Rajat Sharma

हिल स्टेशनों, बाजारों में भीड़ बढ़ने से महामारी की तीसरी लहर का खतरा

AKBआज मैं एक बार फिर आपको आगाह करना चाहता हूं, आप चाहें तो इसे अपने जोखिम पर अनदेखा कर सकते हैं। ये बात सही है कि महाराष्ट्र और केरल को छोड़ अब पूरे देश में कोरोना का कहर थमता दिखाई दे रहा है। पर चितां की बात ये है कि मामले जिस रफ्तार से कम हो रहे हैं, लोगों की लापरवाही उतनी ही रफ्तार से बढ़ती जा रही है। मैं देख रहा हूं कि पिछले कई दिनो से बहुत से लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल तोड़ना शुरू कर दिया है।
शुक्रवार रात को मैने अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मसूरी, नैनीताल, शिमला और मनाली में छुट्टियां मनाते लापरवाह पर्यटकों की भारी भीड़ के दृश्य दिखाए। तस्वीरें भयावह थी, क्योंकि न किसी को सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह थी, न मास्क लगाने की चिंता। अधिकतर पर्यटक बिना मास्क के भीड़ में घूम रहे थे। लापरवाही का यह रवैया खतरनाक साबित हो सकता है और देशवासियों को महामारी की एक और लहर के सामने खड़ा कर सकता है।
यहां मैं आपको बताना चाहता हूं कि लापरवाही का यह उदाहरण सिर्फ अपने मुल्क में नहीं है । यूरो कप का सेमिफाइनल देखने के लिए लंदन के वेम्बली स्टेडियम के अंदर और बाहर भारी भीड़ जमा हुई और बाद में उन्होंने इंग्लैंड की जीत का जश्न भी मनाया। शहर के पब हजारों समर्थकों से भर गए, जश्न मनाने के लिए हजारों लोग बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के सड़कों पर उतर आए। ब्रिटेन की सरकार वहां पर अनलॉक की योजना तैयार कर रही थी लेकिन भीड़ के इस आचरण ने उन्हें चिंता में डाल दिया। इसी तरह अमेरिका के मिलवाउकी में एनबीए के बास्केटबॉल मैच देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हई। इस तरह की भीड़ आगे चलकर कोरोना वायरस की सुपर स्प्रेडर बनती है। स्पेन के बार्सिलोना में 3 दिन के म्यूजिक फेस्टिवल में मौज करने के लिए हजारों की भीड़ जमा हुई।
शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में एक वीडियो दिखाया जिसमें सैंकड़ों पर्यटक अर्धनग्न अवस्था में बिना मास्क पहने मसूरी के कैम्पटी फॉल पर मौज करते हुए दिखाई दे रहे थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने उस वीडियो पर कहा, “क्या यह हमें संक्रमित करने के लिए कोरोना वायरस को खुला निमंत्रण नहीं है?” नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा, कि यह एक बड़ी चिंता का विषय है, अभी ढील बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं, क्योंकि ऐसा करने से हमें कोरोना को नियंत्रित करने में जो बढ़त मिली है वह खत्म हो सकती है। मैं दर्शकों को याद दिलाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नए कैबिनेट की पहली बैठक में क्या कहा । उन्होंने कहा है कि महामारी अभी गई नहीं है और हमारी तरफ से की गई कोई भी लापरवाही फिर तबाही मचा सकती है।
लगातार 55 दिन तक मामले घटने के बाद कोविड के नए मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं। शुक्रवार को देश में 42,718 नए कोरोना केस दर्ज किए गए हैं। इस हफ्ते भारत में अबतक 2,09,892 मामले सामने आए हैं। रूस, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन में कोरोना के मामले बढ़ना शुरू हो गए हैं क्योंकि वायरस नए सिरे से रूप बदल रहा है।
हालांकि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों ने हिल स्टेशनों पर भारी संख्या में पहुंच रहे पर्यटकों पर नए सिरे से प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिए हैं, लेकिन ‘रिवेंज टूरिज्म’ में कमी आना बाकी है। ऐसा लगता है कि लोग दूसरी लहर का सदमा भूलने के लिए हिल स्टेशनों पर जाकर मौज करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने से वे अपने आप को संभावित तीसरी लहर की वजह बना लेंगे।
हिमाचल प्रदेश में रोजाना 18,000 से ज्यादा वाहन दाखिल हो रहे हैं, जिनके जरिए मैदानी क्षेत्रों के पर्यटक वहां पहुंच रहे हैं। घूमने के लिए हिमाचल प्रदेश में एक हफ्ते के अंदर 7 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचे हैं। हिमाचल के सभी होटल, कॉटेज और लॉज बुक हो चुके हैं।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर पुनीत परिंजा ने शिमला के माल पर बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के चल रही भारी भीड़ के दृश्य भेजे हैं। होटल के मालिकों ने बताया कि आम तौर पर शिमला में मैदानी इलाकों के पर्यटक वीकेंड में 2-3 दिन के लिए घूमने आते हैं लेकिन इस बार उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है और इसकी वजह से कई पर्यटकों ने परिवार के साथ रहने के लिए पूरे महीने के लिए कॉटेज बुक कर लिए हैं। दिल्ली-एनसीआर में कई कंपनियों में ‘वर्क फ्रॉम होम’ चल रहा है, जिस वजह से कई कर्मचारियों ने हिमाचल प्रदेश में रहते हुए कंपनियों के लिए काम करना शुरू किया है।