सैम पित्रोदा ने फिर कांग्रेस को मुसीबत में डाला
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए नई मुसीबत पैदा हो गई. दूसरे चरण की वोटिंग से 48 घंटे पहले अमेरिका में बैठे कांग्रेस के थिंक टैंक सैम पित्रोदा ने ऐसा धमाका किया जिसकी गूंज बुधवार को देश की राजनीति में खूब सुनाई दी. पूरी कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जो इल्जाम लगाया था, सैम पित्रोदा ने उससे आगे की बात कह दी. सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में Inheritance (विरासत) टैक्स लगता है, भारत में ऐसा कानून नहीं हैं, लेकिन इस पर विचार होना चाहिए. यानि अगर किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी जो सम्पत्ति है, उसमें से कम से कम आधा हिस्सा सरकार के पास जाए, सिर्फ आधा हिस्सा उसके बच्चों को दिया जाए. सैम पित्रोदा की ये बात चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा, योगी आदित्यनाथ से लेकर सुधांशु त्रिवेदी तक सबने इसे मुद्दा बनाया. मोदी ने कहा कि अब एक्सरे का मतलब भी सामने आ गया, कांग्रेस देश के लोगों की संपत्ति का सर्वे कराएगी, उस पर कब्जा करेगी, जिनकी मौत होगी, उनकी आधी जायदाद हथिया कर अपने चहेते वोट बैंक को बांट देगी. मोदी ने कहा कि कांग्रेस का नारा है – “लूट का खेल, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी” . मोदी ने कहा कि अभी तक इशारों में बात हो रही थी लेकिन अब युवराज के गुरू ने सारा खेल उजागर कर दिया है. सैम पित्रोदा का ये बयान कांग्रेस के गले की फांस बन गया. मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी से लेकर जयराम रमेश तक सबने इस मुद्दे पर सफाई देने की कोशिश की. अमेरिका में विरासत टैक्स वाला क़ानून कुछ इस प्रकार है. मान लीजिए कि कोई 10 करोड़ डॉलर की जायदाद का मालिक है और जब उसकी मौत हो जाती है तो उसकी केवल 45 प्रतिशत संपत्ति ही उसके बच्चों को मिलती है. बाक़ी 55 प्रतिशत पर सरकार का क़ब्ज़ा हो जाता है. ये काफी दिलचस्प कानून है. ये कानून कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति कमाई. लेकिन जब आपकी मौत होती है तो आपको अपनी पूरी तो नहीं, पर लेकिन आधी संपत्ति जनता की भलाई के लिए देनी होगी. पित्रोदा ने इंटरव्यू में यही बात कही. पित्रोदा ने कहा, मुझे ये बात उचित लगती है, भारत में ऐसा कोई क़ानून नहीं है, भारत में अगर कोई इंसान 10 अरब डालर की संपत्ति का मालिक है, तो उसकी मौत के बाद उसकी पूरी संपत्ति उसके बच्चों को मिल जाती है, जनता के हाथ कुछ नहीं आता. अमेरिका का क़ानून कहता है कि इस संपत्ति में से आधा जनता यानी सरकार को मिलेगा. पित्रोदा ने कहा, इन मुद्दों पर जनता में बहस होनी चाहिए, मुझे नहीं पता कि इसका क्या नतीजा निकलेगा. लेकिन, जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और कार्यक्रमों की बात कर रहे हैं, जो जनता की भलाई के लिए होंगे. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस की मंशा अब देश के सामने आ गई है. सैम पित्रोदा कांग्रेस की नीतियां तैयार करते हैं, उनके बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए, कांग्रेस लोगों की संपत्ति को सरकारी क़ब्ज़े में लेकर मुसलमानों को देना चाहती है. अमित शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस की ये मंशा नहीं है, तो अपने घोषणापत्र से सर्वे की बात हटा दे और खुलकर कहे कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का नहीं, ग़रीबों का है. सैम पित्रोदा तो अमेरिका में बयान देकर सो गए लेकिन यहां कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ गई. सैम के बयान पर विवाद बढ़ा तो कांग्रेस ने सफाई देने की कोशिश की. राहुल गांधी के राजनीतिक सलाहकार जयराम रमेश ने कहा कि सैम पित्रोदा उनके मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक रहे हैं लेकिन पित्रोदा ने Inheritance टैक्स पर जो कुछ कहा उनकी निजी राय है, इसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं, कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती. जयराम रमेश ने कहा कि मोदी ने सनसनी फैलाने के लिए सैम पित्रोदा के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. बाधवार को इंडिय़ा टीवी के चुनाव मंच कार्यक्रम में विदेश मंत्री ए, जयशंकर ने तफ्सील से सैम पित्रोदा के बयान का मतलब समझाया. एस. जयशंकर ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान को अलग से देखना गलत होगा, ये कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, कांग्रेस का घोषणापत्र, कांग्रेस के नेताओं के बयान और अब सैम पित्रोदा का कथन यही दिखाता है कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति का सर्वे कराना चाहती है और उसे किसी खास वर्ग को देना चाहती है. सैम पित्रोदा की आदत है कि पहले आग लगाते हैं, फिर पानी छिड़कने की कोशिश करते हैं. ये वही सैम पित्रोदा हैं जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 1984 के सिखों विरोधी दंगों को लेकर कहा था कि “ हुआ तो हुआ ”. उनका ये बयान बड़ा मुद्दा बना था. मोदी ने चुनाव सभाओं में सैम पित्रोदा के बयान को उठाया था. उस वक्त भी कांग्रेस ने सैम के बयान को इनकी निजी राय कहकर खारिज किया था लेकिन नतीजा क्या हुआ, ये पूरे देश ने देखा. कांग्रेस अपने न्यूनतम स्कोर पर पहुंच गई. इस बार चुनाव के दौरान सैम ने फिर मुंह खोला. अब कह दिया कि मौत के बाद व्यक्ति की संपत्ति में आधी सरकार के कब्जे में आनी चाहिए. राहुल गांधी लोगों की संपत्ति का सर्वे कराने और जरूरत से ज्यादा संपत्ति को सरकार के कब्जे में लेकर लोगों के बीच बांटने की बात पहले से कह रहे हैं. कांग्रेस ने सर्वे की बात घोषणा पत्र में कही है. अब तीनों बातों को जोड़कर देखा जाए तो वही मतलब निकलता है, जो मोदी ने कहा. इसलिए इस मुद्दे पर कांग्रेस के लिए बचाव का कोई मौका नहीं हैं. चूंकि कांग्रेस ये कह रही है कि जिन लोगों के पास ज्यादा संपत्ति है, उनकी संपत्ति लेकर उन लोगों में बांटी जाएगी जिनके पास कुछ नहीं हैं. इसका मतलब सुधांशु त्रिवेदी ने बताया, कि जमीन जायदाद और पैसा तो उन्हीं लोगों के पास नहीं हैं, जो दूसरे देशों से आए हैं, जो घुसपैठिए हैं, और घुसपैठिए कौन हैं? कांग्रेस किसे संपत्ति देना चाहती है? ये मोदी बार बार बता रहे हैं. बुधवार को भी मोदी ने कहा कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति अपने खास वोट बैंक को देना चाहती है. सरगुजा की रैली में मोदी ने कहा कि कांग्रेस, SC-ST और OBC के हिस्से का आरक्षण मुसलमानों को दे रही है, कर्नाटक इसका सबूत है जहां कांग्रेस सरकार है और वहां OBC कोटे से 4 प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों को मिल रहा है.
