श्रद्धा के महाकुंभ की अद्भुत, अभूतपूर्व कहानी
महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ का समापन हो गया. 45 दिन के इस अभूतपूर्व आयोजन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. अभूतपूर्व इसलिए क्योंकि दुनियाभर के लोगों ने आस्था का ऐसा महासागर पहले कभी नहीं देखा. 45 दिन में 66 करोड़ तीस लाख से ज्यादा भक्तों ने संगम में डुबकी लगाई. हर दिन सवा करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे. पचास लाख से ज्यादा विदेशी भक्त आए. सत्तर से ज्यादा देशों के लोग पहुंचे. पूरी दुनिया देखकर हैरान है कि अमेरिका से दुगुनी आबादी, फ्रांस और ब्रिटेन की आबादी से दुगुनी, रूस की आबादी से पांच गुनी, दुनिया के सौ से ज्यादा देशों की कुल आबादी से ज्यादा लोग प्रयागराज पहुंचे लेकिन कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, किसी को कई परेशानी नहीं हुई. किसी को महाकुंभ में आने का आमंत्रण नहीं दिया गया था. सभी अपनी मर्जी से, भक्तिभाव मे डूब कर महाकुंभ में आए. आस्था की डुबकी लगाई और लौट गए. ये चमत्कार नहीं तो और क्या हैं? इसीलिए योगी आदित्यनाथ की प्रबंध कला की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है. बड़ी बात ये है कि ये कोई सरकारी आयोजन नहीं था. ये सनातन की पंरपरा, भारत की सांस्कृतिक शक्ति का मेला था. इस महाकुंभ में गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोग पहुंचे. महाकुंभ से यूपी की अर्थव्यवस्था को तीन लाख करोड़ रु. का फायदा पहुंचा. महाकुंभ की वजह से प्रयागराज के अलावा अयोध्या, काशी और विंध्यवासिनी की तस्वीर बदली. 45 दिन में यूपी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक तीर्थाटन का केंद्र बन गया. महाकुंभ का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर करना बड़ी हिम्मत का काम था और ये हिम्मत योगी ने दिखाई. ये आयोजन सफल हुआ, ये चमत्कार से कम नहीं है. जब करोड़ों लोग एक साथ एक जगह पर आते हैं तो जोखिम रहता है. कुछ भी हो सकता था. एक रात भगदड़ मची, दुखद हादसा हुआ, ये नहीं भूलना चाहिए. इतने सारे लोग एक साथ, एक जगह पर स्नान करने गए तो कोई महामारी फैल सकती थी. करोड़ों लोग एक साथ हों तो कोई अनहोनी हो सकती थी. लेकिन जो हुआ, वह अद्भुत है, ईश्वर की कृपा है. लेकिन महाकुंभ के इस महाआयोजन ने ये साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो 66 करोड़ लोगों को मैनेज किया जा सकता है. टेक्नोलॉजी का ठीक से इस्तेमाल किया जाए, तो सुरक्षा दी जा सकती है. कम्युनिकेशन स्किल हो तो करोड़ों लोगों के आने जाने का इंतजाम हो सकता है. लोगों का सहयोग मिले तो रोज़ लाखों लोगों के खाने का इंतजाम किया जा सकता है. हमेशा डराने वाली पुलिस का व्यवहार दोस्ताना हो सकता है. हजारों धर्मगुरुओं और साधु संतों का मान रखा जा सकता है. गरीब और अमीर को बिना किसी भेदभाव के संगम में डुबकी का अवसर दिया जा सकता है. अगर कारोबार की कुशलता हो तो साढ़े 7 हजार करोड़ रुपये खर्च करके तीन लाख करोड़ का कारोबार हो सकता है. अफवाहों के बावजूद कुशल प्रबंधन से लोगों का भरोसा जीता जा सकता है. इसीलिए इस बार के महाकुंभ को अकल्पनीय अनुभव के रूप में याद किया जाएगा. महाकुंभ का ये आयोजन मोदी और योगी की अग्निपरीक्षा थी. ये दोनों इस परीक्षा में खरे उतरे. पूरी दुनिया में सनातन का मान बढ़ा. पूरी दुनिया में भारत की प्रबंध कला, क्षमता और कुशलता के प्रति विश्वास बढ़ा. पूरी दुनिया ने माना कि जो कोई नहीं कर पाया, वह भारत ने कर दिखाया. इस अभूतपूर्व आयोजन की गूंज पूरी दुनिया में वर्षों तक सुनाई देगी. ये भारत की, सनातन की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
बाबा बागेश्वर का नया चमत्कार
महाकुंभ में तो सनातन का भक्तिमय स्वरूप दिखा लेकिन महाशिवरात्रि के दिन मध्य प्रदेश के छतरपुर में सनातन के सेवाभाव के दर्शन हुए. बागेश्वर धाम में आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री ने 251 गरीब और बेसहारा बेटियों का विवाह करवाया. समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 251 जोड़ों को आशीर्वाद दिया. धीरेन्द्र शास्त्री 5 साल से हर साल गरीब बेटियों की शादी करवाते हैं. अब तक 669 गरीब बेटियों की शादी करवा चुके हैं. जिन 251 गरीब लड़कियों ने नए जीवन की शुरूआत की उनमें 108 आदिवासी समाज की हैं, जबकि 143 दूसरे सनातन समाज की गरीब बेटियां हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने जानकारी दी कि उनके कार्यकर्ता गांव-गांव घूम कर ऐसी बेटियों के बारे में पता लगाते हैं, जो बेसहारा हैं, जिनके माता पिता नहीं हैं, जो बेहद गरीब हैं. अपने भाषण में धीरेंद्र शास्त्री भावुक हो गए, जब उन्होंने कहा कि उनकी बहन की शादी के लिए परिवार के पास पैसे नहीं थे, लोग कर्ज देने को भी तैयार नहीं थे, उन्हें पता है कि गरीब बेटी और उसके परिवार के लोगों पर क्या बीतती है. इसीलिए उन्होंने प्रण लिया है कि जो उनके साथ हुआ वो किसी और के साथ नहीं होने देंगे. आचार्य धीरेंद्र शास्त्री को अब तक एक..चमत्कार करने वाले बाबा के रूप में जाना जाता था. एक कुशल कथावाचक के तौर पर उनकी बहुत प्रतिष्ठा है लेकिन आज धर्मपिता के तौर पर उनका एक नया स्वरूप सामने आया. बागेश्वर धाम में वो एक कैंसर अस्पताल भी बनवा रहे हैं. मुझे लगता है कि धर्मगुरु, मठाधीश और संत समाज इसी तरह से समाज कल्याण के काम करें तो गरीबों को सहारा मिलेगा. मंदिरों में चढ़ावे के तौर पर आने वाली राशि का इस्तेमाल गरीबों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और पौष्टिक आहार के लिए किया जाए तो देश को बल मिलेगा.
बिहार में बीजेपी का जातियों पर फोकस
बिहार में चुनाव से आठ महीने पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. सात नए मंत्रियों ने शपथ ली. सातों बीजेपी के हैं. अब नीतीश कैबिनेट में बीजेपी की मंत्रियों की संख्या 21 हो गई हैं, जबकि मुख्यमंत्री समेत जेडीयू के कुल 13 मंत्री हैं. जिन मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई है, उसमें सबसे ज्यादा चार मंत्री मिथिलांचल से हैं. बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों हुआ, कैसे हुआ, किसको मौका मिला, ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. सीधी सी बात है. ये सब जानते हैं कि बिहार के चुनाव में जाति का बोलबाला रहता है. लालू यादव का फोकस दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोटों पर है. बिहार में पिछड़ों की आबादी 27 प्रतिशत से ज़्यादा है जबकि अति पिछड़ा समाज से ताल्लुक रखने वाले करीब 36 प्रतिशत हैं. सिर्फ यही दोनों मिलकर करीब 63 प्रतिशत हो जाते हैं. चूंकि ये माना जाता है कि यादवों का वोट RJD को मिलता है, इसलिए बीजेपी का फोकस पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों पर है जिनका वोट करीब 50 प्रतिशत है. इसीलिए चुनाव को ध्यान में रखते हुए 7 में से 5 मंत्री अन्य पिछड़े वर्ग से हैं. बीजेपी ने चुनाव से पहले जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है.
