Rajat Sharma

FBI ने हैप्पी को पकड़ा : अब बाकी खालिस्तानी आतंकियों की बारी

अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने कैलिफोर्निया में छिपे खालिस्तानी आतंकवादी हरप्रीत सिंह उर्फ हैपी पासिया को गिरफ्तार कर लिया है. ये शख्स ISI के इशारे पर पंजाब में आतंकवादी वारदातों को अंजाम दे रहा था. पिछले छह महीनों में पंजाब में इसने 16 आंतकवादी घटनाओं को अंजाम दिया. अब भारत सरकार हैप्पी पासिया को जल्दी से जल्दी भारत लाने की कोशिश करेगी और काम बहुत मुश्किल नहीं होगा क्योंकि हैप्पी पासिया अमेरिका में गैरकानूनी तौर पर घुसा था और छुप कर रह रहा था. FBI के मुताबिक, हैप्पी पासिया को एनफोर्समेंट ऐंड रिमूवल ऑपरेशन एजेंसी यानी ERO की मदद से गिरफ़्तार किया गया है… असल में ERO अमेरिका की वो एजेंसी है,जो अमेरिका में गैर-कानूनी तौर पर घुसे लोगों की धरपकड़ करती है और उन्हें उनके मुल्क को डिपोर्ट करती है. ट्रंप के शासन में ERO super एक्टिव है. हैप्पी पासिया पाकिस्तान की ISI के इशारे पर पंजाब में आतंकवादी हमले करा रहा था .पाकिस्तान में छुपा खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह संधू उर्फ़ रिंदा… हैप्पी पासिया का हैंडलर है. दो महीने पहले फरवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेसिडेंट ट्रंप से मुलाकात हुई. इस मीटिंग के दौरान मोदी ने ट्रंप से 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा और पंजाब में आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने वाले खालिस्तानी दहशतगर्द हैप्पी पासिया के बारे में बात की थी. दोनों को जल्दी से जल्दी भारत के हवाले करने की मांग की थी. तहव्वुर राणा पहले ही भारत आ चुका है. तहव्वुर राणा तो आतंकवादी साजिश करके भाग गया था लेकिन Happy भारत में अपराध करने के बाद भागा था, अब हैप्पी पासिया के डिपोर्ट होने की बारी है. लेकिन हैप्पी अकेला नहीं है. कैलिफॉर्निया और सैंन फ्रैंसिस्को में कई सारे खालिस्तानी आतंकवादी सक्रिय हैं. हैप्पी का पकड़ा जाना शुरुआत है. पिक्चर अभी बाकी है..

सस्ते दाम में बड़े ब्रांड : चीनी झूठ से सावधान

चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू करने के 15 दिन बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन की तरफ़ समझौते का हाथ बढ़ाया है. ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ लगाने का उनका मक़सद सिर्फ़ ये था कि कोई भी देश अमेरिका को लूट न सके, उन्होंने इस लूट को रोक दिया है, अब चीन ने भी अमेरिका से बात करने की इच्छा जताई है और वो भी चाहते हैं कि चीन के साथ डील हो जाए. इसलिए उम्मीद करनी चाहिए कि जल्दी ही कोई सम्मानजनक रास्ता निकलेगा. अमेरिका और चीन के बीच जो टैरिफ वॉर छिड़ी है, उसके कैसे कैसे साइड इफेक्ट्स दिख रहे हैं, वो समझना भी जरूरी है. इस मौके का फायदा उठाने के लिए सोशल मीडिय़ा पर बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों के चीन में बनने वाले प्रोडक्ट्स को मामूली कीमत पर बेचने का दावा किया जा रहा है. चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिक टॉक के जरिए अमेरिका में चाइनीज़ इन्फ्लुएंसर्स के वीडियोज़ की बमबारी हो रही है. इन वीडियोज़ में इन्फ्लूएंसर्स हर्मीस बिर्किन, गुच्ची और रैल्फ लॉरेन जैसे अमेरिका और यूरोप के बड़े बड़े लग्ज़री ब्रैंड के सारे बेशकीमती प्रोडक्ट की कॉपी को असली माल बता कर सस्ते में बेचने का ऑफर दे रहे हैं. ये लोग दावा कर रहे हैं कि बड़ी बड़ी कंपनियों का सारा माल चीन में बनता है, इनकी लागत बहुत कम होती है, लेकिन ब्रैंड के नाम पर कंपनियां इन्हें सैकड़ों गुना कीमत पर बेचती है. इसलिए अगर लोग चाहें तो तीन हजार डॉलर का हैंड बैग तीस डॉलर में खरीद सकते हैं. हालत ये है कि बड़ी बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली माल बेचने के चक्कर में लोगों को तरह तरह के झांसे दिए जा रहे हैं. लोगों से कहा जा रहा है कि जो प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे दामों बिक रहे है, अमेरिका के लोग उन प्रोडक्ट्स को सस्ते में ख़रीदना चाहें, तो चीन आ जाएं. उनको इस ख़रीदारी के लिए वीज़ा फ्री एंट्री मिल जाएगी. ट्रंप के टैरिफ वॉर का कवर लेकर आजकल सोशल मीडिया पर..बहुत सारी बातें फैलाई जा रही हैं. जैसे चीन ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं, अब चीन में बिना VISA के एंट्री दी जा रही है क्योंकि टैरिफ वॉर के कारण चीन की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना माल निकालना चाहती हैं. Birkin और Louis Vuitton जैसे बड़े ब्रैंड के लाखों के बैग हजारों में मिल जाएंगे . कुछ लोग इसे फ्री ग्लोबल शॉपिंग का फेस्टिवल बता रहे हैं. पर ये सारी बातें सरासर झूठ हैं, बकवास हैं. उपभोक्ताओं को गुमराह करने की कोशिश है. जब ये बात फैल जाएगी तो यही लोग कहेंगे कि बड़े बड़े ब्रैंड्स का ये सस्ता माल अब ऑनलाइन भी एवेलेबल है और नकली माल बेचने की कोशिश करेंगे. इसीलिए झांसे में ना आएं, सावधान रहें..

