प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को जब विपक्षी दलों के नेताओं के साथ कोरोना पर चर्चा कर रहे थे तो उसी दौरान एक अच्छी खबर आई। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा जारी किए गए ने चौथे नेशनल सीरो सर्वे में यह पाया गया कि 67.6 प्रतिशत भारतीयों में SARS-CoV2 वायरस यानी कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है जबकि कम से कम एक तिहाई आबादी पर अभी-भी संक्रमण का खतरा है।
हालांकि, आईसीएमआर प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने आगाह किया कि हमें तुरंत किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए क्योंकि देश में कई जिले ऐसे हैं जहां पॉजिटिविटी रेट अभी भी ज्यादा है। उन्होंने कहा-ये निष्कर्ष एक आशा की एक किरण हैं, लेकिन ढिलाई की कोई गु्ंजाइश नहीं होनी चाहिए। हमें कोविड गाइलाइंस का पालन करते रहना होगा।’
आईसीएमआर के नतीजों के मुताबिक 45 से 60 साल के आयु वर्ग लोगों के बीच सबसे ज्यादा सीरो पॉजिटिविटी (77.6 प्रतिशत) पाई गई वहीं सबसे ज्यादा गतिशील रहनेवाले 18 से 44 साल के आयु वर्ग में सीरो पॉजिटिविटी कम पाई गई है। इस सर्वे में यह भी पाया गया कि अन्य उम्र के लोगों की तुलना में बच्चों में कोविड से संक्रमित होने का जोखिम कम है। इस रिपोर्ट ने पॉलिसी बनानेवाले लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों के मन में एक भरोसा पैदा किया है। उनके विश्वास को जगा दिया है।
उधर, सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने कोरोना प्रबंधन पर विस्तार से प्रजेंटेशन दिया। इस बैठक में डीएमके, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, बीएसपी और अन्य दलों ने हिस्सा लिया लेकिन कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और वामपंथी दलों ने बहिष्कार किया। जिन विरोधी दलों के नेता कई दिनों से कह रहे थे कि संसद में सरकार के कोरोना कुप्रबंधन का मुद्दा उठाएंगे, उन्हीं दलों ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार कर दिया।
पीएम मोदी ने विपक्ष के नेताओं के साथ चर्चा में कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए किए गए इंतजामों के बारे में भी बात की। उन्होंने वैक्सीनेशन अभियान को गति देने के लिए वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयासों के बारे में भी बताया।
प्रधानमंत्री ने देश के हर जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के केंद्र सरकार के लक्ष्य के बारे में भी बताया। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से जिला स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन अभियान चलाने के लिए कहा। मोदी ने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के 6 महीने बाद भी बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंट लाइन वर्कर्स को अभी वैक्सीन लगनी बाकी है।
उधर, राज्यसभा में कोरोना के मुद्दे पर बहस हुई जिसमें 23 दलों के 26 सदस्यों ने हिस्सा लिया। ज्यादातर सांसदों ने कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर को लेकर अपनी बात रखी और लाखों लोगों की मौत की बात कही। इन सांसदों ने सरकार से तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए तैयारी करने को कहा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा की शुरुआत की। खड़गे ने सरकार पर कोरोना से हुई मौत के गलत आंकड़े पेश करने का इल्जाम लगाया। उन्होंने कोरोना से हुई मौत के आधिकारिक आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए पूछा-क्या कोरोना से हुई मौतों की संख्या हमेशा के लिए एक रहस्य बनी रहेगी?’ उन्होंने आरोप लगाया कि देश के 6 लाख से ज्यादा गांवों में ही 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सरकार कोरोना से सिर्फ चार लाख लोगों की मौत का आंकड़ा दे रही है।
बहस के दौरान ज्यादातर सदस्यों ने वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाया जबकि कई सदस्यों ने गंगा में तैरती लाशें, मजदूरों का पलायन, ऑक्सीजन की कमी से बड़े पैमाने पर मौत का मुद्दा उठाया। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर पहली बार इस बहस में हस्तक्षेप करते हुए मनसुख मंडाविया ने सभी से अपील की कि वे कोरोना महामारी के मुद्दे का राजनीतिकरण न करें क्योंकि तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए समाज के सभी वर्गों के सहयोग की जरूरत है।
मंडाविया ने बेहद स्पष्ट और प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, वैक्सीन की आपूर्ति में सुधार हो रहा है और जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं उन्हें पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन और वितरण की अपनी कोशिशों को बढ़ाया है और बहुत जल्द वैक्सीन की कमी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत डीएनए आधारित वैक्सीन विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बन सकता है। इसे जाइडस कैडिला द्वारा तैयार किया जा है। इसके ट्रायल का तीसरा चरण पूरा हो चुका है और ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया से इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांगी गई है। मंडाविया ने कहा कि अगर उत्पादन शुरू होता है तो यह भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित पहली डीएनए वैक्सीन होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर डालेगी। उन्होंने अपने दावे की पुष्टि के लिए कोरोना की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों का हवाला दिया।
मैं मनसुख मांडविया की प्रशंसा करूंगा। वो नए-नए मंत्री बने हैं। दो हफ्ते पहले ही स्वास्थ्य मंत्री का कामकाज संभाला है, लेकिन उन्होंने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ सारे सवालों के जवाब दिए। किसी सवाल को टालने की कोशिश नहीं की। जैसे अब तक तो सिर्फ ये दावा किया जाता था कि वैक्सीन उपलब्ध है और जब लोगों को वैक्सीन नहीं मिलती थी और लोग वैक्सीनेशन सेंटर से खाली हाथ घर लौटते थे तो अविश्वास का वातावरण पैदा होता था। मनसुख मांडविया ने ये माना कि वैक्सीन की कमी है। विभिन्न राज्यों को जितनी जरूरत है उसके हिसाब से उत्पादन नहीं हो रहा है और उन्होंने ये भी समझाया कि वैक्सीन की कमी क्यों है। मुझे लगता है कि अब देश में वैक्सीन को लेकर लोगों के बीच झिझक लगभग कम हो गई है लिहाजा इसकी मांग बढ़ गई है।
पूरी दुनिया से ये रिपोर्ट्स मिल रही है कि जिन देशों में 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है वहां लोगों को कोरोना से संक्रमित होने के बाद अस्पातलों में नहीं जाना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि सारी ताकत इस बात पर लगाई जाए कि हमारे यहां वैक्सीन का उत्पादन तेजी से बढ़े और जहां से भी, जैसे भी इंपोर्ट की जा सकती है, उसे हासिल किया जाए। कई सांसदों ने केंद्र से कहा कि वह स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जल्द से जल्द मान्यता दिलाए।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की बात सुनकर इस बात का भरोसा हुआ कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है और हम तीसरी लहर का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से बताया गया कि वैक्सीन के मामले में सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों और सभी राज्य सरकारों से केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम करने की अपील की। मोदी ने कहा कि मिलकर लड़ेंगे तो कोरोना को जल्दी हरा पाएंगे। इस मामले में सियासत की कोई गुंजाइश नहीं है। 68 प्रतिशत भारतीयों में कोविड एंटीबॉडी होने की आईसीएमआर की रिपोर्ट से राहत और उम्मीद की एक किरण नजर आई है, लेकिन ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। आइए, हम सब साथ मिलकर इस जंग को लड़ें और जीत हासिल करें।