हिंदी चीनी भाई भाई: स्वागत करो, पर ज़रा ध्यान से
रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात से ठीक एक दिन पहले बीजिंग में चीन ने ऐलान कर दिया कि पूर्वी लद्दाख में तनाव खत्म होगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बातचीत के कई दौर के बाद भारत के साथ सीमा पर सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में सहमति बन गई है. दोनों देश LAC पर अपनी अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं.
चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि लंबे वक्त से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर बात हो रही थी. इन बैठकों में LAC पर जारी तनाव को खत्म करने का रोडमैप तैयार हो गया है. अब आने वाले वक्त में धीरे धीरे इसे अमली जामा पहनाया जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि पूर्वी लद्दाख में मई 2020 की स्थिति बहाल होगी. चीन और भारत के सैनिक बैरक में लोटेंगे. दोनों देशों की फौज अपने अपने इलाके में पहले की तरह गश्त करेंगी.
भारत और चीन ब्रिक्स के दो बड़े देश हैं. दोनों देशों ने अपनी सीमा पर जारी तनाव को खत्म करके दुनिया के उन देशों को बड़ा संदेश दिया है, जहां युद्ध की स्थिति है. हालांकि समझौते का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन पता चला है कि जो समझौता हुआ है, उसके मुताबिक, भारत और चीन की सेनाएं अब डेपसांग प्लेंस और डेमचोक के इलाक़ों में अपनी अपनी सीमा के भीतर गश्त लगा सकेंगी. LAC यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पैट्रोलिंग को लेकर जो समझौता हुआ है, उसमें दोनों देशों के सैनिक महीने में दो बार अपने अपने इलाक़ों में निगरानी के लिए गश्त लगा सकेंगे. पेट्रोलिंग के दौरान कोई टकराव न हो, इसके लिए तय हुआ है कि दोनों देशों की पैट्रोलिंग टीम्स में 15 से ज़्यादा सैनिक नहीं होंगे और दोनों देशों के सैनिक LAC से 200 से तीन सौ मीटर दूर रहकर ही गश्त करेंगे.
समझौते के तहत, पैट्रोलिंग पार्टी भेजने से पहले चीन और भारत के कमांडर्स आपस में बात करेंगे, एक दूसरे से को-ऑर्डिनेट करेंगे. कुल मिलाकर कोशिश ये है कि दोबारा ऐसी स्थिति पैदा न हो जैसी 2020 में गलवान में हुई थी. चीन और भारत के बीच लद्दाख में पिछले चार साल से सीमा विवाद चल रहा है.
मई 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक भिड़ंत हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे और चीन के काफी सैनिक मारे गए थे. उसके बाद जून-जुलाई 2020 में दोनों देशों के बीच, गलवान और हॉट स्प्रिंग्स इलाक़ों में डिस-एंगेजमेंट हुआ था. 2021 में लद्दाख के गोगरा और पैंगॉन्ग सो इलाक़ों में भी चीन और भारत ने अपने अपने सैनिक पीछे हटा लिए थे लेकिन, डेपसांग प्लेन्स और डेमचोक बॉर्डर प्वाइंट्स पर चीन और भारत के सैनिक चार साल से आमने सामने खड़े हुए हैं.
इस दौरान भारत और चीन के सैनिक कमांडर्स और राजनयिकों के बीच लगातार बातचीत हो रही थी और अब दोनों देशों के बीच डेपसांग प्लेन्स और डेमचोक में गश्त को लेकर भी समझौता हो गया है. डेपसांग में भारतीय सैनिक अब पैट्रोलिंग प्वाइंट 10 से 13 तक गश्त लगा सकेंगे, जो पिछले चार साल से बंद थी.डेपसांग से चीन अपने सैनिक पीछे हटाएगा, वहां बनाए गए ढांचों को तोड़ेगा.
इस समझौते के मुताबिक़, सर्दियों में दोनों देश अपने सैनिक LAC से पीछे हटाएंगे. बेहतर तालमेल के लिए चीन और भारत के कमांडर्स के बीच हर महीने में एक बैठक होगी.
भारत और चीन के बीच सरहद को लेकर जो समझौता हुआ है उसका मतलब समझने की जरूरत है.
पहली बात, अब चीन की फौज उन इलाक़ों से पीछे हटेगी जहां पर उसने 4 साल पहले कब्जा कर लिया था. LAC पर अप्रैल 2020 वाली स्थिति बहाल होगी. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर जो भी तनाव है, उसे दूर करने के लिए प्लैन तैयार किया गया है.
दूसरी बात, भारत और चीन के बीच रिश्ते खराब होने से दोनों देशों के आपसी कारोबार पर जो असर पड़ा था वो भी अब धीरे धीरे खत्म हो जाएगा. भारत के बहुत सारे उद्योग ऐसे हैं जो कच्चे माल के लिए चीन पर आश्रित हैं, अब उनकी मुश्किलें कम हो जाएंगी.
तीसरी बात, भारत में राहुल गांधी बार-बार चीन का मसला उठाते थे. ओवैसी भी बार-बार चीन के कब्जे की बात करते थे. अब इन नेताओं को चीन के बारे में बात करने के लिए मसाला नहीं मिलेगा.
चौथी बात, ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच तनाव कम करने में, रिश्ते सुधारने में पुतिन ने एक बड़ी भूमिका अदा की है.
India-China Bhai Bhai: Welcome, but be careful
A day before Prime Minister Narendra Modi was due to have a first bilateral meeting in five years with Chinese President Xi Jinping in Kazan(Russia), a Chinese foreign ministry spokesman in Beijing confirmed that India and China have “reached a solution on relevant matters” (in eastern Laddakh). He said, China would work with India to implement it, but declined to provide details.
