एक तरफ जहां भारत के अधिकांश लोगों ने सोमवार को भीड़भाड़ से बचते हुए अपने परिजनों संग होली मनाई, वहीं उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन, प्रयागराज, शाहजहांपुर में, मध्य प्रदेश के उज्जैन में और महाराष्ट्र के नांदेड़ में हजारों लोगों की भीड़ ने कोविड की परवाह किये बगैर होली का त्योहार मनाया।
सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे मथुरा, वृंदावन, उज्जैन और प्रयागराज में हजारों भक्तों ने मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग के बगैर होली मनाई। ये दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाले थे । मैं नहीं कह सकता कि इनमें से कितने भक्त होली खेलने के बाद वायरस को अपने घर ले गए होंगे।
भारत में कोरोना के रोजाना आने वाले मामले 70 हजार के आंकड़े को छूने जा रहे हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटों में कोरोना के लगभग 2,000 नए केस आए हैं। कई प्राइवेट अस्पतालों में ICU बेड्स और वेंटिलेटर्स की कमी हो गई है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्य पूरी कड़ाई के साथ महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला कर रहे हैं। महाराष्ट्र से सोमवार को 31,643 नए मामले सामने आए, जबकि मध्य प्रदेश में 2,323 नए संक्रमित मिले। पंजाब में भीड़भाड़ को लेकर तमाम सख्ती बरते जाने के बावजूद बीते 24 घंटों में 2,914 नए मामले सामने आए ।
इन आंकड़ों का हवाला मैं इसलिए दे रहा हूं ताकि पाठकों को कोरोना से उपजे गंभीर हालात के बारे में पता चले। यह महामारी यकीनन अभी और फैलने जा रही है क्योंकि सोमवार को कई शहरों में हजारों की भीड़ ने होली का त्योहार मनाया। मुझे दुख है कि बहुत से लोग अभी भी इस महामारी की गंभीरता को मानने के लिए नहीं हैं। मैं पिछले कई हफ्तों से बार-बार कह रहा हूं: कोरोना वायरस खुद आपके घर नहीं आता, आप ही इसे ले कर घर आते हैं, यह आपकी लापरवाही के कारण आपके घर में आता है।
हजारों लोग नाचते, गाते और चिल्लाते हुए होली मनाएं, एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकें, तो ऐसे में हमें कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने के लिए तैयार रहना चाहिए। उत्तर प्रदेश में हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं। दो सप्ताह पहले तक यहां रोजाना 200 से 300 नए मामले सामने आ रहे थे, लेकिन अब नए मामलों की संख्या 1400 के आंकड़े को भी पार कर चुकी है। 22 करोड़ की आबादी वाले राज्य के लिए ये आंकड़े भले ही चिंताजनक न हों, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने पहले ही लोगों को सतर्क कर दिया है। सोमवार को मची होली की धूमधाम को देखकर लगता है कि उनकी अपील का लोगों पर कोई खास असर नहीं हुआ।
सोमवार सुबह से ही मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में होली मनाने के लिए हजारों लोगो की भीड़ इकट्ठा हो गई। कुछ ऐसा ही नजारा द्वारकाधीश मंदिर में भी देखने को मिला। यहां सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों से भी हजारों भक्त होली मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। हर वीकेंड को दिल्ली एनसीआर, हरियाणा और राजस्थान से लोग बड़ी संख्या में मथुरा और वृंदावन पहुंचते हैं। वहां खुशियां थीं, उल्लास था, लेकिन जो एक बात नहीं थी, वो थी – कोरोना के दिशानिर्देशों के पालन की चिंता ।
प्रयागराज के पुराना चौक में इस बार भी भीड़ लगी, हजारों लोग इकट्ठा हुए, डीजे बजा, डांस हुआ और कपड़ा फाड़ होली खेली गई। वहां न तो किसी ने मास्क पहना था और न ही किसी ने सोशल डिस्टैंसिंग की परवाह की। किसी को यह डर नहीं था कि उन्हें कोरोना अपनी चपेट में ले सकता है। लोग होली की हुड़दंग में डूबे रहे। इस शहर में बीते कुछ हफ्तों में रोजाना 70 से 80 नए मामले सामने आ रहे हैं।
शाहजहांपुर में भी हजारों लोगों ने होली के जुलूस में शामिल होकर एक दूसरे पर रंगों और पानी की बारिश की। जुलूस के साथ-साथ पुलिस और पीएसी के जवान भी लगे हुए थे। यह ‘जूता मार’ होली थी, जिसमें अंग्रेज वायसराय (लाट साहब) के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं और उसे जूते और झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाते है। इसके अलावा लोग अंग्रेज शासकों के प्रति आक्रोश को दिखाने के लिए लाट साहब को जूते से मारते है। इसमें खास बात यह होती है कि लाट साहब के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता है। यह जुलूस स्वतंत्रता आंदोलन के समय से हर साल होली के दौरान निकाला जाता है।
महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित प्रसिद्ध तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब में हजारों अनुयायियों ने पुलिस द्वारा बंद किए गए गेट को खोल दिया, और होली और होला मोहल्ला मनाने के लिए गुरुद्वारे के अंदर घुस गए। लाठियां और तलवारें भांज रहे श्रद्धालुओं के हमले में कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा और लगभग 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए। श्रद्धालु इस बात से नाराज थे कि उन्हें प्रशासन ने गुरुद्वारे में होला मोहल्ला मनाने से रोक दिया था।
मैं हैरान रह जाता हूं जब लोग पूछते हैं कि महामारी के खात्मे के लिए हमें कब तक इंतजार करना होगा? सिर्फ त्योहार मनाने से महामारी कैसे फैल सकती है जबकि बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में होने वाली जनसभाओं में लोगों की भीड़ इकट्ठा होने पर कोई पाबंदी नहीं है? क्या हम मंदिर जाना और लोगों से मिलना छोड़ दें? क्या हम कोरोना के चलते जीना छोड़ दें?
