Rajat Sharma

My Opinion

WHY CONGRESS WANTS AN INVITE FOR RAM TEMPLE CONSECRATION?

rajat-sirAfter Prime Minister Narendra Modi accepted the formal invitation from Sri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust to attend the consecration ceremony of the Ram Temple in Ayodhya, slated for January 22, several Congress leaders have raised questions. Congress leader Salman Khurshid asked, “Is the invitation going to just one party? Is God now limited to one party? The invitation should be for everyone.” Madhya Pradesh Congress chief Kamal Nath said, “Ram temple belongs to every person in India and it is a great symbol of our Sanatan Dharma. Does the temple belong only to BJP?” Leader of Congress in Lok Sabha Adhir Ranjan Chowdhury said, “Ram mandir has nothing to do with politics. Indians have been worshipping Lord Ram since thousands of years. Suddenly Modi Ji have become a Ram Bhakt and he is trying to divide people on the basis of religion”. Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut said, “there was no need to invite the Prime Minister. As PM, he would have definitely gone on his own. Thousands of kar sevaks sacrificed their lives for Ram Janmabhoomi. Shiv Sena, Bajrang Dal, VHP were there. Advani Ji took out rath yatra. Prime Minister will go there but I think this seems to be part of preparation for elections.” VHP president Alok Kumar reminded that it was Congress-led UPA government which had filed an affidavit in Supreme Court refusing to accept Lord Ram as part of Indian history and had described him as a mythological figure. Trust general secretary Champat Rai angrily said, “those organizing a son’s wedding will decide whom to invite and whom not to.” Nobody should be surprised over the demands of Congress leaders that they should also be invited to the ceremony. Congress leaders also allege that Modi is trying to make Ram temple an issue before the elections. Lord Ram belongs to each one of us, but Congress leaders have probably forgotten past history. Former Prime Minister, Rajiv Gandhi, in order to appease Muslim voters, got Muslim Personal Law amended in Parliament to overturn Supreme Court verdict in Shah Bano case. It was his government, in order to appease Hindus, ordered opening up of the locked Ram Janmabhoomi for worship of Ram Lalla idol. Both these steps were part of electoral tactics. I still remember: Just before the 1989 Lok Sabha elections, V P Singh had tried to organize ‘shilanyas’ (foundation laying) of Ram Janmabhoomi temple by using the help of pro-Congress Shankaracharya Swaroopanand Saraswati. The Shankaracharya had already left for Ayodhya, but Mulayam Singh Yadav wanted to project himself as the champion of secularism. He ordered the arrest of Shankaracharya, to appease Muslim voters. Later in 1991, Bihar chief minister Lalu Prasad, in order to appease Muslim vote bank, ordered arrest of L K Advani in Samastipur to stop his Ayodhya-bound rath yatra. In the Supreme Court, Congress-led UPA government in 2007, filed an affidavit through Archaeological Survey of India in Ram Sethu case before the Supreme Court, in which it was said, “Valmiki Ramayana and Ramcharit Manas are mythological texts..which cannot be said to be historical records to incontrovertibly prove the existence of the characters”. After describing Lord Ram as a mythological character, it is now surprising that the leaders of the same party are eager to attend the consecration ceremony of Ram temple in Ayodhya. Already, there are media reports that a close associate of Congress leader Rahul Gandhi has already made a recce of Ayodhya and has met religious leaders. Very soon, Rahul may visit Ayodhya to pay obeisance to Lord Ram. This indicates a big paradigm shift in the thought process of Congress leaders. There was a time when the same leaders used to avoid the very mention of Lord Ram, fearing backlash from Muslim voters. Times have now changed. Most of the mainstream parties are invoking the name of Lord Ram. Already opposition parties have begun to realize that the BJP is going to pull out all stops to make the Ram Temple consecration ceremony a grand success, and it can reap a rich electoral harvest. It is, in this context, that we hear leaders like Kamal Nath saying, ‘Ram Temple belongs not only to BJP, but to each and every Indian’. Times have really changed.

WILL MAHUA LOSE HER LS MEMBERSHIP?

Parliament’s Ethics Committee on Thursday recorded the oral testimonies of complainants BJP MP Nishikant Dubey and advocate Jai Anant Dehadrai in the “cash for question” allegations against Trinamool Congress MP Mahua Moitra. The panel has now sought assistance from Home and Information Technology ministries for getting details about conversations between industrialist Darshan Hiranandani, Mahua Moitra and Dehadrai. The Trinamool MP has been summoned to record her testimony on October 31. If the panel finds concrete evidence of the industrialist Hiranandani, based in Dubai, using the login and password of Mahua Moitra in Parliament website for sending questions to Lok Sabha secretariat, she may land in big trouble and may lose her membership. Already, her party Trinamool Congress is now in a wait-and-watch mode. If Mahua loses her Lok Sabha membership, the party may also decide to expel her.
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इज़राइल, फलस्तीन, हमास पर भारत का संतुलित रुख

AKB30 इज़राइल और हमास की जंग अब गाज़ा के दायरे से बाहर जा रही है. पूरा मध्य पूर्व इसकी चपेट में आ सकता है, ईरान और अमेरिका भिड़ सकते हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाा खामनेई ने कह दिया कि अमेरिका के हाथ गाज़ा के बच्चों के खून से रंगे हैं, गाजा में हजारों लोगों की मौत का जिम्मेदार अमेरिका है, अगर इजराइली फौज गाजा में घुसने की हिमाकत करती है तो उसे ईरान की इलीट ब्रिगेड, क़ुद्स फ़ोर्स का सामना करना पड़ेगा. ईरान की धमकी को अमेरिका ने बहुत गंभीरता से लिया है. अमेरिका ने चेतावनी दी है कि ईरान और उसके सहयोगी संगठन अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने के गलती न करें वरना अमेरिका को अपने लोगों की हिफाजत करना अच्छे से आता है. दूसरी तरफ तुर्किए के राष्ट्रपति अर्दोआन भी खुलकर हमास के समर्तन में आ गए. अर्दोआन ने कहा हमास आतंकवादी संगठन नहीं है, इजराइल आतंकवादी देश है, अगर इजराइल गाजा पर हमले नहीं रोकता तो इसके खतरनाक नतीजे भुगतने होंगे. ईरान और तुर्किए के अलावा मिस्र , जॉर्डन, सऊदी अरब, लेबनान, सीरिया जैसे मध्य पूर्व के कई देशों ने गाज़ा पर तुरंत हमले रोकने की बात कही है., लेकिन इजराइल इसके लिए तैयार नहीं हैं. इस मामले में अमेरिका भी इजराइल के साथ है. इजराइल ने फिर कह दिया है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं करेंगे तब तक एक्शन जारी रहेगा क्योंकि हमास का वजूद इंसानियत के लिए खतरा है. इजराइल ने पहली बार हमास के उन दहशगर्दों के वीडियो जारी कर दिए जिन्होंने 7 अक्टूबर को इजराइल के सरहदी इलाकों में घुसकर कत्लेआम मचाया था. हमला करने वाले हमास के कुछ आतंकवादियों को इजराइली सेना ने जिंदा पकड़ा है . ये दरिंदे बता रहे हैं कि इजराइल में घुसने का हुक्म उन्हें किसने दिया था, क्या टारगेट था, क्या मकसद था. एक बंधक के बदले दस हजार डॉलर और एक फ्लैट इनाम के तौर पर देने का वादा किया गया था. हमास के आतंकवादियों ने बताया कि उन्हें इजराइली पुरूषों को तुरंत खत्म कर देने, ज्यादा से ज्यादा महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को अगवा करके गाज़ा लाने का हुक्म दिया गया था और उन्होंने वैसे ही किया. जो सामने दिखा, उसे गोली से उड़ा दिया. 7 अक्टूबर के हमले का एक और ऑडियो सामने आया जिसमें हमास का एक आतंकवादी फोन पर अपने पिता से बात करता हुआ दिखाई दे रहा है. वो कह रहा है कि उसने अभी अभी दस इजराइलियों को मार डाला है. इस हैवानियत पर उसका पिता शाबाशी दे रहा है और बेटे की सुरक्षित वापसी की दुआ कर रहा है. हमास के आतंकवादियों के कबूलनामे सुनकर रौंगटे खडे हो जाते हैं. ये समझ में आता है कि हमास के हैवान कितने खौफनाक इरादों के साथ इजराइल में घुसे और वो अपने खतरनाक मंसूबों को पूरा करने में कामयाब हुए. हमास के आतंकवादियों के जो क़बूलनामे रिलीज़ हुए हैं, वो उनसे पूछताछ के दौरान रिकॉर्ड किए गए थे. इज़राइल की सुरक्षा एजेंसी शिन बेत ने इन आतंकवादियों को 7 अक्टूबर के हमले के बाद पकड़ा था और इनसे हमले के बारे में, बंधकों के बारे में पूछताछ की थी. एक वीडियो हमास के आतंकवादी शादी मुहम्मद का है, जो कि कुख्यात अल क़स्साम ब्रिगेड का सदस्य है, जिसने इज़राइल पर ये पूरा हमला प्लान किया था. अल क़स्साम के अलावा, हमास की बेहद ख़तरनाक नुख़बा फोर्स के आतंकवादी भी इज़राइल पर हमले में शामिल थे. सारे हमलावरों को स्पष्ट आदेश था कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को मार दो, बाक़ी को बंधक बना लो, हर एक बंधक के बदले में हमास ने इन हैवानों को दस हज़ार डॉलर और एक फ्लैट देने का लालच दिया था. हमास ने 7 अक्टूबर का हमला पूरी प्लानिंग के साथ किया था. हमला करने वाले आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी गई थी. पूछताछ में इन दहशतगर्दों का एक एक खुलासा दिल दहलाने वाला है.. इन आतंकवादियों ने बताया कि उन्हें तीन टारगेट दिए गए थे – घरों पर हमला करके पुरुषों और बच्चों को मार देना था, महिलाओं और बुज़ुर्गों को बंधक बनाना था और इज़राइल के सुरक्षा बलों की चौकियों में हमला करके फौज के जवानों को मारकर उनके हथियार लूटना और उसका वीडियो बनान था. हमास के आतंकवादी फौजी मुहम्मद ने कहा कि सभी नौजवानों को मार देने का ऑर्डर था, फिर चाहे वो वर्दी में हों या फिर आम नागरिक.पूछताछ के दौरान, हमास के इन आतंकवादियों ने इज़राइली सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश भी की. पूछने पर एक आतंकी ने पहले बताया कि वो अल क़स्साम ब्रिगेड से है, फिर कहा कि वो नुख़बा फोर्स से है, हालांकि, उसने अपना मक़सद बिल्कुल साफ़ साफ़ बताया. कहा कि वो इज़राइलियों से ज़मीन ख़ाली कराने के लिए गया था. हमास के हमले का बदला लेने के लिए इज़राइल, ग़ाज़ा पट्टी पर लगातार बमबारी कर रहा है, गाज़ा की सीमा पर तैनात इज़राइल के टैंक और तोपें भी हमास के ठिकानों को निशाना बना रहे हैं. इस बमबारी में गाज़ा के सिविलियन इलाके भी तबाह हो रहे हैं. गाज़ा में इज़राइल की बमबारी से अब तक लगभग छह हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 18 हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हैं. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इज़राइल पर फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लगाया है… फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाक़ात के दौरान महमूद अब्बास ने कहा कि इज़राइल अपने 222 बंधकों को छुड़ाने के लिए हज़ारों बेगुनाहों को मार रहा है, लेकिन, उसने ख़ुद 1200 से ज़्यादा फिलिस्तीनियों को बंधक बना रखा है. महमूद अब्बास ने गाज़ा में तुरंत बमबारी रोकने की मांग की. इजरायल के सैनिक गाजा पट्टी के करीब खड़े हैं भारी संख्या में टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों ने घेराबंदी की हुई है. गाजा में घुसने के लिए पूरी तैयारी है, पर निर्देशों का इंतजार है. इजरायल के रक्षा मंत्री ने अपनी फौज से कहा है कि अबतक आप गाजा को दूर से देखते थे, लेकिन जल्दी ही आप इसे अंदर से देखेंगे, लेकिन सच ये है कि इजरायल की सरकार अभी ग्राउंड पर एक्शन करने से थोड़ा कतरा रही है. दो हफ्ते बाद भी इजरायल की तरफ से हवाई हमले तो लगातार जारी है पर जमीन पर अभी कोई एक्शन नहीं हुआ है. इसकी दो वजहें हो सकती हैं. एक इजराइली सेना के अधिकारी काफी सावधानी बरत रहे हैं. हमास ने गाजा में जो सुरंगों का जाल बिछाया हुआ है, उसके बारे में इजराइल के पास अभी पूरी जानकारी नहीं है और बिना ज़मीनी हालत जाने, अंदर जाकर एक्शन करने पर काफी नुकसान हो सकता है. दूसरी वजह राजनीतिक है. अगर इजरायल ने गाजा पर कब्जा कर भी लिया, तो वो इस का क्या करेगा? ये सवाल है. अगर हमास का नियंत्रण खत्म कर दिया तो गाज़ा इजराइल की फौज के कब्जे में होगा.फिर वो इसे किस को गाज़ा सौंपेगा? इस्रायल की फौज वहां से वापस कैसे निकलेगी? गाजा किसे सौंपेगी? इजरायल को एहसास है कि गाजा कितना भी कमजोर हो जाए फिलिस्तीन के लोगों की हमदर्दी उसके साथ बनी रहेगी. इसलिए वहाँ ज्यादा रुकना रणनीति के लिहाज से ठीक नहीं होग. वैसे भी इजरायल और हमास की जंग का असर अब पूरी दुनिया पर दिखाई देने लगा है. बंधवार को लेबनान में हमास, इस्लामिक जिहाद और हिज़्बुल्लाह के नेता मिले. हिज़्बुल्लाह, हमास के समर्थन में इज़राइल पर उत्तर की तरफ़ से हमले कर रहा है. तीनों संगठनों के नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई ये तो पता नहीं चला लेकिन, हमास के प्रवक्ता ने ये ज़रूर कहा कि वो फिलिस्तीन की आज़ादी की लड़ाई जारी रखेंगे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इज़राइल-फिलिस्तीन मसले पर चर्चा में भारत ने बहुत संतुलित रुख़ अपनाया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के सहाय़क प्रतिनिधि आर. रवींद्र ने कहा कि हमास के हमले के बाद सबसे पहले इज़राइल का समर्थन करने वाले देशों में भारत भी शामिल था लेकिन भारत को गाजा के बेगुनाह लोगों की भी फिक्र है. इसीलिए भारत ने गाज़ा के लोगों के लिए भी 38 टन राहत सामग्री भेजी है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि वो चाहता है कि इज़राइल के साथ स्वतंत्र और सार्वभौम फिलिस्तीन देश भी बने, दोनों की सीमाएं तय हों, सभी देश उनको मान्यता दें, तभी स्थायी शांति क़ायम होगी. भारत के रुख संतुलित भी है और व्यावहारिक भी. मैने पहले ही कहा कि इजराइल अगर गाज़ा पर कब्जे करता है तो उसे बरकरार रखना मुश्किल होगा.इसीलिए अब अमेरिका भी इजराइल को सलाह दे रहा है कि वो गाजा पर ग्राउंड अटैक न करे, सरहद पार न करे. एक बात तय है कि जंग हमेशा तो नहीं चल सकती. आखिरकार कोई रास्ता तो निकालना पड़ेगा. इजराइल को हमास के खिलाफ एक्शन का पूरा हक है लेकिन गाजा के लोगों को इस तरह मुसीबत में तो नहीं छोड़ा जा सकता है.. इसीलिए भारत गाजा के लोगों की मदद कर रहा है और इजराइल से संयम बरतने की अपील कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी की इस नीति का पूरी दुनिया समर्थन कर रही है. हमारे देश में भी जो मुस्लिम नेता और मौलाना पहले आतंकवाद के खिलाफ इजराइल का समर्थन करने पर मोदी को कोस रहे थे, अब वही लोग गाज़ा के लोगों के लिए मदद भेजने पर मोदी की तारीफ कर रहे हैं.

