आज मैं आपसे एक ऐसे विषय के बारे में बात करना चाहता हूं जिसे लेकर मेरे मन में बेहद नाराजगी, दुख और तकलीफ है। बीबीसी साउंड्स के रेडियो शो में देश के प्रधानमंत्री और उनकी मां के बारे में अपमानजनक बातें कही गईं, अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। यह बात ऐसी है जिसे सुनने के बाद किसी का भी खून खौल उठेगा। दरअसल, बीबीसी एशियन नेटवर्क पर एक मार्च को ‘बिग डिबेट’ कार्यक्रम के पॉडकास्ट के दौरान एक टेलीफोन कॉलर ने पीएम मोदी और उनकी 99 वर्ष की मां हीराबेन के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। इससे न केवल इस शो की होस्ट (मेजबान) प्रिया राय भौंचक रह गईं बल्कि इसे सुन रहे हजारों श्रोता भी सकते में आ गए। उन्हें भी बहुत बुरा लगा।
ब्रिटेन में सिखों और भारतीयों के साथ होनेवाले नस्लीय भेदभाव के मुद्दों पर केंद्रीत तीन घंटे लंबे धारावाहिक ‘ईस्टएंडर्स’ के दौरान सिखों की पगड़ी को ‘ताज’ कहा गया। यह शो जैसे-जैसे आगे बढ़ा एक टेलीफोन कॉलर भी इसमें शामिल हो गया। इस कॉलर का नाम साइमन था और उसने हमारे प्रधानमंत्री और उनकी मां के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। इस शो की होस्ट ने जबतक उसे रोकना चाहा तबतक वह अपना काम कर चुका था। ब्रिटिश इंडियंस वॉयस नाम के एक ग्रुप ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि ‘यह एक सामान्य पंजाबी आक्रामक और अपमानजनक टिप्पणी है। इसका उपयोग महिलाओं को अपमानित करने और उन्हें नीचा दिखाने के उद्देश्य से किया जाता है।’
भारत और विदेशों में सोशल मीडिया पर भारी नाराजगी के बाद तीन घंटे के पॉडकास्ट के रिकॉर्ड वर्जन को एडिट (संपादित) कर आपत्तिजनक टिप्पणी को हटा दिया गया। अब जो वर्जन उपलब्ध है उसमें होस्ट के तरफ से माफी मांगी गई है। इसमें कहा गया है, ‘इससे पहले कि आगे बढ़ें, हम कुछ अभद्र भाषा के लिए फिर से माफी मांगते हैं जो इससे पहले के शो में मेहमानों द्वारा कहा गया। यह एक लाइव शो है और हम अक्सर विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा करते हैं। कहीं से उस तरह की भाषा के प्रयोग की कोई वजह नहीं थी जिसका यहां इस्तेमाल किया गया। अगर इससे किसी का अपमान हुआ है तो मैं एकबार फिर खेद जताना चाहती हूं।’
बीबीसी दक्षिण एशिया के ब्यूरो चीफ निकोला केरीम ने ट्विटर पर कहा, ‘किसी भी लाइव प्रसारण के समय हम इस बात का बहुत ध्यान रखते हैं कि सभी कॉलर्स को एयर करने से पहले उन्हें उनकी भाषा के बारे में जानकारी दी जाए। इस बार हमने किसी अपराध के कारण श्रोताओं से दो बार माफी मांगी। कार्यक्रम को बीबीसी के संपादकीय गाइडलाइंस (दिशानिर्देशों) के अनुरूप रखते हुए आपत्तिजनक टिप्पणियों को एडिट कर हटा दिया गया है। इसमें हिस्सा लेनेवाले शख्स को कार्यक्रम से पहले दिखाया गया और वह लाइव शो के दौरान भाषा के उपयोग को लेकर बीबीसी की सख्त गाइडलाइंस से अच्छी तरह वाकिफ था।’
हालांकि ब्रिटिश इंडियंस वॉइस ने मांग की कि मीडिया रेग्यूलेटर ऑफकॉम (ऑफिस ऑफ कम्यूनिकेशन) को बीबीसी एशियन नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। लोग इस घटना काफी नाराज थे और थोड़ी देर में ही ट्विटर पर बॉयकाट बीबीसी (#BoycottBBC) और बैनबीबीसी (#BanBBC) जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगा।
मैं इस घटना से काफी हैरान और दुखी हूं।बात ऐसी है जो ना किसी को सुननी चाहिए, ना किसी को कहनी चाहिए। आप भी सुनेंगे तो आपको भी गुस्सा आएगा, तकलीफ होगी और खून खौल उठेगा। बुधवार की रात अपने प्राइमटाइम शो ‘आज की बात’ में हमने इसपर पूरी रिपोर्ट दिखाई। ये बात बताना जरूरी इसलिए है ताकि सबको पता चले कि नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाले कितने घटिया स्तर पर उतर आए हैं। और इस बार बात सिर्फ नरेन्द्र मोदी तक ही सीमित नहीं रही, सारी मर्यादाएं उस वक्त पार हो गईं जब नरेन्द्र मोदी की बूढ़ी मां के लिए भी अपशब्द कहे गए।
