाद कांग्रेस ने बीजेपी को बुरी तरह हराया. शनिवार को कर्नाटक में कांग्रेस की जबरदस्त जीत हुई. विधानसभा के इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर थी. बीजेपी ने पूरी ताकत लगाई थी, कांग्रेस को बड़ी जीत मिली, स्पष्ट बहुमत मिला और बीजेपी की बुरी हार हुई. बहुत दिन के बाद कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला, और लंबे अरसे के बाद बीजेपी के खेमे में हताशा दखने को मिली. कर्नाटक में कांग्रेस को 224 में 136 सीटें मिली है. कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले 56 सीटें ज्यादा मिली हैं. बीजेपी को चालीस सीटों का नुकसान हुआ है. बीजेपी को कुल 65 सीटें मिली हैं. कर्नाटक के इस चुनाव की खास बात ये रही कि बीजेपी की सीटें तो कम हुईं लेकिन वोट परसेंट में कोई कमी नहीं आई. बीजेपी को इस बार भी 36 प्रतिशत वोट मिले, पिछले चुनाव में भी बीजेपी तो 36 प्रतिशत वोट मिले थे, .कांग्रेस को पिछली बार के मुकाबले 6 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले लेकिन इस में से 5 प्रतिशत वोट JD-S से आए और और एक प्रतिशत दूसरी पार्टियों के कम हुए , यही वजह है कि न तो कांग्रेस को कर्नाटक में इतनी ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी, और न बीजेपी को इतनी बुरी हार की आंशका थी. कांग्रेस इस बार चौकन्नी थी, हर स्थिति के लिए तैयार थी, chartered plane भी खड़े थे, और resort भी बुक थे, पर इस की नौबत ही नहीं आई. अब रविवार को बैंगलूरू में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी…जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम का फैसला होगा. अब सवाल ये है कि बीजेपी की इतनी बुरा हार क्यों हुई ? बीजेपी की पराजय की कहानी कांग्रेस के नेताओं के उन बयानों में छुपी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे ने कहा कि जीत मिलकर काम करने का नतीजा है. अब तक बीजेपी कांग्रेस की अंदरुनी झगड़े का फायदा उठाती थी, इस बार कांग्रेस ने बीजेपी के अंदरुनी झगड़ों का फायदा उठाया. कांग्रेस नेता सिद्धरामैया ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से बीजेपी की हार हुई, ‘चालीस परसेंट कमिशन’ की बात जनता के दिमाग पर चिपक गई. बीजेपी उसे धो नहीं पाई. अब तक बीजेपी कांग्रेस को ‘करप्शन का किंग’ बता कर कॉर्नर करती थी.. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम गारंटी की वजह से जीते. बीजेपी इस चक्कर में रह गई उनकी केन्द्र की योजनाओं के लाभार्थी उन्हें वोट देंगे.. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने जनता के मुद्दों को उठाया इसलिए वोट मिले. ये बात सही है क्योंकि बीजेपी ने भावनात्मक मुद्दे उठाए. उसका असर ये हुआ कि बीजेपी का अपना वोट बैंक ठीक रहा. छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल कह रहे थे कि बजरंग बली की कृपा से जीते.. बीजेपी ने बजरंग बली के अपमान का मुद्दा उठाया था., हिन्दू वोट के लामबंद होने की उम्मीद थी, लेकिन इसका उल्टा असर भी हुआ. कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम मतदाता एकजुट हो गए और इसका फायदा कांग्रेस को हुआ. डीके शिवकुमार ने कहा कि जब वो जेल में थे, तभी उन्होंने कसम खाई थी कि बीजेपी को हराएंगे. बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में कांग्रेस को हराने का ऐसा जुनून नहीं दिखाई दिया. इसीलिए बीजेपी अतिरिक्त वोटरों को नहीं जोड़ पाई. जेडीएस को वोटों का जितना नुकसान हुआ वो कांग्रेस के पास चले गए और ये भी सच है कि बीजेपी आखिर तक इस बात का इंतजार करती रही, कि त्रिशंकु विधानसभा होगी., रिजॉर्ट्स के दरवाजे खुलेंगे और किसी तरह जोड़-तोड़ करके हम सरकार बना लेंगे, लेकिन जनता का आदेश बिल्कुल स्पष्ट था. अब कांग्रेस मे इस बात के लिए दौडभाग शुरू हो गई कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. सिद्धारमैया पूर्व मुख्यमंत्री है, कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं., और मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार हैं, इसलिए वरूणा में चुनाव नतीजा घोषित होने के बाद सिद्धारमैया चार्टेड फ्लाइट से बैंगलुरू पहुंच गए.. लेकिन मुख्यमंत्री पद की रेस में कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार भी हैं. शिवकुमार भी आठवीं बार चुनाव जीते हैं. उन्होंने कांग्रेस का पूरा कैंपेन मैनेज किया , पार्टी के लिए बहुत मेहनत की, इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी दावेदारी भी मजबूत है. .कांग्रेस ने शुरुआत से ही स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया. कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं को इस बात का भी अंदाजा था कि बीजेपी स्थानीय नेतृत्व कमजोर है और पार्टी अपने दम पर लड़ नहीं पाएगी. कांग्रेस ने ये भी समझ लिया था कि वो मोदी से नहीं जीत सकती, इसलिए हमला मोदी की बजाए कर्नाटक की सरकार के भ्रष्टाचार पर था, नाकाबिलियत पर था.. कांग्रेस ने अपने यहा के गुटों को, आपसी झगड़ों को भी ठीक से मैनेज किया. पार्टी के सारे नेता बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर लड़े. इसका फायदा कांग्रेस को हुआ.दूसरी तरफ बीजेपी में कर्नाटक के नेता आपस में टकरा रहे थे, कोई टिकट कटने से नाराज था, तो कोई अहमियत न मिलने से परेशान.. दियुरप्पा और बोम्मई अपना वर्चस्व साबित करने में लगे रहे. राज्य सरकार का काम लचर था. भ्रष्टाचार के इल्जाम का बीजेपी कोई सॉलिड जवाब भी नहीं दे पाई. भ्रष्टातार और लचर काम जैसे मुद्दों को दबाने के लिए मोदी का सहारा लिया गया. पूरी कोशिश के बावजूद मोदी का कैंपेन पार्टी को बचा नहीं पाया. उसकी वजह ये है कि जब तक मोदी मैदान में उतरे, तब तक कर्नाटक की जनता अपना मन बना चुकी थी, .लोग वहां की सरकार से नाराज थे. मोदी के अलावा बीजेपी ने आरएसएस नेटवर्क, बूथ मैनेजमेंट और पन्ना प्रमुखों पर ध्यान केंद्रित किया. बीजेपी के संगठन मंत्री बीएल संतोष कर्नाटक से आते हैं.उन्हें अपनी मशीनरी पर पूरा भरोसा था. .बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने काम तो किया लेकिन मन से नहीं किया. पार्टी के कार्यकर्ता बूथ तक तो पहुंचे, लेकिन उनमें उत्साह की कमी थी. उन्होंने कांग्रेस की तरह इस चुनाव को जीवन मरण का प्रश्न नहीं बनाया..कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को एक निर्णायक जनादेश दिया है..कांग्रेस की जीत में राहुल और प्रियंका का रोल है, डी के शिवकुमार और सिद्धरामैया और खर्गे को भी पूरा श्रेय मिलना चाहिए. कांग्रेस के नेताओं ने जो भाईचारा इलैक्शन कैंपेन के दौरान दिखाया, वो भाईचारा मुख्यमंत्री चुनने और सरकार बनाने में भी दिखाएं तभी कर्नाटक का भला होगा.. जहां तक बीजेपी का सवाल है, इसके बाद अब मौका है कर्नाटक में नया नेतृत्व तैयार करने का, पुराने जाल से निकल कर नई जमीन तैयार करने का. इस चुनाव की एक अच्छी बात ये हुई कि जेडी-एस बिल्कुल किनारे हो गई. .जेडी-एस ने जो पांच परसेंट वोट खोया वो सारा कांग्रेस के पास आया.