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INDIA’S BALANCED STAND ON ISRAEL, PALESTINE AND HAMAS

AKB30 The ongoing conflict between Israel and Hamas threatens to spiral into a regional conflagration in the Middle East with US and Iran issuing threats against each other. In Tehran, Iran’s supreme leader Ayatollah Khamenei accused the US of “directing Israeli strikes in Gaza” and said, “America is a definite accomplice of criminals”. Khamenei said, “America’s hands are tainted with the blood of the oppressed, children, women, patients and others”. Iran has issued a threat saying, if Israeli forces enter Gaza, they will have to face the elite Quds Force of Iran. The US has taken Iran’s threat seriously and has rushed its air defence systems to protect its military installations in the region. Clearly, the conflict seems to be heading towards a major conflagration beyond Gaza. Meanwhile, Turkiye President Erdogan openly supported Hamas saying “it is not a terrorist organization but a liberation group waging war to protect its land”. Egypt, Jordan, Saudi Arabia, Lebanon and Syria have called for an immediate halt to all attacks and imposition of ceasefire, but Israel is determined to carry on its operations against Hamas. While Israel has agreed to halt its ground attack on Gaza on US request, its armed forces, on Wednesday night, sent infantry forces and tanks in a ‘targeted raid’ on Hamas in northern Gaza. Israeli army claimed that its forces struck several anti-tank guided missile launch positions of Hamas. The troops left the area after raids, Israeli Defense Force said. Israeli army has released chilling video of six captive Hamas terrorists confessing on camera that they were instructed to kill and kidnap civilians, including elderly, women and children. One of the captive Hamas terrorist disclosed that “whosoever brings a hostage back to Gaza will get $10,000 and an apartment.” In the video, the Hamas operatives gave chilling accounts of how the attacks on October 7 morning was carried out on Israeli settlements. One captive Hamas terrorist confessed that when he shot a dead woman lying on the floor, his commander scolded him for using bullets on a dead body. Another terrorist confessed that the women, children and elderly were taken hostages in order to use them as human shields. Another Hamas terrorist disclosed that he saw two attackers taking an old woman aged 60-65 years as hostage on a motorbike to Gaza. The captive Hamas terrorists also revealed how they used gas to smoke out civilians who were hiding in shelters, and they did not even spare pets. At the end of each confession, the Hamas terrorists were asked whether Islam taught killing women and children, and all of them answered: ‘No’. All these interrogations were done on camera by Israeli security agency Shin Bet. In another video, a Hamas terrorist is shown speaking to his father on phone and claiming that he killed 10 Israelis. His father congratulated him for this while praying for his safe return. Watching and listening to these confessions can shock any humane person. One can understand why Hamas terrorists entered Israel to carry out murder and mayhem, but because of their misadventures, the entire city of Gaza populated by Palestinians has now turned into rubble. The world is now divided into two camps, with one supporting Israel’s action against Hamas, and the other denouncing Israeli attacks on Gaza. Israel has amassed its troops near Gaza Strip and has deployed tanks, armoured vehicles and other missile batteries. Its army is awaiting orders to launch ground attacks. US has advised Israel to postpone its ground assault on Gaza strip, even as negotiations are under way for release of all American and Israeli hostages. The Israeli army is using this time to carefully assess the ground positions because Hamas has built a huge web of tunnels inside Gaza, and Israeli intelligence lacks detailed information about the tunnels. Any ground offensive in haste can be counter-productive. The second reason is geo-political. Even if Israel occupies Gaza, what next? After decimating Hamas, whom will Israel hand over the charge of Gaza? How and when will the Israeli army return after its work is over in Gaza? Israel knows that Gaza will forever continue to evoke sympathy among Palestinians and Muslims across the Islamic world and politically, it can prove costly if Israel continues with its occupation of Gaza. In Lebanon, the leaders of Hamas, Islamic Jehad and Hezbollah met on Wednesday but kept their talks under wraps. A Hamas spokesperson said, the fight for liberating Palestine will continue. At the United Nations Security Council, India’s Deputy Permanent Representative R. Ravindra took a balanced view. He voiced India’s deep concern over “the deteriorating security situation and large-scale loss of civilian lives in the ongoing conflict. The mounting humanitarian crisis is equally alarming.” India, he said, “has always supported a negotiated two-state solution to the Israel-Palestine issue, leading to the establishment of a sovereign, independent and viable state of Palestine, living within secure and recognized borders, side by side in peace with Israel, taking into account the legitimate security concerns of Israel…We reiterate the need for an early resumption of direct peace negotiations.” India’s stand is both balanced and practical. I had said this earlier too that if Israel occupies Gaza, it would be difficult for it to keep it under its control. Already the US has advised Israel not to rush with its ground attack on Gaza. One thing is certain: war cannot go on forever. A way has to be found out. Israel has full right to take action against Hamas, but millions of people living in Gaza cannot be left to live in dire straits. India is therefore sending humanitarian assistance to the people of Gaza and is appealing to Israel to practice restraint. The world has appreciated Prime Minister Modi’s stand. Muslim leaders in India, who were earlier criticizing Modi for standing up with Israel after the Hamas attacks, are now praising him for sending assistance to the people of Gaza.

