आज सबसे पहले आपको चेतावनी दे दूं कि अगर कोरोना को लेकर लापरवाही जारी रही, कोरोना को लेकर जारी की गई गाइडलाइंस का उल्लंघन होता रहा तो एक बार फिर लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लग सकती हैं। कम से कम दिल्ली में तो ऐसे ही हालात बन चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने साफ-साफ कह दिया कि अगर लोगों के व्यवहार में बदलाव नहीं आया, लोगों ने गंभीरता नहीं दिखाई, बाजारों में भीड़ लगाना बंद नहीं किया तो एक बार फिर पाबंदियां लग सकती हैं। इसके लिए दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार से इजाजत मांगी है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के उन ‘हॉटस्पॉट’ बाजारों में लॉकडाउन की इजाजत मांगी है, जहां कोरोना को लेकर गाइडलाइंस का उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं, दिल्ली सरकार ने पहले ही शादियों और सामाजिक समारोहों में मेहमानों की संख्या 200 से घटाकर 50 तक सीमित कर दी है।
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर दिल्ली में हालात वाकई में खराब हैं। सितंबर के अंतिम सप्ताह से 12 अक्टूबर तक दिल्ली में कोरोना के मामलों में गिरावट आ रही थी। लेकिन इसके बाद यहां कोरोना के मामले अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगे। अब नतीजा ये है कि दिल्ली के अस्पताल कोरोना मरीजों से भर गए हैं। यहां के अस्पतालों में आईसीयू बेड की कमी होने लगी है। दिल्ली में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र की मदद लेनी पड़ी और डीआरडीओ से सहयोग से इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। दिल्ली की आबादी दो करोड़ के आसपास है, यानि देश की आबादी का करीब डेढ़ प्रतिशत, लेकिन देश में कोरोना के जितने मामले रोज मिल रहे हैं उनमें से करीब 13 प्रतिशत मामले केवल दिल्ली से आ रहे हैं। दिल्ली में पिछले दो दिनों में कोरोना वायरस से रोजाना करीब 100 मौतें हो रही हैं। यानि देश में कोरोना से मरने वाला हर चौथा शख्स दिल्ली का है।
अकेले नवंबर महीने में दिल्ली में कोरोना वायरस से अबतक 1,300 लोगों की मौत हो चुकी हैं। मृतकों में अधिकांश डायबिटिज से ग्रसित थे। दिल्ली में कोरोना से होनेवाली मौतों का आंकड़ा 7,812 हो गया है। मंगलवार को 6,396 पॉजिटिव मामले सामने आने के साथ ही यहां कोरोना के कुल मामले 4.95 लाख से ज्यादा हो गए हैं। दिल्ली कोरोना ऐप पर जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के 90 फीसदी वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड और बिना वेंटिलेटर वाले 88 फीसदी आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं। कोरोना के गंभीर लक्षण वाले मरीज आईसीयू बेड की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटक रहे हैं।
असल में कोरोना के खतरे को सब देख रहे हैं, लेकिन इसकी परवाह नहीं कर रहे हैं। सब जानते हैं कि कोरोना खतरनाक है, इसकी कोई दवा नहीं, कोई वैक्सीन नहीं हैं। लेकिन जो लोग ये मानते हैं कि कोरोना दूसरों को हो सकता है और उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, वही लोग पूरे समाज को खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे लोगों की लापरवाही के कारण अब हालत ये हो गई कि दोबारा वही दौर लौट सकता है जो अप्रैल से लेकर जून के महीने में था। वही स्थिति हो सकती है जब सड़क, बाजार, दफ्तर सबकुछ लॉकडाउन की वजह से वीरान हो गए थे।