उत्तर प्रदेश से खुशखबरी
बीजेपी के लिए अच्छी खबर उत्तर प्रदेश से आई. शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है और सभी 17 बड़े शहरों में मेयर के पद जीत लिए. समाजवादी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. नगर निगम के चुनाव में इस बार बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को दिल खोलकर टिकट दिया था, उनमें से भी कई उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है.. यूपी में दो विधानसा सीटें, रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे., पर इुचुनाव हुए, दोनों सीटें बीजेपी के मित्र दल, अपना दल (सोने लाल) ने जीतीं. ने जीतीं. रामपुर की स्वार सीट पर NDA की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सीट आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई थी. इस इलाके में आजम खां का दबदबा है, लेकिन बीजेपी ने अपना दल के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा और जीत दर्ज की ये बड़ी बात है. अपना दल के उम्मीदवार शफीक अहमद अंसारी ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार अनुराधा चौहान को 8724 वोट से हराया, जबकि छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल की रिंकी कोल ने समाजवादी पार्टी की कीर्ति कोल को 9587 वोट से हराया . उत्तर प्रदेश में हालांकि चुनाव स्थानीय निकायों का था, लेकिन यहां खेल बड़ा था. अगर बीजेपी हार जाती, तो सब लोग मिलकर योगी आदित्यनाथ की नाक में दम कर देते. लेकिन, योगी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि, चाहे कुछ नेता उनसे नाराज़ हों, जातियों के ठेकेदार उनके ख़िलाफ़ रहें, पर जनता योगी के साथ है. योगी ने कानून और व्यवस्था में सुधार करके, गुंडागर्दी ख़त्म करके, यूपी के लोगों को विकास का जो रास्ता दिखाया है, उसका फ़ायदा उन्हें हर चुनाव में मिला है. स्थानीय निकायों के चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए खतरे का संकेत हैं क्योंकि, बीजेपी ने पहली बार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, कई जगह जीत हुई. मुसलमानों का बीजेपी को समर्थन देना, समाजवादी पार्टी के लिए चिंता का सबब हो सकता है.. कई इलाक़ों में तो, समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर आ गई. रामपुर में, आज़म ख़ान के घर में समाजवादी पार्टी की हार भी एक ख़तरे की घंटी है. . जहां तक योगी का सवाल है, योगी ने बिलकुल सामने खड़े होकर चुनाव प्रचार की कमान संभाली. इस जीत ने उनका दबदबा एक बार फिर क़ायम कर दिया., लेकिन, अब जनता ने उनको ट्रिपल इंजन की सरकार दे दी..अब योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, जनता के सपनों को पूरा करना. और उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना.
HOW CONGRESS DEFEATED BJP IN KARNATAKA
There was good news for Congress for the first time since 2018, when the voters of Karnataka gave a clear mandate to the party. In the 224-seat Assembly, Congress won 136 seats, 56 more than last time, while BJP lost 40 seats. It managed to win only 65 seats. Though BJP lost in the numbers game, there has been no decline in the party’s voting percentage. It got 36 pc votes, the same that it got five years ago. Congress vote percentage rose by six per cent, out of which five pc votes came from Janata Dal(S). This was the main reason why the Congress never dreamt it would win so many seats, while the BJP never imagined it would face such a defeat. This time, the Congress camp was alert, unlike last time. It was ready to face any situation, its leaders had chartered aircraft ready and they had booked luxury resorts to pack off their MLAs, if the election threw up a hung assembly. The main question: Why did BJP lose so heavily? The reason lies in the statements of Congress leaders, after the results were out. Congress president Mallikarjun Kharge said, the victory was the result of team work. Till now, BJP used to gain from infighting within Congress, but this time Congress benefited from infighting within BJP. Congress leader Siddaramiah said, BJP lost because of the ’40 per cent commision sarkara’, the label that Congress stuck on its rival. BJP could not wash off that label. Till now, BJP used to corner Congress on the issue of corruption. Another Congress leader Jairam Ramesh said, ‘we won because of the five ‘guarantees’ that we gave to the people.’ BJP was caught napping as it expected votes from beneficiaries of all welfare measures taken by the Centre. Priyanka Gandhi said, ‘we got votes because we raised people’s issues’. It is true because BJP raised emotional issues and kept its vote bank intact. Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel said, ‘we won because of the blessings of Lord Bajrangbali’. BJP had raised the issue of “insult” to Lord Bajrangbali and had expected consolidation of Hindu votes, but it had adverse effect. Muslim voters fully backed the Congress to give it a resounding win. Congress leader D K Shiv Kumar said, when he was in jail, he had vowed to defeat BJP. On the other hand, there was lack of passion and enthusiasm among the BJP leaders and workers to defeat the Congress. BJP failed to get votes from those who were undecided. Most of the JD(S) votes went to Congress. It is also a fact that BJP waited till the last moment expecting a hung assembly that could have opened up the gates of holiday resorts, and the party expected to form a government, by hook or by crook. The people’s mandate was clear. Already, the race has begun for the post of CM in Congress camp. Siddaramaiah is a former CM and one of the tallest Congress leaders in Karnataka. His stake for the post is strong, and he immediately flew by a chartered flight to Bengaluru soon after his election from Varuna was declared. But state Congress chief D K Shiv Kumar is also in the race. He won the assembly election eight times, and micro-managed the entire party election campaign. He toiled hard and his stake is also strong. In Karnataka, Congress leaders knew that the BJP cannot win the elections only with the help of Modi. That is why, Congress leaders did not make personal attacks on Modi and instead raised the “40 per cent commission” and inefficiency issues. Congress managed its factions and internal squabbles carefully, and leaders of all factions joined hands. On the other