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मोदी का दशहरा संदेश : जातिवाद, क्षेत्रवाद से सतर्क रहें

AKB30 देश भर में मंगलवार को रावण दहन हुआ. तमाम राष्ट्रीय स्तर के नेता दशहरा, विजयादशमी उत्सव में शरीक हुए. दिल्ली के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रावण दहन के मौके पर एक खास संदेश दिया. मोदी ने कहा, “आज़ादी के 75 साल बाद, अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है. लेकिन यही वह समय भी है, जब भारत को बहुत सतर्क रहना है. हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन बस एक पुतले का दहन न हो. ये दहन हो, हर उस विकृति का, जिसके कारण समाज का आपसी सौहार्द बिगड़ता है. ये दहन हो, उन शक्तियों का, जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर मां भारती को बांटने का प्रयास करती है. ये दहन हो, उस विचार का, जिसमें भारत का विकास, नहीं, स्वार्थ की सिद्धि निहित है.” चूंकि माहौल राममय था, इसलिए मोदी ने सबसे पहले अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की बात की. मोदी ने कहा, आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं. अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर, पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा. वह स्वर, जो शताब्दियों से यहां कहा जाता ैहै – “भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला..कौसल्या हितकारी”. भगवान राम की जन्मभूमि पर बना रहा मंदिर सदियों की प्रतीक्षा के बाद हम भारतीयों के धैर्य को मिली विजय का प्रतीक है. राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं…उस हर्ष की परिकल्पना कीजिए, जब शताब्दियों के बाद राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा विराजेगी. .. तुलसी बाबा रामचरित मानस में लिखते हैं – ‘सगुन होहिं सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर, प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुं फेर’, यानि जब भगवान राम का आगमन होने ही वाला था तो पूरी अयोध्या में शगुन होने लगे. जब सभी का मन प्रसन्न होने लगा. पूरा नगर रमणीक बन गया. ऐसे ही शगुन आज हो रहे हैं. आज भारत चंद्रमा पर विजयी हुआ है. हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं. हमने कुछ सप्ताह पहले संसद की नयी इमारत में प्रवेश किया है. नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने के लिए संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है.” मोदी ने विजयादशमी पर प्रत्येक देशवासी से 10 संकल्प लेने का आग्रह किया. इन 10 संकल्पों में – पानी बचाना, डिजिटल लेनदेन को प्राथमिकता देना, स्वच्छता, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं का निर्माण, पूरे भारत का परिभ्रमण करने के बाद ही विदेश यात्रा, प्राकृतिक कृषि पर ज़ोर, सुपरफूड मिलेट्स का इस्तेमाल, योग और फिटनेस पर ज़ोर और कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बन कर उसके सामाजिक स्तर में वृद्धि. मोदी ने राम राज्य की अवधारणा भी समझायी. कहा, एक विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, विश्व शांति का संदेश दे, जहां सबको अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार हो, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का भाव दिखे, यही राम राज्य की परिकल्पना है . जो बात मोदी ने कही, तकरीबन उसी तरह का संदेश अलग शब्दों में सुबह नागपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी कार्यक्रम में दिया. मोहन भागवत ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारत दुनिया को अपनी प्राचीन संस्कृति, दर्शन और परंपराओं की शक्ति से परिचित कराए, भारत तमाम तरह के संघर्षों से जूझ रही दुनिया को रास्ता दिखाए. RSS प्रमुख ने कहा कि भारत की संस्कृति सबको जोड़ने वाली है, सबको साथ लेकर चलने वाली है और प्रभु राम हमारे आदर्श हैं. भागवत ने कहा कि सदियों के संघर्ष के बाद अब शान्ति का समय है, ये सौभाग्य की बात है कि देश के अमृतकाल में श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण भी पूरा हो रहा है. 22 जनवरी को जब अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे, उस वक्त हर घर में उत्सव होना चाहिए. समाज के सभी लोगों को मिलकर पूरे देश का माहौल राम मय बनाना चाहिए. भागवत ने लोगों को सावधान भी किया. कहा, कि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देश को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते, भारत की प्रगति को रोकने के लिए लोगों को मजहब और जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है. भागवत ने कहा कि इस वक्त ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उसके बाद लोकसभा चुनाव भी होंगे. गड़बड़ी फैलाने वाले इस मौके की ताक में हैं, लोगों को भड़काने की कोशिश की जाएगी, लेकिन हमें किसी बहकावे में नहीं आना है. मोहन भागवत ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे युद्धों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि दुनिया धार्मिक उन्माद से पैदा हुई कट्टरता और अहंकार की वजह से संकटों का सामना कर रही है, जहां भी युद्ध हो रहे हैं, सबके मूल में हितों का टकराव या फिर धार्मिक कट्टरता है. दुनिया के पास इस तरह के संघर्षों का समाधान नहीं है और पूरी दुनिया इस वक्त भारत से मार्गदर्शन की उम्मीद कर रही है. विजयादशमी के बहाने हमारे देश-दुनिया के माहौल की भी बात हुई, धर्म के नाम पर क्रूरता और बर्बता करने वालों की भी बात हुई. इन सभी बातों का मतलब समझने की जरुरत है. मोदी ने राम राज्य की बात की, मोहन भागवत ने शांति और संयम की बात की, धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे उन्माद की निंदा की. कहा कि दुनिया की समस्याओं का समाधान भारत की विरासत में छुपा है, इसलिए पूरे विश्व के देश आज भारत से उम्मीद करते हैं कि वह दुनिया को रास्ता दिखाए. सबसे दिलचस्प बात ये है कि असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोदी से अपील की कि वो फिलिस्तीनियों की मदद के लिए इजरायल से बात करें. ओवैसी ने सुझाव दिया कि भारत पहल करे, गाज़ा में एक civilian corridor बनवाए ताकि लोगों को खाना पानी और दवाएं पहुंचाई जा सकें.. ये अच्छी बात है कि ओवैसी को भी लगता है कि भारत इसमें बड़ी भूमिका अदा कर सकता है लेकिन ओवैसी ने हमास की बर्बरता और क्रूरता के बारे में एक लफ्ज नहीं कहा. उनके मंच पर जितने नेता थे सबने इस्लाम की बात की, दुनिया भर के मुसलमानों से एक होने को कहा लेकिन किसी ने दीन के नाम पर हत्याएं करने वालों के बारे में कुछ नहीं कहा. दूसरी तरफ मोहन भागवत ने RSS के स्वयंसेवकों को नसीहत दी कि वो धार्मिक उन्माद से दूर रहें, मजहब और जाति के नाम पर बांटने वालों के बहकावे में न आएं. भागवत ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रही जंग का जिक्र किया और कहा कि सबकी जड़ में धार्मिक कट्टरवाद है. मुझे लगता है कि बदले माहौल में RSS ये संदेश दे सकता है तो ओवैसी और दूसरे मौलाना इस तरह की बात क्यों नहीं कहते. हम फिलिस्तीन की मदद करें, वहां के लोगों को खाना पानी पहुंचाएं, ये जरुरी है लेकिन धर्म के नाम पर कत्ल करने वालों, बलात्कार करने वालों और अगवा करने वालों की निंदा भी करें. यही वक्त का तकाज़ा है, यही भारत की संस्कृति है और दुनिया के तमाम बड़े मुल्क आज यही कह रहे हैं.

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MODI ON DUSSEHRA : BEWARE OF CASTEISM AND REGIONALISM

AKB30 As India celebrated Dussehra and Vijayadashami festival on Tuesday, top national leaders joined festivities by attending Ram Lila events, performed ‘shastra pooja’ and addressed huge gatherings of devotees. Prime Minister Narendra Modi, at a Dussehra celebration in Dwarka, Delhi, said, “we have to keep in mind today that this event is not just the burning of the effigy of demons, but it should symbolize the burning of every deformity which caused deterioration in social harmony. Let this be the burning of those forces which are trying to divide Mother India in the name of casteism and regionalism. This should be the burning of those ideas which propagate selfishness and not India’s progress.” Modi also spoke about the ongoing construction of Ram Janmabhoomi temple in Ayodhya, and described it as a “symbol of victory of patience of Indians after centuries of waiting”. He said, the next Ramnavami will be celebrated with religious fervour in the newly built Ram Janmabhoomi temple in Ayodhya next year. Modi also asked every Indian to take 10 vows like saving water, promoting digital transactions, ensuring cleanliness, vocal for local products, making quality goods, explore India before visiting foreign locales, promote natural farming, adopt use of millets, practise fitness and and finally, raise the social status of at least one poor family. Hours earlier, in Nagpur, while addressing the traditional Vijayadashami rally, RSS chief Mohan Bhagwat launched a scathing attack on what he called “cultural Marxists and woke people” describing them as self-centred, deceitful and discriminatory. These forces, Bhagwat said, are using their influence in academia and media to undermine India’s education and culture with the aim to disrupt social harmony and promote conflict. Bhagwat mentioned about next year’s Lok Sabha elections and asked people to choose, what he called, “the best available option” for ensuring national unity and stability, and “not to be swayed by provocations or fall prey to machinations of divisive elements”. The RSS chief also spoke about the ethnic violence in Manipur and alleged that “some elements are trying to spread hatred between Meitei and Kuki communities, which have been living peacefully for decades”. Bhagwat said, time has come for India to make the world aware about its centuries old culture, philosophy and traditions, and show the world the right path. “India’s culture”, Bhagwat said, “is inclusive, it takes everybody along, Lord Ram is our ideal, and the time has now come for ensuring world peace.” He asked all Indians to celebrate in homes and temples when the Ram Janmabhoomi temple will be consecrated in Ayodhya on January 22. Bhagwat also spoke about the conflicts going on in Ukraine, Israel and other places and said, “the world is facing crisis due to fundamentalism and ego caused by religious bigotry. In all these conflicts, the root cause is clash of interests and religious fundamentalism. The world has no solution to these conflicts and expects India to show the right way out.” The issues raised by Prime Minister Modi and RSS Chief Bhagwat in their speeches need to be pondered over carefully. Cruelty and barbarism in the name of religion must be condemned by all. Modi spoke about the true meaning of Ram Rajya, where all people live in peace. He also spoke about the joy of Indians when Chandrayaan landed on the Moon. Bhagwat also spoke about peace and patience, and condemned religious bigotry. He explained how India’s rich heritage holds the key to solution of some of the most vexing problems being faced across the world. There was another interesting development. At a pro-Palestine rally in Hyderabad, AIMIM chief Asaduddin Owaisi appealed to Prime Minister Modi to speak to Israel so that humanitarian assistance could be provided to Palestinians in war-torn Gaza. Owaisi suggested that India must take an initiative to create a civilian corridor so that innocent Palestinians can leave Gaza peacefully, and food, water, medicines could be sent to people trapped there. It is nice to hear Owaisi saying that India can play a big role in Israel-Hamas conflict, but the sad part is that Owaisi did not say a word about the cruelty and barbarity perpetrated by Hamas in Israel. All the Muslim leaders on the dais spoke about Islam, asked Muslims of the world to unite, but did not utter a word about barbaric murders committed in the name of religion. On the other hand, Bhagwat appealed to RSS volunteers to shun religious intolerance, and not to be swayed by those trying to divide people in the name of caste and religion. I think, RSS should send across a message appealing to Owaisi and other Muslim clerics not to remain silent on the massacres carried out by Hamas terrorists. India should help the Palestinians by sending food and medicines, but at the same time, it must condemn those indulging in massacres, gang rapes and kidnappings. This is the need of the hour. This is true Indian culture, and the big powers of the world will agree.

