Rajat Sharma

मोदी ने कैसे बचाई सूमी में फंसे करीब 700 भारतीय छात्रों की जान

akbयुद्ध से जर्जर यूक्रेन से मंगलवार को राहत की खबर आई। सूमी में फंसे करीब 700 भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इन छात्रों को रेड क्रॉस की बसों में निकाला गया। इस बसों का इंतजाम भारतीय दूतावास ने किया था। घमासान लड़ाई के बीच रूसी और यूक्रेनी सेनाओं द्वारा बनाए गए सेफ कॉरिडोर से इन बसों को रास्ता दिया गया। पोल्टोवा पहुंचने के बाद छात्रों को ट्रेन के जरिए यूक्रेन बॉर्डर तक लाया जाएगा और फिर इन्हें विमान से भारत भेजा जाएगा।

ये छात्र पिछले 13 दिन से सूमी में आसमान से बरसते गोलों और जमीन पर चल रही गोलियों के बीच फंसे थे। भीषण लड़ाई के बीच छात्र बंकरों में रहने को मजबूर थे। न बिजली थी और न पानी था। खाना भी खत्म हो चुका था। बर्फ पिघलाकर पानी के साथ बिस्किट खाकर किसी तरह से गुजारा हो रहा था और ऊपर से मिसाइल, बम और गोलों की खौफनाक आवाज़ों ने इन छात्रों को डरा दिया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बड़े स्तर पर की गई अथक कोशिशों के बाद इन छात्रों को सूमी से निकालने में कामयाबी मिली। मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात की और उनसे चन्द घंटों के लिए सीजफायर का अनुरोध किया था ताकि वहां फंसे हुए भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सेफ कॉरिडोर की व्यवस्था की जा सके।

सूमी की लोकेशन ऐसी है कि यहां से भारतीय छात्रों को बचाकर लाना बहुत बड़ी चुनौती थी। सूमी इलाका रूस की सीमा से लगता है। यहां यूक्रेन और रूस की सेना के बीच भीषण लड़ाई चल रही है। इन छात्रों को पोलैंड, हंगरी और रोमानिया के बॉर्डर्स तक सुरक्षित लाना मुश्किल काम था क्योंकि सूमी से इन तीनों देशों के बॉर्डर्स की दूरी करीब 1,200 से 1,500 किमी है। सोमवार को इन छात्रों को बंकर से बाहर आने और बसों में चढ़ने के लिए कहा गया लेकिन उस समय तक युद्धविराम लागू नहीं हुआ था और रूस- यूक्रेन की सेना की तरफ से सेफ कॉरिडोर भी नहीं बन पाया था, लिहाजा छात्रों को वापस बंकर में जाना पड़ा था।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि छात्रों को निकालने के मिशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मॉनिटर कर रहे थे। मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय छात्रों को सुरक्षित रास्ता मिले। इसके लिए मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की से बात की। सूमी में फंसे छात्रों को लेकर भारत सरकार ने हर स्तर पर काम किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी इस मामले को उठाया। इसके बाद रूस और यूक्रेन के बीच सूमी में 12 घंटे के युद्धविराम की सहमति बनी और छात्रों ने राहत की सांस ली।

अगर नरेन्द्र मोदी इसमें व्यक्तिगत रूप से दिलचस्पी न लेते, और पुतिन और जेंलेस्की से बात न करते तो यह उनके लिए ‘मिशन इंपॉसिबल’ था। भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी जिसे अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय के जरिए निपटाया गया।

यूक्रेन से अब तक कुल 18 हजार भारतीयों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। कीव से भारतीयों को बाहर निकालने में थोड़ी बहुत परेशानी हुई लेकिन खारकीव से लोगों को निकालने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि यहां लगातार रूसी मिसाइलों के हमले हो रहे थे। इसके लिए भी मोदी को पुतिन से बात करनी पड़ी थी और रूस ने खारकीव पर कुछ घंटों के लिए बमबारी रोकी। इसके बाद छात्रों को पोलैंड बॉर्डर पर लाया गया जहां से अब वे भारत लौट आए हैं।

‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत कुल 87 स्पेशल फ्लाइट्स के जरिए करीब 18 हजार छात्रों को सुरक्षित निकाला गया। इनमें 75 स्पेशल सिविलयन फ्लाइट्स जबकि भारतीय वायुसेना के 12 फ्लाइट्स शामिल रहीं। इनमें से 28 फ्लाइट हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से जबकि 21 फ्लाइट रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से आईं, जबकि 9 फ्लाइट्स मॉलडोवा के रास्ते आई हैं। मंगलवार को 410 छात्र दो स्पेशल फ्लाइट्स से देश वापस लौटे। इनमें से कई छात्रों ने रूस और यूक्रेन की सेनाओं के बीच भीषण जंग के बीच की आपबीती सुनाई, साथ ही ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत भारतीय अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों की भी तारीफ की।

यूक्रेन के डिप्टी पीएम ने कहा कि मंगलवार सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक 12 घंटे के युद्धविराम के दौरान सूमी से करीब 5 हजार नागरिकों को रेड क्रॉस के साथ एक काफिले में निकाला गया। इनमें से ज्यादातर भारतीय, चीनी, जॉर्डन और ट्यूनीशिया के नागरिक थे।

जंग का आज 14वां दिन है। कई मोर्चों पर घमासान लड़ाई हो रही है और दिन बीतने के साथ ही यह और व्यापक रूप लेता जा रहा है। रूस की सेना ने यूक्रेन के कई शहरों पर हमले किए जिसमें 400 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो गई है। बुधवार को राजधानी कीव में हवाई हमले के सायरन बजाए गए। ऐसी भी खबरें हैं कि रूस की सेना जल्द ही कीव पर अंतिम और निर्णायक हमले की योजना बना रही है।

मंगलवार की रात रूस की वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने कीव के पश्चिम में खारकीव और ज़ाइटॉमिर के आसपास के रिहायशी इलाकों पर बमबारी की। वहीं रूसी सेना ने राजधानी कीव के आसपास गोलाबारी तेज कर दी है। राजधानी कीव के सभी उपनगर बुचा, होस्टोमेल, इरपेन, विशोरोड और बोरोडियांका में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहां सड़कों पर शव लावारिस हालत में पड़े हैं। पश्चिमी यूक्रेन के लविव शहर में 2 लाख लोग बेघर हो चुके हैं। इन्हें स्पोर्ट्स हॉल, स्कूल और अन्य इमारतों में रखा गया है। वहां के मेयर को इन लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

अब तक रूसी सेना ने दक्षिणी और तटीय यूक्रेन पर कब्जा कर लिया है, लेकिन राजधानी कीव और कई अन्य शहरों के पास रूसी सेना को रोक दिया गया है। 4 लाख 30 हजार आबादी वाले शहर मोरियुपोल में भीषण लड़ाई चल रही है। सड़कों पर लावारिस लाशें पड़ी हैं। लोग बंकर, बेसमेंट और सबवे में शरण लिए हुए हैं। पानी, बिजली, फोन जैसी सुविधाएं नहीं हैं। मारियुपोल से लोगों को योजनाबद्ध तरीके से निकालने का प्रयास कामयाब नहीं पाया। दरअसल, राहत का सामान लेकर जा रहे एक यूक्रेनी काफिले पर रूसी सेना की ओर से फायरिंग हुई जिसके चलते इस अभियान को रोकना पड़ा। इस काफिले को राहत सामग्री पहुंचाने के बाद वहां फंसे हुए नागरिकों को लेकर लौटना था।

