कोलकाता रेप-हत्या : दुःखी मां-बाप ने बताया झूठी है पुलिस
इंडिया टीवी के ‘आज की बात’ शो में शुक्रवार को हमने सुनाया, कोलकाता के उन माता-पिता की बात, जिनके साथ पूरे देश की सहानुभूति है. वो अभागे माता-पिता, जिन्होंने अपनी बेटी को खोया, जिनकी बेटी की मेडिकल कॉलेज में बर्बर रेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी. इन माता-पिता के दर्द की कोई इंतहा नहीं है, वे बेबस, मजबूर हैं. उन्होंने अपनी जवान बेटी खोई है और हैवानियत के दो हफ्ते बाद भी वो अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनका ये जज़्बा आपको इंडिया टीवी के रिपोर्टर के साथ हुई बातचीत में सुनाई देगा. डॉक्टर बेटी के मां-बाप ने बड़ी हिम्मत दिखाई, सारी बातें खुलकर बताईं, कोलकाता पुलिस के झूठ का पर्दाफाश किया, उनकी बेटी के साथ उस दिन क्या हुआ, इन दोनों के साथ कैसा सलूक हुआ, पहली बार बताया कि 9 अगस्त की काली सुबह से लेकर रात 12 बजे तक कितना दर्द सहा, कितनी परेशानियां झेली. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से किए गए दावों की हकीकत बताई, अस्पताल से पहला फोन कब आया? किसने फोन किया? क्या कहा? फिर दूसरी कॉल किसने की? अस्पताल पहुंचे तो क्या देखा? उन्हें बेटी का चेहरा देखने से किसने रोका? उस वक्त अस्पताल में क्या चल रहा था? पहली बार उन्होंने बेटी की लाश कब देखी? किस हालत में थी? कोलकाता पुलिस का रुख क्या था? ममता बनर्जी ने फोन किया तो क्या कहा? मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने लेडी डॉक्टर के मां-बाप से क्या कहा? क्या 9 अगस्त को सबूतों को मिटाने की कोशिश हुई? किसने की? अस्पताल के प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल का रुख कैसा था? कोलकाता पुलिस क्या कर रही थी? क्या FIR दर्ज होने में देरी लेडी डॉक्टर के मां-बाप के कारण हुई? उन्होंने शिकायत कब लिख कर दी? और केस कब दर्ज हुआ? कोलकाता पुलिस को लेडी डॉक्टर की अंत्येष्टि की जल्दी क्यों थी? माता पिता पर इसके लिए किसने दबाव बनाया? इन सारे सवालों के जवाब डॉक्टर के दुखी माता पिता ने खुलकर दिए. India TV संवाददाता मनीष भट्टाचार्य से माता-पिता की खास बातचीत आप सुनेंगे, तो आप उनका दर्द महसूस कर पाएंगे. कुल मिलाकर इस पूरे मामले में कोलकाता पुलिस की बेदर्दी, पश्चिम बंगाल सरकार की बदनीयती और आर जी कर मेडिकल कॉलेज के मेनेजमेंट की साजिश, ये सब डॉक्टर के मां-बाप की बातें सुनकर साफ हो जाएगी. अभी तक ये बताया जा रहा था कि हत्या के बाद सबसे पहला फोन कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल ने किया, लेकिन डॉक्टर के माता पिता ने इंडिया टीवी को बताया कि कॉलेज से पहला फोन दस बजे के करीब असिस्टेंट सुपरिन्टेंडेट ने किया, पहले बताया कि बेटी बीमार है, फिर दोबारा फोन करके कहा कि बेटी ने सुसाइड कर लिया है. अभी तक कोलकाता पुलिस और हॉस्पिटल प्रशासन दावा कर रहा था कि माता पिता को पहले फोन वाइस प्रिंसिपल ने किया था. हॉस्पिटल की तरफ से दावा किया जा रहा था कि उन्होंने कभी ये नहीं कहा कि डॉक्टर ने सुसाइड किया है लेकिन लड़की के माता पिता ने इंडिया टीवी से बात करते हुए इस दावे की हकीकत बता दी. बड़ी बात ये है कि मां-बाप ने कहा कि जब वो हॉस्पिटल पहुंचे तो उन्हें बेटी का चेहरा नहीं देखने दिया गया. तीन- साढ़े तीन घंटे तक उन्हें इधर उधर घुमाया गया. वहां सीनियर डॉक्टर्स , पुलिस कमिश्नर थे. पुलिस कमिश्नर के फोन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का फोन आया. कमिश्नर ने ममता से उनकी बात कराई. मां-बाप के मुताबिक, ममता बनर्जी ने उनसे कहा कि उनकी बेटी के साथ गलत हुआ है, वह न्याय दिलाने की पूरी कोशिश करेंगी. ममता बनर्जी से बात हो जाने के बाद ही उन्हें बेटी की लाश देखने दी गई. लेडी डॉक्टर की हत्या सुबह हुई, पोस्टमार्टम शाम छह से सात बजे के बीच हुआ, रात करीब ग्यारह बजे अन्तिम संस्कार हो गया और अप्रकृतिक मृत्यु की FIR रात पौने बारह बजे दर्ज हुई. .FIR दर्ज होने में हुई इतनी देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी हैरानी जताई. जस्टिस पारदीवाला ने तो यहां तक कहा कि उन्होंने अपनी तीस साल के करियर में ऐसा कोई केस नहीं देखा, पोस्टमर्टम के लिए लाश तभी जाती है, जब अप्रकृतिक मृत्यु हो. इस केस में FIR पोस्टमार्टम और अन्तिम संस्कार के बाद दर्ज क्यों की गई? क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद सील क्यों किया गया? उससे पहले पुलिस क्या कर रही थी? .इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया था कि FIR में देरी बेटी के मां-बाप के कारण हुई. उन्होंने जब शिकायत लिखकर दी, उसी के आधार पर FIR की गई. लेकिन इंडिया टीवी को डॉक्टर के माता पिता ने कहा कि ये सरासर झूठ है, कोलकाता पुलिस झूठ बोल रही है. हकीकत ये है कि कोलकाता पुलिस किसी भी तरह उनकी बेटी का दाह संस्कार जल्दी से जल्दी करना चाहती थी. हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर्स ने हंगामा किया था. बेटी की लाश देखकर कहा था कि ये काम किसी एक व्यक्ति का नहीं हो सकता, इसमें कई लोग शामिल हैं. इस बेटी के माता पिता ने कहा कि उन्होंने पोस्टमार्टम से पहले ही शाम 6 बजे लिखित शिकायत पुलिस को दे दी थी. लेकिन पुलिस ने दाह संस्कार के बाद रात पौने बारह बजे FIR दर्ज की. बेटी के बां-बाप ने कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष ने FIR दर्ज कराना तो दूर, उनसे न तो फोन पर बात की, और न अस्पताल में उनसे एक बार भी बात नहीं की. मां-बाप ने बताया कि जब वो हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर संदीप घोष वहीं मौजूद थे, लेकिन उन्होंने उनसे न तो बात की, न ही उन्हें ढाढस बंधाने की ज़हमत उठाई. इन बुजुर्ग मां बाप का दर्द समझा जा सकता है, जिन्होंने अपनी होनहार इकलौती बेटी को खोया है. उनकी पीड़ा को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. उनकी बेटी ने कैसी हैवानियत झेली, इसकी कल्पना करके भी दिल सिहर उठता है. हॉस्पिटल में उनके साथ जो व्यवहार हुआ, कोलकाता पुलिस का जो रुख था, उससे निराश होकर माता पिता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई, तब हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई के हवाले कर दी. तब तक कोलकाता पुलिस दावा कर रही थी कि उसने जिस आरोपी संजय रॉय को पकड़ा है, उसी ने अकेले इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया है, लेकिन डॉक्टर बेटी के पिता ने कहा कि हॉस्पिटल में मौजूद जिन डॉक्टर्स ने उनकी बेटी की लाश को देखा, वहां के मंज़र को देखा, उन्होने कहा कि ये एक दरिंदे का काम नहीं है. उन्हें भी पूरा यक़ीन है कि इस मामले में एक से ज़्यादा लोग शामिल हैं, ये गैंग रेप का मामला है. पिता ने कहा कि जब वो सेमिनार हॉल में थे तो उनको ऐसा लगा कि पुलिस मामले को रफ़ा दफ़ा करना चाहती है, किसी को बचाने में जुटी है. अब इस केस की जांच CBI कर रही है. जांच करते हुए CBI को भी ग्यारह दिन हो गए लेकिन अब तक कोई ठोस खबर उन्हें नहीं मिली इसलिए डॉक्टर के माता पिता की बेसब्री बढ़ रही है . पिता ने कहा कि इस मामले में CBI की प्रतिष्ठा दांव पर है इसलिए वो CBI से अपील करते हैं कि इस केस को जल्दी से जल्दी हल करे और मुजरिम को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाए. जिस बेटी की निर्मम हत्या हुई, उनके मां-बाप से बात करना मुश्किल था. जिन माता पिता ने अपनी बेटी खोई, उनके दर्द को कुरेदना, उस दिन को उन्हें याद कराना हमारे रिपोर्टर के लिए भी बहुत मुश्किल था. लेकिन ये मां-बाप लड़ना चाहते हैं, सच बताना चाहते हैं, ताकि उनकी बेटी को इंसाफ मिले. वो देख रहे हैं कि उनकी बेटी की हत्या को लेकर, उसके साथ जानवरों जैसा व्यवहार करने वाले सच पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, सबूतों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. डॉक्टर बेटी के मां-बाप ने बता दिया कि कोलकाता पुलिस ने FIR को लेकर झूठ बोला. बेटी के दाह संस्कार को लेकर गुमराह किया. मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने लाश को लेकर झूठ बोला, सबूत मिटाने की कोशिश को ढकने का प्रयास किया. पुलिस और कॉलेज दोनों ने लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया. लेकिन ये दोनों माता-पिता गवाह हैं. इन्होंने अपनी आंखों से सब कुछ देखा है. दो हफ्ते तक सब कुछ बर्दाश्त किया. आज उन्होंने अपनी बात कहने की हिम्मत जुटाई. मैं तो इन मां-बाप से यही कह सकता हूं कि पूरा देश उनके साथ है. हम आपका दुख बांट सकते हैं लेकिन आपकी बेटी को कोई वापस नहीं ला सकता. सिर्फ सब मिलकर ये कोशिश कर सकते हैं कि आपको इंसाफ मिले. इस अभियान में इंडिया टीवी आपके साथ खड़ा है.
