Hindus in Bangladesh : Ensure their safety
Lootings and arson continued in several parts of Dhaka and other cities of Bangladesh on Tuesday night, in the absence of police, as anarchy prevails in the neighbouring country. Homes, shops and temples of Hindus have become easy targets for Islamic fundamentalists. An interim government is yet to be formed with Nobel Laureate economist Prof Mohammed Yunus expected to arrive in Dhaka from Dubai on Thursday afternoon. Parliament has been dissolved by the President and former PM Begum Khaleda Zia and 245 leaders of her party have been released from jail. In a major reshuffle, one Major General in the army was sacked and six others were transferred, while new heads have been appointed for other paramilitary outfits. Anti-social elements are on a looting and arson spree, targeting Awami League politicians and their homes. Two Hindu councillors have been killed, four temples have been set on fire and homes and shops of Hindus in 39 districts have been looted and vandalized. The Indian government has expressed concern over the atrocities on Hindus in Bangladesh. The largest organization of minorities in Bangladesh, Hindu Bouddha Christian Oikya Parishad has alleged that incidents of looting and arson in the homes and temples of Hindus are still continuing. The Indian government is worried about safe passage for several thousand Indian citizens stuck in Bangladesh and also for the security of Hindus living in the neighbouring country. Looting, arson and killing of Hindus have been reported from several places in Dhaka, and other cities like Chattogram, Narsinghdi, Meherpur, Khulna, Rajshahi, Barisal and Sylhet. Rioters are going around identifying Hindu homes and shops and setting them on fire after looting. In several cities, Hindu temples were attacked, idols smashed and gold ornaments of idols were looted. Islamic fundamentalist party Jamaat-e-Islami and its students’ wing Islamic Chhatra Shibir are targeting Hindus, while police and security personnel have become mute spectators. Sumohan Das, director of ISKCON temple in Dhaka, said that he has received reports of attacks on several temples in the districts. In Narsinghdi, a Kali temple was attacked by rioters in the presence of police, while in Chattogram city, rioters went around Hazari Goli locality vandalizing homes and shops of Hindus. One Kali temple was set on fire. Hindus, numbering nearly 1.3 crore, account for nearly 8 per cent of the total population in Bangladesh. In 1951 after Partition, Hindus accounted for 22 pc of the population in East Pakistan. Over 1.1 crore Hindus fled Bangladesh due to religious persecution between 1964 and 2013, according to Hindu American Foundation. Rashtriya Swayamsevak Sangh leader Bhaiyyaji Joshi has appealed to the Centre to take immediate steps to ensure safety of Hindus in Bangladesh. Yoga guru Swami Ramdev has asked Indians to remain on vigil because of the deteriorating situation in Bangladesh. He said, law and order has completely collapsed in Bangladesh and all Indians should stand united in solidarity with the Hindu minorities in the neighbouring country. Bageshwar Dham preacher Dhirendra Shastri has appealed to the Centre to open its border to allow safe passage to persecuted Hindus to enter India from Bangladesh. Leader of Opposition in West Bengal Suvendu Adhikari said, it has now become clear that the introduction of Citizenship Amendment Act by Modi government was a step in the right direction for giving citizenship to Hindus who may want to leave Bangladesh because of persecution. There is no doubt that Islamic fundamentalists, particularly Jamaat-e-Islami, are persecuting Hindus in Bangladesh and their supporters are on a spree of loot, arson and murders. Videos of such attacks are really disturbing. The problem now is, Hindus in Bangladesh cannot come out in large numbers to enter India, as rioters are openly moving around in the streets, with no sign of police. Indian politicians who were opposing CAA are now silent. The Centre is in touch with senior army officers of Bangladesh and through diplomatic channels to ensure safety of Hindus. Since there is no government worth the name in Bangladesh at the moment, rioters are on a maddening spree of loot and arson. Army officials in Bangladesh are trying to ensure rule of law in the country, but at the same time, they have to listen to the demands of Jamaat leaders, who have now gained an upper hand after Sheikh Hasina’s sudden departure.
