इज़रायल-ईरान की जंग में अब किसी भी वक्त अमेरिका भी कूद सकता है. अमेरिका किसी भी वक्त ईरान पर हमला कर सकता है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G-7 शिखर बैठक बीच में छोड़कर वॉशिंगटन लौट गए और सिचुएशन रुम में बैठ कर ईरान पर हमले की तैयारियों में जुट गए. ट्रंप ने साफ कहा कि ईरान को सरेंडर करना ही होगा, ईरान को एटम बम बनाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. जंग के छठे दिन ईरान के आयतुल्लाह अली खामेनेई ने सोशल मीडिया पर चेतावनी जारी की, कहा, “जंग की शुरुआत अब हो गई…हमें दहशतगर्द यहूदी हुकूमत को तगड़ा जवाब देना होगा, यहूदियों को हम बिलकुल रहम नहीं दिखाएंगे.” इसके कुछ ही घंटे पहले, ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर कहा कि हमें पता है कि अली खामेनेई कहां छिपे हुए हैं.
ट्रम्प ने लिखा कि “ईरान के तथाकथित सर्वोच्च नेता हमारे लिए आसान शिकार हैं, लेकिन अभी वो वहां पर सुरक्षित रहें. हम अभी, फिलहाल उन्हें मारने वाले नहीं हैं. लेकिन हम नहीं चाहते कि मिसाइलों के हमलों में नागरिक या अमेरिकी सैनिक मारे जाएं.हमारा सब्र जवाब दे चुका है.” बाद के एक पोस्ट में ट्रम्प ने लिखा, “UNCONDITIONAL SURRENDER”.
ट्रम्प ने अचानक ये उग्र रूप क्यों अपनाया ? अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ईरान पर हमले की पूरी तैयारियां कर रहा हैं. जी-7 शिखर बैठक से अचानक रुखसत होते समय ट्रम्प ने कहा था कि “मैं ईरान के साथ अब बातचीत के मूड में नहीं हूं…मैं युद्धविराम नहीं, इस पूरे मामले का अंत, सही मायने में अंत चाहता हूं.”
इजरायल ने कहा है कि ईरान न्यूक्लियर बम बनाने के करीब है. ईरान किसी भी वक्त एटमी क्षमता हासिल कर सकता है और अमेरिका ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होने देगा. इसका मतलब साफ है कि अगर ईरान ने अमेरिका की बात नहीं मानी, अपने परमाणु प्रोग्राम को बंद करने के समझौते पर दस्तखत नहीं किए, इस्राइल पर हमले नहीं रोके, तो इज़रायल के साथ साथ अमेरिका भी ईरान पर हमला करेगा.
अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर पहले से खाड़ी में मौजूद हैं. तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर USS निमिट्ज़ को भी अमेरिका ने प्रशांत महासागर से मध्य पूर्व की तरफ भेज दिया है. दूसरी तरफ इजरायल ने भी साफ कह दिया है कि उसके तीन लक्ष्य हैं – एक, ईरान की एटमी सलाहियत को तबाह करना, दो, बैलेस्टिक मिसाइल की ताक़त को खत्म करना, और तीन, ईरान में सत्ता को बदलना.
जब तक ये लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते तब तक जंग नहीं रुकेगी. अब बात कहां अटकी है ? इज़राइल को अगर ईरान के परमाणु केंद्रों को तबाह करना है, तो इसकी ज़रूरत पड़ेगी, उसको फोर्दो के एनरिचमेंट प्लांट पर बम बरसाने होंगे. फोर्दो का प्लांट ईरान में एक पहाड़ के नीचे ज़मीन के भीतर बहुत गहराई में है. इस वक़्त इज़राइल के पास ऐसी क्षमता नहीं है कि वो ज़मीन के भीतर बने ऐसे केंद्र को तबाह कर सके. इसलिए, उसको बंकर बस्टर बम के लिए अमेरिका से बात करनी होगी.
बंकर बस्टर बम कोई एक बम नहीं, बल्कि ये एक तरह का बम है. ये एक अमेरिकी हथियार है जो 30 हज़ार पाउंड या क़रीब 13 हज़ार 600 किलो वज़न का प्रीसिज़न गाइडेड बम है, और इसको केवल अमेरिका के B-2 स्टेल्थ बॉम्बर से दाग़ा जा सकता है. क्योंकि सिर्फ़ यही एक विमान है, जो इतने भारी हथियार को ले जाने की क्षमता रखता है.
अब इसका मतलब ये है कि अमेरिका के विमान से अमेरिका के पायलट एक अमेरिकी बम को ईरान के परमाणु केंद्र पर दागेंगे. इससे आशंका ये पैदा होती है कि अमेरिका सीधे तौर पर इस युद्ध में कूद पड़ेगा. राष्ट्रपति ट्रंप कहते रहे हैं कि वो सीधे इस युद्ध में शामिल नहीं होना चाहते.
इस समय पूरी दुनिया की नजरें राष्ट्रपति ट्रंप पर हैं. ट्रंप को फैसला करना है कि वो ईरान के साथ जंग को खत्म करना चाहते हैं या जंग में कूदना चाहते हैं. क्या ट्रंप ईरान को एक और मौका देना चाहते हैं या तुरंत ईरान के परमाणु प्रोग्राम को मसलना चाहते हैं.