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ये सारे साथ-साथ : हमास, अल क़ायदा, ISIS, हिज्बुल्लाह

AKBइजराइल ने हमास की हैवानियत के रौंगटे खड़े करने वाले खुलासे किए. इजराइली डिफेंस फोर्स ने दावा किया कि हमास, अल कायदा, ISIS और हिजबुल्लाह ये सारे आतंकवादी संगठन मिलकर काम कर रहे हैं. अलकायदा ने हमास को रासायनिक हथियार बनाने और इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी है. 7 अक्टूबर के हमले में हमसा के आतंकी कैमिकल हथियार बनाने के सामान लेकर घुसे थे. इजराइली सेना ने दावा किया है कि अब तक एक्शन में हमास के एक हजार से ज्यादा दहशतगर्द या तो मारे जा चुके हैं या फिर इजराइली सेना के कब्जे में हैं. हमास के कब्जे में 222 लोग बंधक हैं. इनमें से इजराइली नागरिकों के अलावा कई विदेश नागरिक भी हैं.. इजराइल का कहना है कि अब तक हमास के ठिकानों पर कुल तीन सौ हवाई हमले किये गए हैं. अब किसी भी वक्त इजराइल गाजा पर ज़मीनी हमला शुरू कर सकता है. बड़ी बात ये है कि लेबनान और सीरिया से हिजबुल्ला के आतंकवादी इजराइल पर हमले कर रहे थे, इसलिए पिछले चौबीस घंटं में इजराइली फोर्स ने सीरिया और लेबनान में भी हिजबुल्ला के ठिकानों पर मिलाइलें दागीं हैं. हालांकि गाजा में आम लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए दुनिया भर से राहत सामग्री भेजी जा रही है. भारत की तरफ से साढ़े छह मीट्रिक टन दवाएं भेजी गईं हैं . अमेरिका, रूस, चीन, खाड़ी के देश और यूरोपियन यूनियन की तरफ से गाजा में मदद भेजी गई है. लेकिन इजराइल ने इसका विरोध किया है. इजराइली सेना का कहना है कि हमास दुनिया भर से भेजी गई मदद को आम लोगों तक नहीं पहुंचने देगा. इस सामान के इस्तेमाल से हमास मजबूत होगा, ये खतरनाक है. इजराइल ने कहा कि दुनिया भर को हमास की दारिंदगी देखनी चाहिए. इजराइली फोर्स ने वो वीडियो जारी किए जो इजराइल में घुसकर हमला करने वाले हमास के आतंकवादियों के बॉडी कैम से बरामद हुए हैं. कई वीडियो तो रूह कंपा देने वाले हैं, कुछ वीडियोज में महिलाओं, बुजर्गों और बच्चों की हत्या के बाद हमास के आतंकवादी ये कहते सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने दस इजराइलियों को मार दिया, अब आगे बढ़ रहे हैं. कुछ वीडियो में बच्चे और महिलाएं जान बचाने के लिए भाग रहे हैं, घर में टेबल कुर्सी या बैड के नीचे छुप रहे हैं और दहशतगर्द उन्हें खोजकर मारते हुए दिख रहे हैं. ज्यादातर वीडियो तो ऐसे हैं जिन्हें टीवी पर हम आपको दिखा भी नहीं सकते. जोो वीडियो दिखा रहे हैं, वो हमास की हैवानियत की इंतिहा को बताने के लिए काफी हैं. और ये वीडियो उन लोगों को जरूर देखने चाहिए, जो इजराइल का विरोध कर रहे हैं. तमाम तरह के तर्क देकर हमास की हिमायत कर रहे हैं. हमास की हैवानियत सिर्नफ हत्याओं तक नहीं रुकी. कई केस तो ऐसे थे जिसमें इन दरिंदों ने कार में बैठे लोगों को ज़िंदा जला दिया .ये तस्वीरें इतनी डरावनी हैं कि हम आपको बिना ब्लर किए नहीं दिखा सकते. किसी कार में पिछली सीट पर इंसानों को ज़िंदा जला दिया गया, तो किसी में ड्राइवर को. कार के साथ-साथ आम इजरायली को भी इतनी बुरी तरह जलाया गया कि उनकी पहचान तक नहीं हो सकी. सड़कों पर मौत का तांडव करने के बाद हमास के दहशतगर्द अंधाधुंध फायरिंग करते हुए गाज़ा बॉर्डर के आसपास बसे इजरायली रिहायशी इलाकों में गए. 7 अक्टूबर को यहूदियों का त्यौहार था. सुबह का वक्त था, लोग सोकर भी नहीं उठे थे और हमास के हैवानों ने हमला कर दिया. आतंकवादियों के पास हैंड हेल्ड रॉकेट ल़ॉन्चर थे, ऑटोमैटिक राइफल्स थी, .हैंड ग्रेनड थे. पहले घरों में लगे सीसीटीवी तोड़े गए, फिर फायरिंग की गई, दरवाजे तोड़े गए, घरों में मौजूद सभी इंसानों को मौत के घाट उतारा गया, उसके बाद पूरा घर रॉकेट से उड़ा दिया. इज़राइल के जिस किबुत्ज़ (बस्ती) में हमास के आतंकवादियों ने सबसे पहले हमला किया था, वहां अब जिंदगी का नामोनिशान भी नहीं है. इजराइली फौज के प्रवक्ता ने कहा कि 7 अक्टूबर को हुआ हमला किसी छोटे गुटा के मुट्ठी भर लोगों का हमला नहीं था. ये प्रशिक्षित आतंकवादियों का पूरी तैयारी के साथ किया गया सैन्य हमला था, जिसमें जल, थल, नभ का इस्तेमाल हुआ. इसलिए इस हमले का जवाब भी उसी ताकत और शिद्दत के साथ दिया जा रहा है और इजराइली फोर्स हमास के खात्मा किए बग़ैर नहीं रुकेगी. इज़राइल के राष्ट्रपति आइज़ैक हर्त्ज़ोर्ग ने कहा है कि हमास के आतंकवादियों के पास अल क़ायदा के मैन्युअल मिले है जिसमें उन्हें रासायनिक हथियार बनाने का तरीक़ा बताया गया है. इज़राइल के राष्ट्रपति ने कहा कि ग़ज़ा में हमास के पास केमिकल हथियारों का ज़ख़ीरा हो सकता है. हमास ने अभी इज़राइल और दूसरे देशों के 222 से ज़्यादा लोगों को बंधक बना रखा है. वो कहां हैं उनका पता लगाने की कोशिश की जा रही है. इन बंधकों के समर्थन में कई देशों में प्रोटेस्ट हुए, वहीं, ग़ज़ा पट्टी में इज़राइल की बमबारी से आम नागरिकों की मौत के ख़िलाफ़ भी कई देशों में विरोध प्रदर्शन हुए . भारत में भी कुछ संगठनों ने इज़राइल के दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इजराइली सेना के अधिकारी का कहना है कि हमास के क़रीब एक हज़ार बंधक और मारे गए आतंकवादी उनके क़ब्ज़े में हैं, उनसे पूछताछ हुई है, उनकी शिनाख़्त हो चुकी है और इजराइली खुफिया एजेंसियां, बंधकों के बारे में पता लगा रही हैं. इजराइल ने एक हज़ार आतंकवादियों और उनके शवों को बरामद कर लिया है. अब तक इजराइल के 308 सैनिक मारे गए हैं और 222 लोग बंधक हैं. इजराइल का कहना है कि हमास, हिज़्बुल्लाह, अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने मिल कर हमलों को अंजाम दिया. भारत में जो लोग हमास का समर्थन कर रहे हैं, उनको सऊदी अरब के प्रिंस की बात सुननी चाहिए. सऊदी अरब के प्रिंस तुर्की अल फ़ैसल, सीनियर डिप्लोमैट हैं, सऊदी अरब की इंटेलिजेंस एजेंसी के चीफ रहे हैं. उन्होंने इज़राइल पर हमास के हमले की कड़ी निंदा की..सउदी प्रिंस ने कहा कि हमास की हरकत के कारण लाखों फिलस्तीनी मुसीबत झेल रहे हैं. जहां तक आजादी की जंग का सवाल है तो हमास को भारत से सीखना चाहिए, जिसने अहिंसा के दम पर अंग्रेज़ों से आज़ादी हासिल की. सउदी प्रिंस की ये बात सही है कि हमास ने जिस तरह से इजराइल पर हमला किया, उसकी बजह से इजराइल को गाजा में ज़बरदस्त हमला का रास्ता मिला. अब तक पूरी दुनिया इजराइली फौज के बाहदुरी और उसकी इंटैलीजेंस एजेंसी मोसाद की काबलियत की मिसाल देती थी लेकिन हमास के हमले दोनों की छवि मिट्टी में मिल गई. इसलिए बेंजामिन नेतान्य़ाहू ज्यादा परेशान हैं, अब इजराइली फौज के हमले अपनी पुरानी साख को वापस लौटाने की कोसिश है और इसके चक्कर में फिलस्तीन के आम नागरिकों पर मुसीबतों के बम फूट रहे हैं. जहां तक फिलस्तीन के समर्थन में हमारे देश में हो रहे प्रदर्शनों का सवाल है तो ये समझना जरूरी है कि इंडोनेशिया के बाद भारत में मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है. इसके बाद भी देश के ज्यादातर मुस्लिम ये समझ रहे हैं कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ इजराइली फौज के एक्शन का समर्थन किया है. फिलस्तीन के आम लोगों पर हमलों का समर्थन नहीं किया है. भारत सरकार ने युद्ध में फंसे फिलस्तीन के लोगों के लिए राहत सामग्री भेजी है, इसीलिए आम मुसलमानों ने भारत सरकार के रुख का विरोध नहीं किया है, लेकिन कुछ संगठन और कुछ नेता मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. इस मुद्दे पर सियासत कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें अपने मकसद में कोई खास कामयाबी नहीं मिली है.

