Rajat Sharma

काबुल बम धमाके: किसने और क्यों किया हमला?

akb full_frame_74900काबुल बम धमाकों में मरनेवालों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है जबकि 150 घायलों में ज्यादातर की हालत नाजुक बनी हुई है। गुरुवार की शाम आईएसआईएस (खुरासान) के फिदायीन हमलावरों ने काबुल एयरपोर्ट पर अफगानों की भारी भीड़ को निशाना बनाकर हमला किया। ये लोग अफगानिस्तान से सुरक्षित निकलने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हो गई जबकि 12 अन्य सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन ने इस आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को पकड़ने और उन्हें सजा देने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा- ‘हम माफ नहीं करेंगे। हम इसे भूलेंगे नहीं। हम तुम्हें पकड़कर इसकी सजा देंगे।’

बायडेन ने साफ तौर पर कहा कि ये हमले काबुल में उसके निकासी अभियान को जारी रखने से नहीं रोक सकेंगे। हम निकासी अभियान जारी रखेंगे। वहीं एक रिपोर्टर के सवाल के जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘जो कुछ भी देर से हुआ, उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं।’

उधर, आईएसआईएस (खुरासान) ने एक बयान जारी कर इस फिदायीन हमले की जिम्मेदारी ली है। आईएसआईएस (खुरासान) ने कहा कि उसके निशाने पर अमेरिकी सैनिक और उनके अफगान सहयोगी थे। इस बयान के साथ ही आईएस (खुरासान) ने आत्मघाती हमले को अंजाम देनेवाले शख्स की तस्वीर भी जारी की है। तस्वीर में हमलावर को आईएआईएस के काले झंडे के सामने एक विस्फोटक बेल्ट पहने हुए दिखाया गया है। हमलावर का चेहरा काले कपड़े से ढंका हुआ है और केवल उसकी आंखें नजर आ रही हैं।

जिस जगह पर फिदायीन हमलावर ने खुद को विस्फोट में उड़ाया था वहां का दृश्य बेहद दर्दनाक था। एयरपोर्ट की दीवार के बाहर कूड़े और पानी से भरी एक लंबी नाली खून से लथपथ लाशों से भरी हुई थी। चारों और खून बिखरा हुआ था और ब्लास्ट में घायल लोगों की चीख-पुकार मची थी। परेशान और खौफजदा पुरुष, महिलाएं और बच्चे अपने परिजनों को तलाश रहे थे। कई ऐसे लोग भी थे जिनके कपड़े खून से लथपथ थे और वे घायलों को एम्बुलेंस में ले जाने की कोशिश कर रहे थे।

हालांकि गुरुवार सुबह ही अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने आगाह किया था कि काबुल एयरपोर्ट के पास बड़ा आतंकी हमला हो सकता है। इन तीनों सरकारों ने अपने नागरिकों के अलर्ट जारी किया था और उन्हें एयरपोर्ट से दूर रहने के लिए कहा था। अमेरिकी विदेश विभाग की एडवाइजरी में खास तौर से अपने नागरिकों से यह अपील की गई थी कि वे ऐबे गेट, ईस्ट गेट और नॉर्थ गेट से दूर रहें।

फिदायीन हमलावरों ने पहला ब्लास्ट ऐबे गेट के पास किया। दूसरा ब्लास्ट बैरन होटल के बाहर हुआ, जिसका इस्तेमाल ब्रिटिश अधिकारी अपने नागरिकों और अफगान नागरिकों को वीजा जारी करने के लिए कर रहे हैं। ब्लास्ट के बाद जिंदा बचे लोगों ने जब अपने कागजात और सामान ढूंढने शुरू किए तो वहां लोगों में हताशा, अराजकता और गुस्सा नजर आया। कुछ लोगों के सभी दस्तावेज, पासपोर्ट और सामान खो गए थे। ब्लास्ट के बाद के एक वीडियो में फुटपाथ पर खून से लथपथ शवों का ढेर नजर आया, कई शव एक गड्ढे में तैर रहे थे।

