कोटा कोचिंग : कामयाबी या मौत की फैक्ट्री ?
राजस्थान के कोटा में पिछले चौबीस घंटे में फिर दो बच्चों ने अपनी जान दे दी. इस साल आठ महीनों में अब तक कुल 23 बच्चे मौत को गले लगा चुके हैं. जिन बच्चों ने आत्महत्या की, वो सब इंजीनियर, डॉक्टर बनने NEET और JEE की परीक्षा की तैयारी करने कोटा आए थे. माता-पिता ने बच्चों को बड़े बड़े सपनों के साथ कोटा भेजा था, लाखों रूपए की फीस भरी थी लेकिन सवाल ये है कि कोटा जाकर ऐसा क्या हो जाता है? बच्चों के सामने ऐसी कौन सी मुश्किल खड़ी हो जाती है जिसके कारण बच्चे जिंदगी से नाउम्मीद हो जाते हैं? खुदकुशी करने के लिया मजबूर हो जाते हैं? ये बहुत बड़ा सवाल है. पुलिस कानूनी तौर पर अपना एक्शन ले रही है, सरकार बच्चों की लगातार आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रही है. कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर लगाम कस रही है लेकिन इससे न माता पिता का डर कम हो रहा है, न बच्चों की मुश्किलें कम हो रही हैं. चूंकि सवाल बच्चों के भविष्य का है, मुद्दा बच्चों की जिंदगी का है, इसलिए इस मामले को पूरी संवेदना के साथ, विस्तार से समझने की जरूरत है. हमारे संवाददाताओं ने कोटा में कोचिंग चलाने वालों से बात की, बच्चों से बात की, दूसरे शहरों से कोटा आकर बच्चे जिन घरों में किराए पर रहते हैं, उन घरों में जाकर देखा, बच्चों के हॉस्टल में जाकर हालात को समझने का प्रयास किया, मनोचिकित्सकों से, पुलिस के अफसरों से बात की, इन लोगों की बात सुनकर आपको हकीकत का पता लगेगा कि बच्चे माता पिता के सपने पूरे करने के लिए किस कदर घुटन महसूस करते हैं, कितने दबाव मे जीते हैं, और पैसा कमाने के चक्कर में कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाने वाले कैसे बच्चों को नोटों का ATM समझते हैं.
पिछले 24 घंटों मे कोटा में दो छात्रों ने आत्महत्या की, एक ने पंखे से लटककर खुदकुशी की तो दूसरा कोचिंग इंस्टीट्यूट की छठी मंजिल से कूद गया. दोनों की उम्र सत्रह साल से कम थी. दोनों कोटा में एलेन इंस्टीट्यूट के छात्र थे. एक का नाम आदर्श है, दूसरे का नाम आविष्कार. आदर्श बिहार के रोहतास जिले का रहने वाला था. हाईस्कूल का इम्तेहान पास करके पांच महीने पहले ही रोहतास से डॉक्टर बनने के सपने के साथ कोटा आया था. आदर्श की बहन और उसके मामा के बेटा भी कोटा में कोचिंग करने आए थे. तीनों किराए पर फ्लैट लेकर साथ में रहते थे. आदर्श के कोचिंग इ्स्टीट्यूट में होने वाले इंटरनल टेस्ट में कुल सात सौ में ढाई सौ से भी कम नंबर आये, इसलिए आदर्श टेंशन में था. कोचिंग से लौट कर तीनों भाई बहन ने साथ मिलकर खाना बनाया, साथ बैठकर खाया, फिर अपने अपने कमरे में चले गए. रात में ही आदर्श ने अपने कमरे में पंखे से लटक कर जान दे दी. आदर्श की मौत के बाद अब उसकी बहन और ममेरे भाई कोटा से वापस घर जा रहे हैं. कोटा को भारत की कोचिंग कैपिटल माना जाता है. डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर हर साल 3 लाख से ज्यादा छात्र कोटा आते हैं. इन लाखों छात्रों में से कई हजार छात्र डॉक्टर औऱ इंजीनियर बनते भी हैं, जिसकी सब जगह चर्चा होती है. यहां के कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में दिन रात पढाई होती है. हर हफ्ते औऱ हर पखवाड़े परीक्षा. बिल्कुल मशीनी ज़िंदगी. कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यूट एक असेंबल फैक्ट्री की तरह काम करते हैं, जहां इंजीनियरिंग औऱ डॉक्टरी के लिए छात्र तैयार किए जाते हैं. कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यूट से निकलने वाले इन इंजीनियर्स और डॉक्टर्स की चर्चा सब करते हैं और ये कोटा का खुशनुमा पक्ष है लेकिन इसी कोटा का एक अंधेरा पक्ष भी है. हर साल यहां दर्जनों छात्र पढ़ाई के दबाव और नाकामी के डर से आत्महत्या भी करते हैं. सिर्फ इसी साल की बात करें तो 8 महीने में 23 छात्र अपनी जान दे चुके हैं. कोटा में वैसे तो दर्जनों कोचिंग सेंटर हैं लेकिन 6 बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं, जिनकी फीस 1 लाख से शुरू होकर 2 लाख रूपये सालाना तक है. इसके बाद बच्चे के रहने और खाना का खर्चा अलग से होता है. कोटा में कोचिंग का कारोबार हर साल 5 हज़ार करोड़ रूपये का है. मेडिकल और इंजीनियरिंग के कोर्स र्की 50 लाख किताबें यहां हर साल बिकती हैं. कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ढाई हज़ार रजिस्टर्ड हॉस्टल है, जिनमें करीब सवा लाख छात्र रहते हैं. इसके अलावा बच्चे किराए पर कमरा लेकर रहते हैं. कोटा में हर साल परिवहन उद्योग को सौ करोड की कमाई करती है क्योंकि कोचिंग करने वाले बच्चों से मिलने उनके माता पिता अक्सर कोटा आते हैं. कुछ इंस्टीट्यूट्स में जो नामी शिक्षक हैं, उनको कोचिंग इंस्टीट्यूट हर साल 1 से 2 करोड़ रूपए का पैकेज देते हैं. कोटा में कोचिंग सेंटर्स से सरकार को हर साल 700 करोड़ रुपये तक का टैक्स मिलता है. कोटा में राजस्थान के अलावा यूपी, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से छात्र यहां आते हैं. सवाल ये है कि कोटा में पढ़ाई का ऐसा कौन से सिस्टम है जो बच्चों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. पता लगा कि कोचिंग इस्टीट्यूट में पढ़ने वालों का कोई टेस्ट तो होता नहीं हैं, जो चाहे वो फीस भरे और एडमीशन ले ले, कोचिंग इस्टूट्यूट चलाने वाले एडमीशन तो सबका ले लेते हैं लेकिन उन्हें अपने इंस्टीट्यूट के नाम की फिक्र होती है, इसलिए हर हफ्ते टेस्ट होते हैं. 700 अंक के इस टेस्ट में जिन बच्चों के नंबर 500 से ज्यादा आते हैं, उन्हें ए कैटगरी में रखा जाता है. उनके लिए अलग व्हाट्सएप ग्रुप बना दिया जाता है. जो बच्चे पढ़ने में तेज होते हैं, टेस्ट में अच्छा परफॉर्म कर रहे होते हैं, उनको पढ़ाने के लिए अच्छे शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है क्योंकि कोचिंग इस्टीट्यूट वालों को लगता है कि जो बच्चे इंटरनल टेस्ट में अच्छा कर रहे हैं, वो JEE, NEET में अच्छे अंक ला सकते हैं. वो उनकी कोचिंग का नाम रौशन कर सकते हैं, इसलिए उन पर विशेष ध्यान दिया जाता है, स्कॉलरशिप के नाम पर उनकी कुछ फीस भी मांफ की जाती है. इसीलिए पढ़ने में तेज बच्चों के ग्रुप मे शामिल होने के चक्कर में बहुत से बच्चे दबाव में आ जाते हैं और जब उनके नंबर इंटरनल टेस्ट में कम आते हैं तो वो डिप्रैशन में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं. राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अब बहुत हो गया, अब सरकार को कानून का डंडा चलाना पड़ेगा, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को सिर्फ पैसे कमाने से मतलब है लेकिन वो बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाते. कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने कहा, केंद्र सरकार को कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को लेकर कोई नीति बनानी चाहिए और जब तक ये नीति नहीं बनती तब तक इन इंस्टीट्यूट्स पर बैन लगना चाहिए. कोटा के कोचिंग सेंटर्स में छात्र छात्राओं की आत्महत्या दुखदायी है, चिंता में डालने वाली है. एक भी छात्र की आत्महत्या उन सारे मां-बाप को डरा देती है जिनके बच्चे कोटा में पढ़ते हैं. मैं ये नहीं कहता कि कोटा के सारे कोचिंग सेंटर्स खराब हैं या वहां पढ़ाने वाले सारे शिक्षक संवेदनाशून्य हैं, लेकिन ये कड़वा सच है कि कोटा में कोचिंग का पूरी तरह वाणिज्य़ीकरण हो चुका है और ये इस हद तक हुआ है .कि अब छात्रों पर दबाव पैदा होने लगा है. कोटा में कोचिंग का बिजनेस 5,000 करोड़ रु. से ज्यादा का है. वहां एडमिशन पाने की योग्यता सिर्फ पैसा है. न कोई टेस्ट, न क्राइटेरिया. पैसे दो, कोचिंग लो. मां-बाप को भी लगता है कि कोचिंग सेंटर्स में जादूगर बैठे हैं जो लाखों रुपये लेकर उनके बच्चे को छुएंगे और टॉपर बना देंगे. टॉप के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजेज में एडमिशन दिलवा देंगे. इन कोचिंग सेंटर्स के विज्ञापन भी ऐसा ही इंप्रेशन देते हैं. विज्ञापन में छापने के लिए, टॉपर बनाने के चक्कर में कोचिंग इंस्टीट्यूट छात्रों के अलग ग्रुप बना देते हैं. पीछे रहने वाले छात्र छात्राओं को रोज एहसास कराया जाता है कि उनका कुछ नहीं होगा. .ये चिंता उनको दिन रात सताने लगती है और जो दबाव झेल नहीं पाते वो आत्महत्या के रास्ते पर चले जाते हैं. पैसे और प्रेशर के इस जंजाल को तोड़ने की जरूरत है. कोचिंग कॉलेज को छात्रों को ये बताने और समझाने की जरूरत है कि जिनका भी MBBS या इजीनियरिंग में एडमिशन नहीं हुआ तो दुनिया खत्म नहीं हो जाएगी. इसका मतलब एंड ऑफ द वर्ल्ड नहीं होता. जमाना बदल चुका है. आज हमारे देश में तरह तरह के अवसर हैं, हर तरह के टैलेंट के लिए, हर हुनर के लिए कुछ न कुछ संभावनाएं है. मां-बाप को भी ये मानना चाहिए कि हर कोई डॉक्टर, इंजिनीयर IAS, IPS नहीं बन सकता लेकिन अगर बच्चे को अपनी पसंद का काम मिलेगा तो वो चाहे कमाई कम करे लेकिन खुश रहेगा. इस वक्त देश में MBBS की कुल सीटें 1 लाख 7 हजार 948 हैं. अगर 23 IIT समेत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज को मिला लिया जाए तो इंजीनियरिंग सीटों की संख्या तीन लाख से थोड़ी ज्यादा है. हर साल करीब एक करोड़ बच्चे अलग अलग बोर्ड्स से 12 वीं का इम्तेहान पास करते हैं. इसलिए ये तो संभव नहीं है कि हर कोई डॉक्टर और इंजीनियर बन जाए. इसलिए सबसे पहले तो मां-बाप को बच्चों पर इंजीनियर, डॉक्टर बनने का दबाव डालना बंद करना चाहिए. जरूरी नहीं कि बच्चा इंजीनियर डॉक्टर बनकर ही बेहतर जिंदगी जिएगा, परिवार का नाम रौशन करेगा. सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि बच्चे की दिलचस्पी किस विधा में हैं. इसे समझा जाए. मेरा मानना तो ये है कि बच्चों के लिए पाठ्यक्रम के अलावा काउंसिलिंग क्लासेज की भी व्यवस्था की जाए ताकि बच्चों से बातचीत हो सके, मनोभाव समझा जा सके. केवल rat race न हो. उन्हें मोटिवेट किया जाए, न कि दवाब बनाकर केवल रिजल्ट पर बात हो.
