बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया. 6 और 11 नमंबर को वोटिंग होगी, 14 नवंबर को नतीजे आएगें. दावों का दौर शुरू हो गया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है, 14 नंबवर को नीतीश कुमार के बीस साल के शासन का अंत हो जाएगा.
बीजेपी के नेताओं का दावा है कि बिहार में एक बार फिर मोदी का जादू चलेगा. जीतनराम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा ने NDA के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़े होने का भरोसा दिया. लेकिन दोनों खेमों में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है.
कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है. कांग्रेस का फोकस फिलहाल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने पर है. पिछली बार कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और 19 सीटें जीती. कांग्रेस इस बार भी सत्तर सीटों पर लड़ना चाहती है. तेजस्वी इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है लेकिन कांग्रेस अड़ी है.
JD-U के नेता सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त हैं. असल में NDA की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है. बीजेपी और नीतीश कुमार अपने कामों और डायरैक्ट बेनिफिट स्कीम्स पर फोकस कर रहे हैं.
चुनाव की तारीखों के एलान से दो घंटे पहले तक नीतीश कुमार इसी मिशन में लगे थे. नीतीश कुमार पिछले बीस दिन में सवा करोड़ महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रूपए ट्रांसफर कर चुके हैं. सोमवार को ही उन्होंने 21 लाख महिलाओं के खाते में पैसा ट्रांसफर किया. इसके साथ ही पहले से चली आ रही कई योजनाओं में मिलने वाली रकम दुगुनी कर दी. अगली बार सरकार बनने पर मुफ्त बिजली का भी वादा किया.
चुनाव के ऐलान से करीब 10 दिन पहले यानी 26 सितंबर को उनकी सरकार ने बिहार के 75 लाख महिलाओं के खातों में 10-10 हज़ार रूपये की पहली किस्त दी. उस दिन ये काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया था. 3 अक्टूबर को 25 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हज़ार की दूसरी किस्त रिलीज की गई और सोमवार को नीतीश कुमार ने फिर 21 लाख महिलाओं को 10-10 हज़ार रूपये दिए. यानी पिछले 10 दिन में बिहार की एक करोड़ एक लाख महिलाओं की सीधी आर्थिक मदद की.
बिहार के चुनाव में नीतीश कुमार एक बड़ा factor हैं. उनके बारे में कहा जा रहा था कि वो बातें भूल जाते हैं, लोगों को पहचान नहीं पाते. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में उन्होंने जिस अंदाज में योजनाओं का ऐलान किया है, महिलाओं के खाते में direct पैसा पहुंचाया है, वो देखकर कौन कह सकता है कि नीतीश कुमार सरकार चलाने में सक्षम नहीं हैं?
नीतीश कुमार की सबसे बड़ी advantage है कि उनके साथ बीजेपी है. बीजेपी की समस्या ये है कि बिहार में उनके पास कोई ऐसा नेता नहीं है जिसे project किया जा सके. लेकिन बीजेपी के पास मोदी का नाम और काम है, जो उसकी सबसे बड़ी ताकत है.
RJD के पास तेजस्वी यादव का face है, यादव और मुसलमान का मजबूत वोटर बेस है. पर पहली बार विधानसभा चुनाव के समय लालू का परिवार बंटा हुआ है. इसका नुकसान होगा.
तेजस्वी के लिए ओवैसी भी एक बड़ा सिरदर्द हैं. पिछली बार उन्होंने सीमांचल में RJD को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया था.
बिहार के चुनाव में सबसे नए player प्रशांत किशोर इस चुनाव में बंद मुट्ठी की तरह हैं. पिछले तीन साल में गांव गांव घूमकर उन्होंने जो मेहनत की. बिहार में अब तक किसी नेता ने नहीं की. प्रशांत किशोर चुनाव लड़ना और लड़ाना जानते हैं. उनका कोई baggage नहीं है.
अगर बिहार का चुनाव जात-पात से ऊपर उठकर सिर्फ merit पर हुआ तो प्रशांत किशोर बाज़ी पलट सकते हैं.
इस समय तो बाकी सारे दल प्रशांत किशोर से घबराए हुए हैं. किसी को नहीं पता कि ऊंट किस करवट बैठेगा.