Rajat Sharma

केजरीवाल, बीजेपी और कांग्रेस के लिए सबक हैं दिल्ली नगर निगम के नतीजे

AKBआम आदमी पार्टी ने बुधवार को दिल्ली नगर निगम में बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत करते हुए एक बड़ी जीत दर्ज की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने 250 सदस्यों वाले नगर निगम में, जो कि मुंबई के बाद भारत में दूसरे सबसे बजट वाला नगर निगम है, 134 सीटें जीतीं। बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की, जो कि 2017 के 181 सीटों के आंकड़ों से काफी कम है।

MCD चुनावों में कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया। पार्टी को 5 साल पहले हुए चुनावों में 31 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार उससे दहाई का आंकड़ा भी दूर रहा और वह सिर्फ 9 सीटें ही जीत पाई। इस तरह पिछले चुनावों के मुकाबले कांग्रेस की सीटें एक तिहाई ही रह गईं। वहीं, बीजेपी यह कहकर अपने दिल को बहला रही है कि भले ही उसकी सीटें कम हो गईं, लेकिन उसका वोट शेयर पिछले चुनावों के 36.1 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 39.1 फीसदी हो गया। वहीं, AAP का वोट शेयर 26.2 फीसदी से बढ़कर 42.1 फीसदी पर पहुंच गया है।

एक वाक्य में कहा जाय तो केजरीवाल की पार्टी की जीत हुई है, और BJP ने MCD में अपनी सत्ता गंवा दी है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि केजरीवाल सरकार के कई बड़े मंत्रियों के इलाकों में AAP को हार का सामना करना पड़ा है।

शराब और स्कूल घोटालों में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज विधानसभा सीट के 3 वॉर्ड पर बीजेपी की जीत हुई , जबकि एक वॉर्ड पर AAP का उम्मीदवार जीता । बुधवार को सिसोदिया ने इसका जिक्र नहीं किया, लेकिन ये ज़रूर कहा कि ‘कट्टर बेईमान’ नेता हार गए हैं और दिल्ली के लोगों ने ‘कट्टर ईमानदार’ नेताओं को जिताया है।

केजरीवल सरकार के एक और विवादास्पद मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सत्येंद्र जैन के इलाके शकूर बस्ती में आम आदमी पार्टी बुरी तरह हारी है। शकूरबस्ती विधानसभा सीट में MCD के तीन वॉर्ड हैं, और तीनों में आम आदमी पार्टी की हार और बीजेपी की जीत हुई। शराब घोटाले और बस खरीद घोटाले के आरोपों की चपेट में आए एक और मंत्री कैलाश गहलोत की नजफगढ़ विधानसभा सीट के 4 में से 3 वॉर्ड बीजेपी ने जीत लिए, जबकि एक वॉर्ड पर निर्दलीय की जीत हुई।

इसी तरह वक्फ घोटाले में आरोपी AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की ओखला विधानसभा सीट के 5 में से 4 वॉर्ड में पार्टी की हार हुई । ओखला सीट के 5 में से 2 वॉर्ड पर बीजेपी, 2 वॉर्ड पर कांग्रेस और एक वॉर्ड पर AAP का उम्मीदवार जीता । जाहिर है, भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाकर सत्ता में आई AAP पर जब खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो जनता ने उसे गंभीरता से लिया। बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि MCD के नतीजों का संदेश साफ है, दिल्ली से केजरीवाल की विदाई की शुरुआत हो गई है।

जीत के बाद अपने भाषण में केजरावील जरा संभलकर बोलते नजर आए। उन्होंने कहा, ‘हमें भ्रष्टाचार खत्म करना है। यह एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। दिल्ली की जनता ने हमें बड़ा मैसेज दिया है। हम शरीफों की पार्टी हैं, हम अच्छे लोगों की पार्टी हैं। हमें नेगेटिव राजनीति नहीं करनी है। आज दिल्ली ने सारे देश को संदेश दिया है कि स्कूल और अस्पताल से भी वोट मिल सकते हैं।’

