जुमे की नमाज़ आज पुराने हैदराबाद में, खासकर मक्का मस्जिद इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शांतिपूर्ण ढंग से हुई। सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों में 4,000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। मुट्ठी भर मुसलिम नौजवानों ने मक्का मस्जिद के बाहर नारेबाजी जरूर की, लेकिन वे तुरंत तितर-बितर हो गए। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए रैपिड ऐक्शन फोर्स की टीमों को तैनात किया गया था।
इस बीच, पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाले बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह को गुरुवार को पुलिस ने प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट के तहत हिरासत में ले लिया। राजा सिंह को हिरासत में लिए जाने के बाद गोशामहल, टप्पाचबूतरा, हबीबनगर, मंगलहाट और जुमेरात बाजार इलाकों में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए।
राजा सिंह तो गुरुवार को एक बार फिर सलाखों के पीछे पहुंच गए, लेकिन दूसरी तरफ सैयद अब्दाहू कशफ नाम का एक स्थानीय मुस्लिम कार्यकर्ता, जिसे राजा सिंह के खिलाफ ‘सिर तन से जुदा’ नारे का समर्थन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, गुरुवार की शाम को जमानत पर रिहा कर दिया गया। कशफ ने सोशल मीडिया पर ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था और मुसलमानों से स्थानीय DCP के दफ्तर के बाहर विरोध करने का आग्रह किया था।
वीडियो में कशफ ने कहा, ‘हैदराबाद पूरी तरह से हमारे कंट्रोल में है। मैं चाहता हूं कि जिस शख्स ने हमारे पैगंबर की शान में गुस्ताखी की है, सजा के तौर पर उसका सिर कलम किया जाए, क्योंकि यह मेरा मजहबी यकीन है।’ निचली अदालत ने कशफ को 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, लेकिन गुरुवार शाम को एक उपरी अदालत ने उसे जमानत दे दी।
प्रिवेंटिव डिटेंशन ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए बीजेपी विधायक राजा सिंह को करीब एक साल तक जेल में रहना पड़ सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने, जो कि एक बैरिस्टर भी हैं, बुधवार को मांग की थी कि राजा सिंह को हैदराबाद पुलिस एक मजबूत कानून के तहत गिरफ्तार करे, और अगले दिन पुलिस ने ऐसा ही किया।
वहीं दूसरी तरफ, पुलिस ने बुधवार की रात हंगामा कर रहे, ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगा रहे करीब 90 मुस्लिम नौजवानों को पकड़ा था, लेकिन ओवैसी ने एक फोन किया, अपनी पार्टी के नेताओं को थाने भेजा और पुलिस ने अगले दिन सारे लोगों को छोड़ दिया। इसीलिए बीजेपी ने इल्जाम लगाया कि तेलंगाना की TRS सरकार ओवैसी के इशारे पर काम कर रही है। बीजेपी के सोशल मीडिया इंचार्ज अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘KCR आग से खेल रहे हैं। उन्होंने हैदराबाद में सांप्रदायिक आग भड़का रहे AIMIM और असदुद्दीन ओवैसी के सामने पूरी तरह से सरेंडर कर दिया है। एक तरफ ओवैसी पीड़ित की भूमिका निभा रहे हैं तो दूसरी तरफ भीड़ को उकसा रहे हैं।’
गुरुवार को टी. राजा सिंह को प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट के तहत गिरफ्तार करने से पहले पुलिस अधिकारियों ने उन्हें उन पर लगे आरोप पढ़कर सुनाए। पुलिस ने कहा, (1) आपने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है (2) श्रीराम जयंती पर आपके खिलाफ पहले से ही एक मामला है और (3) आपने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी भड़काऊ बयान दिया था। पुलिस जब राजा सिंह को हिरासत में लेकर निकली तो दर्जनों गाड़ियां उन्हें एस्कॉर्ट कर रही थीं।
राजा सिंह को अपनी गिरफ्तारी का पहले से ही अंदाजा लग गया था, इसलिए उन्होंने एक वीडियो बनाया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने उनकी गिरफ्तारी को ‘इगो का मुद्दा’ बना लिया है। राजा सिंह ने अपने वीडियो में कहा, ‘मैं डरने वाला नहीं है, और मैंने जो किया वह ‘धर्मयुद्ध’ का हिस्सा था। मैंने हिंदू स्वाभिमान का मुद्दा उठाने की कोशिश की और मेरा मानना है कि इस धर्मयुद्ध में हर हिंदू मेरे साथ है।’
राजा सिंह ने आरोप लगाया कि इस विवाद की जड़ में केसीआर के बेटे और राज्य के शहरी विकास मंत्री के. टी. रामा राव (KTR) हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि KTR ने ही कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने के लिए हैदराबाद में अपना शो करने की इजाजत दी थी। राजा सिंह ने कहा, ‘अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो शहर में शांति होती।’
