इस वक्त अमेरिका समेत पूरी दुनिया की निगाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा पर है. अमेरिका के अखबारों में आज से ही बड़े बड़े लेख छपने लगे हैं कि अगर भारत, चीन और रूस मिल गए, तो अमेरिका का क्या होगा?
अगर ट्रंप के टैरिफ के जवाब में भारत, चीन और रूस ने कारोबारी गठजोड़ कर लिया, तो इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
रूस के राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर में भारत आएंगे. इसीलिए अमेरिका में ट्रंप के बड़बोलेपन और मोदी की शांत कूटनीति के खूब चर्चे हो रहे हैं.
अब अमेरिकी एक्सपर्ट ये विश्लेषण कर रहे हैं कि चीन और भारत के रिश्ते तो दुश्मनी वाले थे. आखिर मोदी ने शी जिनपिंग पर क्या जादू कर दिया कि अब सीमा के विवाद पर भी बात हो रही है. दोनों देशों के नेता एक दूसरे के यहां दौरे कर रहे हैं. क्या ये सब अमेरिका को घेरने की रणनीति है?
अगर रूस, चीन और भारत मिलकर कारोबार करेंगे, तो अमेरिका कहां से सामान खरीदेगा और अपने प्रोडक्ट्स कहां बेचेगा ?
पिछले दस साल में नरेंद्र मोदी आठवीं बार जापान पहुंचे. शनिवार को मोदी जापान के प्रधानमंत्री के साथ बुलेट ट्रेन पर सवार हुए. जापान ने अगले 10 साल के अंदर भारत में 10 ट्रिलियन येन का निवेश करने का ऐलान किया है.
जापान तो भारत का पुराना दोस्त है. जापान भी इस बात को समझता है कि अमेरिका ने जान-बूझकर भारत को कॉर्नर किया है. जापान खुद भी कई बार अमेरिका का दंश झेल चुका है लेकिन चीन ने अमेरिका पर गहरी चोट कर दी है.
चीन ने अमेरिका के treasury bonds को बेचना शुरू कर दिया है जिससे अमेरिका में तनाव है. अमेरिका पर 35 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.
मोदी चीन में Shanghai Co-operation Organization की शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे, लेकिन उससे पहले उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. मोदी की पुतिन के साथ भी एक अहम बैठक होगी.
चीन के सरकारी अखाबर ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मोदी का चीन दौरा ये दिखाता है कि भारत और चीन के रिश्ते सुधरे हैं. दोनों देश बातचीत के जरिए सीमा पर तनाव कम करने में सफल रहे हैं और अब व्यापार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं.
ये कोई गुप्त बात नहीं है कि कारोबार की दुनिया में ट्रंप का पहला rival चीन है. चीन का अमेरिका के साथ 650 अरब डालर से ज्यादा का goods और service trade है.
ट्रंप चाहकर भी चीन पर tariff नहीं लगा सके. दूसरी तरफ रूस भी अमेरिका का पुराना rival है. ट्रंप लाख कोशिश के बावजूद पुतिन को यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए तैयार नहीं कर पाए. पुतिन अपनी मर्जी के मालिक हैं, दबाव में नहीं आते हैं.
भारत और अमेरिका की दोस्ती पुरानी है. ट्रंप और मोदी के रिश्ते कुछ महीने पहले तक बहुत अच्छे थे. ट्रंप ने दोस्त को rival बना लिया, अच्छे रिश्तों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मोदी को पाकिस्तान के साथ ceasefire पर बार बार embarrass किया, आसिम मुनीर और मोदी को साथ-साथ बिठाने की नाकाम कोशिश की. ट्रंप ने भारत पर दुनिया का highest tariff लगाया.
चीन की नजर इन टूटते रिश्तों पर थी. उसने भारत की तरफ हाथ बढ़ाया. मोदी ने हाथ थाम लिया. पुतिन ने इसमें एक सकारात्मक भूमिका निभाई. पुतिन इस बात को नहीं भूले कि मोदी ने बुरे वक्त में रूस का साथ दिया.
अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदा. अब अगर ट्रंप से परेशान होकर ये तीनों मुल्क साथ आ रहे हैं, तो इसके लिए सिर्फ ट्रंप जिम्मेवार हैं.
ये मुकाबला Loud Mouth और Silent Planners के बीच है. भारत ने संकट में अवसर ढूंढा. मोदी इस काम में माहिर हैं. अगर SCO Summit के दौरान एक नयी विश्व व्यवस्था बनती है, तो अमेरिका के लिए मुश्किल होगी.
मोदी को मां की गाली : हद हो गई
बिहार में राहुल गांधी के मंच से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मां की गाली देने के मुद्दे पर अब कांग्रेस के नेता बचाव की मुद्रा में हैं. बीजेपी के नेता राहुल गांधी से माफी की मांग कर रहे हैं.पटना, कोलकाता, गुवाहाटी, दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच लाठी डंडे चल रहे हैं.
जिस शख्स ने मंच से माइक पर प्रधानमंत्री को मां की गाली दी, उसको दंरभंगा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मोहम्मद रिजवी उर्फ राजा दरभंगा के गांव भपुरा गांव का रहने वाला है. पेशे से ड्राइवर है और पंचर की दुकान चलाता है.
मोहम्मद रिजवी तो सलाखों के पीछे पहुंच गया. इसके बाद अब मोहम्मद नौशाद का नंबर है क्योंकि जिस मंच से प्रधानमंत्री को अपशब्द कहे गए, वो मंच यूथ कांग्रेस के नेता मोहम्मद नौशाद ने बनवाया था.
बड़ी बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को गाली दी गई, लेकिन कांग्रेस का कोई नेता इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं हैं.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी मोदी के सबसे बड़े आलोचक हैं. .ओवैसी से ज्यादा तीखे अंदाज में कोई बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की मुखालफत नहीं करता लेकिन ओवैसी पर तो कभी प्रधानमंत्री के अपमान का इल्जाम नहीं लगा.
असल में ओवैसी और राहुल गांधी में एक फर्क है. ओवैसी मोदी के राजनीतिक विरोधी है लेकिन राहुल गांधी ने मोदी से व्यक्तिगत दुश्मनी पाल ली है.
राहुल का अंदाज मोदी पर कटाक्ष करना नहीं, उन्हें अपमानित करना होता है. इसीलिए वो ‘सुन मोदी’, ‘तू क्या जानता है’,’मोदी झूठा है’, ‘मोदी चोर है’ इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.
राहुल ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि अकेले वही है जो मोदी से नहीं डरते. मोदी को गाली दे सकते हैं, तू तड़ाक के अंदाज में बात कर सकते हैं. चूंकि राहुल रैली में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, इसीलिए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लगता है कि अगर वो भी मोदी को गाली देंगे, तो इससे राहुल गांधी खुश होंगे.
मोहम्मद रिजवी ने यही गलती कर दी और अब जनाब जेल में हैं. गाली कांग्रेस के मंच से दी गई. इसके बावजूद कांग्रेस के प्रवक्ता ये कहें कि ये बीजेपी का साजिश है, तो क्या कहा जाय.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस बार ‘आप की अदालत’ में मेरे मेहमान हैं. मैंने राजनीति में भाषा के गिरते स्तर पर मोहन यादव से सवाल किया तो मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस भारत की संस्कृति को भूल गई है. जैसे महाभारत में गाली देने वाले शिशुपाल को भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से मारा था. वैसे ही अब देश के लोग कांग्रेस पर वोट का सुदर्शन चक्र चलाएंगे.
मोहन यादव के साथ ‘आप की अदालत’ का ये शो आप आज शनिवार रात 10 बजे और कल रविवार सुबह 10 और रात 10 बजे इंडिया टीवी पर देख सकते हैं.
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