गाजियाबाद के पास लोनी में 72 साल के एक मुसलमान बुजुर्ग की पिटाई करने और दाढ़ी काटने का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया और तरह-तरह की बातें होने लगीं। आरोप लगाया गया कि हमलावरों ने बुजुर्ग को ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम्’ बोलने के लिए मजबूर किया। स्थानीय पुलिस ने दावा किया कि बुजुर्ग की पिटाई का यह वीडियो 5 जून का है। वीडियो में कुछ लोग मुस्लिम बुजुर्ग को लाठियों से पीटते और लात मारते दिखाई देते हैं। एक आरोपी बुजुर्ग को लात मारकर गिराता है, जिसके बाद एक दूसरा शख्स कैंची लेकर उनकी दाढ़ी काट देता है।
यह वीडियो घटना के 10 दिन बाद मंगलवार को ट्विटर पर सामने आया। वीडियो पोस्ट करने वालों ने आरोप लगाया कि कुछ हिंदुओं ने गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर से बुजुर्ग मुसलमान को पकड़कर पीटा और उनकी दाढ़ी काट दी। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि बुजुर्ग को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया। हमारे रिपोर्टर पवन नारा ने गाजियाबाद पुलिस के सीनियर अफसरों से बात की तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
जिन बुजुर्ग शख्स के साथ मारपीट हुई उनका नाम अब्दुल समद सैफी है। वह बुलंदशहर जिले के अनूपशहर के रहने वाले हैं। बुजुर्ग का कहना है कि वह दिल्ली-यूपी लोनी बॉर्डर आए थे, और वहीं से उन्हें ऑटो में किडनैप कर लिया गया। उनको किडनैप करने वाले लोग उन्हें नहर के रास्ते जंगल में ले गए, जहां एक कमरे में बंद करके उनको पीटा गया, लात मारी गई और उनकी दाढ़ी काट दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ बुलवाने की कोशिश की गई। बुजुर्ग ने अपनी पीठ पर मारपीट के निशान भी दिखाए। जब वह सारी घटना के बारे में बता रहे थे तो उनकी आंखों में आंसू थे।
गाजियाबाद पुलिस ने तुरंत इस घटना का संज्ञान लिया और बुजुर्ग की ओर से FIR के बाद मामले की जांच शुरू की। पहले वीडियो को वेरीफाई किया और फिर उसमें नजर आए आरोपियों की धरपकड़ शुरू की। पुलिस ने मारपीट के मुख्य आरोपी परवेश गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया, जिसने अपने साथियों आरिफ, आदिल, मुशाहिद, कल्लू और पोली का नाम लिया। इनमें से आदिल और कल्लू को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, सारा मामला 5 जून 2021 का है और बुजुर्ग ने 2 दिन बाद 7 जून को FIR दर्ज कराई। हालांकि बुजुर्ग ने कहा था कि वह हमलावरों को नहीं जानते हैं, पुलिस का कहना है कि यह बात सही नहीं है। अब्दुल समद सैफी पहले से ही इन आरोपियों को जानते थे और परवेश गुर्जर के कहने पर ही अनूपशहर से लोनी बॉर्डर पर उसके गांव आए थे।
गाजियाबाद ग्रामीण के एसपी ने बताया कि अब्दुल समद सैफी ताबीज बनाकर बेचते थे। उन्होंने अपने ताबीज परवेश गुर्जर और कुछ अन्य गांववालों को बेचे थे। परवेश के परिवार को लगता था कि जादू-टोना वाले ताबीज से परिवार को नुकसान पहुंच रहा है। पुलिस के मुताबिक, परवेश और उसके दोस्तों ने तब अब्दुल समद को सबक सिखाने का फैसला किया और उनको किडनैप कर लिया। पुलिस ने इस घटना को लेकर किसी भी तरह के कम्युनल ऐंगल से इनकार किया और कहा कि यह एक क्रिमिनल केस है।
आरोपियों ने जिस तरह का सलूक बुजुर्ग के साथ किया, उसे जायज नहीं ठहराया जा सकता। किसी भी सभ्य समाज में इस तरह के अपराध की इजाजत नहीं है। मुख्य आरोपी परवेश गुर्जर और अब्दुल समद एक दूसरे को जानते थे, और इसमें कोई कम्युनल ऐंगल नहीं था। अब्दुल समद ने कहा कि उन्हें ‘जय श्री राम’ कहने के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन कहानी में यह ऐंगल आखिर जुड़ा कैसे? हमारे रिपोर्टर को घटना के 2 दिन बाद 7 जून को अब्दुल समद का एक और वीडियो मिला जिसमें वह समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता उम्मैद पहलवान से बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं। उम्मैद पहलवान ने ही अब्दुल समद को इसमें ‘जय श्री राम’ का ऐंगल जोड़ने के लिए कहा था।
मंगलवार को, अब्दुल समद की दाढ़ी कटने का वीडियो सोशल मीडिया पर आने के तुरंत बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा: ‘दाढ़ी काटने से हम दाढ़ी खत्म नहीं करेंगे, और लंबी दाढ़ी रखेंगे।’ उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावर हिंदुत्व की विचारधारा के हैं और हिंदुवादी गुंडे मुसलमानों से जीने का हक छीन रहे हैं।
इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट की बारी थी: ‘मैं ये मानने को तैयार नहीं हूँ कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं। ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है।’
राहुल गांधी के ट्वीट का खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया: ‘प्रभु श्री राम की पहली सीख है- ‘सत्य बोलना’ जो आपने कभी जीवन में किया नहीं। शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं। सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें।’
योगी आदित्यनाथ ने बेहद सख्त बात कही है। स्थानीय एसपी ने इस वीडियो को सर्कुलेट करके सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है। वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में मंगलवार की रात पत्रकारों, ट्विटर और कांग्रेस नेताओं समेत 6 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। इस FIR में ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एक फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़, पत्रकारों राणा अय्यूब एवं सबा नकवी और कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी और शमा मोहम्मद के नाम हैं।
बुजुर्ग के बेटे तैयब ने हमारे रिपोर्टर से बुलंदशहर में स्थित अपने घर में घटना के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने कहीं यह जिक्र नहीं किया कि उनके पिता को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया था। तैय्यब ने कहा कि उनके पिता इस घटना को लेकर डिप्रेशन में चले गए हैं और वह चाहते हैं कि अपराधियों को सजा मिले और उनके पिता को इंसाफ मिले।
जिन लोगों ने बुजुर्ग को पीटा और उनकी दाढ़ी काटी, उन्हें इस अमानवीय कृत्य के लिए सजा मिलनी ही चाहिए। अब्दुल समद सैफी को इंसाफ मिलना चाहिए। पुलिस के मुताबिक, अब्दुल समद को पीटने वाले आरोपियों में 4 मुसलमान हैं, और 3 आरोपी पकड़े भी जा चुके हैं। इसलिए इस घटना को हिंदू-मुस्लिम का कम्युनल ऐंगल नहीं दिया जा सकता।
चूंकि योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं, और राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर सियासी लाभ उठाने की कोशिश की गई। कई साल पहले भी ऐसी ही कुछ घटनाएं हुई थीं। जहां तक इस घटना का सवाल है, तो एक स्थानीय सपा नेता उम्मैद पहलवान ने अब्दुल समद से यह कहलवाकर सांप्रदायिक मोड़ देने की कोशिश की कि उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया था।
अगर उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव नहीं होने होते तो यह मामला एक क्राइम स्टोरी बनकर रह जाता। इतने सारे नेता इसमें नहीं कूदते। लेकिन जब तक यूपी के चुनावों के लिए रस्साकशी जारी रहेगी, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।