अमेरिका ने ईरान के ऐटमी ठिकानों पर बम बरसाए तो पाकिस्तान को भारी शर्मिंदगी हुई है. जिस तरह राष्ट्रपति ट्रंप ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को अपना नमक खिलाकर पाकिस्तान को पप्पू बनाया, उसको लेकर पाकिस्तान में आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की खूब फ़ज़ीहत हो रही है. इस्लामाबाद, पेशावर, कराची में प्रोटेस्ट हो रहे हैं. इसके बाद दबाव में आकर पाकिस्तान सरकार को ईरान पर अमेरिकी बमबारी की आलोचना करनी पड़ी. लेकिन पाकिस्तान की आवाम पूछ रही है कि शहबाज शरीफ की सरकार ने आसिम मुनीर के कहने पर ट्रंप को शान्ति का नोबल प्राइस देने की जो सिफारिश की है, उसका क्या होगा? क्या पाकिस्तान सरकार उसे वापस लेगी? इसका पाकिस्तान की हुकूमत के पास कोई जवाब नहीं हैं.
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से आवाम किस हद तक ख़फा है, उसका सबूत है काराची की सड़कों पर उतरा जनसैलाब. इस भीड़ में शिया भी थे और सुन्नी भी. इनका गुस्सा दो बातों पर है. पहला, कि जब इज़रायल ने ईरान पर हमला किया तो पाकिस्तानी हुकूमत ने ईरान की मदद क्यों नहीं की? अमेरिका के दबाव में आकर पाकिस्तान ने एक इस्लामी मुल्क को मुसीबत के वक्त तन्हा क्यों छोड़ दिया?
लोगों का कहना था कि आसिम मुनीर तो दावा करते है कि पाकिस्तान का जनम कलमा की बुनियाद पर हुआ, फिर वो इस्लामी मुल्क ईरान के साथ खड़े होने के बजाए अमेरिका की चापलूसी में क्यों लग गए?
पाकिस्तानी आवाम का कहना है कि आसिम मुनीर अपने फायदे के चक्कर में ट्रंप की चाल में फंस गए, ट्रंप को शान्ति का दूत बताने लगे. शहबाज शरीफ की हुकूमत से ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए फॉरवर्ड करवाया. और चौबीस घंटों के भीतर ट्रंप ने असली रंग दिखा दिया. ईरान पर बम बरसा दिए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आज तमाम मुस्लिम मुल्क पाकिस्तान पर हंस रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ऐसा इकलौता मुस्लिम देश है, जिसने ग़ाज़ा और ईरान पर हमले कर रहे इज़रायल के समर्थक ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है.
कई दिन से गाना गाया जा रहा था, देखो कैसे अमेरिका पाकिस्तान को समर्थन करने लगा. मोदी के दावे पर सवाल उठाया गया कि ट्रंप उनके दोस्त हैं. क्योंकि ट्रंप ने तो आसिम मुनीर को गोद में बैठा लिया. Impresion ये दिया गया कि ट्रंप भारत को बार-बार परेशान कर रहे हैं और पाकिस्तान को गले लगा रहे हैं.
अब पता चला कि ट्रंप ने असल में आसिम मुनीर को बंदर बनाया. पाकिस्तान को लगा कि ट्रंप तो हमारे अब्बा जान हैं, मालिक हैं. शनिवार को पाकिस्तान ने ट्रंप को खुश करने के लिए Nobel Peace Prize के लिए Recommend किया और रविवार को जब ट्रंप ने ईरान पर सबसे भयानक बम बरसाए, तो पाकिस्तान कहने लगा, तौबा-तौबा, ये तो धोखा हो गया, Peace Maker को पाकिस्तान Barbaric कहने लगा. जिसे शांति के मसीहा कहा, उसे 24 घंटे में मौत का सौदागर कह दिया.