क्रिकेट : अफगानिस्तान के हाथों इंग्लैंड की हार
चैम्पियंस ट्रॉफी में नौसिखिया मानी जाने वाली अफगानिस्तान की टीम ने इंग्लैड को 8 रन से हराकर सबको चौंका दिया. मैच में पहले अफगानिस्तान ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की जबरदस्त धुनाई की. 325 रन का बड़ा टारगेट सैट किया. ये मैच अफगानिस्तान के ओपनर इब्राहिम ज़दरान की शानदार बैटिंग के लिए याद किया जाएगा. इब्राहिम ने 177 रन की पारी खेली और ये चैम्पियंस ट्रॉफी में किसी भी बल्लेबाज की अब तक खेली गई सबसे बड़ी पारी है. उन्होंने 146 बॉल में 12 चौके और छह सिक्सर मारे और पारी के आखिरी ओवर में आउट हुए. इसके बाद इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भी जबरदस्त बैंटिंग की. जो रूट ने 111 गेंदों पर 120 रन बनाए, लेकिन अफगान गेंदबाज़ हावी रहे. अज़मतुल्लाह उमरज़ई ने 58 रन देकर 5 विकेट लिए. चैंपियंस ट्रॉफी में अफगानिस्तान की टीम पहली बार खेल रही है. इब्राहिम ने चैंपियंस ट्रॉफी की अबतक की सबसे शानदार पारी खेलकर सबको चौंका दिया. अफगानिस्तान की टीम के पास ज़बरदस्त टैलेंट है, बस अनुभव की कमी है. इसीलिए वो कई बार जीत के कगार पर आकर भी हार जाती है. लेकिन बुधवार को उसने पांसा पलट दिया.
Maha Kumbh : How Yogi nailed opposition’s lies
On Mahashivratri, the last day of Maha Kumbh, the number of devotees taking a holy dip may touch 3 crore by the end of the day. The final figure of devotees at the 45-day-long Maha Kumbh may touch 66 to 67 crore. This is almost double the size of USA’s population, which is 34 crore. The huge turnout of devotees has unnerved the opposition, which had been feeding fake videos about death of thousands in stampede. Yogi Adityanath had remarked that “while the devouts will find their faith, vultures will search for bodies and pigs will look for garbage”. Akhilesh Yadav is a seasoned politician who understands the loaded meaning behind this remark. Yogi is right when he alleges that fake narratives were sought to be created since Day 1. You will remember, when the Maha Kumbh began, it was alleged that special trains were running empty, but visuals of huge gatherings rubbished this charge. It was alleged that the water quality at Sangam was not fit for bathing, but devotees replied to this charge on camera. When it was alleged that thousands died in the stampede and bodies were thrown into Ganga, those levelling such allegations did not know this was the age of AI, and several thousands drones and CCTV cameras were taking live visuals. How can anyone dare to throw the bodies in the river? Yogi rubbished each and every charge that was made. This was necessary. Each fake narrative was demolished. These fake news had no impact on the millions of devotees who thronged the Maha Kumbh. The numbers continued to increase. People were watching live visuals on TV and were looking at the flow of river Ganga. It is a bitter truth that if such a huge congregation of any other religion had taken place, none would have dared to make baseless charges. This Maha Kumbh will be remembered for ages to come.
CAG report : The truth about Delhi liquor scam
The CAG report on the controversial Delhi liquor policy, placed in the Assembly, clearly states that Delhi government suffered a loss of more than Rs 2,000 crore and licensing process norms were not followed. The report says, rules were framed without the sanction of Lt. Gov. and cabinet in order to benefit the liquor cartels. There was no transparency while fixing liquor prices. Interestingly, AAP leader Atishi claimed that the CAG report was related to the liquor policy framed during Sheila Dixit’s rule. Atishi claimed that the losses were not due to the policy but due to Lt. Governor, CBI and ED. Atishi and AAP leaders are good at giving spin to facts. Their policy seems to be: Attack is the best defence. The CAG report presented on Tuesday clearly states that the new liquor policy was framed during Arvind Kejriwal’s rule and it was meant to benefit a handful of businessmen. It was Kejriwal and his men who drafted the policy causing loss to the exchequer. CBI and ED are already probing the charges, but AAP is yet to give specific replies to the charges made in the excise scam. AAP leaders forget that the government in NCT has changed and Rekha Gupta’s government has access to all files. Neither can the truth be hidden nor can a spin be given. Anymore.
A new son on the rise in Bihar
In Bihar, a new son is on the rise. Chief Minister Nitish Kumar’s 49-year-old son Nishant Kumar has appealed to people to vote for his father. He has also appealed that his father be declared the CM candidate for the NDA alliance. Nishant Kumar is unmarried and he had been keeping a low profile after completing his studies in engineering. On Tuesday, a billboard was erected outside JD(U) office “appealing” to Nishant Kumar to join politics and lead the party. RJD leader Tejashwi Yadav advised Nishant Kumar to marry first before joining politics. He also advised him to beware of alliance leaders like Chirag Paswan and Jitanram Manjhi. Till now, Nitish Kumar’s son has been staying away from active politics, but nobody can say with finality whether he would contest this year’s Bihar assembly elections or not. Rumours are rife in the Bihar capital about Nishant being pressurized to join politics and take over his father’s legacy. Nishant is being told by his close advisers that his father has his own support base in Bihar, which can be transferred to him. Some of them have told Nishant that he should take up the responsibility given the health of his father. Indications are that Nishant Kumar’s heart is now melting. Slowly.
Preity Zinta’s courageous step
A false news about film actor Preity Zinta is a clear example of how social media is being misused to spread lies. Kerala Congress spread a lie about Preity Zinta that she had taken Rs 18 crore loan from the crisis ridden New India Cooperative Bank in Mumbai, and she got her loan written off after she reportedly allowed her social media handle to be used to favour BJP. Preity Zinta reacted immediately. She wrote on X: “I operate my social media accounts myself and shame on you for promoting FAKE NEWS! No one wrote off anything or any loan for me. I’m shocked that a political party or their representative is promoting fake news & indulging in vile gossip & click baits using my name & images. For the record, a loan was taken and FULLY PAID BACK – over 10 years ago. Hope this clarifies and helps, so there are no misunderstandings in future.” By the time, Preity Zinta reacted, thousands of netizens wrote defamatory remarks about her. I would like to praise Preity Zinta for showing courage by putting the truth before the people and forced Kerala Congress to tender apology. Normally, most of the celebrities ignore such fake news, but it encourages those who peddle lies on social media. Such liars and fake news peddlers must not be spared. If they refuse to apologize, they must be dragged to courts. Until and unless two or three fake news peddlers are not punished, this trend will not stop.
महाकुंभ को किसने बदनाम किया ?
