Rajat Sharma

जोधपुर दंगे : ज़िम्मेदार कौन ?

AKBराजस्थान के जोधपुर में ईद के दिन (मंगलवार) दो समुदायों के बीच हिंसा हुई और पुलिस ने अब तक 97 लोगों को हिरासत में लिया है। मंगलवार सुबह मुसलमानों ने ईद की नमाज अदा की और नमाज खत्म होते ही पथराव शुरू हो गया। इस दौरान तलवारें लहराई गईं, लाठी-डंडों से हमले हुए और एसिड भरी बोतलें भी फेंकी गईं। घरों पर पथराव हुए और दर्जनों गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई।

जोधपुर शहर के 10 थाना क्षेत्रों में मंगलवार से कर्फ्यू लगा हुआ है। हिंसा की यह घटना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपने गृह क्षेत्र में हुई और मंगलवार को उनका जन्मदिन भी था। मुख्यमंत्री ने अपने जन्मदिन को लेकर होनेवाले सभी समारोहों को रद्द कर दिया और हालात को नियंत्रित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कीं । जोधपुर में एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। शहर में मोबाइल इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों समुदायों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने अपने दो मंत्रियों, राजेंद्र यादव और सुभाष गर्ग को पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ जोधपुर शहर में भेजा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ईद से एक रात पहले धार्मिक झंडे को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई थी तो फिर शहर की पुलिस अलर्ट क्यों नहीं थी ?

जोधपुर के जालोरी गेट पर स्वतंत्रता सेनानी बाल मुकुंद बिस्सा की मूर्ति है। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मात्र 34 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई थी। उन्हें महान क्रांतिकारी बाघा जतिन के समकक्ष माना जाता है। सोमवार की रात मुस्लिम समुदाय के कुछ शरारती तत्वों ने बिस्सा की मूर्ति के पास से भगवा झंडा हटाकर इस्लामिक झंडा लगा दिया। झंडा़ लगाने के लिए मूर्ति के चेहरे पर चारों तरफ से ब्लैक टेप लगा दिया। स्वतंत्रता सेनानी बाल मुकुंद बिस्सा का चेहरा पूरी तरह काले रंग के टेप से ढक गया। दरअसल, यह जानबूझकर किया गया था क्योंकि स्थानीय हिंदू संगठनों ने अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती त्योहारों को मनाने के लिए जालौरी गेट चौराहे की काफी आकर्षक सजावट की थी।

इसी बात को लेकर हिंदू और मुस्लिम युवकों में पहले बहस हुई और फिर मारपीट होने लगी । अचानक लाठी-डंडे और तलवारें निकल आईं और पत्थरबाजी भी होने लगी। कुछ पता ही नहीं चला कि इतनी जल्दी हथियार कहां से आ गए? कुछ ही मिनटों में सैकड़ों की भीड़ ने हमला कैसे कर दिया? इन सबसे यह लगा कि हिंसा की तैयारी पहले से थी। सैकड़ों मुस्लिम नौजवानों की भीड़ जमा हो गई और ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाने लगी। हिंदू युवक ‘अल्लाहू अकबर’ के जवाब में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने लगे। देखते ही देखते दंगाई चौक से निकल कर मोहल्लों तक पहुंच गए और पथराव करने लगे । दंगाईयों ने गाड़ियों में जमकर तोड़फोड़ की।

जालोरी गेट का इलाका जोधपुर के सुरसागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां से सूर्यकांत व्यास बीजेपी की विधायक हैं। उनके घर पर भी पथराव किया गया और उनके घर के बाहर खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई। सूर्यकांता व्यास लगातार जालौरी गेट इलाके में लोगों को समझाने-बुझाने में लगी रहीं। उन्होंने मीडिया से कहा कि कहा कि जोधपुर में इस तरह की हिंसा कभी नहीं हुई और उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि ईद के मुबारक मौके पर इस तरह से हिंसा होगी।

हैरानी की बात यह है कि जब रात में इतनी हिंसा हो चुकी थी उसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा। जोधपुर प्रशासन ने लोगों को मुख्य सड़क पर नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दी थी इसलिए इतनी बड़ी तादाद में लोग एक जगह जमा हुए और फिर हालात खराब होने लगे। जोधपुर से बीजेपी के सांसद और मोदी सरकार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा कि प्रशासन ने जिस तरह एक वर्ग को छूट दी उससे शक पैदा होता है कि हिंसा हुई नहीं, करवाई गई। चूंकि सबसे जयादा हिंसा सुनारों के मोहल्ले में हुई इसलिए केंद्रीय मंत्री शेखावत उस मोहल्ले में गए और पीड़ितों से मुलाकात की, हालांकि इलाके में हालात तनावपूर्ण थे इसलिए पुलिस ने शेखावत को वहां जाने से रोकने की कोशिश की लेकिन लोग इतने नाराज थे कि उन्होंने पुलिस के सामने ही हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