मेरा कहना है कि आप सब कुछ कीजिए, लेकिन सावधानी के साथ। हर वक्त इस बात को ध्यान में रखिए कि कोरोना का वायरस आसपास ही कहीं हो सकता है। पहले से ही म्यूटेंट वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन तेजी से फैल रहे हैं, और भगवान न करे, इनका अगला निशाना आप हों। होली तो हर साल आएगी और अगर कुछ दिन एहतियात बरत ली, कोरोना की दूसरी लहर से बचे रहे तो अगले साल धूमधाम से सब मिलकर होली मनाएंगे।
मैं आपको बता दूं कि पिछले साल 29 मार्च को देशभर में कोरोना के मरीजों की संख्या 979 थी। उस वक्त पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था। पूरे देश में तब तक सिर्फ 25 लोगों की मौत हुई थी। 28 मार्च से लेकर 29 मार्च तक, यानी कि 24 घंटे में कोरोना के कुल 106 नए मामले सामने आए थे।
आज की स्थिति यह है कि देशभर में कोरोना के 5 लाख से ज्यादा ऐक्टिव केसेज हैं। पिछले चौबीस घंटों में करीब 70 हजार नए केस सामने आए हैं। कोरोना से पूरे देश में 1,61,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यदि इसके बाद भी लोग सवाल करने पर उल्टा पूछने लगें कि कहां है कोरोना, तो समझ लीजिए कि महामारी पूरी तेजी से फैलेगी और हालात हाथ से निकलने में वक्त नहीं लगेगा।
यदि लोग धर्म और आस्था के नाम पर कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे, पुलिस पर हमला करेंगे, तो फिर कोई भी प्रशासन क्या कर सकता है? पुलिस क्या कर सकती है? ऐसे लोगों को कोरोना से कैसे बचाया जा सकता है? ये ऐसे सवाल हैं जो हर समझदार भारतीय को परेशान करते हैं।
कोरोना को काबू करने के लिए जिस तरह भारत में काम हुआ, उसकी पूरी दुनिया में तारीफ हुई। भारत को एक आदर्श मिसाल के तौर पर देखा गया। कैसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश ने बड़े पैमाने पर कोरोना महामारी से निपटने के लिए मैनेजमेंट किया, लाखों लोगों का इलाज कराया और जरूरतमंदों के लिए PPE किट, वेंटिलेटर्स और ऑक्सिजन की कमी नहीं होने दी।
पूरी दुनिया ने देखा कैसे देशव्य़ापी लॉकडाउन लगाकर भारत ने उस कीमती समय का इस्तेमाल महामारी से निपटने के लिए उपकरण बनाने में किया और वायरस के प्रसार को थाम लिया। उसी दौरान अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे देश महामारी के भयंकर प्रकोप से जूझ रहे थे । जब मामलों की संख्या में कमी आने लगी तो अमेरिकियों ने कोविड प्रोटोकॉल को मानना बंद कर दिया, क्लबों और रेस्तराओं में भीड़ जुटने लगी, क्रिसमस की छुट्टियां मनाने समुद्र तटों पर गए और इसके बाद पूरे देश को महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप झेलना पड़ा। महामारी से प्रभावित देशों की लिस्ट में अमेरिका पहले नंबर पर है।
अब हम भी वही गलती कर रहे हैं जो अमेरिकियों ने की। कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाकर हम खतरे को खुलेआम दावत दे रहे हैं। हमें पता होना चाहिए कि कोविड वैक्सीन से हमें सुरक्षा तो मिलती है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपको संक्रमण नहीं होगा। वैक्सीन सिर्फ आपके शरीर में एंटिबॉडी बना देगी ताकि वायरस आपके ऊपर बहुत ज्यादा असर न डाल सके। वैक्सीन लेने के बाद आपको इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा और आप घर पर ही ठीक हो सकते हैं।
इसीलिए सबसे बार-बार कहा जा रहा है कि कोरोन से बचने के लिए इन जरूरी नियमों का पालन करें: (1) मास्क लगाइए (2) सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कीजिए (3) भीड़ में मत जाइए (4) अपने हाथ साबुन से नियमित अंतराल पर धोएं। खुद को सुरक्षित रखने का यही एकमात्र उपाय है।
कोरोना वायरस गरीब और अमीर, पढ़े-लिखे और अनपढ़ में फर्क नहीं करता। IIM के छात्र मैनेजमेंट में माहिर माने जाते हैं, लेकिन लापरवाही हुई तो वे भी कोरोना की चपेट में आ गए। चेन्नई के फाइव स्टार होटल में 70 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव निकले, और ऋषिकेश के होटल ताज में कोरोना ने कुल 78 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
हमेशा सावधान रहिए और कोविड नियमों का पालन कीजिए। लॉकडाउन कोई नहीं चाहता, न लोग और न ही सरकार। लॉकडाउन से लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ता है, देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है । पिछले पूरे साल हम सभी को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा । लॉकडाउन नहीं लगना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि नहीं लगेगा, लेकिन आम लोगों की भी ये जिम्मेदारी है कि ऐसे हालात ही न पैदा करें जिससे लॉकडाउन एक मजबूरी बन जाए।