Rajat Sharma

बिहार पुलिस: योगी आदित्यनाथ से सीखो

WhatsApp Image 2025-04-29 at 3.16.49 PMबिहार की पुलिस एक्शन में दिखी. नीतीश कुमार की पुलिस ने वही फॉर्मूला अपनाया जो योगी आदित्यनाथ की पुलिस अपनाती है. पटना के कारोबारी गोपाल खेमका मर्डर केस में शामिल एक अपराधी को एनकाउंटर में मार गिराया. खेमका पर गोली चलाने वाले उमेश यादव को गिरफ्तार कर लिया. हत्या के लिए 4 लाख रु. सुपारी देने वाले कारोबारी अशोक साव को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस का दावा है कि गोपाल खेमका की हत्या के केस की वैज्ञानिक तरीके से जांच हुई, सारी कड़ियां जुड़ गईं, अपराधी पकड़े गए, motive भी क्लीयर है. पुलिस का दावा है कि अशोक साव ने जमीनी विवाद की रंजिश की वजह से गोपाल खेमका की हत्या की सुपारी दी. शूटर उमेश यादव ने गोपाल खेमका पर गोली चलाई. ये दोनों गिरफ्तार हो चुके हैं और इस केस में तीसरे अपराधी विकास उर्फ राजा का एनकाउंटर कर दिया गया है.

बिहार पुलिस की इस कामयाबी पर बीजेपी और जेडीयू के नेता गदगद हैं. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि अब अपराधियों को ठोका जाएगा, पुलिस को पूरी छूट है. दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा, अपराधियों के हौसले पस्त करने के लिए गोली चलानी पड़े या बुलडोजर, सब चलेगा.

खेमका हत्याकांड का पूरा ब्यौरा ये बताता है, बिहार में इंसान की जान की कोई कीमत नहीं. जमीन का झगड़ा था, तो सुपारी दे दी गई. सिर्फ 4 लाख में shooter मिल गया. shooter हत्या करने के बाद बड़े आराम से निकल गया. अगले दिन बड़े इत्मीनान से अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जा रहा था. उसने छिपने की भी कोशिश नहीं की. सब कुछ बड़ी आसानी से हो गया.

अच्छी बात है कि अब पुलिस action में आई है. राजनीतिक दलों और मीडिया का दबाव है. पुलिस ने खुद ही ये बताया कि वो चाहे तो अपराधी को चुटकियों में पकड़ सकती है. Encounter भी कर सकती है.

अब ये सिलसिला रुकना नहीं चाहिए. मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं है. बिहार में हत्याओं और लूटपाट का एक उबाल आया है.बिहार पुलिस को अपना जलवा दिखाना चाहिए.चुनाव आएंगे, जाएंगे, पर पुलिस का इकबाल कायम रहना चाहिए.

लड़ाई किस बात की : मराठी अस्मिता की या मराठा वोट की ?

महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे मराठी और नॉन मराठी की सियासत को हवा दे रहे हैं, बीजेपी डिफेंसिव पर है और एकनाथ शिन्दे की शिवसेना बीच की लाइन ले रही है. मंगलवार को मराठी और नॉन मराठी के मुद्दे पर जम कर हंगामा हुआ. राज ठाकरे की पार्टी MNS और मराठी एकीकरण समिति ने मीरा-भायंदर पर मार्च की कॉल दी थी. इस मार्च को मराठी स्वाभिमान मोर्चा नाम दिया गया था. इसी इलाके में MNS के कार्यकर्ताओं ने मराठी न आने के कारण एक दुकानदार की पिटाई की थी. इस घटना के बाद इलाके के व्यापारी नाराज थे.

पुलिस को हंगामे की आशंका थी. इसलिए पुलिस ने MNS के कार्यकर्ताओं को दूसरे रूट से प्रोटेस्ट मार्च निकालने को कहा लेकिन वो नहीं माने तो पुलिस ने अनुमति देने से इंकार कर दिया. .हालांकि पुलिस की अनुमति न मिलने के बाद भी MNS और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के सैकड़ों कार्यकर्ता मीरा भयंदर में इक्कठे हो गए. पुलिस ने करीब डेढ़ सौ लोगों को हिरासत में लिया लेकिन कुछ देर के बाद छोटे-छोटे ग्रुप्स में प्रोटेस्टर्स मीरा रोड में जमा होने लगे.

MNS नेता संदीप देशपांडे और अविनाश जाधव के नेतृत्व में हजारों लोगों ने मीरा रोड पर मार्च शुरू कर दिया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी को मोर्चा निकालने की इजाजत है लेकिन प्रदर्शनकारी अगर पुलिस की सलाह नहीं मानेंगे. कानून तोड़ेंगेतो ऐसे मोर्चे की परमीशन कैसे दी जा सकती है.

फडणवीस ने कहा कि मीरा रोड को मराठी राजनीति की प्रयोगशाला बनाने की जो कोशिश हो रही है वो नाकाम साबित होगी क्योंकि मराठी मानुस बड़े दिल का है.

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने कहा था कि वो स्कूलों में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ हैं. सरकार ने आदेश वापस ले लिया. ठाकरे भाईयों ने जीत का जश्न मना लिया. और फिर ये भी कह दिया कि वो हिंदी के खिलाफ नहीं हैं. तो फिर आज हंगामा करने की क्या जरूरत थी?

असल में आइडिया अपनी ताकत दिखाने का था. दुकानदारों को ये जताने का था कि उत्तर भारतीयों की रैली निकालने की हिम्मत कैसे हुई? मकसद तो अपने आप को मराठों का रक्षक दिखाने का है, अपनी पार्टी में जान फूंकने का है लेकिन पब्लिक सब समझती है.

महाराष्ट्र में चाहे मराठा हों या उत्तर भारतीय सब मिलकर रहते हैं. न किसी को हिंदी से प्रॉब्लम है, न किसी को मराठी पर आपत्ति है. प्रॉब्लम आती है जब चुनाव सामने होते हैं. अगर BMC के चुनाव न होने वाले होते तो कोई इतना हंगामा ना करता.

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