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HAND IN GLOVE: HAMAS, ISIS, AL QAEDA AND HEZBOLLAH

AKBIsraeli army on Monday showed to members of the foreign press, nearly 43 minutes of horrific footage of massacre, torture and decapitation of human bodies carried out by Hamas terrorists in southern Israel on October 7. Over 1,400 Israelis and others were killed in the blitz carried out by Hamas terrorists. Most of the videos were shot by terrorists themselves with their bodycams. An Israeli defense spokesperson said, this footage is being distributed to dispel doubts being raised about some of the most horrific atrocities committed by Hamas on that fateful day. The spokesperson said, the footage was collected from call recordings, security cameras, body cameras used by Hamas terrorists, dashboard cameras from the cars of victims, social media accounts and cellphone videos taken by the murderers, first responders and some victims. On that day, more than 1,000 civilians were slaughtered and more than 224 people were abducted by Hamas. The footage showed, Hamas terrorists dressed in Israeli army uniforms, stopping passing vehicles and shooting the occupants. In the footage, dead bodies were shown dragged out of vehicles, left on the road after the murderers went through their belongings and then the killers took away the blood-soaked, bullet-ridden vehicles. One of the videos shows an arrested Hamas terrorist, admitting during interrogation that they had orders to kill everyone they saw, and these included beheading of victims and cutting off their legs. He said, they were also ordered to even rape the corpse of a girl. Israeli Defense Force spokesperson claimed that Hamas is working in tandem with ISIS, Hezbollah and Al Qaeda. On October 7, he said, the terrorists had brought chemical weapons with them to carry out attacks. Hamas terrorists entered Israel through 30 points on Gaza border simultaneously and started attacking vehicles and kibbutz. The terrorists set fire to people sitting inside vehicles, and then entered residential areas near Gaza border. Since that day was a Jewish holiday, people were hardly awake in the morning when the murderers forcibly entered their homes. They were armed with rocket launchers, automatic rifles and hand grenades. They first broke cctv cameras, doors and windows, and went on a murderous spree. They blew up the homes with rockets. The Israeli army spokesperson said the simultaneous attack was not by a handful of terrorists, it was a military attack by land, sea and air (through gliders) by well-trained terrorists. The Israeli army, he said, is now responding to the murderous attacks with the same intensity and it will not stop until Hamas is decimated. Till now, more than 300 air strikes have been carried out by Israel on Hamas’ positions and a ground attack can take place any time in Gaza. In the last 24 hours, Israeli forces fired missiles at Hezbollah positions inside Syria and Lebanon. Several countries, including India, US, Russia, China, Gulf countries and European Union have sent tonnes of relief material for the Palestinians living in Gaza, but Israel has opposed sending of relief material saying that Hamas will not allow these to reach the ordinary Palestinians. The other important disclosure made by the Israeli army is that the quantity of weapons seized from Hamas clearly show that ISIS terrorists took part in the Hamas’ raids. Manuals on how to carry out sudden raids and ISIS flags were seized from dead or arrested Hamas terrorists. The attackers had divided their operation into three stages. The terrorists were asked to keep sufficient amount of food and water with them, keep the hostages in secure locations and shoot them, if required. They were instructed not to speak on wireless for fear of intercepts, and leave the bargaining for release of hostages to the political leadership. The entire modus operandi, Israeli Defense Force said, was modelled on ISIS one. While US and Western countries have lent their full support to Israel, there have been protests in India and several Islamic countries in support of Hamas. Those supporting Hamas in India should watch what former Saudi intelligence chief Turki Al Faisal Al Saud has said. The Saudi prince, a senior diplomat has condemned the massacres carried out by Hamas and pointed out that it was because of the attacks by Hamas that lakhs of Palestinians in Gaza are now suffering. As far as the fight for freedom of Palestine is concerned, he said, Hamas should learn from India, which forced the British colonial rulers to leave by using the weapon of non-violence. The Saudi prince is right when he says that the murderous attacks by Hamas on October 7 gave Israel a valid excuse to carry out an all-out attack on Gaza. The entire world once used to praise the daring capability of Israeli intelligence agency Mossad and the valor of its armed forces, but the Hamas attacks have dented this image. Prime Minister Benjamin Netanyahu is worried. He is trying his best to shore up the morale of his troops. Lakhs of common Palestinians living in Gaza are now facing the brunt of daily missile attacks. India has the second largest Muslim population after Indonesia. Most of the Muslims in India normally support the Palestine cause, but after the Hamas’ terrorist attacks, they have realized why India has supported Israeli action against the terrorists. Indian government has also sent several tonnes of relief material for Palestinians living in Gaza. The common Indian Muslims have not opposed Indian government’s stand, but there are organizations in our country which are trying to mislead the Indian Muslims. They have narrow political objectives, but they have not been able to achieve success in their aims. Time has come for all right-thinking forces to join hands to crush the terror outfits, whether they belong to Hamas, ISIS, Al Qaeda or Hezbollah.

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महुआ को अभी कई सारे सवालों के जवाब देने हैं

AKB30 तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुसीबत बढ़ गई है. शुक्रवार को जाने माने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी ने महुआ पर पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों को नोटराइज़्ड ऐफिडेविट पर कंफर्म कर दिया. महुआ मोइत्रा ने सवाल उठाया था कि हीरानंदानी ने सादे कागज पर क्यों लिखा, इस बात की क्या प्रमाणिकता है कि ये सब हीरानंदानी ने लिखा, ये सब प्रधानमंत्री कार्यालय ने ज़बरदस्ती लिखवाया. शुक्रवार को हीरानंदानी ने सर्टिफाइड एफिडेविट जारी कर दिया, इसमें सारे आरोपों को दोहराया गया है. हीरानंदानी ने एक बार फिर कंफर्म किया कि अडानी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए उन्होंने महुआ मोइत्रा को सूचनाएं दी, सवाल ड्राफ्ट किये. हीरानंदानी ने महुआ मोइत्रा को पैसे और सौगातों से मदद की, महुआ ने अपना पार्लियामेंट का लॉगिन और पासवर्ड हीरानंदानी को दिया, हीरानंदानी ने पार्लियामेंट के पोर्टल पर महुआ के नाम से अडानी के खिलाफ डायरेक्ट सवाल पोस्ट किये, हीरानंदानी ग्रुप के CEO दर्शन हीरानंदानी ने ethics कमिटी को ये सब लिख कर दिया है कि ये माना था कि महुआ मोइत्रा ने उनसे मंहगे गिफ्ट लिए, विदेश यात्राएं की, उनसे अपने सरकारी घर का रेनोवेशन करवाया और अडानी ग्रुप के खिलाफ पार्लियामेंट में वो सवाल पूछे जो उन्होंने लिख कर भेजे थे. दर्शन हीरानंदानी ने पूरी डिटेल दी है कि महुआ ने उनसे क्या क्या लिया, अडानी ग्रुप को बदनाम करने के लिए सवाल लिखवाए, इस काम में महुआ ने और किस किस से मदद ली, सब बताया. अब ये मामला पार्लियामेंट की एथिक्स कमेटी के सामने है. पार्लियामेंट में शिकायत बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने की है. एथिक्स कमेटी निशिकांत दुबे की शिकायत पर 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी. निशिकांत दुबे के अलावा कोर्ट में महुआ के खिलाफ केस करने वाले वकील जय अंनत देहदराय के साथ साथ दर्शन हीरानंदानी को भी बुलाया जा सकता है. दर्शन हीरानंदानी ने अपना सर्टिफाइड एफिडेविट पार्लियामेंट की एथिक्स कमेटी को भेज दिया है. महुआ मोइत्रा के लिए दूसरी मुश्किल ये पैदा हुई कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में खुलासा हुआ कि महुआ के वकील ने महुआ पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाने वाले जय अनंत से आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट की बात की. महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने जय अनंत से गुरूवार को संपर्क किया और इस मामले को कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए निपटाने का प्रस्ताव दिया. चूंकि ये बात सार्वजनिक हो गई, कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई, इसके बाद महुआ के वकील ने खुद को इस केस से अलग कर लिया लेकिन महुआ ने अब तक किसी भी आरोप का स्पेसिफिक जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा वो एथिक्स कमिटी को जवाब देंगी, मीडिया को नहीं, फिलहाल वो दुर्गा पूजा के उत्सव में व्यस्त है, महुआ ने ये भी कहा था कि दर्शन हीरानंदानी का बयान मोदी सरकार ने ड्राफ्ट करवाया है, वो हर इल्जाम का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह डरेंगी नहीं. सरकार के दवाब के सामने झुकेंगी नहीं. अब सवाल ये है कि महुआ अपने बचाव में क्या कहेंगी, सारे सबूत और गवाह उनके खिलाफ हैं, महुआ ममता की करीबी हैं लेकिन दर्शन हीरानंदानी का बयान आने के बाद तृणमूल कांग्रेस का कोई नेता महुआ के बचाव में नहीं बोला, किसी ने महुआ का समर्थन नहीं किया, हालांकि इंडिया एलायन्स की कुछ पार्टियों के नेता महुआ के साथ दिख रहे हैं, लेकिन उनकी अपनी पार्टी महुआ के साथ नहीं हैं.
महुआ को इस बात पर भी आपत्ति है कि एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर इस मुद्दे पर मीडिया से बात क्यों कर रहे हैं. महुआ ने ट्विटर पर लिखा कि नियमों के मुताबिक जब तक कोई मामला लम्बित है, तब तक एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष को इस पर कुछ नहीं बोलना चाहिए. महुआ ने कहा कि इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए कि दर्शन हीरानंदानी का एफिडेविट मीडिया के हाथ कैसे पहुंचा. महुआ मोइत्रा का आरोप है कि बीजेपी का एक सूत्री एजेंडा ये है कि उनको किसी तरह लोकसभा से बाहर किया जाए. हैरानी की बात ये है कि महुआ ममता बनर्जी की करीबी हैं. ममता ने उन्हें विधायक और फिर सांसद बनाया. लोकसभा में हर मुद्दे पर महुआ ही तृणमूल कांग्रेस का सबसे मुखर चेहरा हैं लेकिन जब महुआ मुसीबत में पड़ी हैं तो तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता उनके समर्थन में खड़ा दिखाई नहीं दिया. किसी ने महुआ पर लगे आरोपों के मामले में उनका बचाव नहीं किया. लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब भी एक खास उद्योगपति को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो सरकार बौखला जाती है, इस मामले में भी जिस तरह एथिक्स कमेटी बनाई गई, उससे लग रहा है कि सब कुछ पहले ही तय कर लिया गया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के बेटे और खुद उनकी सरकार में मंत्री केटीआर ने कहा कि जांच सवाल पूछने वाले की नहीं, सवालों की होनी चाहिए. ये पता लगाया जाना चाहिए कि महुआ ने जो सवाल पूछे उनमें दम था या नहीं, कोई घोटाला हुआ या नहीं. RJD के सांसद मनोज झा ने महुआ के बचाव में कहा कि जब 15 अक्टूबर को निशिकांत दुबे ने महुआ पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगाए तब दर्शन हीरानंदानी ने इन आरोपों से इनकार किया लेकिन दो दिन बाद आखिर ऐसा क्या हो गया कि उनकी तरफ से इतना लंबा चौड़ा एफिडेविट दिया गया, इसका मतलब है कि पर्दे के पीछे कुछ तो हुआ है, इसलिए सभी को जांच का इंतजार करना चाहिए. मैं आप को महुआ मोइत्रा की पृष्ठभूमि बता देता हूं. महुआ बड़े बंगाली ब्राह्मण परिवार की बेटी हैं, असम में पैदा हुईं, अमेरिका में पली बढ़ी, वहीं पढ़ीं, फिर लंदन में नौकरी की, जे पी मॉर्गन जैसी बड़ी कंपनी में इन्वेस्टमेंट बैंकर थी, 2009 में राजनीति का शौक लगा और कांग्रेस में शामिल हो गईं. राहुल गांधी की करीबी रहीं. लेकिन एक साल बाद महुआ ने कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया. ममता के करीब हो गईं. ममता ने 2016 में उन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया, विधायक बनाया, फिर 2019 में लोकसभा का टिकट दिया, सांसद बनवाया. राजनीति में इतनी जल्दी और इतनी ज्यादा सफलता कम लोगों को मिलती है, लेकिन महुआ महत्वाकांक्षी हैं. वो और आगे जाना चाहती थीं. .ये कोई बुरी बात नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो रास्ता अपनाया, अब वही उनका सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर बन सकता है. क्योंकि दर्शन हीरानंदानी ने सार्वजनिक तौर पर ये मान लिया है कि महुआ ने मंहगे गिफ्ट और तमाम तरह के फेवर लेकर अडानी ग्रुप के खिलाफ संसद में सवाल पूछे. उन्होंने हीरानंदानी को अपना लॉगिन और पासवर्ड दिया. ये पूरी तरह गैरकानूनी और अनैतिक है. मुझे याद है, 2005 में 11 सांसदों के खिलाफ पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा था और दिसंबर 2005 में सभी सांसदों की सदयस्ता रद्द कर दी गई थी. इनमें 10 लोकसभा और 1 राज्यसभा का MP था. उस वक्त इन सासंदों को निष्कासित करने का प्रस्ताव लोकसभा में प्रणब मुखर्जी और राज्यसभा में डॉ मनमोहन सिंह ने रखा था. .बाद में अपनी बर्खास्तगी को सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संसद के फैसले को सही माना था. दूसरी बात ये है कि महुआ ने अभी तक अपने ऊपर लगे आरोपों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. न तो उन्होंने ये बताया कि उन्होंने हीरानंदानी से अपना सरकारी घर रेनोवेट क्यों करवाया, महंगे गिफ्ट्स क्यों लिए, न ही उन्होंने ये बताया कि उन्होंने अपना पासवर्ड और पार्लियामेंट का लॉगिन एक आउटसाइडर के साथ शेयर क्यों किया. महुआ कभी पीएमओ पर इल्जाम लगाती हैं, कभी हीरानंदानी के एफिडेविट को गलत बताती हैं, कभी उनका वकील आउट ऑफ कोर्ट सैटलमेंट करने की कोशिश करता है. इसीलिए लोग कह रहे हैं “तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है”.