Kolkata rape-murder : Parents nailed police lies
The disclosures made to India TV by the parents of the trainee doctor of Kolkata’s R.G.Hospital clearly nail the lies peddled by the medical college authorities and Kolkata Police about the gruesome crime took place on the morning of August 9. The entire nation sympathizes with the unfortunate parents who lost their meritorious daughter. The parents are now helpless. Two weeks after the gruesome crime, they are still clueless and struggling for justice. The parents exposed the reality about the claims made by West Bengal government before the Supreme Court, about when the first phone call was made to them from the hospital, who made the call, and what they were told. The parents also revealed how hospital authorities tried to fudge facts, remove crucial evidence, how police deliberately delayed in showing them the body and also delayed in filing the FIR. The parents also alleged police was in a hurry to get the cremation done. This detailed interview with India TV reporter Manish Bhattacharye will help you get an idea about what happened hours after the gruesome crime took place. Let us go into their disclosures, one by one. Firstly, it was being claimed that the college vice-principal was the first to ring up the parents, but the girl’s father said, it was the assistant superintendent of the college who rang them up at around 10 am, and told them their daughter was not well. He rang up again to convey that she has committed suicide. The hospital authorities have been claiming they never told the parents about ‘suicide’. Secondly, the parents disclosed, when they reached the hospital, they had to wait for three and a half hours, and asked to go here and there. Senior doctors and the Police Commissioner were present in the hospital. The parents said, Mamata Banerjee spoke to them on the police commissioner’s phone, during which the chief minister assured that she would try her best to ensure justice. It was only after the parents spoke to the CM, that they were allowed to see their daughter’s body. The other lie that was nailed by the parents was: the murder took place early in the morning, post-mortem was done between 6-7 pm, cremation was done at 11 pm, and the FIR about ‘unnatural death’ was registered at 11.45 pm. The parents rejected as outright lie, the state government’s counsel Kapil Sibal’s claim in apex court that the delay in FIR was due to the delay caused by parents in writing their complaint. The parents said, they had given their written complaint to police at 6 pm, even before the post mortem took place, and that Kolkata Police wrote the FIR at 11.45 pm. Police was in a hurry to get the cremation done, the parents said. The college principal Dr Sandip Ghosh, the parents said, was present in the hospital but he did not speak to them even once, forget about consoling them or filing an FIR. The parents alleged that the hospital officials were busy in ‘cover up’ and not one of them spoke to them or tried to console them. The parents are now losing patience because, according to them, CBI probe has entered the 12th day and yet no other accused has been arrested. The victim’s father implored the CBI to solve the case soon and ensure speedy punishment to the culprits. It is now known to all that both the hospital management and police tried to ‘cover up’, tried to hide the fact that vital evidence was tampered with and removed, and above all, tried to mislead both the agitating doctors and the public at large. But remember: the parents of the unfortunate girl are the key eyewitnesses to the sordid circumstances that prevailed in the hospital hours after the crime. The parents have seen what happened, opted to stay silent for two weeks, and now, they have gathered courage to reveal the facts. I can only tell the parents that the entire nation stands with them. We can only share their grief, but cannot bring their daughter back. We can only unitedly raise our voice to ensure that the parents get justice. India TV stands with them in their hour of grief.
कोलकाता रेप-मर्डर केस : CBI के सामने चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में जिस दिन कोलकाता आर.जी.कर अस्पताल में हुई रेप-हत्या के मामले को लेकर लम्बी सुनवाई चल रही थी, उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिख कर सुझाव दिया कि देश में प्रतिदन औसतन बलात्कार की तकरीबन 90 घटनाएं होती है, और इसे रोकने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया जाय, जहां 15 दिन के अंदर सुनवाई पूरी करके सज़ा सुना दी जाय. ममता बनर्जी चिट्ठी लिखकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती. स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनने चाहिए, ये बात उन्हें इतनी देर से याद क्यों आई?बलात्कार के मामलों में हत्या कर दी जाती है, ये उन्हें इतना बड़ा कांड हो जाने के बाद क्यों समझ में आया? अभिषेक बनर्जी ये गिनती गिनाकर नहीं बच सकते कि पिछले 10 दिन में देश भर में बलात्कार के 900 घटनाएं हुई. उन्हें अभी याद आया कि देश में सख्त कानून की जरूरत है? और वो ये भी ज्ञान दे रहे हैं कि ये काम तो केंद्र सरकार को करना है. वो ये क्यों भूल गए कि कानून और व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है? जिस हॉस्पिटल में ये घिनौनी वारदात हुई, वह भी राज्य सरकार के अधीन है. इस मामले में कोलाकाता पुलिस ने लापरवाही की इसीलिए ये केस इतना बड़ा बना. इस केस में राज्य सरकार ने प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश की, इसीलिए डॉक्टर्स को इतना ज्यादा गुस्सा आया. जब ये केस कलकत्ता हाईकोर्ट ने CBI को सौंपा, तो भीड़ भेजकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई, इसीलिए आक्रोश बढ़ा. सुप्रीम कोर्ट ने जब स्वत: संज्ञान लेते हुए इस केस पर सुनवाई की, तो रातों रात 4 डॉक्टर्स को बर्खास्त करके मामले पर पानी डालने की कोशिश की गई, इसीलिए शक और बढ़ा. और जब ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी को लगा कि राजनीतिक रूप से उन्हें नुकसान हो रहा है, तो सारी जिम्मेदारी मोदी सरकार पर डालने की कोशिश की. लेकिन इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि उन्होंने ही ये केस CBI को सौपने पर नाराजगी जाहिर की थी. जब तक नेता इस तरह के दोहरे मापदंड रखेंगे, जब तक ये सोच नहीं बदलेगी, तब तक बेटियों को न्याय मिलना मुश्किल है. जब तक अपराधियों को ये लगता रहेगा कि कोई उन्हें बचाने आएगा, तब तक उनके दिलों में खौफ पैदा करना मुश्किल है. जब तक पुलिस के काम करने का तरीका नहीं बदलेगा, तब तक बेटियों को न्याय मिलना और बेटियों पर बुरी नजर रखने वालों को जल्दी सजा मिलना मुश्किल होगा. जहां तक आर.