उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा में हार के कारणों पर बीजेपी में मंथन
उत्तर प्रदेश में खराब प्रदर्शन की वजह तलाशने के लिए बीजेपी में पिछले 48 घंटों से मंथन हो रहा है..इस मंथन मे क्या सामने आया. लखनऊ बीजेपी ऑफिस में गुरुवार से अलग-अलग अंचलों के उम्मीदवारों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठकें चल रही हैं.. गुरुवार को अवध के नेताओं की बैठक थी.शुक्रवार को कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के उम्मीदवारों और पदाधिकारियों से पार्टी ने रिपोर्ट ली. कानपुर-बुंदेलखंड रीजन की 10 सीटों में बीजेपी सिर्फ 4 सीट ही जीत पाई है…जबकि अवध क्षेत्र की 16 सीटों में बीजेपी को सिर्फ 7 सीटों पर ही जीत मिली है. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और यूपी बीजेपी संगठन के दूसरे नेता इस मीटिंग में शामिल रहे. पहले उन पदाधिकारियों से बात की गई जिन्हें लोकसभा सीट की जिम्मेदारी संगठन ने दी थी. उसके बाद हारे हुए उम्मीदवारों से अकेले में बात की गईहारे हुए उम्मीदवारों ने पार्टी के सामने खुलकर अपनी बात कही…बांदा से चुनाव हारे बीजेपी उम्मीदवार आर के सिंह पटेल ने कहा कि विपक्ष ने संविधान, आरक्षण वाला जो नैरेटिव खड़ा किया जनता ने उस पर भरोसा कर लिया. पटेल ने इसकी वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि केवल विपक्ष अगर ये बातें कहता तो जनता शायद इस पर विश्वास न भी करती लेकिन बीजेपी के कई स्थानीय नेताओं ने विपक्ष के लिए खुलकर कैंपेन किया,उनके एजेंडे पर मुहर लगाई ,पार्टी के साथ विश्वासघात किया.अपनों से ही धोखे का आरोप मोहनलालगंज के बीजेपी उम्मीदवार कौशल किशोर भी लगा रहे हैं…कौशल किशोर 2014 और 2019 में मोहनलालगंज से चुनाव जीतते रहे.केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन इस बार वो भी अपनी सीट नहीं बचा पाए.कौशल किशोर ने कहा कि विपक्ष के संविधान और आरक्षण खत्म करने वाला नैरेटिव जनता पर चिपक गया.बीजेपी लीडरशिप अपनी बात समझाने में कामयाब नहीं हो पाई.उस पर पार्टी के अंदर के ही लोगों ने उन्हें चुनाव हरवाने का काम किया. यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष विजय पाठक ने कहा कि पार्टी इस हार से हताश नहीं है. इसी संगठन ने बीजेपी को यूपी में 10 से 73 तक पहुंचाया था.हार की वजह जानकर..उन्हें दूर करके पार्टी फिर से उत्तर प्रदेश में मजबूत होगी . बीजेपी ने 80 नेताओं की टास्क फोर्स बनाई गई है…दो सदस्यों वाली एक टीम 2 लोकसभा सीटों पर जाकर रिपोर्ट तैयार करेगी….हार की वजह तलाशने के लिए यूपी बीजेपी का संगठन तीन तरह की रिपोर्ट तैयार कर रहा है.पहली रिपोर्ट उम्मीदवार के फीडबैक के आधार पर, दूसरी लोकसभा सीटों पर गई टीम की रिपोर्ट और तीसरी मंडल स्तर पर तैयार करवाई गई रिपोर्ट.इन तीनों रिपोर्ट के आधार पर एक फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी जिसे केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा.पार्टी ने साफ संकेत दिया है कि चुनाव में भितरघात करने वालों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. मीटिंग के बाद यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि यूपी की जनता ने जो फैसला दिया है उसे पार्टी स्वीकार करती है, गलतियों को सुधारा जाएगा.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी के नेताओं को भी इस बात की शिकायत है कि बीजेपी की लोकल यूनिट्स ने ठीक से काम नहीं किया, गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. बलिया में दो दिन पहले ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बीजेपी के नेता-कार्यकर्ताओं उनके उम्मीदवार को हराने का काम किया. बीजेपी के नेता दिखावा करते रहे…उन्होंने मोदी-योगी के निर्देश को भी नकार दिया. वो सामने से तो समर्थन का दावा करते रहे लेकिन पीछे से विपक्ष के उम्मीदवार का सपोर्ट किया . हांलाकि आज ओम प्रकाश राजभर अपने बयान से पलट गए.उन्होंने कहा कि जो भी खबर चलाई जा रही है वो फेक न्यूज़ है…उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, वो एनडीए के साथ हैं…उन्हें मोदी-योगी पर पूरा भरोसा है…ये सारी अफवाह विपक्ष ने फैलाई है. उत्तर प्रदेश मे बीजेपी की सीटें कम क्यों हुईं..इसका analysis चुनाव विशेषज्ञ कई बार कर चुके हैं..ज्यादातर लोग मानते हैं कि बीजेपी ने..टिकट बांटते समय जातिगत समीकरणों का ध्यान नहीं रखा..अखिलेश यादव ने सिर्फ परिवार के 5 यादव लड़ाए..सिर्फ 4 मुसलमानों को टिकट दिया…और बाकी सीटों पर जाति के आधार पर वोट लेने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए…ये रणनीति काम कर गई..लेकिन आज जो analysis सामने आया…वो बीजेपी के अपने हारने वाले उम्मीदवारों का विश्लेषण है..इसीलिए महत्वपूर्ण है..मोटे तौर पर तीन बातें सामने आई…एक तो यूपी में बीजेपी ने बीजेपी को हराया..पार्टी के अपने नेताओं ने अपने उम्मीदवारों को हरवाया..सबने सोचा 400 पार तो जाने वाले हैं…मोदी के नाम पर जीतने ही वाले हैं..एक दो सीटों पर हार गए तो क्या फर्क पड़ेगा..सबने अपने अपने rivals का हिसाब चुकता किया..नतीजा ये हुआ कि पार्टी की सीटें घटकर 33 पर आ गईं..400 पार के नारे का एक और नुकसान ये हुआ कि इसे..राहुल और अखिलेश ने आरक्षण हटाने की मंशा से जोड़ दिया..बीजेपी के खिलाफ ये नैरेटिव चलाया..ये फेक था..गलत था…लेकिन बीजेपी इसे काउंटर करने में नाकाम रही…बीजेपी के अंदर के विश्लेषण का..एक और पहलू ये है कि योगी आदित्यनाथ ने कम से कम 35 उम्मीदवारों के टिकट बदलने की सिफारिश की थी…लेकिन उसे किसी ने नहीं माना…बीजेपी ने 34 से ज्यादा ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जो लगातार तीसरी बार या उससे भी ज्यादा बार चुनाव मैदान में उतरे थे..इनमे से 20 चुनाव हार गए..बीजेपी को सबसे बड़ा सैटबैक लगा अयोध्या की सीट हारने का…और पार्टी के इंटरनल discussion में ये बात बार बार आई कि जहां भव्य राम मंदिर बना वो सीट बीजेपी कैसे हार गई…इसका विश्लेषण कोई सीक्रेट नहीं है…ये इन तीनों बातों पर आधारित है जो मैंने अभी अभी आपको बताई…लल्लू सिंह को बदलने की बात की गई थी…अयोध्या के सारे नेता लल्लू सिंह के खिलाफ थे..आपसी झगड़े थे…जातिगत समीकरण बीजेपी के कैंडिडेट के, पूरी तरह खिलाफ थे..और इन सबके ऊपर..आरक्षण को हटाने का नैरेटिव..सबने मिलकर..अयोध्या की सीट भी हरवा दी…तो ये कह सकते हैं कि बीजेपी का जो overall analysis है..अयोध्या की सीट उसका एक बड़ा example है…अब बीजेपी के लिए बड़ा चैलेंज तीन साल बाद होने वाले विधान सभा चुनाव हैं…अखिलेश यादव और उनकी पार्टी उत्साहित है…समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश है..बीजेपी इसे कैसे काउंटर करेगी..इसपर योगी आदित्यनाथ को मंथन करना रहेगा..
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में भी बीजेपी को इस बार लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है…2019 में महाराष्ट्र में 23 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार चुनाव में सिर्फ 9 सीटें मिली हैं…इसलिए बीजेपी वहां पर भी हार की वजह तलाशने में जुट गई है….आज मुंबई में बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई…जिसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अन्य नेता शामिल हुए. बावनकुले ने कहा कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा वोट शेयर बीजेपी को मिला है.कई जगह जीत-हार का अंतर बहुत कम वोटों का था लेकिन ये सच है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को काफी कम सीटें मिली हैं और उसकी वजह सिर्फ एक ही है, कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी के दूसरे दलों ने लोगों में झूठ फैलाया…कहा कि बीजेपी संविधान बदल देगी, दलितों-आदिवासियों का हक छीन लेगी, ये झूठ लोगों के दिमाग में बैठ गया और बीजेपी को इसी का नुकसान हुआ. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में तो बस चार महीने का समय बचा है…बीजेपी के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि क्या विधानसभा चुनाव शिंदे गुट और एनसीपी के साथ मिलकर लड़े या अलग लड़े…सवाल ये भी है कि अगर बीजेपी महायुति बनाकर चुनाव लड़ेगी तो सीटों का बंटवारा क्या होगा…क्योंकि खबर है कि बीजेपी ने उन 106 सीटों पर सर्वे कराना शुरु कर दिया है जहां उसे पिछले चुनावों में जीत मिली थी..अलायंस पार्टनर एकनाथ शिंदे बीजेपी के 400 पार वाले नारे पर सवाल उठा चुके हैं…एनसीपी भी केन्द्र की सरकार में शामिल नहीं हुई है…ये सब इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दो तीन महीने महाराष्ट्र की सियासत में काफी एक्शन पैक्ड होंगेऔर कई नए चुनावी समीकरण देखने को मिल सकते हैं.
