उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। पिछले 8 दिनों से केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के रास्तों पर गाड़ियों की कई किलोमीटर लंबी लाइनें देखने को मिल रही हैं। इसकी वजह से श्रद्धालुओं को टेंट, बिजली, भोजन, पानी और मेडिकल सहायता जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुश्किल से मिल रही हैं।
3 मई (अक्षय तृतीया) को भक्तों के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई थी। केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई को खोले गए। इसके बाद 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। गंगोत्री में रोजाना 7,000, यमुनोत्री में 4,000, केदारनाथ में 12,000 और बद्रीनाथ में 15,000 तीर्थयात्रियों के लायक इंतजाम हैं। कुल मिलाकर 4 धाम यात्रा के लिए रोजाना 38,000 तीर्थयात्रियों की इजाजत है। इन चारों तीर्थस्थलों में तीर्थयात्रियों के लिए सीमित आवास उपलब्ध होने की वजह से ऐसा किया गया है।
2019 के बाद यह पहली बार है जब बिना किसी कोविड पाबंदी के यात्रा की इजाजत दी गई है, और यही वजह है कि इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। इस साल चार धाम यात्रा के लिए एक लाख से भी ज्यादा तीर्थयात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने सभी तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और उनके हितों का ध्यान रखते हुए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। लेकिन जमीनी हालात की बात की जाए तो 1.5 लाख तीर्थयात्री पहले ही पहुंच चुके हैं जिनमें से अधिकांश बिना रजिस्ट्रेशन के आए हैं।
सोमवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया था कि किस तरह तीर्थयात्री एक तरफ गहरी खाईं और दूसरी तरफ ऊंची चट्टानों के बीच मुश्किल पहाड़ी रास्तों पर आगे बढ़ रहे हैं। कुछ मंजर तो दिल दहला देने वाले हैं। मैं इस साल चार धाम यात्रा करने की प्लानिंग करने वाले सभी तीर्थयात्रियों को बेहद सतर्क रहने की सलाह दूंगा।
पिछले 8 दिनों में यात्रा पर आए 20 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर तीर्थयात्रियों की मौत ज्यादा ऊंचाई पर यात्रा करने से होने वाली वाली हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुई है। कोरोना काल से पहले चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों से फिटनेस सर्टिफिकेट मांगा जाता था, लेकिन इस बार सरकार ने यह नियम खत्म कर दिया है। सबसे ज्यादा मौतें यमुनोत्री में हुई हैं।
उत्तराखंड सरकार की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ शैलजा भट्ट ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, सांस लेने और हृदय संबंधी समस्याओं पीड़ित तीर्थयात्री चार धाम यात्रा से परहेज करें। स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण सोमवार को 4 और तीर्थयात्रियों की मौत हो गई जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। जान गंवाने वाले तीर्थयात्रियों में ज्यादातर महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के थे।
भीड़ इतनी ज्यादा है कि कई तीर्थयात्रियों को टेंट तक नसीब नहीं हो रहा है और उन्हें खुले में रात बितानी पड़ रही है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। हजारों तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ में बीमार और बुजुर्ग भक्तों को लादकर चल रहे खच्चरों की लाइन लगी हुई है।
इनमें से कई तीर्थयात्री तो आवास और चिकित्सा सहायता की कमी के बावजूद अपनी अटूट श्रद्धा की वजह से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। केदारनाथ धाम से 2 किलोमीटर दूर तक पूरा रास्ता तीर्थयात्रियों की वजह से जाम है। इसके पीछे भी कई किलोमीटर तक जाम की स्थिति है। तस्वीरों में नजर आ रहा है कि ज्यादा भीड़ होने की वजह से तीर्थयात्री चल भी नहीं पा रहे हैं, बल्कि रेंग रहे हैं। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। गौरी कुंड से केदारनाथ धाम तक पूरे रास्ते में भीड़भाड़ रहती है। श्रद्धालुओं की इस भीड़ में बुजुर्ग भी हैं और कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपने बच्चों को गोदी में उठाकर जा रहे हैं।