जी.कर अस्पताल में हुई वीभत्स घटना का सवाल है, इस पूरे मामले के अब तीन पहलू हैं. पहला, हॉस्पिटल में हुई निर्मम हत्या के बाद सबूत मिटाने की कोशिश, अपराधियों को बचाने की कोशिश, प्रोटेस्ट करने वालों को धमकाने की कोशिश. ये मामला अब CBI की जांच का हिस्सा है, सुप्रीम कोर्ट की निगाह इस पर है. जरूरत इस बात की है कि जांच जल्दी पूरी हो, कोर्ट अपराधियों को जल्दी से जल्दी सजा दे. दूसरा पहलू है, हॉस्पिटल में लेडी डॉक्टर्स और महिला स्टाफ की सुरक्षा. इस पर ध्यान देना और भी जरूरी है. आज हर डॉक्टर बेटी के माता पिता को चिंता है कि क्या उनकी बेटी सुरक्षित रहेगी? कोई नहीं चाहता कि उनकी बेटी नाइट ड्यूटी करे. हॉस्पिटल में काम करने वाली बेटियां डर कर, सहम कर अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकती. इस हालत को तुरंत बदलना जरूरी है. तीसरा पहलू है, आए दिन हॉस्पिटल्स में डॉक्टर्स के साथ होने वाली गाली गलौज और मारपीट. आम तौर पर ये देखने को मिलता है कि जब भी किसी मरीज की मौत हो जाती है, अगर उसके परिवार वालों को लापरवाही दिखे, उन्हें ये शक हो जाए कि इलाज ठीक से नहीं हुआ, तो वो सीधे डॉक्टर पर हमला करते हैं. डॉक्टर्स इस डर के वातावरण में काम नहीं कर सकते हैं. नैशनल टास्क फोर्स को वर्किंग कंडीशन के साथ साथ इन पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए. इसके लिए सबसे जरूरी ये होगा कि टास्क फोर्स के सदस्य हॉस्पिटल्स में काम करने वाली लेडी डॉक्टर, नर्सेज, रेजिडेंट डॉक्टर्स और सीनियर डॉक्टर्स से खुलकर बात करें और फिर अपने सुझाव सुप्रीम कोर्ट को दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले सिर्फ सलाह नहीं देना चाहती, बल्कि आदेश जारी करना चाहती है. इसीलिए जरूरी है कि सारे पहलू सुप्रीम कोर्ट के सामने व्यवस्थित और विज्ञानसम्मत तरीके से पेश किए जाएं.
Kolkata rape-murder : The Challenge Before CBI
On a day when the Supreme Court conducted a detailed hearing on the gruesome rape-murder of a medic in Kolkata’s R.G.Kar Hospital and lambasted the Kolkata Police for 14-hour delay in filing FIR, West Bengal chief minister Mamata Banerjee wrote a letter to Prime Minister Narendra Modi demanding a “stringent central legislation” to “put an end” to rising number of rape cases. Mamata pointed out that on a daily average almost 90 rape incidents take place in India, and to counter these, fast-track special courts be set up to complete trial within 15 days “to ensure quick justice”. Mamata Banerjee cannot absolve herself of the responsibility by writing a missive to the Prime Minister. Why did it take so long for her to demand fast-track special courts to deal with rape cases? Was it because the R.G.Kar hospital rape-murder case hit the national headlines? Her nephew MP Abhishek Banerjee cannot absolve his party by tweeting: “Over the past 10 days, while the nation has been protesting against the R KG Kar Medical College incident and demanding justice, 900 rapes have occurred across different parts of India”. The question is: why now? Is it because of the nationwide outrage over the medical rape-murder incident? And Mamata is pointing out that it is the duty of the Centre to enact legislation. Has she forgotten that law and order subject is the responsibility of state government? The hospital where the gruesome incident took place is controlled by her state government. The case attracted nationwide attention because her Kolkata Police goofed up after the incident and displayed sheer negligence. The state government tried to shield the principal of the medical college, and it was because of this, that doctors had to come out on the streets. When Calcutta High Court handed over the case to CBI, a violent mob of lumpen elements was sent to the hospital to obliterate all vestiges of evidence related to the case. This multiplied the level of anger among protesting doctors. When Supreme Court suo motu took up this case, four senior medical college officials were dismissed overnight in a bid to pour water over the flames. This has now deepened doubts that are being expressed. And when Mamata and her nephew Abhishek Banerjee found out that this incident was causing political harm, they are now trying to shift the goal post to Modi’s government. One must not forget, it was Mamata government which initially opposed handing over the case to CBI. When political leaders apply double standards, it is difficult to change the overall mindset. Securing justice for our daughters will then become difficult. When criminals and rapists start feeling that somebody will come to their rescue, it will be difficult to strike terror in their hearts. Unless the style of working of police is not changed, it will be difficult to ensure quick justice and punish those who indulge in gruesome rapes. As far as the Kolkata R.G. Kar hospital case is concerned, there are three aspects now. One: efforts were made to remove evidence, shield the culprits and intimidate the protesters. The CBI is now conducting the probe and the apex court is keeping a close watch. One expects the probe to end soon and the culprits be exposed and punished. Two: security must be provided to lady doctors and female healthcare staff in hospitals. Every parent of lady doctors is today worried about the safety of his or her daughter. Nobody wants late night duty hours for daughters. We cannot allow our daughters to work in an atmosphere of fear. Working conditions need to be changed. Three: there have been frequent incidents of doctors being abused and beaten up in hospitals when a patient dies. Family members and relatives of the patient attack doctors. Our medics cannot be allowed to work in an atmosphere of fear. The national task force will have to go through these aspects while suggesting changes in working conditions. It is necessary for the task force members to speak to lady doctors, nurses, resident and senior doctors in an open and frank manner, and then formulate suggestions for the apex court. The Supreme Court has already made it clear that it is not going to give advice. It is going to give directions to ensure the safety of doctors and healthcare workers. It is, therefore, necessary that all aspects be dealt with in a systematic and scientific manner and protocols are clearly defined.
