Rajat Sharma

24 घंटे मे 10 हत्याएं : क्या बिहार में जंगल राज लौट आया ?

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.49 PMबिहार में कानून और व्यवस्था की स्थिति बहुत गंभीर है. पिछले चौबीस घंटे में बिहार में दस हत्याएं हुई. पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जला दिया गया. नालंदा में दो लोगों को गोली मार दी गई. मुजफ्फरपुर में एक सरकारी कर्मचारी की उसकी पत्नी और बेटे के सामने चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई. पटना में एक प्राइवेट स्कूल के मालिक को गोली मार दी गई.

मोतिहारी में मुहर्रम के जुलूस के दौरान एक हिन्दू नौजवान को तलवार से काट दिया गया. बिहार की पुलिस बेबस है और जनता हैरान, परेशान है. ये कोई एक दिन की बात नहीं है. दो दिन पहले पटना में प्रसिद्ध व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या कर दी गई. सभी मामलों में बिहार पुलिस का रटा-रटाया जवाब है कि जांच की जा रही है, अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा. लेकिन अपराधियों का हौसला बढ़ता जा रहा है, पुलिस का रवैया ढीला-ढाला है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गायब हैं, खामोश हैं.

NDA के सहयोगी चिराग पासवान ने भी बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर सत्ता के लालच में अपराधियों से हाथ मिलाने का इल्जाम लगाया. कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार की निष्क्रियता पर प्रश्नचिन्ह लगाया. JDU और बीजेपी के नेता पूरी तरह बचाव मुद्रा में हैं. उनका कहना है कि जंगलराज वालों को कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं हैं.

मुहर्रम के जुलूस के दौरान कटिहार और मोतीहारी के अलावा भागलपुर, अररिया, दरभंगा और समस्तीपुर में भी दंगे हुए. पूरे बिहार में 24 घंटे के दौरान दस लोगों की हत्या कर दी गई. उससे इतना तो साफ है कि बिहार में माफिया बेखौफ है, अपराधियों में पुलिस का कोई डर नहीं है. 24 घंटे में 10 मर्डर हो गए पर मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं और जब मुख्यमंत्री ही सक्रिय नहीं हैं तो पुलिस से कार्रवाई की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

बिहार में हर हत्या का पुलिस के पास एक ही जवाब है, जांच चल रही है. अब बिहार में लोग कह रहे हैं कि अगर यहां योगी आदित्यनाथ होते तो अब तक गाड़ियां पलट चुकी होती, कुछ हत्यारे ज़मीन के नीचे और कुछ ऊपर जा चुके होते. बिहार के लोग अपराधियों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई चाहते हैं.

अगर नीतीश कुमार खुद कुछ नहीं कर सकते तो उन्हें गृह विभाग की कमान किसी सक्रिय मंत्री के हाथ में सौंप देनी चाहिए. ये कहने से काम नहीं चलेगा कि जंगलराज वालों को कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने का हक नहीं है. बिहार की जनता को चैन से रहने का हक है और ये हक उन्हें मिलना ही चाहिए.

मराठी पर मारपीट: क्या ये BMC चुनाव के लिए है ?

मंगलवार को महराष्ट्र के मीरा-भयंदर में पुलिस ने सौ से अधिक MNS समर्थकों को जुलूस निकालने पर गिरफ्तार कर लिया. ये लोग एक हिन्दू भाषी फूडस्टॉल दुकानदार की पिटाई के विरोध में व्यापारियों के प्रदर्शन के जवाब में जुलूस निकालना चाहते थे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि MNS समर्थकों को रैली की अनुमति दी गई थी लेकिन वे एक खास इलाके से होकर जुलूस निकालना चाहते थे, जिसी इजाज़त नहीं दी गई. फडणवीस ने कहा कि अगर पुलिस अनुमति देती, तो कानून और व्यवस्था को चुनौती पैदा हो सकती थी.

ठाणे जिले का मराठी-हिन्दी विवाद अब महाराष्ट्र से बाहर निकल गया है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आशीष शेलार के बयानों पर खूब सियासत हुई. आशीष शेलार ने मराठी के नाम पर हिंसा करने वालों की तुलना पहलगाम के आतंकवादियों से की जबकि निशिकांत दुबे ने कहा कि घर में तो कुत्ता भी शेर होता है, जो लोग मराठी के नाम पर हिन्दी भाषियों के साथ मारपीट कर रहे हैं, वे महाराष्ट्र से बाहर आकर दिखाएं, उनका ढ़ंग से इलाज किया जाएगा. निशिकांत दुबे ने कहा कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियों के लोग उत्तर भारतीयों को मराठी बोलने पर मजबूर कर रहे हैं, ये गलत है, अगर उद्धव में हिम्मत है तो माहिम की दरगाह के सामने किसी हिन्दी या उर्दू बोलने वाले को पीट कर दिखाएं.

शऱद पवार की NCP के MLA जितेन्द्र आव्हाड ने कहा कि बीजेपी सिर्फ BMC के चुनाव जीतने के लिए एक राज्य के लोगों को दूसरे राज्य के लोगों से लड़वाना चाहती है लेकिन बीजेपी की ये साजिश कामयाब नही होगी.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि निशिकांत दुबे को गंभीरता से लेने की कोई जरूरत नहीं है, वह तो लकड़बग्घा है जो जबरन विवाद को तूल दे रहा है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि आशीष शेलार ने मराठी लोगो की तुलना आतंकवादियों से की, ये मराठी मानुस का अपमान है. उद्धव ने कहा कि असल में हिन्दी से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, वह खुद हिन्दी बोलते हैं, उनका विरोध तो प्राइमरी स्कूल के बच्चों पर जबरन हिन्दी थोपने को लेकर है.

ये कोई पहला मौका नहीं है जब मुंबई में उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट की गई हो. ये कोई रहस्य नहीं है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे मराठी-हिंदी विवाद वोटों के चक्कर में कर रहे हैं. ये भी साफ है कि दोनों भाई अपनी गिरती, बिखरती पार्टियों को संभालने के लिए साथ आए हैं. जो लोग महाराष्ट्र में वोटों के लिए गाली गलौज और मारपीट करवा रहे हैं, उन्हें ये कहने का कोई हक नहीं है कि निशिकांत बिहार के चुनाव की वजह से बयानबाजी कर रहे हैं.

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