Rajat Sharma

ये क्रिकेट है : पाक आतंक का मैदान नहीं

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दुबई में रविवार को भारत-पाकिस्तान सुपर फोर मैच में पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने आतंकवादियों की तरह आचरण किया. जब मैच में पिटने लगे तो उन्होंने कई तरह के ड्रामे किए. जिस फरहान को अभिषेक शर्मा ने शून्य पर ड्रॉप कर दिया था, उसने हाफ सेंचुरी पूरी करने के बाद अपने बैट को AK-47 की तरह तानकर दिखाया.
हारिस रऊफ ने भारत का विकेट लेने के बाद दर्शकों से इशारों-इशारों में 6 फाइटर जेट्स गिराने का संकेत दिया. इशारा ऑपरेशन सिंदूर की तरफ था, आसिम मुनीर के झूठ का प्रोपेगैंडा था.
जब टीम इंडिया बैटिंग करने आई तो अभिषेक शर्मा ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों की एक-एक हरकत का जवाब अपने बल्ले से दिया. पहली गेंद पर सिक्सर मारा, दूसरी तरफ शुभमन गिल ने भी आक्रामक बैटिंग की.
पाकिस्तानी खिलाड़ी जब पिटने लगे तो उन्होंने गालियां निकालनी शुरू कर दी. अभिषेक और शुभमन गिल ने हारिस रऊफ को उसी की भाषा में अच्छी तरह जवाब दिया. मैच के बाद अभिषेक शर्मा ने कहा कि जिस तरह पाकिस्तानी खिलाड़ी बार-बार हमारे सामने आकर तेवर दिखा रहे थे, मैंने उनकी अच्छी तरह से धुनाई करके जवाब दिया. शुभमन गिल ने कहा, खिलाड़ी का खेल बोलता है.
शुभमन गिल और अभिषेक शर्मा ने पहले दस ओवर में ही सौ रन बनाकर मैच का नतीजा तय कर दिया था. अभिषेक शर्मा ने ट्विटर पर लिखा, YOU TALK, WE WIN. शुभमन गिल ने ट्विटर पर लिखा, Game speaks, not words.
सबसे मार्के की बात कही, कप्तान सूर्य कुमार यादव ने. मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब किसी ने सूर्यकुमार यादव से भारत-पाक rivalry के बारे में पूछा, तो कप्तान ने कहा कि rivalry बराबर की टीमों में होती है, जो टीम लगातार 7 मैच हार चुकी है, अब इसको rivalry नहीं कहा जाना चाहिए.
सूर्य कुमार यादव की ये बात सही है कि पाकिस्तान की टीम में अब पहले जैसा दम-खम नहीं है. खेल के मैदान में हार-जीत होती रहती है. लेकिन पाकिस्तानियों ने क्रिकेट के मैदान को मैदान-ए-जंग में बदलने की कोशिश की. कभी बंदूक का इशारा किया तो कभी Fighter plane गिराने का इशारा किया. ये हताशा के सिवा और कुछ नहीं हो सकता.
ये पाकिस्तानियों की फितरत है. जब मुनीर जंग से हारकर फील्ड मार्शल बन सकता है, तो फरहान और हारिस को क्रिकेट के मैदान में पिटकर हीरो बनने की कोशिश क्यों नहीं कर सकते?
पहले 10 ओवर में जब पाकिस्तान की टीम ठीक-ठाक बैटिंग कर रही थी, तो पाकिस्तानी commentator अपनी टीम को aggressive और highly talented बता रहे थे. अगले 10 over में जब वो रन नहीं बना पाए. और जब पहले over से ही अभिषेक शर्मा ने पाकिस्तान के star bowler शाहीन अफ़रीदी की ठुकाई की, तो यही commentator पाकिस्तानी टीम के inexperienced होने का रोना रोने लगे.
जब अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल पाकिस्तान के bowlers को जबरदस्त cricketing shots खेलकर तेजी से रन बना रहे थे तो पाकिस्तानी commentators के पास उनकी तारीफ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.
हालांकि मेरी राय शुरू से यही रही है कि पाकिस्तानी टीम के साथ मैच खेलने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन जिस तरह से टीम इंडिया ने दो मैचों में पाकिस्तान को रुलाया, वो देखकर ये शिकायत थोड़ी बहुत दूर हो गई. लगा कि ज्यादा उछलने वाले पाकिस्तान को क्रिकेट के मैदान में बुरी तरह हराकर अच्छा संदेश दिया.
साइबर क्राइम से सावधान : बहुत लुटेरे हैं राह में
दिल्ली में एक पढ़े लिखे बुजर्ग को डिजिटल अरेस्ट का हौवा दिखा कर उनके 23 करोड़ रूपए ठग लिये. नरेश मलहोत्रा खुद एक बैंकर रहे है, बैंकों के नियम कानून को अच्छी तरह जानते समझते हैं. इसके बाद भी वो ठगों के झांसे में आ गया और 22 करोड़ 92 लाख रूपए अलग अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में FIR दर्ज की है.
78 साल के नरेश मल्होत्रा कई बैंकों में काम कर चुके हैं. फाइनेंशियल मैटर्स और मनी ट्रांजेक्शन का हिसाब-किताब जानते थे लेकिन वो साइबर ठगों के चंगुल में फंस गए और 4 अगस्त से 4 सितंबर के बीच उन्होंने ठगों के कहने पर 22 करोड़ 92 लाख रूपये अलग अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए.