चंद्रयान की सफलता : मोदी का ऐतिहासिक संबोधन
आज ISRO में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन ऐतिहासिक था. मोदी ने वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ाया, देश की प्रगति में उनके योगदान की सराहना की. यह तो अपेक्षित था. लेकिन मेरे हिसाब से मोदी ने आज तीन बड़े काम किए. एक तो देश की जनता को समझाया कि इसरो में जो वैज्ञानिक काम करते हैं उनका काम सिर्फ़ चंद्रमा पर रॉकेट भेजना नहीं है. ये वैज्ञानिक जो रिसर्च करते हैं उसका हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अहम रोल है. कल्याणकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग से लेकर किसान को मौसम की जानकारी देने से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सावधान करने का काम भी इन वैज्ञानिकों की मदद से होता है. दूसरी बात, मोदी ने याद दिलाई कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में , वेदों में, पुराणों में, स्पेस साइंस का अपार भंडार है. उसे आज के ज़माने से जोड़ने की ज़रूरत है. ज्ञान के इस भंडार का उपयोग करने की ज़रूरत है. तीसरी बड़ी बात ये कि मोदी ने नौजवानों को विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा दी. उन्हें बताया कि देश को महाशक्ति बनाने में विज्ञान कितनी बड़ी भूमिका अदा कर सकता है. मोदी का भाषण दूरदर्शितापूर्ण और भारत के सुनहरे भविष्य का संदेश था. अपने वैज्ञानिकों का अभिनंदन करने के लिए मोदी इतने उत्सुक थे कि वह ग्रीस की यात्रा समाप्त करते ही ही सीधे बेंगलुरु पहुंचे और ISRO के टेलीमेट्री ट्रेकिंग एंड कमांड नेटवर्क सेंटर में चंद्रयान-3 टीम के वैज्ञानिकों से मुलाकात की. मोदी ने तीन बड़ी घोषणाएं कीं – पहली, 23 अगस्त को भारत हर साल राष्ट्रीय अन्तरिक्ष दिवस मनाएगा। दूसरा, चंद्रमा पर लैंडर जिस जगह उतरा, वह जगह शिव-शक्ति प्वाइंट कहलाएगी। तीसरी, चंद्रमा पर जिस जगह चंद्रयान-2 के पद चिन्ह हैं, उस स्थान का नाम ‘तिरंगा प्वाइंट’ होगा. मोदी 45 मिनट तक बोले. एक समय वह कुछ भावुक भी हो गये. मोदी ने कहा, ‘मैं साउथ अफ्रीका में था, फिर ग्रीस के कार्यक्रम में चला गया, लेकिन मेरा मन पूरी तरह आपके साथ ही लगा हुआ था। मेरा मन कर रहा था आपको नमन करूं। लेकिन मैं भारत में… (रुंधे गले से) भारत में आते ही… जल्द से जल्द आपके दर्शन करना चाहता था।’ मोदी ने कहा, ‘मैं आपको सैल्यूट करना चाहता था। सैल्यूट आपके परिश्रम को… सैल्यूट आपके धैर्य को.. सैल्यूट आपकी लगन को… सैल्यूट आपकी जीवटता को… सैल्यूट आपके जज्बे को…।’ मोदी ने कहा कि मैं आप सबका जितना गुणगान करूं, वह कम है। मैं आपकी जितनी सराहना करूं वह कम है। मैं वह फोटो देखी, जिसमें हमारे मून लैंडर ने अंगद की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमाया हुआ है। एक तरफ विक्रम का विश्वास है, दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रज्ञान लगातार चंद्रमा पर अपने पदचिह्न छोड़ रहा है। कैमरों से ली गई तस्वीरें अद्भुत है। मानव सभ्यता में पहली बार, धरती के लाखों साल के इतिहास में पहली बार उस स्थान की तस्वीर मानव अपनी आंखों से पहली बार देख रहा है। मोदी ने बताया कि दक्षिणी ध्रुव पर उस स्थान का नाम शिवशक्ति क्यों रखा गया है. उन्होने कहा, ” शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है। और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का शिव शक्ति का पॉइंट हिमालय से कन्याकुमारी के जुड़े होने का बोध कराता है। हमारे ऋषियों ने कहा कि- ‘येन कर्माण्य पसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदथेषु धीराः। यद पूर्वम यक्ष मन्तः प्रजानाम तन्म मनः शिवसङ्कल्पमस्तु,’ अर्थात जिस मन से हम कर्तव्य कर्म करते हैं, विचार और विज्ञान को गति देते हैं और जो सबके भीतर मौजूद है, वो मन शुभ और कल्याणकारी संकल्पों से जुड़े। मन के इन शुभ संकल्पों को पूरा करने के लिए शक्ति का आशीर्वाद जरूरी है। यह शक्ति हमारी नारी शक्ति है। हमारी माताएं बहनें हैं।” मोदी ने अपने संबोधन के बाद खास तौर से ISRO में काम कर रही महिला वैज्ञानिकों के साथ बैठकर तस्वीर खिंचवाई और उनकी होसलाअफज़ाई की. चंद्रयान की सफलता में इन महिला वैज्ञानिकों का बड़ा रोल था. आने वाले वर्षों में भारत कई महत्वपूर्ण स्पेस मिशन शुरु करने जा रहा है. मोदी का आज का संबोधन इसी की पूवपीठिका थी. लेकिन आज मोदी ने जो जो कहा उस पर गंभीरता से काम हुआ तो उसका असर सदियों तक दिखाई देगा.
CHANDRAYAAN SUCCESS : MODI’S ADDRESS TO ISRO SCIENTISTS
Prime Minister Narendra Modi’s address to ISRO scientists on Saturday morning in Bengaluru was historic. While congratulating them on their successful Chadrayaan-3 mission, Modi praised their role and boosted their morale with fulsome praise. He made three big announcements – (1) From now on, August 23 every year will be celebrated as National Space Day, (2) the spot where Vikram landed near the south pole of Moon has been named ‘ShivaShakti Point’, and (3) the spot where Chandrayaan-2 left its imprint has been named ‘Tiranga Point’. Modi’s praise for ISRO scientists was expected. In my opinion, Modi today sent three messages: One, he conveyed to the people of India that scientists working in ISRO are not only involved in sending rockets and spacecraft, their research in space science is vital for every Indian’s day-to-day life. From morning welfare schemes to providing weather predictions for farmers and fishermen, to issuing early warning about weather and natural disasters, space science plays a vital role. Two, he reminded people about the huge repository of knowledge lying in our ancient Vedas, puranas and other scriptures, and the need to link that knowledge to modern age. Three, Modi exhorted the young generation to work in the fields of science and research. He underlined the important role that science can play in making India a big power. Modi’s speech was farsighted and it had a message about India’s golden future.
SHODDY TREATMENT TO JOBLESS YOUTHS IN BIHAR : WHO IS RESPONSIBLE?
More than eight lakh unemployed youths descended on Bihar in capital Patna, Jahanabad, Ara, Nalanda, Hajipur and other towns to sit for the examination for recruitment of 1,70,461 teachers. The examination is being conducted in three phases by Bihar Public Service Commission. Thousands of youths jammed railway platforms, temples, bus stands and even footpaths outside the exam centres. All hotels and lodges are full. The state government did not even erect tents and provided drinking water facilities to candidates. Watching the youths and their parents narrating their woes on camera, one is shocked to find the administration, political leaders and bureaucrats so insensitive to this issue. In my show AAJ KI BAAT on Thursday night, we showed visuals of thousands of youths jampacked on the platforms of Patna Junction and other railway stations. Most of them spent the night on railway platforms. Questions arise about the manner in which the exam was conducted. Candidates had to pay fees, the administration knew there would be a huge influx of candidates, but there was no application of mind on providing accommodation and basic facilities. Students from Bihar, Uttar Pradesh, Rajasthan and Madhya Pradesh flocked to railway stations and bus stands to appear in the exams. Out of the 1,70,461 teachers to be recruited, nearly 80,000 will be appointed for primary schools, 57,618 for higher secondary schools and 32,916 teachers for secondary schools. More than eight lakh candidates have applied for these jobs. 859 exam centres have been set up across Bihar, with the highest number of 40 in Patna alone. In Muzaffarpur, the candidates sat on pavements in rain, waiting for the centres to open. Roads to the exam centre were waterlogged. Students holding shoes and chappals in hand, and drenched in rain, walked in two feet deep water to reach the exam centre. Deputy CM Tejashwi Yadav admitted that there were problems due to huge influx of candidates, but he added, “we are fulfilling our promise to give jobs to people in Bihar and this should be appreciated”. BJP state chief Samrat Chaudhary said, already 80,000 students have passed STET (Secondary Teachers Eligibility Test) and they should have been recruited directly. “There was no need of another exam through BPSC”, he said. It is really sad to find lakhs of youths, both male and female, facing extreme hardship under trying circumstances. I fail to understand why the bureaucrats lost their basic humane sense. Forget inefficiency, they should at least have some modicum of humanity. Do the leaders and bureaucrats of Bihar have any responsibility towards our youths? In India, whenever children go to sit for board exam, their parents ensure they get a sound sleep at home, they provide proper breakfast and send them after offering prayers to gods. But in Bihar, we saw thousands sitting on railway platforms, waiting, without food and water, to appear for exam. It is difficult to gauge the sadness, desperation and helplessness of these unemployed youths. Is it a sin to aspire to become a teacher? Teachers are recruited in other states too, but never were such scenes noticed in the recent past. Then why in Bihar? One must find out why there was a huge backlog of 1.75 lakh vacant posts of teachers and since when? Why were these recruitments made in one go, and more than eight lakh youths had to reach the exam centres? Let me tell you some facts. Earlier, teachers in Bihar used to be appointed on the basis of their scores in CTET (Central Teachers Eligibility Test) and STET (State Teachers Eligibility Test). Lakhs of youths who had appeared in these tests were waiting for their job appointment letters. For the last six years, Chief Minister Nitish Kumar’s government did not recruit a single teacher. This year, it suddenly decided that teachers will no more be recruited through CTET or STET. It decided that Bihar Public Service Commission will conduct examination to fill up the vacancies. Students staged protests and faced police lathis, but Nitish Kumar stuck to his decision. Since Tejashwi Yadav had promised 10 lakh jobs during elections, the process to fill up 1.75 lakh vacancies began in due earnest. More than 8 lakh students sent applications, and they were allotted exam centres. But no application of mind was made on how to handle the vast influx of 8 lakh candidates. I give some credit to Indian Railways for running five special trains for these applicants. Nitish Kumar’s government remained in deep slumber. The result was: thousands of youths had to spent nights on railway platforms, had to walk several kilometres, drenched in rain, to reach exam centres. Many of them were disallowed entry because of late arrival. Will anybody take responsibility for the shoddy treatment meted out to these youths? Ministers and bureaucrats may make lots of excuses, but the fact remains that it is the responsibility of the state government to make arrangements for stay and security of students who came to appear in the exam. Nitish Kumar’s government failed in this test on all counts.
बिहार में बेरोज़गारों के साथ बदसलूकी का ज़िम्मेवार कौन ?