जंग के दौरान अपनी-अपनी सेनाओं का मनोबल बढ़ाने के लिए दोनों पक्ष दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने का दावा करते हैं। यूक्रेन की सेना की तरफ से भी रूस को जबरदस्त नुकसान पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। मंगलवार को यूक्रेन की तरफ से यह दावा किया गया कि उसने अबतक 12 हजार रूसी सैनिकों को मार गिराया है, रूस के 48 विमान, 80 हेलीकॉप्टर, 303 टैंक, 108 आर्टिलरी गन, 1,036 आर्म्ड कॉम्बैट वाहन, 474 जीप और 60 फ्यूल टैंक को नष्ट कर दिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की भी दिन में 2-3 बार अपना वीडियो बनाकर उसे रिलीज करते रहते हैं जिससे सेना और आम लोगों का मनोबल ऊंचा रहे। मंगलवार को उन्होंने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि न तो वो छिपे हुए हैं, न डरे हुए हैं और न ही वह यूक्रेन छोड़कर जाएंगे। ज़ेलेन्सकी ने कहा कि यह यूक्रेन की आजादी को बरकरार रखने की जंग है और इसे हर हाल में जीतना होगा।

अगर यूक्रेन की सेना के दावे सही भी हों तो भी जमीनी हकीकत यह है कि रूस की सेना दबदबा बनाए हुए है। रूस अब भी फ्रंट फुट पर है। उसने पिछले 12 दिन में यूक्रेन पर बम और मिसाइल बरसाकर उसकी कमर तोड़ दी है। मारियूपोल शहर में सभी अहम रक्षा प्रतिष्ठान, सरकारी इमारतें, तेल डिपो रूस के हवाई हमले में नष्ट हो गए हैं। यूक्रेन के ज्यादातर शहरों का यही हाल है। कीव, खार्किव, इरपिन और ओडेसा में व्यापक नुकसान हुआ है। इन शहरों की कई इमारतें अब खंडहर में बदल चुकी हैं।

पिछले दो हफ्तों में करीब 20 लाख लोगों ने यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण ली है जिनमें करीब 10 लाख बच्चे हैं। 12 लाख महिलाओं और बच्चों ने पड़ोसी देश पोलैंड में शरण ली है। हंगरी में करीब 2 लाख और स्लोवाकिया में 1.5 लाख शरणार्थी हैं। रोमानिया में 85,000 से ज्यादा और मोल्डोवा में करीब 83,000 शरणार्थी हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में यह सबसे बड़ा मानवीय संकट है।

मंगलवार की रात ‘आज की बात’ में हमने यूक्रेन के एक बच्चे का वीडियो दिखाया। इस वीडियो में एक बच्चा फटा कोट पहने रोते हुए जा रहा है। वह एक थैला अपने हाथ में लिए हुए है जिसमें खिलौना है और दूसरे हाथ में कुछ खाने की चीज है और आंखों में आंसू..। लाखों लोगों की तरह यह बच्चा भी युद्ध की मार से बचने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तरफ जा रहा है। इसे नहीं पता कि युद्ध क्यों हो रहा है। इसे नहीं पता कि युद्ध कब खत्म होगा। बस इतना पता है कि उससे अपना घर छूट गया है और वह लगातार रोता जा रहा है। कौन ऐसा शख्स होगा जिसकी आंखें इस दृश्य को देखकर नम नहीं हो जाएंगी।

इस युद्ध की सबसे ज्यादा मार बच्चों पर ही पड़ी है। ऐसा ही एक वीडियो यूक्रेन की 10 साल की लड़की अन्नामरिया मास्लोवस्का का है। जो अब बेघर हो चुकी है और यूक्रेन की सीमा से लगे हंगरी के जाहोनी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रही है। लेकिन यह लड़की भाग्यशाली है कि उसका परिवार उसके साथ है। वीडियो में वह बताती कि कैसे वह अपने घर और अपने दोस्तों को याद करती है। उसने बताया कि उसके पास बहुत से खिलौने थे, घर के पास खेलने के लिए अच्छे पार्क थे, लेकिन अब सब कुछ छूट गया है।

हर युद्ध में बड़ी संख्या में लोग हताहत होते हैं लेकिन इसमें सबसे ज्यादा नुकसान युवा पीढ़ी का होता है। युवा पीढ़ी की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। यह जंग जितनी जल्दी खत्म हो, उतना ही बेहतर होगा।

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