Indian Foreign Secretary Vikram Misri had announced on Monday that both the countries have agreed on patrolling arrangements following negotiations to end the four-year-long standoff. Misri expressed hope that this may lead to eventual disengagement of armies deployed on both sides of Line of Actual Control and eventually a resolution of disputes that arose in 2020.
Details of the agreement that are unofficially available show that Indian and Chinese troops can now patrol within their borders in Depsang Plains and Demchok. Troops of both countries can patrol their areas twice a month. To avoid any chance of confrontation, each patrolling team on both sides will not have more than 15 soldiers. Troops of both countries can patrol by staying 200-300 metres away from LAC.
Under the agreement, Indian and Chinese army commanders will coordinate between each other before sending their patrolling parties. The objective is to avoid recurrence of confrontation that had taken place in Galwan valley in May 2020, when 20 Indian soldiers were martyred and a large number of Chinese troops were killed. In July, 2020, both armies had disengaged in Galwan and Hot Springs, and in 2021, they had withdrawn their troops in Gogra and Pangong Tso. But both troops are still locked in a close confrontation for the last four years in Depsang Plains and Demchok border points. Now, the agreement also covers both these areas.
In Depsang, Indian troops can patrol upto Point 10 and Point 13, which had come to a standstill during the last four years. Chinese army will withdraw its troops from Depsang and dismantle its sctructures.
According to the agreement, troops of both countries will withdraw from LAC during winter, and for better coordination, commanders of both sides will have meetings every month. Though official details are not available, one must understand the broad meaning behind this agreement.
One, Chinese troops will return from those areas they had occupied four years ago, and the status quo situation of April, 2020, will be restored. A plan has been prepared for resolving the border standoff that has created tension. Two, the adverse effects on India-China bilateral trade that had taken place following the border standoff, will now end in a phased manner. There are many industrial sectors in India that are dependent on raw material procurement from China. These sectors can now heave a sigh of relief. Three, Congress leader Rahul Gandhi had been frequently raising the China border issue at his public meetings, while AIMIM chief Asaduddin Owaisi had been alleging that Chinese troops have occupied Indian territory. These leaders will now lose an issue that they have been raising frequently. Four, it seems that Russian President Vladimir Putin played an important role behind the scenes to bring about a reduction in tension between Modi’s India and Jinping’s China. India and China are the founder members of BRICS group. By ending tension on the border, they have conveyed an important message to those parts of the world which are facing conflicts. For example, Ukraine and Middle East.
In his bilateral meeting with President Putin on Tuesday, Modi stressed on the point that “war cannot be a solution for any dispute and solution can be arrived at only through negotiations”.
भारत-पाकिस्तान: रिश्ते सुधारने हैं तो आतंकवाद रोको
जम्मू कश्मीर में नई सरकार बनने के सौ घंटे के भीतर आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग करके सात बेकसूर लोगों की हत्या कर दी. दहशतगर्दों ने रात के अंधेरे में उस कैंप को निशाना बनाया, जिसमें प्रवासी मज़दूर रहते हैं. इस हमले में आतंकवादियों की गोलियों के शिकार हुए लोगों में पंजाब, मध्य प्रदेश और बिहार को लोग शामिल हैं. कश्मीर घाटी के एक डॉक्टर शाहनवाज़ डार की भी मौत हुई है जो इस कैंप में मज़दूरों की देखभाल के लिए रोज़ जाते थे. इस हमले की ज़िम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट नामक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ने ली है. ये लश्कर-ए -तैयबा का बदला हुआ नाम है. जो हमला हुआ उसे दो से तीन पाकिस्तानी दहशतगर्दों ने अंजाम दिया. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हमला करने वाले ज्यादा वक्त तक ज़िंदा नहीं रहेंगे, सुरक्षा बल के जवान बेगुनाहों का खून बहाने वालों को उनके अंजाम तक पहुंचाएंगे. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दहशतगर्दों को जम्मू कश्मीर की जनता ने चुनाव में जवाब दे दिया है, लोग विकास चाहते हैं और वो किसी कीमत पर विकास के कामों पर ब्रेक नहीं लगने देंगे. डॉ. फ़ारुक़ अब्दुल्ला ने सीधे सीधे पाकिस्तान को संदेश दिया, कहा कि पाकिस्तान को इस तरह की हरकतें नहीं करनी चाहिए वरना उसे अंजाम भुगतना पड़ेगा. अब इस मामले की जांच NIA ने शुरू कर दी है.
हमले के पीछे TRF के चीफ शेख़ सज्जाद गुल का हाथ बताया जा रहा है. सज्जाद गुल पर NIA ने 2022 में दस लाख रुपये का इनाम रखा था. सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक़ सज्जाद गुल अपने तीन साथियों, सलीम रहमानी, सैफुल्लाह साजिद जट और बसित अहमद डार के साथ मिलकर काफ़ी दिनों से गांदरबल इलाक़े की रेकी कर रहा था. वो किसी बड़े हमले को अंजाम देकर शोहरत बटोरना चाहता था और ये हमला इसी मक़, सद से किया गया. पिछले एक साल के दौरान जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों ने छिटपुट हमले किए थेबिहार और यूपी के मजदूरों को अलग अलग घटनाओं में निशाना बनाया गया था. जून में एक बस पर हमला करके नौ लोगों की हत्या की थी, लेकिन इस तरह किसी बड़ी परियोजना में लगे प्रवासी मजदूरों के कैंप पर घात लगाकर हमला बारह साल के बाद हुआ है. इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में जम्हूरियत की जीत से बौखलाया हुआ है.. जम्मू कश्मीर में जो विकास हो रहा है, रेल, सड़क, पुल, टनल्स बनाई जा रही है, इन प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम हो रहा है. विकास की इस रफ़्तार को पाकिस्तान रोकना चाहता है. इसीलिए मजदूरों को डराने की नीयत से ये हमला किया गया. पाकिस्तान को अपनी नापाक हरकत की क़ीमत चुकानी पड़ेगी. अभी तीन दिन पहले पाकिस्तान में मियां नवाज शरीफ भारत से दोस्ती की बात कर रहे थे. वो इमरान खान की ग़लतियों की याद दिला रहे थे लेकिन नवाज़ शरीफ को ये समझना पड़ेगा जब तक पाकिस्तान की फौज भारत में दहशतगर्द भेजना बंद नहीं करती, जब तक ISI आतंकवादियों को पनाह, पैसा और ट्रेनिंग देना बंद नहीं करती, तब तक भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते.
