Rajat Sharma

बिहार : तेजस्वी NDA के चक्रव्यूह में फंसे

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बिहार में जिन 122 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होना है, वहां प्रचार तेज हो गया है. पहले चरण में भारी मतदान के बाद NDA के नेता ज्यादा जोश में दिख रहे हैं जबकि महागठबंधन के नेताओं का मनोबल कुछ कम नज़र आने लगा है.
NDA की तरफ से नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, जे पी नड्डा, हिमंता विस्वा सरमा से लेकर रवि किशन तक तमाम नेताओं की रैलियां और रोड शो हुए. मोदी ने शुक्रवार को कैमूर और औरंगाबाद में रैलियां की और शनिवार को सीतामढ़ी मे रैली की.
इन रैलियों में मोदी ने बिल्कुल नए अंदाज में NDA और महागठबंधन में फर्क समझाया, जंगलराज और सुशासन का अंतर बताया.
मोदी ने यूट्यूब पर चल रहे RJD के गानों की लाइनें सुनाईं और कहा कि इन गानों से ही बिहार के लोगों को समझ में आ जाना चाहिए कि महागठबंधन के नेताओं के इरादे क्या है.
महागठबंधन के चुनाव प्रचार का सारा दारोमदार तेजस्वी यादव के कंधों पर है और वो एक दिन में दस-दस, पंद्रह-पंद्रह रैलियां कर रहे हैं.
तेजस्वी का फोकस दो मुद्दों पर है. पहला युवाओं को सरकारी नौकरी और दूसरा बिहारी बनाम बाहरी. तेजस्वी ने कहा कि फिलहाल बिहार सरकार का रिमोट बाहरी नेताओं के हाथ में है, चुनाव के वक्त भी कुछ बाहरी यहां आकर बिहार में लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे लोगों के चक्कर में नहीं फंसना है.
ये बात तो सब जानते हैं कि बिहार के चुनाव नतीजे तेजस्वी के राजनीतिक भविष्य पर असर डालने वाले होंगे. इसलिए तेजस्वी ने इस चुनाव में जी-जान लगा दी है लेकिन उनके सामने चुनौती बहुत बड़ी है.
एक तो महागठबंधन के प्रचार की जिम्मेदारी अकेले तेजस्वी के कंधों पर है. उन्हें एक-एक दिन में 18-18 रैलियां करनी पड़ रही हैं. RJD और कांग्रेस के अभियान में कोई तालमेल नहीं हैं.
राहुल गांधी चार दिन कैंपेन में आए जरूर लेकिन बिहार की बजाय इधर उधर की बातें करते रहे. इससे महागठबंधन के उम्मीदवारों में निराशा है.
दूसरी तरफ NDA की रणनीति एक-एक सीट के लिए तय है. कैंपेन में समन्वय है. नीतीश कुमार अब तक 70 से ज्यादा रैलियां कर चुके हैं, मोदी की 18 रैलियां हो चुकी हैं, योगी आदित्यनाथ 26 रैलियां कर चुके हैं. अमित शाह चालीस से ज्यादा सभाएं कर चुके हैं. जे पी नड्डा से लेकर शिवराज सिंह चौहान, देवेन्द्र फडणवीस, धर्मेन्द्र प्रधान और हिमंता विस्व सर्मा तक सारे बड़े बड़े नेता बिहार में जमे हुए हैं..
NDA के कैंपेन में नेताओं की रैलियों की कॉरपेट बॉम्बिंग का असर दिख रहा है. कार्यकर्ताओं में उत्साह है..इसीलिए तेजस्वी को कहना पड़ा कि उनके एक हेलीकॉप्टर के पीछे मोदी ने तीस-तीस हेलीकॉप्टर लगा रखे हैं.

नेहरू ने वंदे मातरम् का आधा हिस्सा क्यों हटाया?

राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना को 150 साल पूरे हो गए. देशभर में स्मरण उत्सव की शुरूआत हुई. स्मरण उत्सव पूरे साल चलेगा.
अब तक राष्ट्रगीत वंदेमातरम के शुरुआती दो stanza ही गाए जाते थे लेकिन मोदी सरकार ने इस परिपाटी को खत्म कर दिया. अब सरकारी कार्यक्रमों में पूरा राष्ट्रगीत गाया जाएगा.
नरेन्द्र मोदी ने बताया कि वंदेमातरम के कुछ अंश किसने और क्यों हटाए थे. वंदेमातरम भारत माता का स्तुतिगान है, इसलिए कुछ मुस्लिम नेताओं ने इस पर ऐतराज जताया था, इसे इस्लाम के खिलाफ बताया. इसके बाद कांग्रेस ने एक कमेटी बनाई, लोगों से इस गीत पर आपत्तियां मंगवाई गईं. 1937 में कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में पंडित नेहरू की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें वंदे मातरम् के सिर्फ शुरूआती दो स्टैंजा ही गाने का फैसला हुआ.
मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने साम्प्रदायिक एजेंडे के तहत आज़ादी के इस गीत के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, जिस गीत से अंग्रेजों को भी डर लगता था कांग्रेस ने उसे खंड-खंड कर दिया. मोदी ने कहा, कांग्रेस की यही विभाजनकारी मानसिकता आज भी देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम् का जो इतिहास बताया, वो बिल्कुल सही है. सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है.
वंदे मातरम् के जिस अंश को हटाया गया था,उस हिस्से में भारत भूमि की आराधना सर्वशक्तिमान देवी के रूप में की गई थी जिसमें कहा गया था कि, ‘मां भारती तुम दस अस्त्र धारण करने वाली मां दुर्गा हो, तुम ही कमल पर विराजने वाली मां लक्ष्मी हो, तुम ही विद्या की देवी सरस्वती हो, तुम्हें प्रणाम है, तुम धन देने वाली हो, तुम पवित्र हो, तुम जल देने वाली हो, तुम बल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो, मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है’..
मां भारती की इस आराधना पर मुस्लिम नेताओं ने आपत्ति जताई. पंडित नेहरू ने राष्ट्रगीत के इस हिस्से को हटा दिया. इसीलिए आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रगीत को खंड-खंड कर दिया.
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