hand, BJP leaders were busy in infighting, several of them were unhappy for being denied tickets, Yeddyurappa and Bommai tried to prove their own supremacy, the state government’s performance was below average, and the party could not reply effectively to the charges of corruption. To sideline corruption and inefficiency issues, BJP took the help of Modi. Despite his best efforts, Modi’s campaign could not save the party from defeat. By the time, Modi began his campaign, the people of Karnataka had already made up their minds. The common people were unhappy with the BJP government in Karnataka. BJP used its RSS network of booth management and ‘panna pramukhs’. Its organizing secretary B L Santhosh hails from Karnataka and he had full trust in his machinery. BJP workers worked, but lacked the verve to win. Like the Congress, they did not make this election a life-or-death issue. The result: people of Karnataka gave the Congress a decisive mandate. Rahul and Priyanka played their role in the party’s victory. Credit also goes to D K Shiv Kumar, Siddaramaiah and Mallikarjun Kharge. Let’s hope this brotherhood will be evident when the chief minister is elected in the legislative party. For the BJP, it is now time to develop a new leadership, prepare a new ground by coming out from old webs.
GOOD NEWS FROM UP FOR BJP
BJP got good news from Uttar Pradesh, where it made a clean sweep of all 17 posts of mayors in the urban local body elections. The party’s ally, Apna Dal (Sonelal) also won both the assembly byelections from Swar and Chhanbey. The Swar seat was vacant after local SP strongman Azam Khan’s son Abdullah Azam was disqualified. BJP’s ally Apna Dal fielded a Muslim, Shafiq Ahmed Ansari, who defeated the SP candidate Anuradha Chauhan by a margin on 8,724 votes. In Chhanbey, Apna Dal candidate won by a margin of 9.587 votes. Though the urban local body polls were purely on local issues, the stakes were high. Had the BJP lost, Yogi Adityanath could have faced problems from his rivals in the party. Yogi has once again proved that no matter how much caste based leaders are angry with him, the common people are still behind him. By improving law and order, ending criminal gangs, and opening up new avenue of progress, Yogi has brought benefits to BJP in all the elections that it fought during the last seven years. The local bodies poll results are alarming for Akhilesh Yadav’s Samajwadi Party. BJP, for the first time, tested waters by fielding Muslim candidates who won. This could cause worry for Samajwadi Party, which had been traditionally backed by Muslim voters. In some localities, SP candidates stood third. The defeat of SP candidate in Azam Khan’s bailiwick Rampur, is also an alarming signal for the party. As far as Yogi is concerned, the chief minister led the election campaign from the front and put his stamp of supremacy. The people of UP have now a ‘triple engine’ system in place. The main challenge that Yogi will face is how to fulfill the aspirations of the people.
पाकिस्तान : इमरान को लेकर सियासी पेंच
आखिरकार शुक्रवार देर रात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट परिसर से रिहा किया गया. वे कारों के एक काफिले के साथ लाहौर रवाना हुए. रास्ते में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं ने टॉल प्लाज़ा पर उनका स्वागत किया. अपनी रिहाई से पहले, इमरान खान ने एक वीडियो में आरोप लगाया कि इस्लामाबाद के आई जी पुलिस अकबर नासिर ने देर रात तक उन्हें अदालत परिसर में रोक कर रखने की कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने धमकी दी कि वो अपने कार्यकर्ताओं को प्रोटैस्ट करने के लिए कहेंगे, तो पुलिस अधिकारी ढीले पड़ गये और उन्हें जाने दिया. हाई कोर्ट की चार अलग अलग बेंचों ने एक दर्जन से ज्यादा मामलों में इमरान खान को ज़मानत दे दी और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इमरान खान को बेल मिलने से प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ काफी हताश हैं. कोर्ट ने उनके बने बनाए प्लान पर पानी फेर दिया. उन्होंने तो सोचा था कि इमरान पर इतने केस करेंगे, इतने केस करेंगे कि उन्हें समझ ही न आए कि जेल से निकलें तो कैसे निकलें. वो तो इमरान को मुकदमों में फंसाकर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करवाना चाहते थे, लेकिन कोर्ट ने इमरान को हीरो बना दिया. अब लगता है कि अदालत इमरान को गिरफ्तार होने नहीं देगी और हुकूमत इमरान को बाहर रहने नहीं देगी. शुक्रवार को भी इमरान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस मौजूद थी. पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह समेत सरकार के तमाम मंत्रियों ने कहा कि इमरान ने दो सौ लोगों को ट्रेन किया, बम चलाने, आग लगाने की ट्रेनिंग दी, फौजी अफसरों के घर जलवाए, उसे तो हर हालत में जेल में डालेंगे, लेकिन सरकार के लोग इस बात से खफा भी हैं, और हैरान भी हैं कि कोर्ट ने इमरान को सिर्फ प्रोटैक्शन नहीं दी, इज्जत भी दी और “ हैप्पी टू सी यू” कहा. अब वो कह रहे हैं आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी? कब तक कोर्ट इमरान को बचा पाएगी? सरकार के लोग अब अदालत के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे, जजों के खिलाफ प्रोटेस्ट करवाएंगे लेकिन इमरान को इसका भी फायदा होगा. गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान में चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी दोनों इमरान खान को सपोर्ट कर रहे हैं, दोनों चाहते हैं कि मुल्क में तुरंत चुनाव करवाए जाएं, और हुकूमत चुनाव टालना चाहती है. अब 9 सितंबर को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का कार्यकाल खत्म हो रहा है और 16 सितंबर को पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल रिटायर हो जाएंगे, इसलिए ऐसा लग रहा है कि शहबाज शरीफ की कोशिश ये होगी कि सितंबर तक इमरान खान को कोर्ट और जेल के चक्कर कटवाए जाएं, सिंतबर के बाद जब राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस अपनी मर्जी के हों, उसके बाद इमरान खान और उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए, उसके बाद ही पाकिस्तान में चुनाव हों. चूंकि इमरान खान भी सरकार की रणनीति समझ रहे हैं, इसीलिए वो पूरी कोशिश करेंगे कि मुल्क में ऐसे हालात बना दिए जाएं, आवाम को इतना भड़का दिया जाए, जिससे सरकार तुरंत चुनाव कराने पर मजबूर हो जाए. पाकिस्तान में यही खेल चल रहा है.