बांग्लादेश में हिन्दू : उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाय
बांग्लादेश में अन्तरिम सरकार के गठन की कोशिशें जारी है, मुख्य सलाहकार अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस गुरुवार को ढाका पहुंचने वाले हैं. राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया है, विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया और उनकी पार्टी के 254 नेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया है, लेकिन पूरे देश में अभी भी आराजकता का माहौल है. सड़कों, थानों से पुलिसवाले गायब हैं. मंगलवार की रात ढाका के कई इलाकों में दंगाइयों ने लूटपाट और आगज़नी की. सेना के एक मेजर जनरल को बर्खास्त कर दिया गया है. बड़ी बात ये है कि बांग्लादेश में राष्ट्रपति ने हिंसक प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार किए गए दंगाईयों को भी रिहा करने के आदेश भी दे दिए हैं. प्रदर्शनकारियों की ये बड़ी मांग थी जिसे बांग्लादेश की सेना की सलाह पर राष्ट्रपति ने मान लिया, लेकिन इसके बाद भी हालात बिगड़ रहे हैं. अब चुन-चुनकर शेख हसीना के समर्थकों, उनकी पार्टी के नेताओं और हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है. शेख हसीना की पार्टी के जिला अध्यक्ष के फाइव स्टार होटल को जला दिया गया जिसमें 24 लोग जिंदा जल गए. बांग्लादेश क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा का घर आग के हवाले कर दिया गया. कम से कम 34 मंदिरों पर हमला किया गया, 4 मंदिरों को जला दिया गया, 39 जिलों में हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की गई. कई घरों में आग लगा दी गई. दो हिन्दू काउंसलर्स की हत्या कर दी गई. भारत सरकार ने इस बात पर सबसे ज्यादा चिंता जताई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए बांग्लादेश की सेना के साथ सम्पर्क में हैं, सेना से कहा गया है कि वो जल्दी हालात को काबू में करें और बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों और बांग्लादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें. इस वक़्त बांग्लादेश में लगभग 19 हज़ार भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से 9 हज़ार छात्र हैं. बांग्लादेश में रहने वाले ज़्यादातर भारतीय छात्र भारतीय उच्चायोग की सलाह पर जुलाई महीने में ही अपने देश लौट आए थे. ये बात सही है कि भारत की इस वक्त दो चिंताएं हैं. पहली ये है कि बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों और वहां रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और दूसरी बात, बांग्लादेश से भारत आने वाले लोगों को रोकने की कोशिश करना, अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना. सरकार का फोकस अभी इस बात पर नहीं है कि बांग्लादेश में जो हुआ उसके पीछे कौन है. सरकार को चिंता बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा की है क्योंकि वहां हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए हैं. पिछले 24 घंटों में बांग्लादेश के 39 ज़िलों से हिंदुओं के घरों, दुकानों, मंदिरों पर हमले किए गए, तोड़फोड़ करने और लूट-पाट के साथ आग लगाने की खबरें आई हैं. ढाका और दूसरे बड़े शहर चट्टोग्राम के अलावा नरसिंहपुर, मेहरपुर, नरसिंगदी, खुलना, राजशाही और सिलहट में हिंदुओं पर हमला किया गया, दंगाइयों की भीड़ चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बना रही है, उन्हें पीटा जा रहा है, उनकी हत्या हो रही है, हिंदुओं के मंदिरों पर हमले हुए हैं, कई जगह से मंदिरों को आग लगाने की ख़बरें आ रही हैं. असल में बांग्लादेश के ज़्यादातर हिंदू, शेख़ हसीना की अवामी लीग के समर्थक रहे हैं, इसलिए कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र शिबिर के कारकून हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं. पुलिस हिंदुओं पर हमले करने वालों को रोक पाने में नाकाम रही है. खुलना डिविज़न के मेहरपुर क़स्बे में दंगाइयों ने इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया. मूर्तियां तोड़ीं और फिर मंदिर में आग लगा दी. ढाका में इस्कॉन टेंपल के निदेशक सुमोहन दास ने बताया कि उनको कई ज़िलों से मंदिरों पर हमले की ख़बर मिली है, हिन्दू महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है. सुमोहन दास ने बताया कि बांग्लादेश में वैसे तो 1971 के बाद से हिंदू कभी भी सुरक्षित नहीं रहे, लेकिन, इस बार शेख़ हसीना के सत्ता से हटते ही मानो हिंदुओं पर क़यामत टूट पड़ी है. बांग्लादेश के नरसिंगदी ज़िले के एक काली मंदिर पर उपद्रवियों