PITRODA STIRS A HORNETS’ NEST ONCE AGAIN!
Congress leader Rahul Gandhi’s mentor and chairman of Indian Overseas Congress, Sam Pitroda has this habit of first lighting a fire, and then trying to douse it with water. I remember, how during the last 2019 Lok Sabha elections, Sam Pitroda made a questionable comment “Hua, Toh Hua” about the 1984 anti-Sikh riots that engulfed several cities after the assassination of the then PM Indira Gandhi. At that time, Narendra Modi made it an issue in his election meetings, and the Congress party distanced itself saying it was Pitroda’s personal remark. The result was there for all to see. Congress touched its lowest score during 2019 Lok Sabha elections. This time too, Pitroda has put his foot in the mouth. In an interview, Pitroda advocated US-type inheritance tax provision, in which 45 per cent is kept by the successor and the remaining 55 per cent is taken away as tax by the government, and said it was “an interesting law”. This is what he said: “Nothing wrong in accumulating wealth, but to what point? Let me tell you, in America there is an inheritance tax. So, if let’s say if one has $100 million worth of wealth, and when he dies he can transfer probably 45 per cent to his children, 55 per cent is grabbed by govt. Now that’s an interesting law. It says, you, in your generation, made wealth, and you are leaving now, you must leave your wealth, for the public – not all of it, half of it, which, to me, sounds fair. In India, you don’t have that. If somebody is worth $10 billion and dies, his children get $10 billion. The public gets nothing. So these are the kind of issues that people will have to debate and discuss.” This remark created a political uproar in India, with Prime Minister Narendra Modi taking a dig by rephrasing a popular ad tagline, “Loot Ka Khel, Zindagi Ke Saath Bhi, Zindagi Ke Baad Bhi”, meaning the Congress wants to loot people when they are alive and also after they die. Congress leaders had to scramble to counter this and clearly appeared to be on the defensive. He party disassociated itself from the remark of Rahul’s mentor. Rubbing it in, Modi said, now one can realize the true meaning of “x-ray” that Rahul has been saying in his election meetings while advocating caste census and survey. Top BJP leaders like Amit Shah, Yogi Adityanath and others rapped the Congress on this issue. Explaining inheritance tax, Modi did not mince words while telling voters that half of the wealth created by ‘dada-dadis’ (grandparents) and parents for their children and grandchildren will now be seized by the government, if Congress comes to power. This wealth, Modi said, will be redistributed to some particular vote banks. When reporters asked Congress President Mallikarjun Kharge about Pitroda’s remark, he became angry and said, “Pitroda is the chairman of Indian Overseas Congress, and he has no role in India. Our party has no such intention, and Modi is trying to confuse voters by playing up Pitroda’s remark.” At India TV’s daylong conclave Chunav Manch in Delhi on Wednesday night, External Affairs Minister S. Jaishankar said, “Do not take this as an isolated remark of an individual. It is part of a thought process. First Congress speaks of carrying out a nationwide survey of properties owned by all. Then they say, there should be redistribution (of wealth). They say with pride that ours is a revolutionary manifesto. They had been saying since long that some sections have the first priority over the nation’s resources. Pitroda was citing this example so that you accept it. Later they realized the reaction that would take place. Now they are explaining that Pitroda does not speak for our party and that he did not actually meant what he said. And what does the records say? Rahul Gandhi says there must be census, then he says there must be redistribution. He acknowledges Pitroda as his mentor. Dr Manmohan Singh was made to say, because the remote control was being held by the family, that some sections have the first priority on our resources. Now if you fit all these, what is the picture? It is not Pitroda’s ‘soch, it is not Rahul Gandhi’s ‘soch’, Yeh Paarivarik soch Hai. (it is the family’s thought process). This is the thinking of Nehru, Indira Gandhi, Rajiv Gandhi. So the fourth generation of this family wants licence raj, control raj, poverty raj back, and we shall control whether your property will remain with you or not. And if we feel that your property should belong to some others, it will be done.” BJP spokesperson Sudhanshu Trivedi explained the sections of the society who could get this wealth if Congress came to power. “They are outsiders and infiltrators, who do not have much wealth, and Congress wants to redistribute wealth to them”, he said. Modi, at his Sarguja rally on Wednesday clearly said, Congress is planning to reduce reservation quota of SC, ST and Other Backward Classes and provide reservation to Muslims. He cited the example of Karnataka, where Congress is in power, and the state government is giving 4 per cent reservation from OBC quota to Muslims.
