Rajat Sharma

पंजाब पुलिस ने कैसे पूरी सांठगांठ के साथ पीएम के काफिले को रुकवाया

akb full_frame_74900राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और पीएम की सुरक्षा में सेंध पर चिंता जताई। वहीं, भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पंजाब के फ्लाईओवर पर हुई घटना को लेकर नाराजगी व्यक्त की। कैबिनेट की बैठक में केंद्रीय मंत्रियों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की, लेकिन कांग्रेस के नेता इन सबसे बेपरवाह रहे। उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा में कोई गंभीर चूक नहीं हुई थी और आरोप लगाया कि बीजेपी एक छोटी सी घटना को लेकर स्वांग रच रही है। इतना सब होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शाम को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को फोन किया और इस गंभीर लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने का निर्देश दिया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक अलग ही राह पकड़ ली। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी पंजाब में लोकप्रियता खो रही है और नाटक कर रही है। खड़गे ने कहा, पीएम की सुरक्षा में एसपीजी, इंटेलिजेंस ब्यूरो और अन्य केंद्रीय एजेंसियां लगी रहती हैं। उन्होंने पूछा कि इन एजेंसियों के कामकाज पर सवाल क्यों नहीं उठाया जा रहा है। खड़गे ने कहा, ‘पंजाब पुलिस में से किसी ने भी प्रधानमंत्री को सड़क के रास्ते जाने की सलाह नहीं दी थी।’

खड़गे जैसे अनुभवी राजनेता को पता होना चाहिए कि एसपीजी केवल क्लोज प्रॉक्सिमिटी में प्रधानमंत्री की हिफाजत करती है, और राज्य पुलिस के साथ क्लोज कोऑर्डिनेशन जरूरी होता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो यहां तक कह दिया कि ‘यह सब स्क्रिप्टेड है और सुरक्षा में चूक का बहाना बनाया जा रहा है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अपनी राजनीति चमकाने के लिए पंजाब गए थे। बघेल ने पूछा, ‘अगर पीएम की जान को खतरा था, तो केंद्रीय एजेंसियां क्या कर रही थीं?’

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने अतीत में अपने दो-दो प्रधानमंत्रियों को हमलों में खोया है, और वह इस तरह की गलती कर ही नहीं सकती। यह बात सही है कि इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षको ने गोली मार दी थी और अपनी बहू सोनिया गांधी की गोद में उनकी जान चली गई थी। वहीं, राजीव गांधी एक बम धमाके का शिकार हुए थे। दोनों बार सुरक्षा में गंभीर चूक हुई थी। सुरक्षा में हुई इन चूकों की कांग्रेस ने भारी कीमत चुकाई। इसलिए मुझे इस बात पर बेहद हैरानी हुई कि कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने पंजाब में हुई घटना को मजाक में उड़ाने की कोशिश की। गहलोत ने कहा, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या कलंक है।

क्या उनके कहने का मतलब यह है कि कांग्रेस नेताओं की जान कीमती है और दूसरी पार्टियों के नेताओं की जान की कोई कीमत नहीं? क्या प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में सेंध कोई कलंक नहीं है? क्या यह गंभीर चूक पंजाब की कांग्रेस सरकार के लिए शर्म की बात नहीं है? कांग्रेस नेता कैसे भूल सकते हैं कि इंदिरा की हत्या के बाद स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) का गठन हुआ, संसद के जरिए कानून बना, एक ब्लू बुक तैयार की गई जिसमें पीएम को प्रदान की गई सुरक्षा का पूरा विवरण दिया गया? क्या यह विरोधाभास नहीं है कि एक तरफ सोनिया गांधी लापरवाही बता रही हैं, जबकि उनकी पार्टी के दूसरे नेता दावा कर रहे हैं कि सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई थी?

गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि जब प्रधानमंत्री का काफिला फ्लाईओवर पर पहुंचा तो स्थानीय पुलिस ने जानबूझकर किस हद तक लापरवाही की। पीएम के रास्ते में ट्रैक्टर और ट्रॉली अचानक नहीं आए बल्कि इन्हें जानबूझकर वहां लाया गया था। प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने के लिए पहले से तैयारी की गई थी। 20 मिनट के इंतजार के बाद जब पीएम का काफिला यू-टर्न लेकर वापस लौटा तो स्थानीय नेता प्रदर्शनकारियों को शाबाशी देते हुए दिखाई दिए।

मेरे पास पंजाब पुलिस के अडिशनल डीजीपी की 2 चिट्ठियां और 5 ऐसे वीडियो हैं जो साफ कर देंगे कि स्थानीय पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच मिलीभगत थी। पीएम का काफिला जब फ्लाईओवर पर पहुंचा तो ट्रैक्टर और ट्रॉलियों पर खड़े प्रदर्शनकारी माइक पर चिल्ला रहे थे कि पुलिस लाठी चलाए, गोली चलाए, कुछ भी करे, वे रास्ते से नहीं हटेंगे। साफ है कि पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक एक साजिश का हिस्सा थी।