समीर वानखेडे़ पर सीबीआई के छापे
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े समेत पांच लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर फाइल की. इससे पहले सीबीआई ने मुंबई, दिल्ली, कानपुर, रांची में 29 ठिकानों पर छापे मारे. समीर वानखेड़े भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं. समीर ने दो साल पहले मुंबई में एक जहाज़ पर छापा मरवा कर मादक पदार्थ जब्त करने के मामले में सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया था. उस वक्त समीर वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाये गये और उन्हें एनसीबी से हटा दिया गया. ऐसे सबूत मिले हैं कि समीर वानखेड़े ने शाहरुख खान के बेटे आर्य़न के खिलाफ एक फर्जी मामला दायर किया था और उसे रिहा करने के एवज में 25 करोड रु. की रिश्वत मांगी थी. 25 लाख रुपये नकद वानखेड़े को एडवान्स के तौर पर दिये गये थे. आर्यन खान को 22 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया, और बाद में एनसीबी ने उसे क्लीन चिट दे दी. एनसीबी की विजिलेंस टीम ने मामले की जांच की और अपनी रिपोर्ट एनसीबी के निदेशक और गृह मंत्रालय के पास भेजी, जिसके बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार का माला दर्ज़ किया. वानखेड़े इस समय चेन्नई में टैक्सपेयर्स सर्विसेज विभाग में तैनात हैं. वो लोग जो समीर वानखेड़े को ‘मोस्ट ऑनेस्ट ऑफ़िसर’ कहते थे, हीरो बताते थे, अब ख़ामोश हैं.. ये बात बिल्कुल साफ़ है, समीर ने आर्यन पर झूठा केस बनाया, आर्यन को 22 दिन जेल में रहना पड़ा. मैंने उस वक़्त भी कहा था कि समीर वानखेड़े ने फ़र्ज़ी केस बनाया, आर्यन के पास से कोई ड्रग नहीं मिली थी लेकिन, सिस्टम ऐसा है कि फिर भी उन्हें जेल भेज दिया गया.. और आंकड़ा तो देखिए, 25 करोड़ रुपये, जो आर्यन को छोड़ने के लिए समीर वानखेड़े ने मांगे थे, करप्शन की, ब्लैकमेल की, लालच की सारी हदें पार कर दीं. आर्यन के वो 22 दिन तो वापस नहीं आ सकते, लेकिन लोगों का भगवान पर भरोसा ज़रूर बढ़ जाएगा. ज़ुल्म करने वाले का हिसाब इसी दुनिया में होता है. ऊपरवाला देखता है. समीर पर सीबीआई का केस इसी का उदाहरण है.
The Kerala Story: बैन करने से कोई फायदा नहीं होगा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने मंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ लखनऊ में The Kerala Story फिल्म देखी और बाद में उसकी तारीफ की. उन्होंने कहा कि इस फिल्म से साफ है किस तरह आतंकवादी संगठन हिन्दू लड़कियों का धर्मांतरण करके उनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में इस फिल्म को टैक्स फ्री घोषित किया गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से प्रश्न किया कि उसने अपने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध क्यों लगाया जबकि इसे देश के दूसरे सभी राज्यों में दिखाया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड और न्यायाधीश पी. एस. नरसिम्हा ने कहा, पश्चिम बंगाल देश के दूसरे राज्यों से कोई अलग नहीं है. अगर जनता ये महसूस करे कि ये फिल्म देखने लायक नहीं हैं, तो वह नहीं देखेगी. ‘द केरल स्टोरी’ एक फिल्म है. इस पर सियासत करने की बजाय इसे एक आर्ट की तरह, एक क्रिएटिव काम की तरह लिया जाना चाहिए, जिसे अच्छी लगे, देखे. जिसे न पसंद आए, न देखे. तमिलनाडु और बंगाल की सरकारों ने बैन करने के लिए जो कानून और व्यवस्था खराब होने के अंदेशे का जो तर्क दिया, वो बेमानी है. ऐसे तो कोई भी सरकार, कभी भी इंटेलिजेंस इनपुट की बात कहके, कानून और व्यवस्था ख़राब होने का डर दिखाकर, किसी भी फिल्म को बैन कर सकती है. वैसे भी, डिजिटल इंडिया के ज़माने में लोग घर बैठे सब कुछ देख लेते हैं, इस तरह के प्रतिबंध का कोई मतलब नहीं रहता.
PAKISTAN: THE GAME BEHIND IMRAN’S ARREST
Finally, the courtroom drama ended in Islamabad High Court late on Friday night, when former Prime Minister Imran Khan left the court premises on his way to his home in Lahore. Thousands of jubilant party workers accompanied Imran Khan, as his cavalcade crossed the toll plaza on the Islamabad-Lahore highway. Hours before he was set free, Imran Khan, in a video message, alleged that the Islamabad IG Police Akbar Nasir tried to prevent him from leaving the court premises, but later relented when the former PM threatened to stage protest. Four different benches of Islamabad High Court granted him bail on over a dozen petitions barring police from arresting him. Prime Minister Shahbaz Sharif is frustrated over courts granting bail to Imran Khan. The judiciary in Pakistan has poured cold water over Shahbaz Sharif’s plan. The Prime Minister had planned to embroil Imran Khan in such a large number of cases that his lawyers could find it difficult to secure bail for him. The plan was also to disqualify Imran Khan from contesting elections, but the judiciary has made Imran Khan a hero. It is now clear that the judiciary will not allow Imran Khan to be arrested, while the establishment will try its level best to ensure that Imran Khan does not come out. Pakistan Interior Minister Rana Sanaullah and other ministers alleged that Imran’s party had trained nearly 200 workers on how to carry out violence and arson, and even trained them to make explosives. Homes of army officers were set on fire. The ministers said they would try to keep Imran behind bars at all costs. At the same time, those in the PPP-PML government are angry and surprised that the Supreme Court not only gave Imran Khan protection, but also gave him respect, when the Chief Justice told the former PM “Happy to see you” inside court. Shahbaz Sharif’s ministers still challenge how long the judiciary will help Imran Khan from staying away from jail. The ruling coalition PDM (Pakistan Democratic Movement) has declared that its supporters will stage protest against judges outside Supreme Court from Monday onwards. I feel, this will indirectly help Imran Khan. One point to note is that, both the Chief Justice Umar Ata Bandial and President of Pakistan Arif Alvi support Imran Khan and both want early general elections. The ruling coalition government wants to delay elections. President Arif Alvi’s tenure ends on September 9, while Chief Justice Bandial will retire on September 16. It appears Shahbaz Sharif will try to make Imran Khan make rounds of courts and jail till them. After mid-September, when Pakistan will get a new President and a new Chief Justice, measures will be taken to debar Imran Khan and his party from contesting elections. Elections will be held only in such a situation. Imran Khan understands the strategy of the Sharif government. He will try his best to create conditions in Pakistan, so that the common people become angry and force the government to conduct early elections. This, in essence, is the political game that is being played out in Pakistan.
