DEADLY ATTACK ON GAZA HOSPITAL IS SHOCKING, OUTRAGEOUS
The death of more than 600 people in the deadly attack on Al-Ahli hospital in Gaza City on Tuesday evening is shocking, outrageous and saddening. None can pardon the perpetrators who caused loss of so many civilians in the ongoing Israeli-Hamas conflict. Israeli and Hamas are blaming each other for the attack. While Hamas says it was “a deliberate attack” by Israeli armed forces, US President Joe Biden and Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu have said that it was the result of a misfired rocket fired by a “terrorist group” (read Hamas). A US National Security Council spokesperson said that its current assessment, based on analysis of overhead imagery, intercepts and open source information, clearly shows Israel is not responsible for the explosion. Hamas is yet to come out with any evidence to support its charge. The dean of the hospital, owned and run by the Anglican Church of Jerusalem, said there were nearly 1,000 displaced people sheltering in the courtyard of the hospital when it was hit. There were nearly 600 patients and staff inside the building. Live footage from Al-Jazeera TV network showed two bright flashes of light in the sky above Gaza, before suddenly changing direction and exploding. Ballistic experts say, as per available evidence, it cannot be described as an Israeli air strike, and it could be a failed rocket section hitting the car park of the hospital causing the blast. One big question that is being raised is about the timing of the attack. It took place hours before US President Joe Biden was to land in Israel, and he was scheduled to meet Arab leaders at a key summit in neighbouring Jourdan. Such a summit of the US President with the Egyptian President, King of Jordan and Palestinian Authority President could have made Hamas’ position weaker. It had the desired impact. Some experts have raised the question whether the rocket attack on the hospital was carried out to abort the scheduled summit. Jordan immediately cancelled the summit after the hospital attack. There was protest by thousands of demonstrators outside the US embassy in Amman. Hamas terror outfit and its supporters have described this as an attack on Muslims across the world. There were protests in capitals of Islamic countries. In US, Franch, South Korea and Netherlands, protesters came out on the streets demanding a halt to the conflict. At the end of his brief visit to Israel, US President Biden said, Egypt has agreed to reopen the Rafah crossing for sending humanitarian assistance to Gaza. Chinese President Xi Jinping has also urged Egypt to open a humanitarian corridor for civilians fleeing Gaza. On the other hand, Israel has already amassed its artillery and tanks near the Gaza fence to launch a ground offensive. Road repairing machinery have been sent through Rafah crossing to repair roads in Gaza to facilitate delivery of Red Cross humanitarian aid from Egypt. One point to note is that neither Egypt, nor Jordan are willing to give shelter to several million Palestinians fleeing Gaza, though they are expressing sympathy for the Palestinian cause. The issue has now become much complicated despite efforts by US, European Union, UK and other Arab regional powers to halt the conflict. Gaza is now sitting on a keg of gunpowder, ready to explode anytime, unless better sense prevails.
क्या मध्य प्रदेश में आपसी कलह का कांग्रेस की संभावनाओं पर असर पड़ेगा?
चुनावी माहौल के बीच मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गयी है. इस वीडियो में कमलनाथ टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि जाओ दिग्विजय सिंह और जयवर्धन के कपड़े फाड़ो, लेकिन ये नहीं कहना है कि मैने कहा है. इस वीडियो को लेकर मध्य प्रदेश में सियासत गर्मा गई है. कमनलाथ को सफाई देनी पड़ी. उन्होंने मामले को हल्का करने की कोशिश की लेकिन दिग्वजिय सिंह ने भरी सभा में कमलनाथ को सधे हुए अंदाज में आइना दिखा दिया. मध्य प्रदेश चुनाव के लिए कमलनाथ ने कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किया लेकिन उससे पहले वो वीडियो सर्कुलेट हो चुका था जिसमें कमलनाथ वीरेन्द्र रघुवंशी के समर्थकों से दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने की बात कहते हुए दिख रहे थे. दिग्विजिय सिंह इसपर नाराजगी जाहिर कर चुके थे. हर तरफ इसकी चर्चा हो रही थी, इसलिए कमलनाथ को कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करने से पहले इस मामले में सफाई देनी पड़ी. लेकिन जब कमलनाथ बोल रहे थे तो मंच पर दिग्विजय सिंह ने उन्हें टोक दिया. कह दिया बाकी सब तो ठीक है लेकिन कार्यकर्ताओं को पता होना चाहिए कि टिकट कौन दे रहा है, गलती कौन कर रहा है और कपड़े किसके फाड़े जाने चाहिए. लेकिन कमलनाथ पूरे रंग में थे उन्होंने दिग्विजय सिंह से अपने चालीस साल पुराने रिश्ते गिनाएं, यारी दोस्ती की बात की लेकिन तीर कमान से निकल चुका था. दिग्विजय सिंह ने हंसते हंसते ही जवाब दिया लेकिन जवाब करारा था. लेकिन कमलनाथ भी कम नहीं हैं. उन्होंने कहा मैंने आपको पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी कि कमलनाथ के लिए आप पूरी गालियां खाइए, इसीलिए कमलनाथ और दिग्विजय की इस तकरार की गूंज पूरे मध्य प्रदेश में सुनाई दी. असली समस्या यह है कि कांग्रेस में टिकटों के ऐलान के बाद कई जगह बगावत हो रही है, कई जगह नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं. दर्जनों कैमरों के सामने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक दूसरे पर तीखे कटाक्ष कर रहे हों, इसका असर तो पड़ेगा. वचनपत्र समारोह में मंच पर कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस के सारे दिग्गज मौजूद थे, मीडिया का जमावड़ा था. मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस का रोडमैप क्या है ये बताने के लिए कमलनाथ ने माइक संभाला लेकिन इतने महत्वपूर्ण मौके पर कमलनाथ ने वचनपत्र की बात शुरु करने से पहले बात की दिग्विजय सिंह की. कमलनाथ ने सबको इस बात की सफाई दी कि उन्होंने दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने वाली बात क्यों कही. एक तरफ से कमलनाथ बोल रहे थे, दूसरी तरफ से दिग्विजय सिंह उनका जवाब दे रहे थे. हांलाकि दोनों के बीच बातचीत मजाकिया अंदाज में ही हुई लेकिन मंच पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इस संवाद में ये साफ नजर आ रहा था कि दिग्विजय कमलनाथ की कपड़ा फाड़ने वाली बात से खुश नहीं है. कमलनाथ ने दिग्विजय की दोस्ती का हवाला दिया, पारिवारिक संबंधों की बात की लेकिन दिग्विजय यही पूछते रहे कि जब टिकट के ‘ए’ और ‘बी’ फॉर्म में दस्तखत कमलनाथ के हैं तो फिर उन्हें जिम्मेदार क्यों ठहराया गया. कमलनाथ के इस रूख के बाद भी दिग्विजिय की नाराजगी कम नहीं हुई. दिग्विजय ने स्टेज पर कमलनाथ के साथ मंच पर हुई इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. साथ में एक शेर की दो लाइनें भी जोड़ दीं, “ बेतकल्लुफ वो औरों से हैं, नाज़ उठाने को हम रह गए हैं “ . दिग्विजय की नाराजगी की वजह वाजिब है. जो लोग मध्य प्रदेश की राजनीति को जानते समझते हैं, उन्हें पता है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की अदावत पुरानी है लेकिन चुनाव के मौके पर दोनों अब तक साथ साथ दिख रहे थे. ये वीडियो एकता को तोड़ सकता है. इसलिए कमलनाथ ने एक बार फिर इस मसले को हल्के में निपटाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि दिग्विजय के कपड़े फाडने की बात तो उन्होंने अपनेपन के नाते कही थी, आज भी वो यही कहेंगे कि अगर कोई नाराजगी है तो दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो. कमलनाथ कुछ भी कहें, लेकिन वो भी जानते हैं कि उम्मीदवारों की लिस्ट आने के बाद नाराजगी तो है और ये बात मंगलवार को भोपाल में भी दिखी. जब कांग्रेस दफ्तर में वचन पत्र जारी करने के लिए नेता जुट रहे थे, उस वक्त कांग्रेस के दफ्तर के बाहर टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. दतिया, जतारा और बुधनी सीट पर कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों का विरोध कर रहे थे. दो-तीन बातें जानने लायक हैं, जैसे कि टिकटों के बंटवारे के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया सेल के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने पार्टी छोड़ दी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछड़ों के साथ अन्याय किया है. कांग्रेस के दूसरे नेता यादवेन्द्र सिंह नागोदा से टिकट न मिलने से नाराज थे. उन्होंने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली. बुधनी को लेकर विरोध है, जहां शिवराज सिंह चौहान के सामने रामायण में हनुमान का रोल करने वाले विक्रम मस्ताल को कांग्रेस ने उतारा है. उन्हें कांग्रेस के लोकल नेता “पैराशूट कैंडिडेट” बता रहे हैं. उज्जैन में माया त्रिवेदी का विरोध हो रहा है. .कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में लाखों वोटों से हारी, विधानसभा चुनाव तीस हजार वोट से हारी, फिर भी उन्हें टिकट दिया गया. बीजेपी कांग्रेस में मचे घमासान को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आपसी झगड़े का नतीजा बता रही है. चुनाव से पहले टिकट न मिलने पर नाराज़ नेता प्रदर्शन करते हैं, ये हर पार्टी में होता है, हर चुनाव में होता है. ये बड़ी बात नहीं हैं. नाराज लोगों को समझाने के लिए नेता टिकट कटने की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते हैं, ये भी कोई नई बात नहीं है, लेकिन पार्टी का बड़ा नेता अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से दूसरे बड़े नेता के कपड़े फाड़ने को कहे और उसका वीडियो भी बन जाए, ये पहली बार देख रहा हूं. ये कमलनाथ के लिए एंब्रैसिंग हैं. उससे भी बड़ी बात ये है कि चुनाव से पहले इस तरह के वीडियो से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर पड़ेगा. ये बात कमलनाथ भी समझ रहे हैं और दिग्वजिय सिंह भी. इसीलिए अब दोनों सार्वजनिक तौर पर इस मसले को हल्के में टालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बीजेपी इसे जोर शोर से फैलाएगी और हर मंच से इसी वीडियो की बात करेगी. दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वो इस मामले में मिट्टी डालकर अपनी गारंटियों पर फोकस करे. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जो वचनपत्र जारी किया है, उसमें 1,290 वादे किए हैं. लोगों को 25 लाख रु. का हैल्थ कवर, बेरोजगारों को 1500 से तीन हजार रु. तक हर महीने का भत्ता, बेटियों की शादी के लिए एक लाख रूपए, बिटिया रानी योजना के तहत दो लाख 51 हजार रूपए, स्कूली बच्चों को पांच सौ से डेढ़ हजार रूपए मासिक, 1,200 रु. प्रति महीने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, ऐसे तमाम वादे किए गए हैं. कांग्रेस ने किसान, नौजवान, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं हर किसी को कुछ न कुछ देने का वादा कर दिया, अगर सिर्फ बच्चों को मिलने वाले वजीफे की बात करें तो इस अकेले वादे को पूरा करने के लिए हर साल करीब साढ़े सात हजार करोड़ रूपए की जरूरत होगी. सारे वादे पूरे करने के लिए लाखों करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इतना तो मध्य प्रदेश का बजट नहीं है. फिर वादे कैसे पूरे होंगे? लेकिन आजकल चुनाव के दौरान मुफ्त का माल बांटने के बड़े बड़े लुभावने वादे सब करते हैं. इसके लिए पैसा कहन से आएगा, ये कोई नहीं बताता. कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीस साल से सत्ता से दूर है, इसलिए वापसी के लिए जो करना पड़े, वो सब कर रही है. जो कहना पड़े, वो सब कह रही है.
WILL INFIGHTING AFFECT CONGRESS PROSPECTS IN MADHYA PRADESH?
Electoral politics is now on the boil in Madhya Pradesh, Rajasthan, Chhattisgarh and Telangana, but a video of MP Congress chief Kamal Nath has not only become viral on social media, but it had also repercussions, when Kamal Nath and senior Congress leader Digvijaya Singh indulged in banter laced with sarcasm about the video in front of media at the state party office. One of the supporters of two-term MLA Virendra Raghuvanshi had made a video of Kamal Nath telling supporters of this leader to tear the kurtas of Digivijaya Singh and his son Jaivardhan Singh for not being given the ticket. Raghuvanshi had quit the BJP a few weeks ago and had jointed Congress on September 2, but he failed to get a party ticket. At the press conference called for launch of the party manifesto, Kamal Nath clarified why he told supporters to tear Digvijaya Singh’s clothes. Digvijaya Singh, who was sitting on the rostrum, intervened, and asked: “Bhai, whose signatures are there on Form A and B? the PCC President’s. Then whose clothes should be torn (for denying ticket)?” Kamal Nath replied: “My relations with Digvijaya Singh is not political, we have light bantering between us. We have affection for each other. I have given you power of attorney and you will take all the abuses for Kamal Nath and that power of attorney is valid even today.” Digvijaya Singh retorted: “And you should also listen, who is making mistakes, people should know.” Kamal Nath replied: “Whether mistakes are made or not, we have to hear abuses, but our relations are so old, it is family relationship, not political… You have already taken bitter sips of poison in the past, and will have to take in future also.” By making this light banter, Digvijaya Singh showed the mirror to Kamal Nath in front of the media. All his replies were laced with full of sarcasm. From the banter, it was clear that Digivijaya Singh was not happy with Kamal Nath telling supporters to tear his clothes. Digivijaya Singh posted the entire conversation on social media, and added an Urdu couplet: “Be-taqalluf woh auron se hain, Naaz uthaane ko hum rah gaye hain” (She is impolite before others, it is for me to bear with her airs/whims). Digvijay Singh’s unhappeness is justified. The BJP MLA from Kolaras Virendra Raghuvanshi wanted to contest from Shivpuri, but ticket was given to veteran Congressman K P Singh. Raghuvanshi’s supporters staged protest outside Kamal Nath’s house, and the latter told them that it was Digvijaya Singh who gave the ticket to K P Singh and they should go and protest and tear the clothes of him and his son Jaivardhan Singh. Kamal Nath did not know that one of the supporters was making a video on the sly and it soon became viral. Digvijaya Singh immediately expressed his unhappiness on social media, and BJP leaders made fun of the duo. People who understand Madhya Pradesh politics know it well that Digvijaya and Kamal Nath have been rivals in the past, but because of assembly elections, they are appearing together in public. This video can break their unity. Kamal Nath tried to ignore this by indulging in light banter at the press conference. Whatever Kamal Nath may say, there is unhappiness among many Congress leaders for being denied tickets. At the manifesto launch event on Tuesday, party workers were chanting slogans against candidates fielded in Datia, Jatara and Budhni constituencies. State Congress media cell vice-president Ajay Singh Yadav has quit the party alleging that leadership has not given justice to backward caste workers. Another Congress leader Yadavendra Singh joined Bahujan Samaj Party after being denied ticket from Nagoda. In the key constituency of Budhni, where Chief Minister Shivraj Singh Chauhan is contesting, Congress has fielded Vikram Mastal, an actor who does Hanuman’s role at Ramlila. Local Congress leaders describe him as “a parachute candidate”. In Ujjain, Maya Trivedi’s candidature is being opposed because she had lost the Lok Sabha poll by several lakh votes and the assembly poll by 30,000 votes last time. In Indian politics, it is normal for leaders and their supporters to stage protests whenever ticket is denied. This is nothing new. It happens in all political parties. It is also normal that top leaders shift the blame on their rivals whenever anybody is denied a ticket. But this is the first time that a state party chief is telling workers to tear the clothes of a senior party colleague. This is really embarrassing for Kamal Nath. Circulation of such a video can badly affect the morale of Congress workers during the elections. Both Kamal Nath and Digvijaya Singh realize this. That is why, they tried to pass it off with light banter in public. But BJP leaders are preparing to go to town with this video and play it before the voters. Congress is trying to douse this internal fire by focusing more on 1,290 guarantees given in its Vachan Patra (manifesto) released on Tuesday. The guarantees include Rs 25 lakh health cover for people, monthly Rs 1,500 to Rs 3,000 allowance to unemployed youths, Rs one lakh for marriage of girls, Rs 2,51,000 assistance under Bitiya Rani Yojana, Rs 500 to Rs 1,500 per month for school children, Rs 1,200 per month social security pension, etc. It is nothing short of a poll bonanza for youths, women, children, elderly people and other sections. Monthly assistance to school children alone will entail a cost of Rs 7,500 crore for the state exchequer. Fulfilling all these promises may require several lakh crores of rupees, but the state government does not have this kind of a budget. The question is: Whether the promises will be fulfilled? Nobody is ready to tell from where the money is going to come. Congress has been out of power for the last two decades, and it is trying its best to return to power. It is making all kinds of promises, left and right.
हमास की दरिंदगी पर कौन खामोश हैं ? क्यों ?
गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के हमले जारी है और लाखों लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन बुधवार को इज़रायल और जॉर्डन जाएंगे और इज़रायल, जॉर्डन, मिस्र और फलस्तीन के नेताओं से मुलाकात करेंगे. उधर ईरान के विदेश मंत्री ने धमकी दी है कि अगर इजरायल ने गाज़ा पर हमला नहीं रोका, तो इज़रायल के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. अब हमास-इज़रायल जंग पूरे क्षेत्र में फैलने की आशंका पैदा हो गई है. इजराइली फौज की तरफ से नार्थ गाजा के इलाकों को खाली करने की डैडलाइन खत्म हो गई है. हमास और इजराइली फौज के बीच चल रहे युद्ध के बीच गाजा के आम लोगों फंस गए हैं. मिस्र अपनी सीमा खोलने को तैयार नहीं हैं. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि जल्दी ही राफा बॉर्डर खुल जाएगा और गाजा के लोग मिस्र जा सकेंगे. लेकिन इजराइल इतनी आसानी से गाजा के लोगों को मिस्र जाने की इजाजत देने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उसे शक है कि आम लोगों के बीच हमास के आंतकवादी भी मिस्र भाग सकते हैं. इसवक्त गाजा में लाखों लोगों के पास पीने का पानी नहीं है, खाना नहीं है. इजराइल की कार्रवाई को इस्लामिक देश अमानवीय बता रहे हैं. लेकिन इजराइल ने साफ कह दिया है कि जब तक हमास के सभी आतंकवादियों को खत्म नहीं कर देगा तब तक हमले नहीं रूकेंगे. इजराइल ने कहा है कि अब भी इजरायल समेत 41 देशों के 199 नागरिक हमास के कब्जे में हैं. इस बीच लेबनान की तरफ से आंतकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने भी इजराइल पर रॉकेट से हमले से शुरू कर दिए हैं. इससे स्थिति और खराब हुई है. अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ पूरी तरह से इजराइल के साथ खड़े हैं लेकिन ईरान, सीरिया, तुर्किए, लेबनान और रूस के अलावा चीन ने भी हमास का समर्थन किया है. चीन ने गाजा में इजराइल के एक्शन को गलत बताया है. दुनिया दो भागों में बट रही है जबकि गाजा और इजराइल में लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. इजराइल के हमलों में गाजा में अब तक 2700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दस हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. इजराइल का दावा है कि हमास के हमलों में 1400 से ज्यादा इजराइली लोगों की जान गई, ढाई हजार से ज्यादा घायल हैं. मरने वालों में 297 इजराइली सैनिक भी शामिल हैं. चूंकि दुनिया इजराइल की कार्रवाई पर सवाल उठा रही है इसलिए इजराइल ने हमास के हमलों के कुछ वीडियो फुटेज जारी किए. ये दिखाने की कोशिश की कि हमास के आतंकवादियों ने किस तरह की हैवानियत की थी, छोटे छोटे बच्चों को घर में घुसकर प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी, जिंदा जला दिया. अब सवाल ये है कि गाजा के आम लोगों का इसमें क्या कसूर? क्या हमास की दारिंदगी का बदला गाजा के आम लोगों के खून से चुकाया जाएगा? इजराइल का बदला कैसे पूरा होगा? ये कौन तय करेगा कि हमास के आतंकवादी खत्म हो गए? ये कैसे तय होगा कि इजराइल की जीत हो गई? क्योंकि बेंजामिन नेतान्याहू कह रहे हैं कि जब तक जीत नहीं जाते तब तक हमले नहीं रूकेंगे. हमास के आतंकवादियों ने जब इजरायल के मासूम नागरिकों पर बेरहमी से हमला किया तो वो हथियारों के साथ-साथ कैमरों से भी लैस थे, अपनी वहशियाना हरकतों को कैमरे में कैद कर रहे थे. आज जब इसके सबूत सामने आए तो साफ हो गया कि इरादा सिर्फ मारकाट मचाना नहीं था, इरादा सिर्फ इजरायल को नुकसान पहुंचाने का नहीं था, इरादा तो ये था कि ये हैवानियत दुनिया को दिखाया जाए, इरादा इजरायल के आत्म सम्मान पर चोट पहुंचाना भी था. इसलिए अब इजरायल दुनिया को हमास के जुल्मों की तस्वीरें दिखाकर पूछ रहा है कि इस पर दुनिया के इस्लामिक देश खामोश क्यों हैं? जो आज इजरायल से जंग रोकने के लिए कह रहे हैं उन्होंने हमास की अमानवीय कार्रवाई की निंदा क्यों नहीं की? अगर कैमरों पर सबूत न होते तो कुछ लोग शायद ये कह देते कि इजरायल की फौज और मोसाद ने खुद ही अपने लोगों को मरवाया ताकि उन्हें हमास पर हमला करने का बहाना मिल सके. लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत हैं और दावे भी कि हमास के आतंकवादियों ने मासूम और बेकसूर लोगों के साथ वहशियाना तरीके से जुल्म किया, हत्या की और आज भी अगवा किए गए लोगों को इंसानी ढाल बनाकर अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले इन हरकतों को नजरअंदाज करने में लगे हैं. दुनिया के कई मुल्कों में प्रदर्शन हुए हैं, लोग इजरायल पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि वो गाजा पर किए जा रहे हमलों को रोके. पर इजरायल ने साफ कर दिया कि वो हमास को खत्म करके ही दम लेगा. इजराइल के कड़े रूख को देखते हुए अब हमारे देश में भी फलिस्तीन और हमास के समज्ञर्थन में मुश्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. सोमवार को दिल्ली और मुंबई में प्रदर्शन हुए, दिल्ली में जंतर-मंतर पर वाम दलों से जुड़े संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में AISA, कई वामपंथी स्टूडेंट यूनियन., JNU और जामिया के छात्र और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसर शामिल हुए. असदुद्दीन ओवैसी खुलकर इजराइल का विरोध कर रहे हैं. इजराइल का समर्थन करने के भारत सरकार के फैसले को गलत बता रहे हैं. ओवैसी ने कहा कि महात्मा गांधी ने फिलस्तीन का समर्थन किया था, आजादी के बाद से 2014 तक की सभी सरकारों ने इजराइल का विरोध किया. अब भारत सरकार ने यूटर्न ले लिया है, ये ठीक नहीं है. इजरायल ने तो बताया है कि उसने हमास के खिलाफ इतना सख्त एक्शन क्यों लिया पर हमारे देश में इजरायल पर सवाल उठाने वालों ने ये नहीं बताया कि उन्होंने हमास के जुल्म को नजरअंदाज क्यों किया. इन लोगों ने इस बात को भी नजरअंदाज किया कि हमास के दहशतगर्दों ने महिलाओं के कपड़े उतारकर उन पर जुल्म करके, उनकी नुमाइश करते वक्त कैमरों के सामने अल्लाहु अकबर के नारे लगाए. नोट करने की बात ये भी है कि साउदी अरब और यूनिइटेड अरब अमीरत के मुल्कों में कोई प्रोटेस्ट के लिए सड़कों पर नहीं उतरा लेकिन हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनके बारे में कुछ लोग कह रहे हैं – बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना.
WHO IS SILENT OVER HAMAS’ ATROCITIES? AND WHY ?
