Rajat Sharma

राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा हाल में किए गए भूमि सौदे में क्या घोटाला हुआ है?

akb fullउत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों की गर्मी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर तक पहुंच गई है। कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने 2 करोड़ रुपये की जमीन बाजार मूल्य ने 9 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी है। ट्रस्ट ने आरोप को ‘राजनीति से प्रेरित और भ्रामक’ बताते हुए तुरंत खारिज कर दिया।

ट्रस्ट पर आरोप लगाया गया कि जमीन के इस टुकड़े को पहले 2 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए रजिस्टर्ड किया गया था, और सिर्फ 10 मिनट के अंदर इसी जमीन को 18.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेच दिया गया। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस सौदे की CBI और ED से जांच कराने की मांग की, जबकि समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक पवन पांडेय ने इसे एक बड़ा घोटाला बताया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, कांग्रेस के दोनों नेताओं ने ट्विटर पर इसे ‘अधर्म’ और ‘पाप’ करार दिया। राहुल ने ट्वीट किया, ‘श्रीराम स्वयं न्याय हैं, सत्य हैं, धर्म हैं। उनके नाम पर धोखा अधर्म है!’ प्रियंका ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति के चलते भगवान के चरणों में चढ़ावा चढ़ाया। उस चंदे का दुरुपयोग अधर्म है, पाप है, उनकी आस्था का अपमान है।’

इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने इस पूरे मामले की तहकीकात की, बिक्री के दस्तावेज देखे और इसमें शामिल लोगों से बात की। जहां राम मंदिर बन रहा है, यह उसके परिसर से लगती हुई जमीन है और पास में ही अयोध्या रेलवे स्टेशन है। यह कोई एकलौती जमीन नहीं है जो ट्रस्ट ने खरीदी है। राम मंदिर परिसर के पास काफी जमीनें मार्केट रेट पर खरीदी गई हैं। जिस जमीन को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं उसे भी मार्केट रेट पर खरीदा गया है। इसे बाकायदा रजिस्टर कराया गया, सारा भुगतान ऑनलाइन हुआ, स्टांप ड्यूटी पे की गई और कहीं भी एक पैसे के कैश का लेनदेन नहीं हुआ।

3 महीने पहले, 18 मार्च 2021 को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सुल्तान अंसारी और रविमोहन तिवारी से 12,080 स्क्वेयर मीटर, यानी कि एक हेक्टेयर से कुछ ज्यादा, जमीन खरीदी। 18 मार्च 2021 को शाम 7.15 बजे पर 18.5 करोड़ रुपये में इस जमीन का सौदा हुआ। लेकिन इस सौदे से 5 मिनट पहले, 7.10 बजे इसी जमीन का एक और सौदा इसकी मूल मालकिन कुसुम पाठक और सुल्तान अंसारी के बीच हुआ। अंसारी ने ये जमीन कुसुम पाठक से 2 करोड़ रुपये में खरीदी और 5 मिनट बाद वही जमीन 18.5 करोड़ रुपये में बेच दी। दोनों ही सौदों के गवाह एक ही थे। गवाह के तौर पर इन दोनों सौदों में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा के हस्ताक्षर हैं। समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडे इन दोनों सेल डीड के कागजात लेकर सामने आए और सवाल किया कि ऐसा क्या हुआ जिससे 2 करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन की कीमत सिर्फ 5 मिनट में 18.5 करोड़ रुपये हो गई।

हमारी संवाददाता रुचि कुमार अयोध्या गईं और बताया कि इस सौदे की जड़ें 10 साल पहले हुए एक समझौते तक जाती हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित राम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जमीन उन लोगों को देने के लिए अधिग्रहित की जा रही थी, जो मुख्य मंदिर के लिए जमीन का अधिग्रहण होने के बाद विस्थापित हुए थे। ट्रस्ट के सचिव चम्पत राय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि अयोध्या विवाद पर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में जमीन की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं। ट्रस्ट के एक अधिकारी ने कहा, ‘वर्तमान रेट लगभग 5,000 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट है, और 12,000 स्क्वेयर मीटर से भी बड़े प्लॉट के लिए मार्केट रेट लगभग 60 करोड़ रुपये है।’