मुसलिम आरक्षण : मोदी के हमले के बाद कांग्रेस बचाव की मुद्रा में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला किया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस पिछड़े दलित और आदिवासियों का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देना चाहती है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस संविधान में बदलाव करके धर्म के आधार पर आरक्षण पर लगी रोक को खत्म करना चाहती है. मोदी ने याद दिलाया कि कांग्रेस पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर आन्ध्र प्रदेश में ये प3योग कर चुकी है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस का यही मंसूबा है कि अगर वो सत्ता में आई तो मुसलमानों को आरक्षण देगी. यही कांग्रेस का ‘हिडन एजेंडा’ है. अब तक कांग्रेस के नेता इल्जाम लगा रहे थे कि मोदी अगर तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो संविधान बदल देंगे, आरक्षण को खत्म कर देंगे लेकिन मंगलवार को मोदी ने कहा कि कांग्रेस कितना भी जोर लगा ले, लेकिन पिछड़े, दलित और आदिवासियों के आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता, कोई मौजूदा आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता, ये मोदी की गारंटी है. मोदी ने एक और बात कही, कि हकीकत ये है कि कांग्रेस संविधान विरोधी है. कांग्रेस के नेता चुनाव के दौरान खुलकर कहने लगे हैं कि संविधान उन पर थोपा गया है, वो भारत के संविधान को नहीं मानते, कांग्रेस के युवराज के सामने ये बात कही गई, लेकिन युवराज खामोश रहे. अब कांग्रेस के उस नेता ने जनता के सामने यही बात कह दी. मोदी रोज एक के बाद एक जिस तरह से कांग्रेस पर हमले कर रहे हैं, उसके बाद चुनाव कैम्पेन का रूख का पलट गया है. जो बात मोदी ने टोंक में कही, योगी आदित्यनाथ अमरोहा में उससे दो कदम आगे बढ गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिख दिया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो देश में शरिया कानून लागू किया जाएगा. योगी ने वोटरों से पूछा कि क्या वो भारत में तालिबान का शासन चाहते हैं. चुनाव प्रचार में बाजी कैसे पलटनी है, ये कोई मोदी से सीखे. आरक्षण के मामले में कांग्रेस की नीयत का सवाल उठाकर मोदी ने एक झटके में कांग्रेस को बचाव की मुद्रा पर ला दिया. कांग्रेस ने बार बार शोर मचाया था कि मोदी संविधान को खत्म कर देंगे. लालू यादव कह रहे थे कि मोदी आरक्षण को समाप्त कर देंगे. पहले राउंड में मोदी ने इन आरोपों का जवाब दिया. ये बताया कि संविधान में उनकी कितनी निष्ठा है. ये समझाया कि वो लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं. ये भी बताया कि बाबा साहेब आंबेडकर में उनकी कितनी आस्था है. दूसरे राउंड में मोदी ने सीधा वार किया. कांग्रेस का इतिहास खोलकर रख दिया. कांग्रेस के घोषणापत्र का पोस्ट मॉर्टम कर दिया. मोदी ने कहा काँग्रेस का छिपा हुआ एजेंडा तुष्टीकरण की राजनीति करना है. मोदी ने मुख्यत: तीन बातें लोगों के सामने रखीं. एक तो कांग्रेस का घोषणापत्र 1936 के मुस्लिम लीग के घोषणापत्र के तर्ज पर बनाया गया है. दूसरा कांग्रेस का इरादा लोगों की संपत्ति छीनकर मुसलमानों को सौंपने का है. और तीसरा कांग्रेस की मंशा ये है कि दलितों और पिछड़ों का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया जाए. मोदी का ये हमला कांग्रेस पर अबतक का सबसे बड़ा है और इसने कांग्रेस को पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में ला दिया है. इसीलिए आज लगा कि दूसरे चरण के मतदान से पहले मोदी ने बाजी पलट दी. अब चाहे वो असदुद्दीन ओवैसी हों, मल्लिकार्जुन खरगे हों या फारूख अब्दुल्ला, ये सभी मोदी को मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, लेकिन ऐसी बातों से मोदी का कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि ये आरोप तो मोदी पर पिछले 23 साल से लगाया जा रहा है.
MUSLIM RESERVATION : MODI IN AGGRESSIVE MODE
Firing fresh salvo against the Congress, Prime Minister Narendra Modi on Tuesday warned voters that if Congress came to power, it would reduce reservation quotas for Dalits, Backward Castes and Tribals and extend reservation to Muslims. Addressing an election rally in Tonk, Modi reminded that the Congress government in 2004 had reduced SC/ST reservation in Andhra Pradesh and had given reservation to Muslims. He said, “it was a pilot project to test the waters so that it could be implemented through India.” Modi said, Congress tried to give Muslim reservation in Andhra Pradesh at least four times between 2004 and 2010, but could not do so due to hurdles from the Supreme Court. In another salvo fired at the Congress, Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath told a rally in Amroha that the Congress manifesto has clearly promised that if it formed a government at the Centre, it would implement personal laws, “meaning Sharia law”. “They want to implement Taliban administration in India. Will you accept Taliban administration?”, Yogi asked the voters. Yogi took out a big road show in Meerut for BJP candidate and former Ramayana serial actor Arun Govil. Reacting to Modi’s and Yogi’s allegations, Congress President Mallikarjun Kharge said, if BJP returned to power for the third time, “Narendra Modi will change the Constitution and end reservation”. One should learn from Narendra Modi how to turn the tables in an election campaign. By questioning Congress party’s intentions on reservation, Modi has put Congress on the defensive. Congress leaders had been alleging for the last several weeks that Modi wanted to abolish the Constitution. Even RJD supremo Lalu Prasad Yadav had said that Modi will end reservation. In the first round, Modi replied to their allegations and reiterated his belief in the Constitution and democracy. He also explained that he had full faith in the principles laid down by B R Ambedkar when the Constitution was framed. In the second round, Modi chose to carry out a direct attack. He laid bare the history of the Congress, he publicly conducted a post mortem of the Congress manifesto, and told voters that the “hidden agenda” of Congress was to continue with “appeasement politics”. Modi mainly presented three points – One, the Congress manifesto was drafted on the lines of Muslim League’s 1936 manifesto, Two, Congress intends to seize properties from the people and hand them over to Muslims, and Three, the real intention of Congress was to take away reservation quota from Dalits and backward castes and hand them to Muslims. This is one of the biggest attacks made by Modi in the current general elections. It has put Congress into a defensive mode. It seems Modi has turned the tables on the eve of second phase of polling on Friday (April 26). In one stroke, he has forced leaders like Asaduddin Owaisi, Mallikarjun Khare and Dr Farooq Abdullah to describe Modi as “anti-Muslim”. This will have no effect on Modi’s and BJP’s chances, because they have been levelling the same allegations for the last 23 years.