हरियाणा
महाराष्ट्र के साथ साथ इस साल हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव होना है… हरियाणा में भी बीजेपी को 2019 के मुक़ाबले इस बार आधी सीटें मिलीं. हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से पांच कांग्रेस ने जीतीं. इनमें अंबाला और सिरसा की सीटें भी शामिल हैं. जो दलितों के लिए आरक्षित हैं. सिरसा की सीट 2019 में बीजेपी की सुनीता दुग्गल ने जीती थीं. सुनीता IRS ऑफ़िसर थीं. 2014 में वो नौकरी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं. और 2019 में चुनाव लड़कर संसद पहुंच गई थीं. हालांकि, इस बार बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया… सिरसा में इस बार बीजेपी ने सुनीता दुग्गल की जगह कांग्रेस छोड़कर आए अशोक तंवर को टिकट दिया था. अशोक तंवर, कांग्रेस की कुमारी शैलजा से चुनाव हार गए. आज बीजेपी के नेताओं ने रोहतक में चुनाव के नतीजों का एनालिसिस किया. सबसे बड़ा सवाल यही था कि आख़िर अंबाला और सिरसा की रिज़र्व सीटें. बीजेपी के हाथ से कैसे निकल गईं… रिव्यू मीटिंग में शामिल हरियाणा सरकार के मंत्री विश्वम्भर वाल्मीकि ने माना कि BJP से उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी हुई थी. इस लोकसभा चुनाव में हरियाणा की दस सीटों पर बीजेपी का वोट परसेंट करीब 10 परसेंट तक घट गया है…ये बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं है…क्योंकि चुनाव में सिर्फ चार-पांच महीने का वक्त रह गया है….नौ साल तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले मनोहर लाल खट्टर केंद्र में मंत्री बन चुके हैं…हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को कुर्सी संभाले चार ही महीने हुए हैं…बीजेपी का गठबंधन भी जेजेपी से टूट चुका है…हरियाणा के जाट वोटर का झुकाव भी कांग्रेस की तरफ दिख रहा है…एक साथ इतने मोर्चं पर लड़ना बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती है .
BJP LEADERS ANALYSING LOSSES IN UP, MAHARASHTRA, HARYANA
Top BJP leaders are busy in a brainstorming session for the last 48 years in Lucknow to find out reasons for the poor performance of the party in the Lok Sabha elections. Candidates from different regions are attending meetings with party office-bearers. On Thursday, Awadh region leaders attended the meeting, while on Friday, Kanpur-Bundelkhand region candidates gave their assessments to the party leaders. BJP could win only four out of the ten seats in Kanpur-Bundelkhand region, while in Awadh region, it could win only seven out of 16 seats. UP state chief Bhupendra Chowdhary and other leaders first met those who were in charge of the organisation in their respective seats, and then spoke separately to each of the defeated candidates. R K Singh Patel, the candidate who lost from Banda, told the leaders that the voters reposed trust in a false narrative created by the opposition that the Constitution would be dismantled and reservation would come to an end. He said, even some local BJP leaders openly campaigned for ending reservation, thus stabbing their own candidates in the back. Kaushal Kishore, the Union minister of staet, who lost from Mohanlalganj, said the opposition’s Constitution and reservative narrative remained stuck in the minds of voters, and the BJP leadership failed to explain its stand. He also alleged that some party insiders carried out sabotage. BJP has set up a task force of 80 leaders, with each two-member team preparing report for each of the LS seats that was lost. UP BJP leaders are preparing three type of report: The first report is based on feedback from candidates, second will be the feedback report of the task force team, and the third will be a report based on Mandal level. All these three reports will be combined to prepare a final report which will be sent to the Central leadership. The party has vowed to take action against saboteurs. BJP ally Om Prakash Rajbhar has alleged that local units of BJP did not work to help his party’s candidates, and in some cases, party workers worked to defeat the NDA candidates. Later Rajbhar withdrew his statement saying it was a fake news, and that, he continues to be with NDA and he has full trust in Modi and Yogi. Political pundits have analysed the reasons why BJP lost its seats in UP. Most of them are of the opinion that caste equation was not kept in mind while giving away tickets. Akhilesh Yadav fielded five of his family members in the election, but gave only four tickets to Muslims. Rest of the candidates were given tickets based on caste equations. His strategy worked. The analysis made by defeated BJP candidates is worth examining. Overall, three points have emerged: One, it was the BJP that defeated BJP in Uttar Pradesh. Most of the BJP leaders thought that Modi’s slogan of ‘Ab Ki Baar, 400 Paar’, will cause a wave, and losing one or two seats was irrelevant. These leaders were trying to settle scores with their own party leaders. The result was: BJP’s LS seats from UP declined to 33. Two, one reason for the loss was hyping up the ‘400 Paar’ slogan, and both Rahul and Akhilesh created the narrative that reservation would be abolished, if BJP wins more than 400 seats. BJP failed to counter this fake narrative. Three: Yogi Adityanath had recommended changing of tickets of at least 35 candidates, but his advice was not accepted. BJP gave tickets to 35 candidates who had fought the election thrice or even more. Twenty of them lost the election this time. The biggest setback for BJP in UP was losing the Faizabad (Ayodhya) seat. During internal discussions, party leaders raised the question of how it lost in Ayodhya, where a grand Ram temple was built. The analysis of this is not a secret. Almost all party leaders were against fielding Lallu Singh (who lost) as a candidate in Ayodhya. Caste equations were against the BJP candidate, and moreover, the false narrative about ending reservation. That is how Ayodhya was lost. One can say from the overall analysis that, Ayodhya was a shining example of how not to fight an election. BJP will now face its biggest challenge three years from now in the UP assembly election. The morale of Akhilesh Yadav and his party leaders is now high. It depends on Yogi Adityanath, how to counter the opposition.
MAHARASHTRA
BJP leaders are also unhappy about the Maharashtra LS results. The state party executive met in Mumbai on Friday, which was attended by deputy chief minister Devendra Fadnavis, state chief Chandrashekhar Bawankule, Union minister Piyush Goyal, Raksha Khadse, Vinod Tawre, Sudhir Mungantiwar, Raosaheb Danve, Ashok Chavan and Narayan Rane. Bawankule later said that BJP got the biggest vote share in the state, and in some constituencies the margin was very slim. But the fact remains that the BJP-led Mahayuti won less seats this time. Bawankule said, the party lost because of lies spread by Congress-led Mahavikash Aghadi about changing the Constituion, and snatching away the rights of trivals. This resulted in loss to our party, he said. Now we want to forget the LS elections, and concentrate on state assembly elections to be held later this year, Bawankule said. Mungantiwar, who lost in Chandrapur of Vidarbha region to Congress candidate Pratibha Dhanorkar, said, Congress workers spread lies and the voters forgot the work did by Modi government. This time, BJP lost seats like Jalna, Beed, Bhiwandi. Raosaheb Danve, the former union minister, who contested from Jalna in Marathwada region, lost. BJP leader Kapil Patil, who lost in Bhiwandi, said, Muslim voters trusted the lies peddled out by Mahavikas Aghadi. Only four months are left for assembly elections in Maharashtra, and BJP has to decide whether to contest alone or in alliance with Shiv Sena (Shinde) and NCP. The question of distribution of seats among Mahayuti partners will arise. BJP has already begun survey of 106 assembly seats, where it won last time. Chief Minister Eknath Shinde has already raised question about the slogan “400 Paar”. his party did not join the Union Council of Ministers. Such straws in the wind clearly show that the next two-three months in Maharashtra politics is going to be action-packed. One can see new electoral equations emerging.
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HARYANA
BJP has already started analysing its LS results from Haryana, where it won only five out a total of 10 seats. Haryana will have assembly elections later this year. Among the five seats that Congress won are Ambala and Sirsa, reserved for scheduled castes. Sirsa seat was won in 2014 and 2019 by BJP’s Sunita Duggal, an ex-IRS officer. This time, she was denied a ticket. BJP fielded Ashok Tanwar in her place. Tanwar, who left Congress and joined BJP, lost to Kumari Selja of Congress. In Rohtak, at a review meeting, state minister Vishambhar Valmiki said, there was error in candidate selection. BJP’s vote percentage in 10 seats of Haryan fell by 10 per cent this time. This is not a good sign for the party. Only four to five months are left for the assembly election. Manohar Lal Khattar, who was the chief minister for 9 years, has now joined the Union cabinet. The new CM Nayab Singh Saini has been in power for only four months. BJP’s alliance with JJP is already over. Jat voters on Haryana appear to be bending towards the Congress. It will be a big challenge for BJP to fight on all fronts.
