देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले फिर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। लोगों की तरफ से बरती जा रही लापरवाही कोरोना के लिए संजीवनी बन रही है। हालात ये हो गए हैं कि कुछ शहरों में फिर से लॉकडाउन की बात सुनाई देने लगी है। शुक्रवार को देशभर में कोरोना के कुल 14,059 मामले सामने आए जो पिछले 27 दिनों में सबसे ज्यादा है। 23 जनवरी के बाद पहली बार कोरोना ने 14 हजार का आंकड़ा पार किया है।
महाराष्ट्र और केरल में हालात फिर खराब हो रहे हैं। महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोरोना के 6 हजार 112 मामले सामने आए। कोरोना की रोकथाम के लिए राज्य के कई जिलों में फिर से पाबंदियां लग गई हैं। वर्धा, अकोला, अमरावती में शनिवार रात से सोमवार सुबह तक 36 घंटे का लॉकडाउन लगाया गया है। पुणे में सबसे ज्यादा 1,005 नए मामले सामने आए हैं। अमरावती में 755, नागपुर में 752 और मुंबई में 823 नए मामले आए हैं। महाराष्ट्र में गुरुवार को कोरोना के 5,427 और बुधवार को 4,787 नए मामले दर्ज किए गए।
केरल (4,505), पंजाब और मध्य प्रदेश में भी कोरोना वायरस के नए मामले बढ़े हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को यह दावा किया कि कोरोना वायरस के नए हॉटस्पॉट अमरावती और यवतमाल जिले में अब तक इस वायरस का कोई विदेशी संस्करण (नया स्ट्रेन) नहीं मिला है। महाराष्ट्र के 4 मंत्री कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे और जल संपदा मंत्री जयंत पाटिल के बाद अब स्कूली शिक्षा मंत्री बच्चू कडू भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। बच्चू कडू दूसरी बार कोरोना पॉजिटिव हुए हैं। दो दिन पहले महाराष्ट्र के अनाज और औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिगणे भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। यही नहीं महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले के घर में काम करने वाले स्टाफ को भी कोरोना हुआ है, जिसके बाद वह आइसोलेशन में चले गए हैं।
कोरोना की रफ्तार बढ़ने की वजह सिर्फ लापरवाही है। महाराष्ट्र में सरकार भी लापरवाही बरत रही है और आम लोग भी बेफिक्र हो गए हैं। मुंबई में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं, इसलिए अब मास्क लगाने पर जोर दिया जा रहा है। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) की तरफ से मास्क न पहनने वालों पर सख्ती की जा रही है। बीएमसी ने सड़कों पर मार्शल को तैनात किया है जो बिना मास्क के घूम रहे लोगों से 200 रुपये का जुर्माना वसूलते हैं। लेकिन अक्सर मास्क न लगाने वाले लोग दादागिरी पर उतर आते हैं, बहसबाजी करते हैं, फिर धक्का-मुक्की होती है और बात मारपीट तक पहुंच जाती है। शुक्रवार को जुहू चौपाटी का एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ जिसमें मास्क न पहनने पर जुर्माना वसूली के दौरान हाथापाई और मारपीट की तस्वीरें हैं। यवतमाल में 28 फरवरी तक आंशिक लॉकडाउन रहेगा। यहां दुकान, संस्थान, स्कूल, कॉलेज, मंदिर या धार्मिक स्थल रात 9 बजे से सुबह तक बंद रहेंगे। मास्क न पहनने पर पहली बार पकड़े गए तो 500 रुपये, दूसरी बार पकड़े गए तो 750 रुपये और तीसरी बार पकड़े जाने पर एक हजार रूपये जुर्माना भरना होगा।
भारत ने जिस तरह से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी और जिस तरह कोरोना को काबू में किया उसकी पूरी दुनिया ने तारीफ की है। लेकिन ये भी सही है कि खतरा टला नहीं है। कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन (टीकाकरण) का काम भी सबसे तेज भारत में ही हो रहा है। शुक्रवार तक सिर्फ 34 दिन में एक करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गई है। यहां अमेरिका के बाद दूसरा सबसे तेज वैक्सीनेशन हो रहा है। पहले से ही रोजाना औसतन 40 से 50 हजार लोगों को टीका देने की योजना तैयार कर ली गई है। अभी रोजाना औसतन करीब 10 हजार लोगों को वैक्सीन दी जा रही है। अबतक 62.3 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है जबकि 7.6 लाख लोगों को दूसरी खुराक भी दी जा चुकी है।