India-Pak relations: Terrorism has to stop for normalcy
The dastardly terror attack on innocent labourers within 100 hours of a new National Conference government being sworn in Jammu & Kashmir has come as a shock to people both in the Valley and the rest of the country. Among those killed were labourers from Bihar, MP and Punjab who were gunned down by Pakistan-backed terrorists, during dinnertime at a campsite of a tunnel construction company in Ganderbal district. The Resistance Front (TRF), an offshoot of Pakistan-based Lashkar-e-Taiba claimed responsibility. Among those killed was a Kashmiri doctor Dr Shahnawaz Dar, who was supposed to return home for the post-wedding function of his daughter.
Architectural designer Shashi Bhushan Abrol also fell to the bullets of terrorists. Lt. Governor of J&K Manoj Sinha and Home Minister Amit Shah have asked security forces to track down and eliminate the perpetrators of this dastardly attack. Chief Minister Omar Abdullah said, people of J&K have given their reply to terrorists by taking part in elections in large numbers and they would never allow any halt in the pace of progress. National Conference leader Dr Farooq Adullah said, Pakistan will have to face consequences if it continues with such terror attacks. Already, National Investigation Agency has begun its probe and security has been strengthened near all infrastructure projects in the Valley. Pakistan-based Sajjad Gul, the chief of TRF, is said to be the brain behind this terror attack. During the last one year, terrorists had been carrying out sporadic attacks against labourers from Bihar and UP in J&K.
In June this year, they had killed nine persons after attacking a bus, but this was a major attack, after 12 years, when a migrant labourers’ camp at a tunnel project, which will link Srinagar with Leh, was targeted. Clearly, it shows Pakistan’s frustration over the victory of democracy in Jammu & Kashmir, where both Lok Sabha and assembly elections were held peacefully this year and a large number of voters participated. Pakistan wants to stop the pace of work that is going on railway, roads, bridges and tunnels, and in order to achieve this, it has asked the terrorists to take out soft targets like migrant labouers. Pakistan will have to pay for its pernicious act. It was hardly three days ago when Pakistan Muslim League (N) chief Mian Nawaz Sharif met Indian mediapersons and spoke about the need for burying the past and forging ffriendship with India. Nawaz Sharif was explaining how former PM Imran Khan followed anti-India policies which have brought about a stalemate in bilateral relations. Nawaz Sharif must understand one key point: Until and unless the Pakistan army stops sending terrorists to India, and its spy agency ISI discontinue giving training and funds to terrorists, relations between India and Pakistan can never become normal.
अपराधी का कुकर्म देखो, न जात देखो , न धर्म देखो
दो तरह की तस्वीरें गुरुवार को आईं. एक, वो दिल दहलाने वाली तस्वीर जिसमें राम गोपाल मिश्रा को गोली मारी गई. रामगोपाल पर निशाना लगाकर मारने वाले तालीम और सरफराज़ साफ दिखाई दे रहे हैं.
दूसरी तस्वीर, लंगड़ा कर चलते तालीम और सरफराज़ की है जिन्हें एनकाउंटर में यूपी पुलिस ने गोली मारी. हैरानी की बात ये है कि आज भी कुछ लोग हत्यारों की हिमायत करते नजर आए. जो लोग कैमरे पर गोली चलाकर हत्या करते हुए दिखाई दे रहे हैं, उनका समर्थन करते नजर आए. पैर में गोली लगने के बाद दोनों अपराधी कह रहे हैं कि हमने भागने की कोशिश की, इसीलिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी.
लेकिन इसके बावजूद कई राजनीतिक नेताओं ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार देने का प्रयास किया. इन लोगों को लगता है कि पुलिस ने हत्या के आरोप में जिन्हें पकड़ा, उन्हें पैर में गोली मारकर पुलिस ने नाजायज़ काम किया. उनका तर्क ये है कि योगी सरकार ‘ठोको’ की नीति पर काम करती है और ये नीति सिर्फ मुसलमानों के लिए है.
एनकाउंटर की खबर आई, तो सियासत शुरू हो गई. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए फर्जी एनकाउंटर करवा रही है. उनकी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि ‘बंटोगे तो कटोगे’ कोई नारा नहीं, कोड वर्ड है और उसका क्या मतलब है, ये सबको दिख रहा है. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जनता को डराने के लिए इस तरह के नकली एनकाउंटर हो रहे हैं. कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने कहा कि एकतरफा एक्शन क्यों हो रहा है? जिन लोगों ने दंगा किया, उनका एनकाउंटर कब होगा?
अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम सरवर चिश्ती ने सरफराज़ और तालीम को बेकसूर बता दिया. उन्होंने कहा कि अगर कोई इस्लामिक झंडा उतार कर भगवा लहराएगा तो गोली नहीं चलेगी तो क्या फूल बरसेंगे? लेकिन सरवर चिश्ती ने ये नहीं बताया कि पुलिस पर हमला करने वाले हत्यारों पर क्या पुलिस अफसरों को फूल बरसाने चाहिए?