NTA का दावा, NEET का पेपर लीक नहीं हुआ : सच या काल्पनिक ?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और नैशनल टेस्टिंग एजेंसी को नोटिस भेज कर पूछा कि क्या NEET परीक्षा में कथित प्रश्नपत्र लीक या अनियमितताओं की जांच का काम सीबीआई को सौंपा जाय. कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई और बिहार सरकार से भी दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है. इस याचिका के साथ कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई 8 जुलाई को होगी. रुवार को एनटीए ने कोर्ट को बताया था कि 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क देने का निर्णय निरस्त कर दिया गया है और इन छात्रों को दोबारा परीक्षा देने को कहा गया है. लेकिन छात्रों और उनके अभिभावकों का आरोप है कि देश में कई जगह NEET के पेपर लीक हुए थे इसलिए NEET का पूरा का पूरा इम्तहान दोबारा हो, यही एकमात्र हल है. लेकिन NTA इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि NEET के पेपर लीक हुए थे. इंडिया टीवी की टीम ने इस मामले की फिर से तहकीकात की. हमने ये जानने की कोशिश की कि छात्र पेपर लीक का जो इल्जाम लगा रहे हैं, उसकी असलियत क्या है.पटना और गुजरात में इंडिया टीवी के रिपोर्टरों को पेपर लीक होने के पुख्ता सबूत मिले. पेपर लीक होने के आरोप सिर्फ़ मुंहज़बानी नहीं लगे बल्कि पुलिस ने FIR दर्ज की और आरोपियों को गिफ्तार कर जेल भी भेजा है. परीक्षा वाले दिन पटना के शास्त्री नगर थाने की पुलिस को ख़बर मिली की नीट के एग़्ज़ाम सेंटर के बाहर झारखंड के नंबर वाली एक गाड़ी घूम रही है. चेक करने पर उसमें कई छात्रों के एडमिट कार्ड की कॉपी मिली. परीक्षा के बाद इन चार छात्रों से पूछताछ की गई तो पता चला कि उनको एक दिन पहले पटना के एक घर में ले जाकर NEET के प्रश्नपत्र और उनके उत्तर रटाए गए थे और यही पेपर परीक्षा में भी मिला. ये प्रश्नपत्र 20-25 छात्रों को दिया गया था. पेपर आगे लीक न हो इसलिए परीक्षा से एक दिन पहले सारे छात्रों को पटना में एक किराए के मकान में रखा गया था. पेपर रटाने के बाद सबूत मिटाने के लिए उसको जला दिया गया था. नीट परीक्षा के बाद पुलिस ने आयुष कुमार, अनुराग यादव, शिवनंदन कुमार और अभिषेक कुमार नाम के चार छात्रों को गिरफ्तार कर लिया. उनसे पूछताछ के बाद पेपर लीक करने और उसे सॉल्व करने के इल्ज़ाम में 9 और लोगों को गिरफ्तार किया गया. यानी पटना में पेपर लीक के इल्ज़ाम में कुल 13 लोग गिरफ़्तार हुए. हैरानी की बात ये है कि पटना में NEET का पेपर लीक होने का केस 5 मई को ही परीक्षा वाले दिन दर्ज किया गया था. गिरफ़्तार आरोपियों को कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया गया. मामले की जांच बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध ईकाई के हवाले कर दी गई पर NTA अभी भी यही दावा कर रही है कि पेपर लीक नहीं हुआ. वहीं NEET देने वाले छात्र पेपर लीक का आरोप लगाकर दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं. गुजरात के गोधरा का मामला तो और भी हैरान करने वाला है. यहां परीक्षा से एक दिन पहले ही सोशल मीडिया चैनल टेलीग्राम पर नीट का पेपर लीक होने का आरोप लगाया गया. पुलिस के मुताबिक़, गोधरा में एक स्थानीय बीजेपी नेता ने, एक स्कूल के प्रिंसिपल, और वडोदरा में कोचिंग चलाने वाले शख़्स के साथ मिलकर पेपर लीक कराने की साज़िश रची थी. इसमें एक स्कूल टीचर भी शामिल था, जो NEET परीक्षा का को-ऑर्डिनेटर था. नीट पास कराने का लालच देकर देश के अलग अलग राज्यों के छात्रों को गोधरा बुलाया गया. ओडिशा, झारखंड और कर्नाटक तक के छात्र परीक्षा देने गोधरा पहुंचे थे. ये काम वडोदरा में कोचिंग स्कूल चलाने वाले परशुराम रॉय नाम के एक शख़्स ने किया. उसने पेपर लीक करने के बदले में हर छात्र से 10 लाख रुपए वसूले. गोधरा के जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा का सेंटर था. इस स्कूल के प्रिंसिपल पुरुषोत्तम शर्मा और टीचर तुषार भट्ट ने छात्रों से कहा कि उनको जिन सवालों के जवाब नहीं पता हों, उनको खाली छोड़ दें, वो आन्सर शीट एग्ज़ाम के बाद तुषार भट्ट को भरनी थी. लेकिन, इससे पहले ही नीट का पेपर लीक होने की ख़बर गोधरा के जिला शिक्षा अधिकारी को मिल गई. उनकी शिकायत पर पुलिस ने गोधरा के जलाराम स्कूल में छापे मारे. स्कूल के बाहर खड़ी गाड़ी में सात लाख रुपए बरामद हुए. पुलिस ने वडोदरा के कोचिंग संचालक परशुराम रॉय, स्कूल प्रिंसिपल पुरुषोत्तम शर्मा, टीचर तुषार भट्ट के अलावा, स्थानीय बीजेपी लीडर आरिफ़ वोहरा को गिरफ़्तार कर लिया. गोधरा के SP हिमांशु सोलंकी का कहना है कि उन्होंने पेपर लीक होने से पहले ही कार्रवाई की और सारे आरोपी पकड़ लिए. NTA के साथ समस्या ये है कि वो बार बार ये दावा करता रहा कि NEET के exam में सब कुछ ठीक-ठाक हुआ , पेपर लीक तो कतई नहीं हुआ लेकिन हमारी तहकीकात में जो तथ्य सामने आए, वो हैरान करने वाले हैं. जैसे पंचमहल के SP ने इस बात के सबूत दे दिए कि NEET परीक्षा पास कराने वाला गैंग कैसे काम कर रहा था. इसी तरह के पटना में 13 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. पुलिस के पास आरोपियों का कबूलनामा है कि उनके पास पेपर पहले से मौजूद थे. क्या NTA अब भी यही दावा करेगा कि परीक्षा के आयोजन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई? क्या वो अब भी ये कहेगा की पेपर लीक नहीं हुए? कल तक यही NTA ग्रेस मार्क्स को उचित बता रहा था लेकिन आज NTA ने कबूल किया कि ग्रेस मार्क्स देना उसकी गलती थी. क्या NTA इस बात की गारंटी दे सकता है कि उसका exam कंडक्ट कराने का तरीका फूलप्रूफ है? क्या NTA इस बात की गारंटी दे सकता है कि रिजल्ट निकालने का तरीका भी फूलप्रूफ है? हमारी जांच में सामने आया कि NEET का इम्तहान जिस तरह से कंडक्ट किया गया, वो तरीका तो कम से कम फूलप्रूफ तो नहीं है. उसमें गड़बड़ी होने की पूरी पूरी गुंजाइश है. कल हमने 6 टॉपर वाले हरियाणा के झज्झर सेंटर में इस मामले की जांच की थी. आज पटना और गोधरा में भी तहकीकात की और जो सच सामने आए वो चौंकाने वाले हैं. वो NTA के दावों को पूरी तरह निराधार साबित करने वाले हैं. मैं छात्रों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि उनकी इस लड़ाई में मैं उनके साथ हूं. इंडिया टीवी की टीम इस मामले की तहकीकात जारी रखेगी. चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए हमें इंतजार करना चाहिए और सबको सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करना चाहिए, मुझे पूरा यकीन है कि पेपर लीक से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिलेगा.
NTA’S CLAIM THAT NEET PAPER WAS NOT LEAKED: FACT OR FICTION?
The Supreme Court on Friday sought responses from the Centre and National Testing Agency on a petition seeking a CBI probe into allegations of question paper leak and other irregularities in the NEET-UG exam. The vacation bench of Justice Vikram Nath and Justice Sandeep Mehta, while hearing a PIL filed by Hiten Singh Kashyap, said the petition will be taken up with all other pending petitions on July 8, after the summer vacation was over. On Thursday, the NTA had told the apex court that it has cancelled grace marks given to 1,563 candidates, and they have been asked to appear for retest on June 23. However, parents of protesting NEET candidates said, cancelling grace marks of these students will not solve the problem. They alleged that NEET question paper was leaked in several cities, and the entire exam should be conducted afresh. This seems to be the only solution. But NTA officials are unwilling to admit that there has been any instances of question paper leak. India TV reporters in Bihar and Gujarat investigated complaints of paper leak and found them to be concrete. In my prime time TV show AAJ KI BAAT on India TV, we gave details about two such complaints. In both the cases, the local police have already registered FIRs and have arrested some of the accused. The first case is from Patna’s Shastri Nagar. Police got information about a car with Jharkhand number plate moving near an exam centre. On checking the vehicle, copies of admit cards of some candidates were found. The four candidates were questioned after the exam. It was found that all four of them were shown NEET question paper a day before the exam in a house in Patna, and were asked to memorize the answers. The candidates got the same question paper during the exam. The students said, this question paper was given to 20 to 25 students, and in order to keep the matter secret, all the students were kept confined in a rented house in Patna, a day before the exam. After the students memorized the answers, the leaked question paper was burnt in order to remove all evidences. Patna Police arrested four students Ayush Kumar, Anurag Yadav, Shivnandan Kumar and Abhishek Kumar, and on the basis of interrogation, nine others involved in the paper leak were arrested. In all, 13 persons were arrested in Patna alone on charge of NEET paper leak. The surprising part is that, the case of paper leak was registered on May 5 itself, the day NEET exam was conducted. All the accused were produced in court and sent to jail, and the matter was handed over for investigation to Economic Offences Unit of Bihar Police. And yet, NTA officials claim that the question paper was not leaked. The incident in Godhra, Gujarat, is astonishing. A day before the NEET exam, it was alleged that the question paper has been leaked on Telegram channel. According to police, a local BJP leader in Godhra hatched a conspiracy in connivance with a school principal and a coaching school owner from Vadodara. They took help from a school teacher who was acting as exam coordinator for NEET. Candidates from Odisha, Jharkhand and Karnataka were called to Godhra by the Vadodara coaching school owner. Rs 10 lakh was collected from each candidate for leaking the question paper. At the Jalaram School in Godhra, where the NEET exam was conducted, the school principal Purushottam Sharma and a teacher Tushar Bhatt asked the candidates to leave those questions blank, for which they had no correct answers. Tushar Bhatt was supposed to fill up the answer sheets after the exam, but meanwhile, news leaked out about the question paper leak. The District Education Officer of Godhra called in the police, who recovered Rs 7 lakh cash from a car parked outside the school. Police have arrested the Vadodara coaching school owner Parshuram Rai, the Godhra school principal, teacher and the local BJP leader Arif Vohra. Godhra SP Himanshu Solanki said, police took action before the paper was leaked and all the accused were rounded up. Looking at both these cases, I find it surprising how NTA has been claiming that the NEET exam was conducted in a foolproof manner. India TV investigations tell a different story from two different cities. The Panchmahals SP has given proof of how a gang was working to leak the question paper. Thirteen people were arrested in Patna and sent to jai. Police have their confessional statements. Can NTA still claim that there was no bungling? The same NTA, till Wednesday, was justifying granting of grace marks, but a day later it admitted that granting of grace marks was a mistake. Can NTA give guarantee that its mode of conducting exam was foolproof? Can NTA give guarantee that the manner of declaring results was foolproof? Our investigations clearly show that the conduct of NEET-UG exam by NTA was not foolproof. There was full scope of bungling. Yesterday, I had mentioned how 67 candidates, in one go, obtained 100 per cent marks. All these exposes nail NTA’s claims. I would like to assure all students that India TV will be with them in their fight for justice. India TV shall continue to investigate the matter further. Since the matter is now before the Supreme Court, we should wait for its final verdict. We should repose our trust in the Supreme Court. I am confident that the students would get justice from the apex court.