अब मोदी आक्रामक हैं, कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस की नीयत और नीति पर सवाल उठाया है. मोदी ने कहा है, कांग्रेस की नज़र आम लोगों की मेहनत की कमाई पर है, प्रॉपर्टी पर है, महिलाओं के मंगलसूत्र पर है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने इरादा जाहिर कर दिया है कि अगर वह सत्ता में आई तो लोगों के घरों, जायदाद, और गहनों का सर्वे कराएगी, फिर लोगों की कमाई कांग्रेस के पंजे में होगी. मोदी ने कहा कि माओवादियों ने जो काम दुनिया के दूसरे हिस्सो में किया, वही काम कांग्रेस हमारे देश में करना चाहती है. मोदी के इस बयान से चुनावी कैंपेन की दशा और दिशा दोनों बदल गई. कांग्रेस के नेता मोदी की शिकायत लेकर सोमवार को चुनाव आयोग के पास पहुंच गए. मोदी को मानसिक तौर पर दिवालिया, मानसिक रोगी, साम्प्रदायिक भाईचारे का दुश्मन, झूठा, फरेबी और न जाने क्या क्या बता दिया. असल में मोदी ने यही बात रविवार को राजस्थान की रैली में कही थी. उसके बाद से ही कांग्रेस के नेता परेशान हैं. मोदी को चुनौती दे रहे हैं कि वो दिखाएं कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहां लिखा है कि लोगों की संपत्ति छीनकर घुसपैठियों को बांट दी जाएगी. कांग्रेस ने पूछा कि मोदी बताएं कि कांग्रेस के किस नेता ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो संपत्ति का सर्वे कराया जाएगा और संपत्ति मुसलमानों में बांट दी जाएगी. कांग्रेस को इस मामले में INDIA गठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों का भी समर्थन मिला. अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, संजय राउत, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और ममता बनर्जी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक, सब ने नरेन्द्र मोदी पर हमला किया. चूंकि मोदी के रविवार के बयान पर कांग्रेस ने जिस तरह से चौतरफा हमला किया, उससे कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद थी कि अब शायद मोदी हिन्दू-मुस्लिम की बात नहीं करेंगे लेकिन सोमवार को मोदी ने और जोरदार तरीके से अपनी बात कही, कांग्रेस के घोषणापत्र पर, कांग्रेस के नेताओं की मंशा पर छह मिनट से ज्यादा बोले. मोदी ने कहा कि कांग्रेस की नज़र देश की महिलाओं के गहनों पर है, माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर है, वो उसे छीन लेना चाहती है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में उसके इरादे साफ-साफ लिखे है, कांग्रेस जानना चाहती है कि किसके पास कितनी जायदाद है, कितनी ज़मीन है, कितने मकान है, कितनी सैलरी है और बैंक में कितना फिक्स्ड डिपॉज़िट है. अगर कांग्रेस की सरकार आई तो लोगों के बैंक खातों में झांकेगी, लॉकर खंगालेगी, ज़मीन-जायदाद का पता लगाएगी और फिर सबकुछ छीनकर, उस पर कब्जा करके उसे पब्लिक के बीच बांट देगी. मोदी ने जिस तरह से कांग्रेस को घेरा और जिस मुद्दे पर घेरा, उसकी कल्पना कांग्रेस के नेताओं को नहीं थी, इसलिए परेशानी तो दिख रही है, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा. कांग्रेस के नेता बस इतना कह रहे हैं कि मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, इसलिए अब कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री को कांग्रेस के घोषणापत्र की कॉपी डाक के जरिए भेजेंगें. कांग्रेस के नेता मोदी की शिकायत लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंच गए, मोदी के बयान को साम्प्रदायिक और आदर्श आचार संहिता के खिलाफ बताया. प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने मोदी के बयान को उनकी बौखलाहट का नतीजा बताया, कहा, कि मोदी को पता चल गया है कि देश का मूड बदल रहा है, इसीलिए वो हताशा में ऐसे नफ़रत भरे बयान दे रहे हैं. बिहार में तेजस्वी यादव ने कहा कि वो हाथ जोड़कर मोदी से गुजारिश करते हैं कि वह महंगाई, बेरोज़गारी, और विकास जैसे मुद्दों पर बात करें, हिंदू-मुसलमान विवाद पैदा न करें, यही देश के लिए बेहतर होगा. अब सवाल ये है कि आखिर मोदी ने जो बात कही, उसका आधार क्या है? तो मैं आपको बता दूं कि मोदी को ये मौका राहुल गांधी ने दिया है. कांग्रेस की मुसीबत की जड़ राहुल गांधी हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद हैदराबाद में एक रैली में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो पूरे देश में प्रॉपर्टी का सर्वे कराया जाएगा, ये पता लगाया जाएगा कि देश का धन किसके हाथ में है और मजे की बात ये है कि राहुल गांधी के इस बयान का वीडियो खुद कांग्रेस की तरफ से जारी किया गया था. ये सारा मामला क्या है. इसे समझने की जरूरत है. राहुल गांधी ने जब साफ-साफ कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो इस बात का सर्वे करवाएंगे कि किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, वो कहां से आई और इस प्रॉपर्टी को बांट दिया जाएगा, मोदी ने इस बात को पकड़ लिया और डॉक्टर मनमोहन सिंह के उस बयान से जोड़ दिया जहां उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीनकर मुसलमानों को दे देगी. राहुल ने जो कहा वो उनके ऊपर वामपंथी विचारधारा का असर है. ये कम्यूनिस्टों की सोच है. एक जमाने में कम्यूनिस्ट देशों में ये होता था, जहां प्रॉपर्टी का सर्वे होता था और जायदाद छीन ली जाती थी. और मोदी ने जो कहा वो बीजेपी की विचारधारा है. वो मानते हैं कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है, वोट के लिए मुसलमानों को खुश करना चाहती है. अब संपत्ति छिन जाने की बात ऐसी है जो लोगों को डरा भी सकती है, भावनात्मक रूप से आहत भी कर सकती है. इसीलिए कांग्रेस इतनी परेशान है. कांग्रेस अबतक ये कह रही थी कि मोदी लोकतंत्र को खत्म कर देंगे, संविधान को समाप्त कर देंगे और मोदी को इन आरोपों की सफाई देनी पड़ रही थी. अब मामला बिलकुल उलट गया. अब मोदी आक्रामक मुद्रा में हैं, और कांग्रेस पूरी तरह बटाव की मुद्रा में है. उसे बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि घोषणापत्र में ऐसा कुछ नहीं है लेकिन कांग्रेस की समस्या ये है कि राहुल गांधी ने ये बातें सार्वजनिक रूप से कहीं हैं. एक बार नहीं, कई-कई बार कही हैं. कांग्रेस ने राहुल गांधी के इस बयान को रिकॉर्ड से मिटाने की कोशिश की थी लेकिन डिजिटल इंडिया के जमाने में ये संभव नहीं हो पाया. कांग्रेस के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी हो सकती है कि मोदी के इस बयान को मुद्दा बनाने में मोदी विरोधी मोर्चे के सारे नेता एकजुट हो गए. जो कांग्रेस के साथ नहीं हैं वो भी मैदान में उतर गए.