ने हमला कियास मंदिर में तोड़-फोड़ की. मौके पर पुलिस मौजूद थी लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चट्टोग्राम के हिंदूबहुल मुहल्ले हज़ारी गली में दंगाईयों की भीड़ घुस गई, कई मंदिरों पर पथराव किया गया, इसके बाद एक मंदिर के बाहर आग लगा दी गई. दंगाइयों ने चट्टोग्राम के हज़ारी गली मुहल्ले की ज्यादातर दुकानें लूट ली. बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी तकरीबन एक करकरोड़ 30 लाख है, जो कुल आबादी का करीब 8 प्रतिशत है. भारत विभाजन के बाद 1951 में बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी 22 प्रतिशत थी. लेकिन, कट्टरपंथियों के हमलों की वजह से एक करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश से भागकर भारत आ गए. अब एक बार फिर से ऐसा ही ख़तरा मंडरा रहा है. बांग्लादेश में बरीशाल डिवीज़न के फिरोज़पुर ज़िले में दंगाइयों ने हिंदू बस्ती पर हमला किया, हिन्दुओं के घरों पर पथराव हुआ, लूटपाट हुई और फिर कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया. लोग जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भागे. इसी तरह के तमाम वीडियो बांग्लादेश से आ रहे हैं. इसीलिए हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है. योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं के मंदिरों और घरों को निशाना बनाया जा रहा है, उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से लेना चाहिए. स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत को पूरी ताकत से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म का विरोध करना चाहिए, उनकी हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए. RSS की अखिल भारतीय कार्य़कारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने भी सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाए. भैयाजी जोशी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की जो ख़बरें आ रही हैं, वो चिंताजनक हैं. उन्हें उम्मीद है कि सरकार हिंदुओं की रक्षा के लिए क़दम ज़रूर उठाएगी. संघ की चिंता जायज़ है. स्वामी रामदेव की बात सही है कि बांग्लादेश में जो हालात है, उससे सतर्क रहने की जरूरत है. सबको एक साथ मिलकर बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए खड़े होने की जरूरत है क्योंकि बांग्लादेश में इस वक्त कानून और व्यवस्था पूरी तरह ठप हो चुका है. विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि इसके पीछे पाकिस्तान की ISI हो सकती है. आलोक कुमार ने कहा कि भारत सरकार, बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए हर मुमकिन क़दम उठाए. बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री ने भी भारत सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश के प्रताड़ित हिंदुओं की रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए और जो हिन्दू बांग्लादेश से भारत आना चाहते हैं, हमारी सरकार उनके लिए दरवाजे खोल दे. बांग्लादेश में इस वक्त हिन्दू खौफ के साये में जी रहे हैं. कट्टरपंथी और जमात-ए-इस्लामी के समर्थक हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं, उनकी संपत्तियों को लूट रहे हैं, मंदिरों को आग लगा रहे हैं, हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं. जो तस्वीरें वहां से आ रही हैं वो वाकई परेशान करने वाली हैं. .मुसीबत ये है कि हिन्दू इस वक्त बांग्लादेश से भागकर भारत भी नहीं आ सकते क्योंकि हर तरफ सड़कों पर खून के प्यासे दंगाई घूम रहे हैं. अब वे लोग खामोश हैं जो पिछले एक साल से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे थे. हालांकि सरकार ने बांग्लादेश के फौजी अफसरों से संपर्क किया है, डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है लेकिन मुश्किल ये है कि बांग्लादेश में फिलहाल न तो कोई सरकार है, पुलिस नाम की कोई चीज नहीं है. क्योंकि दंगाईयों ने तमाम पुलिस थाने फूंक डाले हैं. पुलिस वाले या तो खुद जान बचाकर भाग रहे हैं या फिर दंगाईयों की भीड़ में शामिल हो गए हैं. सेना के अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि वो करें तो क्या करें क्योंकि एक तरफ अंतरिम सरकार के गठन का रास्ता निकालना है, दूसरी तरफ कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की मांगें भी सुननी है, जो उन अफसरों को हटाने की मांग कर रही है, जिन्हें शेख हसीना का करीबी माना जाता है. बहरहाल हमारे देश में लोगों की और सरकर की एक ही प्राथमिकता है, वहाँ रहने वाले हिन्दू भाई बहनों की जान कैसे बचाई जाए.
