Rajat Sharma

किसान नेता कैसे लाल किला हिंसा के आरोपियों को दे रहे हैं संरक्षण

akbदेश के लोकतंत्र को चुनौती देनेवाली और कानून के राज का मजाक उड़ानेवाली एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो वाकई हैरान करती है। पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर ऐसी-ऐसी हरकतें की गईं जिससे सरकार और पुलिस को सीधी चुनौती दी जा सके। अब बठिंडा में भगोड़ा गैंगस्टर लक्खा सिधाना ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक गांव मेहराज में आयोजित एक किसान रैली में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। लक्खा ने किसान नेताओं के साथ मंच शेयर किया और भाषण भी दिया। इस मोस्ट वांटेड ने कानून-पुलिस को चैलेंज किया और कहा कि दिल्ली पुलिस उसे और उसके किसी साथी को पंजाब के अंदर गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं कर सकती।

लक्खा सिधाना ने रैली में जमा हुए हजारों लोगों की भीड़ के बीच भाषण देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ खूब जहर उगला और फिर एक बाइक पर सवार होकर वहां से निकल भागा। यह गैंगस्टर खुद को एक एक्टिविस्ट(कार्यकर्ता) बताता है और दिल्ली पुलिस से छिपकर रह रहा है। दिल्ली पुलिस ने लक्खा सिधाना की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम रखा है।

दिल्ली के लालकिले पर 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद से सिधाना फरार चल रहा है। इस दिन राष्ट्रविरोधी तत्व ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर में जबरन घुस गए थे। पुलिसवालों पर हमला किया और तिरंगे की जगह दूसरा झंडा फहरा दिया था। लक्खा सिधाना ने रैली में दिए अपने भाषण में किसानों, कारोबारियों और आम लोगों से आंदोलन को और तेज करने की अपील की। उसने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

सिधाना करीब दो घंटे तक मंच पर मौजूद रहा लेकिन किसी पुलिसवाले ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की। सिधाना ने कहा कि अगर अब पंजाब के किसी शख्स को दिल्ली पुलिस पकड़ने आती है तो फिर पूरा गांव विरोध करे। सिधाना ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी चेतवानी दी और कहा-दिल्ली पुलिस के साथ पंजाब पुलिस भी दिखाई दी तो फिर इसकी जिम्मेदारी अमरिंदर सिंह की होगी। ये बात पंजाब के चीफ मिनिस्टर को समझ लेनी चाहिए। सिधाना ने अपने भाषण में कहा कि यह लड़ाई फसलों की ही नहीं हमारी नस्लों की भी है और इतिहास हमेशा टक्कर लेने वालों का लिखा जाता है। जो कौम अपने हक के लिए संघर्ष करती है और आवाज़ उठाती है, इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है।

मंगलवार को आयोजित इस रैली के हफ्ते भर पहले से बठिंडा और आसपास के इलाकों में पोस्टर लगाए जा रहे थे। पोस्टर में लोगों से अपील की गई थी कि वे इस रैली में लक्खा सिधाना को सुनने के लिए आएं। इसके बावजूद पंजाब पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम पंजाब में कई दिन से उसकी तलाश कर रही है मगर लक्खा बार-बार बच निकलता है। असल में लक्खा सिधाना पिछले कई दिनों से अपनी लोकेशन बदल रहा है। कुछ दिन पहले उसने पंजाब के एक गुरुद्वारे में छिपकर अपने भाषण को रिकॉर्ड किया और फिर इसे सर्कुलेट भी किया था।

मंगलवार को किसानों की यह रैली बठिंडा अनाज मंडी में रखी गई थी और पुलिस की टीम मंच तक नहीं पहुंचे इसके लिए आयोजकों की तरफ से पूरी प्लानिंग की गई थी। इसके लिए पूरे रास्ते को ट्रैक्टर-ट्रॉली लगाकर ब्लॉक कर दिया गया था। इसलिए लक्खा सिधाना इस रैली में बेखौफ होकर बैठा रहा।

दुख की बात ये है कि गुरनाम सिंह चढुनी और जोगिंदर सिंह उगराहां जैसे किसान आंदोलन के वरिष्ठ नेता भी लक्खा सिधाना जैसे तत्वों का समर्थन कर रहे हैं। चंडीगढ़ में किसानों की महापंचायत में गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि अगर पुलिस किसी आरोपी को पकड़ने गांव आती है तो पूरा गांव इकट्ठा होकर पुलिस का घेराव करे और उन्हें तब तक ना जाने दें जब तक पुलिसवाले आरोपी शख्स को छोड़ नहीं देते। जिस किसान पंचायत में गुरनाम सिंह चढुनी इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी कर रहे थे उसी पंचायत में किसान नेता रुलदु सिंह मानसा भी मंच पर ही बैठा नजर आया। मनसा को भी दिल्ली हिंसा मामले में पेश होने के लिए दिल्ली पुलिस ने सम्मन जारी किया है, लेकिन उसने पेश होने से मना कर दिया। इसी मंच से गुरनाम सिंह चढुनी ने रूलदू सिंह मानसा का नाम लेकर पुलिस को उसे गिरफ्तार करने की चुनौती दी। वहीं जोगिन्दर सिंह उगराहां ने धमकी देते हुए कहा कि अगर पुलिस ने मनसा को हाथ लगाया तो पंजाब में ऐसी लहरें उठेंगी, जो किसी के संभाले नहीं संभलेंगी।

मैं हैरान हूं कि 26 जनवरी को हुई घटना के बाद किसान नेताओं ने कैसे रंग बदल लिया। उस वक्त वे बार-बार कह रहे थे कि दंगा सरकार-पुलिस ने करवाया। किसानों को बदनाम करने के लिए सरकार ने सिद्धू और लक्खा जैसे लोगों को लालकिले पहुंचाया। किसान नेताओं ने ये भी कहा था कि उनका सिद्धू और सिधाना जैसे लोगों से कोई रिश्ता नहीं है, लेकिन अब यही नेता अपनी बात बदलकर इनको बचाने में लगे हैं। अगर लक्खा सिधाना का आपराधिक इतिहास है, अगर लक्खा बीजेपी और सरकार के कहने से लालकिले गया था, उसे वहां पुलिस ने भेजा था, तो उसे बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है? अगर लक्खा अपराधी है तो वो किसान नेताओं के साथ क्यों है? 26 जनवरी की घटना के बाद तो किसान नेता कह रहे थे कि इन लोगों को किसानों को बदनाम करने के लिए लालकिले पर भेजा गया। अगर सिधाना और सिद्धू जैसे लोगों ने किसानों को बदनाम किया तो किसान नेताओं ने उन्हें अपनी रैली में क्यों बुलाया? मतलब साफ है कि दंगा करने वाले, तिरंगे का अपमान करने वाले लोग पहले भी कुछ किसान नेताओं के संरक्षण में थे, आज भी उनके संरक्षण में हैं। इससे साफ है कि किसान नेताओं ने इस मामले में पहले भी गुमराह किया था और आज भी गलतबयानी कर रहे हैं।अब सब इस बात को समझ गए हैं।

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