HOW MODI PUT CONGRESS ON THE DEFENSIVE
By raising the issue of ‘redistribution of wealth’, Prime Minister Narendra Modi has raised serious questions about the intent and policy of the Congress party. Since Sunday, in his election rallies, Modi has been on the offensive against the Congress and its leader Rahul Gandhi. Modi accused the Congress of planning to redistribute private assets after carrying out an economic survey of movable and immovable assets, including real estate and gold, owned by families. Modi told voters that the ‘hand’ (symbol of Congress) will take control of people’s earnings in the manner Maoists have done in other parts of the world. Modi termed the Congress leaders as ‘Urban Naxals’. Modi has changed the tone and tenor of election campaign. Congress leaders went to the Election Commission and demanded action against Modi for violating Model Code of Conduct by making communal statements about minorities. The EC has sought videos and transcripts of Modi’s speeches. Congress leaders branded Modi as ‘mentally insane’, ‘enemy of communal harmony’, ‘liar’, ‘fraud’ and what not. Congress leaders have challenged Modi to show where the party manifesto has promised to take over private property and redistribute wealth. Congress has now been joined by other opposition leaders like Akhilesh Yadav, Tejashwi Yadav, Sanjay Raut, Omar Abdullah, Mehbooba Mufti, Mamata Banerjee and Asaduddin Owaisi in targeting Modi. The point is: what provoked the Prime Minister to make these remarks? I think, Rahul Gandhi’s remarks gave Modi the handle. Rahul Gandhi has been creating headaches for the Congress. After the Congress manifesto was released, Rahul Gandhi, while addressing a rally in Hyderabad on April 6 said, “if Congress came to power, property survey will be carried out throughout India, to find out which family has how much assets”. One must understand the entire issue. Rahul Gandhi, in his speech, clearly said, the economic survey will be carried out to ascertain which family has how much property, and these would be redistributed. Modi latched on to this remark and he linked this with a 2006 speech by the then Prime Minister Dr Manmohan Singh in which he had, inter alia, said, “plans for minorities, especially Muslims, must have the first claim on resources, so that the benefits of development reach them equitably”. Modi, at his Sunday rally, lashed out at Congress and said if Congress comes to power, it will seize private wealth and give them to Musalmans. What Rahul Gandhi said clearly shows the effect of Leftist thinking. During the 20th century, in countries ruled by Communist parties, private properties were surveyed and then seized by the State. What Modi said reflects BJP’s ideology. Modi believes that the Congress is following a policy of appeasement in order to make Muslims happy as they constitute a big vote bank. As far as seizure of private property is concerned, this is an issue which can cause scare among the common people and hurt them emotionally. This is the reason, why Congress leaders are now worried. Till last weekend, Congress leaders have been saying that Modi would finish off democracy and change the Constitution, and Modi was busy replying to those charges. The tables are now turned. Modi is now on the offensive, and Congress is fully on the defensive. Their leaders are busy issuing clarifications about their manifesto and also about Dr Manmohan Singh’s and Rahul Gandhi’s speeches. Congress leaders are busy telling voters that nothing has been mentioned about ‘redistribution of wealth’ in the manifesto. But the problem with Congress is, Rahul Gandhi has publicly made these remarks. Not once, but several times. Congress tried to erase Rahul’s remarks from videos and records, but in this digital age, this is not possible. The only silver lining of relief for the Congress is that all the leaders in anti-Modi front are now united in their mission to target Modi.
क्या राहुल गांधी ने कृष्ण का ‘अपमान’ किया ?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों के लिए शुक्रवार को जब वोटिंग हो रही थी, उस वक्त इसी इलाके में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली हो रही थी. मोदी ने उन इलाकों में कैंपेन किया, जहां दूसरे चरण में मतदान होना है. मोदी ने अमरोहा की रैली में भगवान कृष्ण की बात की. असल में ये कहा जाता है कि अमरोहा को श्रीकृष्ण ने बसाया था. इसके बाद श्रीकृष्ण द्वारिका चले गए थे. मोदी ने इसी बात का जिक्र करके राहुल गांधी पर हमला किया. मोदी ने कहा कि जो भगवान राम और कृष्ण हमारे आराध्य हैं, करोड़ों हिंदुओं की जिनमें आस्था है, कांग्रेस बार बार उनके अस्तित्व को नकारती है. मोदी ने कहा कि वो द्वारिका गए, समंदर के भीतर जाकर श्रीकृष्ण की आराधना की तो कांग्रेस के युवराज ने इसका मजाक उड़ाया. कहा द्वारिका है ही नहीं. मोदी ने कहा कि अब वो यादव बन्धु जो खुद को श्रीकृष्ण का भक्त बताते हैं. उन्हें जवाब देना चाहिए कि कृष्ण का अपमान करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कैसे कर सकते हैं.
अखिलेश यादव गौतमबुद्धनगर में थे. .जब अखिलेश से पूछा गया कि मोदी ने कहा है कि जो अपने आपको यदुवंशी मानते हैं, कृष्ण का भक्त बताते हैं., वो द्वारिकाधीश का अपमान करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कैसे कर सकते हैं. खिलेश ने सवाल सुना., कहा कि बीजेपी ब्रह्मांड की सबसे झूठी पार्टी है. .बीजेपी के लोग कुछ भी कहें, लेकिन समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन भाईचारे को बढ़ाने वाला गठबंधन है. नरेन्द्र मोदी जानते हैं कि समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में यादवों का वोट मिलता है, इसीलिए मोदी ने अमरोहा में द्वारिकाधीश के अपमान का मुद्दा उठाया. राहुल गांधी ने अपनी रैली में मोदी का मजाक उडाया था, कहा था कि मोदी दिखावे के लिए द्वारिका में समंदर के नीचे गए, वहां कोई पंडित नहीं था लेकिन मोदी वहां बैठकर कृष्ण की पूजा कर रहे थे. इस पर मोदी ने अखिलेश और तेजस्वी से जबाव मांगा.अब देखना है ये दोनों नेता क्या जबाव देंगे.
DID RAHUL GANDHI ‘INSULT’ LORD KRISHNA?
Prime Minister Narendra Modi fired a fresh salvo at Congress leader Rahul Gandhi on Friday alleging that he had “insulted Lord Krishna” by mocking his underwater “pooja” near Dwarka. Addressing an election rally in Amroha, UP, Modi referring to Rahul as “Congress ke shahzada” (prince) said, “All of us revere Lord Ram and Lord Krishna, millions of Indians have faith in them, but Congress has always tried to negate the existence of these two gods. I went to Dwarka, and performed underwater pooja, the Congress prince made fun of it. I am now asking his Yaduvanshi (Yadav) friends, those who claim to be devotees of Krishna, how can they have an alliance with Congress which insults Lord Krishna?” When Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav was asked to react, he heard the reporter’s question and said, “BJP is the biggest party of liars in this universe”, and walked away. Modi is clearly taking the current poll debate to the next level. Since most of the Yadav voters support Samajwadi party, an ally of Congress in Uttar Pradesh, he raised the issue of “insult of Lord Krishna” in Amroha. Rahul Gandhi had mocked Modi for performing underwater pooja in Dwarka “without the presence of a pandit”. It is now for both Rahul Gandhi and Akhilesh Yadav to reply to Modi’s salvo. Both Rahul and Akhilesh are optimistic that their parties would get the support of Muslim voters, and also from backward castes, Dalits and other poorer sections by raising the caste census issue. Already rumours are being spread in western UP about the Thakur community members unhappy with BJP leaders.