बिहार से चौंकाने वाली तस्वीरें आईं. पटना, जहानाबाद, आरा, नालंदा, हाजीपुर जैसे कई शहरों में अफरा-तफरी है – रेलवे स्टेशनों पर, बस अड्डों पर, मंदिरों में, सड़कों पर, ज़बरदस्त भीड़ है, जैसे कोई मेला लगा हो. हर जगह लोग चादर बिछाकर बैठे हुए हैं क्योंकि बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग का इम्तेहान हो रहा है और 8 लाख से ज्यादा नौजवान नौकरी की उम्मीद में इम्तेहान देने पहुंचे हैं. लेकिन किसी शहर में युवाओं को सिर छुपाने की जगह नहीं मिल रही है. हजारों युवा स्टेशन पर बैठे हैं, कुछ मंदिर में रूके हैं, कोई बस स्टेशन पर चादर बिछाकर वक्त काट रहा है और बहुत से छात्र तो परीक्षा केंद्र के आसपास सड़क पर ही बैठे हैं. होटलों में जगह नहीं हैं, इतने होटल हैं नहीं कि इतने सारे युवाओं के ठहरने का इंतजाम हो सके. सरकार ने कोई इंतजाम किया नहीं, टेंट तक नहीं लगवाए कि परीक्षा देने आए पहुंचे छात्र धूप और बारिश से बचने के लिए उनका सहारा ले सकें. इसी चक्कर में ज्यादातर लड़के लड़कियों ने प्लेटफॉर्म पर ही रात गुजारी. इन नौजवानों और उनके परिवार वालों की तकलीफ सुनेंगे तो अंदाज़ा होगा कि सरकार और नेता कितने संवेदनहीन हैं, अफसर कितने बेपरवाह हैं और भीड़ की तस्वीरें देखेंगे तो समझ आएगा कि बेरोज़गारी का आलम क्या है. पटना से जो तस्वीरें आईं, उन्हें देखकर अफसरों से, मंत्रियों से सवाल पूछे गए, तो जवाब मिला कि सरकार सिर्फ इम्तेहान करवाती है, परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था करती है, सरकार का काम परीक्षा देने के वालों को ठहराने का इंतजाम करवाना नहीं हैं. बात सही है. लेकिन सवाल ये है कि सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरवाए गए, युवाओं से फीस ली गई. सरकार को ये पता था कि कितनी संख्या में उम्मीदवार आने वाले हैं. तो फिर क्या ये देखना सरकार का काम नहीं है कि अगर उम्मीदवार आएंगे तो रहेंगे कहां ? क्योंकि परीक्षा सिर्फ एक दिन नहीं हैं, तीन दिन तक इम्तहान होने हैं. अलग अलग शिफ्ट में होने हैं. सोचिए जिन छात्रों ने पूरी रात प्लेटफॉर्म पर जाग कर गुजारी हो, वो अगले दिन परीक्षा केंद्र तक किस हाल में पहुंचेंगे, फिर कैसे परीक्षा देंगे? और अगले दिन के इम्तहान के लिए चौबीस घंटे कहां गुजारेंगे? नीतीश कुमार के सुशासन की पटना रेलवे स्टेशन का हाल देखकर आपको समझ आ जाएगी. पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन की तस्वीरें शिक्षक नियुक्ति परीक्षा से 10 घंटे पहले की हैं. नौजवानों की ये भीड शिक्षक बनने की उम्मीद में पहुंचे लोगों की हैं. चूंकि सुबह दस बजे पहली शिफ्ट का इम्तहान था इसलिए एक रात पहले से ही छात्र पटना पहुंचने लगे, और कुछ ही घंटों में पटना रेलवे स्टेशन पर हजारों की भीड़ जमा हो गई. रात बारह बजे से बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से परीक्षार्थी पटना पहुंचने लगे थे. रात को पटना रेलवे स्टेशन का एक नंबर प्लेटफॉर्म खचाखच भरा हुआ था. इनमें से कुछ लोग ऐसे थे, जिन्हें पटना शहर में होटल नहीं मिला, या मिला भी तो इतना महंगा कि उसका किराया दे पाना इनके लिए मुश्किल था. इसलिए ये लोग रात गुजारने के लिए रेलवे स्टेशन पर ही ठहरे, जबकि कुछ लोग ऐसे थे, जो दूसरे राज्यों से पहले पटना पहुंचे. उनका सेंटर पटना के आसपास के शहरों में था, उन्हें वहां पहुंचना था लेकिन न पटना में ठहरने की जगह थी, न आगे जाने के लिए कोई साधन था. इसलिए वो भी सुबह होने के इंतजार में स्टेशन पर ही रूक गए. आलम ये था कि लोग प्लेटफार्म पर चादर डालकर बैठे रहे, लेटे रहे. नौकरी की उम्मीद में बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं भी पहुंची थीं. उनके साथ परिवार के सदस्य भी थे. कुछ महिलाओं की गोद में छोटे छोटे बच्चे थे. सबको रात स्टेशन पर ही काटनी पड़ी. बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की बहाली होनी है. इनमें 80 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्कूलों में होनी है. 57 हजार 618 भर्तियां उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में होनी है और 32 हजार 916 शिक्षकों के पद माध्यमिक स्कूलों में भरे जाने हैं. इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग बिहार के कई शहरों में दो चरणों में परीक्षा करवा रहा है. गुरुवार को इम्तेहान का पहला दिन था. इसके बाद शनिवार को फिर परीक्षा होनी है. करीब पौने दो लाख पदों के लिए 8 लाख से ज्यादा युवाओं ने फॉर्म भरा है. परीक्षा के लिए पूरे बिहार में 859 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. पटना में सबसे ज्यादा 40 परीक्षा केंद्र बनाए गए. इसलिए पटना में भीड़ सबसे ज्यादा थी.जब हर तरफ अफरा तफरी मची तो पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि सरकार का काम इम्तेहान करवाना है, लेकिन उम्मीदवारों के ठहरने का कोई इंतजाम कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं हैं, और न ही प्रशासन को सरकार की तरफ से इस तरह का कोई निर्देश मिला है. पटना जैसा हाल जहानाबाद और आरा में भी था. होटल मालिकों ने कमरों के किराये बढ़ा दिये. मुज़फ्फरपुर में बारिश हो रही थी, छात्र सड़क पर थे, किसी तरह परीक्षा केंद्र पहुंचे तो वहां भी पानी भरा हुआ था. आलम ये था कि नौकरी की उम्मीद में पहुंचे लड़के लड़कियां पानी में भींगते हुए, जूते चप्पल हाथ में लेकर, दो-दो फीट पानी से गुजर कर परीक्षा केंद्र पहुंचे. नालंदा में 32 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. यहां सुबह से बारिश भी हो रही थी. परीक्षा केंद्रों के आसपास के इलाके में पानी भरा हुआ था जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो गया. सुबह जब हज़ारों युवा परीक्षा केंद्रों के लिए निकले तो उन्हें बारिश, जलभराव और ट्रैफिक जाम, तीनों का सामना करना पड़ा. कई परीक्षार्थी वक्त पर नहीं पहुंच पाए. इन लोगों को परीक्षा केंद्र के हॉल में घुसने से रोक दिया गया. बहुत से नौजवान तो वहीं बैठकर रोने लगे. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने माना, परीक्षा देने वालों की संख्या ज्यादा है, इसलिए दिक्कतें हुई, लेकिन बड़ी बात ये है कि उन्होंने बिहार के लोगों से नौकरी का जो वादा किया था, उसे पूरा कर रहे हैं, इसकी तारीफ होनी चाहिए. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी का कहना है कि जब 80 हजार स्टूडेंट्स पहले ही STET की परीक्षा पास कर चुके हैं, तो फिर उन्हें नौकरी देने के लिए BPSC की तरफ से परीक्षा क्यों कराई जा रही है, इस परीक्षा का कोई मतलब ही नहीं है. जिन्होंने STET की परीक्षा पास की है, उन्हें सीधे नौकरी मिलनी चाहिए. मैं ये सब देखकर आहत हूं, कि नौकरी के लिए इम्तिहान देने आए लड़के लड़कियों को इस कदर बदइंतजामी का सामना करना पड़ा. किस बेहाली में Exam देने पड़े. समझ नहीं आया कि अधिकारियों की संवेदना कहां मर गई थी. कार्यकुशलता भले ही न हो लेकिन इंसानियत तो होनी चाहिए. क्या अपने देश के नौजवानों के प्रति बिहार के नेताओं और अफसरों की कोई जिम्मेदारी नहीं है? घर जब कोई बच्चा परीक्षा देने जाता है तो माता पिता उसे रात में आराम से सुलाते हैं, सुबह दही-पेडा खिलाकर, भगवान के आगे हाथ जोड़कर परीक्षा के लिए भेजते हैं. बिहार में स्टेशन पर रात बिताकर, बुरी तरह धक्के खाकर, बिना खाए पिए परीक्षा में बैठने वाले ये युवक युवतियाँ कितने मजबूर, कितने बेबस होंगे, कितने दुखी होंगे, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. क्या इनका गुनाह ये है कि ये शिक्षक बनना चाहते हैं? शिक्षकों की भर्ती तो दूसरे राज्यों में भी होती है, वहां भी परीश्राएं होती है, लेकिन इस तरह के हालात तो कभी नहीं बनते. आखिर बिहार में ही ऐसा क्यों होता है? बिहार में पौन दो लाख शिक्षकों के पद खाली क्यों हैं ? कब से खाली हैं? अचानक एक साथ इतने पदों की भर्ती क्यों करनी पड़ी कि आठ लाख लोग परीक्षा देने पहुंच गए ? असल में पहले बिहार में शिक्षकों की भर्ती सेन्ट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट और स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में रैंकिंग के आधार पर होती थी. लाखों नौजवान ये परीक्षा पास करके नियुक्ति पत्र मिलने का इंतजार कर रहे थे. छह साल से नीतीश की सरकार ने भर्ती नहीं की और इस साल अचानक फैसला कर दिया कि अब सीटैट या एसटैट के जरिए भर्ती नहीं होगी. शिक्षकों की भर्ती BPSC के जरिए की जाएगी. इसके खिलाफ छात्रों ने कई बार आंदोलन किया, पुलिस की लाठियां खाई लेकिन नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे. चूंकि तेजस्वी यादव ने दस लाख नौकरियां का वादा कर दिया था, इसलिए आनन फानन में शिक्षकों की भर्ती शुरू की गई. पौने दो लाख पदों के लिए परीक्षा का आयोजन किय़ा गय़ा. आठ लाख से ज्यादा नौजवानों ने फॉर्म भर दिया. सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में नौजवानों को परीक्षा केंद्र तो वंटित कर दिए लेकिन उनके लिए कोई और इंतजाम नहीं किया. बड़ी बात ये है कि रेलवे ने छात्रों की संख्या को देखते हुए पांच स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया लेकिन नीतीश कुमार की सरकार सोती रही और नतीजा ये हुआ कि हजारों लोग स्टेशन पर रात गुजराते दिखे. हजारों छात्र ऐसे थे जो बारिश में भीगकर, कई कई किलोमीटर पैदल चलकर परीक्षा केंद्र तक पहुंचे, लेकिन उनमें से बहुतों को घुसने नहीं दिया गया. क्या कोई बताएगा कि बिहार में परीक्षा देने आए इन नौजवानों के साथ इस बदसलूकी का जिम्मेदार कौन है? मंत्री और अफसर जो चाहें बहाना बनाएं, छात्र छात्राएं इम्तिहान देने के लिए बिहार आए, उनके रहने-ठहरने का इंतजाम और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, जिसमें नीतीश कुमार की सरकार पूरी तरह फेल हुई.
चंद्रमा पर पहुंचा चंद्रयान : अब आगे ?