जब विरोधी दलों के तमाम नेताओं ने सरफराज़ और तालीम के एनकाउंटर को गलत बताया, लेकिन रामगोपाल की हत्या पर कुछ नहीं कहा, तो हैरानी हुई. ये वही लोग हैं, जो किसी धार्मिक यात्रा में हिंसा हो जाए तो कानून और व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं. अगर पुलिस अपराधी को पकड़ने में देरी करे, तो पुलिस पर सवाल उठाते हैं. अगर पुलिस दंगाइयों पर सख्ती करे, तो पुलिस पर नाइंसाफी का इल्जााम लगाते हैं, और अगर पुलिस सरेआम हत्या करने वाले हत्यारों को गोली मारे तो एनकाउंटर को फर्जी बताते हैं.
आखिर इन नेताओं और पार्टियों की मजबूरी क्या है, सबको पता है. अगर आंकड़ें देखें, तो ये कहना गलत होगा कि यूपी में जितने पुलिस एनकाउंटर हुए उसमें सिर्फ मुसलमान अपराधियों पर गोलियां चलाई गईं. योगी आदित्यनाथ के शासन में जिन अपराधियों के साथ एनकाउंटर हुए हैं, उनमें अगर मुस्लिम है तो ब्राह्मण भी है और ठाकुर भी, यादव भी हैं और OBC भी.
पुलिस न तो नाम पूछकर गोली चलाती है, और न मजहब देखकर एनकाउंटर करती है. बहराइच में जो हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था. रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद जिस तरह से लोगों के घर और दुकानें जलाई गईं वो भी दुर्भाग्यजनक था. पुलिस ने अपराधियों को नेपाल सीमा के पास पकड़ा, वे भागने की कोशिश कर रहे थे. उस एनकाउंटर पर सवाल उठाना, किसी भी तरह न्यायोचित नहीं है. .मुझे लगता है कि ऐसे मामलों में पुलिस और अदालत को अपना अपना काम करने देना चाहिए.
Encounter: Criminals have no caste, no religion
Two contrasting images about Bahraich came in view on Thursday. In one, two accused Mohammed Talim and Sarfaraz were clearly seen firing bullets at Ramgopal Mishra, the youth who was killed. The other image was of both these youths, Talim and Sarfaraz, limping with a bullet each in their foot, being carried by UP police.
The surprising part is that there are people who are extending support to the killers who are clearly seen in the video firing shots at Ramgopal Mishra, while in the other image the two killers are admitting on camera that policemen fired bullets at their feet while they were trying to flee.
Yet, political leaders are alleging that this was a “fake encounter” stage managed by UP police. These leaders are alleging that police committed an illegal act by firing at these two youths. Their allegation is that Yogi Adityanath’s government is working on “thoko” (shoot) policy and this policy is being applied only against Muslims.
This is incorrect. If you look at facts and figures, it will be wrong to allege that only Muslims are victims of encounters. Those who died in police encounters during Yogi’s regime are Muslims, Brahmins, Thakurs, Yadavs and other backward castes.
Police does not fire by asking names of criminals, or by looking at their religion. What happened in Bahraich was unfortunate. The manner in which homes and shops were set on fire after Ramgopal Mishra’s murder was also unfortunate.
Let us look at how our politicians reacted. Soon after news came about the encounter, Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav said, the state administration was staging fake encounter to hide its failure in preventing violence in Bahraich. His party’s MP Afzal Ansari, brother of crime don late Mukhtar Ansari, said, ‘bantogey, toh katogey’ was not a slogan, but a codeword and the consequences are there for all to see.
UP Congress chief Ajay Rai said, fake encounters are being carried out to strike terror in the minds of people. Congress MP Imran Masood demanded why action is being taken only against one community, and not again those who set fire to homes and shops.
Ajmer Sharif Dargah’s khadim Sarwar Chishti described Sarfaraz and Talim as innocent and said when Ramgopal Mishra was tearing off an Islamic flag to hoist a saffron Hindu flag, should people throw flowers at him? At least Sarwar Chishti did not say whether police should have thrown flower petals at the killers who killed Mishra.
It is surprising that some politicians are not expressing even sympathy for Ramgopal Mishra, who was killed in cold blood. When violence takes place during a religious procession, politicians raise questions about law and order. When police takes time in catching culprits, politicians raise questions about the efficiency of police. If police takes strong action against rioters, the same politicians level allegations of injustrice. And when police fire bullets at the feet of killers during encounter, they call such encounters as fake. One can realize the politicial compulsions of such parties.
The five suspects of Bahraich violence who were caught by UP police on Thursday morning were trying to cross over to Nepal. To raise questions about whether the encounter was geuine or fake, is not justified. I think, we should allow the police and courts to perform their duty.
खाने में थूक : विकृत मानसिकता वालों के मन में खौफ पैदा करना ज़रूरी
आज मैं आपको जो बताने जा रहा हूं, उससे आपको बुरा लगेगा, गुस्सा आएगा, घिन्न आएगी, तकलीफ होगी, पर ये आपको बताना जरूरी है. आपको चेतावनी देना जरूरी है. बागपत जिला अस्पताल में दो कर्मचारियों, जब्बार खान और मुर्शीद खान ने डिप्टी सीएमओ से बदला लेने के लिए उनके खाने में टीबी के मरीजों का खतरनाक बैक्ट्रीरिया युक्त बलगम मिलाने की साजिश रची.
गाजियाबाद में एक घर में खाना बनाने वाली नौकरानी, रीना, बदला लेने के लिए आठ साल से आटे में अपना पेशाब मिला रही थी और कैमरे पर पकड़े जाने के बाद गिरफ्तार हुई. सहारनपुर के खलीफा होटल में तंदूरी रोटी सेंकने वाला आटे में थूक मिलाता हुआ पकड़ा गया.