मसला राजनीति का नहीं, केजरीवाल की सेहत का है
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक अर्जी पर अपना आदेश सोमवार तक के लिए सुरक्षित रखा. केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा था कि उन्हें रोज़ इन्सूलिन दिया जाय और प्रतिदिन अपने डाक्टर से 15 मिनट के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग करने दिया जाय, जिसमें उनकी पत्नी भी मौजूद रहें. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल मेडिकल ज़मानत या अस्पताल में इलाज की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल 15 मिनट डाक्टर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग करने की गुहार लगा रहे हैं. कोर्ट में तिहाड़ जेल के वकील ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि केजरीवाल का ब्लड शूगर लेवल सामान्य है लेकिन घर से जो भोजन आ रहा है, वह डाक्टर की सलाह के मुताबिक नहीं आ रहा. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की सेहत की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड भी गठित किया जा सकता है. कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के वकील ने कहा कि केजरीवाल को जो भोजन उनके घर से भेजा गया है, वह डॉक्टरों द्वारा निर्धारित भोजन से मेल नहीं खाती. जेल के वकील ने कहा कि केजरीवाल को सबसे पहले जब जेल लाया गया था, तब उन्होने कहा था कि वो पहले इन्यूलिन ले रहे थे, लेकिन बाद में खुद बंद कर दिया. दरअसल ED ने गुरुवार को एक चौंकाने वाला खुलासा किया था और कोर्ट को बताया था कि केजरीवाल जानबूझ कर अपनी सेहत खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, केजरीवाल डायबिटीक हैं, शुगर के मरीज हैं, परन्तु वो जेल में आम, मिठाइयां और आलू-पूडी-सब्ज़ी खा रहे हैं. ED का आरोप था कि केजरीवाल जान-बूझकर ऐसा कर रहे हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि उनका शुगर लेवल बिगड़ जाए और फिर वो अपनी सेहत को ज़मानत मांगने का आधार बना सकें. आम आदमी पार्टी सरकार की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि जेल में केजरीवाल को बीमार बनाने की एक साजिश चल रही है और ये कोशिश हो रही है कि उन्हें घर से मिल रहा खाना बंद हो. पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी साज़िश का आरोप लगाया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के लिए ये नया ड्रामा तैयार किया है, घर के खाने के नाम पर वो ऐसी चीज़ें खा रहे हैं जिससे उनकी तबीयत बिगड़ जाए और बाहर आने का बहाना मिल जाए. कौन क्या खाना खा रहा है, कितना खा रहा है, ये किसी भी व्यक्ति का ज़ाती मामला है, इसे लेकर सार्वजनिक रूप से बहस करना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन क्या करें? ये मामला इतना बड़ा इश्यू बन गया, केजरीवाल की diet की डिटेल्स कोर्ट में आ गई, public domain में आ गई, इसीलिए एक-एक बात आपके साथ शेयर करनी पड़ी. केजरीवाल पढ़े लिखे जानकार व्यक्ति हैं, उन्हें 22 साल से डायबिटीज है, इसलिए क्या खाना है, क्या नहीं, ये वो खुद बहुत अच्छी तरह जानते हैं. इसलिए इस बात पर तो यकीन नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल को घर से जो खाना भेजा जा रहा है, वो उनकी सेहत खराब करने के लिए है. लेकिन दूसरी तरफ जो तथ्य ED ने कोर्ट के सामने रखे, उन्हें देखने के बाद तो कोई भी सोचेगा कि डायबिटीज़ का मरीज़ अगर आम, मिठाइयां खा रहा है, तो ये नॉर्मल नहीं है. जहां तक आतिशी के तर्कों का सवाल है, तो आतिशी का ये कहना कि केजरीवाल ने जो मिठाइयां खाईं वो शुगर फ्री थी. ये मान भी लिया जाए तो ये कैसे माना जा सकता है कि आम शुगर फ्री होता है. और दुख की बात ये है कि आतिशी ने इसे सियासत से जोड़ दिया. कहा कि पूड़ी सब्जी तो नवरात्र का प्रसाद था. क्या केजरीवाल को बीजेपी के लोग धर्म के रास्ते पर चलने से भी रोकेंगे? केजरीवाल को जेल में मारने की साजिश हो रही है. इन सब बातों से केजरीवाल का केस कमजोर होता है और बीजेपी को भी बयानबाजी करने का मौका मिलता है. ये मसला राजनीति का नहीं, केजरीवाल की सेहत का है और स्वास्थ्य सबसे ज्यादा जरूरी है. अगर केजरीवाल को डॉक्टर्स की सलाह की जरूरत है तो वो उन्हें मिलनी चाहिए, लेकिन इस सवाल का जवाब भी मिलना चाहिए कि केजरीवाल ने जो खाना खाया, क्या वो डॉक्टर्स की सलाह के मुताबिक था या उन्हें जो खाना दिया गया, उसकी वजह से शूगर लेवल बढ़ा.
KEJRIWAL’S HEALTH SHOULD NOT BE MADE A POLITICAL ISSUE
A Delhi court reserved its order till Monday on an application filed by Delhi chief minister Arvind Kejriwal for administering insulin to him in jail and for allowing him to consult his doctors daily through video-conferencing for 15 minutes in the presence of his wife. In his application, Kejriwal has said, he is suffering from acute diabetes and his blood sugar levels were fluctuating at an alarming rate, posing risk to his health. Kejriwal’s senior advocate Abhishek Manu Singhvi, reading excerpts from the CM’s application, said “in an attempt to pre-empt and cover-up the issue, jail authorities in collaboration with ED have sought to do media trial by alleging that sugar levels of the applicant is rising because of his diet.” Singhvi claimed that in the 48 meals sent till now, mangoes were sent only thrice and no mango was sent after April 8. Singhvi described the ED counsel’s allegations as “petty, political and ridiculous”. Tihar jail counsel submitted a report in court which said Kejriwal’s blood sugar levels were completely normal. Singhvi pleaded that Kejriwal was asking for only 15 minutes daily video conferencing with his doctor and that he was not asking for medical bail or hospital treatment. The court finally reserved its order till Monday. A day earlier, ED had told the court that Kejriwal was eating foods high in sugar, like mangoes and sweets every day, despite suffering from Type 2 diabetes, “to create grounds for securing medical bail”. The ED counsel told the court that “Kejriwal was consciously consuming items like tea with sugar, mango, banana sweets, poori, aaloo sabzi, on a regular basis, despite being a patient of diabetes mellitus type 2, and knowing very well that consumption of such items results in increase in blood sugar. This is being done to create a medical emergency to obtain sympathetic treatment from the court of law on medical grounds”. AAP minister Atishi alleged at a press conference that a “conspiracy is being hatched to kill Arvind Kejriwal and he is not being given insulin despite repeated requests.” AAP MP Sanjay Singh alleged that “misleading” news about Kejriwal was being spread through media, “a deep conspiracy is being hatched against the Delhi CM and anything can happen with him in prison.” Delhi BJP chief Virendra Sachdeva alleged that Kejriwal and his party are hatching a drama so that the chief minister could come out of jail on medical grounds. Personally, I do not like to publicly discuss any individual’s diet, because this is an exclusively personal matter. But it was blown up into a big issue, when details of Kejriwal’s diet came in the public domain and media had to share the same with the public. Arvind Kejriwal is a well-read person. He has been battling diabetes for the last 22 years, and he knows what to eat and what to avoid. One cannot believe the allegation that home-made food being sent to him in jail was deliberately meant to endanger his health. But looking at the facts placed by ED before the court, one can naturally question how a diabetic patient is consuming mangoes and sweets, which is not normal. As far as AAP minister Atishi’s arguments are concerned, she claimed that the sweets were sugar-free. Even if one accepts this, how can one claim mangoes are sugar-free? Sadly, Atishi has connected this issue with politics. She said, the aloo-poori-sabzi was part of Navratri prasad and Kejriwal cannot be prevented by BJP leaders from following his faith. She has alleged that a plot is being hatched to kill him in jail. All such allegations can ultimately weaken Kejriwal’s case and give BJP a handle to attack the AAP government. This is not a political issue. It is related to Kejriwal’s health. His health is the most essential issue. If Kejriwal needs doctors’ advice, he must be provided. But one must truthfully answer the question whether the diet consumed by Kejriwal was part of doctors’ advice, or the food items were deliberately given to him to raise his blood sugar levels.