NEET इम्तहान : गड़बड़झाला या घपला?
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि NEET-UG परीक्षा में जिन 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क देने का फैसला हुआ था, उसे निरस्त कर दिया गया है, इन सभी छात्रों को 23 जून को दोबारा इम्तहान में बैठना पड़ेगा, जिसका नतीजा 30 जून को जारी कर दिया जाएगा. नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के वकील ने सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि जो छात्र दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते, उन्हें बगैर ग्रेस मार्क के स्कोर कार्ड दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अन्य छात्रों के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी. कोर्ट ने आदेश दिया कि सारी याचिकाओं पर एक साथ 8 जुलाई को सुनवाई होगी. इन याचिकाओं में पेपर लीक और कई अन्य अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं. NEET-UG परीक्षा इस साल 5 मई को देश भर में 4,750 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई थी, जिसमें करीब 24 लाख छात्रों ने इम्तहान दिया था. परीक्षा के नतीजों का ऐलान 4 जून को किया गया, लेकिन जब ये पता चला कि 67 छात्रों को शत प्रतिशत 720 अंक मिले हैं, तो देश भर में प्रदर्शन हुए. छात्रों और अभिभावकों का आरोप था कि परीक्षा में हेराफेरी हुई है. हरियाणा में फरीदाबाद के एक ही केंद्र में 6 छात्रों को शत प्रतिशत अंक मिले. इसपर एनटीए के महानिदेशक ने कहा कि चूंकि कुछ केंद्र पर प्रश्नपत्रों को बांटने में देरी हुई, इसलिए उन छात्रों को समय की कमी के कारण ग्रेस मार्क दिए गए. एनटीए का यह स्पष्टीकरण लोगों के गले नहीं उतरा. अब लाखों छात्रों का भविष्य़ अधर में लटका हुआ है. इन छात्रों ने डॉक्टर बनने का सपना संजोया था. वही छात्र आज सड़कों पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. जो छात्र डॉक्टर बनने के लिए कई सालों से मेहनत कर रहे थे, अब कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं. याचिका पर याचिका दायर कर रहे हैं. NEET परीक्षा में जिस तरह की गड़बड़ियां हुईं, उसने छात्रों और उनके अभिभावकों को परेशान कर दिया. जहां पिछले चार साल में NEET में शत प्रतिशत अंक लाने वाले मुश्किल से छह-सात छात्र हुआ करते थे, इस साल ऐसे छात्रों की संख्या अचानक 67 हो गई. ये कैसे हुआ, ये एक रहस्य है. लोग पूछ रहे हैं कि इन 67 टॉपर्स में भी 6 टॉपर हरियाणा के एक ही सेंटर से कैसे हो गए. एक ही सीरीज़ के रोल नंबर वाले टॉपर 6 -6 कैसे हो गए. क्या NEET परीक्षा कराने वाली एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने परीक्षा आयोजित करने में गड़बड़ी की? या रिजल्ट देते वक्त कुछ सेंटर्स के छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने से इतनी बड़ी समस्या पैदा हुई? सवाल ये भी है कि ग्रेस मार्क्स देने की नौबत क्यों आई, जब NEET में पहले कभी ग्रेस मार्क्स नहीं दिए गए? इस साल ऐसा क्या हो गया और ग्रेस मार्क्स दिए भी गए तो कितने मार्क्स दिए गए, किस आधार पर दिए गए? इंडिया टीवी पर बुधवार रात को ‘आज की बात’ शो में मैने इन कारणों पर विस्तार से बताया. एलेन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर बृजेश माहेश्वरी ने कहा कि जब से NTA ने NEET कराना शुरू किया है तब से ही हर परीक्षा में कुछ न कुछ गड़बड़ी हो रही है. बृजेश माहेश्वरी ने कहा कि 2020 से 2023 तक केवल 7 बच्चों को NEET एग्ज़ाम में 100 परसेंट मार्क्स मिले हैं पर इस बार, एक ही सेंटर से इतने स्टूडेंट को नंबर वन रैंक मिलना बहुत हैरान करने वाला है. इस बार के सबसे ज़्यादा चर्चा हरियाणा के झज्जर ज़िले की हो रही है. झज्जर के हरदयाल पब्लिक स्कूल में परीक्षा देने वाले 6 छात्र टॉप रैंक में आए हैं. यानी कुल 67 टॉपर्स में से दस परसेंट. यानी छह ने एक ही सेंटर में बैठकर इम्तिहान दिया, शत प्रतिशत अंक ले आए, 720 में से पूरे 720 अंक हासिल किए और रैंकिंग में टॉप कर गए. झज्जर के इसी सेंटर के दो छात्रों को 718 और 719 नंबर मिले और उनकी सेकेंड टॉप रैंक आई. ऑल इंडिया रैंकिंग में झज्जर के इस सेंटर के छात्र 61 से 69 नंबर पर हैं. आरोप लगे कि इन सारे छात्रों ने एक साथ बैठकर परीक्षा दी और सबको पूरे मार्क्स दे दिए गए. जिनके कम स्कोर थे, उनको ग्रेस मार्क दे दिए गए. इस रैंकिंग को देखकर तो झज्जर के हरदयाल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल भी हैरान हैं. प्रिंसिपल अंजू यादव ने कहा जिन छात्रों की ऑल इंडिया टॉप रैंकिंग आई है, उन सबने अलग अलग कमरों में बैठकर परीक्षा दी थी, फिर भी सबको एक जैसे अंक कैसे मिल गए, ये उनकी समझ से परे है. जब सवाल उठे तो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सफ़ाई दी कि झज्जर के हरदयाल पब्लिक स्कूल और कुछ दूसरे सेंटर्स पर पेपर बांटने में गड़बड़ी और दूसरे कारणों से छात्रों को कम समय मिला था. इसलिए 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क दिए गए हैं. इसी वजह से रैंकिंग में दो तीन गुना उछाल आया. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के डायरेक्टर जनरल सुबोध सिंह ने कहा कि ग्रेस मार्क का एक फॉर्मूला NTA ने तय किया है, जिसमें अगर किसी छात्र का समय नष्ट होता है तो उसको ग्रेस मार्क दिए जाते हैं. लेकिन हरदयाल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ने एक बड़ी बात बताई. उन्होंने कहा कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र को लेकर बहुत कंफ्यूज़न था. पहले कहा गया था कि उनको एक ही बैंक से जाकर पेपर कलेक्ट करने हैं. फिर एग्ज़ाम को-ऑर्डिनेटर ने दो बैंकों से पेपर लेने को कहा. पहले छात्रों को question पेपर के दो सेट बांट दिए गए. फिर NTA से बात करने के बाद एक सेट टेबल से उठा लिया गया और दूसरा सेट छात्रों को सॉल्व करने के लिए छोड़ा गया. यही नहीं हरदयाल पब्लिक स्कूल के सेंटर पर छात्रों ने जिस पेपर पर परीक्षा दी, वो पूरे देश में NEET परीक्षा से अलग प्रश्नपत्र था. अंजू यादव ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत भी NTA से उसी दिन कर दी थी. इसका मेल भी उन्होंने इंडिया टीवी को दिखाया. दिलचस्प बात ये है कि NTA अपने प्रश्नपत्र की answer key जारी करता है, लेकिन, झज्जर के सेंटर में जिस प्रश्नपत्र पर परीक्षा हुई, उसकी answer key भी NTA ने नहीं रिलीज़ की. ये बड़ा सवाल है कि झज्जर के इस स्कूल में NEET का अलग पेपर कैसे पहुंचा? और क्या इसी वजह से इस सेंटर के 6 छात्रों को शत प्रतिशत अंक मिल गए. ऐसे कुप्रबंध की शिकायतें हमें कई परीक्षा केंद्रों से मिलीं. राजस्थान के सवाई माधोपुर में 5 मई को मानटाउन में एक स्कूल में NEET परीक्षा हो रही थी. जब छात्रों को पेपर बांटे गए, तो हिंदी वालों को अंग्रेज़ी के, और इंग्लिश मीडियम वालों को हिंदी के पेपर दे दिए गए. कुछ पेपर के साथ आंसरशीट भी अटैच थी. छात्रों ने हंगामा किया तो सेंटर के मैनेजमेंट ने कहा कि इसी पेपर से परीक्षा देनी होगी. लेकिन छात्र नहीं माने, वे स्कूल से बाहर आ गए, पुलिस ने लाठीचार्ज किया पर बाद में NTA ने शाम को फिर से परीक्षा कराई. NEET परीक्षा जितनी महत्वपूर्ण है, उसके नतीजे उतने ही रहस्यपूर्ण हैं. एक सेंटर में 8-8 टॉपर, एक सेंटर में 6 छात्रों को शत प्रतिशत अंक, एक सेंटर पर ग्रेस मार्क्स दिए गए, एक सेंटर पर प्रश्नपत्र के दो-दो सेट बांटे गए, ये परीक्षा है या मज़ाक़? इसका मतलब साफ है, कि NEET की परीक्षा प्रणाली मजबूत नहीं है. इसपर लोगों को भरोसा नहीं रहा. परीक्षा कराने वाली NTA के जवाब और भी हैरान करने वाले हैं. NTA का कहना है कि जांच के लिए कमेटी बना दी गई है, ग्रेस मार्क्स भी नियम के मुताबिक दिए गए हैं, ये कहना और भी बड़ा मजाक है. सोचिए इतनी बड़ी परीक्षा जहां 23-34 लाख छात्र होते हैं, वहां इस तरह का ad hoc रवैया. ये आपराधिक लापरवाही से कम नहीं है. जो छात्र दो-तीन साल से दिन रात एक करके मेहनत कर रहे हों, जिन छात्रों के घरवालों ने पाई-पाई जोड़कर महंगी किताबों और कोचिंग की फीस का इंतजाम किया हो, जो परीक्षा सिर्फ छात्रों की नहीं, अभिभावकों की परीक्षा बन गई हो, वहां जब भरोसा टूटता है, वहां जब दाल में काला दिखाई देता है, तो लोगों की भावनाएं आहत होती हैं, गुस्सा आता है, लोग प्रोटेस्ट करते हैं, जो बिलकुल जायज़ है. उम्मीद ये कर सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की गहराई से सुनवाई करेगा, कोई रास्ता निकलेगा.
NEET FIASCO : BUNGLING OR SCAM ?
The Centre on Thursday told the Supreme Court that the decision to give grace marks to 1,563 NEET-UG candidates has been cancelled and they would be given an option to take a re-test on June 23. A vacation bench of Justice Vikram Nath and Justice Sandeep Mehta was told by the counsel for National Testing Agency (NTA) that if those among the 1,563 candidates, who do not wish to appear for re-test, will be given their score cards without grace marks. The results of the re-test will be declared on June 30 and counselling for admission to MBBS, BDS and other courses will begin from July 6. Meanwhile the apex court said, counselling process for other candidates will not be stayed. Taking note of the NTA counsel’s submissions, the vacation bench said, all pleas, including the petition filed by the CEO of an EdTech firm PhysicsWallah over the issue of awarding grace marks, will be taken up for hearing on July 8. Some of the petitioners have sought cancellation of this year’s NEET-UG rankings, alleging question paper leaks and other malpractices. The NEET-UG exam was conducted by NTA on May 5 at 4,750 centres across India and nearly 24 lakh candidates appeared. The results were announced on June 4 in which as many as 67 students scored a perfect 720 marks (100 per cent), unprecedented in NTA’s history. These included six from a single centre in Faridabad, Haryana, raising suspicions about irregularities. There were protests by students in Delhi, UP and Tamil Nadu over the results, and it was alleged that grace marks contributed to 67 students sharing the top rank. The Congress party on Thursday demanded a CBI probe into the conduct of the examination. Cases were filed in seven high courts as well as in the Supreme Court. The question still remains, was there any unethical practice by NEET during conduct of exam? In my ‘Aaj Ki Baat’ show on Wednesday night on India TV, I tried to examine in detail the allegations made by the students. Brajesh Maheshwari, director, Allen Institute, alleged that cases of irregularities have begun since the time NTA begun handling NEET exam. He said, between 2020 and 2023, only 7 candidates scored 100 percent marks in NEET, but this time, it is surprising how candidates from a single centre scored 100 percent marks. Six students who sat at the exam centre in Hardayal Public School in Jhajjhar, Haryana, scored 100 per cent marks, that is 720 out of 720. NTA director general Subodh Kumar Singh explained that candidates at this centre and some other centres got less time to solve the paper due to problems in distribution of question sheets. This was one of the reasons why 1,563 candidates were given grace marks, he said. But the principal of Hardayal Public School Anju Yadav told India TV reporter that there was utter confusion over distribution of question papers. The exam coordinator was asked to collect question paper sets from a single bank, but he was later asked to collect from two banks. Candidates were first given two sets of question papers, and later, on direction from NTA, one set of paper was taken away, and candidates were asked to solve the second set. Not only this, the question paper given at this centre was completely different from the paper distributed at other exam centres. The school principal mailed her complaint to NTA on the same day. The interesting point is that, NTA did not release the answer key for the question paper distributed in her school. Was this irregularity the reason for six candidates scoring 100 per cent marks from that centre? In Sawai Madhopur, Rajasthan, candidates appearing for English medium exam were given Hindi question set, and those appearing for Hindi medium exam were given English question set. Some question papers had answer sheet attached with them. There was commotion and angry students came out of the exam hall. Police had to resort to lathicharge. NTA had to conduct a fresh test the same evening. Such instances have led to many of the students losing their trust in the transparency and efficacy of those conducting the NEET-UG exam. Both NTA and Education Minister Dharmendra Pradhan have ruled out any possibility of a question paper leak. They said, candidates were given grace marks due to loss of time. Since the entire matter is now before the apex court, one will have to wait for a final verdict. There is no doubt that the rankings are mysterious, with eight toppers emerging from a single centre, and six students at a single centre getting 100 per cent marks. In one centre, two sets of question papers were given to each student. Is this an examination or a joke? It shows that the NEET-UG examination sytem is not foolproof. Candidates and their parents have begun losing trust in those who conducted the exam. NTA chief’s explanations are surprising. Though NTA says it has set up a probe committee and that grace marks have been given as per rules, this is rubbing salt into the wounds of candidates. How can one adopt an ad hoc approach to an exam where 23 to 24 lakh students appear on a single day? This is nothing short of criminal negligence. Students who burnt the midnight oil and studied for two to three years at a stretch in order to get admission to a good medical college have found their dreams shattered. Their parents who spent their hard-earned savings for buying costly books and paying exorbitant coaching fees, have lost trust. In Hindi, there is a proverb, Daal Me Kuch Kaala Hai (There is something fishy). When people’s feelings are hurt, anger erupts, people come to the streets to protest. This, of course, is justified. Let us hope that the Supreme Court finds a reasonable way out.
बीजेपी के सबसे मजबूत सहयोगी दल के नेता चंद्रबाबू बने सीएम
तेलुगु देशम पार्टी के चीफ चंद्रबाबू नायडू ने आज विजयवाड़ा के पास केसरपल्ली आईटी पार्क में कई हजार लोगों की उपस्थिति में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शपथ समारोह में बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडु से गले मिल कर उन्हें बधाई दी. समारोह में दक्षिण में लोकप्रिय अभिनेता रजनीकांत, अल्लू अर्जुन, राम चरण, जूनियर एनटीआर, चिरंजीतीवी और मोहन बाबू, भारत पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, कई केंद्रीय मंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडु उपस्थित थे. रायपाल एस.अब्दुल नज़ीर ने नायडु को पद और गोपनीयता का शपथ दिलाई. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आना था, लेकिन वह किसी कारणवश नहीं आ सके. चंद्रबाबू नायडू चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं. इससे पहले वह दो बार अविभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम थे, और एक बार विभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम बने थे. नायडु के अलावा TDP, जनसेना और बीजेपी के 24 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने नायडु के फौरन बाद शपथ ली. इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि आंध्र प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी, जो कि चंद्रबाबू नायडू की रिश्तेदार हैं, को लोकसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है, परन्तु अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. चुनावों से पहले आंध्र प्रदेश में बीजेपी के सामने दो विकल्प थे – बीजेपी या तो चंद्रबाबू नायडू के साथ जाए या जगन मोहन रेड्डी के साथ मिलकर चुनाव लड़े. बीजेपी के अंदर कई नेता चाहते हैं थे कि बीजेपी को जगन मोहन के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहिए लेकिन प्रधानमंत्री का अपना आकलन था कि आंध्र में इस बार चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए. उसके बाद आंध्र प्रदेश में NDA के गठन में पवन कल्याण ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो नतीजा निकला वो सबके सामने है. आज आंध्र के अलावा टीडीपी केंद्र सरकार में भी बीजेपी का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी दल है. उसके पास लोकसभा में 16 सांसद हैं.