The Israel-Hamas conflict continues to escalate with Israel pounding large parts of Gaza, and lakhs of people suffering due to lack of water, electricity, healthcare and basic amenities. US President Joe Biden is scheduled to visit Israel and Jordan on Wednesday. He will engage with both Israeli and Arab leaders to de-escalate the situation. Biden will meet Israeli PM Benjamin Netanyahu, Jordan King Abdullah, Egyptian President Abdel Fattah El-Sisi and Palestinian Authority President Mahmoud Abbas. A statement from White House said Biden will reiterate that Hamas does not stand for Palestinian people’s right to dignity and self-determination, and that Biden will discuss the humanitarian needs of the civilians trapped inside Gaza. The present conflict threatens to blow up into a big regional crisis with Iranian Foreign Minister issuing a warning about the possibility of Iran and its allies taking what he called “pre-emptive action” in response to Israel’s continued attacks on Gaza. Egypt is unwilling to open its border to allow Palestinians to cross over from Gaza, but US Secretary of State was optimistic that Rafah border crossing will be reopened soon to allow people to cross over from Gaza to Egypt. Israeli says, this could help Hamas terrorists in fleeing Gaza and the main aim of the entire operation to eliminate Hamas will be defeated. US, European Union and India stand with Israel, but Iran, Syria, Turkiye, Lebanon, Russia and China are supporting Hamas in the name of Palestinians. Israel has already circulated more videos of how Hamas terrorists carried out bestial attacks on innocent Israeli women and children, how they shot children point-blank after entering their homes and burnt many of them alive. The question now is: Why should the people of Gaza suffer for the brutalities committed by Hamas? How will Israel extract its revenge against Hamas? Netanyahu has already said that attacks will not cease till victory is achieved. Already more than 10,000 Israeli soldiers, expert in urban warfare, are on standby for entering Gaza and fight Hamas. These soldiers have been ordered to kill Hamas leaders after occupying Gaza city. More than 300 tanks and artillery guns have taken up position on Gaza border. Already, six top Hamas leaders have been killed in action. Israeli military officials told India TV correspondent Amit Palit that the Gaza operation this time will be bigger compared to the operation that was conducted in 2006. When Hamas terrorists forcibly entered Israeli settlements on that black Saturday, they not only carried weapons but had cameras fitted on their bodies to videograph the gory details. The aim was not only to carry out murder and mayhem. The aim was not only to deal a crushing blow to Israel. The aim was to show to the world how Israeli pride can be shattered by committing bestialities. Israel is now using those videos and asking Islamic countries why they are silent over cruelties committed by Hamas. Israel is demanding why Islamic countries are not denouncing inhuman action committed by Hamas. Had these videos not been available, there are people around the world who could have blamed Israel for killing its own people and blaming Hamas, in order to gain an alibi to attack Gaza. This time there are solid and concrete evidences that establish that Hamas terrorists killed innocent people in a brutal manner, kidnapped people and is now using them as human shield. Those supporting Palestine are deliberately ignoring such proof. There has been protests by pro-Palestine Muslims in several world capitals in order to exert pressure on Israel to avoid a major ground assault on Gaza. Israel is firm on its stand. It wants to eliminate Hamas completely, come what may. There are Muslim leaders in India who are openly supporting Hamas, along with their traditional backing for Palestinian cause. On Monday, there were protests in Delhi and Mumbai. Left activists staged protest at Delhi’s Jantar Mantar along with JNU and Jamia Millia students. AIMIM chief Asaduddin Owaisi and other Muslim maulanas are openly espousing the cause of Palestine but ignoring the inhumanities committed by Hamas terrorists. They should take note of the fact that even Saudi Arabia and UAE have not allowed any protests in their countries in support of Hamas. But, in India, several Muslim leaders and Leftists are silent on Hamas atrocities and are only trying to highlight Israeli attacks on Gaza.
हमास-इज़रायल युद्ध : दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है
इज़रायल और हमास के बीच जंग ने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है.. गाजा में जंग के मैदान में मौजूद इंडिया टीवी संवाददाता अमित पालित ने बताया कि इजरायल के 1 लाख फौजी किसी भी वक्त गाजा में घुस सकते हैं. 3 लाख 60 हजार फौजी रिजर्व में रखे गए हैं. 300 टैंक गाजा बॉर्डर तक पहुंच चुके हैं.इंतजार है इन्टेलिजन्स की मंजूरी का, इजराइल की फौज किसी जाल में नहीं फंसना चाहती, ये सुनिश्चित करना होगा कि हमास ने बारूदी सुरंगें तो नहीं बिछाई हुई हैं. इज़रायल गाजा की आम जनता को हमले से भी बचना चाहता है. इज़रायल ने फिलीस्तीनी लोगों को गाज़ा सिटी छोड़कर जाने का निर्देश दिया है लेकिन हमास ने गाजा के लोगों से कहा है कि वो अपने घरों को न छोड़ें. हमास ने दावा किया है कि इजरायल की बमबारी में उन 13 इजराइली नागरिकों की मौत भी हो गई है जो हमास के कब्जे में थे लेकिन इजराइल ने साफ कर दिया कि जब तक हमास का नामोनिशान नहीं मिटा देंगे तब तक युद्ध नहीं रूकेगा. इजरायली वायु सेना की बमबारी में गाजा पट्टी में डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. दूसरी बड़ी बात ये है कि पुरी दुनिया में शुक्रवार को हमास के समर्थन में मुस्लिम संगठनों ने प्रोटेस्ट किया. जॉर्डन, लीबिया, ईरान के अलावा फ्रांस में बड़ी संख्या में मुसलमान हमास के समर्थन में सड़कों पर निकले. हालांकि फ्रांस और ब्रिटेन की सरकारों ने हमास के समर्थन में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. लंदन में सारे यहूदी स्कूल बंद कर दिए गए हैं. हैरानी की बात ये है कि हमारे देश में भी ज्यादातर मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद हुई तकरीरों में हमास के समर्थन में नारे लगे. कई शहरों में हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुए. लेकिन नोट करने की बात ये है कि हमास के खिलाफ इजराइल के एक्शन को लेकर अब दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है. अमेरिका, भारत और यूरोपीय देश पूरी तरह इजराइल के साथ खड़े हैं, लेकिन रूस, ईरान, इराक, लेबनान और दूसरे मुस्लिम देश हमास के साथ खड़े हो गए हैं. यूरोपीय यूनियन ने दिल्ली में जी20 संसदीय स्पीकर्स के सम्मेलन में इजराइल-फिलस्तीन का मुद्दा उठाया. EU ने कहा कि हमास का राजनैतिक और आर्थिक समर्थन बंद होना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कर दिया कि आतंकवाद दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी रूप में हो, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता, आतंकवाद को मजहब के चश्मे से देखना ठीक नहीं हैं. लेकिन रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि इजराइली हमलों में आम लोगों को नुकसान हुआ है और आम लोगों को हुए नुकसान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. तेल अवीव पहुंचे अमेरिका के रक्षामंत्री ने कहा कि अमेरिका हमास को बर्बाद करने के इजराइल के अभियान में पूरी तरह उसके साथ है क्योंकि हमास ने बेगुनाह इजराइली नागरिकों का कत्ल किया है. इजरायल ने इतने बड़े पैमाने पर हमास पर हमला क्यों किया? इसके बारे में मैंने कई एक्सपर्ट से बात की. असल में इजरायल ये समझता है कि ईरान और हमास ने मिलकर इजरायल का दबदबा खत्म करने का प्लान बनाया था और एक तरह से हमास ने इजरायल को एक बड़ा झटका दिया भी.पहली बार इजरायल की इंटेलिजेंस का इतना बड़ा फेल्यर हुआ. पहली बार इजरायल की मिलिट्री के वर्चस्व को भी धक्का लगा क्योंकि उसकी तैयारी में कमी दिखाई दी. अब इजरायल, ईरान और हमास को और एक तरह से पूरी दुनिया को दिखाना चाहता है कि उसकी सैन्य ताक़त बरकरार है और वो गाजा पर कब्जा करने में सक्षम है. कुछ हद तक इजरायल की बात सही भी है क्योंकि सैन्य ताक़त और इंटेलिजेंस के मामले में इजरायल वाकई में बहुत मजबूत है और इसकी ताकत इसीलिए कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि उसके पास पश्चिमी देशों का, खासतौर से अमेरिका का पूरा पूरा समर्थन है. मैंने एक्सपर्ट्स से इस बात को लेकर भी चर्चा की कि ईरान और हमास दोनों जानते थे कि इजरायल उन्हें करारा जवाब देगा तो भी हमास ने इजरायली नागरिकों की इतनी क्रूरता से हत्या करने की हिमाकत क्यों की? सबका कहना ये है कि ईरान और हमास इस बात को लेकर काफी परेशान हो गए थे कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्तों में सुधार हो रहा था. अमेरिका की कोशिश से सऊदी और इजरायल के बीच एक शांति समझौता साइन होने वाला था. अगर ये हो जाता तो खाड़ी के देश और इजरायल मिलकर ईरान को कमजोर कर सकते थे और ईरान को लगता था कि इस क्षेत्र में अमेरिका की ताकत और बढ़ जाएगी. इसीलिए फिलिस्तीन की आड़ लेकर, उनपर हुए जुल्म के नाम पर इजरायल पर इस तरह का हमला किया गया. लेकिन मुझे लगता है की ईरान का ये प्लान फेल हो गया. ये बात तो समझ में आती है कि हमास के खिलाफ गाजा में जिस तरह का एक्शन इजरायल ने किया है. उससे समस्या का समाधान नहीं निकल सकता, पर इजरायल अपनी ताकत दिखा देगा, दूसरी बात ये कि इस जंग की वजह से अरब शांति पहल एक बार फिर से जरूरी हो जाएगी. सऊदी और अमीराती इजरायल का साथ देते नजर आएंगे, कम से कम उसके खिलाफ खड़े नहीं होंगे. नोट करने वाली बात ये है कि पूरी दुनिया में कई जगह हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के मुल्कों में कहीं कोई आवाज नहीं उठी. जुमे की नमाज के बाद अपने खुत्बे में मौलानाओं ने जो कुछ कहा, उसे सुनने की ज़रूरत है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजहब के खिलाफ जंग बताकर लोगों को बहकाना खतरनाक है. ये न दुनिया के अमन चैन के लिए अच्छा है और न मुस्लिम भाइयों के लिए.. हमास ने इजराइल में छोटे छोटे मासूम बच्चों का गला काट दिया, 14-15 साल के बच्चों के हाथ पैर बांध कर उन्हें बम से उड़ा दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार करके उन्हें मार डाला, फिर लाशों के कपड़े उतार कर सड़क पर घसीटा,पुरूषों की लाशों को चीर कर उनका मांस खाया,इसके वीडियो बनाकर सर्कुलेट किए. क्या इस्लाम इसकी इजाजत देता है? क्या ये इस्लाम की तालीम के खिलाफ नहीं हैं? क्या कोई मुसलमान इस तरह के वहशीपन को समर्थन कर सकता है? लेकिन हमास की इस हैवानियत की तरफ से आंखे फेरकर इजराइल के एक्शन को मुसलमानों पर हमला बताकर दुनियाभर के मुसलमानों को भड़काया जा रहा है. अमनपसंद लोग इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे. जो लोग इस मुद्दे पर इजराइल के साथ खड़े होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध कर रहे हैं, उनका मकसद भी सियासी है. क्योंकि मोदी ने साफ साफ कहा है कि आंतकवाद का कोई मजहब नहीं होता, आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है. दहशतगर्दी का सबको मिल कर मुकाबला करना चाहिए.