अगर आंकड़ों की नजर से देखें तो देश में कोरोना जिस रफ्तार से काबू में आ रहा है, दिल्ली में उसी रफ्तार से बढ़ रहा है। कोई नहीं चाहता कि फिर से लॉकडाउन लगे। कोई नहीं चाहता कि पांबिदयां हों। लेकिन जो तस्वीरें हमने आपको इंडिया टीवी पर दिखाई, उससे आप समझ जाएंगे। मैं कुछ दिन से लगातार इस खतरे से आगाह कर रहा हूं। बाजारों में जबरदस्त भीड़ है। सरोजनी नगर, चांदनी चौक, चावड़ी बाजार, लाजपत नगर, सदर बाजार और गांधी नगर जैसे कई बाजार हैं, जहां न तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है और मास्क पहनने में भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। इन बाजारों में पैर रखने की जगह नहीं है। ज्यादातर लोगों ने मास्क तो लगा रखा है लेकिन ठीक से नहीं लगाया। काफी लोग ऐसे भी दिखे जो बिना मास्क के ही भीड़ में घूम रहे थे। लोग मास्क न लगाने के दर्जनों बहाने बनाते हैं। हर किसी की अपनी दलील है, लेकिन ये नहीं जानते कि इस गलती का अंजाम बहुत भयानक है। उन्हें दिल्ली के श्मशानों की तस्वीरें देखनी चाहिए जहां शवों की लंबी कतार है।
दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की तादाद मई-जून के महीने से भी ज्यादा हो गई है। जून में औसतन 75 लोगों की मौत हर रोज हो रही थी। ये वो वक्त था जब दिल्ली में कोरोना पीक पर था। लेकिन अब पिछले दस दिन से दिल्ली में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा हर रोज करीब सौ है। इससे आप हालात की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं। श्मशान घाट हो या फिर कब्रिस्तान, हर जगह फिर से मौत का ताडंव दिखने लगा है। कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची है। श्मशान में अन्तिम संस्कार के लिए लाइनें लग रही हैं। अलग से इंतजाम करने पड़ रहे हैं। अकेले निगमबोध घाट पर कोरोना की वजह से मरने वाले 20 से 25 लोगों का अंतिम संस्कार रोज हो रहा है, जबकि दस दिन पहले तक निगमबोध घाट में सिर्फ कोरोना के मरीजों के 5 से 7 शव ही आते थे। हालात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि निगम बोध घाट इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाला श्मशान घाट है लेकिन कोरोना की वजह से जिस तरह से मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, उसके बाद लकड़ी से भी शव जलाने की मंजूरी दी गई है।
जो दिक्कत श्मशान घाटों पर है वही दिक्कत कब्रिस्तानों में भी हो रही है। दिल्ली के कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ने लगी है। हमारे संवाददाता ने दिल्ली में आईटीओ के पास जदीद कब्रिस्तान का जायजा लिया। यह दिल्ली का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाने के लिए यहां अलग से करीब 10 बीघा जमीन दी गई थी, लेकिन अब जिस रफ्तार से कोरोना मरीजों के शव आ रहे हैं उसके बाद लगता है कि अगले बीस दिन में ये कब्रिस्तान पूऱी तरह भर जाएगा। बीस दिन के बाद कब्रिस्तान के लिए नई जगह खोजनी पड़ेगी।
दिल्ली में पिछले दस-बारह दिन में कोरोना के मामले इतनी तेजी से क्यों बढ़े, ये कोई ठीक से नहीं बताता। किसी ने कहा कि लोगों ने बाजारों में भीड़ लगाई, वहां कोरोना के सुपरस्प्रैडर आ गए इसलिए मामले बढ़े। किसी ने कहा कि दिल्ली में पिछले एक महीने में प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। प्रदूषण की वजह से सांस की बीमारियां होती है और जब सांस की तकलीफ होती है, फेफड़े कमजोर होते हैं तो कोरोना वायरस और तेजी से फैलता है। किसी ने कहा कि कोरोना के मामले इसलिए बढ़ गए क्योंकि दिल्ली में सर्दी बढ गई है। किसी एक आदमी को वायरस का संक्रमण होता है तो लोग घर के अंदर होते हैं और ऐसे में वायरस एक-दूसरे को संक्रमित कर देता है।
मेरा सुझाव ये है कि थोड़े दिन और सब्र करें और कन्ट्रोल रखें। घर पर रहें और भीड़ वाली जगहों में न जाएं। मिलना-जुलना कम करें। बाहर निकलें तो मास्क जेब में न रखें बल्कि मुंह पर लगाएं। मास्क मुंह पर लटकाएं नहीं, ठीक से लगाकर निकलें। यही आपको बचाएगा। एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखें। थोड़े दिन की बात और है, हिम्मत रखें और सावधानी बरतें। कोरोना की ज्यादातर वैक्सीन ट्रायल के फाइनल स्टेज में है। पूरी उम्मीद है कि वैक्सीन जल्दी आएगी और आप जानते हैं कि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।