Medic’s Rape & Murder: Case of deliberate tampering of the crime scene ?
The Supreme Court on Thursday appealed to all agitating doctors to return to work immediately saying that their abstention from work is adversely affecting people who need urgent treatment in healthcare services. The bench presided by Chief Justice D Y Chandrachud assured the doctors that once they rejoin duty, the apex court would ensure that no punitive action is taken against them. Lakhs of patients across India, mostly from poorer section of society, are facing woes due to stoppage of OPD services and surgeries in government hospitals. On Friday, the advocate on behalf of resident doctors requested the court that doctors should be given representation in the National Task Force, but the Chief Justice said this would make the task force unworkable, but he assured that their demands would be heard by the task force. The Chief Justice said, “We are deeply concerned about inhuman working hours, like 36 or 48 hour shifts for doctors, and the task force would also look into streamlining the duty hours of all doctors.” I think all agitating doctors should heed to the appeal of the Supreme Court and return to work immediately. As far as the Kolkata medic rape-murder case is concerned, the apex court today heard in detail about how the state machinery in West Bengal tried to cover up the gruesome act due to deliberate tampering of the crime scene. Naturally, in such gruesome crimes, when people come to know that vital evidence relating to the crime were destroyed in order to shield the culprits, the anger of doctors and of the common public grows. An innocent girl, striving to earn laurels in medicine, was gangraped and murdered brutally, and the doctors were justified in going to the streets to stage protests. Doctors and common public are also angry over the main accused and other suspects not cooperating with the investigators and trying to obfuscate while replying to questions. Meanwhile, Kolkata Police is playing a new game by filing cases against the ex-principal of the medical college Dr Sandip Ghosh. There is likelihood of Kolkata Police trying to secure custody of Dr Ghosh from CBI. Questions are still being raised about who sent the violent mob to destroy evidence inside the hospital of August 14 midnight. This is still shrouded in mystery. I commend the doctors who displayed unity in bringing this issue to national limelight, but, considering the woes of lakhs of patients, it is now time for them to heed to the court’s appeal and return to work. The sooner, the better.
हॉस्पिटल में बर्बरता: सबूत किसने मिटाये?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी हड़ताली डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर जल्द लौटें क्योंकि उनकी गैरमौजूदगी के कारण वो लोग परेशान हैं, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त ज़रूरत है. मुख्य न्यायाधीस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया कि ड्यूटी पर लौटे के बाद अदालत इस बात को सुनिश्चित करेगी कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाय. भारत में इस समय लाखों गरीब मरीज़ सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रहने और सर्जरी न होने से परेशान हैं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में रेजीडेंट डॉक्टरों के वकील ने मांग की की नैशनल टास्क फोर्स में रेजीडेंट डॉक्टरों को प्रतिनिधित्व दिया जाय, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा करने से ये टास्क फोर्स ठीक से काम नहीं कर पाएगा. बहरहाल उन्होने आश्वासन दिया कि टास्क फोर्स डॉक्टरों की मांगों को अवश्य सुनेगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि डॉक्टर्स जिस तरह से लगातार 36 या 48 घंटे तक काम कर रहे हैं, वह वाकई आमानवीय है,और टास्क फोर्स उनके काम करने के घंटों को भी नियमित करेगा. मेरी राय में डॉक्टरों को अब सुप्रीम कोर्ट की अपील मान लेनी चाहिए और काम पर लौटना चाहिए. जहां तक कोलकाता में क्टर बेटी की रेप-हत्या के केस का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने आज विस्तार से सभी पक्षों की बातें सुनी, और राज्य सरकार को जम कर फटकार लगाई. कोर्ट को विस्तार से बताया गया कि कैसे crime scene पर सारे सबूतों को इरादतन मिटाया गया ताकि दरिंदों को बचाया जा सके. जब भी रेप-हत्या जैसे वीभत्स केस में लोगों को लगता है कि सबूत मिटाने की कोशिश की गई, या अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई, तो लोगों का गुस्सा बढ़ जाता है. कोलकाता में एक मासूम लड़की के साथ जो वहशियाना हरकत हुई, उसमें डॉक्टर्स के प्रोटेस्ट की यही वजह है. देश की आम जनता में आक्रोश का यही कारण है. अब ये बात और भी गंभीर हो गई है क्योंकि लोगों को लगता है कि इस केस में मुख्य आरोपी से लेकर बाकी लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, ठीक से सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं. कोलकाता पुलिस भी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिन्सिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ कई केस फाइल करके नई चाल चल रही है. आशंका है कि कोलकाता पुलिस डॉक्टर संदीप घोष को गिरफ्तार करके अपनी हिरासत में लेना चाहती है, वरना जिन डॉक्टर घोष को पहले बचाने की कोशिश की गई, अब वो पुलिस के घेरे में क्यों आए? इसी तरह जिस भीड़ ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ की, सबूत मिटाने की कोशिश की, उसके बारे में भी अभी तक कुछ खास पता नहीं चला है कि वे किसके लोग थे? उन्हें किसने भेजा था? ये सवाल भी बना हुआ है. इस सारे मामले में एक और दुख की बात ये है कि डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण देश भर में लाखों मरीज परेशान हैं, खास तौर पर सरकारी अस्पतालों में, जहां गरीब मरीज़ इलाज कराने जाते हैं. मुझे लगता है डॉक्टर्स को सुप्रीम कोर्ट की अपील पर ध्यान देना चाहिए, काम पर लौटना चाहिए, उन्हें CBI की जांच पर भरोसा करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिलेगा, इस पर यकीन करना चाहिए.