ट्रंप अमेरिकी सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ हैं. उनके पास सलाहकारों की बहुत अमुभवी टीम नहीं हैं, जो उनको सही सलाह दे सके. लेकिन ट्रंप के पास अपना अनुभव बहुत है. वो ऐसी स्थिति को हैंडल करना जानते हैं. तो भी ईरान पर हमला करना, एक बहुत बड़ा फैसला होगा.
अब तक ट्रंप की नीति रही है कि वो सीधे किसी जंग में नहीं पड़ना चाहते. ट्रंप चाहें तो इजरायल से कहकर सीजफायर करवा सकते थे, लेकिन जिस तरह से ट्रंप कनाडा से अचानक लौटे, जिस तरह के संकेत उन्होंने दिए, इससे नहीं लगता कि वो ईरान को एक और मौका देंगे.
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कह दिया था कि ट्रंप सीजफायर के लिए जा रहे हैं. ट्रंप ने मैक्रों को बेवकूफ करार दे दिया और बड़े साफ शब्दों में कहा कि वो इससे भी बड़ा कुछ करेंगे और किसी हालत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे. इसका मतलब बिलकुल साफ है. ट्रंप ने पूरी तैयारी कर ली है और इजरायल को ट्रंप के अंतिम फैसले का इंतजार है.
झूठ बेनक़ाब : अमेरिका में मुनीर की नई फज़ीहत
पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका पहुंचे हैं. मुनीर का ये अमेरिका दौरा पांच दिनों का है. पहले पाकिस्तान ने दावा किया था कि आसिम मुनीर को अमेरिका ने अपनी सेना की परेड में बुलाया है, हालांकि बाद में पाकिस्तान का दावा झूठा निकला. पता लगा कि जनरल आसिम मुनीर अमेरिका में बिन बुलाए मेहमान हैं. तो पाकिस्तान ने नया बहाना बनाया. अब पाकिस्तान ने कहा है कि आसिम मुनीर द्विपक्षीय मामलों पर बात करने के लिए अमेरिका पहुंचे हैं.
जनरल आसिम मुनीर की आज राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ लंच का एक प्रोग्राम है. वाशिंगटन में मुनीर की मुलाकात ट्रंप प्रशासन के किसी बड़े अफसर या मंत्री से नहीं हुई तो मुनीर ने अमेरिका में रह रहे पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित किया. लेकिन वहां पहुंचते ही आसिम मुनीर का सामना मुसीबतों से हुआ.
जब आसिम मुनीर वॉशिंगटन के एक होटल में पाकिस्तानियों को संबोधित करने पहुंचे, तो वहां उनका विरोध शुरू हो गया. होटल के बाहर बड़ी संख्या में लोग जनरल मुनीर का इंतजार कर रहे थे. जैसे मुनीर की गाड़ी पहुंची तो लोगों ने मुनीर के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए. मुनीर को हत्यारा, डरपोक और गीदड़ कहा. प्रोटेस्ट करने वालों ने आसिम मुनीर के ऊपर mass murder का मुक़दमा चलाने की मांग की.
एक पाकिस्तानी प्रदर्शनकारी ने कहा कि आर्मी चीफ अमेरिका में अपनी फ़ज़ीहत करा रहे हैं, दूसरी तरफ पाकिस्तान के सांसद प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की हुकूमत का मज़ाक़ उड़ रहे हैं. नेशनल असेंबली में बजट पर चर्चा हो रही थी. इस चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने पाकिस्तान की तुलना उत्तर प्रदेश से की. संसद में विपक्ष के नेता बैरिस्टर गौहर ख़ान ने कहा कि शहबाज़ हुकूमत ऐसा बजट लाई है, जो भारत तो दूर, यूपी के मुक़ाबले में भी नहीं ठहरता. शहबाज़ हुकूमत भारत से competition की बात करती है, पहले पाकिस्तान योगी के उत्तर प्रदेश से तो बराबरी कर ले, फिर भारत से निपटेगा.
जनरल मुनीर ने जीत के दावे किए, जश्न मनाया, फील्ड मार्शल बन गए. फिर ये फैला दिया कि ट्रंप ने उन्हें अमेरिका की 250th एनिवर्सरी आर्मी परेड में बुलाया है. लेकिन मुनीर के झूठ एक-एक करके एक्सपोज़ हो गए. जब परेड चल रही थी तो वो अपने होटल के कमरे में दुबके हुए थे. दुनिया को ये भी पता चल गया कि जनरल मुनीर ने ये बात छुपाई कि भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के एयरबेस को इतना नुकसान पहुंचाया कि अभी तक उनकी मरम्मत का काम पूरा नहीं हो पाया.
मुनीर का ये झूठ भी एक्सपोज हुआ कि उसने भारत के 6 फाइटर जेट विमानों को मार गिराया. अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने पाकिस्तानी फौज के हर दावे को गलत बताया. इसीलिए जनरल मुनीर के खिलाफ लोगों में बहुत नाराजगी है और वॉशिंगटन में मुनीर के साथ जो हुआ, वो इसी का रिफ्लेक्शन है..