जैसे ही नरेश मल्होत्रा ने डर कर ठगों से co-operate करने की बात की तो ठगों का काम बन गया. तुरंत इंटरनेट पर वीडियो कॉलिंग के जरिए फर्जी कोर्ट सज गई. नरेश मल्होत्रा का पेशी हो गई. नकली कोर्ट ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट का फरमान सुना दिया. ठगों के साथ सहयोग करने का आदेश दिया.
इसके बाद नरेश मल्होत्रा ने अपनी संपत्ति और खातों की सारी डिटेल इन साइबर ठगों को दे दी. चूंकि साइबर क्रिमिनल्स ED, RBI और सुप्रीम कोर्ट का लेटरहेड भेज चुके थे, इसलिए नरेश मल्होत्रा ने अपनी सारी प्रॉपर्टी की डिटेल बता दी और इसी का फायदा उठाते हुए ठगों ने उनके शेयर्स तक बिकवा दिए. जब जब नरेश मल्होत्रा बड़ी रकम ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर करते तो वो साइबर ठगी करने वाले अपराधी वसूली गई सारी रकम की लिस्ट बनाकर RBI के नाम से सर्टिफिकेट भी भेजते थे.
जांच शुरू होने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए करीब ढ़ाई करोड़ रुपये को बैंक अकाउंट में फ्रीज करा दिया है. हैरानी की बात ये है कि साइबर ठगों को नरेश मल्होत्रा की पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में पूरी जानकारी पहले से थी. उन्हें पता था कि नरेश मल्होत्रा घर में अकेले रहते हैं, उनकी दो बेटियां हैं, दोनों बाहर रहती हैं, उनके कितने नाती हैं, दामाद क्या करते हैं. इसलिए नरेश मल्होत्रा आसानी से साइबर फ्रॉड का शिकार बन गए.
नरेश मल्होत्रा को अपने साथ हुई ठगी का शक तब हुआ, जब उनसे कोलकाता की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में पैसा ट्रांसफर करने को कहा गया. उन्होंने इससे इनकार कर दिया. नरेश मल्होत्रा ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में जाकर पैसा जमा कराएंगे या रिजर्व बैंक में. इसके बाद उन्हें फोन आने बंद हो गए.
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है कि साइबर क्रिमिनल्स ने आम लोगों के डर और खौफ को हथियार बना लिया है. उन्हें पता है कि पुलिस और कोर्ट का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं.
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने कहा कि लोगों को तीन बातें याद रखनी चाहिए.
सबसे पहली बात, पुलिस कभी फोन करके अरेस्ट वारंट की जानकारी नहीं देती. अगर कोर्ट का कोई ऑर्डर होगा तो पुलिस घर आएगी.
दूसरी बात, कोई पुलिस वाला कभी ये नहीं कहेगा कि इस केस के बारे में किसी को मत बताना.
तीसरी बात, पुलिस या कोई जांच एजेंसी कभी भी व्हाट्सऐप कॉल या वीडियो कॉल से पूछताछ नहीं करती. थाने या अपने ऑफिस में बुलाती है.
और सबसे जरूरी बात कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. अगर कोई डिजिटल अरेस्ट की बात कहता है, तो तुरंत समझ जाइए कि वो फ्रॉड है, ठग है और कॉल डिस्कनैक्ट कर दीजिए.
पिछले साल 2024 में साइबर ठगी के जरिए..लोगों से 22 हजार 845 करोड़ रुपये लूटे गए. इस साल के शुरूआती दो महीनों में ही 210 करोड़ की ठगी की गई और इसमें अगर सिर्फ नरेश मल्होत्रा का केस जोड़ दिया जाए तो ये रकम 233 करोड़ हो जाती है.
इतनी बड़ी तादाद में लोगों को लूटा गया इसका मतलब है कि जागरूकता की बहुत कमी है. पढ़े लिखे लोग, डॉक्टर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, बैंकर्स भी इसमें फंस जाते हैं क्योंकि fraud करने वाले बड़े confidence और पूरी तैयारी के साथ साइबर अपराध करते हैं.
कितनी बार बताया गया कि Digital Arrest जैसी कोई चीज नहीं होती पर पिछले साल Digital Arrest में 92 हजार से ज्यादा लोग फंस गए.
मेरा आपसे निवेदन है कि सावधान रहें, जल्दी से अमीर बनने के लिए किसी तरह के झांसे में ना आएं, कोई आपको धमकी दे कि आपने नाम से फलाना पार्सल आया है जिसमें drugs हैं, या आपका नाम किसी आतंकवादी हमले से जोड़कर कोई धमकाए, तो डरें नहीं, घबराएं नहीं. किसी को न अपने बैंक खातों का ब्यौरा दें, न ही किसी के साथ OTP शेयर करें वरना आपको लूटकर, आपका पैसा कितने खातों से होता हुआ कहां चला जाएगा, आपको कभी पता नहीं चलेगा.
अगर कोई धमकी दे, Digital Arrest की बात कहे, तो अपने आसपास जो भी समझदार व्यक्ति हों, उनकी मदद लें. Cyber Crime की शिकायत करने के लिए गृह मंत्रालय ने एक हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है. वो नंबर है 1930. इस number को नोट कर लें, इसपर फोन करें. कोई भी सरकार साइबर अपराध को तब तक नहीं रोक सकती जब तक हम सब खुद सावधान न हो जाएं.
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