23 अगस्त 2023 हम सभी हिन्दुस्तानियों के लिए गर्व करने का दिन है. भारत चांद पर पहुंच गया, हमारे चन्द्रयान-3 ने चंद्रमा पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग की. कहीं कोई खामी नज़र नहीं आई, किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं. सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ और हमारे वैज्ञानिकों ने चांद पर भारत का तिरंगा गाड़ दिया. भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक अपना अन्तरिक्ष यान उतारा. आज पूरी दुनिया ने अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत का लोहा माना. तय वक्त पर शाम 6 बजकर चार मिनट पर जैसे ही विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह को छुआ, पूरे देश में मां भारती की जय के नारे गूँज उठे, ऐसा लगा आज इन नारों की गूंज चांद तक पहुंच जाएगी. लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे, हाथों में तिरंगा था और जुबान पर भारत मां के जय का उदघोष. पूरे देश ने चन्द्रयान 3 की उतरने की प्रक्रिया को दिल थाम कर देखा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जोहन्सबर्ग से वीडियो कॉन्फ्रिैसिंग के जरिए इसरो के कमांड सेंटर से जुड़े. लखनऊ में योगी आदित्यनाथ, कोलकाता में ममता बनर्जी, मुबई में देवेन्द्र फड़नवीस, दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल, भोपाल में शिवराज सिंह चौहान, जयपुर में अशोक गहलोत, देहरादून में पुष्कर धामी – देश के अलग अलग राज्यों के मुख्यमत्री अपने अपने दफ्तरों में बैठकर इतिहास बनते हुए देख रहे थे. देश भर के स्कूलों में बच्चों को चन्द्रयान 3 की लैंडिंग को लाइव दिखाने के इंतजाम किये गये थे. पूरे देश की नजरें टीवी की स्क्रीन पर थी. बच्चे, बूढ़े और जवान , माताएं – बहनें सब हाथ जोड़कर सिर्फ सुरक्षित लैंडिंग की कामना कर रहे थे. और इसरो के कमांड सेंटर में बैठे वैज्ञानिकों की नजर विक्रम लैंडर से भेजे जा रहे पल पल के डेटा पर थी. लैंडर की क्षैतिज गति (हॉरिजॉन्टल स्पीड) और लम्बवत दूरी (वर्टिकल डिस्टेंस) तेजी से कम हो रही थी. हमारा लैंडर तेजी से चांद की सतह की तरफ बढ़ रहा था लेकिन बीच बीच में जब लैंडर की वर्टिकल स्पीड बढ़ती थी, तो लोगों की सांसे थम जाती थी. लेकिन लैंडर तय रास्ते पर था, सारे मापदंड सामान्य थे. लैंडर के कैमरे पल-पल की तस्वीरें और डेटा लगातर कमांड सेंटर को भेज रहे थे. जैसे ही लैंडर चांद से सिर्फ पचास मीटर की दूर पर पहुंचा तो उसकी उर्ध्व और क्षैतिज गति शून्य हो गई….लैंडर के लेज़र कैमरों ने सतह का मुआयना किया. कुछ सेकेन्ड तक रुकने के बाद लैंडर ने लैंडिग साइट फाइनल की और बड़े आराम से , धीरे से, चांद पर कदम रख दिए. जैसे ही लैंडर ने चांद पर सफल उतरने का संदेश भेजा तो इसरों के वैज्ञानिक खूशी से उछलने लगे, एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी. पूरे देश में जश्न शुरू हो गया, लेकिन इस जश्न से पहले जो 19 मिनट सुई के गिरने वाली खामोशी के गुजरे, उन्हें देखना, उन्हें समझना और उन्हें महसूस करना ज़रूरी है, क्योंकि इन 19 मिनटों में वैज्ञानिकों की कई वर्षों की मेहनत छिपी हुई थी. इन 19 मिनटों 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों की प्रार्थनाएं समाई हुई थी. ये 19 मिनट इंतज़ार था – देश के गौरव का, एक एतिहासिक पल का . इसरो के वैज्ञानिक पिछले 48 घंटे से सोए नहीं थे क्योंकि लैंडर विक्रम को चांद पर उतारने की तैयारियां 48 घंटे पहले शुरू हो चुकी थी. दोपहर एक बजकर पचास मिनट पर इसरो के कमांड सेंटर में बैठे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान के लिए ऑटोमैटिक लैंडिंग सिक्वैंस कमांड लॉक कर दिया. इसका मतलब है, विक्रम लैंडर को चांद पर लैंड करने की तैयारी का निर्देश दे दिया गया, जिसमें अब कोई बदलाव नहीं हो सकता. इसे ALS कहते हैं. इस कमांड के जरिए वैज्ञानिकों ने विक्रम लैंडर को मैसेज दिया कि जब शाम पांच बजकर 44 मिनट पर उसकी पोजीशन चांद से करीब 30 किलोमीटर ऊपर और लैंडिंग प्वाइंट से करीब 800 किलमीटर की दूरी पर होगी, उसी वक्त लैंडिंग का प्रोसेस शुरू होगा. विक्रम लैंडर ने साइंटिस्ट की कमांड को लॉक कर दिया. पांच बजकर 44 मिनट पर लैंडर ने लैंडिग के प्रोसेस का फर्स्ट फेज – रफ ब्रेकिंग शुरु कर दी. .ये फेज़ 690 सेकेन्ड का था. इस फेज की शुरूआत के साथ ही टाइम ऑफ टेरर यानि धड़कने थामने वाले क्षण शुरू हो गए. इस दौरान लैंडर विक्रम की स्पीड को 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड से घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड यानी क़रीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक लाया गया. लैंडर की स्पीड कम करने के लिए चार इंजन फायर किए गए. इन साढ़े ग्यारह मिनटों में विक्रम लैंडर 745.6 किलोमीटर की हॉरिजॉनटल (क्षैतिज) दूरी कवर की और इसकी चांद से वर्टिकल दूरी- यानि चांद की सतह से लैंडर विक्रम की ऊंचाई 30 किलोमीटर से घटकर 7.4 किलोमीटर रह गई. ये साढ़े ग्यरह मिनट धड़कने बढ़ाने वाले थे क्योंकि उतरने की प्रक्रिया के शुरू होने के करीब साढ़े चार मिनट बाद वैज्ञानिकों के नजरें लैंडर विक्रम की रफ्तार पर थी. .स्क्रीन पर लैंडर की क्षैतिज रफ्तार कम हो रही थी, वर्किटल स्पीड भी 16 मीटर प्रति सेकेन्ड् तक गिर गई .चांद से वर्टिकल दूरी भी करीब 29 किलोमीटर रह गई, लेकिन इसके बाद अचानक वर्टिकल गति बढ़ने लगी और एक मिनट में 70 मीटर प्रति सेकेन्ड तक पहुंच गई. यानि उस वक्त लैंडर विक्रम चांद की तरफ 70 मीटर प्रति सेकेन्ड की रफ्तार से उतर रहा था. और उस वक्त लैंडर की चांद से दूरी सिर्फ 13 किलोमीटर थी. ये देखकर वैज्ञानिकों के चेहरों के भाव बदल गए लेकिन अगले ही कुछ पलों में फिर लैंडर ने चाल बदली, वर्टिल स्पीड को तेजी से कम किया. लैंडर विक्रम जब चांद से साढ़े सात किलोमीटर की ऊंचाई पर था, उस वक्त लैंडर की हॉरिजॉटल स्पीड कम होकर 375 मीटर प्रति सेकेन्ड और वर्टिकल स्पीड 62 मीटर प्रति सेकेन्ड रह गई. तब वैज्ञानिकों ने चैन की सांस ली. दक्षिण अप्रीका के जोहान्सबर्ग में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की इस सफलता को देखकर अभिभूत हो गए. मोदी ने कहा, वो भले ही ब्रिक्स सम्मेलन में बैठे हैं लेकिन उनका दिल देश में ही है, उनका दिल दिमाग सिर्फ चन्द्रयान पर टिका था. मोदी ने कहा कि ये गर्व की बात है कि वह भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने. मोदी ने खुले मन से, पूरे दिल से इसरो के वैज्ञानिकों को पूरे देश की तरफ से शुक्रिया कहा. मोदी ने कहा कि भारत को ये स्वर्णिम पल दिखाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सालों तक तपस्या की, दिन रात मेहनत की और उस सपने को साकार किया जो देशवासी कई सालों से देख रहे थे. मोदी ने कहा कि ये बहुत बड़ी सफलता है, ये कदम मानवता के लिए अन्तरिक्ष में नए द्वार खोलेगी. इंसान का सफर अब चांद सितारों तक आगे बढ़ेगा. इसके बाद मोदी ने आम लोगों के दिल की बात की. कहा कि अब चंदा मामा दूर के नहीं, चंदा मामा टूर के होंगे यानि अब चांद पर जाना आसान होगा. मोदी ने कहा कि अब तक तो किस्से कहानियों में चांद से रिश्ता था लेकिन अब वो रिश्ता हकीकत में बदल गया है. अब किस्से कहानियां हकीकत में बदल गए हैं. मोदी की ये बात तो सही है कि चांद को हम बचपन से चंदा मामा के नाम से जानते हैं. ‘चंदा माम दूर के, पूए पकाए बूर के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में’ – यही सुनते आए हैं. हमारे यहां चांद को देवता मानकर पूजा की जाती है. चांद को देखकर सुहागिनें करवाचौथ के व्रत तोड़ती है, चांद को देखकर तय होता है कि ईद कब मनाई जाएगी. माना जाता है कि पूर्णिमा की रात चांद का असर लोगों के व्यवहार पर होता है. पूर्मिणा की रात समंदर में ज्वार आता है. इन सबके पीछे हजारों सालों से हमारा जो विश्वास है, जो हमारी मान्यताएं हैं, उनके आधार पर आज दुनिया भर में मून मिशन में लगे वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं चन्द्रमा धरती का टुकड़ा है लेकिन हमारे यहां तो चांद और घरती का रिश्ता हजारों से साल से भाई बहन का है. धरती मां है और चंदा मामा. आजकल लोग याद दिला रहे हैं कि पुराण मे एक श्लोक है जिसमें धरती से चन्द्रमा की दूरी का एक्जैट कैकलकुलेशन है. पुराण हजारों साल पहले लिखे गए थे. ये जानकर अच्छा लगता है कि हमारे ऋषियों-मुनियो के पास जो जानकारी हजारों साल पहले थी, वो वैज्ञानिकों की खोज में सही निकली. आज जो सफलता हमारे वैज्ञानिकों को मिली, उसने हमें आधुनिक विज्ञान में भी दुनिया के पहले दो मुल्कों में लाकर खड़ा कर दिया. पिछले दस साल में चांद पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत दूसरा देश बना. चार साल पहले चीन को ये सफलता मिली थी. पिछले दस साल में पांच देशें ने चांद पर उतरने की कोशिश की. भारत और चीन के अलावा रूस, जापान और इस्राइल. इनमें से अब तक चीन को सफलता मिली थी. आज भारत ने ये गौरव हासिल किया. इस्राइल और जापान के मून मिशन प्राइवेट कंपनियों द्वारा भेजे गए थे. अब तीन दिन के बाद 26 अगस्त को जापान की स्पेस एजेंसी एक बार फिर चांद पर उतरने की कोशिश करेगी. सवाल है कि क्या अब चंद्रयान-4 लॉन्च किया जाएगा? चाँद पर भारत का अगला मिशन क्या होगा? मेरी जानकारी ये है कि भारत के अगले मून मिशन का नाम चन्द्रयान नहीं होगा. चन्द्रमा के लिए अगला मिशन अगले साल 2024-25 में लॉच किया जाएगा. ये मिशन जापान के साथ सहयोग में होगा. इसका नाम होगा LUPEX (Lunar Polar Exploration Mission). इसमें भी एक लैंडर और एक रोवर होगा जो दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. हालांकि अभी इसका एलान नहीं किया गया है.
CHANDRAYAAN REACHES THE MOON: WHAT NEXT?
August 23, 2023 shall remain a red-letter day, a day of pride for more than a billion Indians, both in India and across the globe. It was celebration time as ISRO scientists showed to the world that they can deliver. India has become the first nation in the world to reach the south pole of the Moon. It has become the fourth member of the elite lunar club. The landing of Chandrayaan-3 was soft, without a glitch. Everything went according to plan as India left its imprint on the soil of Moon. By midnight, the rover Pragyan rolled out from the lander Vikram, at a speed of one centimetre per second, and on Thursday morning, scientists at the ISRO were elated over this big success. US space agency NASA, European Space Agency and other developed nations while congratulating ISRO have acknowledged India’s scientific capabilities in the fiercely competitive space sector. The entire nation and overseas Indians across the globe watched the final descent of lander Vikram on television and social media on Wednesday. There were shouts of jubilation as the lander touched base. ‘Bharat Mata Ki Jai’ slogans were chanted and people clapped, with tears of joy in their eyes. Prime Minister Narendra Modi, who had joined the ISRO command centre in Bengaluru via video conferencing from Johannesburg, described the moment as unbelievable and historic. The live telecast was watched by Yogi Adityanath in Lucknow, Mamata Banerjee in Kolkata, Devendra Fadnavis in Mumbai, Arvind Kejriwal in Delhi, Shivraj Singh Chouhan in Bhopal and Ashok Gehlot in Jaipur, apart from most of the other chief ministers, top political leaders, judges including Chief Justice D.Y. Chandrachud and others. They were watching history being made. Prime Minister Modi thanked ISRO scientists from the bottom of his heart and said ‘this is a victory cry (vijay ka shankhnaad) of a developed India’. “Today we have watched the new flight of New India in space”, he said. He praised ISRO chairman S. Somnath and said his very name ‘Somnath’ was linked to the Moon. Modi spoke of future endeavours in the making – sending Aditya L-1 to probe the Sun, India’s first manned spaceflight Gaganyaan, and another mission proposed for Venus. Modi was right when he said, “Indians since their childhood have been describing the Moon as ‘Chandamama (Uncle Moon). The Moon is worshipped as a god in India, married Indian women observe Karwa Chauth and break their fast after having a look at the Moon. The sighting of Moon decides when Eid festival will be celebrated. There is widespread belief that a Full Moon night causes changes in the behaviour of human beings, and it causes sea tides too. These beliefs and traditions have been there among the people of India since millenniums. Scientists are conducting research on some of these beliefs. Most of the scientists believe that our Moon had been a part of Earth, millions of years ago. In Indian tradition, however, Earth is worshipped as Mother and the Moon is worshipped as Mama (uncle). Some people have claimed that there is one ‘shloka’ in one of our Puraans in which the exact calculation of the distance between Earth and Moon has been made. ‘Puraans’ (Hindu scriptures) were written several thousand years ago. It makes one proud to know that our ‘rishis’ and ‘munis’ (sages) had information about the cosmos thousands of years ago, some of which have now been proved to be correct. Chandrayaan’s success puts us in the group of other two big nations. India has become the second nation to land on the Moon in the last decade. China achieved this feat four years ago. In the past ten years, five countries tried to land on the Moon. While India and China succeeded, Russia, Japan and Israel failed. Private companies of Israel and Japan had sent lunar probes. On August 26, a spacecraft of Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA) will try again to land on the Moon. The question now is, what next? What will be the next Moon mission from India? My information is that the next Moon mission from India will not be named Chandrayaan. It will be a joint India-Japanese lunar mission LUPEX(Lunar Polar Exploration Mission) in 2024-25. The final details are yet to be announced. It could be an uncrewed lunar lander and rover which will probe the south pole of the Moon.
