Rajat Sharma

देश ने नम आंखों से दी जनरल बिपिन रावत को अंतिम विदाई

AKB

देश ने शुक्रवार को अपने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और अन्य सैन्यकर्मियों को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। कई शहरों में लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर उन्हें नमन किया। जब जनरल का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए गन कैरिज पर दिल्ली कैंट से बरार स्क्वॉयर ले जाया जा रहा था, उस वक्त दिल्ली की सड़कों पर बड़ी तादाद में लोग उनकी अंतिम यात्रा देखने उमड़ पड़े और उनके पार्थिव अवशेष पर फूल बरसाए।

हाथों में तिरंगा लिए बड़ी संख्या में युवक ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के साथ दौड़ पड़े। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, तीन सेनाओं के चीफ और ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान के गणमान्य लोगों की मौजूदगी में जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई।

जब लोगों ने जनरल रावत की दोनों बेटियों कृत्तिका और तारिणी को अपने माता-पिता को मुखाग्नि देते देखा तो दिल भर आया। यह बेहद भावुक दृश्य था और कई लोगों की आंखों में आंसू छलक आए। सीडीएस के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर का अंतिम संस्कार भी शुक्रवार को दिन में किया गया। जनरल रावत का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ हुआ। तीनों सेनाओं के बिगुलरों ने ‘द लास्ट पोस्ट’ की धुन बजाई। हमारे जवानों की बहादुरी और जांबाजी तो पूरी दुनिया ने देखी है लेकिन शुक्रवार को दुनिया ने इन बेटियों की हिम्मत और उनका हौसला देखा। इन वीर जवानों की बहादुर बेटियों ने अपने गम को सीने में छुपा कर पिता को आखिरी विदाई दी।

ब्रिगेडियर लिड्डर की 17 साल की बेटी आशना ने कहा, ‘मेरे पिता मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे, वो मेरे मेंटर थे। मैं पापा की लाडली हूं। वो मेरी आंखों में कभी आंसू नहीं देख सकते थे, इसीलिए पापा को रोकर विदा नहीं करूंगी।’

सैनिक होना सम्मान की बात है लेकिन एक सैनिक का बेटा, बेटी या परिजन होना आसान नहीं है। अंतिम संस्कार को देखते हुए मुझे जनरल बिपिन रावत की कही बात याद आई, ‘फौज में भर्ती होना सिर्फ नौकरी नहीं है.. सैनिक नौकरी नहीं करता… वो फौज में कुछ पाने नहीं आता है….वो तो देश की खातिर सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहता है।’ जनरल बिपिन रावत, ब्रिगेडियर लिड्डर और 11 दूसरे जवान यही कर गए। देश की सेवा करते करते आखिरी सांस तक अपना फर्ज निभाया और प्राणों की आहुति दे दी।

जनरल रावत और ब्रिगेडियर लिड्डर की बेटियों ने पूरे धैर्य, संयम और गरिमा के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। जब लोगों ने जनरल रावत की बेटियों कृतिका और तारिणी को चिता के चारों ओर परिक्रमा करते और माता-पिता को मुखाग्नि देते देखा तो वहां कोई आंख ऐसी नहीं थी जो नम न हो। ‘जनरल रावत अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज रहे थे। जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई। तस्वीरें देखकर लगा कि वाकई जनरल रावत जनता के जनरल थे। उन्होंने सिर्फ दुश्मनों पर जीत हासिल नहीं की बल्कि जनता के दिलों को भी जीता है।

आखिर जनरल रावत लोगों के बीच इतने लोकप्रिय कैसे हो गए? इसकी वजह समझने की जरूरत है। जनरल रावत लोगों की भावनाओं को समझते थे और हमेशा दुश्मनों को अपने काम और शब्द, दोनों से मुंहतोड़ जवाब देते थे। जब उन्होंने कहा, ‘आतंकवादी पाकिस्तान से आते रहेंगे और हमारी सेना उन्हें ढाई फीट गड्ढे में दफन करती रहेगी’, उनके ये शब्द लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गए। जब उन्होंने कहा, ‘हमारा सबसे बड़ा दुश्मन चीन है और उससे निपटने की क्षमता हम रखते हैं’ तो उनकी इस बात ने हर देशवासी के मन को साहस से भर दिया।

जनरल रावत का रवैया अपने जूनियरों के प्रति बेहद नरम रहता था लेकिन देश के दुश्मनों के खिलाफ वे उतने ही कठोर थे। लोग जनरल रावत को सुनना पसंद करते थे। वे कभी राजनीति पर बात नहीं करते थे। वह केवल रक्षा, रणनीति, सेना और वीरता पर अपने विचार रखते थे। वह हमेशा दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की बात करते थे। उनकी साफ और स्पष्ट सोच के चलते लोग उन्हें प्यार करते थे।

जनरल रावत सेना का थिएटर कमांड स्थापित करने के मिशन में लगे थे। तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए थिएटर कमांड का गठन बेहद अहम था। अमेरिका और चीन इस तरह का काम पहले कर चुके हैं। अब जनरल रावत के असामयिक निधन से यह काम अधूरा रह गया है। जनरल रावत नए और आधुनिक हथियारों के साथ तीनों सेनाओं को नयी तकनीक से लैस करने की आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में जुटे थे। जनरल रावत के निधन पर उमड़ी शोक की लहर, अंतिम यात्रा में उमड़े जनसैलाब और सड़क पर फूल और तिरंगा लेकर खड़ी भीड़ से यह साफ है कि देश के लोगों को उनपर भरोसा था। देश के इतिहास में पहली बार किसी सेवारत रक्षा प्रमुख को उनकी अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने इस तरह से श्रद्धांजलि दी।

जनरल बिपिन रावत अमर रहेंगे। लोगों के दिलों में उनकी जगह हमेशा बनी रहेगी। अपने साहस और पराक्रम की वजह से उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनके शौर्य और वीरता की कहानियां देश के घर-घर में आनेवाली पीढ़ियों को सुनाई जाएंगी।

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