ये तीनों घटनाएं कैमरे में रिकॉर्डेड हैं. ये तीनों घटनाएं रोंगटे खड़े करने वाली है, लेकिन पुलिस लाचार है. इस तरह की हरकत करने वालों को पकड़ने के लिए कोई कठोर कानून नहीं है. ऐसी नीच हरकत करने वालों को आसानी से ज़मानत मिल जाती है क्योंकि फिलहाल ऐसा कोई कानून नहीं हैं जिसके तहत पुलिस इस तरह की हैवानियत करने वालों को सख्त सज़ा दिला सके.
हालांकि अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने खाने की चीजों में ह्यूमन वेस्ट मिलाने को गैरजमानती अपराध बनाने का फैसला किया है और ऐसी हरकतें करने वालों को 10 साल जेल की सजा होगी और भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
कानून बनेगा और उसके हिसाब से पुलिस कार्रवाई करेगी, ये तो बाद की बात है, लेकिन जो खबरें आईं है, वो सोचकर मन में बार बार यही सवाल उठता रहा कि कोई इंसान इस तरह की हरकत कैसे कर सकता है? ये कैसी सोच है? और तीन-तीन जगह एक ही तरह की घटनाएं हों, ये तो और भी हैरत की बात है.
शुक्र है कि बागपत जिला अस्पताल में इन दोनों कर्मचारियों को खाने में टीवी मरीज़ों का बलगम मिलाने की साजिश का समय पर पता चल गया क्योंकि उनके एक साथी रिंकू ने फोन पर बातचीत रिकार्ड कर डिप्टी सीएमओ को बता दिया. सोचिए जिन कर्माचारियों पर टीबी उन्मूलन की जिम्मेदारी हो, जो वायरस को फैलने से रोकने का काम करते हों, वही डॉक्टर और उसके पूरे परिवार के खाने में मरीज का बलगम मिलाने की साजिश रचें. ऐसा केस मैंने भी पहली बार सुना है, पहली बार देखा है.
इससे पहले थूक लगा कर रोटी बनाने के वीडियो तो आते थे लेकिन पिछले दो महीनों में इस तरह के केस में जिस तरह सख्ती से कार्रवाई की गई, उससे लगा कि ये मामले रुक जाएंगे और ऐसी हरकतें बंद हो जाएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
सहारनपुर के खलीफा होटल से जो वीडियो आया उसमें साफ दिख रहा है कि जो शख्स तंदूर में रोटी सेंक रहा है, वो पहले हाथों से लोई तैयार करता है, फिर रोटी को तंदूर में डालने से पहले उसपर थूकता है. बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया, पुलिस से शिकायत की और तब खलीफा होटल के मालिक और कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई हुई. होटल पर एक्शन को लेकर सहारनपुर पुलिस के एसपी का कहना है कि इस पर कार्रवाई करने का अधिकार खाद्य नियंत्रण विभाग का है, पुलिस का नहीं.
अब सवाल ये है कि इस तरह की घटनाओं को कैसे रोका जाए? योगी आदित्यनाथ ने इस तरह के केस में पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन बात नहीं बनी, क्योंकि पुलिस इस तरह की घिनौनी हरकत करने वालों को पकड़ती है, लेकिन कभी किसी ने सोचा ही नहीं कि इस तरह की नीचता भी कोई इंसान कर सकता है. इसके लिए कोई स्पेसिफिक कानून भी नहीं है. आमतौर पर पुलिस ऐसी हरकत करने वालों को पकड़ती है और उन्हें कोर्ट से आसानी से जमानत मिल जाती है.
अब योगी आदित्यनाथ ने इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का फैसला किया है. खाने-पीने की चीजों में मिलावट करना अपराध है, पर खाने में बलगम या पेशाब या थूक मिलाना महापाप है. इस मानसिकता को समझना मुश्किल है. आजकल सीसीटीवी होते हैं, सबके फोन में कैमरे होते हैं, इसीलिए ये अपराधी पकड़े गए. इनके खिलाफ सबूत भी मिल गए, वरना यहां तो पता ही नहीं चलता कि खाने में कौन क्या मिला रहा है और अगर पता चल भी जाता तो उसे साबित करना मुश्किल होता.
ऐसा पाप करने वालों की ये सोच कहां से आई, समझना मुश्किल है. कोई इसे थूक जिहाद कहेगा, कोई इसे विकृत मानसिकता कहेगा, कोई पागलपन करार देगा, लेकिन इससे अपराध की गंभीरता कम नहीं होती. जिनके साथ ये हुआ, जिन्होंने इस तरह का खाना खाया, उन पर क्या बीतती होगी, ये सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
ऐसी हरकत करने वालों को पकड़ने के लिए, सजा दिलाने के लिए, कोई कानून इसीलिए नहीं है क्योंकि कानून बनाने वालों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि घर में काम करने वाली नौकरानी, तंदूर पर रोटी बनाने वाले लोग इतना घिनौना काम कर सकते हैं.
मैं योगी आदित्यनाथ की तारीफ करूंगा कि उन्होंने इस बारे में सोचा और कानून बनाने का फैसला किया. जबतक ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोगों के मन में खौफ नहीं होगा, कानून का डर नहीं होगा, तब तक ऐसे लोग इस तरह के गंदे काम करते रहेंगे.
Mixing spit or urine in food : Strike fear of law in the minds of culprits
Today I want to mention some latest cases of people mixing spit or urine in food and serving them to others for consumption. Such cases can, of course, cause anger and a sense of disgust among all of you, but, in order to create public awareness about such despicable persons, it is necessary to inform and educate.
In Ghaziabad, a 32-year-old domestic help Reena was seen on video mixing her urine with flour dough for making chapatis for a family residing in a posh residential society. She had been doing this for the last eight years, and the family members woke up when they started facing health problems. When arrested, the domestic help said she did this because her employer often scolded her for minor mistakes and she wanted to take revenge.
At a dhaba named Khalifa hotel in Saharanpur, the owner and an employee were arrested for mixing spit with flour dough before serving tandoori rotis to customers.
In Baghpat district hospital, two employees, Jabbar Khan and Mushir Ahmed have been charged of conspiring to mix bacterial sputum of tuberculosis patients in food served to deputy CMO Dr Yashveer Singh and his family members. Jabbar Khan worked as coordinator in the tuberculosis and HIV department, while Mushir was a lab technician. The plan was for Mushir to hand over bacterial sputum samples of TB patients to a safai karmachari Tinku, who recorded the conversation on phone and alerted the Deputy CMO. Jabbar has been arrested while Mushir is absconding.
Deeply concerned over a rise in such incidents, Chief Minister Yogi Adityanath’s government is planning to bring an ordinance providing for 10 years’ imprisonment and huge fines for people convicted on charge of contaminating food with human waste like spit or urine.
Contaminating food with spit, urine or other human waste is not only a crime, but a big sin. It is difficult to understand the mindset of people who induge in such heinous acts. With the prolific use of CCTV and smartphone cameras, such culprits are now being nabbed, otherwise nobody knew who was mixing what in food items.
Even if one is charged of committing such acts, it is difficult to prove them in court due to lack of evidence. Some bigoted people call spitting in food as ‘thook jihad’, some term it as acts of a sick mind, and some label it as insane. But this does not reduces the gravity of the crime.
Just imagine what those victims of contaminated food are thinking right now. It makes one shiver. Our lawmakers never imagined that some people would stoop so low as to contaminate food in such a manner. Nobody imagined that maids working in homes or labourers working in dhabas or hotels would indulge in such crime.
I would like to praise Yogi Adityanath for deciding to bring an ordinance providing for stern punishment. Unless we strike fear in the minds of people with sick and depraved minds, such crimes will continue to happen.
EVM: चुनाव आयोग ने दिया हर सवाल का जवाब
आम तौर पर चुनाव नतीजे आने के बाद EVM और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही EVM पर सवाल उठ गए.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का ऐलान भले हो गया हो, उसका स्वागत भी है, लेकिन विरोधी दलों को EVM पर भरोसा नहीं हैं क्योंकि जो हरियाणा में हुआ, वो महाराष्ट्र में भी हो सकता है. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र के चुनाव में चुनाव आयोग को अपनी निष्पक्षता साबित करनी पड़ेगी.
कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने भी यही आरोप दोहराया. उन्होंने कहा कि इज़राइल ने हिज़बुल्ला के पेजर हैक करके लेबनान में धमाके कर दिए, इज़राइल हैकिंग में माहिर हैं और मोदी के इज़राइल के साथ अच्छे रिश्ते हैं, इसलिए बीजेपी इज़राइल की मदद से EVM भी हैक कर सकती है. राशिद अल्वी ने कहा कि महाराष्ट्र में सभी विपक्षी दलों को EVM के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव की मांग करनी चाहिए.
लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM और चुनाव प्रक्रिया पर उठे हर सवाल का विस्तार से जवाब दिया. राजीव कुमार ने कहा कि दुनिया में कहीं भी भारत जैसी पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया नहीं है, इसके बाद भी सवाल उठाने वाले हर बार नए-नए मुद्दे उठा लाते हैं. जो लोग पेजर की हैकिंग को EVM से जोड़ रहे हैं, उन्हें इतना भी नहीं मालूम EVM इंटरनेट या किसी सैटेलाइट से कनेक्ट नहीं होता. ऐसे लोगों को वह क्या जवाब दें?
राजीव कुमार ने कहा कि जहां तक हरियाणा के चुनाव को लेकर की गई शिकायतों का सवाल है तो किसी शिकायत में कोई ठोस आरोप नहीं हैं. चुनाव आयोग हर शिकायत का अलग-अलग जवाब देगा.
चूंकि हरियाणा में मतों की गिनती के दौरान EVM की बैटरी को लेकर सवाल उठे थे, इस पर राजीव कुमार ने पूरी प्रक्रिया समझाई. उन्होंने कहा कि जब EVM में बैटरी डाली जाती है, तो उस पर भी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के दस्तखत होते हैं, हर पोलिंग बूथ में भेजी गई EVM के नंबर्स भी उम्मीदवारों को दिए जाते हैं. EVM की सील जब भी खोली जाती है, उस वक्त भी उम्मीदवार मौजूद होते हैं. इसके बाद किसी तरह की हेराफेरी का सवाल कहां पैदा होता है? मेरी राय में, जो लोग चुनाव से पहले ही EVM पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें बहुत सारे सवालों के जवाब देने होंगे – क्या लोकसभा चुनाव में EVM ठीक था और हरियाणा में हैक हो गया? क्या कर्नाटक और हिमाचल में EVM ने ठीक काम किया और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गड़बड़ हो गई? ऐसी बातों पर कौन यकीन करेगा?
आज एक बार फिर बताना पड़ेगा कि EVM मशीन एक कैलकुलेटर की तरह होती है. इसका इंटरनेट से ब्लूटूथ से, या किसी और रिमोट डिवाइस से कोई कनेक्शन नहीं होता. EVM की बैटरी कितनी है, ये मशीन क्लोज़ करते समय फॉर्म में लिखा जाता है, जिसपर उम्मीदवार या उसके एजेंट के दस्तखत होते हैं.