मौलाना वक्फ पर मुसलमानों को गुमराह क्यों कर रहे हैं ?

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कॉल पर जुमे की नमाज के बाद तमाम शहरों में मस्जिदों के बाहर प्रोटेस्ट हुए . मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से मिली फौरी राहत के बाद भी वक्फ एक्ट के खिलाफ सड़कों पर लड़ाई जारी रहेगी. 22 अप्रैल को दिल्ली में एक बडी रैली होगी. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बड़े बड़े ओहदों पर बैठे मौलानाओं के ऊपर भी वक्फ की प्रॉपर्टीज पर कब्जा करने के इल्जाम हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी पर इल्जाम है कि उन्होंने जयपुर में वक्फ की करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर लिया है. बीजेपी के नेता किरोड़ी लाल मीणा ने मौलाना पर इल्जाम लगाया था कि उन्होंने जयपुर के पास वक्फ की करीब 1400 बीघा ज़मीन पर कब्जा किया हुआ है. मौलाना फजलुर रहीम ने कहा कि साजिश के तहत उनके खिलाफ इल्जाम लगाए हैं, हकीकत ये है कि वो गुनहगार नहीं, खुद पीड़ित हैं, कुछ लोग उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने इन लोगों के खिलाफ केस भी किया है. देश भर में वक्फ की प्रॉपर्टीज के ऐसे हजारों केस हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों ने अपनी बात रखी थी. बताया था कि मुंबई में उन्होंने जो प्रॉपर्टी खरीदी, उसे अचानक वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया. इंडिया टीवी रिपोर्टर ने मुंबई के भिंडी बाजार में जाकर लोगों से बात की. उस जगह पहुंचे, जहां दाऊदी बोहरा समाज की प्रॉपर्टी पर वक्फ बोर्ड के कब्जे का आरोप है. मैने इस केस के बारे में डिटेल पता किया है. दरअसल भिंडी बाजार मुंबई का सबसे पुराना और तंग इलाका है.. इस इलाके में सिर्फ दो मंजिला बिल्डिंग्स हुआ करती थी, ज्यादातर सौ साल से ज्यादा पुरानी थी. इसलिए इस इलाके की बिल्डिंग्स को गिरा कर इसे रि-डेवेलप करने का प्लान बना. सरकार ने bidding की. दाऊदी बोहरा समाज के धर्म गुरू की इच्छा थी कि वो भिंड़ी बाजार के गरीब लोगों को पक्का घर दें. इसीलिए भिंडी बाजार की इस बिल्डिंग को सैफुद्दीन बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट ने खरीदा था, लेकिन 2019 में इसको वक्फ प्रॉपर्टी बनाने का दावा किया गया और उसके बाद से ये मामला वक्फ बोर्ड और वक्फ ट्राइबुनल में फंसा है. न गरीबों को घर मिला, न दाऊदी बोहरा समाज के धर्म गुरू का सपना पूरा हुआ. ऐसे एक नहीं हजारों मिसालें हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि मौलानाओं ने संपत्ति के इस मुद्दे को मजहब से जोड़ दिया और ज्यादातर मुसलमान उनकी बातों पर यकीन कर रहे हैं. इसीलिए कई जगह माहौल खराब होता है, हिंसा होती है, बंगाल में यही हुआ, जब उग्र भीड़ के हमलों के कारण कई सौ हिन्दू परिवारों को मुर्शिदाबाद छोड़ कर मालदा में शरण लेनी पड़ी.

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