लाख कोशिश के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला. इस पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि नोबेल कमेटी शांति की सिर्फ बातें करती है लेकिन ट्रंप शांति स्थापित कराते हैं. नेतन्याहू ने कहा कि अगर तथ्यों पर जाएं तो ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए योग्य पात्र हैं.
जैसे ही नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता के नाम का ऐलान हुआ, उसके तुरंत बाद व्हाइट हाउस ने नाराजगी जाहिर की. व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन इंचार्ज ने कहा कि ट्रंप को भले ही नोबेल न दिया गया हो लेकिन इससे ट्रंप के शांति मिशन में कोई कमी नहीं आएगी, ट्रंप दुनिया में शान्ति के लिए, युद्ध और हिंसा को खत्म कराने की कोशिश करते रहेंगे.
व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप बड़े दिल वाले और चट्टानी इरादों वाले नेता है, उन्होंने आठ युद्ध रुकवाए, ये पूरी दुनिया जानती है,इसलिए नोबेल मिले न मिले, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार ट्रंप की बहुत बड़ी फैन और वेनेजुएला में विपक्ष की नेता मारिया कोरीना मशादो को दिया गया है. मारिया ने वेनेजुएला में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और इसके लिए उन्हें ट्रंप का पूरा समर्थन मिला. मारिया भी चाहती थीं कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिले लेकिन कमेटी ने ट्रंप के नाम पर विचार ही नहीं किया.
शनिवार को ट्रंप ने कहा कि मारिया ने उन्हें फोन करके कहा कि पुरस्कार के वही हक़दार हैं और ये पुरस्कार एक तरह से ट्रंप का ही सम्मान है.
जिसे नोबेल शांति पुरस्कार मिला, उससे ज्यादा चर्चा उसकी हो रही है जिसे ये पुरस्कार नहीं मिला. उसकी वजह जानना और समझना तो बनता है.
ये सब जानते हैं कि ट्रंप ने सौ-सौ बार कहा कि उन्होंने आठ युद्ध रुकवाए. उन्होंने सौ-सौ बार कहा कि वह नोबेल शांति पुरस्कार के हक़दार हैं. इस तरह का दावा और इतनी बार दावा नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहास में कभी किसी ने नहीं किया. तो भी ट्रंप को पुरस्कार क्यों नहीं मिला ?
पाकिस्तान और इस्राइल जैसे मुल्कों ने ट्रंप के लिए खूब जोर लगाया लेकिन शायद नोबेल पुरस्कार कमेटी को लगा कि ट्रंप ने जरूरत से ज्यादा दबाव बना दिया. अगर उन्हें ये पुरस्कार दिया जाता तो लगता कि कमेटी उनके दबाव में आ गई.
हालांकि ट्रंप की जो ताकत है, अमेरिका के राष्ट्रपति के पद का जो रुतबा है, उसे देखते हुए ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार कोई बड़ी चीज नहीं है. ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इतनी ललक दिखाकर इसे इतना बड़ा बना दिया. मारिया का नाम पूरी दुनिया में इसीलिए छा गया कि लोगों को लगा कि मारिया ने ट्रंप को पछाड़ दिया. नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने से ट्रंप के अहं को भले ही चोट पहुंची हो , पर न उनका मिजाज बदलेगा, न उनके तेवर बदलेंगे.
पाकिस्तान ने काबुल पर हमला क्यों किया ?
गज़ा शांति प्लान को लेकर पाकिस्तान में जबरदस्त हंगामा हो रहा है. पाकिस्तान की हुकूमत और आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने ट्रंप के गजा पीस प्लान का न केवल समर्थन किया, बल्कि इस्लामिक मुल्कों का समर्थन हासिल करने में ट्रंप की मदद की थी. इससे पाकिस्तान में जबरदस्त नाराजगी है.
तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को लाहोर और इस्लामाबाद में प्रोटेस्ट किया. शहबाज शरीफ की पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी, फिर फायरिंग की और हैडग्रेनेड तक फेंके. तहरीक-ए-लब्बैक ने लाहौर से इस्लामाबाद तक मार्च निकालने और अमेरिकी दूतावास के घेराव का एलान किया था लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया. इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया. इस्लामाबाद, रावलपिंडी, पेशावर और लाहौर के एंट्री और एग्जिट प्वॉइंट्स पर कंटेनर्स लगाकर सड़कों को बंद कर दिया. तहरीक-ए-लब्बैक के लाहौर के सेंटर रहमत अली मस्जिद को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया. जैसे ही प्रदर्शनकारियों मस्जिद से बाहर निकले तो पहले पुलिस ने लाठियां चलाईं और फायरिंग शुरू कर दी.
तहरीक-ए-लब्बैक के नेताओं ने कहा कि शहबाज शरीफ की हुकूमत और पाकिस्तान की फौज अमेरिका के हुक्म पर इस्राइल की जी हुजूरी कर रही है, इसे पाकिस्तान की आवाम कभी बर्दाश्त नहीं करेगी.
पाकिस्तान की जनता की भावनाएं पूरी तरह फिलिस्तीन के साथ है. उन्हें लगता है कि शहबाज और मुनीर ने अमेरिका की जी हुजूरी करने के लिए इजरायल का साथ दिया. .इसीलिए लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इन लोगों को ना तो पुलिस की लाठियों का डर है ना गोलियों का. मस्जिदों से ऐलान किए जा रहे हैं, मौलाना तकरीर कर रहे हैं, पाकिस्तान के मुसलमानों से फिलिस्तीन के हक के लिए आवाज उठाने की अपील की जा रही है. शहबाज की हुकूमत और मुनीर की फौज को ये सौदा महंगा पड़ेगा.
पाकिस्तान ने आवाम का ध्यान भटकाने के लिए नई चाल चली. पाकिस्तानी एय़र फोर्स ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मिसाइल्स से हमला कर दिया.
पाकिस्तानी फौज का दावा है कि पाकिस्तान में आंतकवादी हमले करने वाले तहरीक-ए-तालिबान के दहशतगर्द काबुल में छुपे हैं. इसलिए काबुल में तहरीक-ए-तालिबान के अड्डों को निशाना बनाया गया.
पाकिस्तानी वायु सेना ने दावा किया कि पाकिस्तान के फाइटर जैट्स ने काबुल में छुपे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के चीफ नूर वली महसूद को निशाना बनाया. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अफगान अधिकारियों के हवाले से बताया कि अब्दुल हक चौराहे के पास एक लैंड क्रूजर कार को निशाना बनाया गया. कहा जा रहा है कि इसी लैंड क्रूज़र में नूर वली महसूद था. लेकिन कुछ ही देर के बाद नूर वली महसूद की आवाज में एक ऑडियो टेप जारी किया गया जिसमें महसूद दावा कर रहा है कि वो ज़िंदा और सही सलामत है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाज़ा आसिफ ने संसद में कहा कि अफगानिस्तान की सरकार अब पाकिस्तान के साथ गद्दारी कर रही है. ख्वाज़ा आसिफ ने कहा कि जो अफगान शरणार्थी तीन पीढियों से पाकिस्तान में रह रहे हैं, वो भी पाकिस्तान के साथ नमक हरामी कर रहे हैं, इसलिए अब पाकिस्तान ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं करेगा.
गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक ऐसे वक्त पर की, जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत में हैं. चार साल पहले अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद उसके किसी मंत्री का ये पहला भारत दौरा है.. शहबाज शरीफ की सरकार अफगानिस्तान से बुरी तरह चिढ़ी हुई है और अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक की.
बुरी तरह बौखलाए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाज़ा आसिफ ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि ये अफगानी पाकिस्तान के साथ कभी थे ही नहीं, वो हमेशा से भारत के वफादार रहे हैं.
जब दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान हर मुद्दे का बातचीत से हल चाहता है, वो तनाव नहीं बढ़ाना चाहता. लेकिन मुत्ताकी ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार अफगानिस्तान को हल्के में लेने की गलती न करे, अगर किसी ने अफगानिस्तान को छेड़ा तो उसे छोड़ेंगे नहीं, पाकिस्तान याद करे कि इससे पहले सोवियत संघ और अमेरिका का क्या हश्र हुआ.
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