Hamas-Israel conflict: World is now divided into two camps
The Hamas-Israel conflict has entered the eighth day today and in the process, it has nearly divided the entire world into two camps. The USA, India and European nations stand firmly with Israel, while Russia, Iran, Iraq, Lebanon and other Muslim countries are supporting Hamas. European Union leaders demanded a ban on political and economic support to Hamas at the G20 Parliamentary Speakers Summit in Delhi on Friday. At the summit, Prime Minister Narendra Modi said, terrorism, in any form, anywhere in the world, is against humanity, there must be no direct or indirect support to terrorism, and it should not be seen through the prism of religion. On the other hand, Russian President Vladimir Putin has said that thousands of civilians have suffered losses due to bombardments by Israeli army and any offensive in Gaza will have serious consequences. US Defense Secretary Lloyd Austin met Israeli leaders and expressed solidarity. Meanwhile, tens of thousands of civilians have fled Gaza after Israel gave 24 hours’ notice to Palestinians
to evacuate the northern part before an expected ground offensive. More than 3,200 people from both sides have been killed in fighting during the last seven days, while more than four lakh Palestinians have become homeless. India TV reporter Amit Palit has reported from Gaza that more than 300 Israeli tanks have been amassed on the Gaza-Israel border and nearly 3.6 lakh army reserves are ready for action. Israel has asked Palestinians to evacuate because it wants to avoid civilian deaths in the offensive. The army commanders want to avoid falling into Hamas’ mine traps too. On Friday, millions of Muslims staged demonstrations in support of Palestinians in France, Jordan, Libya, Iran, Malaysia, Afghanistan, Pakistan and India. All Jewish schools have been closed in London as a precautionary measure. Pro-Hamas slogans were raised in most of the mosques after Friday prayers. I spoke to several strategic affairs experts on why Israel has planned a massive offensive against Hamas. Actually, Israel believes that Iran and Hamas had jointly planned to carry out last Saturday’s vicious attacks in order to challenge Israel’s supremacy. Hamas managed to give a big jolt to Israel taking advantage of Israeli intelligence failure. Israel’s military reputation was smashed in the first few hours of Hamas’ blitzkrieg. Israel now wants to show to the rest of the world that its military power is intact despite Hamas attacks and that it can easily occupy Gaza. Israel’s claim may be correct to some extent because it continues to have a strong intelligence and military power network. Israel continues to have the full support of the world’s greatest power USA as its mainstay. I asked several experts why Iran and Hamas took the risky adventurist step in carrying out brutal murders of Israelis as they knew that Israel will retaliate strongly. Almost all of them said that Iran and Hamas had become worried after Israel and Saudi Arabia tried to improve their bilateral relations for the first time. A peace agreement between Israel and Saudi Arabia was being worked out with US help. Had the peace agreement taken shape, Israel and other Gulf countries could have weakened Iran. Iran feared that American clout in the region could have increased. To counter this, Iran, using the shield of past atrocities on Palestinians, prepared a plan for carrying out blitzkrieg on Israel through Hamas. I think, Iran’s plan has now failed. This cannot help in finding a durable solution to the Palestine problem. On the contrary, Israel is going to exert its military clout more. Secondly, because of this conflict, an Arab peace initiative may again become necessary. Saudi Arabia and UAE may side with Israel, or if not, they may not stand up against Israel, as they used to do in the past. One thing to note is that on Friday, there were demonstrations in most of the Muslim countries, except in Saudi Arabia and UAE. One should watch the speeches made by Islamic mullahs during Friday prayers in India and other countries. It is dangerous to misguide devouts by describing a war against terrorism as a war against religion. This is neither good for world peace nor for our Muslim brethren. The Hamas attackers slashed the necks of innocent children, blew up teenagers after tying them up, brutally murdered innocent women after committing rapes, then dragged their naked bodies through the streets, slashed the bodies of male captives and ate their flesh, and above all, circulated these gory videos on social media. Does Islam allow all this? Is it not against the teachings of Islam? Can any true Muslim support such heinous acts? But by closing their eyes over Hamas’ torture, and describing Israeli attacks on Gaza as attacks on Muslim, these religious bigots are inciting Muslims across the world. Peace loving people will never accept this. Those who are criticizing Prime Minister Narendra Modi for standing up with Israel, have ulterior political motives. Modi has clearly said that terrorism has no religion, terrorists are enemies of humanity, and the entire world must unite to eliminate terrorists.
इज़राइल में हमास के वहशीपन की एक स्वर में निंदा होनी चाहिए
मैं हैरान हूं कि इज़राइल में हमास के वहशीपन की तस्वीरें देखने के बाद भी कुछ लोग और संगठन उसे डिफेंड करने में लगे हैं. छोटे-छोटे मासूम बच्चे की चीखें सुनने के बाद भी कुछ लोगों का दिल नहीं दहला. मां बेटियों को मारकर उनके कपड़े उतारकर नुमाइश करने वाले दहशतगर्दों को कई जगह सपोर्ट मिला. ये निहायत ही शर्मनाक है. क्योंकि ये कोई जंग नहीं है. ये इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच का संघर्ष नहीं है. हमास ने जो किया वो इंसानियत पर हमला है, वहशियत की इंतहा है. और ऐसा करने वालों ने मज़हब की आड़ ली. जुल्म करते समय अल्लाह हु अकबर के नारे लगाए. ये और भी बड़ा अपराध है. दुनिया का कोई धर्म इस तरह की वहशियाना हरक़त की इजाज़त नहीं देता. जो लोग ऐसे क़त्ल कर रहे हैं, वे सच्चे मुसलमान नही हो सकते. और ये जंग किसी मुल्क की आबरू के लिए भी नहीं है. मुल्कों की जंग फौजें लड़ती है. मासूम बच्चों, बेबस औरतों और बीमार लोगों से नहीं. ये सही है कि हमास के इस हमले से मोसाद की साख को बट्टा लगा है. अब वो कैसे दावा करेंगे कि वो दुनिया की सबसे चतुर चालाक इंटेलिजेंस एजेंसी है? ये भी सही है कि हमास ने इज़राइल पर घर में घुसकर जो हमला किया उससे इज़राइली फौज की काबिलियत पर भी सवाल उठेंगे.अब तक तो ये कहा जाता था कि इजराइल की फौज के पास ऐसा नेटवर्क है जो दुश्मन को दूर से ही पहचान लेता है. अब तक तो ये माना जाता था कि इजराइल की डिफेंस इतनी मजबूत है कि कोई उसमें सेंध नहीं लगा सकता. लेकिन हमास ने ये करके दिखाया. लेकिन सवाल ये है क्या हमास को इसका फायदा होगा? अगर एक मिनट के लिए इंसानियत को छोड़कर हमास के एक्शन को रणनीति के हिसाब से देखा जाए, तो भी इस जंग से उन्हें क्या हासिल होगा? क्या इजराइल डर जाएगा? क्या इजराइल फिलिस्तीनी इलाकों को खाली करके भाग जाएगा? असल में जो हो रहा है और जो होगा वो इसका बिलकुल उल्टा है. अब इज़राइल की थल सेना और वायु सेना अपनी ताकत दिखा रही है. पांच दिन से गाजा पर ज़बरदस्त हमले हो रहे हैं और ये जंग हमास को बहुत महंगी पड़ेगी. इस खूनी संघर्ष से किसी को कोई फायदा नहीं होगा. इसलिए इस जंग को खुले दिमाग से समझने की ज़रूरत है. इस मारकाट को इंसानियत की नजरों से देखने की ज़रूरत है. वक्त का तक़ाजा है कि कोई भी दहशतगर्दों का साथ न दे. बेकसूर बच्चों, बेटियों और बेबस नागरिकों पर ज़ुल्म करने वालों का कोई समर्थन न करे. इस वक्त ढाई लाख लोग गाज़ा में अपने घरबार छोड़ कर इधर-उधर भाग रहे हैं ताकि इज़राइली बमबारी से खुद को बचा सकें. अब तक 2,100 से ज़्यादा जानें जा चुकी है और ये युद्ध सीरिया और लेबनान में बैठे हिज़बुल्ला आतंकियों तक पहुंच चुका है. अकेले गाज़ा में 900 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, और उनमें 260 बच्चे और 230 महिलाएं शामिल हैं.अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमास द्वारा किये गये कत्लेआम को अमानवीय बताया है और कहा है कि उनका मुल्क इज़राइल का पूरी तरह साथ देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इज़राइल के पीएम बेन्जामिन नेतन्याहु से फोन पर बात की और कहा कि भारत की जनता पूरी तरह संकट की इस घड़ी में इज़राइल के साथ है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि वो फलस्तीनी अवाम की जायज़ समस्याओं को मानते हैं, लेकिन जिस तरह का आतंक बेगुनाह नागरिकों पर बरपाया गया उसे किसी भी सूरत में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. हमास के आतंकवादी आम नागरिकों को ढाल बना कर छुपे हुए हैं और वो चाहते हैं कि गाज़ा में ज्यादा से ज्यादा नागरिक मरें ताकि दुनिया शनिवार को हुई आमानवीय घटनाओं को भूल जाए. हमास द्वारा किये गये ज़ुल्मों को किसी भी रूप से उचित नहीं ठहराया जा सकता.इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है.