यह एक बीमार मानसिकता की गंभीर अभिव्यक्ति है। भारत में यह कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। हमारी संस्कृति में मां को भगवान का दर्जा दिया गया है। अधिकांश भारतीय घरों में एक मां को देवी के रूप में पूजा जाता है। दुनिया के हर धर्म में मां का आदर करना सिखाया गया है। मां के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला इंसान तो नहीं हो सकता।
सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि यह अपशब्द ऐसे शख्स के द्वारा कहा गया जो देश में धऱने पर बैठे किसानों का समर्थन कर रहा था। लेकिन इस हैवान का न तो किसानों से कुछ लेना-देना है और न हमारे देश से।
आज मैं यह पूछना चाहता हूं: कहां है वो किसान नेता जिन्हें उन्हीं के कुछ समर्थकों ने खालिस्तानी कह दिया था तो वो गुस्सा हो गए थे? आज जब उनके नाम पर एक गिरे हुए व्यक्ति ने प्रधानमंत्री की मां के लिए अपशब्द कहा तो ये लोग खामोश क्यों हैं? विरोध के नाम पर इस तरह की घटिया हरकत को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्द कहना हर हिन्दुस्तानी का अपमान है। देश का प्रधानमंत्री कोई व्यक्ति नहीं होता। वह देश के एक सौ तीस करोड़ लोगों का नुमाइंदा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र का सबसे बड़ा नेता, सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि खुद संस्था होता है। उसके खिलाफ इस तरह के अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल को कैसे स्वीकार किया जा सकता है।
बीबीसी सबसे पुराना मीडिया संस्थान है। दुनिया में बीबीसी का सम्मान है, लोग इज्जत से देखते हैं और भरोसा करते हैं। लेकिन अगर इस तरह के लोग बीबीसी का इस्तेमाल करते हैं तो बीबीसी को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। ये शर्मनाक हरकत ‘बीबीसी एशियन नेटवर्क’ के एक लाइव डिबेट शो में हुई। प्रोग्राम की होस्ट किसी साइमन से बात कर रही थी और इसी दौरान साइमन ने पंजाबी में पीएम मोदी की मां के बारे में अपशब्द कहा। उसने खुद को इस तरह से पेश किया जैसे वो सिख हो। उसने पंजाबी में ही अपशब्द कहे, लेकिन जो बात उसने कही उससे सबका सिर शर्म से झुक गया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने हमारे शो में कहा कि जिसने ये हरकत की है वो कुछ भी हो, लेकिन सिख नहीं हो सकता। क्योंकि सच्चा सिख मां-बहन का अपमान कर ही नहीं सकता।
अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा: ‘किसान आंदोलन को लेकर लोगों में गुस्सा है लेकिन गुस्से को व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का कभी समर्थन नहीं किया जा सकता। एक सच्चा सिख कभी-भी मां-बहन के प्रति अपशब्द नहीं कहेगा। प्रधानमंत्री या किसी सिख को भी अपमानित करना एक असभ्य समाज का संकेत है। मैं सभी सिख भाइयों और बहनों से अपील करना चाहूंगा कि वे अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें और प्रधानमंत्री या किसी भी व्यक्ति के प्रति अपशब्दों के प्रयोग से बचें। किसी दुश्मन के प्रति भी अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और हर किसी को ऐसी बातों से बचना चाहिए।’
जत्थेदार हरप्रीत सिंह की बात सही है। सिख धर्म में मां का सम्मान सबसे ऊपर है और एक सिख कभी किसी मां के प्रति ऐसे अपशब्द नहीं कहेगा। ये सब सिखों को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है। ये नफरत फैलाने की कोशिश और लोगों को आपस में लड़वाने की हरकत है। ये सब एक डिजाइन के तहत हो रहा है। भारत की छवि को खराब करने की एक नीयत से किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने की मुहिम के तहत हो रहा है। मोदी विरोध की ये मुहिम विदेशों से चल रही है।हम सबको सावधान रहने की जरूरत है। ऐसी बातों पर अपने ज्जबात को काबू में रखने की जरूरत है। ऐसा करनेवालों की घोर निंदा करने की जरूरत है। लेकिन चिंता तब होती है जब इस तरह की मुहिम का हमारे देश में ही बैठे कुछ लोग समर्थन करते हैं। जब हमारे देश में अपने ही लोग नफरत की आग को हवा देने की कोशिश करते हैं तो और दुख होता है। कुछ राजनीतिक दल नेता यह झूठ फैलाने में लगे हैं कि भारत में अघोषित आपातकाल लगाया गया है। आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि ये नेता कौन हैं।