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में बाजार खरीदारी करने वालों की भीड़ से भरे पड़े हैं, और अधिकतर लोग कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहे। हालांकि मुंबई में संक्रमण की दर अभी कम है लेकिन बीएमसी को आशंका है कि बाजारों में भीड़ अगर ऐसे ही बढ़ती रही तो कोरोना का मामले फिर से बढ़ सकते हैं। मुंबई महानगर में अबतक कोरोना की वजह से 15,500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन अब भी लोगों में इस वायरस को लेकर डर नहीं दिख रहा है।
दिल्ली में भी यही हाल है। करोल बाग, लाजपत नगर, सरोजनी नगर, चांदनी चौक, गांधी नगर और लक्ष्मी नगर जैसे बाजार खरीदारी करने वालों की भीड़ से भरे हुए हैं। कोरोना नियमों के उलंघन के लिए स्थानीय प्रशासन ने हालांकि कुछ बाजारों को 3 दिन तक बंद करने का आदेश दिया है, लेकिन दिक्कत ये है कि लोग मानने को तैयार नहीं।
हिल स्टेशनों और शहर के बाजारों में भीड़ तो यही दर्शाती है कि लोगों में उस वायरस का डर नहीं बचा है जिसने दूसरी लहर के 3 महीनों के दौरान हमारे जीवन को संकट में डाला। लोगों को अब ज्यादा चिंता इस बात की है कि गर्मी से कैसे बचा जाए और बाहर जाकर परिवार के साथ कैसे मौज मस्ती की जाए। मैं लोगों को छुट्टियों का लुत्फ उठाने से नहीं रोक रहा, लेकिन छुट्टियों में मजे करने के लिए ‘जोश’ के साथ ‘होश’ भी ज़रूरी है।
इस वक्त भारत के 736 जिलों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा कोविड के मामले सिर्फ 90 जिलों से हैं। इनमें अधिकतर जिले केरल, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर राज्यों के हैं। ऐसे सिर्फ 66 जिले हैं जहां पर कोरोना के संक्रमण की दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है।
मैं इन आंकड़ों को इसलिए बता रहा हूं ताकि पता चल सके कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ी । लेकिन अगर हम खुद कोरोना प्रोटोकॉल को नहीं मानेंगे और लापरवाही बरतेंगे, तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पिछले 3 महीनों के दौरान जो बढ़त बनाई है उसे गंवा देगे। इसलिए जब भी बाहर जाएं, मास्क पहनें, भीड़भाड़ में जाने से बचें और समय समय पर अपने हाथ धोते रहें। राज्य सरकारों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि हिल स्टेशनों और शहर के बाजारों में भीड़ न बढ़े।
स्पेन, अमेरिका और ब्रिटेन में जो हो रहा है हमें उससे सीखना होगा। आर्थिक तौर पर ये देश ज्यादा मजबूत हैं और इनके पास मजबूत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है, इन देशों में अधिकतर लोगों को वैक्सीन भी मिल चुकी है और लोग खुद अपनी साफ सफाई का ध्यान भी रख रहे हैं। इन देशों ने व्यापक वैक्सिनेशन के दम पर महामारी पर काबू पाया है लेकिन खेल और म्यूजिक के आयोजनों में भीड़ जुटने से वहां भी कोरोना के केस बढ़ गए हैं।
भारत में समूचे देश ने एकजुट प्रयास से महामारी की दूसरी लहर को को काबू में किया । क्या आपको वे ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलगाड़ियों याद हैं, जिनके जरिए लाखों लीटर लिक्विड ऑक्सीजन देश के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचाया गया? आपको वे ऑक्सीजन सिलेंडर और कंटेनर याद हैं जिन्हें हमें दूसरे देशों से समुद्री रास्ते लाना पड़ा? आपको वायुसेना के वे जहाज याद हैं जिनके जरिए खाली ऑक्सीजन टैंकों को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाया गया?
ये सब बहुत पुरानी बातें नहीं हैं बल्कि 2-3 महीने पहले यानि अप्रैल और मई के दौरान ही यह सब घटा है। महामारी का प्रकोप इस साल फरवरी में बहुत कम हो गया था, लेकिन लापरवाही की वजह से प्रकोप अप्रैल और मई के दौरान फिर से बढ़ गया, और इसकी वजह से हमें अपने प्रियजनों को खोना पड़ा। अगर हमने कोविड प्रोटोकोल की सलाह पर ध्यान नहीं दिया, तो हमें एक बार फिर वैसे मंजर से गुजरना पड़ सकता है। इसलिए, आप सभी भीड़ में जाने से बचें, पब्लिक में जब भी जाएं तो मास्क पहनकर जाएं और समय समय पर अपने हाथ धोते रहें। यह छोटी सलाह है, लेकिन काम की और आसानी से अपनाई जा सकने वाली सलाह है। समय पर उठाया गया छोटा-सा कदम, भविष्य की बड़ी समस्याओं से बचाता है।

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