प्रयागराज में महाशिवरात्रि पर्व पर संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्य़ा शाम तक 3 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. 45 दिनों से चल रहे महाकुम्भ का अब समापन होगा. श्रद्धालुओं की कुल संख्या 66 से 67 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. यह संख्या अमेरिका की कुल आबादी 34 करोड़ से लगभग दुगुनी है. पूरे महाकुंभ में योगी के विरोधियों अफवाहों की लाइन लगा दी थी, फेक न्यूज, फर्जी रील्स चला दी थी. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के तमाम नेताओं ने महाकुंभ को बदनाम करने की जी तोड़ कोशिश की. योगी आदित्यनाथ ने हर सवाल का करारा जवाब दिया. हर अफवाह को झूठी साबित की. अखिलेश यादव ने कहा कि गंगा के जल में मल है. कुछ नेताओं ने कहा कि संगम में डुबकी लगाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं. एक फेक न्यूज ये फैलाई गई कि कुंभ में हजारों लोगों की मौत हो गई, सरकार ने लाशों को गंगा में बहा दिया. गंगा के पानी को दूषित कर दिया. इल्जाम ये लगा कि महाकुंभ में हजारों लोग लापता हो गए. सरकार आंकड़े छिपा रही है. प्रयागराज में भगदड़ को लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के फर्जी वीडियो पोस्ट किए गए. योगी ने कहा कि महाकुंभ को बदनाम करने के लिए सनातन विरोधियों ने पूरी ताकत लगाई. हर अनैतिक फॉर्मूला अपनाया, लोगों को डराया लेकिन इसके बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह न तो कम हुआ, न ही महाकुंभ की महिमा पर कोई दाग लगा पाए. अखिलेश यादव अच्छी तरह जानते हैं कि योगी ने किसके लिए कहा था कि गिद्ध को लाशें दिखाई देती हैं और सुअर को गंदगी दिखाई देती है. वह नादान नहीं हैं पर जान-बूझकर अनजान बन रहे हैं. योगी की ये बात सही है कि पहले दिन से बड़े व्यवस्थित तरीके से महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश की गई. आपको याद होगा महाकुंभ शुरू होते ही कहा गया कि वहां कोई जा नहीं रहा, ट्रेनें खाली आ रही हैं पर आस्था के सैलाब की तस्वीरों ने इस तरह के हर आरोप को नकार दिया. फिर इल्जाम लगे जल, सफाई, प्रबंध को लेकर. इन सारी बातों का जवाब महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालुओं ने कैमरे पर दिया. जब फर्जी वीडियो दिखाकर पाकिस्तान और बांग्लादेश की तस्वीरें लगाकर फेक नैरेटिव खड़ा किया गया तो भी योगी ने तुरंत जवाब दिया था. फिर कहा गया कि भगदड़ में हजारों लोग मारे गए, गंगा में लाशें बहा दी गईं, पर आरोप लगाने वालों ने ये नहीं सोचा कि ये AI का जमाना है, हजारों सीसीटीवी निगरानी कर रहे हैं. वे भूल गए कि सैकड़ों ड्रोन दिन रात लाइव तस्वीरें ले रहे हैं. ऐसे में लाशों को छुपाने की, गंगा में बहाने की, हिमाकत कौन कर सकता है? योगी ने अफवाह फैलाने वालों को एक बार फिर आड़े हाथों लिया. ये ज़रूरी था. एक-एक फर्जी खबर को झूठ साबित किया गया. ये आवश्यक था. हालांकि ये बात अपनी जगह है कि पानी को लेकर, लाशों को लेकर, लोगों के लापता होने को लेकर जितनी भी अफवाहें फैलाई गईं, उनका जनता पर कोई असर नहीं हुआ. महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती गई. लोग टीवी पर प्रबंध भी देख रहे थे, पानी का प्रवाह भी देख रहे थे, श्रद्धालुओं के अनुभव भी लाइव सुन रहे थे. इसलिए असलियत तो सब जानते हैं. ये एक कड़वा सच है कि अगर ये आयोजन किसी और धर्म का होता तो कोई इस तरह के बेबुनियाद इल्जाम लगाने की हिम्मत न करता. ये महाकुंभ लोगों के दिलों पर पीढ़ियों तक सनातन की छाप छोड़ेगा. इस महाकुंभ को सदियों तक पूरी दुनिया में याद किया जाएगा.
दिल्ली : CAG रिपोर्ट के पीछे क्या है ?
दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब घोटाले पर CAG की रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि केजरीवाल की नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रु. से ज्यादा का नुकसान हुआ. 166 पन्ने की इस रिपोर्ट में कहा गया कि लाइसेंस प्रक्रिया के नियमों की अनदेखी की गई, शराब निर्माताओं के कार्टेल को फायदा पहुंचाने की नीयत से कैबिनेट और LG की मंजूरी के बगैर निय़म बनाए गए, .कीमतें तय करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई. दिलचस्प बात ये है कि आम आदमी पार्टी के नेता CAG की रिपोर्ट को अपनी जीत बता रहे है. पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी का कहना है कि जिन खामियों का जिक्र किया गया है, वो शीला दीक्षित की सरकार के वक्त की शराब नीति को लेकर हैं. आतिशी और आम आदमी पार्टी के नेता बातों को घुमाने में माहिर हैं. उनकी रणनीति है, Attack is the best defence. CAG रिपोर्ट का मोटा मतलब ये है कि केजरीवाल के शासन काल में जो शराब नीति बनी, वो कुछ व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनी. जिन लोगों को फायदा पहुंचा, उन्हीं लोगों ने केजरीवाल की पार्टी को करोड़ों का फायदा पहुंचाया. ये आरोप पहले भी लगे हैं. CBI और ED इन्हीं की जांच कर रही है पर आम आदमी पार्टी ने शराब घोटाले के आरोपों का कभी साफ साफ जवाब नहीं दिया. CAG रिपोर्ट को शीला दीक्षित सरकार की शराब नीति पर रिपोर्ट बताया. लेकिन वे भूल जाते हैं कि दिल्ली में सरकार बदल चुकी है, रेखा गुप्ता की सरकार को सारी फाइलों तक access है. अब न सच को छुपाया जा सकेगा, न बात को घुमाया जा सकेगा.
बिहार : नीतीश के बेटे के दिल में क्या है ?
बिहार में आजकल सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री की खूब चर्चा है. निशांत कुमार ने खुद राजनीति में आने की बात नहीं कही, लेकिन पटना में JD(U) के दफ्तर के बाहर पोस्टर लगे हैं जिनमें निशांत कुमार से राजनीति में आने और JDU का नेतृत्व करने की अपील की गई हैं. निशान्त कुमार भी आजकल कैमरों के सामने आने लगे हैं. पिछले एक हफ़्ते में निशांत कुमार दो बार अपने पिता नीतीश कुमार को वोट देने की अपील कर चुके हैं. निशांत अब तक राजनीति से दूर रहे हैं इसीलिए कोई दावे से नहीं कह सकताकि वह इस बार बिहार विधानसभा के चुनाव में उतरेंगे या नहीं. लेकिन आजकल बिहार में ये चर्चा गर्म है कि निशांत पर राजनीति में आने का दबाव बनाया जा रहा है. कोई उनसे नीतीश कुमार की विरासत संभालने की जिद कर रहा है, तो कोई निशांत को ये समझाने में लगा है कि नीतीश कुमार का एक अपना सपोर्ट बेस है और वह सिर्फ उनके बेटे को ट्रांसफर हो सकता है. कई लोग निशांत को नीतीश बाबू की सेहत का हवाला देकर कहते हैं कि उन्हें जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. अब इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि निशांत कुमार थोडा-थोड़ा पिघलने लगे हैं.
प्रीति ज़िंटा: 18 करोड़ की स्टोरी क्या है ?
फिल्म एक्ट्रेस प्रीति ज़िंटा के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के मामले में कांग्रेस को बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. केरल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया था कि मुंबई के न्यू इंडिया कोआपरेटिव बैंक से प्रीति ज़िंटा ने 18 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया था, इसकी वसूली से बचने के लिए उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट बीजेपी को दे दिया. इसके बदले प्रीति जिंटा का कर्ज़ माफ कर दिया गया और पिछले हफ्ते बैंक डूब गया. कांग्रेस के इस आरोप पर प्रीति ज़िंटा ने तुंरत जबाव दिया. प्रीति ने X पर लिखा कि वो अपना सोशल मीडिया अकाउंट खुद ऑपरेट करती हैं, ऐसे फेक न्यूज़ फैलाने वालों को शर्म आनी चाहिए, उन्होंने जो कर्ज़ लिया था, उसे दस साल पहले पूरी तरह चुका दिया था. जैसे ही प्रीति जिंटा का जवाब आया तो केरल कांग्रेस के नेता डिफेंसिव पर आ गए. केरल कांग्रेस की तरफ से X पर लिखा गया कि ये जानकर अच्छा लगा कि आप अपना अकाउंट खुद मैनेज कर रही हैं. केरल कांग्रेस ने लिखा कि अगर हमसे कोई गलती हुई तो उसे मानने के लिए तैयार हैं. प्रीति जिंटा का केस इस बात का उदाहरण है कि सोशल मीडिया पर झूठ कैसे फैलाया जाता है. कांग्रेस ने झूठ बोला, हजारों लोगों ने प्रीति जिंटा के बारे में तरह तरह की बातें लिखीं पर मैं प्रीति जिंटा की तारीफ करूंगा कि उन्होंने हिम्मत दिखाई, सच सामने रखा, तो कांग्रेस को माफी मांगनी पड़ी लेकिन ज्यादातर सेलिब्रिटिज इस तरह की फेक न्यूज को अनदेखी कर देते हैं, सोचते हैं कौन झगड़े में पड़े. इससे झूठ बोलने वालों की हिम्मत बढ़ती है. फेक न्यूज फैलाने वालों को छोड़ना नहीं चाहिए. अगर वो सार्वजनिक तौर पर माफी ना मांगे तो उनको कोर्ट में घसीटना चाहिए. जब तक ऐसे दो-चार लोगों को सजा नहीं मिलेगी तब तक ये ठीक नहीं होंगे.
Maha Kumbh Impact: How Samajwadi turned Sanatani ?
As the curtains are ready to fall at the Maha Kumbh on Mahashivratri (Wednesday), a sea of devotees is still heading towards Prayagraj to take a holy dip at Triveni Sangam, the confluence of the rivers Ganga, Yamuna and Saraswati. The Maha Kumbh began on January 13 and till Tuesday, nearly 64 crore devotees have taken a holy dip. This is the largest number of devotees ever to have congregated at Kumbh in its entire history.
The entire Maha Kumbh area has been declared a no-vehicle zone, as over a crore people are expected to join the last Amrit Snan on Mahashivratri. There have been five Amrit Snans till now, on January 13, 14 , 29 and on February 3 and 12.
The Uttar Pradesh government is paying close attention to crowd management. All vehicles approaching Prayagraj are being stopped nearly 20 km away, while the parking area has been increased. Devotees are not being allowed to stay at the Triveni Sangam and other bathing ghats, once their holy dip is over.
The craze has caught up with several top Mumbai film industry stars and politicians. Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar, film actors Katrina Kaif, Akshay Kumar, Raveena Tandon, Maharashtra deputy CM Eknath Shinde, minister Pankaja Munde, BJP MP Ravi Kishen were among celebrities who took a holy dip on Monday.
In the state assembly, UP chief minister Yogi Adityanath lambasted the opposition parties for trying to deride the arrangements made for Maha Kumbh. He compared their criticisms with vultures that feast on unclaimed bodies and pigs which feed on excreta.
Yogi said, millions of devotees have praised the arrangements at the Maha Kumbh, “but the problem with Samajwadis and Leftists is that, they remain confused throughout their lives and become Sanatani only at the end….Most of the opposition leaders have quietly gone to Maha Kumbh and taken their holy dip.”
Yogi Adityanath has won the political battle that was launched by former CM Akhilesh Yadav over the issue of “poor management” at the Maha Kumbh. Yogi is confident the final figure at Maha Kumbh would cross 65 crore. In other words, nearly half the population of India would have taken a holy dip by the time Maha Kumbh is over.
By successfully organizing the Maha Kumbh, Yogi Adityanath has given a clear reply to his political rivals. The consequences will be seen two years from now. We can say that Yogi has already laid the foundation for his UP assembly election campaign. The “punya” (divine blessings) that has been earned from Maha Kumbh will not only help Yogi, but also provide zest to Prime Minister Narendra Modi in achieving his dream of a Viksit Bharat.
महाकुंभ का प्रताप: समाजवादी भी सनातनी हो गये !
देश भर में सनातनियों में महाकुंभ के प्रति जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है. प्रयागराज के महाकुंभ का बुधवार महाशिवरात्रि के दिन समापन है. संगम में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा 64 करोड़ को छू गया है. महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही महाकुंभ मेले का औपचारिक समापन हो जाएगा.
महाकुंभ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले नौ दिनों में रोज सवा करोड़ से ज्यादा भक्त संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं. सोमवार को एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया. महाशिवरात्रि पर आने वाली भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए मेला क्षेत्र को no-vehicle zone घोषित कर दिया गया है. श्रद्धालुओं की संख्या और उनके जोश को देखते हुए क्राउड मैनेजमेंट पर खास ध्यान दिया जा रहा है.
प्रयागराज पहुंचने वाली गाड़ियों को करीब बीस किलोमीटर दूर रोका जा रहा है. पार्किंग की संख्या बढ़ा दी गई है. घाटों पर भी पुलिस फोर्स और वालेंटियर्स बड़ी संख्या में तैनात हैं. संगम घाट पर किसी को भी ठहरने नहीं दिया जा रहा है. पुलिस की तरफ से लगातार घोषणा की जा रही है कि स्नान के बाद घाट के पास कोई श्रद्धालु न रुकें.
सोमवार को महाकुंभ में जानी-मानी हस्तियां पहुंचीं. सबसे ज्यादा चर्चा फिल्म अभिनेत्री कटरीना कैफ की हुई. कटरीना ने संगम में डुबकी लगाई. सबसे पहले परमार्थ निकेतन के शिविर में गई, जहां परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने उनका स्वागत किया. वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच तिलक लगाकर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कटरीना कैफ को आशीर्वाद दिया.
फिल्म स्टार अक्षय कुमार भी महाकुंभ पहुंचे, संगम में डुबकी लगाई, मां गंगा को प्रणाम किया और बाद में महाकुंभ व्यवस्था की तारीफ की. अभिनेत्री रवीना टंडन अपनी बेटी राशा के साथ महाकुंभ पहुंची. शाम को स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ कटरीना कैफ, रवीना टंडन और उनकी बेटी राशा ने संगम घाट पर भजन गाया और मां गंगा की आरती की.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे, बीजेपी सांसद अभिनेता रवि किशन और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भी आज अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाई.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के नेताओं ने महाकुंभ को लेकर सरकार पर हमले किए थे, अव्यवस्था का मुद्दा उठाया था, संगम के पानी की गुणवत्ता पर सवाल पूछे थे, गंगा में लाशें बहाने का इल्जाम लगाया था. योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को करारा जवाब दिया. योगी ने कहा, जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखि तिन तैसी. जिसकी जैसी नजर थी, उसे महाकुंभ में वही नजर आया, गिद्धों को लाशें दिखी, सूअरों को गंदगी, भक्तों को भगवान दिखे और सज्जनों को सामाजिक समरसता.
योगी ने समाजवादी पार्टी के नेताओं की तरफ इशारा करके चुटकी ली. कहा कि मुश्किल ये है कि समाजवादी और वामपंथी जिंदगी भर कन्फ्यूज्ड रहते हैं और आखिरी वक्त में सनातनी होते हैं, इसी चक्कर में गड़बड़ होती है. योगी ने कहा कि जो लोग दिन भर महाकुंभ की आलोचना करते हैं, वो चुपके से संगम में डुबकी लगाने चले जाते हैं.
महाकुंभ को लेकर जो सियासी जंग अखिलेश यादव ने शुरू की थी, वो योगी आदित्यनाथ ने जीत ली है. महाकुंभ में अब तक 64 करोड़ लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. योगी ने बताया कि अगले दो दिन में ये संख्या 65 करोड़ पार कर जाएगी. मतलब ये कि देश की लगभग आधी आबादी संगम में स्नान कर चुकी होगी.
इस महायज्ञ से मिली शक्ति के आधार पर योगी ने आज अपने राजनीतिक विरोधियों को करारा जवाब दिया, एक-एक आरोप पर सफाई दी. एक तरह से आज, दो साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के कैंपेन की नींव रख दी गई है. महाकुंभ से अर्जित पुण्य सिर्फ योगी के काम नहीं आएगा, संगम के तट पर हुआ ये महाप्रयास मोदी को भी ऊर्जा देगा.

Sinners of Mahakumbh: Who made videos of bathing women?
Uttar Pradesh Police and Gujarat Police have swung into action to nab the culprits who sold explicit videos of women and girls bathing and changing clothes at the ongoing Kumbh Mela. Three persons have been arrested by Gujarat Police, while UP Police has registered 13 FIRs.
The culprits, part of an international ring, were offering such explicit videos for sale on the darknet and their connections have been traced to Atlanta, USA and Romania.
Meanwhile, the Home Ministry at the Centre has blocked 17 websites and social media platforms, where these explicit videos were being offered for sale. In order to evade the authorities, the accused had opened several channels like Mahakumbh-2025, BABA KA VLOGEE, Mela Mahotsav and Hindu Official.
Some of the culprits had opened accounts name Russia Dwivedi, Desi Russia Videos, Girls Live on YouTube, Facebook and Instagram and were offering to sell videos of girls bathing and changing clothes at Maha Kumbh. The videos were being sold at rates ranging ffrom Rs 2,000 to Rs 3,000.
Meanwhile, UP government has banned use of cameras for making videos and images at the bathing ghats in Maha Kumbh. CRPF and state police personnel have been asked to keep a vigil against those trying to make videos at the bathing ghats. Announcements are being made at the bathing ghats informing devotees that use of camera for making videos of people bathing was not allowed.
At a time when crores of devotees have been attending the Maha Kumbh, some sick-minded people joined the hordes of devotees and have made explicit videos of women bathing. They then sold these videos on the dark web for money.
Alarm bells rang when the search term “open bathing” in India started trending between February 12 and 18. Among the 17 social media accounts identified by UP Police, there were three Facebook accounts, two Instagram pages, one Telegram channel and 12 YouTube channels. In some of the cases, the accused were using spycams. .
Creating explicit videos during the sacred religious gathering of Maha Kumbh is not only a crime, but a sin, which cannot be pardoned. One can hardly imagine, young people resorting to this dubious method of making videos of women and girls bathing, who are of the same age of their mothers and sisters.
These women devotees had come to Maha Kumbh to take a holy dip and the sinners were waiting with their cameras to film them.
Everybody must remain alert at the Maha Kumbh and inform police if they notice people indulging in such activity. Such people need to be thrown into jail in order to strike fear in their hearts. This can be achieved by UP Police only through popular support.
What happened in Gujarat was more serious. Ahmedabad Police was probing the case of a CCTV footage of a labour room inside a hospital in Rajkot. Video from this CCTV footage was being sold on Telegram channel. In course of investigation, explicit videos of bathing women at Maha Kumbh also surfaced. A man named Prajjwal Teli was running this racket from Latur, Maharashtra and he was being helped by Praj Rajendra Patil from Sangli.
Patil was nabbed by Gujarat Police from Sangli. Joint CP Crime Branch of Ahmedabad Police Sharad Singhal disclosed that this gang was getting help from insiders working at shopping malls, hospitals and other public places. It was found that the criminals had hacked CCTV footage with the help of hackers sitting in Romania and Atlanta. The network was quite large. One of the accused revealed the name of Chandra Prakash Phool Chand, based in Prayagraj. Chandra Prakash admitted that he was downloading explicit videos from other YouTube channels and posting on his channel to raise views. All three accused have been taken on 9 days’ remand from a local court.
It was found in course of investigation that explicit cctv footage from marriage halls, spas and hospitals were being posted on Telegram channel. The two accused from Maharashtra had earned nearly Rs 8 lakhs during the last eight months by selling explicit videos. The fourth accused is absconding.
Police have advised people to remain on alert about remote access that they have about CCTV cameras installed at their homes. Since IP-based CCTV cameras are active in hospitals, malls, offices and homes, there is chance of such footage being hacked by unscrupulous persons.
This internet game is dangerous. IP-based CCTV cameras are available cheap, and it is easier to hack them. On YouTube, one can find explicit videos from CCTV that have been procured through hackers.
The hackers sell these explicit private videos through different websites. One must understand that CCTV cameras installed in homes can be hacked even if the cameras are switched off.
Secondly, do not use your phone or laptop password in front of IP-based cameras. Hackers can identify your passwords and rob your money. In this age of Artificial Intelligence and IP-based CCTV, precaution is the key word.

महाकुंभ में पाप : स्नान करती महिलाओं के वीडियो क्यों बनाये?
महाकुंभ में स्नान करती माताओं और बहनों के वीडियो बनाकर बेचने वाले पकड़ लिए गए हैं. ऐसे वीडियो से पैसा कमाने वाले पापियों के तार रोमानिया और अटलांटा से जुड़े हैं. ये एक बड़ा अन्तरराष्ट्रीय रैकेट है जिसमें चोरी छुपे महिलाओं के वीडियो बना कर उन्हें डार्क नेट पर बेचा जा रहा था.
पाप के ये सौदागर यूपी और गुजरात दोनों जगह से पकड़े गए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस तरह के वीडियो बेचने वाली 17 वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ब्लॉक कर दिया है. यूपी पुलिस ने 13 FIRs दर्ज की हैं. गुजरात पुलिस ने इस तरह की घिनौनी हरकत में लगे तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
यूपी पुलिस ने यूट्यूब चैनल्स के अलावा इंस्टाग्राम, फेसबुक और टेलीग्राम के कई सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी बंद किया है. लोगों को धोखा देने के लिए इन चैनल्स के नाम Mahakumbh-2025, BABA KA VLOGEE, Mela Mahotsav और Hindu Official जैसे नाम रखे गए थे. ये टाइटल देखने में तो धार्मिक थे पर इनके जरिए अधर्म किया जा रहा था.
महाकुंभ जैसे पवित्र और आस्था के पर्व के नाम पर पाप किया जा रहा था.संगम में डुबकी लगाने पहुंची महिलाओं के वीडियो और फोटो अपलोड किए जा रहे थे. पाप के सौदागरों ने बड़ी बेशर्मी से रसिया द्विवेदी, देशी रसिया वीडियो, गर्ल्स लाइव वीडियो जैसे यूट्यूब, फेसबुक और इन्स्टाग्राम अकाउंट्स बनाए थे और इसके जरिए महिलाओं के चोरी छुपे बनाये गए वीडियो बेचे जा रहे थे.
वीडियो की बाकायदा नीलामी हो रही थी, टीज़र अपलोड किए जाते थे और फिर हजार, दो हजार रूपए में पूरा वीडियो ऑफर किया जाता था.
महाकुंभ में अब घाटों पर वीडियो बनाने, फोटो खींचने पर पाबंदी लगा दी गई है. प्रयागराज में संगम और गंगा-यमुना के घाटों पर पुलिस फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई है. ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी लगातार इस पर नजर रख रहे हैं कि कहीं कोई चोरी छुपे स्नान करती महिलाओं के वीडियो तो नहीं बना रहा है.
UP पुलिस ने यू-ट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बने ऐसे 17 सोशल मीडिया अकाउंट्स का पता लगाया है जिन पर महाकुंभ में स्नान कर रही महिलाओं के वीडियो और तस्वीरों को अपलोड किया गया. इनमें से तीन फेसबुक एकाउंट, दो इंस्टाग्राम पेज, एक टेलीग्राम चैनल और 12 यू-ट्यूब चैनल हैं. इनमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने dark web पर वीडियो को बेचा है.
इनमें कई ऐसे भी हैं जो इस महापाप के लिए spycam का इस्तेमाल कर रहे थे. यूपी पुलिस के मुताबिक़ एक टेलीग्राम चैनल ने इस तरह के एक एक वीडियो को बेचने के बदले में लोगों से 2 हजार रुपए मांगे. बेचने से पहले बोली लगाने वालों को महिलाओं और लड़कियों के वीडियो को टीज़र की तरह दिखाया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग वीडियो को subscribe कर सकें.
यूपी पुलिस ने अब तक सोशल मीडिया के 103 हैंडल्स के ख़िलाफ़ 13 FIR की हैं. इसके अलावा, पुलिस ने इन pages को हमेशा के लिए ब्लॉक करने के लिए अमेरिका में इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से भी संपर्क किया है.
महाकुंभ जैसे पावन अवसर पर महिलाओं के स्नान के वीडियो बनाना तस्वीरें खींचना ऐसा कुकर्म है जिसे क्षमा नहीं किया जा सकता.
पैसा कमाने के लालच में कुछ लोग इतना गिर सकते हैं कि इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. जहां हमारी माताएं, बहनें श्रद्धा से संगम में डुबकी लगाने गईं हैं, वहां ये पापी कैमरे लेकर ताक लगाए बैठे थे.
इस तरह के मामलों में सबको सतर्क रहने की ज़रूरत है. जहां कोई ऐसी हरकत करता दिखाई दे, उसकी शिकायत पुलिस से करनी चाहिए. जब ऐसे पापी पकड़े जाएंगे, जेल जाएंगे, तभी उनके दिल में डर पैदा होगा. पुलिस ने इस मामले में तुरंत एक्शन लिया है. अब विजिलेंस भी बढ़ा दी गई है लेकिन इतने बड़े स्केल पर जो आयोजन हो रहा हो, उसमें बगैर पब्लिक सहयोग के पुलिस ऐसी हरकतों पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकती.