ओडिशा में पहली बीजेपी सरकार
ओडिशा में पहली बार बीजेपी की सरकार बनेगी और उसके मुख्यमंत्री होंगे, आदिवासी नेता मोहन चरण माझी. मुख्यमंत्री के अलावा दो उपमुख्यमंत्री – प्रभाती परिडा और कनकवर्धन सिंहदेव भी बुधवार को अन्य मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे. भुवनेश्वर के जनता मैदान में होने वाले इस शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और 9 राज्यों के मुख्य़मंत्री उपस्थित रहेंगे. मोहन चरण माझी को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया. 52 साल के मोहन माझी एक गरीब परिवार में जन्मे, उनके पिता चौकीदार थे, मोहन माझी ने सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरु किया, बाद में वह सरपंच बने और अब तक चार बार विधायक बन चुके हैं. मोहन माझी पिछली विधानसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक रह चुके हैं. इस बार चुनाव में मोहन माझी ने क्योंझर सीट पर बीजू जनता दल की मीना मांझी को सत्तासी हजार वोट के मार्जिन से हराकर चुनाव जीता था. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 147 सदस्यों वाली विधानसभा में 78 सीटें मिली हैं, वहीं, पिछले 24 साल से सरकार चला रहे बीजू जनता दल को 51 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. 24 साल के बाद ओडिशा में सरकार बदली है. पांच बार मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. उनके चुनाव हारने की वजह उनके निजी सचिव रह चुके वी.के. पंडियन का पार्टी में दखलअंदाजी को बताया जा रहा है. आरोप है कि चुनावों के पहले BJD के नेता पंडियन की वजह से न तो नवीन पटनायक से मिल पाते थे, ना बात कर पाते थे. कैंपेन में भी नवीन बाबू के साथ सिर्फ पंडियन ही दिखाई देते थे. पंडियन को नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा. बीजेपी ने इसे ओड़िया अस्मिता के मुद्दे से जोड़ दिया और ये कैंपेन किया कि उड़ीसा को कोई तमिल बाबू नहीं चलाएगा और बीजेपी का ये कैंपेन गेमचेंजर साबित हुआ.
BJP’S STRONGEST ALLY CHANDRABABU TAKES OVER AS CM
Prime Minister Narendra Modi greeted the new Andhra Pradesh chief minister N. Chandrababu Naidu with a warm hug on Wednesday, after the latter was sworn in as Chief Minister at a huge gathering in Medha IT Park in Kesarapalle near Vijayawada. Watched by South matinee idols Rajinikanth, Chiranjeevi, Ram Charan, Allu Arjun, NTR Junior and Mohan Babu, former Chief Justice of India N. V. Ramanna, Home Minister Amit Shah, BJP president J P Nadda and former Vice President M. Venkaiah Naidu, the new AP CM was administered oath by Governor S. Abdul Nazeer. This is the fourth time Naidu has become Chief Minister, twice in undivided Andhra Pradesh and once in residual Andhra Pradesh. Jana Sena Party chief Pawan Kalyan was the next to oath as minister. In all, 24 MLAs from Telugu Desam Party, Jana Sena Party and BJP took oath as ministers. The three parties had jointly fought the assembly and Lok Sabha elections as part of NDA, and swept to power after almost decimating the ruling YSR Congress. Bihar chief minister Nitish Kumar was supposed to attend the ceremony, but he was not present. Speculations are rife about state BJP president D. Purandeshwari, who happens to be Naidu’s relative, being offered the post of Lok Sabha Speaker, but it is yet to be confirmed. Before the Andhra assembly and Lok Sabha elections, there were two options before BJP: either to join hands with Chandrababu Naidu or align with the incumbent CM Y S Jaganmohan Reddy. Several BJP leaders wanted the party to ally with YSR Congress, but Prime Minister Modi’s own assessment was that BJP should ally with Telugu Desam party. Jana Sena Party chief actor Pawan Kalyan played a leading role in forging NDA in Andhra Pradesh. He was described by Modi at the NDA meeting as “Pawan Nahin, Aandhi Hai” (he is not the wind, by a storm). The results are there for all to see. TDP won 16 seats, and is the major ally of NDA government at the Centre.
ODISHA GETS FIRST BJP CM
Odisha will get its first BJP government on Wednesday with Mohan Charan Majhi, a tribal leader, to be sworn in as Chief Minister in Bhubaneswar. Prime Minister Narendra Modi and other senior BJP leaders will be attending the oath-taking ceremony. Two deputy chief ministers, Pravati Parida and Kanak Vardhan Singhdeo will also take oath. Their names were announced on Tuesday at the meeting of BJP legislative party by Defence Minister Rajnath Singh. Mohan Majhi was elected from Keonjhar by a huge margin of 87,000 votes. His father worked as a watchman, while Majhi began his career as a school teacher in Saraswati Sishu Mandir. He later became a sarpanch and was elected MLA four times. Odisha is witnessing a new government after a gap of 24 years of Naveen Patnaik’s uninterrupted rule. Patnaik’s Biju Janata Dal lost the assembly and Lok Sabha elections this time because of the chief minister’s former private secretary V K Pandian. Pandian, a bureaucrat, was handling both the party and state bureaucracy. BJD leaders could not meet Naveen Patnaik directly because of Pandian, who originally hailed from Tamil Nadu and worked in Odisha as a bureaucrat. During the election campaign, Naveen Babu, due to poor health, could not campaign hard, and it was Pandian who was addressing election meetings. At one stage, Pandian was seen as a successor of Naveen Patnaik. BJP made “Odia Asmita” (pride) an issue, and campaigned among voters that Odisha was being run by a Tamil bureaucrat. This ultimately became the gamechanger for BJP in Odisha election. BJP won 20 out of 21 Lok Sabha seats, and secured majority in the 147-member assembly.
मोदी का नया कैबिनेट : निरन्तरता और ज़िम्मेदारी
नए मंत्रिमंडल की शपथ के 24 घंटे के अंदर नरेन्द्र मोदी ने अपने 71 मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारियां सौंप दी है. उनके विभाग आवंटित कर दिए गए. खास बात ये है कि नरेन्द्र मोदी ने अपने ज्यादातर कैबिनेट मंत्रियों के विभागों में कोई फेरबदल नहीं किया है. मोदी 3.0 में भी अमित शाह गृह मंत्री औऱ राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री बने रहेंगे. अमित शाह के साथ नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार को गृह राज्य मंत्री बनाया गया है. राजनाथ सिंह के साथ संजय सेठ को रक्षा राज्य मंत्री बनाया गया है. निर्मला सीतारमण भी पहले की तरह वित्त मंत्री बनीं रहेंगी. उनके साथ पंकज चौधरी को वित्त राज्य मंत्री और हर्ष मल्होत्रा को कॉरपोरेट मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया है. विदेश मंत्रालय का जिम्मा भी एस. जयशंकर के पास बना रहेगा. उनके साथ कीर्तिवर्धन सिंह औऱ पवित्र मार्गरेटा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया है. नितिन गडकरी ने पिछले दस साल में सड़कों को लेकर बहुत काम किया है. इसलिए उन्हें इस बार भी परिवहन मंत्री बनाया गया है. उनके साथ अजय टम्टा और हर्ष मल्होत्रा को राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. 