अगर आसिम मुनीर को ये लगता था कि ट्रंप कनाडा में जी-7 बैठक छोड़कर उन्हें White House में लंच कराने के लिए आए हैं, तो उनसे बड़ा मूर्ख कोई हो नहीं सकता. अगर मुनीर को ये समझ नहीं आया कि ट्रंप ईरान पर हमला करने से पहले पाकिस्तान का मुंह बंद करना चाहते थे, तो मुनीर की समझ पर सवाल उठना लाजिमी है.
‘आप की अदालत’ में असदुद्दीन ओवैसी ने ठीक कहा था कि ट्रंप मुनीर को नाच नचाएंगे और मुनीर नाचेंगे. और मुनीर के चक्कर में पूरे पाकिस्तान को नाचना पड़ा पड़ा. जो डिप्लोमेसी के चैंपियन बनते थे, उनकी हवा निकल गई. अमेरिका ने पाकिस्तान के air space का इस्तेमाल किया. ईरान से लगने वाली पाकिस्तान की 1000 किलोमीटर लंबी सरहद का इस्तेमाल किया और आसिम मुनीर को यतीम की तरह छोड़ दिया. अब सब कह रहे हैं कि मोदी ने ठीक किया. ट्रंप को फोन पर अपनी बात बताई और White House जाने से इनकार कर दिया.
अमेरिका की बाज़ी : पासा ठीक नहीं पड़ा तो मुसीबत होगी
सोमवार का पूरा दिन नाटकीय उतार-चढ़ाव वाला रहा. ईरान के ऐटमी ठिकानों पर अमेरिकी बमबारी के बाद ईरान ने क़तर और इराक़ में अमेरिकी सैनिक ठिकानों पर मिसाइलें दागी. इसके कुछ ही घंटे बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि ईरान और ईज़रायल के बीच युद्धविराम लागू होगा. ये तीन चरणों में होगा. लेकिन इस ऐलान के कुछ ही घंटों बाद मंगलवार को युद्धविराम तोड़े जाने की खबरें आई. ईरान ने इज़रायल के शहरों पर मिसाइलें दागी और जवाब में इज़रायल ने भी ईरान पर हमले किए.
ट्रम्प ने ऐलान किया था कि ईरान पहले युद्धविराम शुरु करेगा और उसके 12 घंटे के भीतर इज़रायल युद्धविराम लागू कर देगा. 24 घंटे के अंदर 12-दिन से चलने वाली जंग पर पूर्ण विराम लग जाएगा. सोमवार को अमेरिकी सैनिक अड्डों पर ईरान मिसाइल दागे जाने के बाद क़तर, बहरीन और कुवैत ने अपनी वायुसीमा बंद कर दीं जिसके कारण दुनिया भर की एयरलाइन्स को अपनी उड़ानें रद्द करना पड़ी.
ट्रंप ने ईरान पर बमबारी करके अपने जीवन का सबसे बड़ा दांव चला है. अगर ट्रंप का दांव सही पड़ा तो ये अमेरिका की विदेश नीति की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. ईरान की परमाणु धमकी खत्म हो जाएगी, ट्रम्प हीरो बन जाएँगे. अगर दांव उल्टा पड़ा, तो पूरे मध्य पूर्व में आग लग जाएगी और ट्रम्प फंस जाएँगे.
ट्रंप ने चुनाव ये कहकर जीता था कि अमेरिका को दूसरे की लड़ाई में हाथ नहीं डालना चाहिए, इसलिए ट्रंप की समस्या ये नहीं है कि उन्हें दुनिया के कई देशों ने ईरान पर बम बरसाने के लिए आलोचना की. ट्रंप की समस्या ये है कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की तो अमेरिका मध्य पूर्व की लड़ाई में उलझ जाएगा और आमतौर पर ऐसी जंग जल्दी खत्म नहीं होती. ट्रंप को इसका जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.
ईरान खाड़ी में अमेरिकी सेना को निशाना बनाएगा. हमास और हिजबुल्लाह अभी खत्म नहीं हुए हैं. चीन क्या चाल चलेगा ये कोई नहीं कह सकता. इसलिए आने वाले दिनों में ट्रंप को एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा.