Rajat Sharma

पीएफआई पर जल्द प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार

rajat-sirदेश के कई शहरों में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भड़काने की साजिशों में कथित संलिप्तता के कारण इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।

शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको दिखाया कि कैसे महाराष्ट्र में ठाणे के पास मुंब्रा में पीएफआई के एक स्थानीय नेता ने कहा कि अगर मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को किसी ने छेड़ा तो अंजाम ठीक नहीं होगा। उसने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे को भी धमकी दी और कहा कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए गए तो सबसे पहले पीएफआई इसका विरोध करेगी और पूरा मुस्लिम समदाय इसके लिए लड़ेगा। पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मुसलमानों से ज्यादा से ज्यादा चंदा देने को कहा गया है। इस वीडियो में यह कहा गया है कि आरएसएस से लड़ना जरूरी है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा जकात की जरूरत है।

रामनवमी के मौके पर देश के कई शहरों में शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी, आगजनी के पीछे भी पीएफआई की साजिश के सबूत मिले हैं। गृह मंत्रालय के पास कई राज्यों की तरफ से डोजियर पहुंच चुका है और इसके बाद सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।

अपने शो ‘आज की बात’ में हमने आपको दिखाया कि ठाणे के पास मुंब्रा में स्थानीय पीएफआई यूनिट हेड अब्दुल मतिन शेखानी ने जुमे की नमाज के बाद भड़काऊ भाषण दिया। भारी भीड़ और भड़काऊ नारों के बीच अब्दुल मतिन शेखानी ने मस्जिदों और मदरसों से लाउडस्पीकर हटाने पर ‘अंजाम’ भुगतने की धमकी दी।

राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल को हिंदू नववर्ष के लिए निकाली गई शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की में भी पीएफआई का लिंक सामने आया था। पीएफआई ने इस हिंसा से दो दिन पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें हिंसा की आशंका जताई गई थी। लेकिन अब पीएफआई खुद को मासूम दिखा रहा है। शुक्रवार को पीएफआई ने जयपुर में करौली हिंसा को लेकर विरोध मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

पीएफआई का गठन वर्ष 2006 में हुआ था। देश में मुसलमानों की हिमायत करने और मुसलमानों के मुद्दों को उठाने के लिए पीएएफआई का गठन किया गया था। लेकिन वर्ष 2010 में इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पीएफआई के खिलाफ सरकार को एक डोजियर सौंपा था। इस डोजियर में साफ-साफ कहा गया था कि पीएफआई की गतिविधियां ठीक नहीं हैं। यह संगठन देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है इसलिए इसपर प्रतिबंध लगाया जाए। इसके बाद वर्ष 2017 में पीएफआई के खिलाफ एक और डोजियर केंद्र सरकार भेजा गया। इस डोजियर में केरल, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, एमपी, कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में पीएफआई का हाथ बताया गया था।

फिलहाल मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर विवाद हो रहा है। इस विवाद से माहौल गर्मा गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र में मस्जिदों के पास लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया है वहीं इसके जवाब में शरद पवार की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने पुणे के सखली पीर में एक हनुमान मंदिर में मुसलमानों के लिए ‘इफ्तार पार्टी’ का इंतजाम किया। मुंबई, वाराणसी, अलीगढ़, भोपाल, लखनऊ सहित देश के कई शहरों में इस मुद्दे को लेकर तनाव फैल रहा है। मुंबई में बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने शहर के कई मंदिरों में मुफ्त लाउडस्पीकर भेजा है। उसने दावा किया है कि मुफ्त लाउडस्पीकर की मांग के लिए विभिन्न मंदिर ट्रस्ट से 9 हजार से ज्यादा आवेदन मिले हैं।

अब असली बात यह है कि न तो पीएफआई के नेताओं की नीयत ठीक है और न राज ठाकरे के भाव भक्ति से भरे हैं। पीएफआई मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रही है और राज ठाकरे हनुमान चालीसा की बात करके खुद अपने राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि न मुसलमानों को पीएफआई की बातों पर भरोसा है, न हिन्दू राज ठाकरे की बातों में आ रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि समझदारी से इस विवाद को खत्म करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एक सीमा से ज्यादा तेज आवाज में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाना चाहिए। चाहे मस्जिद हो या मंदिर, वहां एक निश्चित डेसीबल पर ही लाउडस्पीकर बजाया जा सकता है। शोर के हाइलेवल पर पाबंदी है। यह सही है कि कई जगह मस्जिदों में काफी हाई डेसिबल पर लाउडस्पीकर से अजान दी जाती है लेकिन इसका जवाब मंदिर में लाउडस्पीकर लगाकर देना ठीक नहीं है। हनुमान चालीसा और अजान के नाम पर टकराव से माहौल बिगड़ता है। और जब माहौल बिगड़ता है तो सबसे ज्यादा नुकसान बेकसूर लोगों का होता है।

मैंने अपने रिपोर्टर पवन नारा को मध्य प्रदेश में खरगोन के दंगा प्रभावित इलाकों में भेजा। वहां के हालात वाकई चिंताजनक हैं। दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। हमारे रिपोर्टर ने बताया कि शोभायात्रा पर पथराव तो बहाना था। हकीकत यह है कि शोभायात्रा के रूट से दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर दूर के इलाकों में भी पत्थरबाजी हुई। घरों को लूटा गया और जलाया गया। चुन- चुन कर हिन्दुओं के घरों पर हमला किया गया। खरगोन की तस्वीरों वाकई भयावह हैं।

मैं चाहूंगा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भीड़ द्वारा जलाए गए घरों की तस्वीरें देखें। इस अपराध में शामिल लोगों को जेल में डाल देना चाहिए। उन्हें सभ्य समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इंडिया टीवी रिपोर्टर पिछले दो दिनों से खरगोन में हैं और उन्होंने हिंसाग्रस्त इलाकों का जायजा लिया। उन परिवारों से मिले जिनके घरों में आगजनी की गई, गोलीबारी हुई। जमीनी हालात देखकर कोई भी कहेगा कि दंगे का रामनवमी की शोभायात्रा से कोई लेना-देना नहीं था। यह एक गहरी साजिश है।

खरगोन के काजीपुरा इलाके में दंगाइयों ने हिंदुओं के घरों पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके। सीसीटीवी कैमरों से खुद को बचाने के लिए ज्यादातर दंगाइयों ने नकाब पहन रखा था। 17 साल के एक लड़के ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि जब हिंसा शुरू हुई उस रात वह अपने घर में था। उसके घर पर भी पेट्रोल बम से हमला किया गया। पेट्रोल बम उसके बिस्तर पर गिरा और आग लग गई। इस लड़के की पूरी पीठ जल गई। दुख की बात यह है कि 17 साल के इस लड़के को जिन लोगों ने ये जख्म दिए हैं वो उसके मोहल्ले के लड़के है। उसे सबके नाम मालूम हैं।

ऐसी एक नहीं दर्जनों कहानियां हैं और सैकड़ों तस्वीरें हैं। खरगोन में दंगाइयों ने उस शख्स का भी घर जला दिया जो दूसरों के घरों में लगी आग को बुझा रहा था। फायर ब्रिगेड के कर्मचारी सुभाष गांगले दूसरों के घरों में लगी आग को बुझाने के लिए जी-जान से जुटे थे लेकिन तभी उन्हें खबर मिली हि आनंद नगर में दंगाइयों ने उनका घर जला दिया है। सुभाष ने हमारे रिपोर्टर से बस इतना ही कहा कि उन्होंने आग बुझाते वक्त कभी यह नहीं देखा कि घर हिन्दू का है या मुसलमान का। वो अपनी ड्यूटी करते रहे लेकिन दंगाइयों ने उनके ही घर में आग लगा दी।

इन लोगों का दर्द और इनकी तकलीफें सुनकर दिल भर आता है। हमारे रिपोर्टर पवन नारा ने कई पीड़ितों से मुलाकात की। बहुत से परिवार तो ऐसे हैं जिनके पास कपड़े तक नहीं बचे। क्योंकि जब आगजनी हुई तो वे लोग जिस हालात में थे उसी हालत में भागे और जब लौटे तो कुछ नहीं बचा था। इनमें से कई खुले आसमान के नीचे सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं। कुछ लोगों ने अपने दोस्तों के घरों में पनाह ले रखी है। हमारे रिपोर्टर ने खरगोन के भाटवाड़ी इलाके में दिलीप कानूनगो के परिवार से मुलाकात की। दिलीप कानूनगो की 4 साल पहले मौत हो गई थी। घर में मां, बेटा और बेटी हैं। इनका पूरा घर जला दिया गया। जब दंगाई उनके घर को जला रहे थे उस वक्त मां अपने बच्चों के साथ पड़ोस के घर में तीसरी मंजिल पर छुपी थी। वह अपने घर को जलता हुआ देख रही थी। अब ये लोग रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं। सब कुछ खाक हो जाने का गम भी है और इस बात का गुस्सा भी कि जिन्हें अपना समझा वहीं दुश्मन निकले। उसने हमारे रिपोर्टर को बताया कि वह दंगाइयों में से कई को जानती थी, जो उसके पड़ोसी थे।

अब इसमें कोई शक नहीं है कि खरगोन में जो हुआ वह पूरी प्लानिंग से हुआ। दंगे की साजिश थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि खरगोन में दंगे के लिए लोग बाहर से भी लाए गए थे। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दंगे में घायल लोगों का मुफ्त इलाज करवाने का आदेश दिया है। साथ ही जिन लोगों के घर जल गए उनके घर फिर से बनवाने का वादा किया है। वहीं उन्होंने दंगाइयों के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। दंगे के आरोपियों के घर स्थानीय प्रशासन की ओर गिराए गए हैं। शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करना ‘राजधर्म’ का हिस्सा है।

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