यूपी में बीजेपी का हिन्दुत्व, ओबीसी कार्ड
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अपना अभियान शुरु कर दिया है. सोमवार को स्वर्गीय कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर अलीगढ में आयोजित रैली में विषय भी स्पष्ट था और लक्ष्य भी. पार्टी ने हिन्दू गौरव दिवस का आयोजन किया. इस मौके पर बीजेपी ने एक मंच पर सभी जातियों के नेताओं को इकट्ठा किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों के अलावा, दिल्ली से गृह मंत्री अमित शाह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संजीव बालियान और बी एल वर्मा भी पहुंचे. अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह के सारे सपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे किए हैं. कल्याण सिंह चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, वो हो रहा है. कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग को उनका हक देना चाहते थे, नरेन्द्र मोदी वही काम कर रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि कल्याण सिंह ने पहली बार बीजेपी को यूपी में 80 में से 73 सीटें जितवाईं. अब 2024 में यूपी की सभी 80 सीटों पर बीजेपी को जिताना है. यही कल्याण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. अमित शाह ने 80 सीटों का लक्ष्य घोषित किया. मुद्दा हिन्दुत्व होगा, राम मंदिर का निर्माण होगा और बीजेपी की कोशिश होगी कि जात-पांत भूलकर सभी को हिन्दुत्व के मुद्दे पर एकजुट किया जाए. बहुत से लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की निगाह अब पिछड़े वर्ग के वोट पर है. बीजेपी पिछड़े नेताओं को आगे करेगी, पिछड़े वर्ग की बात करेगी. चूंकि कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता थे इसीलिए बीजेपी ने उनकी पुण्य तिथि पर इतना भव्य प्रोग्राम किया, लेकिन यदि आप अमित शाह, योगी और दूसरे नेताओं की बात सुनेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी की रणनीति इससे अलग है. अलीगढ़ में आज बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी. कल्याण सिंह की पुण्य तिथि पर सभी छोटे बड़े नेता पहुंचे, अगड़ी, पिछड़ी और दलित, सभी जातियों के नेता शामिल हुए. अमित शाह और योगी के अलावा वसुन्धरा राजे, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, मंत्री अनिल राजभर, मंत्री संदीप सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री जतिन प्रसाद, और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मंच पर मौजूद थे. बीजेपी ने साफ कर दिया कि बीजेपी के लिए हिन्दुत्व और राम मंदिर अगले चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा. जहां तक जातियों का सवाल है, तो बीजेपी सभी जातियों के लोगों को साथ लेकर चलेगी. उत्तर प्रदेश से बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद है. पार्टी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पिछली बार के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतेगी. पिछले चुनाव में एनडीए को 64 सीटें मिली थी. इस बार स्थिति सुधरेगी. बीजेपी के विरोधी भी मानते हैं कि यूपी में बीजेपी 70 से 75 तक सीटें जीत सकती है. इसकी दो बड़ी वजह है. एक, योगी आदित्यनाथ ने यूपी में कानून और व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त सुधार किया है. लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, लोग चैन की जिंदगी जीते हैं. इसका असर आर्थिक विकास पर भी पड़ा है. पहले लोग यूपी में पूंजी लगाने में डरते थे, अब यूपी निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल बनता जा रहा है. दूसरी वजह है, राम मंदिर का निर्माण. 600 साल के बाद हिंदुओं की आस्था का प्रतीक राम मंदिर भगवान राम के जन्मस्थान पर बनकर तैयार हो रहा है. प्रधानमंत्री जनवरी में इसे देश को समर्पित करेंगे. इसका भावनात्मक असर होगा. इसीलिए अमित शाह और योगी ने बार बार राम मंदिर का जिक्र किया. यूपी में बीजेपी ने तीसरा काम किया है अगड़ी पिछड़ी दलित सभी जातियों को एकजुट करने का. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने मिलकर जातिगत समीकरणों को काफी हद तक दुरुस्त किया है. पर ये ‘वर्क इन प्रोग्रेस है’, अर्थात काम अभी जारी है.
मुसलिम वोट बैंक पर ममता की नज़र
चुनाव की तैयारी में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी भी लगी हैं. ममता की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है. सोमवार को ममता बनर्जी की सरकार ने कोलकाता में इमाम और मुअज्जिनों का सम्मेलन किया जिसमें पूरे राज्य से अल्पसंख्यकों के नेता जुटे. इस मौके पर ममता ने इमामों की तनख्वाह में हर महीने 500 रुपए की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया. इसके साथ साथ ममता ने कहा कि उनकी सरकार पुजारियों का भत्ता भी 500 रुपए महीने बढ़ाएगी. अब बंगाल में इमामों को तीन हजार रूपए और पुजारियों को 1500 रूपए हर महीने मिलेंगे. पुजारियों और इमामों की तनख्वाह में इजाफे के एलान के बाद ममता ने बीजेपी पर मुसलमानों से नफरत करने का इल्जाम लगाया. ममता ने कहा कि अल्पसंख्यकों को, खासतौर पर मुसलमानों को बीजेपी से सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि बीजेपी के कुछ नेता, कई अल्पसंख्यक नेताओं को पैसे देकर बंगाल का माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं. ममता ने ये भी कह दिया कि बंगाल के लोगों को CPM और कांग्रेस से भी बचकर रहना चाहिए क्योंकि बीजेपी, CPM और कांग्रेस आपस में मिले हुए हैं. इसके बाद ममता बनर्जी ने यूनीफॉर्म सिविल कोड, NRC और CAA की बात की. कहा, वो बंगाल में इस तरह के कानून किसी कीमत पर लागू नहीं होने देंगी. ममता ने कहा, ‘ मैं फुरफुरा शरीफ़ के मौलाना का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मैं आपसे भी ये उम्मीद करती हूं कि आप राजनीति में नहीं पड़ेंगे. क्या बेलूर मठ किसी राजनीतिक विवाद में पड़ता है? जब कोई धार्मिक स्थल किसी सियासी मामले में पड़ता है, तो उससे उस धर्मस्थान का नाम नहीं बढ़ता, उनका अपयश होता है. मैं अपना धर्म अपने माथे पर लिखकर नहीं चलती. मेरा धर्म मेरे दिल में है. मेरा धर्म मेरे मन में है. मेरे प्राण में है.’ ममता बनर्जी इमामों की तनख्वाह बढ़ाएं, इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. ममता बीजेपी का नाम लेकर मुसलमान को डराएं, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. अचरज की बात तो ये है कि ममता ने बंगाल के लोगों से कहा कि बीजेपी, CPM और कांग्रेस आपस में मिले हुए हैं. अब लोग पूछ सकते हैं कि ममता तो पटना और बैंगलोर में दो-दो बार कांग्रेस और CPM के नेताओं के साथ मीटिंग कर चुकी हैं, मोदी के खिलाफ जो गठबंधन बना है, उसमें ममता के साथ राहुल गांधी और सीताराम येचुरी भी शामिल हैं. तो फिर बंगाल में CPM और कांग्रेस बीजेपी की मदद क्यों करते हैं? इसका जवाब ममता को देना चाहिए.
मध्य प्रदेश में तीर्थाटन की राजनीति
धर्म की राजनीतिक मध्य प्रदेश में भी हो रही है. यहां नवम्बर में विधानसभा चुनाव होंगे. अब कांग्रेस के ये नेता ये साबित करने में जुटे हैं कि वो बीजेपी से ज्यादा धार्मिक हैं. अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के नेता अपने अपने क्षेत्रों के लोगों को मुफ्त में धार्मिक यात्रा करवा रहे हैं. इसीलिए आजकल मध्य प्रदेश से बसों और ट्रेनों के जरिए जत्थे के जत्थे वैष्णो देवी, महाकाल, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन जा रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने अपने इलाके के 11,000 लोगों को 201 बसों से महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन भेजा है. विश्वास सारंग हाल में कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा भी करा चुके हैं और अगले कुछ दिनों में बागेश्वर बाबा की कथा भी आयोजित कराने जा रहे हैं. दरअसल विश्वास सारंग के नरेला विधानसभा क्षेत्र से मनोज शुक्ला कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. पिछले दो साल से मनोज शुक्ला लोगों का तीर्थाटन करा रहे हैं, लेकिन सारंग को कांग्रेस का ये नया-नया हिन्दू प्रेम पसंद नहीं आ रहा है. विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस के नेता चुनाव से पहले धार्मिक हो जाते हैं जबकि वो पूरे साल इस तरह के आयोजन करते हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता बीजेपी पर राजनीति में धर्म के इस्तेमाल का इल्जाम लगा रहे हैं. कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे पी सी शर्मा भी आजकल लोगों को धार्मिक यात्रा पर भेज रहे हैं. वो खुद भी भक्तों के साथ भजन कीर्तन करते नजर आते हैं. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के साथ 3,200 किलोमीटर की पैदल नर्मदा यात्रा कर चुके रवीन्द्र झूमर वाला दो महीने में गोविंदपुर के 18 वार्डों में से 15 वार्डों की 8000 महिलाओं को 6 चरणों में 200 से ज्यादा बसों के जरिए सलकनपुर की यात्रा करा चुके हैं। झूमरवाला ने अपने क्षेत्र के लोगों को नर्मदा की परिक्रमा पर भेजा है. लेकिन चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं का हिन्दुत्व प्रेम कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं को रास नहीं आ रहा है. यूपी, उत्तराखंड और मिजोरम के राज्यपाल रहे कांग्रेस के सीनियर नेता अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि ‘ नेहरु की कांग्रेस कहां से कहां पहुंच गई, आज कांग्रेस नेता जय गंगा मइया…जय नर्मदा मइया कह रहे हैं, धार्मिक यात्राएं कर रहे हैं, चुनाव से पहले वोट के लिए हिन्दुत्व की माला जपने वाले ऐसे कांग्रेस नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.’ कांग्रेस और बीजेपी के नेता चुनाव जीतने के लिए भले ही जनता को धार्मिक यात्राओं पर भेज रहे हों, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनावी एजेंडा बिल्कुल साफ है. उन्हें अपनी सरकार के कामों पर भरोसा है. सोमवार को शिवराज सिंह ने 5580 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए. शिवराज सिंह ने कहा कि न वो मुफ्त की योजनाओं के वादे करेंगे, न भविष्य के सपने दिखाकर वोट मांगेंगे. शिवराज ने कहा कि जनता को काम का हिसाब देंगे और अगर जनता को काम पसंद आएंगे तो उन्हें फिर मौका देगी. मुझे लगता है कि यही रास्ता सही है, सभी पार्टियों को , सभी नेताओं को यही रास्ता अपनाना चाहिए.
BJP EYES HINDUTVA, OBC VOTES IN U.P.
BJP on Monday launched its poll campaign from Kalyan Singh’s home turf, Aligarh, in Uttar Pradesh. The theme was clear and the target was specific. The occasion was ‘Hindu Gaurav Diwas’ celebrated by the party in Aligarh to commemorate the second death anniversary of Late Kalyan Singh. The ruling party gathered leaders from almost all castes on its platform, even as the rally was addressed by Chief Minister Yogi Adityanath and his ministers, Home Minister Amit Shah, Commerce Minister Piyush Goyal and other central ministers Sanjiv Balyan and B L Verma. Amit Shah said, Prime Minister Narendra Modi has fulfilled all the dreams of backward Lodh caste leader Kalyan Singh. He said, Kalyan Singh wanted a huge Ram Temple in Ayodhya which will be opened early next year. Shah reminded that it was Kalyan Singh who was the strategist behind BJP winning 73 out of 80 seats from UP for the first time. Shah said the target this time is to win all the 80 seats, and “this will be a fitting tribute to him”. Both Amit Shah and Yogi remembered Kalyan Singh as a “true Ram Bhakt” who chose to sacrifice his chief ministership post-Babri mosque demolition in Ayodhya. Amit Shah recalled how Kalyan Singh guided him in 2013 in strategizing the landslide win from UP during the Lok Sabha polls. Clearly, BJP is sending out the message this time about consolidation of Hindutva and OBC votes in UP. This was evident from the big line-up of leaders and ministers on the dais, from upper castes to backwards and Dalits. From Vasundhara Raje to both Deputy CMs of UP, Keshav Prasad Maurya and Brajesh Pathak, anil Rajbhar, Sandeep Singh, Swatantra Dev Singh, Jatin Prasad and state party chief Bhupendra Chaudhary. BJP has the highest hopes from Uttar Pradesh for the 2024 Lok Sabha elections. The party leadership feels that BJP may win more LS seats this time compared to 2019, when the NDA had won 64 seats. The party expects to improve its tally. Even those opposed to BJP admit that the party can win anything from 70 to 75 LS seats in UP. There are two main reasons: One, Yogi Adityanath has transformed the law and order scene in UP. The man on the street feels himself safe and is living a peaceful life. This has had its effect on economic development. Earlier, industrialists used to fear investing in UP, but now, the state has become a favourite destination for investors. Two, the dedication of the Ram Temple in Ayodhya in January by Prime Minister Narendra Modi will have a huge emotional effect. For 600 years, the Ram Janmasthan has been a symbol of faith for millions of Hindus. At the rally, both Shah and Yogi repeatedly referred to the construction of Ram Temple. Meanwhile, BJP has started mobilizing both forward and backward castes, apart from Dalits. Both Shah and Yogi have tuned the caste equations to a large extent. At the moment, I can only say, it is a “work in progress”.
