Rajat Sharma

क्या भारत में तानाशाही है ? राहुल गांधी से फिर पूछें

अगर मोदी ने चुनावों में धांधली की तो फिर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी और बंगाल में टीएमसी कैसे जीती ?

rajat-sirकांग्रेस और बीजेपी के बीच शुक्रवार को जबरदस्त घमासान देखने को मिला। कांग्रेस के नेता महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ काले कपड़े पहनकर सड़कों पर उतरे। कांग्रेस ने इस विरोध प्रदर्शन का ड्रेस कोड ब्लैक रखा था। इसलिए सभी नेताओं से काले कपड़े पहनकर आने को कहा गया था। सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका भी काले कपड़े पहनकर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। पार्टी के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तो काली लुंगी और काला साफा बांधकर आए थे।

सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी सांसदों को संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च करना था लेकिन पुलिस ने उन्हें विजय चौक के पास रोक दिया। यहां कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया गया और किंग्सवे कैंप पुलिस लाइंस ले जाया गया। शाम में पुलिस ने इन नेताओं को छोड़ दिया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप की आगुवाई पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी कर रहीं थी। इस ग्रुप को अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय से पीएम आवास लोक कल्याण मार्ग की ओर मार्च करना था लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया और हिरासत में ले लिया। इस बीच प्रियंका गांधी आगे बढ़ीं और वो बैरीकेड्स को क्रॉस करने लगीं। पुलिस की तमाम मिन्नतों के बाद भी प्रियंका ने बैरीकेड्स को पार कर लिया और उसके बाद वह सड़क पर बैठ गईं। जब बातचीत से काम नहीं चला तो पुलिस ने प्रियंका गांधी को दूसरे कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरह उठाकर जबरदस्ती पुलिस की गाड़ी में बैठाया। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि उनके कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस ने धक्कामुक्की और मारपीट की। वहीं दिल्ली पुलिस का कहना था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की जिससे वे जख्मी हो गए।

विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से पहले राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज हिंदुस्तान में लोकतंत्र की मौत हो रही है। पिछले 70 वर्षों में जिस लोकतंत्र की इमारत एक-एक ईंट रखकर खड़ी की गई थी उसे ध्वस्त किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को उन सरकारी एजेंसियों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है जिस पर बीजेपी और आरएसएस का कंट्रोल है।

राहुल गांधी ने कहा कि पूरा भारत इस बात को जानता है कि जो कोई भी विरोध में आवाज उठाता है उसे सरकार प्रताड़ित करती है। उसे गिरफ्तार जा रहा है, जेल में डाल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिटलर भी चुनाव जीतता था। क्योंकि उसने सभी संस्थानों पर कब्जा कर रखा था। राहुल गांधी ने मीडिया से कहा,’आप मुझे सारी संस्थाएं दे दीजिए, फिर बताउंगा कि चुनाव कैसे जीतते हैं।’

प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत समेत कई नेता सिलेंडर के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। एक तरफ नेता गैस सिलेंडर लेकर चल रहे थे तो दूसरी तरफ 24 अकबर रोड के सामने कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने सड़क पर ईंट के चूल्हे बना दिए और वहां खाना बनाना शुरू कर दिया। कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि गैस के दाम इतने बढ़ा दिए कि लोगों को मजबूरी में फिर चूल्हे पर खाना बनाना पड़ रहा है। सब्जियां और तेल इतना मंहगा है कि अब सब्जी पानी में पकानी पड़ रही है।

बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा- ‘पूरा देश जानता है कि 1975 में इमरजेंसी के दौरान तानाशाही किसने थोपी थी।’संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, ‘राहुल गांधी को खुद अपनी पार्टी को देखना चाहिए जो एक परिवार की संपत्ति बनकर रह गई है।’