गुजरात में मामला ज़्यादा गंभीर था. अहमदाबाद पुलिस टेलीग्राम चैनल पर अपलोड किए गए कुछ CCTV फुटेज की जांच कर रही थी. ये वीडियो राजकोट के एक अस्पताल के लेबर रूम का था. लेबर रूम का सीसीटीवी फुटेज एक टेलीग्राम चैनल को बेचा जा रहा था. इसी की जांच के दौरान महाकुंभ के वीडियो भी सामने आए जिस टेलीग्राम चैनल पर अपलोड किया गया था. महाराष्ट्र के लातूर निवासी प्रज्जवल तेली को गिरफ्तार किया गया.
तेली से पूछताछ के दौरान पता चला कि राजेंद्र पाटिल उसकी मदद कर रहा था. पाटिल सांगली का रहने वाला है. पुलिस ने सांगली से उसे पकड़ लिया.
पूछताछ ते बाद अहमदाबाद पुलिस प्रयागराज के चंद्रप्रकाश फूलचंद नाम के शख्स तक पहुंची. चंद्रप्रकाश ने, प्रयागराज महाकुंभ में महिलाओं के स्नान के वीडियो किसी दूसरे यू-ट्यूब चैनल से डाउनलोड करके अपने यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड किए थे.
इंटरनेट का ये खेल बहुत खतरनाक है. आजकल हर जगह CCTV कैमरे लगे होते हैं. IP बेस्ड CCTV सिस्टम की लागत कम होती है लेकिन इन्हें हैक करना आसान होता है.
यू-ट्यूब पर आपको ऐसे कई चैनल मिल जाएंगे जो CCTV की हैकिंग सिखा देते हैं और ये हैकर्स जो प्राइवेट वीडियोज रिकॉर्ड करते हैं. उन्हें अलग अलग वेबसाइट्स को बेचते हैं. इससे पैसे कमाते हैं. इसीलिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

Trump expose : US funded move to destabilize Modi
US President Donald Trump has stirred a hornets’ nest by questioning former Biden administration’s move to provide $21 million to India for the ostensible reason of enhancing “voter turnout”. Addressing a summit in Miami on Thursday, Trump said, “Why do we need to spend $21 million on voter turnout in India? I guess they were trying to get somebody else elected. We have got to tell the Indian Government… This is a total breakthrough.”
At his Mar-a-Lago residence in Florida, Trump said, “Why are we giving $21 million to India? They got a lot more money. They are one of the highest taxing countries in the world in terms of us; we can hardly get in there because their tariffs are so high. I have a lot of respect for India and their Prime Minister, but giving $21 million for voter turnout? In India? What about voter turnout here?”
Let us try to interpret the message that Trump was trying to convey. He wants to tell that the money that was funnelled through United States Agency for International Development (USAID) was used to defeat Narendra Modi and his party BJP in last year’s Lok Sabha elections.
Trump’s remarks came a few days after the US Department of Government Efficiency (DOGE), headed by billionaire Elon Musk, stopped USAID funding to different countries to the tune of $ 486 million. DOGE released a list of funds that were channelled through USAID to different countries of the world for various purposes. Out of this, $21 million was earmarked for boosting “voter turnout” in India.
DOGE also said, $29 million was earmarked for “strengthening the political landscape in Bangladesh”, where former Prime Minister Sheikh Hasina was unseated after a violent nationwide agitation led by students and backed by the main opposition BNP and Islamic fundamentalist party Jamaat-e-Islami. At that time, there were allegations that the US “deep state” was involved in ousting Sheikh Hasina from power.
Trump’s remarks had a political fallout in India. It is known to all that much of the USAID funds are channelized through outfits floated by another billionaire George Soros. Soros is on record of having said that that he wanted to encourage moves to unseat Prime Minister Narendra Modi. The USAID money that was earmarked was to persuade Dalit and OBC voters in India to come out and take part in voting. At around the same time, Congress leader Rahul Gandhi raised his demand for a nationwide caste census. Rahul Gandhi went to the US where he said, “democracy has been under attack in India, and it has been very badly weakened.” At that time Rahul Gandhi had met several top officials of the Biden administration and US lawmakers.
After Trump’s remarks, senior BJP leader Ravi Shankar Prasad on Thursday said that Trump has confirmed that $21 million was given to influence voters’ turnout in India. “We have all along been alleging that Rahul Gandhi was trying to weaken Indian democracy and what Congress has done is a matter of disgrace for the country “, he said.
Congress described Trump’s claim as “nonsensical”. In a hard-hitting post on X, Congress leader Jairam Ramesh demanded a white paper from Modi government about USAID support given to various government organizations and NGOs in India.
What Trump has said leaves no scope for doubt. The fact is, USAID funds came from America to India in the name of increasing voters’ turnout, but they were used to destabilize Modi government. I salute the sagacity of the voters of India who were not influenced by this campaign funded by the US. The people of India voted Modi to power for the third time.
It is an open secret that Rahul Gandhi and his party benefited and Congress tally in Lok Sabha increased. What Trump has revealed is a clear admission that the US government has been bringing about changes in governments in other countries by funnelling money. The same was sought to be done in India, but that move failed. What happened in our neighbouring countries like Bangladesh and Pakistan in recent months is known to all.
Trump has put a full stop to this game. The US President does not want to spend his government’s money on destabilizing governments in other countries. This is a 360-degree turn in US policy. You can see its effects in Ukraine.
Former President Biden’s administration was providing massive support to Ukraine in its war with Russia. Ukraine President Volodymyr Zelenskyy was getting military and monetary support from the US in his war against Russia. The US gave $300 billion support to Ukraine, but now Trump has taken a U-turn and has opted to cut a deal with Russian President Vladimir Putin.

ट्रम्प का खुलासा : मोदी को हटाने के लिये अमेरिका ने फंड दिया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा खुलासा किया. ट्रंप ने बताया कि अमेरिका से मिलने वाले करोड़ों डॉलर्स का इस्तेमाल करके भारत में सरकार बदलने की कोशिश की गई. अमेरिका से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल नरेन्द्र मोदी को चुनाव में हराने के लिए किया गया.
ट्रंप ने कहा कि USAID (US Agency for International Development) के जरिए जो मदद भारत को दी जा रही थी, उसमें दिखाया तो ये गया कि ये पैसा भारत में मतादाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए खर्च किया जाएगा लेकिन ट्रंप के पास इस बात के सबूत हैं कि वोटर टर्नआउट बढ़ाने का दावा तो सिर्फ दिखावा था, इस पैसे का इस्तेमाल भारत के चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया, चुनाव में किसी और को जिताने के लिए किया गया.
ट्रंप के बयान का सीधा मतलब है कि USAID से मिले पैसे का इस्तेमाल चुनाव में नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए किया गया. दरअसल ये मुद्दा 16 फरवरी के बाद से लगातार चर्चा में है क्योंकि 16 फरवरी को एलन मस्क ने कई देशों को दी जा रही 48.6 करोड़ डॉलर यानी लगभग 4300 करोड़ रुपए की फंडिंग बंद कर दी. ये फंडिंग लोकतंत्र मजबूत करने के नाम पर दी जाती थी..इस रक़म में से 2.1 करोड़ डॉलर यानि करीब 182 करोड़ रुपए भारत भेजे गए. दिखाया गया कि ये वोटर टर्नआउट यानी वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने के लिए दिया गया.
ट्रंप ने पूछा कि भारत के पास पैसे की कमी नहीं है, उसकी अर्थव्यवस्था अच्छी है, फिर वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए भारत को अमेरिकी AID की क्या जरूरत? भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिका पैसा क्यों खर्च करे?
ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस फंडिंग से अमेरिका की सरकार भारत में हुकूमत बदलना चाहती थी. ट्रंप ने कहा कि इस मामले की जांच किए जाने की ज़रूरत है क्योंकि ये USAID के फंड के दुरुपयोग का मामला है, वो इसकी जानकारी भारत सरकार को देंगे.