रात भर हुई हिंसा के बाद जब सुबह में ईद की नमाज के लिए मुसलमान जालोरी गेट इलाके में जमा हुए तो तनाव का माहौल था। नमाज तो शांति से खत्म हो गई लेकिन कुछ ही देर में लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। हिंसा पर उतारू भीड़ ने पुलिस वालों को भी नहीं बख्शा। मौके पर तैनात पुलिसकर्मी भी बेबस नजर आए। दंगाइयों ने दर्जनों वाहनों को तोड़ दिया।

इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। हालात के मद्देनजर बुधवार रात तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया। झड़प और भगदड़ के बीच पूरे इलाके में हजारों जूते-चप्पल बिखरे पड़े थे। जालोरी गेट के बाद धीरे-धीरे घनी आबादी वाली गलियों में भी हिंसा फैल गई। दंगाइयों ने गाड़ियों के अलावा एटीएम मशीनों और दुकानों के शीशे तोड़ दिए। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया।

कबूतर चौक इलाके में भीड़ ने पांच साल की एक बच्ची को पीट दिया। बच्ची को पिटता देख इलाके के हिन्दू भी भड़क गए। उन लोगों ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख ज्यादा है कि जिन लोगों के साथ रोज का उठना-बैठना है, जो लोग दुकानों से रोज सामान लेते हैं आज वही लोग दुकान लूट रहे हैं। जिन लोगों से गले मिलते हैं वही लोग गला काटने की बात कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि भीड़ तलवारें, पत्थर और लाठियों से बाइक सवारों पर हमले कर रही है। एक दंगाई ने तो बाइक सवार युवक पर तलवार से हमला कर दिया।

कर्फ्यू लगने के बाद दर्जनों मुसलमानों ने जालोरी गेट मोहल्ले की जालम बावड़ी मस्जिद में शरण ली। बाद में पुलिस ने उन्हें उनके घर लौटने में मदद की। जहां बीजेपी नेताओं ने सांप्रदायिक हिंसा के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी नेताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन-जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उन सब राज्यों में बीजेपी इसी तरह के दंगे करवाएगी। उन्होंने कहा बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी सांप्रदायिक दंगे भड़काने की योजना बना रही है । इन राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं।

सुरजेवाला सियासी बयान देकर बच नहीं सकते। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और अगर जोधपुर हिंसा में बीजेपी का हाथ है तो फिर पुलिस बीजेपी के लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं करती ? राजस्थान पुलिस को किसने रोका है?

वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले की नजाकत को समझते हैं इसीलिए उन्होंने इस मामले में सियासत नहीं की, कोई सियासी बयान नहीं दिया । उन्होंने जोधपुर में तैनात बड़े अफसरों की क्लास लगाई है। अगर एक बार हिंसा होती तो माना जा सकता था कि दो गुटों में झगड़ा हुआ और पत्थरबाजी हो गई। लेकिन रात में हिंसा हुई और फिर सुबह भी पत्थर चले, एसिड बम फेंके गए तो सवाल यह उठता है कि रात भर प्रशासन क्या कर रहा था ? प्रशासन को हिंसा की प्लानिंग की खबर क्यों नहीं हुई?

दरअसल, राजस्थान को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि एक महीने में ये दूसरा मौका है जब किसी त्योहार के मौके पर राज्य में हिंसा हुई है। ठीक एक महीने पहले यानी 2 अप्रैल को रामनवमी के दिन राजस्थान के करौली में हिंसा हुई थी। तब राजस्थान के डीजीपी ने कह दिया कि रामनवमी की शोभा यात्रा में डीजे बज रहा था और लोगों ने भड़काऊ नारे लगाए इसलिए हिंसा हुई । मुझे लगता है कि इस तरह के मामलों में सियासी बयानबाजी से बचना चाहिए, हर मामले को चुनाव से जोड़ देना ठीक नहीं है। इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब जालोरी गेट पर रात में झड़प हुई तो फिर कुछ घंटे बाद ही प्रशासन ने खुली सड़क पर ईद की नमाज की इजाजत क्यों दी? अभी तक इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका है।

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