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, राहुल शायद भूल गए कि इमरजेंसी के दौरान पत्रकारों और संपादकों को सलाखों के पीछे उनकी दादी इंदिरा गांधी ने डाला था। उन्होंने कहा-‘कांग्रेस अब आम जनता का समर्थन खो चुकी है, लोगों ने कांग्रेस को वोट देना बंद कर दिया है, इसलिए राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि अब लोकतंत्र का अंत हो गया है।’ केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘यह कांग्रेस ही थी जिसने अपने 60 साल लंबे शासन के दौरान सभी संस्थानों पर कब्जा कर रखा था।’

मोदी सरकार के खिलाफ राहुल गांधी की शुक्रवार को की गई टिप्पणी से उनके दृष्टिकोण का पता चलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिटलर भी चुनाव जीतता था, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि मोदी के आठ साल के शासन में पंचायतों से लेकर संसद तक के चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे हैं, हालांकि अधिकांश चुनावों में कांग्रेस हार गई। क्या यह कहना उचित है कि अगर कांग्रेस चुनाव जीतने में विफल रहती है तो तानाशाही है?

देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार के वक्त ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए और वहां कांग्रेस की सरकार बनी। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने सरकार बनाई। दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार दो-दो बार बनी। पंजाब में कांग्रेस की हार हुई और आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई। क्या ये सारे चुनाव लोकतान्त्रिक तरीके से नहीं हुए? अपनी पार्टी की हार होने पर देश में तानाशाही की बात कहना, लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ परंपरा नहीं है।

राहुल की जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा चौंकाया वो थी जब उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए क्या-क्या चाहिए। इस तरह की टिप्पणी को किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता। तीसरी बात उन्होंने ये कही कि आरएसएस के लोग सब जगह बैठे हैं। ऐसी बातों का ना तो कोई प्रमाण है और ना इसमें कोई सच्चाई। ऐसी बातों से ही राहुल गांधी की विश्वसनीयता कम होती है, लोगों का उनपर भरोसा कम होता है। राहुल गांधी ने जो बातें कहीं वो राजनीतिक हमले नहीं थे। उनमें मोदी के प्रति व्यक्तिगत नफरत दिख रही थी।

लेकिन शुक्रवार शाम को अमित शाह और सीएम योगी ने कांग्रेस को जो सियासी जवाब दिया, उसका जबाव देना कांग्रेस को मुश्किल दिख रहा है। कांग्रेस के सभी नेताओं को मालूम था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम 5 अगस्त को शुरू हुआ था उसके बाद भी 5 अगस्त को काले कपड़े पहन कर पूरे देश में प्रदर्शन का फैसला राहुल गांधी ने क्यों किया ? अमित शाह ने इसी बात को पकड़ लिया। उन्होंने कहा-‘कांग्रेस ने जानबूझकर 5 अगस्त का दिन प्रदर्शन के लिए चुना, काले कपड़े पहने और ये दिखाने की कोशिश की कि कांग्रेस अब भी राम मंदिर के खिलाफ है। अमित शाह ने कहा कि तुष्टिकरण के चक्कर में कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा हुई है, फिर भी कांग्रेस सबक सीखने को तैयार नहीं है। ईडी की छापेमारी और महंगाई तो महज बहाना था, कांग्रेस का असली दर्द राम मंदिर निर्माण को लेकर है।’

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘5 अगस्त हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है क्योंकि इस दिन राम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हुआ था।’ योगी ने कहा, ‘इस दिन काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन भगवान राम के सभी भक्तों और मंदिर के पक्ष में अपना फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।’अब कांग्रेस अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की गुगली में फंस कर रह गई।

ले-देकर कांग्रेस की तरफ से पवन खेड़ा ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा-‘कांग्रेस ने सवाल महंगाई, GST, बेरोज़गारी पर पूछे और बीजेपी ने जवाब में फिर वही मंदिर-मस्जिद कर दिया। लगता है जनता के सवाल साहिब के पाठ्यक्रम से बाहर के हैं।’ लेकिन अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस से राम मंदिर को लेकर जो सवाल पूछे उसका जवाब तो कांग्रेस को देना होगा।

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