काबुल एयरपोर्ट पर मौत का जो मंजर नजर आया वो अमेरिकी सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ाने के लिए काफी है। ये फिदायीन हमला इस बात का संकेत है कि ISIS अभी जिन्दा है और अफगानिस्तान के अंदर ISIS (K) खुद को फिर से संगठित कर रहा है। ISIS और अलकायदा ने अमेरिका के खिलाफ पहले भी इसी तरह के आतंकी हमले किए थे और अब एक बार फिर से निशाना बनाया है। अमेरिका ने अपने सैनिकों को महफूज रखने के लिए तालिबान के साथ हाथ मिलाया था। एक समझौते के तहत अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से निकालने का प्लान बनाया था। हालांकि इस प्लान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन की पूरे अमेरिका में काफी आलोचना हो रही थी। लेकिन अब जो हमला हुआ है इसके बाद उन्हें और कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ेगा।

उधर, एक अन्य घटनाक्रम में अफगानिस्तान छोड़कर भारत आ रहे 140 अफगान सिखों को तालिबान प्रशासन ने देश छोड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इन अफगान सिखों के पास भारत आने के वीजा हैं। इनकी भारत यात्रा पहले से शेड्यूल थी। बदले हुए माहौल में जब ये अफगान सिख काबुल एयरपोर्ट पहुंचे तो इन्हें तालिबान द्वारा 12 घंटे से ज्यादा इंतजार कराया गया और फिर ये बताया गया कि देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

इन लोगों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर भारतीय वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट इंतजार कर रहा था। इन अफगान सिखों के साथ गुरु ग्रंथ साहब महाराज के दो और पावन ‘स्वरूप’ मौजूद थे। ये लोग काबुल के कारते परवान गुरुद्वारे से एयरपोर्ट तक पहुंचे थे और इनके पास सारे दस्तावेज, अफगानिस्तान का पासपोर्ट, भारत आने का वीजा भी था, लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर इन्हें रोक दिया गया। इनसे कहा गया कि अब अफगान नागरिकों को जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। केवल विदेशी नागरिकों को ही बाहर निकलने की इजाजत होगी।

आखिरकार, थक हारकर रात के दो बजे सभी 140 सिख वापस गुरुद्वारे की तरफ लौट गए। भारत सरकार ने इससे पहले 70 अफगान सिखों को काबुल से निकाला था लेकिन अब इस पर विराम लग गया है। वायुसेना के विमान से केवल 24 भारतीयों और 11 नेपाली नागरिकों को निकाला गया। जबकि भारत सरकार ने गुरुवार को काबुल से कम से कम 300 लोगों को निकालने की योजना बनाई थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

काबुल एयरपोर्ट के पास हालात बेहद खराब हो चुके हैं। हजारों लोग अभी-भी देश से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं व्यापारी पानी की बोतलऔर अन्य खाने-पीने की चीजों के लिए ज्यादा पैसे वसूल कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। आलम ये है कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर मिनरल वाटर की एक बोतल 40 डॉलर, यानी करीब 3 हजार रुपए में मिल रही है जबकि एक प्लेट चावल के लिए 100 डॉलर, यानी करीब साढ़े सात हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

गुरुवार की शाम हुए बड़े आतंकी हमले के बाद भी शुक्रवार की सुबह सैकड़ों अफगान एयरपोर्ट के बाहर इंतजार करते नजर आए जो वहां से बाहर निकलकर आजादी की उड़ान भरना चाहते हैं। काबुल में एटीएम खाली होने और बैंक बंद होने से वित्तीय व्यवस्था लगभग चरमरा गई है। अफगानिस्तान से बाहर निकलने की जद्दोजहद में जो लोग काबुल एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं वे लोग पाकिस्तान के बॉर्डर पर जा रहे हैं। जमीन के रास्ते सीमा पार कर अफगानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। हजारों अफगान तोरखम और चमन बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जाने का इंतजार कर रहे हैं। ये लोग किसी भी सूरत में पाकिस्तान में दाखिल होना चाहते हैं लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान के हथियारबंद जवान मौजूद हैं जो इन्हें बॉर्डर पार करने से रोक रहे हैं।

अफगानिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और तालिबान की तरफ से फिलहाल शासन व्यवस्था लागू करने का कोई संकेत नहीं मिला है। काबुल एयरपोर्ट के पास हालात पहले से ही तनावपूर्ण है। देश से बाहर निकलने की कोशिश में जुटे अफगान नागरिकों समेत सभी विदेशी नागरिकों को निकालने का काम 31 अगस्त तक पूरा होने की संभावना नहीं है जबकि तालिबान ने अफगानिस्तान छोड़ने की समय-सीमा 31 अगस्त मुकर्रर की है।

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