SAMEER WANKHEDE EXPOSED IN ARYAN KHAN CASE
Central Bureau of Investigation on Friday filed FIR against five persons including former zonal director Sameer Wankhede of Narcotics Control Bureau, after conducting raids at 29 places in Mumbai, Delhi, Kanpur and Ranchi. Wankhede is an officer of Indian Revenue Service. He had arrested Aryan Khan, son of superstar Shahrukh Khan, in a drugs seizure case two years ago during a raid on a cruise in Mumbai. At that time, several allegations were made against Wankhede, and he was removed from NCB. Evidences have been found how Wankhede had filed a fake drugs case against Shahrukh Khan’s son, and he had demanded Rs 25 crore bribe for releasing Aryan Khan. The FIR says, Rs 25 lakh cash was paid as advance to Wankhede. Aryan Khan was released from jail after 22 days, and later the NCB gave a clean chit to him. The vigilance team of NCB probed the matter and sent a detailed report to NCB chief and Home Ministry, after which CBI filed a corruption case. Wankhede is presently posed in Taxpayers Services department in Chennai. It is strange that those who were describing Sameer Wankhede as a most honest officer and a hero, are now silent. The facts are clear. Sameer Wankhede prepared a false case against Aryan Khan, and the latter had to spend 22 days in jail. At that time, I had clearly said that Wankhede has made a false case, since no drugs were found in possession of Aryan, but our system is such that he was also sent to jail. And look at the figure of Rs 25 crore, that was demanded as bribe from him. It crossed all limits of corruption, blackmail and greed. Nobody can return those 22 horrible days to Aryan Khan, but people will now have more faith in Almighty. Those who commit atrocities on innocent people, get their punishment in due time. CBI case against Sameer Wankhede is one such example.
THE KERALA STORY: WHY BANNING IT WILL NOT WORK
Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath, along with his ministers and state BJP chief Bhupendra Chaudhary, watched a special screening of the movie ‘The Kerala Story’ in Lucknow on Friday. The Chief Minister praised the movie and said it exposes the conspiracy that is going on in the name of religious conversion. The movie has been declared tax-free in UP. On Friday, the Supreme Court asked West Bengal’s Mamata Banerjee government why it banned the movie when it was running in theatres in other parts of the country. The bench of Chief Justice D Y Chandrachud and Justice P S Narasimha said, “West Bengal is no different from any other part of the country. If the public feels, it’s not worth watching, they will not watch it.” I agree with what the Supreme Court said. ‘The Kerala Story’ is a film. Instead of using it as political fodder, it should be taken as a creative work of art. Those who do not like it, may not watch it. The arguments given by Tamil Nadu and West Bengal governments citing law and order issue, are not tenable. If we take such arguments as justified, any state government can ban screening of any film citing intelligence inputs. In this digital age, anybody can watch movies sitting at home. Banning films is not the solution.
पाकिस्तान: इमरान खान को ज़मानत
पाकिस्तान में शुक्रवार को इस्लामाबाद होई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को दो हफ्ते के लिए ज़मानत दे दी. हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि इमरान को 17 मई तक गिरफ्तार न किया जाय. इमरान आज मुल्क से खिताब करने वाले हैं. इस तरह तीन दिन से पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चल रहे ड्रामे पर पर्दा गिरा. इमरान खान ने हाई कोर्ट में कहा कि अगर मुझे गिरफ्तार किया गया, तो सरकार को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहने चाहिए. हाई कोर्ट परिसर में ‘इमरान खान जिन्दाबाद’ के नारे लगाए गए, इमरान के समर्थकों और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच झड़पें भी हुई. कई गाड़ियों में आग लगा दी गई. इमरान खान को कल रात पुलिस लाइन्स गेस्ट हाउस में रखा गया और आज सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच हाई कोर्ट में लाया गया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इमरान खान को फौरन रिहा किया जाय , लेकिन साथ ही उन्हें हिदायत दी थी कि वो अपने खिलाफ चल रहे मामलों में सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में पहुंचे. शुक्रवार को इमरान खान ने हाई कोर्ट में कहा कि उन्हें हिरासत मे पीटा गया, और उनके साथ इस वक्त जो कुछ हो रहा है, उसके लिए थल सेनाध्यक्ष जनरल आसीम मुनीर जिम्मेवार हैं. इमरान ने कहा कि ‘ये मेरा वतन है, और मैं अपना वतन छोड़ कर मुल्क के बाहर नहीं जाऊंगा.’ गुरुवार को, पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने सुप्रीम कोर्ट की जम कर आलोचना करते हुए कहा था कि अगर चीफ जस्टिस बंडियाल को इमरान खान के प्रति इतनी हमदर्दी है, तो वो इस्तीफा देकर उनकी पार्टी में क्यों नहीं शामिल हो जाते. मरियम औरंगजेब ने कहा कि ‘ सुप्रीम कोर्ट ने एक चोर, एक लुटेरे, और एक भ्रष्ट इंसान को रिहा करने का आदेश दिया है.’ एक पूर्व मंत्री शेख रशीद ने मांग की कि मुल्क में फौरन चुनाव कराए जाएं, साथ ही उन्होंने हिंसा और आगजनी करने वालों की जम कर मज़म्मत की. शेख रशीद की ये बात सही है कि शहबाज़ शरीफ ने इमरान खान को गिरफ्तार करके उन्हें वाकई में हीरो बना दिया, लेकिन ये भी सही है कि पाकिस्तान में कुछ भी ठीक नहीं हैं. जिस तरह से रेंजर्स ने इमरान खान को गिरफ्तार किया, वो गलत था. इसके बाद इमरान खान के समर्थकों ने जिस तरह पाकिस्तान में आग लगाई, वो भी गलत था. इसके बाद जिस तरह मंत्रियों ने कोर्ट के खिलाफ बयानबाजी की, वो भी ठीक नहीं था. फिर जिस तरह से सेना की तरफ से धमकियां दी गई और जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जलील किया, वो भी ठीक नहीं था. कुल मिलाकर पाकिस्तान में कोई नियम कानून को नहीं मान रहा है, जिसकी जो मर्जी है वही कर रहा है.इसलिए अब पाकिस्तान में आगे क्या होगा, कोई नहीं जानता.