नतीजों से एक और नोट करने वाली बात सामने आई। वो ये कि बीजेपी ने MCD चुनाव के दौरान जो भी मुद्दे उठाए, जैसे कि तिहाड़ जेल के अंदर से सत्येंद्र जैन के वीडियो और शराब घोटाले को लेकर मनीष सिसोदिया पर गड़बड़ी के इल्जाम, इनका पार्टी को इन नेताओं के इलाकों में तो फायदा हुआ, लेकिन पूरी दिल्ली में कोई खास असर नहीं हुआ। हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि सत्येंद्र जैन को जनता ने क्लीन चिट दे दी, या शराब घोटाले के आरोपों में दम नहीं है। इन मामलों का फैसला अदालत में होगा। ये ऐसे मसले हैं जिन पर केजरीवाल को देर-सवेर ध्यान देना ही होगा।

MCD चुनाव के नतीजे आने के बाद अपने भाषण में केजरीवाल ने इशारों में बताया कि अब उनकी पार्टी पूरे देश में एक नए राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभर रही है। उन्होंने कहा, ‘आजादी के 75 साल बाद भी देश का ठीक से विकास नहीं हुआ है, और अब जनता भी इंतजार करने को तैयार नहीं है। हमारी पार्टी सकारात्मक राजनीति को तरजीह देगी और बेहतर स्कूल, अस्पताल और अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी।’

बीजेपी के नेता हार के बाद तमाम तरह के तर्क दे रहे हैं जैसे कि केजरीवाल को उतनी सीटें नहीं मिलीं जितनी उन्होंने दावा किया था, या कि दोनों पार्टियों के बीच सिर्फ 30 सीटों का अंतर है इसलिए ये बीजेपी की हार नहीं है। मैं उनके अधिकांश तर्कों से सहमत नहीं हूं। BJP और AAP के बीच भले ही 30 सीटों का अंतर है लेकीन चुनाव में जीत, जीत होती है। MCD में केजरीवाल की पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला है।

इस तर्क में भी दम नहीं हैं कि 15 साल से बीजेपी MCD में थी, इसलिए सत्ता विरोधी लहर का फर्क पड़ा। गुजरात में तो बीजेपी 27 साल से सत्ता में हैं, और गुरुवार को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। गुजरात में कोई एंटी इन्कम्बेंसी की बात कोई क्यों नहीं करता।

बीजेपी को दिल्ली के बारे में नए सिरे से सोचना पड़ेगा। यहां पार्टी के पास केजरीवाल का मुकाबले का कोई प्रभावी चेहरा नहीं है। बीजेपी के पास केजरीवाल के फ्री बिजली, फ्री पानी जैसे ऑफर्स का कोई जबाव नहीं है। दिल्ली में पार्टी का संगठन बिखरा हुआ है। यहां एक तो नई पीढी के नेता नहीं हैं, दूसरे पुराने नेता भी सिस्टम से बाहर हो चुके हैं। इसके बावजूद बीजेपी का कोर वोट बैंक सही सलामत है, पार्टी का मतदाता उसके साथ है, और यह वोट प्रतिशत से साफ जाहिर होता है।

यह भी नहीं भूलना चाहिए कि लोकसभा के पिछले दोनों चुनावों में केजरीवाल को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली थी। उन चुनावों में लोगों ने मोदी के नाम पर, मोदी के काम पर वोट दिया था। उसी वोटर ने MCD चुनावों में और उससे पहले दिल्ली के विधानसभा चुनावों में केजरीवाल को चुना।

अगर दिल्ली में किसी एक पार्टी की लगातार हार हुई है, अगर किसी ने दिल्ली में अपना जनाधार खोया है तो वह कांग्रेस है। आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की कमजोरी का फायदा पिछले 10 सालों में हर चुनाव में मिलता रहा है।

