Rajat Sharma

बेंगलुरु दंगों की साजिश रचने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए

akb2301मंगलवार की रात भीड़ द्वारा की गई हिंसा के मद्देनजर बेंगलुरु शहर के बनासवाड़ी पुलिस सब-डिविजन में कर्फ्यू लगा दिया गया है और कई इलाकों में 15 अगस्त तक के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है। अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में मैंने कुछ ऐसे वीडियो दिखाए जिनसे पता चलता है कि ये हमले अचानक नहीं हुए थे बल्कि इनकी प्लानिंग पहले ही कर ली गई थी। इन फुटेज में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग हथियारों से लैस भीड़ को पैकेट बांट रहे हैं। इसके कुछ ही देर बाद ये भीड़ जबर्दस्ती दोनों थानों में घुस जाती है।

दंगाइयों ने कई दिन पहले ही बेंगलुरु पुलिस पर हमला करने की प्लानिंग कर ली थी और ईशनिंदा वाली फेसबुक पोस्ट ने सिर्फ एक ट्रिगर पॉइन्ट के रूप में काम किया। वीडियो देखने से साफ तौर पर पता चलता है कि भीड़ आगजनी करने के लिए ही पुलिस थानों में आई थीं, हालांकि जाहिर यह किया गया कि वे फेसबुक पोस्ट करने वाले नवीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने आए हैं। पुलिस जब नवीन को पकड़ने उसके घर गई हुई थी, तभी भीड़ ने पुलिसवालों पर धावा बोल दिया। ये तथ्य साफ इशारा करते हैं कि ये सब एक सुनियोजित साजिश के तहत हुआ था।

सीसीटीवी फुटेज में एक शख्स दोपहिया वाहन पर आता दिख रहा है और भीड़ में 2 लोगों को पैकेट दे रहा है। पुलिस ने अब इन दोनों लोगों की पहचान कर ली है। SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) नाम के एक मुस्लिम संगठन के नेता दावा कर रहे थे कि पुलिस विवादित फेसबुक पोस्ट करने वाले शख्स के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही थी, इसलिए भीड़ हिंसक हो गई।

बेंगलुरु पुलिस मुदस्सिर अहमद की तलाश में जुटी हुई है। यह वही शख्स है जिसने आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट अपने समर्थकों में सर्कुलेट किया था। मुदस्सिर अहमद ने अपने मैसेज में मुसलमानों से डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में जल्द से जल्द जमा होने के लिए कहा। मुदस्सिर अहमद ने अपने मैसेज में लिखा कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भांजे ने हमारे नबी की शान में गुस्ताखी की है। लगभग एक दर्जन अन्य अकाउंट्स हैं जिनके जरिए मुसलमानों को उनके घरों से बाहर निकलने और प्रदर्शन करने के लिए उकसाया गया था। पुलिस इन सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच कर रही है।

इस मामले में स्थानीय कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के बारे में भी एक ऐंगल सामने आया है। पुलिस द्वारा दर्ज की गई 3 FIRs में से एक में कलीम नाम के एक शख्स का नाम है जो इस इलाके का काउंसलर रह चुका है। फिलहाल कलीम की बीवी इरशाद बेगम इस इलाके की कांग्रेस पार्षद हैं। कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति पहले जनता दल (सेक्युलर) में थे, लेकिन 2 साल पहले पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने पुलकेशी नगर विधानसभा सीट से चुनाव में जीत दर्ज की।

कांग्रेस के स्थानीय नेता श्रीनिवास मूर्ति से नाराज हैं और वे उन्हें अपनी पार्टी में एक घुसपैठिए के रूप में देखते हैं। कलीम के कांग्रेस के बड़े नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं। कलीम ने पूर्व गृह मंत्री के. जे. जॉर्ज के साथ भीड़ का हमला झेलने वाले दोनों पुलिस थानों, डीजे हल्ली और केजी हल्ली का दौरा किया था। भीड़ ने कांग्रेस विधायक के घर और दफ्तर में आग लगा दी, लेकिन अभी तक उन्होंने FIR दर्ज नहीं करवाई है। विधायक ने सिर्फ इतना कहा है कि दोषियों को भगवान सजा देंगे। श्रीनिवास मूर्ति का दावा है कि पिछले 10 साल से उनकी अपने भांजे नवीन से बातचीत नहीं हुई है। वह दंगों के लिए किसी भी राजनीतिक संगठन का नाम तक लेने से बच रहे हैं। साफ है कि मूर्ति मुसलमानों को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहते, जो कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।

पूर्वी बेंगलुरु में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और गुरुवार को अर्धसैनिक बलों को दंगा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च करना पड़ा। कर्फ्यू और प्रतिबंधात्मक आदेश अगले 2 दिनों तक जारी रहेंगे। मैंने कई इस्लामिक स्कॉलर्स से बात की है, जिन्होंने कहा कि उनके पैगंबर के खिलाफ कई भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर मिल जाएंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोगों को कानून अपने हाथ में ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक फेसबुक पोस्ट के चलते पुलिस स्टेशन में आग लगा देना, पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश करना नाजायज है, गुनाह है।

इस्लामिक स्कॉलर्स ने ये भी कहा कि भतीजे द्वारा पोस्ट की गईं आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए विधायक को दोषी ठहराना गलत है। उन्होंने कहा कि उकसावे की चाहे जो वजह हो, घरों और गाड़ियों में आग लगाना गुनाह है। मौलानाओं ने कहा कि कुछ मुस्लिम नेता जिन्होंने भीड़ को उकसाया, इस्लाम के दुश्मन हैं। जब भी इस तरह की आगजनी और हिंसा होती है, तो उसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों को ही होता है। वे समाज के दूसरे लोगों की हमदर्दी खो देते हैं।

मुझे लगता है कि सही सोच वाले मुस्लिम स्कॉलर्स की बातों को उनके समुदाय के लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए, जो आसानी से भड़काने वालों की बातों में आ जाते हैं। हालांकि, उन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए जिन्होंने बेंगलुरु में भीड़ द्वारा हमले की साजिश रची थी जिससे पुलिस और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा। उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। उनकी असलियत सबके सामने लाने की जरूरत है।

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