कोरोना के खिलाफ जंग में ये पॉजिटिव संकेत हैं, लेकिन सोशल डिस्टैंसिंग में कोई शिथिलता नहीं बरतनी चाहिए। तेलंगाना के करीमनगर जिले के एक गांव में 33 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये सभी लोग एक कैंसर रोगी के अंतिम संस्कार में गए थे। अब स्थानीय प्रशासन ने इस गांव में रहने वाले सभी 1,600 लोगों का कोविड टेस्ट कराना शुरू कर दिया है।
कोरोना की वैक्सीन तो बनी है लेकिन कोरोना की कोई दवा नहीं बनी। इस दिशा में स्वामी रामदेव ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कोरोना की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल औपचारिक तौर पर लॉन्च कर दी। पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट की इस दवा को डब्ल्यूएचओ (WHO) के मानदंडों के अनुसार आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है। इसे कोविड-19 संक्रमण के मामले में ‘एक सहायक दवा के रूप में’ और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस दवा को पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पिछले साल जून में लॉन्च किया था। पतंजलि के एक बयान में कहा गया है, ‘कोरोनिल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से WHO की प्रमाणन योजना के तहत फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (CoPP) का प्रमाण पत्र मिला है।’ पतंजलि ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वामी रामदेव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में यह घोषणा की।
CoPP सर्टिफिकेशन के तहत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है। WHO ‘उपयुक्त अंतराल पर’ दवा के निर्माण में लगी कंपनी की जांच कर सकता है। स्वामी रामदेव ने कहा, हम आयुर्वेद की वैधता साबित करने के लिए आधुनिक औषधीय और वैज्ञानिक प्रोटोकॉल के साथ साक्ष्य-आधारित रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कोरोनिल पर 9 रिसर्च पेपर दुनिया के जाने-माने रिसर्च जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं,16 रिसर्च पेपर पाइपलाइन में हैं। स्वामी रामदेव ने कहा-WHO ने इसे GMP यानी ‘गुड मैनुफैक्चरिंग प्रैक्टिस’ का सर्टिफिकेट दिया है। जिन लोगों ने कोरोनिल को लेकर सवाल उठाए थे, अब उन्हें जवाब मिल गया होगा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आयुर्वेदिक उत्पादों का 30,000 करोड़ रुपये का उद्योग कोविड से पहले सालाना 15 से 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था लेकिन कोविड के बाद अब 50 से 90 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, क्यूबा, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन ने आयुर्वेदिक दवाओं को अपनाया है।
मेरा मानना है कि स्वामी रामदेव ने योग को सरल और सहज बनाया, घर-घर तक पहुंचाया। उन्होंने आयुर्वेद का, हमारी अपनी साइंस का इस्तेमाल लोगों के इलाज के लिए किया, लेकिन स्वामी रामदेव ने कभी एलोपैथी के प्रति नकारात्मकता नहीं फैलाई। उन्होंने तो एलोपैथी के सिस्टम को अपनाया, रोग के निदान के लिए उनका इस्तेमाल किया। जिन लोगों को ऑपरेशन की ज़रूरत होती थी उन्हें होत्साहित नहीं किया। एलोपैथिक डॉक्टर्स ने योग और आयुर्वेद को मान्यता दी, लेकिन बड़ी-बड़ी फार्मा कंपनियों को आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार रास नहीं आया। इसीलिए स्वामी रामदेव ने कोशिश की है कि आयुर्वेद को भी रिसर्च आधारित (Research based) बनाया जाए।आयुर्वेद की प्रामाणिकता का वैज्ञानिक प्रयोग करके पूरी दुनिया में इसका लोहा मनवाया जाए। आज उन्होंने इस दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। इसके लिए स्वामी रामदेव का अभिनंदन किया जाना चाहिए।