ट्रंप के बयान को लेकर भारत में सियासत गर्मा गई है क्योंकि USAID से मिली मदद का इस्तेमाल जिस संस्था के जरिए हुआ, उससे जॉर्ज सोरोस का भी कनेक्शन है. जॉर्ज सोरोस कई बार भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार को हटाने के लिए मुहिम चलाने का एलान कर चुके हैं. बड़ी बात ये है कि भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर जब USAID से जो पैसा मिला, उसमें दावा किया गया कि भारत में दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर्स वोटिंग में कम हिस्सा लेते हैं, इसलिए इन तबकों तक पहुंचने में, उन्हें वोटिंग के लिए प्रोत्साहित करने में इस पैसे का इस्तेमाल होगा.
उसके तुरंत बाद राहुल गांधी ने भारत में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया. फिर अमेरिका में जाकर राहुल गांधी ने कहा कि भारत में लोकतन्त्र खतरे में हैं, नरेन्द्र मोदी ने सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ा कर लिया है और अमेरिका और यूरोपीय देश इस पर खामोश बैठे हैं.
बीजेपी के नेताओं ने इन सारी कड़ियों को जोड़ा. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ट्रंप के खुलासे से साफ हो गया है कि अब तक अमेरिका से जो फंडिग हो रही थी, उसका इस्तेमाल भारत में चुनाव को प्रभावित करने, नरेन्द्र मोदी की सरकार को गिराने की साजिश में किया जा रहा था.
BJP के आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने कहा कि USAID तो भारत में कई काम करती थी. अगर कोई शक है तो सरकार USAID की भारत में फंडिंग पर श्वेतपत्र ले कर आए.
डॉनल्ड ट्रंप ने जो कहा, उसके बाद शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती. अमेरिका से भारत में फंड आया, वोटर टर्नआउट बदलने के नाम पर आया और उसका इस्तेमाल मोदी को सरकार से हटाने के लिए किया गया. ये तो भारत की महान जनता है जिस पर इस फंडिंग से चले कैंपेन का ज्यादा असर नहीं हुआ. जनता ने मोदी को तीसरी बार जिताया लेकिन ये भी एक खुला सीक्रेट है कि राहुल गांधी को इसका फायदा हुआ, कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ. लेकिन ट्रंप ने जो खुलासा किया, वो इस बात का कबूलनामा है कि अमेरिकी सरकार पैसे के बल पर दूसरे मुल्कों में सरकारें बदलती है. भारत में यही करने की कोशिश की गई, पर यहां अमेरिका फेल हुआ. लेकिन हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश में क्या हुआ ये सबने देखा. ट्रंप ने अब ये खेल बंद कर दिया है. अब ट्रंप किसी देश में सरकार बदलने के लिए फंड नहीं देना चाहते.
ये अमेरिका की पॉलिसी में 360 डिग्री का टर्न है. ये आपको यूक्रेन के मामले में साफ दिखाई देगा. बाइडेन पूरी मजबूती के साथ यूक्रेन के सपोर्ट में खड़े थे. जेलेन्सकी की मदद कर रहे थे, रूस से लड़ने के लिए. अमेरिका ने यूक्रेन को 300 अरब डॉलर की मदद दी लेकिन अब ट्रंप ने यू-टर्न ले लिया है और वो पुतिन के साथ खड़े हो गए हैं.

Why Modi picked Rekha Gupta as Delhi CM?
First-time MLA Rekha Gupta was today sworn in as the fourth woman Chief Minister of Delhi before a huge gathering at the historic Ramlila Maidan. Parvesh Verma, Ashish Sood, Manjinder Singh Sirsa, Raviraj Indraj Singh, Kapil Mishra and Pankaj Kumar Singh also took oath as ministers, in the presence of Prime Minister Narendra Modi, BJP President J P Nadda, Home Minister Amit Singh, other top BJP leaders and chief ministers of BJP-ruled states and NDA allies including N. Chandrababu Naidu.
With this, BJP has returned to power in Delhi after 27 years. Congratulating the new CM and other ministers, Prime Minister Narendra Modi said on X that “this team beautifully mixes vigour and experience, and it will surely ensure good governance in Delhi.”
Soon after the swearing-in, Chief Minister Rekha Gupta announced that the first instalment of income support to women at the rate of Rs 2,500 per month, under Mahila Samridhi Yojana, will be credited to their bank accounts by March 8.
The main question hovering in the minds of people was why the party leadership took 12 days to decide about the chief minister in full secrecy till the time the name was announced on Wednesday evening at the legislative party meeting. I think, Prime Minister Narendra Modi has thanked the women voters of Delhi for their support and trust by picking Rekha Gupta as the chief minister. Now that she has taken over as the chief minister, her first responsibility will be to ensure that women get Rs 2,500 every month as was promised in the BJP Sankalp Patra.
The best path for the BJP to express its gratitude to the voters of Delhi will be to work as superspeed and implement the Mahila Samridhi Yojana, Rs 500 LPG cylinder and Ayushman Bharat Yojana for providing health cover up to Rs 5 lakhs per family per year to poor and vulnerable sections of people. This will not be a difficult task. Only orders need to be issued.
However, the biggest challenge for the Delhi chief minister will be to work on a war footing to rid the capital of air pollution, repair potholes on roads, provide clean drinking water and clean up the Yamuna river. If work starts fast on these fronts, the people of Delhi will feel that they have not done a mistake by giving BJP a chance to serve the city after a long hiatus of 27 years.

मोदी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री क्यों बनाया ?
चुनाव नतीजे आने के 11 दिन बाद आखिरकार दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का एलान हो गया. रेखा गुप्ता ने गुरुवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में नई मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के तमाम बड़े नेता, राज्यों के मुख्यमंत्री और एनडीए के नेता भी मौजूद थे. रेखा गुप्ता के साथ छह अन्य मंत्रियों ने शपथ ली : प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविन्द्र इन्द्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह.
बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सभी मये मंत्रियों को बधाई देते हुए कहा कि नयी टीम में ऊर्जा और अनुभव का सम्मिश्रण है और उन्हें विश्वास है कि ये टीम दिल्ली को सुशासन देगी.
शपथ समारोह होगया लेकिन सबके मन में ये सवाल जरूर है कि रेखा गुप्ता के नाम के ऐलान में इतनी देर क्यों हुई? इतनी ज्यादा सीक्रेसी क्यों बरती गई? नाम के ऐलान से पहले विधायक दल की बैठक में पहुंचे सभी नेताओं के फोन क्यों बंद करा दिए गए? पार्टी ने वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता को दिल्ली की कमान क्यों सौंपी?
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की महिलाओं को उनके समर्थन और भरोसे के लिए धन्यवाद दिया है. अब रेखा गुप्ता का पहला काम होगा, महिलाओं को हर महीने 2500 रूपए की सहायता दिलवाना. अगर बीजेपी को सही मायनों में दिल्ली की जनता का आभार प्रकट करना है तो उसका सबसे अच्छा तरीका है, सुपरफास्ट स्पीड से काम. महिला सम्मान योजना लागू करना, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देना और आयुष्मान भारत योजना लागू करना, ये मुश्किल काम नहीं है. इनके लिए तो सिर्फ आदेश जारी करने हैं पर दिल्ली के मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती है दिल्ली में वायु प्रदूषण, दिल्ली की खस्ताहाल सड़कें, दिल्ली के लोगों के लिए साफ पीने का पानी और यमुना नदी की सफाई. अगर ये काम तेजी से किए गए तो दिल्ली की जनता को लगेगा कि उन्होंने बीजेपी को 27 साल बाद सेवा का अवसर देकर कोई गलती नहीं की.
महाकुंभ : भारतीय रेलवे ने अकल्पनीय को कैसे संभव बनाया
आजकल हर जगह महाकुंभ की चर्चा है. जो मिलता है, वह या तो महाकुंभ में स्नान करके आया है या वहां जाने की तैयारी कर रहा है. संगम में डुबकी लगाने को लेकर लोगों में कमाल का उत्साह है.
महाकुंभ में स्नान करने वालों का आंकड़ा अब तक 55 करोड़ पार कर चुका है. महाकुंभ के 36 दिन बीत चुके हैं, अभी 9 दिन बाकी है और श्रद्धालुओं के जोश को देखते हुए लग रहा है कि इस बार महाकुंभ में पहुंचने वाले भक्तों की संख्या साठ करोड़ के पार जा सकती है.