Israel: Brutal crimes by Hamas must be condemned unequivocally
I am surprised to find how some individuals and organisations in India are defending the terror outfit Hamas that carried out a bloody rampage in Israel last weekend, committing crimes of bestiality against innocent men and women. More than 150 people have been kidnapped by Hamas terrorists, who have threatened to kill them, one by one. I am appalled how people are so insensitive to the cries and wails of innocent children facing murderers who went on sprees of massacre. The gory visuals of women and daughters brutally murdered and then displayed naked by Hamas terrorists have shocked the world and yet there are people who are justifying these attacks. This is utterly shameful. This was not a war between Israel and Palestine. What the Hamas terrorists did was an attack on humanity. And while doing so, they carried the fig leaf of religion. While committing atrocities, they chanted slogans like ‘Allahu Akbar’ (Allah is great!). This makes their crimes more sordid. No religion in the world permits such bestial crimes. Those trying to defend these brutal murders cannot be called true Muslims. This war is not being fought for the dignity of a nation. Wars are fought between soldiers belonging to conventional armies, not against innocent children, helpless women and sick people. By carrying out the blitzkrieg on Saturday, Hamas has punctured the invincibility of Mossad, which can no more claim to be the world’s cleverest espionage agency. Questions are being raised on how Hamas, in a daring plan, carried out incursions into Israeli territories on land, sea and air, and inflicted casualties. The invincibility of Israel’s Iron Dome has been shattered. Hamas did all this, but to what end? Does it think, Israeli will tremble in fear? Will Israel vacate Palestinian territories? What is happening in retaliation has also shocked the world. Lakhs of civilians living in Gaza Strip are living a life in hell, with Israel imposing a blockade on food, fuel, water and electricity supply. For the last five days, Israeli warplanes have been hammering many localities in Gaza Strip reducing buildings to rubble, with thousands of civilians scurrying to safety. The war has, till now, claimed 2,100 lives, and it is expected to escalate after Israeli forces are fighting Hezbollah militants in Lebanon and Syria. In Gaza alone, more than 900 people, including 260 children and 230 women, have died, while thousands have been wounded. More than 2.5 lakhs people have fled their homes in Gaza to save themselves from bombardment. On Tuesday, US President Joe Biden condemned the weekend attacks by Hamas as “pure, unadulterated evil”. Biden said, “in this moment, we must be crystal clear: We stand with Israel”. He warned adversaries not to take advantage of the crisis. On Tuesday, Prime Minister Narendra Modi, in his telephonic talk with his Israeli counterpart Bejamin Netanyahu, expressed solidarity with Israel and said, “the people of India stand firmly with Israel in this difficult hour and India strongly and unequivocally condemns terrorism in all its forms and manifestations”. Netanyahu assured support for the safety of nearly 18,000 Indians living in Israel. I completely agree with the United Nations Secretary General Antonio Gueterres, who said, “I recognize the legitimate grievances of the Palestinian people, but nothing can justify acts of terror and the killing, maiming and abduction of civilians”. Hamas terrorists are now behaving like the dreaded terror outfit ISIS, by hiding behind civilians, in order to maximize civilian casualties in Gaza and trying to make the world forget the massacre of hundreds of Israelis that started this war in the first place. The misadventure by Hamas will cost the Palestinian cause dearly. This bloody conflict will not help either side. We must try to understand the entire situation with an open mind. Massacres and killings of innocent civilians are blots on humanity. Let us all decide not to directly or indirectly support terrorists who have committed brutal atrocities on innocent children, women and civilians. This is the call of the hour.
केजरीवाल के सामने चुनौतियां
शराब घोटाले में गिरफ्तार संजय सिंह के तीन करीबी लोगों से पूछताछ शुरू हो गई है. सर्वेश मिश्रा से ED पूछताछ कर रही है. ED का दावा है कि संजय सिंह सर्वेश मिश्रा, विवेक त्यागी और कंवरवीर सिंह के जरिए ही अपने काम करवाते थे. शराब घोटाले में सरकारी गवाह बन चुके दिनेश अरोड़ा ने बताया था कि संजय सिंह को दो करोड़ रूपए दो किश्तों में सर्वेश मिश्रा के जरिए दिए गए थे. इसलिए ED ने सर्वेश मिश्रा पूछताछ के लिए बुला लिया और करीब दस घंटे से लगातार पूछताछ चली. सर्वेश के अलावा ED ने संजय सिंह के दो और सहयोगियों विवेक त्यागी और कंवरवीर सिंह को भी पूछताछ का समन जारी कर दिया है. हालांकि संजय सिंह के सहयोगियों से पहले भी पूछताछ हो चुकी है और इसका जिक्र ED ने संजय सिंह के रिमांड पेपर्स में किया है. चूंकि ED का दावा है कि सर्वेश के जरिए ही दो करोड़ रूपए की डिलवरी की गई, इसलिए सर्वेश से पूछताछ के बाद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जैसे जैसे संजय सिंह पर शिकंजा कस रहा है, वैसे वैसे इसका राजनीतिक असर भी दिखने लगा है. संजय सिंह की गिरफ्तारी के मुद्दे पर इंडिया एलायन्स में फूट दिखाई दे रही है. कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि विरोधियों के खिलाफ जिस तरह का रवैया केन्द्र सरकार है, उसी तरह का रवैया पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार का विरोधियों के साथ है. अगर संजय सिंह की गिरफ्तारी गलत है, तो फिर पंजाब में कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी को भी जायज़ नहीं ठहरा जा सकता. कांग्रेस के इस व्यवहार से केजरीवाल खफा हैं. अब इस मामले में शरद पवार मध्यस्थता कर रहे हैं, लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिखाई दे रहा है. असल में संजय सिंह की गिरफ्तारी को लेकर इंडिया एलान्यस में शामिल ज्यादातर पार्टियां खुलकर केजरीवाल के साथ खड़ी हैं लेकिन कांग्रेस ने इस मामले में गोलमोल रूख दिखाया है. कांग्रेस का कोई नेता संजय सिंह के पक्ष में खुलकर नहीं बोला. शुक्रवार को उस वक्त बात और बिगड़ गई जब राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने साफ बता दिया कि इस मामले में कांग्रेस केजरीवाल के साथ क्यों नहीं हैं. के सी वेणुगोपाल ने ट्विटर पर लिखा कि .संजय सिंह को ED ने जिस तरह अरेस्ट किया है, वो सियासी बदले की कार्रवाई को एक अलग लेवल पर लेकर जाती है. जांच एजेंसियों के सहारे राजनीतिक बदला लेने की इस प्रवृति का कांग्रेस विरोध करती है और इसीलिए पंजाब में जिस तरह ऑल इंडिया किसान सभा के चेयरपर्सन सुखपाल सिंह खैरा और फॉर्मर डिप्टी सीएम ओपी सोनी को गिरफ्तार किया गया है..कांग्रेस उसका भी विरोध करती है. लोकतंत्र में सबसे फेयर ट्रायल का मौका मिलना चाहिए और जांच एजेंसियों को संविधान के दायरे में काम करना चाहिए. इसके बाद के सी वेणुगोपाल ने एक लाइन और लिखी जो केजरीवाल को सबसे ज्यादा बुरी लगी होगी. वेणुगोपाल ने लिखा कि अगर हम वही बन जाते हैं जिसका हम विरोध करते हैं तो ये सही नहीं है. वेणुगोपाल के कहने का मतलब ये है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में तो अपने नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों के एक्शन को गलत बता रही है लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करके कांग्रेस के नेताओं को गिरफ्तार कर रही है. के सी वेणुगोपाल के बयान का मतलब है, कांग्रेस हाईकमान का बयान, इसीलिए केजरीवाल संकेत तो समझ गए, लेकिन बोले कुछ नहीं. जब उनसे पूछा गया कि संजय सिंह की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस तो आपके साथ नहीं हैं तो केजरीवाल ने कहा कि जिसे साथ आना हो आए, जिसे न आना हो, न आए, क्या फर्क पड़ता है, लेकिन शराब घोटाला फर्जी है, ये तो सबको पता है. केजरीवाल संजय सिंह को बेगुनाह बता रहे हैं और कांग्रेस सुखपाल सिंह खैरा को. केजरीवाल बीजेपी पर एजेंसियों का वक्त बर्बाद करने का इल्जाम लगे हैं और सुखपाल सिंह की खैरा की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस यही बात केजरीवाल को याद दिला रही है. सुखपाल सिंह खैरा पंजाब के पूर्व शिक्षामंत्री सुखजिंदर सिंह खैरा के बेटे हैं. सुखजिंदर सिंह खैरा अकाली नेता थे लेकिन सुखपाल सिंह खैरा ने कांग्रेस से सियासत शुरू की. पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं. तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं. बीच में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे लेकिन केजरीवाल से बनी नहीं और कांग्रेस में लौट आए. कांग्रेस ने उन्हें भारतीय किसान कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. कुछ दिन पहले भगवंत मान की सरकार ने खैरा को नशीले पदार्थ की तस्करी के केस में गिरफ्तार कर लिया. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के एक और बड़े नेता ओ पी सैनी को भी गिरफ्तार किया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ पी सोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप है. इन दो बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से कांग्रेस परेशान है. लेकिन केजरीवाल ने पिछले हफ्ते पंजाब में कहा कि कानून अपना काम करेगा, भ्रष्टाचार करने वाला, नौजवानों की जिंदगी खराब करने वाले, भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाएगा. ये बात कांग्रेस को बुरी लगी. इसीलिए जब संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई, तो कांग्रेस ने चुप्पी साध ली, केजरीवाल के साथ खड़ी नहीं हुई और आज वेणुगोपाल ने इसकी वजह भी बता दी. केजरीवाल चाहते हैं कांग्रेस इस मुद्दे पर उन्हें समर्थन करे, मोदी के खिलाफ सब एकजुट रहें, लेकिन वो सीधे कह नहीं सकते. इसलिए शरद पवार के जरिए अपना संदेश कांग्रेस तक पहुंचाया. शुक्रवार को शरद पवार ने मल्लिकार्जुन खरगे के घर जाकर उनसे मुलाकात की. इस मीटिंग में राहुल गांधी और गुरदीप सप्पल भी मौजूद थे लेकिन क्या बात हुई, बात बनी या नहीं, इस पर तो मीटिंग के बाद किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन गुरदीप सप्पल की बातों से साफ हो गया कि कांग्रेस का रुख केजरीवाल के लिए सख्त है. सप्पल ने केजरीवाल को वो सारे मौके याद दिला दिए जब कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी रही. सप्पल ने कहा कि कांग्रेस की नीयत तो साफ है, केजरीवाल की पार्टी पंजब में क्या कर रही है, ये देखना भी जरूरी है.
दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल की तकरार को समझने के लिए इसकी पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है. अगर सिर्फ चुनाव नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो दोनों राज्यों में केजरीवाल की पार्टी का वर्चस्व है. केजरीवाल ने जिस अंदाज में दिल्ली और पंजाब के विधानसभा चुनाव को जीते हैं, उसे आधार बनाया जाए तो कांग्रेस का इन दोनों राज्यों में लोकसभा की सीटों पर कोई क्लेम नहीं बनता. दिल्ली विधानसभा में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. पंजाब में कांग्रेस सिर्फ 18 सीटें जीतें पाई थी, इसीलिए केजरीवाल का ये दावा सही है कि दोनों राज्यों में सिर्फ वही मोदी को टक्कर दे सकते हैं. इसीलिए विरोधी दलों के मोर्चे में शामिल होने से केजरीवाल को इन दोनों राज्यों में कोई फायदा नहीं होगा. उल्टे दो चार सीटें देनी पड़ेंगी और नुकसान होगा. दूसरे राज्यों में जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, वहां वो आम आदमी पार्टी के लिए सीटों को छोड़ेगी इसकी उम्मीद कम है. लेकिन शरद पवार सबको यही समझा रहे हैं कि इस समय सीटों को लेकर आपस में नहीं लड़ना चाहिए और काफी हद तक मोदी विरोधी मोर्चे के नेता इस बात को समझते हैं क्योंकि सब ED और CBI के केसेज से परेशान हैं. जेल और बेल के चक्करों से हैरान हैं लेकिन राजनीति के खेल में सब अपने अपने हिसाब से चाल चलेंगे. इसीलिए जब संजय सिंह के सवाल पर कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया तो केजरीवाल ने भी कांग्रेस को आंख दिखाई. शुक्रवार को ही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की दस लोकसभा सीटों के लिए प्रभारियों के नामों की लिस्ट जारी कर दी. इसका संकेत ये है कि अगर कांग्रेस ने अपना रुख नहीं बदला, तो केजरीवाल उन राज्यों में भी लोकसभा चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार उतारेंगे जहां कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला है.
Challenges before Kejriwal
The Enforcement Directorate on Friday questioned Sarvesh Mishra, an assistant of arrested AAP MP Sanjay Singh, who is alleged to have taken Rs 2 crore cash from a liquor businessman. Two more assistants of Sanjay Singh, Vivek Tyagi and Kanwarvir Singh have also been summoned for questioning. Even as the ED’s noose tightens around Sanjay Singh and his assistants, political spat has begun between Congress and Aam Aadmi Party, sowing seeds of dissensions in the newly-formed INDIA opposition alliance. On Friday, Congress general secretary K C Venugopal gave a strong message to AAP to desist from settling ‘political scores’ in Punjab. Venugopal tweeted: “AAP MP Sanjay Singh’s arrest by the ED takes the BJP’s vendetta politics to another level. We stand in complete solidarity with him and reject the use of law enforcement agencies to settle political scores. For this reason, we also oppose the arrests of All India Kisan Sabha Chairpeson Shri Sukhpal Khaira and former Punjab Deputy Cm Shri O P Soni ji by the Punjab police. Democratic principles of a fair trial and authorities acting within the boundaries of the Constitution are non-negotiable. We cannot become those we oppose.” There were reports of NCP chief Sharad Pawar mediating between the two parties, when he met Congress President Mallikarjun Kharge and Congress leader Rahul Gandhi. The interesting part is that while several top parties in INDIA alliance have condemned Sanjay Singh’s arrest, Congress leaders are maintaining a stony silence. On Friday, Chief Minister Arvind Kejriwal reacted by saying, “those who want to come with us, let them some or let them stay away, it won’t make a difference, because the liquor scam is fake.” Congress spokesperson Gurdeep Singh Sappal, who was present at Pawar’s meeting with Kharge and Rahul Gandhi, later reminded Kejriwal of how Congress had extended support to AAP in the past. Sappal said, Congress party’s intentions are bonafide, but Kejriwal’s party must see what its government is doing in Punjab. One must understand the background before assessing the spat between Congress and Kejriwal in Delhi and Punjab. Electoral results clearly show the dominance of Kejriwal’s party in both states and Congress cannot stake claim to Lok Sabha seats in these two states. In Delhi Assembly polls, Congress failed to win a single seat, while it could win only 18 seats in Punjab. Kejriwal’s claim is therefore justified that it is only AAP which can give a tough fight to BJP in both these states. For Kejriwal, joining INDIA alliance is not going to give additional benefits to AAP in both these states. On the contrary, AAP may be asked to leave two or four seats to Congress. In states where Congress has dominance, AAP has little chances of getting a single seat as concession from the Congress. It is in this context that Sharad Pawar is trying to convince all sides not to quarrel over seats now. Most of the leaders in INDIA alliance realize this because they are worried about actions taken by ED and CBI. Some of these leaders are either spending time in jail or are trying to get bail. But, in the game of politics, parties move ahead only with their own advantage in mind. While Congress dithered in supporting AAP on the issue of Sanjay Singh’s arrest, Kejriwal has also hit back at the Congress. On Friday, Aam Aadmi Party appointed party in-charge for all the 10 Lok Sabha seats in Haryana. This is clear indication that if Congress does not change its stand, Kejriwal may field candidates in those states which are going to witness a direct fight between Congress and BJP.