MAMATA WOOS MULSIMS
There is another ‘work in progress’ in West Bengal. Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee, while addressing a conference of Imams and muezzins in Kolkata, announced a Rs 500 hike per month in the salaries of imams. She said, a similar Rs 500 hike has been paid in the salaries of Hindu priests. From now on, imams in Bengal will get Rs 3,000 per month and Hindu priests will get Rs 1500 per month. Mamata turned towards BJP and cautioned Muslims to remain on alert against what she called ‘hate speeches’. She alleged that BJP was trying to spoil the atmosphere in Bengal by ‘paying’ some leaders of minorities. She also asked Muslims to remain on guard against CPI(M) and Congress, and said, both these parties are now hand in gloves. Mamata mentioned uniform civil code, National Register of Citizens and Citizenship Amendment Bill, and promised she would now allow these to be implemented in Bengal. She appealed to the influential Maulana of Furufura Sharif to stay away from politics like Ramkrishna Mission’s Belur Math. “I don’t walk around with religion written on my forehead, my religion is in my heart, my mind”, said the chief minister. With LS elections approaching, nobody should be surprised if Mamata hikes the salaries of imams and presents BJP as a bugbear for Muslims. The surprising part was when she said Congress, BJP and CPI(M) are “hand in gloves” in Bengal. Naturally, people will ask, why Mamata attended two opposition conclaves in Patna and Bangalore attended by top Congress and CPI-M leaders. The anti-Modi alliance comprises Mamata, Rahul Gandhi and Sitaram Yechury too, apart from other leaders. Then why are Congress and CPI-M helping BJP in Bengal? Mamata must reply.
RELIGIOUS TOURISM IN M.P.
Madhya Pradesh is also witnessing a ‘work in progress’ at a frantic pace, with assembly elections due in November. Leaders of both Congress and BJP are organizing free pilgrimage for Hindu voters by buses and trains for visiting Ujjain, Vaishno Devi, Ayodhya and Mathura. Congress leaders have become more religious in public compared to their BJP counterparts. BJP minister Kailash Sarang sent 11,000 devotees in 201 buses for ‘darshan’ of Mahakaleshwar in Ujjain and is soon going to organize a ‘katha’ (discourse) by Bageshwar Baba. The reason: Manoj Shukla, who is vying for a Congress ticket from Sarang’s Narela constituency, has been organizing religious tourism since last two years. Another senior Congress leader P C Sharma, a former minister in Kamal Nath’s cabinet, has also been sending voters on pilgrimage and is himself taking part with people in ‘bhajan kirtan’ events. Another Congress leader Ravindra Jhumarwala, who had gone on Narmada Yatra with former CM Digvijaya Singh, has sent voters of his constituency on Narmada Parikrama this time. These activities have raised the ire of senior Congress leader Aziz Qureshi, former UP governor, who said, “I fail to understand where Nehru’s Congress is going now. Congress leaders are now chanting ‘Jai Ganga Maiya’ ‘Jai Narmada Maiya’, going on pilgrimages. They should die of shame.” Qureshi said, if political parties do not worry about Muslims, then why should the minorities vote for them. The ground reality is, even if both BJP and Congress send voters on pilgrimages, Chief Minister Shivraj Singh Chouhan’s election agenda is clear. He is confident people will vote his party back to power. On Monday, he distributed appointment letters to 5,580 teachers. He said, ‘I am not going to give false guarantees about freebies’. I think this is the correct approach. All political parties should follow this principle.
क्या बिहार में जंगल राज है?
बिहार पुलिस ने शनिवार को ऐलान किया कि आररिया में पत्रकार विमल कुमार यादव की हत्या के सिलसिले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, तथा दो अन्य आरोपियों से पूछताछ करने के लिए रिमांड आवेदन दिया गया है. ये दोनों अभी अररिया जेल में हैं. प्रमुख हिंदी दैनिक जागरण के पत्रकार विमल कुमार यादव शुक्रवार सुबह अपने घर पर सो रहे थे, जब चार नक़ाबपोश हत्यारे आये और दरवाजा खोलते ही उनके सीने पर गोलियां दाग दी. विमल कुमार 2019 में अपने सरपंच भाई शशिभूषण की हत्या के एकमात्र गवाह थे और वह अदालत में गवाही देने वाले थे. विमल कुमार के परिवार वालों का आरोप है कि बदमाशों ने अदालत में उन्हें गवाही न देने का धमकी दी थी, पर विमल कुमार नहीं माने. पत्रकार के परिवारजनों ने आरोप लगाया कि उन्होने विमल की सुरक्षा के लिए पुलिस से गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई. विमल के पिता की शिकायत के आधार पर दर्ज़ एफआईआर में 8 लोगों को नामजद किया गया है. सुशासन बाबू के राज में अपराधियों के हौसले बुलंद है. दो दिन पहले पशु तस्करों ने समस्तीपुर में एक पुलिस दरोगा की सरेआम हत्या कर दी थी. पत्रकार विमल कुमार यादव अपने घर में इकलौते कमाने वाले थे.उनके दो बच्चे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ये बहुत गंभीर घटना है., बहुत दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए. .नीतीश का जवाब सुनकर लगा कि किसी राज्य का मुखिया एक नौजवान की सरेआम हत्या पर इस तरह बड़े सपाट और संवेदनशून्य तरीके के कैसे रिएक्ट कर सकता है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को दिल्ली, मुंबई घूमने से फुरसत नहीं, उनको पता ही नहीं होता कि बिहार में क्या हो रहा है, . इसीलिए बिहार में अपराधी नियंत्रण से बाहर हो गए हैं.. सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश और तेजस्वी के राज में अपराधी इतने बेख़ौफ़ हैं कि वो पुलिसवालों को भी गोली मारने से नहीं डरते. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बीजेपी के नेताओं को अलग अंदाज में जवाब दिया.. तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी के नेता तो बिहार को बदनाम करने में लगे रहते हैं जबकि बिहार से ज़्यादा क्राइम रेट तो दिल्ली का है और दिल्ली पुलिस सीधे अमित शाह के तहत काम करती है. कहा, जब बीजेपी दिल्ली में अपराध नहीं रोक पा रही, तो बिहार पर किस मुंह से जंगलराज का इल्ज़ाम लगाती है. सवाल ये है कि बिहार में एक पत्रकार की दिनदहाड़े हत्या हुई.. पत्रकार अपने भाई की हत्या का चश्मदीद गवाह था. तो हत्या का मकसद तो साफ है. हत्यारे कौन हैं, इसका भी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.तो फिर पुलिस के सामने क्या समस्या है. दूसरी बात ये कि हत्या की आशंका पहले से थी तो भी पुलिस ने सतर्कता पहले क्यों नहीं बरती. सवाल ये है कि अपराधियों की हिम्मत इतनी क्यों बढ़ गई..पत्रकार की हत्या हो गई, दारोगा को सरेआम गोली मार दी गई और मुख्यमंत्री का रुख ये है कि देखेंगे, सोचेंगे, बात करेंगे, पता लगाएंगे. मुझे लगता है कि प्रॉब्लम इस तरह की सोच से है..अगर इस तरह से सरेआम हत्याएं होंगी तो लोग सवाल तो उठाएंगे. विरोधी दलों को भी आलोचना करने का मौका मिलेगा.लेकिन इस बात को ये कहकर नहीं दबाना चाहिए कि बीजेपी बिहार को बदनाम करना चाहती है, न ही ये कहकर अपराधों को कम आंकना चाहिए कि अपराध तो दिल्ली में भी होते हैं और आग तो मणिपुर में भी लगी हुई है. सवाल दिल्ली पर भी पूछे जाएंगे, .सवाल मणिपुर पर भी पूछे जाएंगे लेकिन ये घटनाएं बिहार की हैं.अगर मीडिया और पुलिस सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर आम जनता अपने आप को कैसे सुरक्षित महसूस करेगी.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कर्नाटक फॉर्मूला
मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई हैं. कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ आरोपों की बौछार कर दी. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सिंह की सरकार के खिलाफ घोटालों का आरोप पत्र जारी किया. इसकी टैग लाइन है..- घोटाले ही घोटाले, घोटाला सेठ, 50 परसेंट कमीशन रेट. कमलनाथ ने इल्जाम लगाया कि शिवराज के पचास परसेंट कमीशन राज ने मध्यप्रदेश को घोटाला प्रदेश बना दिया है.. अब कांग्रेस शिवराज सरकार के घोटालों की लिस्ट को घर घर पहुंचाएगी. क्योंकि बीजेपी की सरकार ने मध्य प्रदेश को सिर्फ भ्रष्टाचार और अत्याचार ही दिए हैं. जवाब देने में शिवराज सिंह चौहान ने भी देर नहीं की. शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ इधर उधर की बातें न करें, ये बताएं कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट कहां है क्योंकि वो तो दावा कर रहे थे कि चुनाव से एक साल पहले लिस्ट जारी कर देंगे. शिवराज ने कहा कि जहां तक आरोपों का सवाल है तो कांग्रेस समझ रही है कि उसकी हार तय है, इसलिए बौखलाहट में इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. बीजेपी के नेताओं ने कहा कि कमलनाथ वो दिन भूल गए जब उनकी सरकार के वक्त मध्य प्रदेश का सचिवालय कमीशनखोरों का अड्डा बन गया था, हर काम के बदले पैसे लिए जाते थे. इसके जबाव में कमलनाथ ने कहा कि वल्लभ भवन से लेकर सीएम हाउस तक हर जगह कैमरे हैं., कैमरों की रिकॉर्डिंग सरकार के पास है, अगर उनके जमाने में करप्शन हुआ तो बीजेपी CCTV फुटेज निकालकर जांच क्यों नहीं करवाती. कमलनाथ की का जबाव दिया शिवराज की सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने. कहा, अगर कैमरे के सबूत खंगाले जाएंगे तो कांग्रेस को भारी मुश्किल होगी .क्योंकि फिर तो कमलनाथ का नाम वाकई में करप्टनाथ ही करना पड़ेगा.मध्य प्रदेश में कांग्रेस कर्नाटक वाला फॉर्मूला पूरी तरह अपना रही है. उसे लगता है यहां भी एंटी इनकम्बेंसी का फायदा मिल सकता है. वहां 40 परसेंट कमीशन का नारा लगाया था. यहां 50 परसेंट का नारा दे दिया. वहां जनता के लिए मुफ्त गारंटी का ऐलान किया था. यहां भी कर दिया. वहां भी बजरंगबली का नाम लिया था..यहां भी हनुमान जी को याद किया ,वहां भी कांग्रेस ने बीजेपी की लोकल लीडरशिप में नाराजगी का फायदा उठाया था, यहां भी बीजेपी में गुटबाजी और गुना ग्वालियर संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर स्थानीय नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश है. कर्नाटक में भी रणदीप सुरजेवाला ने कमान संभाली थी, मध्य प्रदेश में भी सुरजेवाला आ गए हैं. लेकिन ये कर्नाटक नहीं है, यहां मुकाबला शिवराज से है. शिवराज सिंह चौहान बराबर की चोट करते हैं. बीजेपी का नेतृत्व शिवराज के साथ खड़ा है. .नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी अमित शाह को सौंपी है, अमित शाह ने काम शुरू कर दिया है. चार बार मध्य प्रदेश का दौरा कर चुके हैं, सारी समितियां बना दी हैं, सबकी जिम्मेदारी तय कर दी है. उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है .और अमित शाह दो दिन बाद फिर भोपाल जाएंगे. पहले शिवराज सिंह की सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखेंगे, इसके बाद ग्वालियर जाकर ज्यातिरादित्य सिंधिया के इलाके के नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे. उसके बाद बीजेपी का चुनावी अभियान पूरे रंग में होगा. इसलिए अभी भले ही कांग्रेस के नेताओं को लग रहा हो कि मध्य प्रदेश में लड़ाई आसान होगी. लेकिन अगले हफ्ते से जब बीजेपी नेताओं की रैलियों की कॉरपेट बॉम्बिंग करेगी, तब पता लगेगा कि कौन कितने पानी में है.
अमेठी से राहुल ? वाराणसी से प्रियंका?
