 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 7178 नए मामले दर्ज किए गए और 24 घंटों में 64 लोगों की मौत हुई। एक दिन में सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों के हिसाब से दिल्ली अब पूरे देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है और उसने केरल (7,002) को दूसरे स्थान पर धकेल दिया है। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का दावा है कि बड़ी संख्या में कोरोना टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की वजह से कोरोना के मामले बढ़े हैं लेकिन जमीनी हकीकत में कुछ और ही कहानी निकलकर सामने आ रही है।
 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 7178 नए मामले दर्ज किए गए और 24 घंटों में 64 लोगों की मौत हुई। एक दिन में सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों के हिसाब से दिल्ली अब पूरे देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है और उसने केरल (7,002) को दूसरे स्थान पर धकेल दिया है। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का दावा है कि बड़ी संख्या में कोरोना टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की वजह से कोरोना के मामले बढ़े हैं लेकिन जमीनी हकीकत में कुछ और ही कहानी निकलकर सामने आ रही है।
शुक्रवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे दिल्ली के व्यस्त बाजारों यानी सदर बाजार, चांदनी चौक, करोल बाग, लाजपत नगर, सरोजनी नगर, गांधी नगर और चावड़ी बाजार में दिवाली की खरीदारी के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। बाजार में भीड़ इतनी थी कि सड़क पर चलने के लिए एक इंच जगह नहीं बची थी। ज्यादातर लोग कोरोना महामारी को लेकर लापरवाह नजर आए और ऐसा लग रहा था कि उन्हें कोई चिंता नहीं है।
दिल्ली में दिवाली की खरीदारी करने निकली भीड़ का दृश्य देख शायद ही कोई इस बात पर यकीन करे कि दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से 6,833 लोगों की जान जा चुकी है और वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों का कुल आंकड़ा 4.23 लाख तक पहुंच चुका है। बेशक 3.77 लाख लोग इस बीमारी से ठीक भी हुए हैं, लेकिन दिल्ली के व्यस्त बाजारों में जिस तरह की भीड़ है, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले कुछ हफ्तों में मामले तेजी से बढ़ सकते हैं।
पहले से ही दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए ICU बेड्स की भारी कमी है, और दिल्ली सरकार ने COVID-19 रोगियों के लिए 33 बड़े निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत ICU बेड आरक्षित करने के फैसले पर रोक लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राजधानी में 168 रजिस्टर्ड प्राइवेट हॉस्पिटल हैं, और दिल्ली सरकार को कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए ICU बेड्स की सख्त जरूरत है।
शुक्रवार को इंडिया टीवी के रिपोर्ट्स मुंबई के झावेरी बाजार और दादर के मार्केट गए। वहां पर भी दिवाली की शॉपिंग के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था। मुंबई में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 2.60 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और फिर भी बाजारों में उमड़ रही भीड़ को सोशल डिस्टेंसिंग की जरा भी चिंता नहीं है। इंडिया टीवी के रिपोर्ट्स ने शॉपिंग करने आए लोगों से बात की तो उनमें से कइयों ने दबी आवाज में स्वीकार किया कि उन्हें मास्क पहनना याद नहीं रहा।
अहमदाबाद के व्यस्त बाजारों में शुक्रवार को भारी भीड़ देखी गई। इस शहर में अब तक कोविड के चलते 3,700 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। अहमदाबाद में कोरोना वायरस से संक्रमण के अब तक 1.75 लाख से ज्यदा मामले सामने आए हैं, लेकिन फिर इन व्यस्त बाजारों में जाकर लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
जयपुर का मामला थोड़ा अलग है, जहां पुलिस कांस्टेबल के 5000 से ज्यादा पदों के लिए 17 लाख से भी ज्यादा नौजवान परीक्षा में शामिल हुए हैं। चूंकि 32 परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों को ले जाने के लिए सरकार ने गाड़ियों की कोई व्यवस्था नहीं की थी, इसलिए बसों को पकड़ने के लिए जयपुर, अजमेर, कोटा और अलवर में बस स्टेशनों पर युवाओं की भारी भीड़ जमा हो गई। यहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा गया।
मैंने इस मुद्दे पर कई विशेषज्ञों से बात की है। उन्होंने दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण ‘कोरोना फटीग’ को जिम्मेदार ठहराया है। लोग पिछले 7 महीनों से अपने घरों के अंदर रहकर थक गए हैं, और अब उन्हें अब थोड़े बदलाव की जरूरत है। दूसरी बात, सार्वजनिक स्थानों पर घूमने वाले कई लोग मास्क नहीं पहनते हैं, और उसे अपने गले में लटकाकर रखते हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है।
लोग दिवाली से पहले शॉपिंग तो करना ही चाहते हैं, लेकिन यह अपने घरों से बाहर निकलकर सार्वजनिक स्थानों पर घूमने का बहाना भी प्रतीत हो रहा है। कई लोगों के मन में यह गलत धारणा बैठ गई है कि कोरोना वायरस आजकल कमजोर हो गया है, और यदि इसकी चपेट में आ भी गए तो 4-5 दिन में ठीक हो जाएंगे। लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि एक बार जब वे वायरस से संक्रमित होते हैं, तो वे अनजाने में इसके ‘सुपर स्प्रेडर्स’ बनकर तमाम लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
वायरस से संक्रमित होने के बाद ज्यादातर ऐसे लोग जो बूढ़े हैं, या फेफड़े और दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं, गंभीर संकट में फंस सकते हैं। इसके अलावा, यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों के लोग बगैर किसी जांच के बड़ी संख्या में दिल्ली आते हैं। उनमें से कई वायरस के वाहक हो सकते हैं और वे अनजाने में वायरस को अपने राज्यों में भी ले जाते होंगे।
अब यह बात बताने की कोई जरूरत नहीं है कि कोरोना वायरस कितना जानलेवा है। अभी भी कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार कम नहीं हुई है। कोविड-19 की कोई दवाई भी अब तक नहीं मिल पाई है, और वैक्सीन के आने में भी अभी कई महीने लग सकते हैं। इसलिए खुद को कोरोना वायरस के खतरे से बचाने का एक ही तरीका है, और वह है कि सावधानी बरती जाए। अगर लोग मास्क नहीं पहनते हैं और सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग को नजरअंदाज करते हैं, तो महामारी का फैलना तय है। ऐसे में सरकार को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। लोगों द्वारा की जा रही ये लापरवाही निश्चित तौर पर उनके अपने परिवार के लिए और समाज के दूसरे लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है।
लोगों को यह समझना चाहिए कि कोई सरकार सख्ती नहीं करना चाहती है। कौन चाहता है कि लोगों को जबरन घरों में कैद कर दिया जाए? कोई नहीं चाहता कि फिर लॉकडाउन लगे, लेकिन ये ध्यान रखिए कि यूके, जर्मनी और फ्रांस समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए दोबारा लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गई। यूके में क्रिसमस और न्यू इयर के त्योहारों के ऐन पहले एक महीने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। इसकी वजह ये है की वहां भी लोगों ने लापरवाही की, मास्क नहीं लगाए और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाईं।
इसलिए मेरी सभी से हाथ जोड़ कर अपील है कि सावधान रहिए, सुरक्षित रहिए। ये आपके लिए जरूरी है। अपने घर पर रहें, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क जरूर पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। जब तक अधिकांश लोगों को टीका नहीं लग जाता है, तब तक हर शख्स को सावधानी बरतनी होगी, घर पर रहना होगा और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना होगा।