बीजेपी के लिए सबसे परेशान करने वाली बात दिल्ली की उन सातों लोकसभा सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन है जो उसने 2014 और 2019 के चुनावों में जीती थीं। गौतम गंभीर के लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है, मनोज तिवारी और डॉक्टर हर्षवर्धन के लोकसभा क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक है, लेकिन बाकी 4 सासंदों के इलाकों में आम आदमी पार्टी ने उसे बुरी तरह हराया।

गौतम गंभीर के पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में कुल 33 वॉर्ड हैं, जिनमें से 21 पर बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि AAP को 9 सीटों पर जीत मिली है। मनोज तिवारी के उत्तरी पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी ने 41 में से 21 वॉर्ड जीते हैं, जबकि AAP के कब्जे में 17 वॉर्ड आए हैं। इसी तरह, हर्षवर्धन की चांदनी चौक सीट के अंतर्गत आने वाले 30 में से 16 वॉर्ड में बीजेपी की जीत हुई है। बीजेपी का सबसे ज्यादा खराब हाल केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी की संसदीय सीट पर हुआ है, जहां के 25 में से 20 वॉर्ड पर AAP जीती है जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ 5 वॉर्ड आए हैं।

प्रवेश वर्मा की दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली सीट के अंतर्गत आने वाले 38 में से 24 वॉर्डों पर AAP और 13 वॉर्डों पर बीजेपी की जीत हुई है। रमेश बिधूड़ी की दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत 40 वॉर्ड आते हैं जिनमें से 25 पर AAP और 14 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। हंसराज हंस की उत्तरी पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के 43 में से 27 वॉर्ड AAP के खाते में गए जबकि बीजेपी सिर्फ 14 वॉर्ड पर ही जीत दर्ज कर पाई।

बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि पार्टी की नीतियों और नेतृत्व में कोई कमी नहीं थी, कुछ पार्षद अपने इलाकों में काम नहीं कर पाए थे इसलिए उन वॉर्डों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

कांग्रेस इस बात से संतुष्ट हो सकती है कि उसका वोट शेयर बढ़ा है, और इसमें कोई गलत बात भी नहीं है। कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में सिर्फ 4 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार MCD इलेक्शन में कांग्रेस को 11.7 प्रतिशत वोट मिले हैं। नतीजों का विश्लेषण करने पर साफ समझ में आता है कि दिल्ली के उन इलाकों में कांग्रेस को व्यापक समर्थन मिला है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यानी दिल्ली में जो मुस्लिम पहले केजरीवाल का समर्थन कर रहे थे, वे अब कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुए हैं।

असल में केजरीवाल ने गुजरात चुनावों को ध्यान में रखते हुए जिस तरह करंसी नोट पर गणेश लक्ष्मी की फोटो छापने का सुझाव दिया था। साथ ही उन्होंने बिलकिस बानो केस में गैंगरेप और मर्डर के दोषियों की रिहाई के मुद्दे पर चुप्पी साध ली थी, और दिल्ली दंगों पर खामोश रहे थे। इसे देखते हुए मुस्लिम मतदाताओं ने उनसे किनारा कर लिया और इसका फायदा कांग्रेस को मिला।

चुनाव नतीजों का लुब्बोलुआब ये है कि केजरीवाल को भले ही बहुमत मिल गया, लेकिन उनका वोट शेयर पिछले चुनावों की तुलना में 11 फीसदी गिर गया। MCD से बीजेपी की सत्ता चली गई, सीटें कम हो गईं, लेकिन उसका वोट शेयर 1 प्रतिशत बढ़ा है। इसका मतलब यह है कि बीजेपी का कोर वोट बैंक अभी भी उसके साथ है, और उसमें बढ़ोत्तरी हो रही है। कांग्रेस का वोट शेयर भले ही बढ़ गया हो, लेकिन उसके लिए भी संदेश साफ है कि अभी दिल्ली में उसके लिए कोई चांस नहीं हैं। MCD चुनाव में इस बार कांग्रेस के 188 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। दिल्ली में कांग्रेस के पतन का सिलसिला जारी है। 2017 के MCD चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 21.1 प्रतिशत था, जो अब करीब 10 फीसदी गिरकर 11.7 प्रतिशत पर आ गया है।

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