महाराष्ट्र: नैतिकता की बात करना हास्यास्पद
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के बारे में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे सरकार को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा, लेकिन साथ में ये जरूर कहा कि पिछले साल 30 जून को विधानसभा में शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा न दिया होता, तो इस बात की संभावना थी कि उनकी सरकार बहाल हो जाती. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा में 30 जून को कराये गये शक्ति परीक्षण को गैरकानूनी बताया. कोर्ट ने इसके साथ ही तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका की आलोचना की और कहा कि राज्यपाल का मुख्यमंत्री से कहना कि वह विधानसभा के अन्दर बहुमत साबित करे, गलत था. कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी के अन्दरूनी झगड़े में विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराना माध्यम नहीं हो सकता. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, जबकि उद्धव ठाकरे ने मांग की कि शिंदे नैतिक आधार पर अब इस्तीफा दें. भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि ‘ मैं तो कानून का छात्र नहीं हूं. मैने जो उचित समझा, वही किया. जब कोई इस्तीफा लेकर मेरे सामने आ जाए, तो मैं क्या करता?’ मुझे ये सुनकर हंसी आई कि शिन्दे और उद्धव नैतिकता की बात कर रहे हैं. एकनाथ शिन्दे ने जब उद्धव ठाकरे के विधायक तोड़े, उन्हें लेकर गुवाहाटी में बैठ गए तो कहां गई थी नैतिकता. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा, और सरकार NCP और कांग्रेस के साथ बना ली, तो उन्हें नैतिकता याद क्यों नहीं आई. देवेन्द्र फडणवीस और अजीत पवार ने जब रात के अंधेरे में समझौता करके सरकार बनाई थी, तब नैतिकता का सवाल दिल में क्यों नहीं उठा. इसलिए महाराष्ट्र के ये सारे के सारे नेता नैतिकता की बात न ही करें तो अच्छा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर ये हुआ कि जिसको जो चाहिए था वो मिल गया. शिन्दे को सरकार में आना था, उन्हें अपनी कुर्सी की फिक्र थी, वो बच गई. शिन्दे मुख्यमंत्री बने रहेंगे. उद्धव को ये दिखाना था कि उन्हें गलत तरीके से हटाया गया, शिन्दे ने उन्हें धोखा देकर सरकार बनाई, तो उनकी बात सही सााबित हो गई. जिन विधायकों को सदस्यता जाने का डर था, उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा, क्योंकि फैसला स्पीकर के हाथ में है. अब महाराष्ट्र में शिन्दे की सरकार चलती रहेगी, उद्धव शिन्दे को मिंघे कहकर ढो़ल बजाते रहेंगे, और नैतिकता अपने लिए किसी कोने में जगह पाने का इंतजार करती रहेगी.
दिल्ली में एक सरकार हो, अलग अलग एजेंसियां नहीं
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक बड़ी सफलता मिली. पांच जजों की खंडपीठ ने अपने अहम फैसले में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सेवाओं पर कार्यकारी और विधायी अधिकार, दोनों हैं. चुनी हुई सरकार अफसरों की ट्रांसफर, पोस्टिंग कर सकती है और अफसर मंत्रियों के सामने जवाबदेह होंगे. पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह फर्ज है कि वह दिल्ली की जनता की इच्छाओं को पूरा करे, जिसने उसे चुना है. पीठ ने ये भी कहा कि दिल्ली सरकार का सेवाओं पर पूरा नियंत्रण रहेगा, लेकिन जो विषय दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है, उस पर नियंत्रण नहीं रहेगा. कोर्ट ने ये भी कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली की अफसरशाही पर नियंत्रण के मामले में चुनी हुई सरकार का निर्णय मानने के लिए बाध्य होंगे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फैसले का स्वागत किया और सेवा विभाग के सचिव को तुरंत उनके पद से हटा दिया. मैं इस बात से सहमत हूं कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अफसरों को नियुक्त करने और उनका तबादला करने अधिकार होना चाहिए. इसमें केन्द्र सरकार का दखल न हो तो अच्छा. लेकिन केजरीवाल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो अफसरों के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई न करें. काम करने वाले अफसरों को आजादी भी मिले और सम्मान भी. अब किसी अफसर को घर बुला कर उसके साथ घूंसेबाजी की शिकायत करने का मौका न मिले. दिल्ली की मुख्य समस्या ये है कि यहां मल्टीपल एजेंसी काम करती है. केन्द्र सरकार का दखल है, दिल्ली सरकार है, इसके अलावा DDA, MCD, NDMC, दिल्ली छावनी बोर्ड है. और जब इन संस्थाओं में आपसी समन्वय और सम्पर्क की कमी होती है, तो दिल्ली के विकास में समस्या पैदा होती है. अगर इस दिक्कत को दूर कर लिया जाए, और मल्टीपल एजेंसियों की बजाए दिल्ली में एक सरकार हो, जिसके पास सारे अधिकार हों, तभी दिल्ली का विकास ठीक से हो पाएगा.