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष अजय राय ने ऐलान कर दिया कि राहुल गांधी अमेठी से ही अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे क्योंकि अमेठी की जनता ने स्मृति ईरानी का काम देख लिया, अब अमेठी की जनता फिर राहुल गांधी की राह देख रही है. अजय राय ने कहा कि अगर प्रियंका गांधी चाहें तो वाराणसी से लड़ सकती हैं, कांग्रेस के कार्यकर्ता उनके लिए जान लगा देंगें. अजय राय को एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है और अजय राय ने राहुल गांधी के बारे में एलान कर दिया. अजय राय 2014 और 2019 में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों बार बुरी तरह हार चुके हैं. .बीजेपी के नेताओं ने अजय राय को इसी इतिहास की याद दिलायी. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एक दौर था जब यूपी में कांग्रेस अस्सी सीटें जीतती थी, अब सिर्फ दो-तीन सीटें जीतने पर जोर है, कांग्रेस की अब ये हालत हो गई है. राहुल गांधी को इस वक्त लेह में हैं, वहां फुटबाल का मैच देख रहे हैं. इसलिए ये कहना तो मुश्किल है कि अजय राय ने राहुल गांधी से पूछ कर उनकी अमेठी की उम्मीदवारी का एलान किया है या नहीं. लेकिन अच्छा ये हुआ कि कम से उन्होंने ये नहीं कहा कि राहुल सिर्फ अमेठी से ही चुनाव लड़ेंगे. कम से कम राहुल के पास थोड़ा स्कोप तो रहेगा लेकिन अजय राय ने प्रियंका गांधी के सामने मुसीबत खड़ी कर दी. अब अगर कांग्रेस को प्रियंका चुनाव मैदान में उतारेगी तो उसके लिए सीट का फैसला करना मुश्किल होगा क्योंकि अगर वाराणसी से प्रियंका को नहीं उतारा तो कहा जाएगा कि कांग्रेस ने पहले ही मोदी से हार मान ली और अगर मजबूरी में प्रियंका को वाराणसी से उतारा तो नुकसान प्रियंका का होगा क्योंकि 1991 के बाद से वाराणसी की सीट पर हमेशा बीजेपी ही जीती है और नरेन्द्र मोदी ने पिछले दो चुनाव रिकॉर्ड वोटों से जीते.. इसलिए लगता है कि अजय राय अति उत्साह में कुछ ज्यादा ही बोल गए. उन्होंने राहुल और प्रियंका दोनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी.
IS JUNGLE RAJ BACK IN BIHAR?
The murder of a journalist Vimal Yadav in Bihar at the doorstep of his house in Araria has caused widespread outrage with the opposition BJP alleging that ‘jungle raj’ has returned to the state. Bihar Police on Saturday said, four persons have been arrested, namely Bhavesh Yadav, Ashish Yadav, Vipin Yadav and Umesh Yadav, while remand has been sought for two others, Rupesh Yadav and Kranti Yadav, who are presently in Araria jail. Two accused are absconding, a police official said. The FIR filed on the basis of a complaint by the journalist’s father names eight persons, out of which four have been nabbed. The journalist Vimal Kumar Yadav, working for Hindi daily Jagaran, was the sole witness of the murder of his brother, who was the local sarpanch, in 2019, and he was to depose in court. On early Friday morning, the four killers barged into his house, and gunned him down at the doorstep. This is the eighth attack on journalists in Bihar since 2016. Two days ago, a police inspector in Samastipur was gunned down by cattle smugglers in broad daylight. Vimal Kumar’s family alleged that he had sought police protection because he was to testify in court against criminals, but he was not given. He was threatened by criminals not to depose, but he stood his ground. All the four killers had covered their faces at the time of crime. Police said, the murder of the journalist was due to old rivalry. The casual and insensitive manner in which Chief Minister Nitish Kumar reacted the murder is really shocking. His remark does not show the urgency expected from the head of a state government. State BJP chief Samrat Choudhary alleged that Nitish Kumar was busy travelling to Delhi and Mumbai. “He has no time to check what is happening in Bihar, where criminals have gone out of control”, he said. Several questions arise. When the local police knew that the journalist’s life was at stake because criminals were intimidating him not to testify in court, why wasn’t he given protection? How did the criminals gather courage to reach the journalist’s house to gun him down? I think the problem is with Chief Minister Nitish Kumar’s lackadaisical attitude towards the rising crime graph. If daylight murders take place, people are bound to raise questions. Opposition parties will get a handle to attack the government, but Nitish Kumar or Tejashwi Yadav cannot defend themselves by saying that BJP is trying to defame the government. They cannot get away by saying that murders and crimes take place in Delhi too, and Manipur is on fire. If the media and police are not safe in Bihar, what can the common man expect?
CONGRESS APPLIES ‘KARNATAKA FORMULA’ IN M.P.
Both BJP and Congress are now in election mode in Madhya Pradesh. On Friday, Congress leader Kamal Nath released a ‘Ghotala Sheet’ (scam sheet) levelling charges of corruption against Chief Minister Shivraj Singh Chouhan’s government. The tag line was “Ghotale Hi Ghotale…Ghotala Seth…50 per cent Commission Rate”. The Congress leader alleged that 50 pc commission is being demanded to sanction government schemes. He referred to a purported letter written to the Chief Justice of MP High Court, Jabalpur, by Goshala Petty Contractors Association, Rewa. He said, similar charges of corruption were made by contractors in Gwalior. In reply, CM Shivraj Singh Chouhan rejected all charges of corruption and challenged Kamal Nath to come out with his final list of candidates soon. Chouhan promised to give his report card to the people in the next two days. BJP minister Vishwas Sarang described Kamal Nath as “Corrupt Nath”. I feel, the Congress in MP is trying to follow the Karnataka formula and wants to take advantage of anti-incumbency. During Karnataka assembly polls, Congress had similarly referred to a letter from a contractors’ association and blamed the then CM Basavaraj Bommai of running “40 per cent commission sarkara”. In Karnataka, Congress had promised five guarantees, and similar guarantees are being given in MP. Bajrangbali issue was raised at that time, and in MP too, Lord Hanuman has become the issue. Congress took advantage of infighting in Karnataka BJP, and in MP, Congress is trying to take advantage of infighting in Guna division between Jyotiraditya Scindia camp and others. In Karnataka, Randeep Surjewala was in-charge, and he has now taken charge of MP. But one thing must be noted. Congress must realize, this is MP, not Karnataka, and the battle is against Shivraj Singh Chouhan. The MP CM has been hitting back at the Congress consistently and he has the backing of his party central leadership. BJP has given Amit Shah the charge of overseeing elections in MP, and Shah has already begun his work. He has visited MP four times, formed all committees, assigned responsibilities to party leaders, and has released the first list. Two days later, Amit Shah will visit Bhopal again to release Chouhan government’s ‘report card’. He will also visit Gwalior for meetings with leaders in Jyotiraditya Scindia’s area. The BJP election machinery will then start working in full swing. Congress leaders may think that it is an easy fight in MP, but tthey are going to face a ‘carpet bombing’ of rallies by BJP leaders. Only then will it be known which way the wind is blowing.
RAHUL FROM AMETHI? PRIYANKA FROM VARANASI?
Uttar Pradesh Congress chief Ajay Rai on Friday announced that Rahul Gandhi will contest the Lok Sabha election from Amethi constituency next year, and if Priyanka Gandhi Vadra decides to contest from Varanasi, “our party workers will stake their lives to ensure her victory”. Ajay Rai claimed that the voters of Amethi are unhappy with the present MP Smriti Irani and they are waiting for Rahul Gandhi to return. Ajay Rai was made the UP party chief only on Thursday, and within a day, he announced Rahul’s candidature from Amethi. Ajay Rai has contested from Varanasi twice in 2014 and 2019 against Narendra Modi, and lost badly. BJP leader Sudhanshu Trivedi reminded Ajay Rai of his past and said, “There was a time when Congress used to win all 80 seats in UP, but now it is concentrating on only two or three seats. This shows the present condition of the party”. Rahul Gandhi is presently in Leh watching a soccer match. It is difficult to say whether Ajay Rai spoke to Rahul before announcing his candidature. At least he did not say that Rahul will contest from Amethi only. This will at least leave some leeway for Rahul. Ajay Rai has however created a problem for Priyanka. If Congress decides to field her in the LS election, it will be a problem finding a safe seat. If Priyanka is not fielded from Varanasi, BJP leaders will say Congress has already conceded defeat. If Priyanka is fielded from Varanasi, it could be her loss. BJP has been consistently winning the Varanasi seat since 1991, and Narendra Modi has won the last two elections by record margin. It seems Ajay Rai has jumped the gun quite early, and in the process, he has created problems for both Rahul and Priyanka Gandhi.
चंद्रयान-3 : चांद के करीब
हमारा चन्द्रयान-3 चांद के और करीब पहुंच गया. मून मिशन पर निकले चन्द्रयान ने आखिरी चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान के प्रोपल्सन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग कर दिया. अब सिर्फ चांद पर तिंरगे के पहुंचने का इंतजार है. हालांकि इसमें छह दिन का वक्त और लगेगा. अभी लैंडर मॉड्यूल चांद से तीस किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा और 23 अगस्त को लैंडर चांद पर उतरेगा. ISRO के वैज्ञानिकों को पूरा भरोसा है कि इस बार कोई गड़बड़ी नहीं होगी. विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट और सेफ लैंडिंग होगी. पिछली बार जो कमियां रह गईं थीं, उन्हें पूरी तरह से दुरूस्त कर दिया गया है. इसलिए इस बार किसी तरह की अनहोनी की गुंजाइश न के बराबर है. हालांकि कुछ लोग कह सकते हैं कि पिछली बार चन्द्रयान 2 भी इस चरण तक पूरी तरह ठीक था, इसलिए अभी से बहुत ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक चंद्रयान 3 के जो फ्लाइट पैरामीटर्स हैं, जिस तरह से कमांड पर एक्शन सौ परशेंट एक्यूरेसी के साथ हो रहा है, जो ऑर्बिटल मूवमेंट है, जो स्पीड है, उस गति पर वैज्ञानिकों का जिस तरह का नियंत्रण है, उसके बाद पूरे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि 23 अगस्त को भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश हो जाएगा. ये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. अन्तरिक्ष विज्ञान में हमारे वैज्ञानिकों का लोहा पूरी दुनिया मानती है. अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली समेत दुनिया के पचास से ज्यादा देशों के उपग्रह भारत से अंतरिक्ष में छोड़े जाते हैं. दुनिया हमारे रॉकेट्स पर भरोसा करती है. लेकिन इसके बाद भी आजादी के 75 साल के बाद भी भारत चांद तक नहीं पहुंच पाया. लेकिन अब आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर चन्द्रयान 3 के जरिए ये कमी भी पूरी हो जाएगी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश होगा जिसका झंडा चांद पर पहुंचेगा. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा. इसलिए ये उपलब्धि और ज्यादा बड़ी हो जाती है. हालांकि इसरो के वैज्ञानिक ने कहा है कि अगर इस बार चन्द्रयान-3 के इंजन भी फेल जाते हैं, तो भी लैंडिंग सुनिश्चित होगी, सफल होगी. मुझे तो तो पूरा यकीन है कि हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत जरूर कामयाब होगी और पूरे देश को इस मिशन की सफलता के लिए कामना करनी चाहिए.
पाकिस्तान में ईसाइयों पर ज़ुल्म
पाकिस्तान के पंजाब सूबे में पिछले दो दिन से ईसाइयों पर लगातार हमले हो रहे हैं. फ़ैसलाबाद में कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने ईसाइयों की बस्ती पर हमला बोला. चर्चों और घरों में तोड़-फोड़ की और आग लगा दी. ये घटना फ़ैसलाबाद के जड़ांवाला क़स्बे में हुई. कट्टरपंथियों ने पांच गिर्जाघरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया. ईसा मसीह की मूर्तियां खंडित कर दीं, सलीबों को तोड़ डाला. इसके बाद दंगाइयों ने चर्चों में रखी बाइबिल को जला दिया और इसके बाद चर्चों को आग लगा दी. हमलावरों ने जड़ांवाला में भी 21 चर्चों पर भी हमला बोला, तोड़-फोड़ की, इसके बाद भीड़ ने ईसाई बस्तियों का रुख़ किया. ईसाइयों के घर में घुसकर लूट-पाट की, उनके घरों को भी आग लगा दी. हालात ये हो गए कि कट्टरपंथियों की भीड़ ने ईसाइयों के क़ब्रिस्तान को भी नहीं छोड़ा. ईसाइयों पर ये जुल्म ईशनिंदा का इल्जाम लगाकर किया गया. पहले ये अफवाह फैलाई गई कि जड़ांवाला के रहने वाले ईसाइयों ने इस्लाम और कुरान की बेअदबी की है. इसके बाद मस्जिदों से एलान किया गया कि इस्लाम की बेअदबी करने वाले ईसाइयों को सबक सिखाया जाए. मस्जिदों से एलान हुआ तो हज़ारों की भीड़ इकट्ठा हो गई. इन लोगों को पंजाब सूबे के कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के मुल्लाओं ने भड़काया. कट्टरपंथियों का गिरोह सर तन से जुदा के नारे लगाते हुए ईसाइयों के मुहल्ले की तरफ़ बढ़ने लगा. पाकिस्तान में चर्चों पर हुए इस हमले एक सोची-समझी साज़िश है.. कुछ लोकल मौलवियों ने जान-बूझकर क़ुरान की बेअदबी की अफ़वाह फैलाई, जिससे ईसाइयों को इलाके से भगाया जा सके. और फिर उनकी ज़मीनों और मकानों पर क़ब्ज़ा किया जा सके. पाकिस्तान में अक्सर ईशनिंदा क़ानून का बहाना लेकर अल्पसंख्यकों पर हमले होते रहे हैं. इसका मक़सद कभी तो निजी दुश्मनी का बदला लेना और कभी किसी की संपत्ति पर क़ब्ज़ा करना होता है . इसमें दो कट्टरपंथी संगठनों तहरीक ए लब्बैक और अहले सुन्नत का सबसे बड़ा रोल है. ये दोनों ही संगठन पाकिस्तानी फौज के क़रीबी कहे जाते हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्य़कों पर इस तरह के हमले कोई पहली बार नहीं हुए हैं. हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों पर अक्सर इस तरह जुल्म होते हैं और अक्सर इस्लाम की तौहीन को बहाना बनाया जाता है. हिंसा का मकसद होता है अल्पसंख्यकों को डराना, दबाना और उनकी जायदाद पर कब्जा करना. कुछ दिन पहले इसी तरह का आरोप लगाकर सिंध में प्राचीन हिन्दू मंदिर पर हमला किया गया था. बाद में पता चला कि हमले का मकसद मंदिर को तोड़कर वहां मॉल बनाना था.. उससे पहले इसी तरह एक पुराने गुरूद्वारे की जमीन पर कब्जे के लिए हमला किया गया था. .पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के जुल्म आम बात है. कभी कभी जब हिंसा के वीडियो दुनिया के सामने आ जाते हैं तो पाकिस्तान सरकार दिखावे के लिए थोड़ा बहुत एक्शन लेती है. लेकिन अपराधियों को सजा कभी नहीं मिलती और न अल्पसंख्यकों को उनकी जायदाद वापस मिलती है.. इसलिए अब दुनिया के तमाम देशों को एक मिलकर पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बनाना चाहिए, वहां रहने वाले हिन्दू, सिख और ईसाइयों की सुरक्षा की गारंटी की मांग करनी चाहिए.