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MAHUA HAS MUCH TO ANSWER

AKB30 Trinamool Congress Mahua Moitra’s problems have now got bigger with the Lok Sabha Ethics Committee deciding to record oral evidence of BJP MP Nishikant Dubey in its meeting on October 26 on charges of ‘cash-for-question’ levelled against her. On Friday, Dubai-based businessman Darshan Hiranandani sent a notarized affidavit repeating his charges against Mahua Moitra to the Ethics Committee. The committee chairman Vinod Sonkar said, Mahua Moitra will also be called to place her views about the entire case. Moitra, however, questioned how the committee was going public with such details about Hiranandani’s letter listing charges against her, when committee rules say that all communications should be kept confidential. She alleged that the ethics committee chairman was openly speaking to the media, and questions have been raised on how an affidavit given to the committee found its way to the media. “BJP’s one-point agenda is to expel me from the Lok Sabha to shut me up on Adani issue”, Moitra alleged. Meanwhile, BJP MP Nishikant Dubey has requested Lok Sabha Speaker to take action on efforts being made to pressurize Mahua’s ex-friend advocate Jai Anant Dehadrai to withdraw his complaint from CBI. Delhi High Court said on Friday it was “appalled” to learn that Mahua’s counsel Sankaranarayanan had contacted Dehadrai on Thursday evening on phone and had persuaded him to withdraw his complaint. The counsel later withdrew from the case when Justice Sachin Dutta asked him how he was appearing for the petitioner when he was also acting as mediator for an out-of-court settlement. The high court will now hear the matter on October 31. As of now, the notarized affidavit submitted by Hiranandani clearly rubbishes Mahua Moitra’s charge that the businessman was “forced by PMO” to level the charges. In his affidavit, Hiranandani has admitted that Mahua Moitra gave her Parliament login and password to send questions to Lok Sabha secretariat. He has also alleged that he gave expensive gifts and footed her inland and foreign travel bills. The Ethics Committee may also call the Dubai-based businessman to appear and depose in this matter. Mahua Moitra is considered close to Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee, but it looks strange that, till now, not one senior TMC leader has come forward to defend her. It was Mamata Banerjee who first made her a party MLA and then got her elected as MP from Krishnagar. Mahua has been the most vociferous face among TMC MPs in Parliament, but now, when she is facing a crisis, not a single TMC leader has appeared in public to defend her. On the contrary, some other parties in the opposition INDIA alliance have sought to defend her. Leader of Congress in Lok Sabha Adhir Ranjan Chowdhury said, when questions are asked about a particular industrialist, the government becomes worried and the manner in which the Ethics Committee has been set, it “all looks pre-decided”. Telangana CM K Chandrashekhar Rao’s son K. T. Rama Rao said, “the probe should not be against those asking questions, but about the questions that have been raised. It should be probed whether the questions raised by Mahua Moitra had substance or not, whether there was a scam or not.” KCR’s Bharat Rashtra Samithi is not a part of INDIA alliance. RJD MP Manoj Jha defended Mahua saying it was Darshan Hiranandani who had denied all charges against Mahua when they were first levelled by Nishikant Dubey on October 15, but two days later he has sent a notarized affidavit admitting the charges were correct. “It means something fishy is going on in the background and it needs a thorough probe”, Jha said. Now, let me describe Mahua Moitra’s background. She is the daughter of an affluent Bengali Brahmin family. She was born in Assam, brought up in the US, worked as an investment banker with the multinational J P Morgan, and in 2009, she joined politics. She first joined Congress, came closer to Rahul Gandhi, but, after a year, she left the party and joined Trinamool Congress. She became a close associate of Mamata Banerjee, who fielded her as party candidate in 2016 assembly elections and got her elected as MLA. In 2019, Mamata fielded her from Krishnagar and got her elected as MP. Few people are so fortunate to rise up the political ladder in India so fast. Mahua is ambitious. She wanted to move up and up the ladder. There is nothing wrong in this, but now this yearning for more power has acted as a speed-breaker. Darshan Hiranandani has publicly admitted that Mahua gave her Parliament login and password to post questions to Lok Sabha secretariat. This is highly illegal and unethical. I remember, in 2005, 11 MPs faced charges for agreeing to ask questions in return for cash in a sting operation. In December, 2005, Parliament expelled all these 11 MPs. These included 10 from Lok Sabha and one MP from Rajya Sabha. At that time, the leaders of both Houses, Pranab Mukherjee and Dr Manmohan Singh had moved resolutions for expelling these members. Later their expulsions were challenged in Supreme Court. The apex court upheld the Parliament’s decision. Secondly, Mahua has not yet given any specific replies to the allegations made against her. She has not explained why Hiranandani helped to renovate her official bungalow and gave her expensive gifts, nor did she respond to the charge that she shared her Parliament login and password with Hiranandani. Mahua has been levelling charges against PMO, and questioning the format in which Hiranandani has levelled charges, but at the same time, her counsel is persuading her ex-friend to agree to an out-of-court settlement and withdraw his complaint. This entire episode can be summed up with the following Urdu couplet: “Tu idhar udhar ki baat naa kar, yeh bataa ki kaafila kyun luta, mujhe rehzanon se gila nahin, teri rehbari ka sawaal hai”. (Literal translation: Do not beat around the bush, tell us why the caravan was robbed, I have nothing to say about robbers, the question is about your leadership).

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महुआ मोइत्रा : नैतिकता, प्रेरणा और मिशन