भगवान न करें लेकिन इन हालत में अगर मौसम खराब हो जाए, बारिश या लैंडस्लाइड हो जाए तो सोचिए तीर्थयात्री कितनी बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। इस समय इस रास्ते पर रोजाना 25 से 30,000 श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, केदारनाथ मंदिर में रोजाना केवल 12,000 तीर्थयात्रियों के लायक ही इंतजाम हैं, लेकिन 6 मई को मंदिर के कपाट खुलने के बाद एक ही दिन में 30,000 भक्तों ने दर्शन किए, और फिर 7 एवं 8 मई को भी यह सिलसिला जारी रहा। बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए हजारों तीर्थयात्री रास्तों पर 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक इंतजार कर रहे हैं।
तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ की वजह से होटल के कमरों की मांग बढ़ गई है। होटल मालिकों ने अपने कमरों के दाम बढ़ा दिए हैं। कुछ तीर्थयात्रियों ने तो होटल में एक रात बिताने के लिए 10 से 12 हजार रुपये तक चुकाए। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने भी माना कि तीर्थयात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को मुश्किल हो रही है।
केदारनाथ में 3 हेलीपैड हैं, जहां से 9 कंपनियों के हेलीकॉप्टर एक दिन में 130 उड़ानें भरते हैं। हेलीकॉप्टर का किराया 7000-8500 रुपये प्रति व्यक्ति के बीच है और सारे के सारे हेलीकॉप्टर जून तक बुक हैं। मैं समझ सकता हूं कि तीर्थयात्री यात्रा के लिए मई और जून के महीनों की गर्मी की छुट्टियां इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि मॉनसून की शुरुआत के बाद खराब मौसम के कारण जुलाई से सितंबर तक इन तीर्थस्थलों तक पहुंचना खासा मुश्किल हो सकता है। इस दौरान यहां लैंडस्लाइड और सड़क के ब्लॉक होने का खतरा बना रहता है।
हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के कारों में आने से हालात और खराब हो गए हैं। बद्रीनाथ के रूट पर सड़क के दोनों ओर गाड़ियां खड़ी दिख रही हैं, जिससे जाम की स्थिति पैदा हो गई है। टूरिस्ट बसें बड़ी संख्या में पहुंचने लगी हैं। बद्रीनाथ-केदारनाथ श्राइन कमेटी के CEO का कहना है कि मई के मध्य से जून के अंत तक तीर्थयात्रियों की भीड़ बढ़ने की उम्मीद है। यह एक चिंता की बात है क्योंकि क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अब तक 20 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। अधिकतर मौतें 10-12,000 फीट की ऊंचाई पर ज्यादा ऊंचाई और कम ऑक्सीजन की वजह से हुए कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई हैं।
हिन्दुओं के लिए चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है। हर हिन्दू जीवन में कम से कम एक बार चार धाम की यात्रा करना चाहता है। यह आस्था का मामला है और आस्था में शक्ति होती है, जो हर मुसीबत से मुकाबला करने की, जूझने की ताकत देती है। लेकिन परेशानी को भी समझना होगा।
अगर किसी तीर्थस्थल पर रोजाना 12 से 15 हजार भक्तों के दर्शन करने, रुकने, ठहरने का इंतजाम है और 30,000 से ज्यादा तीर्थयात्री एक साथ पहुंच जाएं तो क्या होगा? इससे तो भक्तों को मुसीबत ही होगी, और भगवान कभी नहीं चाहते कि उनके भक्तों को तकलीफ हो। इसलिए मेरा तो कहना है कि जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है, रजिस्ट्रेशन करवाइए, अपनी बारी का इंतजार कीजिए और आराम से भगवान के दर्शन कीजिए।
चार धाम की यात्रा तो सैकड़ों सालों से होती आई है, लेकिन अब भीड़ ज्यादा होने लगी है। अच्छी सड़कें बन गई हैं, रूकने ठहरने के बेहतर इंतजाम है। और सबसे बड़ी बात यह है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ का विकास इस तरह से हुआ है कि लोग एक बार वहां घूमने के लिए भी जाना चाहते हैं।
पिछले साल ही प्रधानमंत्री मोदी ने आदि शंकराचार्य के समाधिस्थल का उद्घाटन किया था, और केदारनाथ धाम के पास बनी आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया था। यह स्थान भी दिव्य है, भव्य है। अब रास्ते में बहुत सारी टनल्स बन गई हैं। 50 किलोमीटर का सफर तो टिहरी झील के किनारे-किनारे होता है। जबरदस्त नजारा है, इसलिए वहां जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। आप भी जरूर जाइए, लेकिन पहले रजिस्ट्रेशन कराइए।