अस्पतालों में डॉक्टर बेहाल : ना आराम की जगह, ना लड़कियों की सुरक्षा
जिस तरह से कोलकाता की मासूम बेटी के साथ बर्बरता से पूरा देश हिल गया, उसी दर्द की गूंज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनाई दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी ममता सरकार से वही सवाल पूछे जो आम जनता के मन में हैं. कोर्ट ने भी जघन्य अपराध को लेकर वही संवेदना दिखाई जो लोगों में हैं. कोर्ट की टिप्पणियों में पुलिस की लापरवाही को लेकर वही गुस्सा झलका, जो प्रोटेस्ट करने वाले डॉक्टर्स की जुबान पर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए, उससे लोगों का भरोसा बढ़ेगा. लोगों को लगेगा कि जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुन रहा है, CBI से रिपोर्ट मांग रहा है, तो फिर इंसाफ तो मिलेगा. अब ममता बनर्जी के ऊपर भी दबाव है. वो दबाव अब दिखाई भी दे रहा है. कोलकाता पुलिस अब तक जिस संदीप घोष का नाम तक लेने में कतरा रही थी, अब पुलिस उसी पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ एक के बाद एक केस दर्ज कर रही है. ये सुप्रीम कोर्ट के सख्त रूख के असर का पहला सबूत है. और अब CBI जिस तेजी से इस घिनौने और भयानक अपराध में शामिल लोगों की एक-एक कड़ी जोड़ रही है, उससे लगता है कि हकीकत जल्दी ही सामने आएगी. हालांकि CBI के पास अब सिर्फ 36 घंटे का वक्त है. सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौंपनी है. इतने कम वक्त में CBI पूरी हकीकत पता लगा लेगी, ये उम्मीद तो नहीं करनी चाहिए लेकिन 22 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं को जवाब जरूर मिल जाएगा जो बार बार पूछ रहे थे कि अब CBI बताए कि उसने पांच दिन की जांच में क्या किया? क्या पता लगाया? कोलकाता पुलिस की जांच में कौन सी खामियां देखीं? हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि बंगाल के केस को एक अलग केस की तरह नहीं देखना चाहिए. इस केस से ये उजागर हो गया कि हमारे डॉक्टर्स किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, हमारी व्यवस्था में कितनी गड़बडियां हैं? इसलिए इस केस से सबक लेकर उन सारी गड़बडियों को दूर करने की कोशिश होनी चाहिए. ये बात सही है कि अगर डॉक्टर्स आवाज न उठाते, सड़कों पर प्रोटेस्ट न करते, तो कोर्ट और सरकार का ध्यान कभी इस बात पर नहीं जाता कि डॉक्टर्स किस तरह के हालात में काम करते हैं. ज्यादातर अस्पतालों में proper rest rooms नहीं हैं. कहीं bed नहीं हैं तो कहीं पर्दे नहीं हैं. लड़कियों को भी ऐसे ही हालात में रहना और सोना पड़ता है. पुरुष और महिला डॉक्टर्स के अलग अलग टॉयलेट नहीं हैं. कहीं गंदगी है तो कहीं भयानक गर्मी होती है. सुरक्षा की दष्टि से देखें तो CCTV कैमरे नहीं हैं. हालांकि सारे अस्पताल ऐसे नहीं हैं पर ज्यादातर सरकारी अस्पतालों का यही हाल है. उम्मीद तो है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो टास्क फोर्स बनाई है वो इन सब बातों पर ध्यान देगी और डॉक्टर्स की सुविधा और सुरक्षा को लेकर कुछ व्यावहारिक सुझाव देगी. इस पूरे प्रोटेस्ट का एक और पहलू है. वो है इलाज के अभाव में तड़पते मरीज़. डॉक्टर्स की हड़ताल की वजह से अस्पतालों में बुरा हाल है. पिछले दो दिन में मेरी जानकारी में ऐसे कई केस आए हैं, जहां मरीज को ICU में एडमिट करने की जरूरत है लेकिन ICU में डॉक्टर्स नहीं हैं, इसीलिए उन्हें भर्ती नहीं किया जा रहा. emergency face करने वाले मरीजों की तो तादाद बहुत ज्यादा है. इसीलिए डॉक्टर्स को सुप्रीम कोर्ट की अपील मान लेनी चाहिए, अपना प्रोटेस्ट खत्म करके अस्पतालों में लौटना चाहिए. देश भर में लाखों मरीज इलाज के अभाव में तड़प रहे हैं. उनका ध्यान रखना, उनका इलाज करना हमारे डॉक्टरों की जिम्मेदारी भी है और फर्ज़ भी.