बांग्लादेश के तख्तापलट के पीछे पाकिस्तानी ISI का हाथ
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. शेख हसीना और उनकी बहन बांग्लादेश की सेना के विमान से ढाका से निकल कर दिल्ली पहुंची. पता ये लगा है कि शेख हसीना भारत होते हुए लंदन जाना चाहती थीं लेकिन ब्रिटेन ने शेख हसीना को राजनीतिक शरण देने से इंकार कर दिया है. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने सोमवार रात को ऐलान किया कि संसद को भंग कर देशव्यापी चुनाव कराये जाएंगे, और तब तक एक अन्तरिम सरकार रहेगी. राष्ट्रपति ने जेल में बंद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को फौरन रिहा करने का आदेश जारी कर दिया. खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान, जो इस वक्त ब्रिटेन में है, बांग्लादेश लौटने वाले हैं. आंदोलकारी छात्र नेताओं ने मांग की है कि कोई भी अन्तरिम सरकार नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री डॉ. मुहम्मद युनुस की देखरेख में बनायी जानी चाहिए. छात्रों ने मोहम्मद युनुस को मुख्य सलाहकार बनाने की मांग की है. बांग्लादेश के थल सेनाध्यक्ष जनरल वकार उज्जमां ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की लेकिन सोमवार देर रात तक समूचे देश में आगजनी , हत्या और हमलों की घटनाएं हुई. ढाका के कई थानों में आग लगा दी गई, पुलिस वाले दीवार फांद कर भाग गए. सोमवार को सुबह से ही लाखों लोग ढाका की सड़कों पर निकल आए और शाहबाग की तरफ जाने लगे. हजारों छात्रों ने प्रधानमंत्री के निवास पर हमला कर दिया और सारे कीमती सामान लूट कर भाग गए. प्रदर्शनकारी संसद भवन में भी घुस गए. थल सेनाध्यक्ष ने राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई और अन्तरिम सरकार बनाने के बारे में बातचीत की. जनरल वकार उज-ज़मां ने लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है और प्रदर्शनकारियों से अपने अपने घर लौटने को कहा. मंगलवार सुबह ढाका में शांति रही, सरकारी दफ्तर, दुकानें और अदालतें खुली, लेकिन जिलों में हिन्दुओं के घरों और मंदिरों में तोडफोड और आगज़नी की घटनाएं हुई. बांग्लादेश में हो रही हिंसा में अब तक चार सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रशासन नाम की चीज नही हैं. सेना की कोई सुन नहीं रहा. इसलिए सबसे बड़ा सवाल ये है कि बांग्लादेश में अब क्या होगा और वहां जो हालात हैं, उनका हमारे देश पर क्या असर हो सकता है. शेख हसीना ने इसी साल जनवरी में लगातार चौथी बार भारी बहुमत से सरकार बनाई थी लेकिन छह महीने के भीतर ही अपने देश से भागना पड़ा. ढाका की सड़कों पर शेख़ मुजीब की मूर्तियों पर हथौड़ा और बुलडोज़र चलाते चलाते प्रदर्शनकारियों की भीड़ प्रधानमंत्री आवास गण भवन में दाखिल हो गई. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास में लूट-पाट शुरू कर दी. ढाका में वही मंज़र दोहराया जाने लगा जैसा हमने श्रीलंका में देखा था. बांग्लादेश में इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत पिछले महीने से हुई थी जब सरकारी नौकरियों में आज़ादी की लड़ाई के नायकों की तीसरी पीढ़ी को आरक्षण देने का विरोध शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत ढाका विश्वविद्यालय से हुई थी. बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वालों को नौकरी में आरक्षण मिलता था. फिर मुक्ति योद्धाओं के बेटे-बेटियों को भी आरक्षण मिला. अब बांग्लादेश में मुक्ति योद्धाओं के पोते पोतियों के लिए भी एक तिहाई से ज़्यादा सरकारी पद आरक्षित हैं. छात्रों का विरोध इसी बात को लेकर था. बहुत जल्दी ही आरक्षण विरोध का ये आंदोलन, शेख़ हसीना सरकार के ख़िलाफ़ बड़े आंदोलन में तब्दील हो गया. इसके बाद शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता छात्रों के विरोध में उतरे. हिंसा ढाका से शुरू हुई और धीरे धीरे पूरे देश में फैल गई. पिछले 15 साल से सत्ता पर क़ाबिज़ शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ छात्रों के इस आंदोलन को प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने हाईजैक कर लिया क्योंकि शेख़ हसीना की सरकार ने पाकिस्तान का साथ देने वाले जमात के कई नेताओं को फांसी की सज़ा दिलाई थी और जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी भी लगा दी थी. जब सुप्रीम कोर्ट ने मुक्ति योद्धाओं की तीसरी पीढ़ी को रिज़र्वेशन देने पर रोक लगाई तो विरोध प्रदर्शन कुछ दिनों के लिए रुके लेकिन, पिछले एक हफ़्ते से पूरे बांग्लादेश में सरकार के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन फिर से शुरू हो गए थे. पूर्व विदेश सचिव, और बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रह चुके हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि शेख़ हसीना की तख़्तापलट के पीछे जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के अलावा, कुछ विदेशी ताक़तों का भी हाथ हो सकता है. बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शन करने वाला कटट्टरपंथी हैं. इसलिए अब वहां रहने वाले हिन्दुओं पर खतरा है. बांग्लादेश के कम से कम 27 नगरों में हिंदुओं के घरों और मंदिरों पर हमले की ख़बरें आई हैं. हिंदू नेताओं ने बताया कि दंगाइयों ने हिंदुओं के मंदिरों में घुसकर तोड़-फोड़ की. ढाका में भारत की मदद से बनाए गए इंदिरा गांधी कल्चरल सेंटर में भी दंगाइयों ने तोड़-फोड़ की. पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने तो ये दावा कर दिया कि बांग्लादेश में जो हालात हैं, उसकी वजह से क़रीब एक करोड़ बांग्लादेशी हिंदू पनाह लेने के लिए भारत का रुख़ कर सकते हैं और बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले ज़िलों में इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार बांग्लादेश के बारे में जो भी केंद्र सरकार का निर्देश होगा, उसका पालन करेंगी. ममता बनर्जी ने सभी नेताओं से अपील की कि वो ऐसे बयान न दें जिससे माहौल बिगड़े. ममता की ये बात सही है कि मामला अंतरराष्ट्रीय है, संवेदनशील है, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर खतरा है, इसलिए आगे क्या करना है, इसका फैसला केन्द्र सरकार को ही करना है.