राजा सिंह ने पैगंबर के बारे में जो कहा उसे न तो जस्टिफाई किया जा सकता है और न ही कोई उस बात का समर्थन कर सकता है। राजा सिंह को अगर मुनव्वर फारूकी के शो पर एतराज था तो पुलिस से शिकायत करते या कोर्ट जाते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं हो सकता।
एक तरफ तो राजा सिंह फिर से जेल पहुंच गए, लेकिन हिंसा करने वाले, हंगामा करने वाले, ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाने वाले लोग आजाद घूम रहे हैं। ऐसे कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के कहने पर रिहा किया था।
बुधवार की रात, प्रदर्शनकारियों ने शालीबंडा और आशा टॉकीज इलाकों में आगजनी और पथराव किया जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। पुलिस ने हंगामा, आगजनी और पत्थरबाजी के आरोप में करीब 90 लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन ओवैसी के हस्तक्षेप के बाद हंगामा करने वाले सभी मुस्लिम नौजवानों को छोड़ दिया गया। ओवैसी ने प्रदर्शनकारियों को छुड़ाने के बाद उनसे फोन पर खुलकर कहा कि वे टेंशन न लें, रात बहुत हो गई है, घर जाकर आराम करें।
सैयद अब्दाहु कशफ पहले असदुद्दीन ओवैसी की मीडिया टीम में था, लेकिन अब वह खुद को सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर कहता है। सैयद कशफ ही वह पहला शख्स था जिसने राजा सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद सबसे पहले पुलिस स्टेशन का घेराव किया था और ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाए थे।
बीजेपी नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि ‘ओवैसी डबल गेम खेल रहे हैं। एक तरफ तो दंगे भड़काने वालों को छुड़वा रहे हैं, और दूसरी तरफ शांति की बात कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि जैसे तेलंगाना में TRS की नहीं बल्कि ओवैसी की सरकार चल रही हो।’
इस बीच हैदराबाद में बीजेपी नेताओं को धमकियां मिलने लगी हैं। हैदराबाद में बीजेपी के युवा नेता लड्डू यादव ने आरोप लगाया कि AIMIM के करीब 150 समर्थक उनके घर आए और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। सोशल मीडिया पर राजा सिंह और लड्डू यादव को जान से मारने की धमकी देने वाले वीडियो अपलोड किए गए हैं।
यहां तक कि राजा सिंह के वकील करुणा सागर काशिमशेट्टी को भी 7 फोन आए जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने कहा, ‘पांच कॉल लोकल थे और दो कॉल सऊदी अरब से आए थे। फोन करने वालों में से एक ने मुझसे कहा कि राजा सिंह को जमानत दिलवाई तो सिर कलम कर दिया जाएगा।’ वकील ने यह भी कहा, CRPC 41 A के तहत राजा सिंह को दी गई नोटिस का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि इस तरह के नोटिस केस दर्ज होने के दो हफ्ते के भीतर देने होते हैं, जबकि ज्यादातर मामले 4 से 6 महीने पुराने हैं। उन्होंने कहा कि अदालत में प्रॉसिक्यूशन की दलीलें नहीं टिकेंगी।
राजा सिंह ने जो कहा उसकी सजा कानून उन्हें देगा। उन्हें सजा देने का काम अदालत का है। इसलिए जो लोग राजा सिंह या उनके समर्थकों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, उनका रास्ता भी गलत है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इससे किसी का फायदा नहीं होता। सड़कों पर ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगने से दुनिया में भारत का नाम बदनाम होता है। यह हमारे देश की संस्कृति नहीं है। जो लोग सड़कों पर निकल रहे हैं, नारेबाजी कर रहे हैं, उन्हें इसके पीछे की सियासत समझनी चाहिए।
राजा सिंह हिंदुओं के वोट मिलने की उम्मीद में जहरीले बयान दे रहे हैं। वहीं, ओवैसी हिरासत में लिए गए मुस्लिम नौजवानों को छुड़वाकर मुसलमानों के वोट जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी टीआरएस चुप्पी साधे हुए है। टीआरएस के नेता जानते है कि इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने में नुकसान है। अगर वे राजा सिंह के खिलाफ बोलेंगे तो हिन्दुओं के वोट जा सकते हैं, और अगर राजा सिंह से हमदर्दी दिखाएंगे तो मुसलमान नाराज हो सकते हैं।
यही वजह है कि सरकार खामोश है, और केसीआर ने इस मामले से निपटने के लिए पुलिस को आगे कर दिया है। इसलिए मेरी हैदराबाद के हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों से अपील है कि वे सियासत के चक्कर में सदियों पुरानी भाईचारे की अपनी परंपरा को न भूलें। वे अब तक एक दूसरे को गले लगाते आए हैं, वही करें, और एक दूसरे का गला काटने की बातें तो बिल्कुल न करें। इसमें सबका नुकसान है।