Inhuman Working Conditions For Doctors: Challenge for the Task Force
The pain of medical fraternity over the gruesome rape-murder of a medic in a Kolkata hospital resonated in Supreme Court on Tuesday. The apex court bench posed the same questions to Mamata Banerjee’s government that are still being asked by the public at large. The apex court also expressed its deepest sympathy for the victim. The court’s observations over laxity on part of Kolkata Police clearly reflected the anger that has been visible among the agitating doctors. I hope the court’s directions for deployment of CISF at the hospital and setting up a National Task Force to formulate security protocol for health workers will increase the trust of the people in the system. People now expect that the victim’s family would now get justice. The pressure is now on Mamata Banerjee and it is showing. The same Kolkata Police which had been avoiding naming the ex-principal Dr Sandip Ghosh till now, is now filing case after case against him. The stern attitude of the Supreme Court is now showing results. Meanwhile, CBI is speedily trying to fill up the missing links about people supposed to be involved in this gruesome crime and one should expect the real picture to emerge soon. CBI will have to file its status report before Supreme Court on Thursday, but one must not expect the whole truth to emerge quickly. Supreme Court has clearly said that the Kolkata crime should not be seen as an isolated case, because the crime revealed the real working conditions of doctors. It is a systemic flaw that needs to be corrected. It is true that had the doctors not raised their voice of protests in the streets across India, the attention of the court and government would not have gone to their abysmal and inhuman working conditions. There are no proper rest rooms for doctors and nurses in most of the hospitals. They do not have proper beds, nor do their rest rooms have curtains. Female doctors and healthcare workers have to work and sleep in pathetic condition. Male and female doctors do not have separate toilets. At some places, the toilets are in a nauseating condition. Many hospitals do not have cctv cameras for rest rooms. Though similar working conditions do not prevail in all the hospitals, but the situation is abysmal in most of the government hospitals. I hope the National Task Force, consisting of top doctors of India, will look into such matters too, apart from suggesting practical methods for their security. One more aspect of the ongoing doctors’ protest is the woes being faced by patients requiring urgent surgeries. Work in most of the government hospitals has been badly affected due to the strike. Personally, I know of several cases in the last two days in which patients, in critical cases, needed to be sent to ICUs, but there are no doctors manning those ICUs. Thousands of surgeries have been postponed. I hope the agitating doctors will now listen to the apex court’s appeal and return to work soon. There are several lakhs patients awaiting urgent medical intervention. It is the duty and responsibility of the doctors to take care of their treatment, on a war footing.
कोलकाता में डॉक्टर की रेप-हत्या : सुप्रीम कोर्ट का आदेश अच्छा है
सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों जैसे तमाम स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के नियम तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया. इसमे देश के कई top doctors और कैबिनेट और गृह सचिव भी होंगे. ये टास्क फोर्स तीन हफ्ते के अंदर अन्तरिम रिपोर्ट और दो महीने के अंदर अंतिम रिपोर्ट देगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश कोलकाता के अस्पताल में हुई जघन्य रेप-हत्या जैसी एक और वीभत्स घटना का इंतज़ार नहीं कर सकता, और महिला डॉक्टरों की सुरक्षा राष्ट्रहित का सवाल है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की जमकर खिंचाई की, और वही सवाल किये जो तमाम डॉक्टरों और आम जनता के मन में है. कोलकाता की बेकसूर, होनहार, ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देख कर रौंगटे खड़े हो गये.कोई इतना बर्बर,इतना क्रूर,इतना पत्थर दिल कैसे हो सकता है?कोई एक मासूम पर इतना ज़ुल्म कैसे कर सकता है ? उस बच्ची ने कितना दर्द सहा होगा ये सोच कर दिल दहल जाता है. वो आखिरी सांस तक लड़ी. अब कुछ लोग पूछ रहे हैं कि इस केस पर लोगों में इतना गुस्सा क्यों है? डॉक्टर सड़कों पर क्यों उतरे हैं ? असल में डॉक्टर और पब्लिक को लगता है पहले इस केस को ढंकने छुपाने की कोशिश हुई,फिर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश की गई और फिर सबूत मिटाने की कोशिश की गई.ऐसी एक एक हरकत ने शक पैदा किया. क्या ये किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है? क्या ये किसी बड़े आदमी को बचाने की कोशिश है? सबके मन में सवाल हैं:वो कौन था जिसने डॉक्टर बेटी के मां-बाप से कहा कि उसने आत्महत्य़ा की ? वो कौन था जिसने दरिंदगी की शिकार बेटी के मां बाप को चार घंटे तक उसका चेहरा देखने नहीं दिया? क्या उन चार घंटों मे सबूत मिटाए गए? डॉक्टर संदीप घोष को बचाने की कोशिश किसकी शह पर हुई? वो भीड़ जो अचानक आधी रात को हॉस्पिटल में बचे हुए सबूत मिटाने आई थी उसे किसने भेजा था? लोगों के मन में जो शक हैं उसमें सही गलत नहीं ढूँढना चाहिए. ना तो किसी को प्रोटेस्ट करने से रोकना चाहिए, ना सवाल उठाने से.केंद्र सरकार और राज्य सरकार को टकराने की बजाय,एक दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय लोगों को विश्वास दिलाना चाहिए अब फिर किसी बेटी के साथ ऐसा ना हो वाकई में इसकी चिंता की जा रही है.
Kolkata rape-murder : Supreme Court order is welcome
The Supreme Court order constituting a 10-member national task force for formulation of protocol for safety of health care workers, in the wake of the horrific Kolkata medic rape-murder incident, has been welcomed by the medical fraternity. The task force includes top doctors of India along with the Union cabinet and home secretaries. The Supreme Court bench said, “the nation cannot wait for another rape for things to change on the ground…. Protecting women doctors is a matter of national interest and principle of equality does not demand anything less.” Unless the CBI probe is taken to a logical conclusion, several questions and doubts will remain unanswered. The impression has gained ground in the last 11 days that most of the evidence relating to the gruesome rape-murder in R G Kar Hospital have been removed. Reading the autopsy report of the innocent and meritorious trainee doctor can unnerve anybody. How can criminals become so cruel, barbaric and stone-hearted? How can an innocent woman be subjected to such gruesome atrocities? The heart cries out thinking how much torment she must have faced at the hands of the rapists and killers. There are some people who are questioning why there is so much anger among the people, and why are the doctors out on the streets? It is because doctors and the public feel that this incident was sought to be covered up and attempts were made to shield the medical college principal by removing vital evidence. Each of such acts raised doubts. Whether this was part of a big conspiracy? Was it an attempt to shield some big fish? Everybody is asking: Who was the person who told the victim’s parents over phone that their daughter has committed suicide? Who did not allow the unfortunate parents to see the face of their daughter for four hours? Were vital evidence removed during those four hours? At whose orders, efforts were made to shield Dr Sandip Ghosh, the medical college principal? Who sent the unruly mob of lumpen elements to the hospital at midnight to destroy remaining evidence? One should not question the motives of people raising these doubts, nor should any attempt be made to stop any protest, or for raising questions. Instead of starting a confrontation between the Centre and state government, and shifting blame on each other, the common people must get an assurance that efforts are being made to stop recurrence of such horrific acts in future.