रामलला का सूर्य तिलक : एक सपना हुआ साकार
रामनवमी पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव देश भर में मनाया गया. अयोध्या में अलग ही माहौल था. पांच सौ साल बाद रामलला ने भव्य मंदिर में अपना जन्मदिन मनाया. दोपहर को ठीक बारह बजे गर्भगृह में सूर्य भगवान ने रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया. प्रभु राम को छप्पन भोग लगाया गया. दुनिया भर से भक्त रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे. बड़े शहरों से लेकर कस्बों और गावों में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की शोभायात्राएं निकालीं गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श विकसित भारत के निर्माण का सशक्त आधार बनेंगे, उनका आशीर्वाद आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करेगा. चूंकि पांच सौ साल बाद रामलला अपने मंदिर में विराजमान हुए हैं, इसलिए इस बार की रामनवमी पर अयोध्या में जबरदस्त तैयारी की गई थी. पूरी अयोध्या नगरी को सजाया गया. दुनिया भर से 15 लाख से ज्यादा भक्त अयोध्या पहुंचे. साढे तीन लाख से ज्यादा भक्तों ने रामलला के दर्शन किए. सबको उस पल का इंतजार था जब रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी, रामलला का सूर्य तिलक होगा. ठीक 12 बजे गर्भगृह में बत्तियां बंद हुईं और सूर्य की किरणों का प्रवेश हुआ. रामलला के मस्तक पर सूर्य भगवान ने तिलक किया. उस वक्त घंटे घड़ियाल की ध्वनि से पूरा माहौल गूंजने लगा. रामलला के सूर्य तिलक की तैयारी वैज्ञानिक तरीके से की गई थीं. Central Building Research Institute, रूड़की और Indian Institute of Astrophysics, बैंगलुरु के वैज्ञानिकों ने इसके लिए पूरा मेकैनिज्म डिज़ाइन किया था. तीसरी मंजिल से सूर्य किरणों को गर्भगृह तक लाना और रामलला के मस्तक पर डालना कोई आसान काम नहीं था लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था और वैज्ञानिकों की मेहनत ने इस कठिन काम को भी आसान बना दिया. दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पहले मंदिर के तीसरी मंजिल पर लगे मिरर पर पड़ीं, फिर वो reflect होकर एक पीतल के पाइप के जरिए मंदिर की पहली मंजिल तक पहुंचीं. फिर सूर्य किरणों को रिफैल्क्टर के जरिए गर्भगृह की दीवार में बने सुराख के रास्ते रामलला के मस्तक तक लाया गया. ये सूर्य तिलक 58 मिलीमीटर का था. करीब 3 से 4 मिनट तक सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक पर तिलक किया जिसे देखने के लिए तमाम रामभक्त मंदिर में मौजूद थे. लेकिन जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया था ताकि ज्यादा भीड़ न हो जाए. जैसे ही रामलला का सूर्याभिषेक हुआ, भगवान की आरती की गई, करोड़ों रामभक्तों ने इस दृश्य को टीवी स्क्रीन पर लाइव देखा. जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, प्रधानमंत्री मोदी उस समय असम के नलबाड़ी में एक चुनाव रैली करके निकले थे. 12 बजे वो हैलीकॉप्टर में थे. मोदी ने हैलीकॉप्टर में बैठकर ऑनलाइन ही रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत दृश्य को देखा. इस पवित्र क्षण का साक्षी बनने से पहले उन्होने अपने जूते उतारे. फिर पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य तिलक का नजारा देखा और श्रीराम को प्रणाम किया. मोदी ने अपना ये वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि करोड़ों भारतीयों की तरह उनके लिए भी ये एक भावनात्मक क्षण था. मोदी ने नलबाड़ी की रैली में सूर्य तिलक का जिक्र किया. उन्होने वहां मौजूद लोगों से अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर भगवान राम के इस उत्सव में शामिल होने की अपील की और उसके बाद जय श्रीराम के नारे लगाए. सूर्यवंशी श्रीराम के जन्मोत्सव के वक्त रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक ऐतिहासिक क्षण था. ये विरासत के संरक्षण और विज्ञान के संवर्धन से बने विकास पथ का प्रमाण है. रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का काम देखने सुनने में जितना आसान लग रहा है, वह हकीकत में बहुत कठिन था. इसमें वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम लगा है. मंदिर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया था कि रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था. जब राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने वाला था, उस वक्त हर छोटी बड़ी बात पर विचार हो रहा था. उसी समय मोदी ने ये सुझाव दिया था कि प्रभु श्रीराम सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं, इसलिए क्या ऐसा हो सकता है कि रामनवमी के दिन रामलला का तिलक स्वयं सूर्य भगवान करें? सूर्य की किरणों रामलला के मस्तक का अभिषेक करें? उस बैठक में प्रधानमंत्री के सुझाव पर अमल करने पर सहमति बनी लेकिन इसके बाद मोदी ने ये काम सिर्फ मंदिर निर्माण के काम में लगे लोगों पर नहीं छोड़ा, खुद प्रयास शुरू कर दिए. उन्होंने महाराष्ट्र और कर्नाटक के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस काम की जिम्मेदारी भी सौंपी. मोदी का ये सुझाव हकीकत में बदल गया और पूरी दुनिया ने गर्भगृह में विराजे रामलला के सूर्यतिलक तिलक के दर्शन किए. कोणार्क के सूर्य मंदिर सहित देश भर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधे भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं. नोट करने की बात ये है कि जिस तरह अयोध्या के राम मंदिर में ये काम वैज्ञानिक संस्थानों की मदद से हुआ, हजारों साल पहले भी भारत में इसी तरह की वैज्ञानिक सोच उपलब्ध थी. उत्सव के इस पल में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने अयोध्या और देशभर में हो रहे समारोहों को पाखंड बता दिया. रामगोपाल यादव ने कहा कि अयोध्या में सब अशुभ हो रहा है, आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई, अब बीजेपी के नेता ढ़ोल पीट रहे हैं. यादव ने कहा कि वो कभी किसी मंदिर में नहीं गए, मंदिर में पाखंडी जाते हैं, वो घर में ही भगवान का नाम ले लेते हैं, इसीलिए वही सच्चे भक्त हैं. रामगोपाल यादव इसलिए नाराज है क्योंकि बीजेपी के नेता हर सभा में अयोध्या की बात करते हैं, रामलला की बात करते हैं, सनातन को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहिष्कार पर सवाल पूछ रहे हैं. ये बातें रामगोपाल यादव को परेशान कर रही है. इसीलिए उन्होंने कहा कि जो मंदिर जाते हैं, वो पाखंडी हैं, अयोध्या में बना मंदिर अशुभ है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरूआत राम नाम से होती है और जिदगी की शाम भी राम नाम से होती है, इसमें कहां जाति है? कहां धर्म है? योगी ने कहा कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बीएसपी का चरित्र दोहरा है, ये लोग पहले राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगते थे और अब कह रहे हैं, राम तो सबके हैं. योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरुआत भगवान के नाम से होती है, जीवन की शुरुआत और अंत भी राम नाम से होता है, इसका किसी जाति से कोई लेना-देना नहीं है. इसीलिए जब रामगोपाल यादव ने मंदिर जाने वालों को पाखंडी कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ. रामगोपाल यादव तो पढ़े लिखे हैं. क्या वह यह नहीं जानते कि भारत एक धर्म प्रधान देश है? क्या वह ये भूल गए कि धर्म भारतीय संस्कृति का मूल आधार है? हमारे मंदिर हमारी विरासत का प्रतीक हैं? क्या वह यह भूल गए कि हमारे देश में करोड़ों लोग भगवान में आस्था रखते हैं, मंदिर जाते हैं, पूजा पाठ करते हैं? रामगोपाल यादव को ऐसे लोगों की भावनाओं को आहत करने का कोई हक नहीं है. रामगोपाल यादव इस तरह की बयानबाजी में अगर कोई सियासी फायदा ढूंढ रहे हैं, अगर समाज के किसी एक वर्ग को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह बड़ी गलतफहमी में हैं. उन्हें और उनकी पार्टी को इसका नुकसान होगा.