ED, CBI की कार्रवाई : विपक्षी एकता के लिए फेवीकॉल
अरविंद केजरीवाल के लिए तीन बुरी खबरें आईं. पहली उनके वकीलों की तमाम दलीलों के बावजूद संजय सिंह को कोर्ट ने 5 दिन के लिए ED की हिरासत में भेज दिया. केजरीवाल ने कहा था कि संजय सिंह के खिलाफ दिनभर की छानबीन के बाद कोई सबूत नहीं मिला. जिन संजय सिंह को केजरीवाल ने बेकसूर बताया था, उनके बारे में ED ने अदालत में खुलासा किया कि संजय सिंह को शराब घोटाले में दो करोड़ रूपए दिए गए. ED ने दावा किया कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि इस रकम की अदायगी एक एक करोड़ की किस्तों में संजय सिंह के घर पर हुई. केजरीवाल के लिए दूसरी बुरी खबर ये थी कि नेताओं के बाद अब आम आदमी पार्टी भी ED के लपेटे में आती दिखाई दे रही है. इन्फोर्समेंट डायरैक्ट्रेट ने इस बात के संकेत दिए कि वो शराब घोटाले के केस में अरविन्द केजरीवाल की पार्टी को भी आरोपी बनाएगी क्योंकि घोटाले का वित्तीय फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ. केजरीवाल के लिए तीसरी बुरी खबर ये आई कि शराब घोटाले के केस में सात महीने से जेल में बंद मनीष सिसोदिया को अदालत से जमानत नहीं मिली. अब 12 अक्टूबर को उनकी अर्जी पर आगे सुनवाई होगी. गुरुवार को संजय सिंह के वकील ने ED की रिमांड का विरोध करते हुऐ कहा कि सिर्फ एक शख्स दिनेश अरोड़ा के बयान के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता. वकील ने कहा, ED के पास न कोई सबूत है, न कोई बरामदगी हुई इसलिए गिरफ्तारी ही गलत है. जज ने भी ED के वकील से कहा कि जब संजय सिंह का फोन और दूसरे दस्तावेज ED की कब्जे में हैं, call detail records भी ED निकलवा लेगी तो फिर संजय सिंह की रिमांड क्यों चाहिए. इस पर ED ने खुलासा किया कि उसके पास इस बात की जानकारी है कि शराब घोटाले में 2 करोड़ रूपये संजय सिंह को दिए गए. ये बात दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में बताई है कि एक-एक करोड़ की दो किस्तों में ये रकम संजय सिंह के घर पर डिलीवर की गई और दोनों ही बार पेमेंट सर्वेश मिश्रा ने रिसीव की. ED ने कोर्ट को ये भी बताया कि संजय सिंह 2017 से ही दिनेश अरोड़ा को जानते थे और कॉल रिकॉर्ड से इसकी पुष्टि हुई है. इसलिए दिनेश अरोड़ा के बयान पर शक नहीं किया जा सकता क्योंकि कोर्ट ने उसे इकबालिया गवाह बनने की इजाजत दी है. आखिर में जज साहब ने संजय सिंह से भी पूछा कि क्या वो कुछ कहना चाहते हैं. इस पर संजय सिंह ने हाथ जोड़ कर कहा आप न्याय की कुर्सी पर है, आप बेहतर समझ सकते हैं. संजय सिंह ने शायर कृष्ण बिहारी शर्मा ‘नूर’ का एक शेर सुनाया, ‘ सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूठ की कोई इंतिहा ही नहीं’. संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब मोदी विरोधी मोर्चे में शामिल सारी पार्टियां मजबूती से आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. प्रियंका गांधी ने गुरुवार को कहा कि ED को सिर्फ विरोधी दलों में भ्रष्टाचार दिखाई देता है. मध्य प्रदेश के धार में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि ED की कार्रवाई सिर्फ उन्हीं राज्यों में होती है जहां विपक्षी पार्टियों की सरकारें है, ED सिर्फ विरोधी दलों के नेताओं के घर पहुंचती है जबकि मध्यप्रदेश में भी इतने घोटाले हुए हैं, ED को ये सब क्यों नहीं दिख रहा है. ED के एक्शन पर NCP के संस्थापक शरद पवार भी बोले. शरद पवार ने कहा कि देश में बच्चा-बच्चा अब ED और CBI का नाम जानने लगा है, ED-CBI पहले भी थी लेकिन पहले इन एजेंसियों का इतना दुरूपयोग नहीं होता था. शरद पवार ने कहा, दिल्ली में आम आदमी पार्टी के एक भले आदमी के घर पर ईडी ने छापे मारे. रात के आठ दस बजे उन्हें गिरफ्तार किया और जेल में रख दिया. ऐसा ही काम पश्चिम बंगाल में हुआ था, ममता जी के जो साथी हैं, उनके खिलाफ छापे मारे गए. महाराष्ट्र के गृह मंत्री, एनसीपी के नेता अनिल देशमुख के यहां छापे मारे, 13 महीने उन्हें जेल में रखा. शिवसेना का नेता संजय राउत ने अपने अखबार में बीजेपी और प्रधानमंत्री के खिलाफ लिखा, उनको गिरफ्तार किया गया, आठ महीने जेल में रखा. अपने खिलाफ जो राजनैतिक दल हैं, उनके नेताओं के खिलाफ सीबीआई या ईडी का इस्तेमाल करके इनको खत्म करने का राजनीतिक दुष्चक्र और साजिश हो रही है. शरद पवार ने विरोधी दलों के लिए एक काम की बात कही. उन्होंने कहा कि सीबीआई और ED के एक्शन से विपक्ष के एकता और मजबूत होगी, यानि ED का एक्शन फेवीकोल का काम करेगा. यही बात मैंने कल ‘आज की बात’ में कही थी. शरद पवार ने कहा कि वो जानते हैं कि इंडिया एलायन्स में शामिल पार्टियों में आपसी मतभेद हैं, लोकल लेवल पर आपसी झगड़े हैं, लेकिन बीच का रास्ता निकालना होगा, ये वक्त की मांग है. पवार ने कहा कि बंगाल में लैफ्ट और कांग्रेस से ममता की लड़ाई है, दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और केजरीवाल का झगड़ा है. ये झगड़े राज्यों के चुनावों तक सीमित रखने चाहिए, कोशिश ये होनी चाहिए कि कम से कम लोकसभा चुनाव सब मिलकर लड़ें, बीजेपी को हराने के लिए ये जरूरी है. शरद पवार ने बताया कि वो कौन सी ताकत है जो इंडिया अलायंस के लिए फेविकॉल का काम कर रही है. चतुर सुजान पवार साहब ने कंफर्म किया कि ED और CBI के केसेज ने विरोधी दलों को जोड़कर रखा हुआ है. जितने केस बनेंगे, उनका अलायंस उतना ही मजबूत होगा. उन्होंने समझाया कि केजरीवाल अपनी पार्टी के नेताओं पर CBI, ED के केसेज से इतने ज्यादा परेशान हैं कि वो दिल्ली में कांग्रेस के लिए तीन सीटें छोड़ने के लिए तैयार हैं. कांग्रेस, NCP, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, RJD सब ऐसी पार्टियां हैं जिनके बड़े बड़े नेताओं के खिलाफ CBI और ED के केस चल रहे हैं. कोई बेल पर है, कोई जेल में है. इस बात को अब तक प्राइवेटली तो सब कहते थे कि ये पार्टियां इसी वजह से मजबूर होकर साथ आई हैं क्योंकि ये सब केसेज से परेशान हैं. जब शरद पवार ने इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया तो मोदी ने इस बात को पकड़ लिया. मोदी पहले भी कहते आए हैं कि विरोधी दलों का अलायंस भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं का गठबंधन है. मोदी का ये भी कहना है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया, इसीलिए उन्हें हटाने के लिए ऐसे लोग इकट्ठा हो गए. इन सारे बयानों से दो बातें साफ हैं – शरद पवार को लगता है कि जितने केसेज बने अच्छा है, मोदी विरोधी मोर्चे की एकता उतनी ही मजबूत होगी. मोदी को लगता है कि वो भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना पाएंगे और एक साथ सारे विरोधी दलों को घेर पाएंगे. नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में जो भाषण दे रहे हैं, उनमें इस बात पर काफी फोकस दिखाई दे रहा है.