मंगलवार को एक सर्वदलीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सभी नेताओं को वहां के हालात के बारे में जानकारी दी और बाद में संसद में बयान भी दिया. बांग्लादेश के सियासी हालात का असर हमारे देश पर होगा, इसमें कोई शक नहीं हैं क्योंकि बांग्लादेश कभी भारत का ही हिस्सा था. वहां लाखों हिन्दूं परिवारों के नाते रिश्ते भारत में हैं. भारत बांग्लादेश का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. शेख हसीना को भारत का करीबी माना जाता है. उनकी पार्टी उदारवादी है जबकि जो संगठन इस वक्त बांग्लादेश में हंगामा कर रहे हैं, वो इस्लामी कट्टरपंथी हैं, और भारत विरोधी माने जाते हैं. इसलिए हमारे देश पर बांग्लादेश के हालात का असर तो होगा. बांग्लादेश में भारत के जो करीब आठ हजार छात्र फंसे हैं, उनकी सुरक्षा की चिंता भी भारत सरकार को है. इसीलिए सरकार को बहुत सोच-समझकर फैसला करना है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि शेख हसीना को इस्तीफा क्यों देना पड़ा? अपना मुल्क छोड़कर इस तरह क्यों भागना पड़ा ? ऊपर से तो यही दिखाई देता है कि छात्र आदोलन की वजह से हालात खराब होते जा रहे थे, ये आंदोलन आरक्षण के नाम पर हुआ और शेख हसीना ने इस आंदोलन को दबाने के लिए जो भी प्रयास किए वो नाकाम साबित हुए. लेकिन इस आंदोलन और शेख हसीना के इस्तीफे के पीछे की कहानी, इससे कहीं बड़ी है. इस पूरे आंदोलन के पीछे इस्लामिक कठमुल्लावादी ताकतें है. इसके पीछे जमात-ए-इस्लामी है..जमात की पॉलिसी और मकसद बांग्लादेश को इस्लामिक तरीके से चलाना है..वहां इस्लामिक रूल लागू करना है…और शेख हसीना इस रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई थीं..शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ एक्शन लिया लेकिन जमात ने छात्र नेताओं को सामने कर दिया. इन सारे छात्र नेताओं के तार कट्टर इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हैं. इन संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पैसे देती है. शेख हसीना ने बांग्लादेश के कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने की कोशिश की. नतीजा ये हुआ कि जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन शेख हसीना को किसी भी कीमत पर हटाने के काम में जुट गए. इसमें ISI का भी बड़ा रोल है. इसीलिए ये आंदोलन इतना बड़ा बना. लेकिन बांग्लादेश में एक बहुत बड़ा तबका है जो शेख हसीना का समर्थन करता है लेकिन इस बार आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं के सामने ये लोग खामोश हो गए. इस्लामिक कट्टरपंथियों के शक्तिशाली होने से बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है. दंगाईयों ने सोमवार को बहुत सी जगहों हिंदुओं के घर जलाए, मंदिरों में तोडफोड़ की. भारत सरकार को सबसे ज्यादा चिंता ऐसे ही लोगों की है. इसीलिए एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है.