AKB30 तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ गई है. गुरूवार को हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने तीन पन्नों का एक हलफनामा जारी करके ये मान लिया कि महुआ ने उनसे जानकारी लेकर उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ संसद में न सिर्फ सवाल पूछे, बल्कि महुआ ने दर्शन को लोकसभा का अपना login, password भी दे दिया ताकि वह सीधे मोइत्रा के नाम पर संसद के सचिवालय को प्रश्न भेज सकें. अपने हलफनामा में दर्शन हीरानंदानी ने कबूल किया कि महुआ मोइत्रा ने उनसे महंगे तोहफे लिए, देश-विदेश की यात्राएं करने और अपने सरकारी बंगले को आलीशान रूप देने के लिए मदद भी ली. हलफनामे में ये भी कहा कि गौतम अडानी के खिलाफ उनसे सवाल ड्राफ्ट करवाए. दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने का इल्जाम लगाया था और ये मामला अभी संसद की एथिक्स (नैतिकता) कमेटी के पास है. दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा कि महुआ मोइत्रा जब लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंची तो वो जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्तर पर खबरों की सुर्खियों में आना चाहती थी. हलफनामे में कहा गया कि चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ किसी तरह का कोई इल्जाम नहीं था, उनकी नीतियों, सरकार चलाने के तौर-तरीके और व्यक्तिगत स्तर पर मोदी के खिलाफ कोई आरोप नहीं था, इसलिए महुआ ने किसी भी तरह से प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने का फैसला किया. हलफनामे में कहा गया कि इसके लिए उन्होंने संसद में गौतम अडानी के खिलाफ सवाल पूछने का रास्ता अपनाया. अपने बयान में दर्शन हीरानंनदानी ने कहा कि वो पहली बार महुआ मोइत्रा से 2017 में कोलकाता में बिजनेस सम्मिट के दौरान मिले थे. उस वक्त महुआ तृणमूल कांग्रेस की विधायक थी. 2017 के बाद से महुआ लगातार दर्शन के संपर्क में रहीं. उनके खर्चे पर महुआ ने विदेश यात्राएं की. दर्शन हीरानंनदानी ने कहा कि “ महुआ को पता था कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन अडानी ग्रुप की एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी के साथ लम्बी अवधि का समझौता करना चाहता है. इसी सूचना के आधार पर उन्होंने कुछ सवाल तैयार किए जिसे संसद में उठाया जा सके. उन्होंने मुझसे कुछ जानकारी मांगी, मैंने उनका प्रस्ताव मान लिया. मैंने उन्हें अडानी ग्रुप से संबंधित कुछ जानकारी भेजी। उन्हें कुछ और लोग भी मदद कर रहे थे। अडानी कंपनीज़ को लेकर राहुल गांधी से भी उनकी बातचीत हुई. फाइनेंशियल टाइम्स, न्यूयॉर्क टाइम्स के कुछ विदेशी पत्रकारों से भी उनकी बातें हुई. मुझे लगा कि उनके जरिए मुझे भी विपक्षी पार्टियों की सरकार वाले राज्यों में कुछ समर्थन मिलेगा. वो अक्सर मेरे सामने कई मांगें रखती थी, जिसे मुझे पूरा करना होता था। कई बार मुझे लगा कि वो मेरा बेजा फायदा उठा रही हैं लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था क्योंकि मैं उन्हें नाराज़ नहीं कर सकता था।“ गुरुवार रात को महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामें के बारे में एक लम्बा बयान जारी किया और आरोप लगाया कि हीरानंदानी पर दबाव डालकर प्रधानमंत्री कार्यालय से ये हलफनामा लिखवाया गया है. अपने बयान में महुआ ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने दर्शन और उनके पिता की कनपटी पर बंदूक तान दी और उन्हें हलफनामें पर दस्तखत करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया. महुआ ने आरोप लगाया कि “ तीन दिन पहले, 16 अक्टूबर को हीरानंदानी ग्रुप ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके ग्रुप पर लगे तमाम आरोपों को निराधार बताया था, लेकिन आज (19 अक्टूबर को) एक इबालिया हलफनामा प्रेस को लीक किया गया. यह हलफनामा एक सफेद कागज पर लिखवाया गया और इसे किसी ने आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया”. महुआ ने पूछा कि “ ये कैसे हो सकता है कि भारत का एक शिक्षित और सम्मानित व्यापारी एक सफेद कागज पर दस्तखत करे, बशर्ते कि उसकी कनपटी पर बंदूक न तानी गयी हो?…..ऐसा कैसे हो सकता है कि पहली बार सांसद बनी एक महिला एक अमीर, सफल कारोबारी पर दवाब डालकर उससे तोहफे ले रही हो और उन पर अनुचित दवाब डाल रही हो ? ये कतई तर्कसंगत नज़र नहीं आता और इससे इस बात की पुष्टि होती है कि हलफनामा दर्शन ने नहीं, पीएमओ ने तैयार करवाया. ..अभी तक दर्शन को किसी जांच एजेंसी ने या एथिक्स कमेटी ने बुलाया भी नहीं है… अगर उन्हें कबूलनामा जारी करना था तो वह आधिकारिक तौर पर जारी करते, न कि प्रेस में लीक करके. सच्चाई बिल्कुल साफ है.” अपने बयान में महुआ ने अपने पुराने मित्र वकील जय अनन्त देहदराय पर वार किया और कहा कि “ वह मेरा पुराना मित्र था जिसे मैं छोड़ चुकी हूं और वह अब मुझसे बदला लेना चाहता है. अगर उसे मेरे भ्रष्टाचार के बारे में सब कुछ पता था, तो वह मेरे साथ इतने साल तक कैसे रहा और इसे सार्वजनिक करने में इतना समय इंतजार क्यों किया? “ दरअसल ये सारा मामला उस समय सार्वजनिक हुआ जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप लगाया और अपनी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास भेज दी. स्पीकर ने इसे एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया है. निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि वकील देहदराय से उन्हें ‘अकाट्य’ सबूत मिले हैं कि महुआ ने पैसे और तोहफे लिए. शुक्रवार को इसी से जुड़ा मामला दिल्ली हाई कोर्ट में आया. महुआ ने एक याचिका दायर की थी जिसमें हाई कोर्ट से कहा गया था कि वह X, Google, YouTube जैसे सोशल प्लैटफॉर्म्स और 15 मीडिया हाउस पर उनके खिलाफ मानिहानि वाले झूठे और दुर्भावना से प्रेरित खबर छापने या दिखाये जाने पर प्रतिबंध लगाये. अपनी याचिका में महुआ ने हर्जाना भी मांगा है. शुक्रवार को महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायणन उस वक्त इस मामले से खुद को अलग कर लिया, जब वकील देहदराय ने आरोप लगाया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात को उन्हें फोन करके कहा था कि वह सीबीआई को भेजा अपना आरोप वापस ले लें. जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि शंकरनारायणन मध्यस्थ की भूमिका निभाते समय इस मामले में कोर्ट के सामने क्यों पेश हो रहे हैं? शंकरनारायणन ने तुरंत कहा कि वह खुद को इस केस से अलग कर रहे हैं और कोर्ट ने सुनवाई 31 अक्टूबर तक मुल्तवी कर दी. दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा सनसनीखेज़ है. ये निशिकांत दुबे द्वारा महुआ मोइत्रा पर लगाए गए एक-एक आरोप को सही साबित करता है. दर्शन हीरानंदानी महुआ मोइत्रा को जानते थे, अक्सर बातें होती थी, मुलाकातें होती थी. इसमें तो कोई बुराई नहीं थी, लेकिन हीरानंदानी ने माना कि उन्होंने अडानी के खिलाफ महुआ को सूचनाएं दी, सवाल लिखकर दिए, वो सवाल महुआ ने संसद में पूछे और इसके बाद हद हो गई जब महुआ मोइत्रा ने अपना संसद का लॉगिन और पासवर्ड हीरानंदानी को दे दिया. और इससे भी खतरनाक बात हीरानंदानी ने ये बताई कि उन्होंने अडानी के खिलाफ प्रश्न संसद के वाबसाइट पर सीधे पोस्ट किए महुआ के नाम से. उन्होंने ये भी माना कि महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी से कीमती तोहफे लिए, अपने बंगले का रेनोवेशन करवाया और ट्रैवल बिल भरवाए. मुझे लगता है कि ये पूरी तरह अनैतिक और अवैध काम है, जो महुआ मोइत्रा ने किया. इसीलिए मैंने कल कहा था कि जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरो पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए. जहां तक महुआ के बयान का सवाल है, उन्होने संसद से किसी भी मुद्दे पर सवाल उठाये जाने की पवित्रता को लेकर उठे प्रश्नों का अभी तक उत्तर नहीं दिया है. कहना पड़ेगा – “तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है”.

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MAHUA MOITRA: MORALITY, MOTIVATION AND MISSION

AKB30 Trinamool Congress MP Mahua Moitra may be in deep trouble after Darshan Hiranandani, the CEO of Hiranandani Group, sent an affidavit to the Ethics Committee of Lok Sabha alleging that she provided him her Lok Sabha website login and password so that he could post questions directly on her behalf when required. In the three-page affidavit submitted on Thursday to the Ethics Committee, and released to the press by the businessman’s corporate communications team, Hiranandani, who lives in Dubai, has alleged, “Ms. Moitra drafted a few questions that would have elements to embarrass the government by targeting the Adani group; questions that she could raise in Parliament. She shared with me her email ID as Member of Parliament, so that I could send her information, and she could raise the questions in Parliament. I went along with her proposal.” The affidavit further states, “she…requested me to keep supporting her in her attacks on the Adani group and provided me her Parliament login and password so that I could post the questions directly on her behalf when required.” In the affidavit, the businessman alleged that Moitra made frequent demands and kept asking him for favours, which he “had to fulfil in order to remain in close proximity with her and get her support.” Hiranandani, in his affidavit, alleged that Moitra “made frequent demands” including “expensive luxury items, providing support on renovation of her officially allotted bungalow in Delhi, travel expenses, holidays, etc., apart from providing secretarial and logistical help for her travels within India and to different parts of the world.” The affidavit also says, Moitra “thought that the only way to attack Shri Modi is by attacking Shri Gautam Adani and his group as both were contemporaries, and they belong to the same state of Gujarat.” Hiranandani said in the affidavit that Mahua Moitra targeted industrialist Gautam Adani to “malign and embarrass” Prime Minister Narendra Modi, “whose impeccable reputation gave the opposition no opportunity to attack him.” Late on Thursday night, Mahua Moitra issued a statement alleging that the affidavit was “drafted by the PMO” and “the PMO held a proverbial gun to Darshan and his father’s heads and gave them 20 minutes to sign this letter.” In her statement, Moitra alleged, “Three days ago (16.10.2023), the Hiranandani Group put out an official press release stating that all charges levelled against them were baseless. Today (19.10.2023), an “approver affidavit” has been leaked to the press. This affidavit is on a white piece of paper with no letter and there is no official origin aside from a press leak. Why would one of India’s most respected/educated businessman sign a letter like this on white paper unless a gun was put to his head to do it?” Moitra said, “Though tragic, it is totally understandable that Darshan (who is a dear friend) would need to think of what is at stake for him here – namely the continuation of his family businesses built up over decades and the fate of thousands of employees – or buckle under pressure and sign this.” She also said in her statement, “Why would such a wealthy successful businessman who enjoys direct access to every Minister and the PMO be coerced by a first-time opposition MP into giving her gifts and giving in to her demands? It is totally illogical and only cements the truth that this letter was drafted by the PMO and not Darshan”. Moitra stated, “He (Darshan) has not even been summoned by any investigative agency or the Ethics Committee yet. ..If indeed he has confessed to this, then why is he not releasing its officially rather than through backchannel leaks? The truth is exceedingly clear.” Moitra also hit out at her estranged partner and lawyer Jai Anant Dehadrai, who has accused her to taking bribes, saying, he is a “jilted ex with an acrimonious personal history with me who wanted to somehow get back at me. If indeed he was witness to all of my corruption, then why was he with me during the time and why did he wait till now to make it public?” The entire matter has gone to Parliament’s Ethics Committee because BJP MP Nishikant Dubey has accused Moitra of taking bribes from a businessman for asking questions in the House and he had urged Lok Sabha Speaker Om Birla to constitute an inquiry committee to look into the charges. Dubey has claimed that Dehadrai, the lawyer, has shared “irrefutable” evidence of bribes given to Moitra. In a related development on Friday, Mahua Moitra’s counsel senior advocate Gopal Sankaranarayanan withdrew himself from the case after the Delhi High Court was informed by advocate Jai Anant Dehadrai that he was contacted by Sankaranarayanan over phone on Thursday night to withdraw his complaint to CBI against Moitra. Justice Sachin Datta said, he was “appalled” and asked whether Sankaranarayanan who tried to play the role of a mediator is still eligible to appear in the case? The counsel promptly said he was withdrawing himself from the case and further hearing has been listed for October 31. Mahua Moitra had filed a petition in the High Court seeking directions to restrain Nishikant Dubey, Dehadrai and several social media platforms like X, Google, YouTube and 15 media houses, from making, publishing, circulating per se defamatory, ex facie false and malicious statements against her. She has also sought damages. There is no doubt that Darshan Hiranandani’s affidavit before the Parliament Ethics Committee contains sensational allegations and to some extent, they indicate that Nishikant Dubey’s charges against Moitra could be correct. Darshan Hiranandani knew Mahua Moitra, they used to meet and talk often. There is nothing wrong in this, but Hiranandani has admitted that it was he who gave Mahua “information” relating to Adani group. Mahua asked questions about Adani group in Parliament, but she took it to the extreme by sharing her login and password for Parliament website with Hiranandani. The most objectional part of the allegations is that Hiranandani has confessed that he used to post questions to Parliament about Adani group in Mahua Moitra’s name. He has confessed that he gave expensive gifts to her and helped her to renovate her bungalow. I think this is quite unethical and immoral for a Member of Parliament. I had said it a day before that those who live in glass houses must not throw stones at others. As far as Mahua’s reply is concerned she has not replied to the basic questions that relate to the sanctity of Parliament. “तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है”.