देश के हर कोने से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं. सबसे ज्यादा दबाव भारतीय रेलवे पर है. रेल आम आदमी की सवारी है, सस्ती और सुगम है. रेलवे ने महाकुंभ के दौरान 13 हजार से ज्यादा स्पेशल ट्रेन चलाने का इंतजाम किया था लेकिन भक्तों के उत्साह के सामने सारी तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं. रेलवे स्टेशनों पर ज़बरदस्त भीड़ है. भीड़ के प्रबंधन के लिए रेलवे को रोज नए नए उपाय खोजने पड़ रहे हैं.
मैं रेल मंत्रालय के वॉर रूम में सोमवार को गया जहां महाकुंभ को जाने वाली हर ट्रेन को मॉनिटर किया जा रहा है. ये वॉर रूम चौबीसों घंटे काम कर रहा है. मुझे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि वॉर रूम में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार खुद मौजूद थे. वो एक ज़माने में प्रयागराज और लखनऊ में जनरल मैनेजर रह चुके हैं. इन इलाकों की रेल लाइन के चप्पे-चप्पे को जानते हैं. रेसवे सुरक्षा बल के महानिदेशक मनोज यादव जैसे बड़े अधिकारी भी खुद हालात को मॉनिटर कर रहे हैं.
रेलवे ने महाकुंभ के लिए ढाई साल पहले तैयारी शुरू कर दी थी. प्रयागराज में बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचा खड़ा किया गया लेकिन ये कल्पना किसी ने नहीं की थी कि महाकुंभ में 50 करोड़ से ज्यादा लोग आएंगे. इसीलिए रणनीति को पूरी तरह से बदलना पड़ा.
सोमवार को महाकुंभ में एक करोड़ 35 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. आमतौर पर ये माना जाता है कि माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद महाकुंभ की रौनक खत्म हो जाती है. 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा थी. उसके बाद कल्पवासी और अखाड़ों के साधू संत लौट चुके हैं लेकिन इसके बाद भी महाकुंभ में पहुंचने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. महाकुंभ शिवरात्रि तक चलेगा. शिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ ही महाकुंभ का औपचारिक समापन होगा. मेला प्रशासन को उम्मीद है कि जो आठ दिन बचे हैं, उसमें भक्तों का जोश इसी तरह बरकरार रहेगा और 26 फरवरी तक महाकुभ में श्रद्धालुओं का आंकड़ा साठ करोड़ को पार कर जाएगा,
प्रयागराज शहर में बाहरी वाहनों का प्रवेश बंद है. स्टेशन, बस स्टॉप और पार्किंग से संगम क्षेत्र की तरफ आने जाने वाली सड़कों को सिर्फ पैदल चलने वाले भक्तों के लिए खाली रखा गया है. सड़कों पर भक्तों की भीड़ तो है लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ प्रयागराज के इर्द गिर्द आठ स्टेशनों पर है. लाखों श्रद्धालु ट्रेनों से प्रयागराज पहुंच रहे हैं. उन्हें संगम तक पहुंचाना और संगम से लौटने के बाद सही प्लेटफॉर्म तक, सही ट्रेन तक सुरक्षित पहुंचाना, यह रेलवे के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
सोमवार को प्रयागराज से 366 स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं. हर जगह होल्डिंग एरिया बनाया गया है. कलर कोडिंग लागू की गई हैं. अलग अलग दिशाओं में जाने वाली ट्रेनों के लिए अलग अलग रंग की टिकट दी जा रही है. जिस रंग की टिकट है, होल्डिंग एरिया को उसी रंग में रंगा गया है ताकि यात्रियों को किसी तरह का कोई भ्रम न हो. यात्रियों की मदद के लिए खड़े रेलवे पुलिस के जवान भी टिकट का रंग देखकर आसानी से लोगों को गाइड कर रहे हैं.
अगर किसी को प्रयागराज से कानुपर, दिल्ली, लुधियाना, चंडीगढ़ या जम्मू की तरफ जाना है, तो उसे हरे रंग का टिकट दिया गया है. वाराणसी, अयोध्या, जौनपुर, प्रतापगढ़ और उसके आसपास के इलाकों के लिए जिन लोगों को ट्रेन पकड़नी है, उन्हें लाल रंग वाला टिकट दिया जा रहा है. नीले रंग की कोडिंग वाले टिकट उन्हीं लोगों को मिलेगा जो बिहार, बंगाल या ओडिशा की तरफ जा रहे हैं. पीले रंग के कोड वाला टिकट मध्य प्रदेश और आसपास के इलाकों में जाने वाले यात्रियों को दिया जा रहा है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद चौबीसों घंटे काम पर लगे हैं. प्रयागराज के सभी रेलवे स्टेशनों पर मिनी कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. सोमवार को उत्तर प्रदेश से जो तस्वीरें आईं, वो अलग थीं. काशी, अयोध्या, मिर्जापुर, चंदौली हर जगह महाकुंभ जाने वालों की भीड़ तो दिखी लेकिन इन सभी स्टेशनों पर भीड़ काबू में थी.
चूंकि अखिलेश यादव लगातार महाकुंभ में क्राउड मैनेजमेंट पर सवाल खड़ कर रहे हैं, इसलिए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2013 के कुंभ में 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे, आयोजन 55 दिन का था, 2019 में अर्धकुंभ था, उस दौरान 24 करोड़ लोग आए थे, इस बार अब तक 45 दिन के कुल आयोजन में अभी 36 दिन हुए हैं और 36 दिन में 55 करोड़ श्रद्धालु आए.
योगी ने याद दिलाया कि “अतीत में हमने आस्था को केवल ये मान लिया कि इसमें कोई ताकत नहीं है, उसका दुष्परिणाम हमें भुगतना पड़ा, हम भारतीयों के मन में गुलामी के कालखंड में ये जो बात डाल दी गई कि जो भारतीय है उसे कमतर आंको, हमें बताया गया जो भारत का है, इसका कोई महत्व नहीं है और जो भारत के बाहर का है उसका महत्व है. दुष्परिणाम भी हमारे सामने थे. मोदी जी ने पहली बार अहसास कराया भारतवासियों को कि नहीं, हमें एक भारतीय के रूप में भारत से जुड़े हुए जीवन मूल्यों को, आस्था को महत्व देकर जीवन की महत्ता को बढ़ा सकते हैं.”
योगी आदित्यनाथ की ये बात सही है कि महाकुंभ ने भारतवासियों को अपने सनातन को, अपनी विरासत को, अपनी आस्था को एक नए स्वरूप में देखने, पहचानने का अवसर दिया है. इतने बड़े पैमाने पर आयोजन करना कोई आसान काम नहीं था.
महाकुंभ के आयोजन के दो तरीके हो सकते थे. एक तो ये कि 10-12 करोड़ लोग आएं, सबकुछ ठीक-ठाक हो जाए, और दूसरा रास्ता ये कि 50 करोड़ लोग आएं, इनके लिए प्रबंध करने में जान लगानी पड़े, सबके लिए स्नान, ध्यान, खाने पीने का प्रबंध हो. पहले वाले रास्ते में जोखिम नहीं था और दूसरा रास्ता चुनौती से भरा था.
योगी आदित्यनाथ ने दूसरा रास्ता चुना. यह एक मुश्किल काम था. इस पूरे अभियान में लोगों को महाकुंभ तक पहुंचाने में रेलवे का एक बड़ा रोल था. एक दिन में 300 से 350 तक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं. पटरियां वही है, स्टाफ वही है, लेकिन करोड़ों लोगों के आने जाने का इंतजाम हुआ. ये अपने आप में अकल्पनीय है.
अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के इतिहास में अबतक के सबसे बड़े यात्री आवागमन को एक बड़ी चुनौती की तरह स्वीकार किया. ढाई साल तक तैयारियां कीं. खुद दिन-रात कुंभ की तरफ हो रहे आवागमन को मॉनिटर किया, तब जाकर यह संभव हो पाया. अच्छी बात ये है कि 55 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया, भक्तिभाव से मां गंगा को नमन किया. ये अपने आप में सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं है, रिसर्च का विषय है.