चुनाव : राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों से करीब तीन महीने पहले बीजेपी ने इन दोनों राज्यों में उम्मीदवारों के नामों की पहली लिस्ट जारी कर दी. बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 39 सीटों और छत्तीसगढ़ की 21 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम घषित कर दिए हैं. बीजेपी ने जिन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान किया है, वो कमजोर सीटें मानी जाती हैं. मध्य प्रदेश की जिन 39 सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार तय किए हैं, उन सभी सीटों पर 2018 के चुनाव में बीजेपी हारी थी. इनमें से 38 सीटें कांग्रेस ने जीतीं थी और एक सीट BSP के खाते में गई थी. इनमें ज्यादातर सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित हैं. बीजेपी ने गोहद सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रणवीर जाटव को टिकट नहीं दिया. पिछले चुनाव में रणवीर जाटव ने कांग्रेस के टिकट पर ये सीट जीती थी. उन्होंने बीजेपी के लाल सिंह आर्य को हराया था लेकिन बाद में रणवीर जाटव ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, लेकिन उपचुनाव हार गए थे. इसलिए इस बार बीजेपी ने गोहद सीट से रणवीर जाटव की जगह लाल सिंह आर्य को ही उम्मीदवार बनाया है. मध्य प्रदेश को लेकर बीजेपी की रणनीति साफ है. शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर का खास ध्यान रखा जाएगा. नेताओं के चहेतों से ज्यादा, जीत सकने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा. एमपी में पांच सीटें ऐसी हैं जिनपर बीजेपी 1990 के बाद कभी नहीं जीती..33 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी लगातार 2 बार चुनाव हारी है और 19 सीटें ऐसी हैं जहां पिछली बार चुनाव हारी थी. सबसे पहले इन्ही सीटों पर फोकस किया जाएगा.. इसी तरह छ्त्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने उन सीटों पर फोकस किया है जहां पिछली बार बीजेपी का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं था. लेकिन छत्तीसगढ़ में सबसे अहम सीट है पाटन, जहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ते हैं. बीजेपी ने इस बार पाटन से भूपेश बघेल के खिलाफ उनके ही रिश्तेदार विजय बघेल को उतारा है. विजय बघेल फिलहाल दुर्ग से MP हैं. भूपेश बघेल से जब बीजेपी की लिस्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा कि बीजेपी की लिस्ट कुछ खास नहीं है, छत्तीसगढ़ में माहौल उनके पक्ष में हैं. इस बार कांग्रेस को पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें मिलेंगी. छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में पिछली बार कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बीजेपी को सिर्फ 15 सीटें हासिल हुई थीं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी चाहे जो भी दावा करे, सब जानते हैं कि यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है. यहाँ बीजेपी के लिए चुनौती बड़ी है क्योंकि भूपेश बघेल ने अच्छी सरकार चलाई है. उनका आत्मविश्वास चरम सीमा पर है. कांग्रेस ने अपने आपसी झगड़ों पर काबू पा लिया है लेकिन बीजेपी में अभी भी आपसी झगड़े हैं .इसीलिए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को टक्कर देना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा.. राजस्थान में भी बीजेपी उम्मीदवारों के नाम जल्द से जल्द तय कर देना चाहती है लेकिन पार्टी के नेताओं के बीच दूरियां एक बड़ी दिक्कत है. गुरुवार को राजस्थान बीजेपी की कोर कमेटी की मीटिंग हुई. इस बैठक में 3 केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी मौजूद थे. लेकिन बसुन्धरा राजे की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गई. वसुंधरा राजे कोर कमेटी की बैठक में नहीं पहुंची. पता ये चला कि वसुंधरा राजे को मीटिंग में आमंत्रित किया गया था लेकिन वो नहीं आईं. इस मीटिंग के बाद बीजेपी ने मैनिफेस्टो कमेटी और इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी बनाई, पर दोनों में वसुंधरा राजे को शामिल नहीं किया गया. अर्जुन राम मेघवाल मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष बने, इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी में नारायण पंचारिया को संयोजक बनाया गया है. चर्चा इस बात की है कि पार्टी बसुन्धरा को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. वसुंधरा को कैंपेन कमेटी का संयोजक बनाया जा सकता है. ये बात सही है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे बीजेपी की सबसे ताकतवर नेता हैं. .ये भी सही है कि वसुंधरा राजे चुनाव लड़ने और लड़वाने की कला में माहिर हैं. वही बीजेपी को चुनाव जिता सकती हैं, बीजेपी उन्हीं को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती है लेकिन राजस्थान में बीजेपी की सबसे बड़ी समस्या है, बड़े बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई. वसुंधरा राजे एक तरफ और बाकी सारे नेता दूसरी तरफ. अगर इस आपसी टकराव पर काबू नहीं पाया गया तो बीजेपी जीती जिताई बाजी हार सकती है.
शरद पवार के सामने रास्ता कठिन है
NCP में टूट के बाद महाराष्ट्र में शरद पवार ने पहला बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया. बीड में पवार ने रैली की, रैली में जबरदस्त भीड़ जुटी. शरद पवार चुन-चुनकर उन्ही इलाकों में सभाएं करने वाले हैं जहां के NCP विधायक अजित पवार के साथ गए हैं. बीड महाराष्ट्र सरकार में मंत्री धनंजय मुंडे का इलाका है. धनंजय अजित पवार के साथ हैं. दिलचस्प बात ये है कि शरद पवार के बीड पहुंचने पर धनंजय मुंडे के समर्थकों ने शरद पवार के स्वागत के पोस्टर लगाए, इस पोस्टर में शरद पवार के साथ अजित पवार की भी तस्वीर थी. शरद पवार ने अपने भाषण में न तो अजित पवार का नाम लिया, न धनंजय मुंडे का, लेकिन इशारों इशारों में अपनी बात कह दी. पवार ने कहा- “यहां का एक नेता पार्टी छोड़कर गया…मैने पता करने की कोशिश की…उनसे पूछा कि क्या हुआ….अब तक तो सब ठीक था अब उसे क्या हुआ….मुझे बताया गया कि उसे किसी ने बताया कि अब पवार साहब की उम्र हो गई और अगर भविष्य के बारे में सोचना है तो दूसरा नेता चुनना होगा. मैं सिर्फ उनसे इतना पूछना चाहता हूं कि मेरी उम्र का जिक्र आप कर रहे हैं. आप लोगों ने अभी मुझे देखा ही कितना है”. इसके बाद शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस पर सीधा हमला किया. पवार ने कहा – “प्रधानमंत्री ने लाल किले से भाषण किया…उन्होंने कहा कि मैं दोबारा आउंगा….मैं उन्हे बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र के एक मुख्यमंत्री थे देवेंद्र फडणवीस…उन्होंने कहा था कि मैं दोबारा आउंगा……वो दोबारा आए लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बने उससे नीचे के पद पर आ गए….अब पीएम भी वही कह रहे है…अगर वो दोबारा आएंगे तो कौन से पद पर आएंगे इस बारे में उन्हें सोचना चाहिए.” शरद पवार ने एक दिन पहले भी यही बात कह कर फडणवीस को चिढ़ाने की कोशिश की थी. बीड में भी उन्होंने वही बात दोहराई. देवेंद्र फडणवीस ने इसका जवाब दिया. शिरडी में देवेंद्र फडणवीस ने कहा – “मैने पिछली बार कहा था कि मैं फिर आउंगा उसकी दहशत आज तक कायम है, आज भी लोग दहशत में हैं, एक राष्ट्रीय नेता ने कहा कि फडणवीस की तरह मोदी बोल रहे हैं पर फडणवीस कैसे वापस आए. मैने जब कहा था कि फिर आउंगा तो लोगों ने चुनकर भेजा था पर कुछ लोगों ने बेईमानी की इसलिए फिर से सत्ता में नहीं आ सका. पर याद रखो जिन्होंने हमसे बेईमानी की उनकी पूरी पार्टी ही लेकर हम सत्ता में आए, इसलिए किसी को मेरी बातों पर शक नहीं करना चाहिए”. फ़डनवीस जब ये बात बोल रहे थे उस वक्त मंच पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार दोनों मौजूद थे. महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि भले ही शरद पवार अभी बीजेपी का विरोध कर रहे हैं लेकिन वो दिन दूर नहीं जब शरद पवार भी मोदी के साथ साथ खड़े दिखाई देंगे. हकीकत य़ही है कि अजित पवार समेत पार्टी के कई नेता शरद पवार का साथ छोड़ चुके हैं. जमानत पर जेल से बाहर आए NCP के नेता नवाब मलिक को भी अजीत पवार का गुट अपने पाले में लाने की कोशिश में लगा है. अजित पवार समेत कई बड़े नेता उनसे मिल चुके हैं. अब शरद पवार ने भी एकनाथ खडसे को नवाब मलिक के पास भेजा है. शरद पवार की कोशिश है कि किसी तरह पार्टी का नाम और सिंबल को बचाया जाए. ये मामला अभी चुनाव आयोग में है. चुनाव आयोग ने 17 तारीख तक दोनों खेमों से जवाब मांगा था. मेरी जानकारी ये है कि शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से 4 हफ्ते का वक्त मांगा है और उन कागजों की जानकारी भी मांगी है जो अजित पवार कैंप ने अपने दावे के पक्ष में चुनाव आयोग को दिए हैं. पवार के सामने दूसरी बडी चुनौती MVA की पार्टियों का भरोसा जीतने की भी है. अजित पवार के साथ गुप्त मीटिंग के बाद महाविकास अघाड़ी में शरद पवार के रूख को लेकर शक है. लोगों को लग सकता है कि शरद पवार कितने बेबस, कितने परेशान होंगे कि वो 82 साल की उम्र में गली गली घूमने के लिए मजबूर हो गए, लेकिन सच ये है कि शरद पवार फाइटर हैं, उम्र साथ नहीं देती, स्वास्थ्य ठीक नहीं है, बोलने में दिक्कत होती है, उनकी बात आसानी से समझ नहीं आती, .पर उन्हें लड़ने में मज़ा आता है. जितनी बड़ी चुनौती सामने होती है, वो उतने ही जोश से लड़ते हैं. पर इस बार बदनसीबी ये है कि पवार साहब बीजेपी से लड़ने निकले थे, पर सामने अपना ही भतीजा आ गया. पहले मुकाबला चाचा भतीजे के बीच होगा और उससे भी बड़ा दुर्भाग्य ये कि जिन लोगों के लिए इस उम्र में शरद पवार मोदी से लड़ने उतरे हैं वो भी उन्हें शक की निगाह से देखते है. इसीलिए शरद पवार का रास्ता कठिन है. पर मुश्किल रास्तों पर चलना उन्हें अच्छा लगता है, उनको सक्रिय बनाए रखता है..