51 वंदे भारत ट्रेनों की झड़ी लगाने वाले अश्विनी वैष्णव भी रेल मंत्री बने रहेंगे. इसके साथ साथ उनको सूचना और प्रसारण मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई है. ये विभाग पिछली सरकार में अनुराग ठाकुर के पास था. रेल मंत्रालय में अश्विनी वैष्णव के साथ वी सोमन्ना औऱ रवनीत सिंह बिट्टू राज्य मंत्री होंगे, जबकि एल. मुरुगन सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री होंगे. धर्मेन्द्र प्रधान भी शिक्षा मंत्री बने रहेंगे. उनके साथ सुकांत मजूमदार को शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. हरदीप सिंह पुरी पेट्रोलियम मंत्री बने रहेंगे. उनके साथ, केरल से बीजेपी के पहले सांसद सुरेश गोपी को पेट्रोलियम राज्यमंत्री बनाया गया है. पीयूष गोयल वाणिज्य मंत्री बने रहेगे. उनके साथ जितिन प्रसाद राज्य मंत्री होंगे. अर्जुन राम मेघवाल भी कानून मंत्री बने रहेंगे लेकिन नई सरकार में एक बड़ा जिम्मा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिला है. शिवराज सिंह चौहान को कृषि और किसान कल्याण मंत्री बनाया गया है. शिवराज सिंह के पास एक और मंत्रालय, ग्रामीण विकास, का भी जिम्मा होगा. कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर रामनाथ ठाकुर काम करेंगे. ग्रामीण विकास मंत्रालय में चौहान के साथ टीडीपी के चंद्रशेखर पेम्मासानी और कमलेश पासवान राज्यमंत्री होंगे. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री मनाया गया है. शहरी विकास मंत्रालय में खट्टर के साथ तोखन साहू राज्य मंत्री होंगे जबकि श्रीपद यशो नायक ऊर्जा राज्य मंत्री होंगे. बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है. नड्डा के साथ अनुप्रिया पटेल राज्यमंत्री होंगी. गजेन्द्र शेखावत का भी मंत्रालय बदलकर उन्हें संस्कृति मंत्री बनाया गया है और जलशक्ति मंत्री का काम सी. आर. पाटिल को दिया गया है. जलशक्ति विभाग में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी राजभूषण चौधरी और वी सोमन्ना के पास होगी. ज्योतिरादित्य सिंधिया को संचार मंत्री बनाया गया है. मनसुख मांडविया को श्रम मंत्री बनाया गया है. साथ ही वो खेल मंत्रालय भी संभालेंगे. रक्षा खडसे खेल राज्य मंत्री होंगी. चिराग पासवान को फूड प्रोसेसिंग की जिम्मेदारी दी गई है. किरन रिजिजू को संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मंत्रालय दिए गए हैं. केरल से आए मोदी सरकार के ईसाई मंत्री जॉर्ज कुरियन अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्य मंत्री होंगे. तेलगु देशम पार्टी के युवा सांसद राम मोहन नायडू नए नागर विमानन मंत्री होंगे. उनके साथ महाराष्ट्र के सांसद मुरलीधर मोहोल राज्य मंत्री होंगे. गिरिराज सिंह को कपड़ा मंत्रालय दिया गया है. अन्नपूर्णा देवी को महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया है. उनके साथ सावित्री ठाकुर राज्यमंत्री होंगी. जयंत चौधरी को कौशल विकास मंत्रालय का स्वतंत्र भार दिया गया है. जेडीयू के ललन सिंह पंचायती राज मंत्री होंगे. एच. डी. कुमार स्वामी भारी उद्योग और इस्तापत मंत्रालय संभालेंगे. जीतन राम मांझी को MSME का विभाग मिला है. पिछली सरकार में संसदीय कार्य मंत्री रहे प्रह्लाद जोशी को इस बार खाद्य और अपभोक्ता मामलों वाले मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई है. जी. किशन रेड्डी कोयला और खनन मंत्री बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल की सबसे बड़ी बात ये है कि ये लगभग पुराने मंत्रिमंडल जैसा ही है.रक्षा, गृह, वित्त, परिवहन, विदेश, वाणिज्य, शिक्षा, जहाजरानी, रेलवे, पर्वरण और पेट्रोलियम, ये सारे वो मंत्रालय हैं जिसमें जो मंत्री थे वही तीसरी बार में भी मंत्री बने हैं. इस मंत्रिमंडल की दूसरी खास बात ये है कि बीजेपी के जितने भारी भरकम नेताओं को नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में लिया उन्हें जिम्मेदारियां भी भारी भरकम दी गई हैं. जे पी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर को नई सरकार में बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं. शिवराज सिंह चौहान की दिलचस्पी हमेशा कृषि में रही है.मध्य प्रदेश को वो कृषि के क्षेत्र में काफी आगे ले गए थे. कृषि के साथ साथ उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय का भी भार सौंपा गया है. ये काफी बड़ी जिम्मेदारी है. इसी तरह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को आवास और शहरी मामलों के साथ साथ बिजली मंत्रालय दिया जाना भी उन पर नरेंद्र मोदी के भरोसे का संकेत है. नड्डा ने पार्टी अध्यक्ष के तौर पर बेहतरीन काम किया. वो स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, तो उन्हें उनकी पसंद के स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा रसायन और उर्वरक का भार भी दिया गया है. मोदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को संचार मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है. इसी तरह से थोड़े दिन पहले कांग्रेस छोड़कर रवनीत बिट्टू को चुनाव हारने के बावजूद रेल राज्यमंत्री का चार्ज दिया गया है. ये संकेत है, उन सब लोगों को जो कांग्रेस छोड़कर मोदी के साथ काम करने के लिए आए थे. चिराग पासवान को सबसे ज्यादा संतोष होगा इस बात से, कि वो कुछ वैसा ही मंत्रालय संभालेंगे, जैसा एक ज़माने में उनके स्वर्गीय पिता राम विलास पासवान संभालते थे. फूड प्रोसेसिंग नए जमाने का मंत्रालय है. उनके पिता के पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय था. इसीलिए चिराग पासवान के लिए यहां काम करने का बड़ा मौका होगा. इसी तरह से तेलगु देशम पार्टी को जो नागर विमानन मंत्रालय दिया गया है, वो पहले भी उनके पास था. बाकी अलायंस पार्टनर्स पर नजर डालें, तो पिछली बार JD-U के RCP सिंह के पास भारी उद्योग मंत्रालय था, इस बार दूसरे अलायंस पार्टनर JD-S के एच डी कुमारस्वामी के पास ही ये मंत्रालय गया है. अपना दल की अनुप्रिया पटेल को इस बार भी वही मंत्रालय मिला, जो पिछली बार उनके पास था. जब जब गठबंधन की सरकार बनती है तो अटकलों का बाजार गर्म रहता है, जिन्हें खबरें कहकर फैलाया जाता है. कुछ बातें ऑन रिकॉर्ड और ज्यादातर बातें ऑफ रिकॉर्ड होती हैं. रिपोर्टर्स के लिए भी समझना मुश्किल हो जाता है कि जो ऑन रिकॉर्ड कहा जा रहा है वो सही है, या जो बात कान में फूंकी जा रही है, वो सही है. इसमें अब एक खेल और भी जुड़ गया है. सरकार का विरोध करने वाले पहले दिन से ही दरार पैदा करने के काम में लगे हुए हैं. किसी ने चंद्रबाबू नायडू को मीडिया के जरिए सलाह दी कि स्पीकर का पद मांग लेना. इससे चाबी हाथ में रहेगी. अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है. फिर खबर उड़ी कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सिर्फ एक मंत्रालय मिलने से खफा हैं. उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को बयान जारी करना पड़ा कि कोई नाराजगी नहीं है, हमने पीएम मोदी को बिना शर्त समर्थन दिया है. इसी तरह केरल के अभिनेता सांसद सुरेश गोपी के बारे में खबर उड़ी कि वो मंत्रालय नहीं संभालना चाहते. उन्हें भी बयान जारी करना पड़ा कि ये बात गलत है. मुझे लगता है कि इस तरह की खबरों का दौर चलता रहेगा क्योंकि चुनाव के दौरान भी बहुत सारी बे-सिर-पैर की बातें इतनी ज्यादा प्रचारित हुईं कि लोग उनपर यकीन करने लगे थे. इसीलिए अब खबरें उड़ाने वालों को भी इसमें मजा आने लगा है. ये सू कुछ पटरी में आने में अभी काफी वक्त लगेगा. मोदी ने सोमवार को अपने पीएमओ के अधिकारियों को संबोधित किया, शाम को मंत्रियों की बैठक ली. मोदी का संदेश स्पष्ट है, वो न सरकार चलाने का तरीका बदलेंगे, न तेवर. जो लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि मोदी को गठबंधन की सरकार चलाने का अनुभव नहीं है, ये वैसी ही बात है, जब उनके पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर कहा गया था कि उन्हें विदेश नीति का कोई अनुभव नहीं है. मोदी ने विदेशों में भारत की छवि कैसे चमकाई, ये सबने देखा. आज उनके एक साथी ने कहा कि अगर वो डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन जैसे लोगों से दोस्ती कर सकते हैं, उनके साथ personal equation बना सकते हैं, तो फिर यहां अलायंस वाली पार्टियों के नेताओं के साथ व्यक्तिगत संपर्क बनाना कौन सा मुश्किल काम है? अगर वो अमेरिका और रूस के बीच बैलेंस बना सकते हैं, दोनों से अपनी बात मनवा सकते हैं, तो फिर सरकार में शामिल दलों के साथ भी बैलैंस बनाना कौन सा मुश्किल काम है? आने वाले दिनों में ये बैलेंस, ये समन्वय हर रोज़ दिखाई देगा.
