तोक्यों में मंगलवार को भारत-अमेरिका शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि वह भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को ‘पृथ्वी की सबसे निकटतम साझेदारी’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बायडेन ने कहा, उन्हें खुशी है कि भारत और अमेरिका US Development Finance Corporation के लिए वैक्सीन उत्पादन और स्वच्छ ऊर्जा पहल में सहयोग करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, ‘दोनों देश साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं और करेंगे। मैं भारत-अमेरिका की साझेदारी को धरती की सबसे करीबी साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।’
अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-अमेरिका के बीच strategic partnership को ‘भरोसे की साझेदारी’ बताते हुए कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए अच्छाई की ताकत के रूप में जारी रहेगी। इस बीच 4 देशों के समूह क्वॉड ने तोक्यो में काफी तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बयान जारी किया। चीन का नाम लिए बिना भारत, अमेरिक, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं ने कहा कि वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी तरह की ‘बलपूर्वक, भड़काऊ या एकतरफा कार्रवाई’ का कड़ा विरोध करते हैं।
क्वाड शिखर बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया, ‘हम ऐसी किसी भी बलपूर्वक, उकसाने वाली या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं, जिसके जरिये यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश होती हो । इसमें विवादित इलाकों में सैन्यबल का इस्तेमाल, तटरक्षक पोतों एवं नौवहन मिलिशिया का खतरनाक उपयोग, दूसरे देशों के तट के नज़दीक संसाधनों के उपयोग की गतिविधियों को बाधित करने जैसी कार्रवाई शामिल है। हम अंतरराष्ट्रीय कानून का अनुपालन करने के हिमायती हैं, जैसा समुद्री कानून को लेकर संयुक्त संधि (UNCLOS) में परिलक्षित होता है। साथ ही हम नौवहन एवं विमानों की उड़ान संबंधी स्वतंत्रता को बनाये रखने के पक्षधर हैं ताकि नियम आधारित नौवहन व्यवस्था की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके, जिसमें पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर शामिल है।’
यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा ठोक रहा है, जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोकते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बना लिए हैं। मंगलवार को एक बड़ी नई पहल में क्वाड ने इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) लॉन्च किया, जो सहयोगी देशों को अपने तटों पर समुद्र की अच्छी तरह निगरानी करने लिए टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग के साथ-साथ ‘रियल-टाइम के करीब, इंटिग्रेटेड और कॉस्ट इफेक्टिव’ मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस पिक्चर देगा। इससे प्रशांत द्वीपसमूह, दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के देश अपने तटों पर समुद्र की पूरी तरह से निगरानी कर सकेंगे।
क्वाड ने मंगलवार को ‘क्वाड क्लाइमेट चेंज एडाप्टेशन एंड मिटिगेशन पैकेज’ (Q-CHAMP) भी लॉन्च किया और इसके दो मुख्य विषय हैं: न्यूनीकरण और अनुकूलन। जापान की अपनी सफल यात्रा को समाप्त करने से पहले मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के अलावा जापानी पीएम फुमियो किशिदा और नए ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
सोमवार को 13 देशों के इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्परिटी (IPEF) को भी लॉन्च किया गया, जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। इन 13 देशों की जीडीपी पूरी दुनिया की जीडीपी का 40 फीसदी है। मोदी ने कहा कि IPEF की घोषणा हिंद-प्रशांत क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक विकास का इंजन बनाने की सामूहिक इच्छा की घोषणा है। इसे इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
मोदी ने कई बड़ी जापानी कंपनियों के CEOs से भी मुलाकात की, जिनमें सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन, NEC कॉरपोरेशन, फास्ट रिटेलिंग और सॉफ्टबैंक कॉरपोरेशन शामिल हैं। इन सभी कंपनियों का भारत में बड़ा निवेश है। सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन 2026 तक भारत में 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने जा रही है। इसका काम पहले ही शुरू हो चुका है। गुरुग्राम और मानेसर के बाद सुजुकी हरियाणा के खरखौदा में अपना तीसरा मैन्युफैक्चरिंग कारखाना लगाएगी। इस कारखाने में लगभग 11,000 कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। इस प्लांट की ढाई लाख कारों का उत्पादन करने की क्षमता है । जापानी कंपनी सॉफ्टबैंक ने भारत मे बड़ी संख्या में स्टार्टअप को कर्ज़ दिया है। मोदी ने जापान के उद्योगपतियों को बताय़ा कि भारत सरकार ने प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम चालू की है । मोदी चाहते हैं कि भारत सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में चीन को पीछे छोड़ दे।