हुआ यूं कि 2011 में जमीन के मूल मालिकों, कुसुम पाठक और हरीश कुमार पाठक, ने सुल्तान अंसारी के पिता नन्हे अंसारी के साथ 2 करोड़ रुपये का एक अग्रीमेंट किया था। इसके बाद ये डील लगातर रिन्यू होती रही, लेकिन इस जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई थी, क्योंकि इसे लेकर कोर्ट में केस चल रहा था। पहले इसे वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी बताया गया, फिर इस जमीन के नए दावेदार सामने आए। इस तरह कोर्ट केस चलता रहा और अंसारी परिवार डील रिन्यू करता रहा। सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 2 महीने पहले इस जमीन को 2 करोड़ रुपये में बेचने का समझौता हुआ। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में जमीन की कीमतें आसमान छूने लगीं। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘न्यू अयोध्या प्लान’ को मंजूरी दी, जिसके तहत अयोध्या में एयरपोर्ट से लेकर कई और बड़े डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ। इस सबके बीच जब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस जमीन को खरीदने की इच्छा जताई तो सुल्तान अंसारी ने कहा कि वह इसे मार्केट रेट से ही बेचेंगे। सुल्तान अंसारी एक बिल्डर हैं, और उन्होंने 2011 में पाठक परिवार के साथ एक डील की थी। चूंकि जमीन पर कानूनी अड़चन खत्म हो चुकी थी, इसलिए तीनों पक्ष, पाठक, अंसारी और ट्रस्ट एक साथ आए और बिक्री को रजिस्टर्ड कराने का फैसला किया। जहां तक दोनों सेल डीड में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के साइन होने की बात थी, तो ट्रस्ट का सदस्य और अयोध्या के मेयर होने के नाते राम मंदिर से जुड़े ज्यादातर डील में इन्हीं के हस्ताक्षर होते हैं।

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इंडिया टीवी की संवाददाता को बताया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही इस जमीन का सर्किल रेट 5.85 करोड़ रुपये था। अयोध्या में 2017 के बाद से ही सर्किल रेट नहीं बढ़ाए गए हैं। सर्किल रेट आम तौर पर मार्केट रेट से कम ही होता है। न्यू अयोध्या प्लान के बनने के साथ ही जमीन की कीमतों में स्वाभाविक तौर पर कम से कम 3 गुना की वृद्धि हुई, और इसी हिसाब से अंसारी को 18.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। यह कहना कि गलत होगा कि सेल डीड पर साइन होने के 5 मिनट के अंदर ही जमीन की कीमत बढ़ गई। जमीन की कीमत पिछले 10 साल से बढ़ रही थी।

इस सवाल का कोई मतलब नहीं है कि सेल डीड में गवाह कौन थे। जो जमीन 10 साल पहले 2 करोड़ रुपये में बेची गई थी, बढ़ी हुई कीमतों के कारण उसे ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपये में बेचा गया। एक जमाना था जब भारत में स्टांप फीस से बचने के लिए जमीन के सौदे में दिए जाने वाले पैसों में से कुछ चेक के द्वारा और और बाकी नकद देकर रजिस्ट्री करवा ली जाती थी। वे दिन गए 20 करोड़ रुपये की जमीन को कागज पर 2 करोड़ रुपये में बेचा दिखाया जाता था। अब जमाना बदल गया है और हर शहर में सर्किल रेट फिक्स हैं। दूसरी बात ये कि स्टांप पेपर, कोर्ट फीस के साथ-साथ पूरी पेमेंट आजकल या तो ऑनलाइन होती है या फिर चेक से होती है, और इसमें कैश स्वीकार नहीं किया जाता।

समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा लगाया गया ‘घोटाले’ का आरोप अर्धसत्य पर आधारित हैं। जमीन की कीमत 5 मिनट में नहीं बल्कि 10 साल में बढ़ी है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खिलाफ ‘घोटाले’ का आरोप टिकने वाला नहीं है। चूंकि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए राम मंदिर निश्चित रूप से प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक होने जा रहा है। ट्रस्ट के सचिव चम्पत राय पर लगाए जा रहे ‘घोटाले’ के आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. चम्पत राय का पूरा जीवन त्याग और तपस्या की मिसाल है, वह राम जन्मभूमि के लिए समर्पित रहे हैं और एक अच्छे चरित्र के धनी हैं। कोई नहीं मानेगा कि वह कभी एक पैसे की भी हेराफेरी कर सकते हैं। चम्पत राय तो कहते हैं कि ‘मैं अपनी आखिरी सांस तक भगवान राम के लिए काम करूंगा, चाहे जो हो जाए।’ उत्तर प्रदेश में चुनावी बुखार तेजी से बढ़ता जा रहा है तो ऐसे आरोप कई बार लगेंगे, बार-बार लगेंगे, और इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता।

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