PAKISTAN: IMRAN GETS BAIL
On Day 3 of the courtroom saga in Pakistan, former Prime Minister Imran Khan got two weeks’ bail from Islamabad High Court in all cases failed against him before May 9. The High Court ordered that the former PM shall not be arrested till May 17. There was high drama in the High Court complex, with Imran’s supporters raising slogans and setting fire to some vehicles. In the High Court, Imran Khan warned, if he was arrested, the government must remain prepared to face consequences. On Thursday night, Imran Khan was kept in Islamabad Police Lines guest house and was brought to High Court amidst tight security. The Supreme Court on Thursday had ordered immediate release of Imran Khan and at the same time, directed him to appear before the High Court for hearing in different cases. Imran Khan told the High Court that he was beaten up in custody and whatever happened to him was due to Army Chief Gen Asim Muneer. He also said, he would not go out of Pakistan to save himself. “This is my country and I shall not leave”, Imran Khan said. On Thursday, Pakistan Information Minister Mariyam Aurangzeb lashed out at the Supreme Court for ordering release of Imran Khan. She said, the apex court has released “a thief, a dacoit and a corrupt person”. Former minister Sheikh Rashid demanded immediate general elections, and at the same time condemned arson and vandalism taking place across Pakistan. Sheikh Rashid is right. Prime Minister Shehbaz Sharif and his party has made Imran Khan a hero by arresting him. At the same time, one must say that nothing is working properly in Pakistan at this moment. The manner in which Pak Rangers forcibly arrested Imran Khan was unjustified. The manner in which Imran’s supporters set fire to the Corps Commander’s residence in Lahore and Radio Pakistan office in Peshawar, after from looting and arson, is deplorable. The way in which senior ministers in Pakistan condemned the Supreme Court judges is unacceptable. Nobody in Pakistan is following rules, law and precedents. Everybody is engaged in reckless action. Nobody can say what is going to happen in Pakistan in the coming weeks.
MAHARASHTRA: MUCH ADO ABOUT MORALITY
A five-judge bench of Supreme Court on Thursday refused to unseat the Eknath Shinde-led government in Maharashtra, but at the same time said, Uddhav Thackeray-led coalition government could have had a chance to be reinstated had the CM not resigned a day before the floot test on June 30 last year, which the apex court declared as “illegal”. The Supreme Court said, the then Governor Bhagat Singh Koshiyari “was not justified in calling upon the chief minister to prove majority inside the House”. The apex court said, the “governor should not enter the political thicket and be arbiter of intra-party disputes. Floor test is not a medium to resolve inner-party conflicts.” While Eknath Shinde welcomed the verdict, Uddhav Thackeray demanded Shinde should resign on moral ground. Koshiyari said, “I am not a law student. I did what I thought was right. What can I do when I have someone’s resignation?” I cannot suppress laughter on seeing Eknath Shinde and Uddhav Thackeray speaking about morality. When Shinde broke away with Thackeray’s MLAs and went to Guwahati, where was morality? Uddhav Thackeray fought elections as an ally of BJP, but after the results were out, he formed a government with NCP and Congress. Did he think about morality? When Devendra Fadnavis and Ajit Pawar went to Raj Bhavan after midnight to take oath as CM and Deputy CM, why wasn’t their conscience pricked due to morality? The effect of Thursday’s Supreme Court verdict was: All of them got what they deserved. Shinde wanted to continue as CM, he was worried about his chair. He is now safe. Uddhav wanted to show to the world that his government was toppled and Shinde cheated him and former his government. His words were proved truye. The MLAs, who feared they would lose their membership, need not worry now, as the apex court said the Speaker will decide. Shinde government will continue in Maharashtra, Uddhav will continue to describe Shinde as backstabber. And morality will continue to wait to get its place in a corner.
DELHI MUST NOT HAVE MULTIPLE AGENCIES
The Aam Aadmi Party government in Delhi scored a victory over the Centre in its battle over who will control ‘services’ in the National Capital Territory. A five-judge bench of Supreme Court ruled that the elected government of Delhi has both executive and legislative jurisdiction over ‘services’, enabling it to decide posting and transfer of bureaucrats and make them accountable to ministers. The bench said, “it is the responsibility of the govt of NCTD to give expression to the will of the people of Delhi who elected it. Therefore, the ideal conclusion would be that GNCTD ought to have control over services, subject to exclusion of subjects that are out of its legislative domain”. The apex court said that the Lt. Governor shall be bound by the decision of the elected government on the issue of controlling the bureaucracy in NCTD. Chief Minister Arvind Kejriwal welcomed the verdict and promptly moved out the secretary of services department. I agree that the elected government in Delhi must have powers to appoint and transfer officers, and it would be better if the Centre does not interfere. But Kejriwal must also ensure that his officers should not be vindictive. Bureaucrats who work hard must be given freedom and respect. There must be no such incident in which an officer is summoned to the residence and he is subjected to physical blows. Delhi’s problem is that there are multiple agencies at work. The Centre, Delhi government, DDA, MCD, NDMC, Delhi Cantonment Board, etc. Whenever there is lack of coordination and communication between these agencies, problems arise in the path of Delhi’s development. Such shortcomings should be addressed, and in place of multiple agencies, there should be a single government in Delhi, which must have all powers. Only then can Delhi march towards progress.
पाकिस्तान में हिंसा : दीवार पर लिखी है इबारत
सारी दुनिया ये देख कर हैरान है कि जिस फौज का पाकिस्तान में खौफ था, लोग उस पर हमला कर रहे हैं. लोग जानते हैं कि इमरान खान की गिरफ़्तारी फौज और आई. एस. आई. का काम है. मुझे लगता है कि पाकिस्तान मे फौज, आई. एस. आई . और शहबाज़ शरीफ की सरकार ने इमरान खान को पाकिस्तान में एक बार फिर हीरो बना दिया है.. जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे, तो लोग उनसे नाराज रहते थे, वो जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाए थे. उन्होंने भी सत्ता में आने से पहले बड़ी बड़ी बातें की थी. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर बेसिर पैर की तरक़ीबें बताई थी, भ्रष्टाचार दूर करने के वादे किए थे, लेकिन ये सब कुछ करना पाकिस्तान में व्यावहारिक रूप से संभव नहीं था. इसलिए प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान असफल होते दिखाई दे रहे थे. अगर वो सरकार में बने रहते, तो शायद अगला चुनाव न जीत पाते. लेकिन पाकिस्तान में बड़े सियासी फैसले जनमत के दम पर नहीं होते. न तो इमरान खान का तख्ता पलटने का फैसला सियासी तौर पर सही था, और न ही उन्हें उठा कर जेल में पटकने का फैसला सही है. इमरान खान सरकार से हटने के बाद पब्लिक के बीच उतरे और सही मायने में लीडर बने. गिरफ्तार होने से पहले उन्होंने वीडियो में जो कहा, वो बात पाकिस्तान के लोगों के दिलों में उतर गई. लोग इमरान खान के लिए मरने मारने को तैयार हो गए. इस एक वीडियो ने इमरान को पाकिस्तान का मसीहा बना दिया. पाकिस्तान की सड़कों पर उतरे लाखों लोग इसका सबूत है. जो लोग फौज से टकराने को तैयार हों, जिनके चेहरों पर कोई खौफ न हो, वे सब लोग आने वाले वक्त में इमरान के लिए बहुत बड़ी ताकत बन जाएंगे. ये लोग आने वाले दिनों में इमरान खान के बहुत काम आएंगे, और अचरज की बात ये है कि ये बात न तो पाकिस्तान की फौज को दिखाई दे रही है और न सरकार में बैठे शहबाज शरीफ और उनके दोस्तों को.