Pakistani ISI hand behind Bangladesh turmoil
As millions came out on the streets of Dhaka on Monday, the longest serving Prime Minister of Bangladesh Sheikh Hasina, facing a tough crisis, submitted her resignation to President Mohammed Shahabuddin and flew to India with her sister Sheikh Rehana. A Bangladesh Air Force transport plane, carrying them, landed at IAF Hindon air base near Delhi, and National Security Adviser Ajit Doval had a one-on-one meeting with Sheikh Hasina. The army transport plane returned to Bangladesh on Tuesday. In Delhi, all major opposition parties extended full support to the Modi government in dealing with the situation evolving in the neighbouring country. There are reports that Sheikh Hasina wanted to leave for London, but UK authorities are yet to decide about granting her political asylum. In Dhaka, thousands of demonstrators ransacked the official residence of the Prime Minister and Parliament, and looted costly items. Bangladesh Army Chief Gen Waqer-uz-Zaman appealed for peace, after holding consultation with political parties and civil society leaders. Police personnel vanished from the streets and there was nightlong arson and ransacking in most of the police stations of Dhaka. Homes of Awami League leaders in Dhaka and other cities were set on fire. By Monday night, the President announced that the Parliament would be dissolved, and fresh general elections will be held. The President announced that opposition leader Begum Khaleda Zia would be released from jail and an interim government would be set up. Agitating student leaders have demanded that Nobel Prize winning economist Dr Muhammad Yunus be made the principal adviser while setting up the interim government. Temples and homes of many Hindus were attacked and vandalized in several cities of Bangladesh. The situation has become complicated with the police withdrawing from law and order duties. In Dhaka, thousands of people “celebrated” the downfall of Sheikh Hasina’s government, even as pitched battles were going on outside several police stations. More than 400 people have died in violence during the current turmoil after students took to the cities demanding resignation of Sheikh Hasina. In Dhaka, a large statue of Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman was demolished with a JCB machine, while Bangabandhu Memorial Museum was set on fire. Indira Gandhi Cultural Centre was also ransacked by demonstrators. The student agitation against “discrimination in jobs” has now gone out of control with anti-social elements resorting to arson and looting. Army, though deployed in the capital and district headquarters, is yet to take any major action against the arsonists. India’s former foreign secretary Harshvardhan Shringla, who had earlier worked as High Commissioner in Dhaka, said that the hand of some foreign powers behind the agitation could not be ruled out. He said, the agitation was being openly supported by Bangladesh Nationalist Party and Jamaat-e-Islami. Bengal BJP leader Suvendu Adhikari warned that nearly one crore Hindus living in Bangladesh could be forced to cross the border into India if violence against minorities continues. Chief Minister Mamata Banerjee appealed to all parties not to create tension by making inciting remarks. Banerjee said, the state government will follow the Centre’s directives while keeping a close watch on the evolving situation in Bangladesh. I think, Mamata Banerjee is right. The issue is quite sensitive. Hindus in Bangladesh are at risk, and it is for the Centre to decide about the future course of action. On Monday night, the Cabinet Committee on Security met in Delhi under the chairmanship of Prime Minister Narendra Modi to discuss the situation. The Director General of Border Security Force on Tuesday visited border check posts in West Bengal. A general alert has been sounded on India-Bangladesh border. There is not an iota of doubt that the political crisis in Bangladesh is going to have its repercussions in India too. Bangladesh was part of undivided India before Partition and there are several lakhs Hindu families who have relatives living across the border. India is the largest trading partner of Bangladesh. Sheikh Hasina was always viewed as a true friend of India, and her party, Awami League, was considered liberal. Opposition parties like BNP and Jamaat-e-Islami, which are out on the streets, have been following anti-India line since several decades. The Indian government is trying to secure the safe passage of several thousand Indian students presently living in Bangladesh. The Centre will have to take a careful and balanced path. The issue is: Why was Sheikh Hasina forced to resign and flee from her country? On the face of it, one can say that the situation had deteriorated due to the ongoing student agitation on the job reservation “quota” issue, and Hasina’s government failed to tackle the situation deftly. But the story behind this agitation is quite different. Islamic fundamentalist forces like Jamaat-e-Islami have put their might behind this student agitation. They want to introduce Islamic laws in Bangladesh, and Sheikh Hasina was the biggest obstacle in their path. Sheikh Hasina took action against Jamaat-e-Islami and banned the party. The Jamaat activated its students’ wing Islamic Chhatra Shibir to go to the streets. Many of these student outfits get funds from Pakistan’s spy agency ISI. Sheikh Hasina tried to put the Islamic fundamentalists on leash, and this was the reason why her government had to face a terrible backlash from Islamic forces. But there is a large section of people in Bangladesh which supports Sheikh Hasina, her father Late Sheikh Mujibur Rahman and Awami League. Hasina’s party remained silent when these Islamic forces went on rampage. Hindus living in Bangladesh now face an uncertain future as incidents of attacks and arson continue. The Indian government is worried about the safety of Hindus, and the government is taking steps with utmost care and consideration.