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गाज़ा के अस्पताल पर हुआ हमला दुखद और निंदनीय है

AKB30 हमास के खिलाफ चल रही जंग के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजराइल पहुंचे और तेल अवीव पहुंचते ही बाइडेन ने गाजा के अस्पताल पर हुई बमबारी में इजराइल को क्लीन चिट दे दी. बाइडेन ने कहा, वो जानते हैं ये हमला इजराइल ने नहीं किया, ये दूसरे लोगों का काम है. बाइडेन ने हमास को ISIS से भी ज्यादा खतरनाक आंतकवादी संगठन बताया और कहा कि पूरी दुनिया में किसी को इस बात पर शक नहीं होना चाहिए कि अमेरिका पूरी ताकत के साथ इजराइल के साथ खड़ा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि शुनक भी गुरुवार को इजरायल पहुंचे और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से बातचीत की. नेतान्याहू ने अस्पताल पर हुए हमले को हमास की करतूत बताया. वहीं हमास का आरोप है कि इजराइल ने अस्पताल पर हमाल कर बेगुनाह फिलस्तीनियों को मारा. मंगलवार की शाम को अस-अहली अस्पताल पर विस्फोट हुआ. उस समय तकरीबन 1,000 बेघर लोग अस्पताल के बाहर शरण लिए हुए थे, और असपताल भवन के अंदर करीब 600 मरीज़ और स्टाफ थे. हमास ने इल्जाम लगाया कि ये हमला इजराइल ने किया है. हमास ने तेजी से इस खबर को फैलाया. हालांकि हमास ने हमले में इज़राइल का हाथ होने का कोई सबूत नहीं दिया, कुछ ही देर बाद दुनिया भर में मुस्लिम संगठनों ने इजराइल के खिलाफ सड़क पर प्रोटेस्ट शुरू कर दिया. इस्लामिक मुल्कों में तो पूरी रात प्रदर्शन हुए. ईरान ने कह दिया कि अब सब्र का प्याला भर गया, अस्पताल पर हमला अमेरिका और इजराइल की मिलीभगत का नतीजा है, बेगुनाह फिलस्तीनियों पर और जुल्म सहन नहीं किया जाएगा. लेबनान की तरफ से हिजबुल्ला ने इजराइल की तरफ रॉकेट अटैक शुरू कर दिए. जॉर्डन के शाह और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच होने वाली मीटिंग को रद्द कर दिया गया. ईरान ने तेल निर्यातक संगठन से कहा कि वह इजराइल को तेल की सप्लाई बंद कर दे, अस्पताल पर हमले को मुसलमानों का कत्लेआम बताया गया. चूंकि अस्पताल पर हुए हमले में मरीजों और पैरामैडिकल स्टाफ के साथ साथ बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की भी मौत हुई जो ये सोच कर शरण लिए हुए थे कि अस्पताल पर हमला नहीं होगा लेकिन अंधेरा होते ही धमाका हुआ. तेल अवीव में बाइडेन ने साफ कहा कि अस्पताल पर हमले में इजराइल का कोई रोल नहीं हैं. बाइडेन ने नेतान्याहू से कहा कि मुझे मालूम है, हमला आपने नहीं किया, ये किसी दूसरे का काम है. बाइडेन ने कहा कि अब तक जो फैक्ट्स सामने आए हैं और अमेरिका ने अपने स्तर पर जो जांच कराई है, उससे ये साफ है कि अस्पताल पर हमला इजरायल ने नहीं बल्कि दूसरी टीम ने किया..बाइडेन ने हमास का नाम नहीं लिया लेकिन दूसरी टीम से उनका मतलब यही था. बाइडेन नें कहा कि हमास अब ISIS की तरह हैवान हो चुका है और कुछ मामलों में तो हमास की दरिंदगी ISIS से भी ज्यादा है. बाइडेन ने इजराइल को क्लीन चिट सिर्फ इसलिए नहीं दी क्योंकि अमेरिका इजराइल का पार्टनर है. गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इस हमले में करीब 500 लोगों की मौत हो गई और मरने वालों में ज्यादातर बच्चे हैं. हमले का आरोप इजरायल पर लगाया गया और ये खबर तुरंत पूरी दुनिया में फैल गई. इस हमले के लिए सबने इजरायल को दोषी ठहराना शुरू कर दिया. अखबारों में ये हेडलाइन बन गई. पूरी दुनिया में रोते बिलखते घायल बच्चों की तस्वीरें और वीडियो सर्कुलेट होने लगे. घायलों को लेकर भागते हुए लोग दिखने लगे. अस्पताल के मलबे में दबे लोगों को बचाने की कोशिशों के वीडियो आए. इन तस्वीरों से पूरी दुनिया में इजराइल के खिलाफ नाराजगी बढ़ी. र्चूंकि अमेरिकी राष्ट्रपति को इजरायल आना था इसलिए उनकी यात्रा से ठीक पहले एक अस्पताल पर हमले में 500 नागरिकों की मौत के बाद अमेरिका भी डिफेंसिंव में आ गया. चूंकि 500 बेगुनाहों की मौत का इल्जाम इजराइल पर था, इसलिए इजराइली एजेंसीज भी सक्रिय हुईं. और कुछ घंटों के बाद इजराइल के रक्षा मंत्रालय ने अपने बेगुनाही के सबूत पेश कर दिए. इजराइली सेना की तरफ से इस हमले को लेकर एक वीडियो जारी किया गया. इस वीडियो के जरिए ये साबित करने की कोशिश की गई है, धमाका गाजा में ही हॉस्पिटल से कुछ दूरी से दागे गए रॉक्टेस का नतीजा था. इजराइल का दावा ये है कि ये रॉकेट गाजा में सक्रिय फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद नाम के आतंकी संगठन ने फायर किए थे, रॉकेट इजराइल की तरफ दागे गए थे लेकिन मिसफायर होने की वजह से ये रॉकेट अस्पताल से टकरा गए. इजराइली सेना ने एक ग्राफिक एनिमेशन वीडियो जारी कर ये भी बताया कि आतंकी संगठन फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद ने रॉकेट कहां से दागे. उनकी ट्रैजेक्ट्री क्या थी. रॉकेट किस तरह मिसफायर हुआ और इसकी वजह से अस्पताल के पार्किंग एरिया में धमाका कैसे हुआ. एक दूसरे सबूत में बताया गया कि इज़राइली रेडार्स ने उस वक्त के मूवमेंट्स को ट्रैक किया. जिस दौरान अस्पताल में धमाका हुआ और जब आतंकियों के तरफ से गाज़ा से रॉकेट दागे गए, रॉकेटों की ट्रैजेक्टरी की स्टडी करने के बाद पाया गया कि ये रॉकेट अस्पताल से कुछ दूरी पर एक स्थान से दागे गए. अब तक तो दुनिया सिर्फ हमास का नाम जानती थी लेकिन फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद नाम का आतंकवादी संगठन भी गाजा में पचास साल से सक्रिय है. ये संगठन गाजा में इस्लामिक कानून लागू करना चाहता है. इसे अमेरिका ने 1997 में ही आतंकी संगठनों की लिस्ट में डाल दिया था और इस पर पांबदी लगा दी थी. फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद हमास के साथ मिलकर इजराइल के खिलाफ हमलों को अंजाम देता रहा है. इजराइली सेनना ने एक ऑडियो टेप सुनाया जिसमें हमास के आतंकियों की बातचीत सुनायी पड़ रही है. हमास का दावा है कि अस्पताल में हुए घमाके में पांच सौ लोगों की मौत हुई है लेकिन इजराइल का कहना है कि जिस अस्पताल पर हमले का आरोप लगाया जा रहा है, उसकी इमारत अभी भी है, उसकी दीवारें भी नहीं गिरी हैं. जिस जगह हमले की बात कही जा रही है, वहां न तो कोई गड्ढा हुआ, न ही स्ट्रक्चरल डैमेज हुआ. तो सवाल ये है कि पांच सौ लोगों की मौत कैसे हो सकती है. इजरायल की इस बात में दम नज़र आता है क्योंकि धमाके की जगह की जो एक तस्वीर आई है, उनमें इतनी बड़ी तबाही के निशान नजर नहीं आ रहे हैं. हॉस्पिटल की पार्किंग में धमाके की बात सामने आई है. यहां पर खड़ी कुछ कारें तो पूरी तरह डैमेज हो चुकी हैं जबकि कुछ कारें आंशिक रूप से जली हैं. लेकिन पार्किंग एरिया में जो टाइल्स बिछाई गई हैं, वो सही सलामत हैं, किसी तरह का कोई गड्ढा नहीं दिख रहा है. इसीलिए इजराइल ने एयरस्ट्राइक की बात को गलत बताया है. अमेरिकी जांच एजेंसियों की रिपोर्ट और इजराइल की तरफ से पेश सबूतों को देखने के बाद ही बाइडेन ने इजराइल को क्लीन चिट दे दी. बाइडेन ने कहा कि वो खुद इन हालात में इजराइल इसलिए आए हैं जिससे दुनिया को संदेश जाए कि अमेरिक इजराइल के साथ डटकर खड़ा है. फिलिस्तीन के अस्पताल पर जो हमला हुआ वो वाकई में दुखदायी है. इजरायल और आतंकवादी हमास के झगड़े के बीच अगर आम लोग मारे जाते हैं, तो इसे माफ नहीं किया जाना चाहिए. फिलिस्तीन के अस्पताल पर जो हमला हुआ, उसका जिम्मेदार कौन है, इसको लेकर इजरायल और हमास के अपने अपने दावे हैं. दोनों एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं. इजरायल ने सबूत दिए हैं कि ये विस्फोट हमास का रॉकेट मिसफायर होने से हुआ. हमास ने इजरायल के हमले का कोई प्रूफ नहीं दिया. हमास ने बार बार 500 बेगुनाहों की मौत की बात की लेकिन इजरायल के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि विस्फोट अस्पताल के पार्किंग एरिया में हुआ और अस्पताल की दीवारें इंटैक्ट रहीं. क्या वाकई में 500 लोग मारे गए? एक बड़ा सवाल हॉस्पिटल पर इजरायल के हमले के दावे की टाइमिंग को लेकर है. ये ब्लास्ट ऐसे वक्त हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति इजरायल के दौरे पर पहुंचने वाले थे. इसके बाद बायडेन को जॉर्डन जाना था जहां वो जॉर्डन, मिस्र और फिलिस्तीन के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक शिखऱ बैठक करने वाले थे. इस शिखर बैठक के बाद हमास की पोजिशन बहुत कमजोर हो जाती. इसीलिए कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या अस्पताल में रॉकेट से हमला इस शिखर बैठक को फेल करवाने के लिए किया गया. क्योंकि इस खबर के बाद जॉर्डन ने शिखर बैठक को रद्द कर दिया. जॉर्डन की राजधानी अम्मान में अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन हुए. हमास और उसके समर्थकों ने इस संघर्ष को मुसलमानों के संघर्ष का नाम दे दिया और पूरी दुनिया में मुसलमानों से इजरायल के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए कहा. इसका असर दिखाई भी दिया. इस्लामिक देशों में बड़ी संख्या में प्रोटेस्ट हुए. अमेरिका, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड्स जैसे देशों में भी मुसलमान सड़कों पर उतरे. नोट करने की बात ये भी है कि जो जॉर्डन और मिस्र फिलिस्तीन के साथ हमदर्दी दिखा रहे हैं जो मुल्क फिलिस्तीन पर होने वाले जुल्म की बात कर रहे हैं वही फिलिस्तीन के लोगों को अपने यहां शरण देने के लिए तैयार नहीं हैं. मिस्र ने तो अपनी सीमा सील कर दी है. सिर्फ रफाह क्रासिंग को मानवीय सहायता गाज़ा तक पहुंचाने के लिए खोला है. सब अपने आपको बचाने में लगे हैं इसीलिए ये मामला इतना उलझ गया है और इसका असर पूरी दुनिया में दिखाई दे रहा है.

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