मोदी ने जापान में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करने के लिए भी वक्त निकाला और अपने 8 साल के शासन की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। मोदी ने प्रवासी भारतीयों से कहा, ‘आज भारत दुनिया के सामने नए उदाहरण स्थापित कर रहा है। भारत कई क्षेत्रों में आगे चल रहा है और दुनिया भारत के आत्मविश्वास को देख रही है। एक समय था जब भारत मदद के लिए दुनिया की तरफ देखता था, आज दुनिया मदद के लिए भारत की तरफ देख रही है। भारत दुनिया के सामने समय की कसौटी पर खरा उतरा है। कोविड महामारी के दौरान भारत ने दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों में दवाएं और वैक्सीन भेजीं। अब, दुनिया जलवायु परिवर्तन से चिंतित है और भारत रास्ता दिखा रहा है। भारत ने साल 2070 के लिए शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत आज डिजिटल लेनदेन में दुनिया में सबसे आगे है।’
यह बात तो सही है कि मोदी बड़े लक्ष्य रखते हैं और उन्हें हासिल करने की पूरी कोशिश करते हैं। स्वच्छ भारत के तहत उन्होंने हर घर में शौचालय उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा, जल जीवन मिशन के तहत उन्होंने हर गांव में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा, उजाला मिशन के तहत उन्होंने हर घर के लिए बिजली का कनेक्शन देने की बात की, उज्ज्वला योजना के तहत गरीब लोगों के घरों में एलपीजी सिलेंडर पहुंचा दिया, पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सरकार ने कोविड महामारी के दौरान 80 करोड़ से ज्यादा देशवासियों को मुफ्त राशन दिया। पहले के नेता ऐसे लक्ष्य तय करने से डरते थे, लेकिन मोदी अलग सांचे में बने हैं। उन्होंने लक्ष्य निर्धारित किए और उन्हें पूरा करने की कोशिश की। इसलिए मोदी ने तोक्यो में प्रवासी भारतीयों से कहा: ‘मुझे मक्खन पर नहीं, पत्थर पर लकीरें खींचने की आदत है।’
मोदी 40 घंटे के दौरे पर जापान गए, क्वाड और IPEF की बैठकों में भाग लिया, दुनिया के बड़े राजनेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, और कई बड़े जापानी उद्योगपतियों से भी मुलाकात की। उन्होंने कुल 23 बैठकें कीं, एक रात टोक्यो में रुके जबकि 2 रातें हवाई जहाज में बिताईं। इतने व्यस्त कार्यक्रम और जेटलैग के बावजूद मोदी हमेशा तरोताजा और फिट दिखे।
मोदी की जापान यात्रा को लेकर चीन परेशान है। क्वाड, IPEF और अन्य बैठकों के बाद आधिकारिक बयानों में जो बातें सामने आई हैं, चीनी नेता ग़ौर से उनका अध्ययन कर रहे हैं। ये सब तब हुआ है जब मीडिया में चीन द्वारा ताइवान पर हमले की तैयारी की खबरें आ रही थीं।
एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया के बाजार चीन में बने प्रॉडक्ट्स से अटे पड़े हैं, भारत ने अपनी तकनीकी और विनिर्माण क्षमता को उन्नत करने और चीन को पीछे छोड़ने के लिए IPEF और क्वाड से समर्थन लेने की योजना बनाई है। चीन इस समय कोरोना से जूझ रहा है और उसकी अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हैं। गणेश जी की मूर्तियों से लेकर आईफोन तक शायद ही कोई सामान हो, जो चीन न बनाता हो। चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल दूसरे देशों को डराने-धमकाने के लिए कर रहा है। इसलिए चीन का मुकाबला करना जरूरी है और IPEF का निर्माण उस दिशा में एक बड़ा कदम है।
अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ से मुकाबला करने के लिए यूरोपीय देशों के साथ मिलकर NATO बनाया था। अब उसी तरह एशिया में चीन को हद में रखने के लिए अमेरिका ने भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य पूर्वी एशियाई देशों के साथ मिलकर IPEF बनाया है।
फर्क सिर्फ इतना है NATO एक सैन्य गठबंधन है, अब वक्त बदल गया है, इसलिए चीन को काबू में रखने के लिए जो IPEF बनाया है वह आर्थिक गठबंधन है। इसके ऐलान के साथ ही असर दिखने लगा है। चीन की तरफ से यह खबर फैलाई गई कि जैसे रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, उसी तरह अमेरिका के बढ़ते दखल को रोकने के लिए वह किसी भी वक्त ताइवान पर हमला कर सकता है। लेकिन अब सारी दुनिया देख रही है। मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही कहा था कि भारत न तो आंख झुकाकर बात करेगा, न आंख चुराकर बात करेगा, यह आंखों में आंखें डालकर बात करेगा। डोकलाम और लद्दाख में ऐसा ही हुआ, जब भारतीय सेना ने चीन के विश्वासघात का बहादुरी से जवाब दिया। एक समय आएगा जब चीन को अपनी मूर्खता का एहसास होगा।