कर्नाटक : कहना मुश्किल है, ऊंट किस करवट बैठेगा
कर्नाटक के मामले में ये कहना मुश्किल है कि एग्ज़िट पोल कितने सही साबित होंगे. जब किसी चुनाव में कांटे की टक्कर होती है, तो, किसी के लिए भी अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है. 2018 में भी कर्नाटक में कांटे की टक्कर थी, किसी को बहुमत नहीं मिला था और सारे ओपिनियन पोल ग़लत साबित हुए थे. इस बार भी ऐसा हो, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. हालांकि, इस बार के चुनाव में कुछ बातें नई हैं. एक तो पहले जेडी(एस) बड़ा फैक्टर होती थी, मुकाबले त्रिकोणीय होता थे, इस बार वो इतना बड़ा फैक्टर नहीं है . इस बार ज़्यादातर सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की टक्कर है. पिछली बार के मुक़ाबले, कांग्रेस में इस बार बदलाव दिखाई दिया. इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने नेताओं की आपसी लड़ाई को ठीक से मैनेज किया. लेकिन, बीजेपी इस बार अपने नेताओं को मैनेज नहीं कर पाई.. उसकी लड़ाई खुलकर सामने आई.. दूसरी बात, कांग्रेस का नज़रिया पहले ही दिन से साफ था कि स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ना है. कांग्रेस में, शुरुआती दौर में कोई भ्रम नहीं था. लेकिन, बाद के दौर में बीजेपी ने बाज़ी पलटी. जैसे ही कांग्रेस ने PFI और बजरंग दल को एक ही तराजू में तोलने की ग़लती की, चुनाव में बजरंग बली की एंट्री हुई और कांग्रेस बुरी तरह कनफ्यूज़ हुई. चुनाव का मुख्य मुद्दा बदल गया. कांग्रेस की दूसरी बड़ी समस्य़ा ये है कि उसके पास न तो नरेंद्र मोदी जैसा कैंपेनर है, न उनके जैसा करिश्मा. जब मोदी चुनाव प्रचार में उतरते हैं, तो रैली करें या रोड शो, वह हवा बदल देते हैं. मोदी ने इस चुनाव में भी जी-तोड़ मेहनत की, लेकिन कांग्रेस के मुख्य कैंपेनर राहुल गांधी, अनिच्छुक नज़र आए. इसीलिए कोई नहीं कह सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा. 13 मई का इंतजार करें .शनिवार को सुबह 6 बजे से आप इंडिया टीवी पर कर्नाटक चुनाव के शुरुआती रूझान और नतीजे देख सकते हैं. इंडिया टीवी के सभी रिपोर्टर ग्राउंड से आप तक रिपोर्ट पहुंचाएंगे. जाने-माने एक्सपर्ट हमारे साथ होंगे. 224 सीटों के पल-पल का हाल आप तक पहुंचे, इसके लिए हमने विशेष इंतजाम किये हैं. 13 मई नतीजे का दिन है. सुबह 6 बजे से आप कर्नाटक के रूझान और नतीजों का एक एक अपडेट सबसे पहले देख पाएंगे इंडिया टीवी पर.
अब फिर प्रचार में मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नाथद्वारा में साढ़े पांच हजार करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन औऱ शिलान्यास किया. इस सरकारी कार्यक्रम के बाद एक रैली की. सरकारी प्रोग्राम में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक मंच पर थे. इसके बाद माउंट आबू में हुई बीजेपी की रैली में मोदी और वसुन्धरा राजे एक मंच पर थे. दोनों जगह मोदी ने मौके और माहौल के हिसाब से बात की. नाथद्वारा में जैसे ही गहलोत बोलने के लिए खड़े हुए तो पब्लिक ने ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाने शुरू कर दिए. .ये देखकर मोदी थोडा असहज हुए.. उन्होंने लोगों को रोका. फिर मंच पर बैठे सीपी जोशी से कहा कि नारेबाजी बंद करवाइए. मोदी के हावभाव देखकर नारेबाजी बंद हो गई . लेकिन ये नारेबाजी अशोक गहलोत को चुभ गई. गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का सम्मान भी जरूरी है, विपक्ष के बिना सत्ता पक्ष का क्या मतलब है. गहलोत ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह राजस्थान की लम्बित परियोजनाओं को जल्द मंजूरी दें. मोदी ने माउंट आबू की रैली में कांग्रेस पर सीधा हमला बोला. मोदी ने कहा कि राजस्थान की सरकार के पास जनता की भलाई के काम करने की फुर्सत ही नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री को न अपने विधायकों पर भरोसा है, और न ही विधायकों को अपने मुख्यमंत्री पर विश्वास है. मोदी ने कहा कि जिस राजस्थान में एक दूसरे को नीचा दिखाने का कंपटीशन चल रहा है, वहां की सरकार को पब्लिक की चिंता कैसे हो सकती है. मोदी जब सरकारी कार्यक्रम में होते हैं, तो वो प्रधानमंत्री की भूमिका में रहते हैं, और जब बीजेपी के कार्यक्रम में पहुंचते हैं, तो कैंपेनर के रोल में तब्दील हो जाते हैं. राजस्थान में भी यही देखने को मिला. सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत को अपने पास बिठाया, अपना दोस्त बताया और उनकी तारीफ़ भी की, लेकिन थोड़ी देर बाद, जब वो बीजेपी की रैली में पहुंचे, तो मोदी ने सचिन पायलट और गहलोत की तकरार को मुद्दा बनाया, कांग्रेस को फ्रॉड बताया. यही नरेंद्र मोदी की ख़ासियत है. एक चुनाव का प्रचार पूरा होता है, और वो दूसरे की तैयारी में जुट जाते हैं. राजस्थान के बाद, अब उनका अगला दौरा मध्य प्रदेश में होगा.