पंजाब के ADGP और अन्य सीनियर पुलिस अफसरों की कुछ चिट्ठियां सामने आईं हैं जिन्हें आपस में जोड़कर देखने पर साफ पता चलता है कि पंजाब पुलिस को पीएम के बठिंडा से फिरोजपुर सड़क मार्ग से जाने की संभावना के बारे में पता था। पहले से सूचना होने के बावजूद पंजाब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पीएम के रास्ते से हटाने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर फंसा हुआ है, और फ्लाइओवर के नीचे सैकड़ों बसों और ट्रैक्टरों पर प्रदर्शनकारी सवार हैं। कुछ प्रदर्शनकारी माइक पर दूसरों को उकसा रहे थे, जबकि कुछ लाठी और डंडों से लैस थे। वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि पास में खड़ी स्थानीय पुलिस प्रदर्शनकारियों को चुपचाप देख रही है। प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि फिरोजपुर में बीजेपी की रैली को कैंसिल कराना है।

एक अन्य वीडियो में प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ दिखाई दे रही है। प्रदर्शनकारियों में से कई बसों और ट्रैक्टरों के ऊपर खड़े हैं, जबकि स्थानीय पुलिस उन्हें हटाने की कोशिश करती नजर आ रही है। साफ है कि भीड़ नियंत्रण में नहीं थी। पीएम की सुरक्षा की दृष्टि से यह खतरनाक स्थिति थी। 15 से 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद जब पीएम के काफिले ने यू-टर्न लिया तो प्रदर्शनकारी खुशी से झूम उठे। उन्होंने अपनी ‘जीत’ का जश्न मनाया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के सभी झूठे दावों की बीकेयू (क्रांतिकारी) के प्रमुख सुरजीत सिंह फूल ने हवा निकाल दी। फूल ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों को पहले से पता ही नहीं था कि पीएम का काफिला वहां से गुजरेगा। फूल ने कहा, ‘हमें स्थानीय पुलिस ने पीएम के आने की जानकारी दी थी।’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को शुरू में एसएसपी की बात पर यकीन नहीं हुआ, क्योंकि सड़क के दूसरी तरफ ट्रैफिक सामान्य तरीके से चल रहा था।

अब यह साफ है कि फिरोजपुर के एसएसपी ने ही प्रदर्शनकारियों को पीएम के काफिले के आने की बात बताई थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर इस रास्ते पर एक दिन पहले रिहर्सल किया गया था, तो इसे प्रदर्शनकारियों से खाली क्यों नहीं करवाया गया? प्रदर्शनकारियों को फ्लाईओवर पर आने और ट्रैफिक को रोकने की इजाजत किसने दी? फ्लाईओवर के पास सैकड़ों प्रदर्शनकारी थे, हाईवे लंगर चल रहा था। प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी चाय की चुस्कियां ले रहे थे और पीएम के काफिले के आने का इंतजार कर रहे थे। ये सब एक या दो घंटे में तो नहीं हो सकता। आप सुनकर हैरान हो जाएंगे कि प्रदर्शकारियों को रोड पर पंजाब पुलिस ने ही बैठाया था, और ये बात हम नहीं कह रहे, रोड जाम करने वाले संगठन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने खुद कही है। फूल ने खुलासा किया कि प्रदर्शनकारी विरोध प्रदर्शन करने के लिए डीसी के दफ्तर जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें फ्लाईओवर के पास रोक लिया। उस दिन पंजाब में 10 से 12 किसान संगठनों ने जिला और तहसील मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। स्थानीय पुलिस ने ही प्रदर्शनकारियों को डीसी के दफ्तर जाने से रोका था।

मेरे पास पंजाब पुलिस के ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) की एक चिट्ठी है जो सभी आईजी, डीआईजी और एसएसपी को लिखी गई थी। इसमें अंदेशा जताया गया है कि प्रदर्शनकारी फिरोजपुर में पीएम की रैली को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। सभी एसएसपी को निर्देश दिया गया कि वे प्रदर्शनकारियों की आवाजाही पर व्यक्तिगत रूप से नजर रखें और उन्हें फिरोजपुर जाने से रोकें। पत्र में कहा गया है कि चूंकि पीएम की रैली में बड़ी भीड़ होने की उम्मीद है, इसलिए एसएसपी को वीवीआईपी मूवमेंट सुचारू रूप से चलने देने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

दो या तीन बातें बिल्कुल साफ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस रास्ते पर जाने वाले थे, जो बदला हुआ रूट था, उसकी जानकारी किसान संगठनों के नेताओं को दी गई। किसान संगठनों के पास पर्याप्त समय था और वे अपने ट्रैक्टर और ट्रॉलियां लेकर रास्ता रोकने पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश नहीं की। पंजाब पुलिस के DGP ने SPG से खुद कहा कि रास्ता साफ है और इसी आधार पर प्रधानमंत्री को सड़क से हुसैनीवाला ले जाने का रूट फाइनल हुआ। इस बात के भी सबूत हैं कि प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि मोदी की रैली करने से रोकना है। ऐसे वीडियो भी मैंने आपको दिखाए हैं जिसमें पुलिसवाले प्रदर्शनकारियों के साथ बैठकर चाय पीते दिखाई दे रहे हैं। सबसे अहम बात ये है कि पंजाब पुलिस के एडीजी ने किसानों के धरने को लेकर, रोड ब्लॉक को लेकर आगाह किया था लेकिन किसी ने कोई ऐक्शन नहीं लिया।

यही वजह थी कि प्रधानमंत्री को अपनी कार में खुले फ्लाईओवर पर करीब 20 मिनट तक रुकना पड़ा। यह एक बड़ा खतरा था। सिक्योरिटी की भारी चूक थी। पंजाब एक संवेदनशील राज्य है, पाकिस्तान का बॉर्डर इससे लगता है। यहां इस तरह की गलती एक गंभीर मामला है। इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए बल्कि लापरवाही करने वाले को सजा दी जानी चाहिए।

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