दूसरी बात, इतने बड़े देश में जहां हजारों EVM का इस्तेमाल होता है, जहां लाखों सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया से जुड़े होेते हैं, कोई किसी मशीन की हैकिंग कैसे कर सकता है? और अगर कोई हेराफेरी करे तो ये बात छुपी कैसे रह सकती है?
चुनाव में हार जीत होती रहती है पर अपनी हार के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराना या EVM मशीन का सवाल उठाना, बचकानी बात लगती है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. अगर संवैधानिक संस्थाओं पर बिना सबूत के सवाल उठेंगे तो इससे हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा.
EVM: EC Clears All Doubts
Normally questions are raised about EVMs (electronic voting machines) and Election Commission after elections are over, but on Tuesday, the question of EVM was raised soon after EC declared the poll schedules for Maharashtra and Jharkhand assembly elections. Shiv Sena (Uddhav) leader Sanjay Raut said, opposition parties do not trust the working of EVMs and what happened in Haryana can be repeated in Maharashtra too. Raut said, EC will have to prove its impartiality in Maharashtra elections. Congress leader Rashid Alvi alleged that EVMs could be manipulated just like Hezbollah pagers which were hacked by Israel to carry out blasts in Lebanon. Alvi appealed to opposition parties to demand voting through paper ballots.
At his press conference, Chief Election Commissioner Rajiv Kumar rubbished this allegation and cleared all doubts. He said, “our EVMs are more robust than Hezbollah’s pagers and they are 100 per cent foolproof. EVMs cannot be hacked. Pagers are connected devices, but EVMs are not. Similar allegations were made earlier that votes cast in favour of one party were going to another.”
Regarding the 20 complaints received from Congress candidates about EVMs, Rajiv Kumar said, EC would write separately to each complainant with detailed facts and proof of candidates’ or their agents’ invoment in handing of EVMs at every stage”.
The CEC said, “where in the world is there so much public disclosure and participation? Results have differed in election after election and when the result is adverse, then the result is termed as wrong.”
Rajiv Kumar explained the entire polling and counting process. “When EVMs are commissioned, symbols loaded and new batteries installed, candidates or their agents sign on the seal. EVMs are kept in strongrooms with double lock and three layers of security. All processes are videographed. Counting area is barricaded. How can there be a mix-up when candidates and their agents check things round after round?”
I think, those who are again questioning EVMs, will have to answer many questions. One, Were EVMs working perfectly during Lok Sabha polls, but were hacked during Haryana polls? Did EVMs work perfectly in Karnataka and Himachal Pradesh, but were tampered with in MP and Chhattisgarh? Who will believe such allegations?
Let me reiterate. An electronic voting machine is just like a calculator, and it has no connection with internet via Bluetooth or any remote device. The battery usage of an EVM is writter on the form at the time the EVM is packed and sealed. It is countersigned by candidates or their agents.
Secondly, in a big country like India, where thousands of EVMs are used, lakhs of government employees are involved in the electoral process, how can EVMs be hacked? And if some people tamper with the EVMs, how can the matter remain a secret?
Victories and defeats do take place during elections, but to blame defeat on the Election Commission or to raise questions about EVM tampering, is, I think, childish. The Election Commission is a Constitutional body. If leaders start pointing fingers at our Constitutional bodies, without any solid proof, it can ultimately damage our democracy.
बाबा सिद्दीकी की हत्या: एक गैंगस्टर के सामने प्रशासन इतना मजबूर क्यों?
मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की सनसनीखेज हत्या ने सब को चौंका दिया है. पुलिस ने कोर्ट में खुलासा किया है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के तार गैंगस्टर गिरोह के सरगना लारेंस बिश्नोई से जुड़ने के सबूत मिले हैं. पुलिस का दावा है कि शूटर्स को बाबा सिद्दीकी के साथ-साथ उनके बेटे ज़ीशान सिद्दीकी को भी मारने का आदेश दिया गया था.
पुलिस ने इस केस में अब तक कुल 6 अपराधियों की पहचान की है जिनमें से तीन पुलिस की गिरफ्त में हैं. दो शूटर्स गुरमेल सिंह और धर्मराज कश्यप को तो पुलिस ने हत्या के कुछ ही घंटों के बाद पकड़ लिया था. तीसरे आरोपी प्रवीण लोनकर की गिरफ्तारी पुणे से हुई.
अब तक की पूछताछ में शूटर्स ने बताया कि उन्हें लारेंस गैंग की तरफ से सिर्फ टारगेट बताए गए थे, रुकने, रेकी करने से लेकर हथियार सब कुछ मुहैया करवाया गया. हर लड़के की जिम्मेदारी तय थी लेकिन किसी को ये नहीं मालूम कि हत्या का आदेश देने वाला कौन था? किसके कहने पर बाबा सिद्दीकी पर हमला हुआ?
इन शूटर्स ने बताया कि उन्हें बाबा सिद्दीकी और उनके बेटे जीशान को खत्म करने टारगेट दिया गया था. गुरमैल सिंह, धर्मराज कश्यप और प्रवीन लोनकर गिरफ्तार हो चुके हैं. एक शूटर शिव कुमार गौतम फरार है. शिव कुमार गौतम ने ही बाबा सिद्दीकी पर निशाना लगाकर फायरिंग की थी. पांचवा आरोपी ज़ीशान अख्तर फरार है. ज़ीशान शूटर्स के साथ कॉर्डिनेट कर रहा था. छठा आरोपी शुभम लोनकर भी फरार है.
शुभम लोनकर उर्फ सुबु लोनकर प्रवीण लोनकर का भाई है. इन दोनों ने शूटर्स शिवकुमार और धर्मराज को हमले के लिए तैयार किया, मुंबई में इनके रहने का इंतजाम किया, हथियार दिए. बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद शुभम लोनकर ने ही फेसबुक पोस्ट में हत्या की जिम्मेदारी ली. अपने पोस्ट में लॉरेंस बिश्नोई गैंग और अनमोल विश्नोई को टैग किया.