A DREAM COME TRUE: SUN RAYS ILLUMINATE RAM IDOL IN AYODHYA
As the nation watched the live streaming of Sun rays illuminating the forehead of Ram Lalla idol in the newly built Ayodhya temple on Ramnavami day, Prime Minister Narendra Modi, sitting in a helicopter, watched it on his iPad, 1100 kilometres away in Nalbari, Assam, after addressing a huge election rally. For the first time in the last 500 years, Ramnavami was celebrated in a grand temple built at the birthplace of Lord Ram. Modi wrote on X : “After my Nalbari rally, I watched the Surya Tilak on Ram Lalla. Like crores of Indians, this is a very emotional moment for me. The grand Ram Navami in Ayodhya is historic. May this Surya Tilak bring energy to our lives and may it inspire our nation to scale new heights of glory.” The beam of sunlight was reflected on the forehead of Ram Lalla idol through a special mirror-lens arrangement, designed by astronomers at the Indian Institute of Astrophyics (IIA), Bengaluru, and it was installed in the temple by a team of scientists from Central Building Research Institute, Roorkee. The IIA team began designing the apparatus three years ago, and prepared a four-mirror-and-four-lens array. The first mirror that received sunlight at noon, was positioned at an angle along the path of the sun rays. The light was then reflected to three other mirrors and after it passed through four lenses at desired intensity, it was directed to the idol’s forehead for three to four minutes. While the mirror directed the beams of light, the lenses made them converge to the required intensity. Millions of devotees of Lord Ram watched the Surya Tilak on their TV screens. Lord Shri Ram was born in a Suryavanshi dynasty, and the Surya Tilak was a historic moment. This was a momentous mix of conservation of our rich legacy and the marvel of modern science. Carrying out this at the right moment was not easy. The scientists had to toil hard to plan and create the apparatus before executing it. Ram Temple construction committee chairman Nripendra Mishra said, it was Prime Minister Modi’s idea for illuminating the idol’s forehead on Ramnavami day. Modi’s plea was that since Lord Shri Ram was a Kshatriya belonging to Suryavanshi dynasty, it would be advisable for the Sun God to do the Surya Tilak of the idol’s forehead. Modi did not leave it to the committee members. He himself contacted scientists and astrophysicists in Maharashtra and Karnataka, and assigned them this responsibility. The result: the world watched the Sun rays performing tilak of Lord Ram Lalla installed in the Garbha-griha of the temple. Konark Sun Temple in Odisha is one of several such temples, built in a manner where the sun rays directly fall on the main idol. Needless to say, Indian architects and scientists of yore had scientific knowledge of how to illuminate the idol inside a temple with Sun rays, as was done by modern scientists on Ramnavami day. Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath was busy in Gorakhpur, performing Kanya Pujan to mark the end of nine-day-long fast of Chaitra Navratri. Yogi described this year’s Ramnavami as special in the sense that it is being held after a long wait of 500 years inside a temple. Samajwadi Party leader Ram Gopal Yadav spoiled the merriment by commenting that “performing worship inside temples is nothing but paakhand (hypocrisy). Yadav said, whatever happening in Ayodhya seems to be inauspicious, because the Ram Lalla idol was consecrated in a partially-built temple and BJP leaders are trying to reap political advantage out of it. Yadav claimed, he never went to a temple in his life, and always worshipped idols in his home. One can understand Ram Gopal Yadav’s unhappiness, because BJP leaders are mentioning about how Ram temple was built and the idol installed after a gap of 500 years. BJP leaders are telling people how Congress and Samajwadi Party boycotted the consecration ceremony in Ayodhya. In reply, Yogi Adityanath said, “in Sanatan Dharma, every morning begins with the word Ram, and when somebody’s life comes to an end, the word Ram is uttered. So where is the question of caste in this issue?” Yogi said, Congress, SP and BSP practise double standards. “Their leaders used to demand proof about the birthplace of Lord Ram, and now they say, Lord Ram belongs to one and all”, he said. I think, Yogi is right. Every Sanatani begins his morning with the name of Lord Ram, and when one passes away, Ram Naam Sathya Hai is uttered by the pall-bearers. This has nothing to do with any caste. I was surprised when Ram Gopal Yadav described temple goers as “hypocrites”. He holds PhD, M.Sc.(Physics) and MA (Political Science) degrees. He has been a lecturer and Principal of a college in UP. He must know that India is a land of faiths. Has he forgotten that dharma is the basis of Indian culture? Our temples are symbols of our rich heritage. Has he forgotten that millions of people in India go to temples and worship before gods? Yadav has no right to hurt the sentiments of people. If he is seeking political advantage by making such a remark, in order to make any section or community happy, then he is mistaken. He and his party may have to face enormous political loss in UP.