बेटियाँ डरी सहमी , बलात्कारी आज़ाद और बेख़ौफ़
ये समझना मुश्किल है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में प्रोटेस्ट मार्च किसके खिलाफ किया? हत्यारों को फांसी देने की मांग किससे की? वह मुख्यमंत्री हैं, सरकार उनकी है. कोर्ट ने पहले कहा था कि उनकी पुलिस ने सबूत मिटाने की कोशिश की. हाईकोर्ट ने कहा कि 14 अगस्त की रात को हॉस्पिटल में जो हुआ वो राज्य प्रशासन की विफलता थी. चीफ जस्टिस ने पूछा कि पुलिस उस वक्त क्या कर रही थी, लेकिन कोलकाता के पुलिस कमिश्नर अपनी पुलिस का जितना बचाव करते हैं उतना वो अपना और ममता बनर्जी का नुकसान करते हैं. कमिश्नर ने उस निर्दोष बेटी के माता-पिता के बारे में नहीं सोचा जिन्हें बर्बरता की शिकार अपने बेटी का चेहरा देखने के लिए तीन घंटे तक खड़ा रखा. अस्पताल में तोड़फोड़ पर पुलिस कमिश्नर का जस्टिफिकेशन ये है कि पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की और इस दौरान 15 पुलिसवाले घायल भी हुए. जब पुलिसवाले खुद अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो वो डॉक्टरों को सुरक्षा का भरोसा कैसे दिलाएंगे? इसीलिए सवाल ममता बनर्जी से पूछे जा रहे हैं. जिन पुलिसवालों ने लापरवाही की, उनके खिलाफ कमिश्नर ने एक्शन क्यों नहीं लिया ? और जिस कमिश्नर ने अपनी पुलिस को क्लीन चिट देने की कोशिश की, उन्हें तुरंत बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? ममता बनर्जी कह रही हैं कि राम और वाम वाले इस पर राजनीति कर रहे हैं. मैं मानता हूं कि ऐसे संवेदनशील मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. ममता दीदी को याद दिलाना पड़ेगा कि जब उत्तर प्रदेश के हाथरस में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी तो उन्होंने अपनी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भेजा था. असल में इतना बड़ा देश है, इतनी सारी पार्टियों की सरकारें हैं, जिसके राज्य में कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है वो दूसरे वालों की शासन में हुए घटनाओं की याद दिलाने लगता है. अपनी सरकारों के बारे में कोई नहीं बोलता. असल में एक मानसिकता है, लड़के हैं गलती हो जाती है. दूसरी मानसिकता है जो अपराध करने वाले का मजहब ढूंढती है. तीसरी मानसिकता है कि ये तो होता रहता है. सच तो ये है कि निर्भया की जघन्य हत्या से हमने कुछ नहीं सीखा. न सोच बदली न सिस्टम बदला. क्या कोलकाता की बेटी के साथ जो जुल्म हुआ, उसके साथ जो बर्बरता हुई, वो राजनीतिक दलों को जगाएगी? क्या वो एक दूसरे की तरफ ऊंगली उठाने के बजाए अपना दिमाग इसमें लगाएंगे कि बलात्कारियों और हत्यारों के दिल में खौफ कैसे पैदा हो? आज तो हालत ये है कि अपराधी बेखौफ हैं और हमारी बेटियां डर से सहमी हुई हैं. इससे पहले की एक और ऐसी दरिंदगी हो, सबको नींद से जागना होगा.
Daughters live in fear : Rapists & murderers are free and fearless
It is difficult to gauge against whom West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee took out a protest march in Kolkata on Friday. Her party leaders and workers were demanding death punishment for the culprits in the doctor rape-murder case. Mamata Banerjee is after all the Chief Minister of the state, and the state administration works at her behest. On Friday, Calcutta High Court described the vandalizm at R G Kar Hospital as “absolute failure of state administration”. The Chief Justice asked what police was doing when lumpen elements vandalized the hospital. People are now asking Mamata Banerjee why she was not taking action against the Kolkata Police chief for failing to protect the doctors and the costly hospital equipment. Mamata Banerjee is blaming the “Left-BJP nexus” for the current turmoil. I agree, there must be no politics on this issue. But one should remind Mamata that it was her own party trinamool Congress which sent a delegation to Hathras, UP, when a Dalit girl was raped. India is a big country where different parties rule in the states. Whenever such heinous crimes take place, politicians do not speak about what happened in their state, they point fingers at states run by other parties. This is indicative of a mindset, where a politician says after a rape incident that “boys do commit mistakes”. The second mindset is of trying to trace the religion of the culprits. The third mindset is reflective of the ‘chalta hai’ attitude. The chilling reality is that we have not learnt anything from the Nirbhaya gangrape-murder case that took place in Delhi in 2012. Neither the mindset has changed, nor has the system. Will the brutality perpetrated on Kolkata’s daughter at least wake up the political parties? Will they focus more on evolving concrere methods for striking terror in the minds of rapists and killers, instead of pointing fingers at one another? Presently, the rapists and killers are fearless and moving around freely, while our daughters shiver in fear. Let us wake up from our slumber before another brutal rape-murder takes place.