पुलिस को शक है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या में ये सारे नौसिखिए तो मोहरा है, इसके पीछे बड़े अपराधियों का हाथ है. हैरानी की बात ये है कि 6 आरोपियों में से 4 का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. बाबा सिद्दीकी की हत्या अब महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा मुद्दा बन गया है.
मेरा ये मानना है कि जिस तरह से बाबा सिद्दीकी की हत्या की गई, वो चौंकाने और डराने वाला है. बाबा के पास Y कैटेगरी की सुरक्षा थी. लेकिन सुरक्षाकर्मी उसे बचा नहीं पाए. वो तो कहीं नजर भी नहीं आए. बाबा को जान से मारने की धमकी मिली थी. पुलिस को थ्रेट परसेप्शन की जानकारी थी, तो भी हत्यारे आकर प्वॉइंट ब्लैंक से गोली मारकर चले गए.
सबसे बड़ी बात ये है कि 20-22 साल के लड़कों को इस काम के लिए लिया गया. उनमें कई ऐसे हैं जिनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. और वो पहली हत्या करके हीरो बन रहे हैं. अपने काले कारनामों को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं. ये एक पैटर्न है, जो दिल्ली से लेकर मुंबई तक दिखाई दे रहा है. अगर ये काम जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई का है तो और भी चिंता की बात है.
एक खतरनाक अपराधी जेल में बैठकर अपना गैंग कैसे चला सकता है? उसने 200 लड़कों को शूटिंग की ट्रेनिंग देकर हत्या करने के लिए तैयार कैसे कर लिया? और पुलिसवाले बताते हैं कि लॉरेंस बिश्नोई ये काम 10-20 हजार रुपये में करवा लेता है. ऐसा कैसे हो सकता है कि वो जिसको चाहे हायर करे, जिसपर चाहे गोली चलवा दे.
हमारी सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही है? क्या इंटेलीजेंस फेल हो गई? सवाल सिर्फ..बाबा सिद्दीकी का, या दिल्ली में जिम के बाहर मारे गए नादिर शाह का नहीं है. सवाल ये है कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में खुलेआम गैंगवॉर चल रही है.
यूपी, हरियाणा और पंजाब से लड़कों को हायर करके हत्या कराने का कारोबार जारी है. किसी को तो इसका जवाब देना पड़ेगा. किसी को तो अपराध की इस आंधी पर रोक लगानी पड़ेगी.
यूपी में योगी आदित्यनाथ ने यह करके दिखाया है. उन्होंने अपराधियों के दिलों में खौफ पैदा किया है. माफिया का खात्मा करने का एक मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल को बाकी राज्यों में भी लागू करने की जरूरत है. जो भी सरकार ऐसा करेगी, मुझे विश्वास है, उसको पब्लिक का पूरा समर्थन मिलेगा.
Baba Siddique Murder: Why is the system so helpless in front of a gangster?
The sensational murder of NCP leader Baba Siddique has shocked the nation, with Mumbai Police telling the court that it has evidence of the involvement of Lawrence Bishnoi gang’s shooters in this crime.
Police says, the arrested shooters have disclosed that they were asked to kill Baba’s MLA son Zeeshan Siddique too. Two shooters, Gurmail Singh and Dharmraj Kashyap were arrested within hours of the crime, while a third person, Praveen Lonkar, described as conspirator, was nabbed from Pune. The third shooter, Shiv Kumar Gautam, is absconding, while their coordinator Zeeshan Akhtar has gone underground. Police says, the shooters were hired by Praveen Lonkar and his brother Shubham Lonkar alias Subu.
It was Shubham Lonkar who had taken responsibility for the murder of Baba Siddique by posting his comments on social media. He had tagged Lawrence Bishnoi going and Anmol Bishnoi in his post. Top police officials believe that this could not be the handiwork of a bunch of novices, but some big criminals are involved in the conspiracy. Four out of the six suspects have no past criminal records.
Already Maharashtra politics is on the boil over the murder of the NCP leader. The manner in which Baba Siddique was murdered is shocking and frightening. Baba had ‘Y’ category security, but his securitymen could not save him. They were not seen at the time of crime. Baba had received threats to his life and police was aware of the threat perception. Yet the killers came, shot point-blank at him and fled.
The worrying part is that youths in the age group 20-22 years were hired to carry out this murder. They had no previous criminal background. They and their co-conspirators are proudly posting their comments on social media. There appears to be a pattern in this, from Delhi to Mumbai.
If this murder is the handiwork of a criminal gangster like Lawrence Bishnoi sitting inside a jail, then it is more worrying. How can a dangerous criminal run his gang, sitting within the confines of a prison? How did he manage to train more than 200 youths in the art of shooting? Police officials say, Lawrence Bishnoi gets these murders done, by charging only Rs 10-20,000.
How can it be that he can hire anybody and make them fire at his targets? What are our security agencies doing? Has their intelligence machinery failed? The question is not confined to Baba Siddique alone, or a gym owner Nadir Shah, who was shot outside his gym in Delhi’s Greater Kailash. The main question is: open gang war is going in big metros like Delhi and Mumbai, where youths hired from UP, Haryana and Punjab are carrying out killings.
Somebody will have to answer. Somebody will have to put a brake on this crime wave. Yogi Adityanath has done this in Uttar Pradesh. He and his police have struck fear in the hearts of criminals and a model has been created to eliminate mafia gangs. Such a model needs to be replicated in other states too. Any government that follows this model will, I think, surely get public support.