MODI’S NEW CABINET : CONTINUITY AND RESPONSIBILITY
Within 24 hours of taking oath, Prime Minister Narendra Modi assigned portfolios to his 71 ministers, and most of them have already started taking charge of their ministries. Modi has opted for continuity. He has not made any big changes in the portfolios of most of his senior cabinet ministers. Amit Shah will continue to be Home Minister and Rajnath Singh will continue to be Defence Minister in Modi 3.0. Nityanand Rai and Bandi Sanjay Kumar have been made ministers of state for Home, while Sanjay Seth will work as MoS in Defence. Nirmala Sitharaman will continue with her Finance and Corporate Affairs portfolio, with Pankaj Choudhary as MoS in Finance and Harsh Malhotra as MoS in Corporate Affairs. S. Jaishankar will continue to handle External Affairs, with Kirtivardhan Singh and Pabitra Margherita as MoS. Nitin Gadkari, who has done monumental work in the last 10 years in building highways, will continue as Road Transport and Highways Minister, with Ajay Tamta and Harsh Malhotra working as MoS with him. Ashwini Vaishnaw, who introduced 51 Vande Bharat trains, will continue as Railway Minister with V. Somanna and Ravneet Singh Bittu as MoS. Vaishnaw will also look after Information and Broadcasting, with L. Murugan as MoS. Dharmendra Pradhan will continue as Education Minister with Sukanta Majumdar as MoS. Hardip Singh Puri will continue handling Petroleum ministry, with Kerala BJP MP Suresh Gopi as MoS. Piyush Goyal will continue as Commerce Minister with Jitin Prasad as MoS. Arjun Ram Meghwal will continue as Law Minister. Former Madhya Pradesh chief minister Shivraj Singh Chouhan is the new entrant, who has been assigned Agriculture and Rural Development ministries. Former Haryana CM Manohar Lal Khattar will be the new Housing and Urbain Affairs and Power Minister. BJP president J P Nadda will work as Health Minister with Anupriya Patel as MoS. Gajendra Shekhawat has been made Culture Minister, while Gujarat’s C R Patil will be the new Jal Shakti Minister. Jyotiraditya Scindia will handle Communication ministry, while Mansukh Mandaviya will look after Labour and Sports ministries. Chirag Paswan has been given charge of Food Processing ministry, while Giriraj Singh will be the Textile Minister. Former Karnataka CM H D Kumaraswamy will look after Heavy Industries and Steel ministries, former Bihar CM Jitan Ram Manjhi has been made MSME Minister, Pralhad Joshi has been made Food, Consumer Affairs and Renewable Energy Minister, and G Kishen Reddy has been given Coal and Mines ministries. JD-U leader Rajiv Ranjan (Lalan) Singh has been made Panchayati Raj, Fisheries, Dairy and Animal Husbandry Minister. Let’s have an overall view. Firstly, the line-up clearly shows continuity in the ministries of Defence, Home, Finance, Transport, External Affairs, Commerce, Education, Railways, Shipping, Petroleum and Environment. Secondly, heavyweight ministers have been given heavy responsibilities, examples J P Nadda, Shivraj Singh Chouhan and Manohar Lal Khattar. Handling both Agriculture and Rural Development will be a tough job for Chouhan, while Khattar will have to handle Housing, Urban Affairs and Power ministries. Nadda, who performed well as BJP president, and who had earlier handled Health portfolio, will again look after Health and Family Welfare, along with Chemicals and Fertilisers. Jyotiraditya Scindia has been given charge of Communication ministry as well as DONER (Development of North Eastern Region). Ravneet Singh Bittu, who left Congress, joined BJP and lost the LS election in Punjab, has been made Railway MoS. This is a message to those who left Congress and joined BJP. Chirag Paswan will be happy handling Food Processing. His father late Ramvilas Paswan was Food and Civil Supplies Minister. Telugu Desam Party leader K. Ram Mohan Naidu has got Civil Aviation ministry. JD-U’s RCP Singh was Heavy Industries Minister in the last government. Now this ministry has gone to another alliance partner JD(S). Apna Dal’s Anupriya Patel retains her Health ministry. Whenever alliance governments are formed, speculations and rumours spread fast. These rumours are often spread as ‘news’. There are some remarks on-record and some are off-record. For reporters, it is difficult to separate the grain from the chaff. One more dimension has been added to this. Since Day One, those opposing the NDA government are busy spreading rumours to create a rift among alliance partners. Some advised Chandrababu Naidu to demand Lok Sabha Speaker post, in order to have an upper hand inside the House. Till now, there is no confirmation has come on this. Rumours were spread that Eknath Shinde is unhappy because his party got only one portfolio. His son Shrikant Shinde had to issue a statement saying there is no resentment and the party has given unconditional support to Prime Minister Modi. Rumours were spread that the solitary BJP MP from Thrissur, Kerala, Malayalam actor Suresh Gopi was unwilling to stay as minister. Gopi had to issue a statement denying such rumours. I think, rumours and speculations will continue, because even during the election campaign, lots of baseless speculations were spread and people started believing them. Those spreading these baseless ‘news’ enjoy doing this. It will take a long time for the dust to settle. One must try to understand what Prime Minister Modi told his PMO bureaucrats and his ministers on Monday. His message was clear. Neither is he going to change the style of working of his government, nor will he change its tone and tenor. Those questioning how Modi will tackle the demands of his NDA alliance partners, since he lacks experience of running a coalition government, must remember this. When Modi first became PM in 2014, it was said that he had no previous experience about foreign policy. The whole world now realizes how Modi handled world leaders and governments with panache. India’s image shines bright, across the world. One of his colleagues said today, if Modi can make friendship and strike personal equations with both Donald Trump and Putin, then where’s the difficulty in doing the same with his alliance leaders? If he can strike a balance between USA and Russia, fighting a proxy war in Ukraine, make their leaders accept his views, then where’s the difficulty in striking a balance with alliance parties? One shall see, in the coming days, this balance and co-ordination, on a daily basis.
मतदाताओं ने कैसे ECI, EVM, लोकतंत्र को खतरा, जैसे मुद्दों को दफ्न कर दिया
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 9 जून को शाम 7.15 बजे नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाएंगी. मोदी के साथ केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य भी शपथ लेंगे. शुक्रवार और शनिवार को मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर बीजेपी और एनडीए के सबी दलों के नेताओं के बीच बातचीत हुई. मोदी के मंत्रिमंडल का स्वरूप कैसा होगा, कितने मंत्री शपथ लेंगे, किस पार्टी को कितनी हिस्सेदारी मिलेगी, कौन-कौन से मंत्रालय दिए जाएंगे, इन सब बातों पर जेपी नड्डा के घर पर शुक्रवार को NDA के सहयोगियों के साथ बात हुई और शनिवार को प्रधानमंत्री से अमित शाह और जे पी नड्डा की बातचीत हुई. फिलहाल कोई फाइनल फैसला नहीं हुआ, इसलिए अंदाजे लगाना बेकार है. वैसे भी नरेन्द्र मोदी ने एनडीए की मीटिंग में साफ कह दिया कि आखिरी फैसला मुझे ही करना है, इसलिए नेता चर्चाओं, अफवाहों या ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में न पड़े. विरोधी दलों के जो नेता नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू को लेकर शक जता रहे थे, दावे कर रहे थे कि सरकार 6 महीने भी नहीं चलेगी, उन्हें भी जवाब मिल गया. चन्द्रबाबू नायडू ने कहा कि आन्ध्र में उनकी पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत में नरेन्द्र मोदी का बड़ा रोल है, मोदी ने दुनिया में भारत को बड़ी ताकत बनाया है, अब देश और आन्ध्र प्रदेश का विकास मोदी के नेतृत्व में होगा. आज वो लोग निराश होंगे जो चुनाव के दौरान कहते थे, ‘लिखकर ले लो, 4 जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे’. वो लोग हताश होंगे जो उम्मीद लगाकर बैठे थे कि NDA में घमासान होगा और मोदी की जगह कोई और पीएम बनेगा. अब वो कह रहे हैं कि मोदी गठबंधन की सरकार कैसे चलाएंगे. इसका जवाब चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने दे दिया. उन्होंने कहा की देश के विकास के लिए मोदी सबसे उपयुक्त प्रधानमंत्री हैं और रहेंगे लेकिन जब कांग्रेस के नेता NDA को Naidu Dependant Alliance और Nitish Dependant Alliance बताने लगे, तो मोदी ने याद दिला दिया कि NDA की इस बार जो सरकार बनी है, वो अब तक की किसी भी गठबंधन सरकार में से, सबसे मजबूत सरकार है. नोट करने वाली बात ये है कि जब 2004 में कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार बनाई थी, तो कांग्रेस के पास 145 सांसद थे और जब 2009 में कांगेस की सरकार बनी थी तो कांग्रेस के 206 सांसद थे. अब इस alliance सरकार में बीजेपी के 240 सांसद हैं. मोदी ने ये भी साफ कर दिया कि पहले की तरह अटकलों और अफवाहों और बिचौलियों का दौर अब वो नहीं आने देंगे, ना तो मोदी का सरकार चलाने का तरीका बदलेगा, ना तेवर. एक बात और. मोदी के इस बार प्रधानमंत्री बनते ही बहुत सारे मुद्दे खत्म हो जाएंगे. वो मुद्दे जो राहुल गांधी और उनके साथियों ने चुनाव के दौरान उठाए थे. पहला, कि भारत में लोकतंत्र को न कोई खतरा था, ना है और ना कभी हो सकता है. दूसरा, EVM में न कभी कोई गड़बड़ी थी, ना की जा सकती है. तीसरा, चुनाव आयोग न किसी को चुनाव जीता सकता है, न हरा सकता है, वह सिर्फ चुनाव करवा सकता है. और चौथी बात ये कि 10 साल के इंतजार के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता का संवैधानिक पद होगा क्योंकि कांग्रेस के पास इस बार इतनी सीटें हैं कि वो नेता विपक्ष बना सके. मुझे लगता है कि पूरी दुनिया में ये संदेश गया. इसके लिए देश की जनता का आभार मानना चाहिए. अगर इस बार फिर बीजेपी 300 पार कर लेती तो ये सारे शक और शुबहे, सारे सवाल यूं के यूं बरकरार रहते. अब पूरी दुनिया ने देख लिया कि भारत में लोकतंत्र जीवन्त है, भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं, सारे शको-शुबहे अब हमेशा के लिए दफन हो गए और ये लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत है.
HOW VOTERS BURIED ALL DOUBTS ABOUT ECI, EVMs, THREAT TO DEMOCRACY
Discussions are under way over formation of the Narendra Modi government which will be sworn in at Rashtrapati Bhavan on Sunday at 7.15 pm. BJP President J P Nadda and Home Minister Amit Shah met Prime Minister Modi on Saturday and briefed him about the talks with all NDA allies and BJP state leaders regarding portfolios. Modi will be sworn in for the third time as Prime Minister on June 9 along with his council of ministers. All those in the opposition who had predicted that Modi would cease to be Prime Minister after June 4 results, are now disappointed, crestfallen. Those who had predicted that Modi would have to lead a coalition with demanding allies are now silent. Those who had predicted that the NDA would become Naidu Dependent Alliance or Nitish Dependent Alliance, have now got their answers from Chandrababu Naidu himself. Modi told NDA MPs that the government that is going to be formed will be the strongest coalition government in recent history. One must note that in 2004, when Congress formed the UPA government, it had 145 MPs, and in 2009, when it formed the second UPA governemnt, the Congress had 206 MPs. The NDA coalition government that will be formed on Sunday will have the single largest party BJP having 240 MPs. In his speech, Modi clarified that he would not come under pressures from middlemen or rumours of speculations, nor will the style of functioning of his government would change. With Modi becoming PM, several issues will now come to an end. Rahul Gandhi and other opposition leaders had raised these issues during the election campaign. One, there were never any threat to Indian democracy, nor is there a threat now or will there be a threat in near future. Two, EVMs were never tampered, nor can they be tampered. Three, Election Commission can neither make any party win or make any party lose. It can only conduct elections. Four, after a gap of 10 years, Lok Sabha will have a Leader of Opposition because Congress has more than the required number of seats to claim that status. The message on these issues has now gone to the entire world, which has witnessed the strength and resilience of Indian democracy. We should be grateful to the voters of India for this. Had BJP crossed 300 seats this time, all doubts and questions would have remained. All such doubts have been buried for ever now. This is the greatest victory of Indian democracy.