नेता मतदाताओं से सच्चाई क्यों छिपाते हैं ?
लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी खबर उत्तर प्रदेश से है. पहली ये कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से 14 मई को नामांकन दाखिल करेंगे. मोदी एक दिन पहले यानी 13 मई को ही बनारस पहुंच जाएंगे. काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे, वाराणसी में रोड शो करेंगे. इसके बाद 14 मई को पर्चा भरेंगे. दूसरी खबर ये है कि राहुल गांधी ने इस बार अमेठी की सीट छोड़ दी. राहुल अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. राहुल ने शुक्रवार को रायबरेली से पर्चा भर दिया. अमेठी से कांग्रेस की तरफ से गांधी परिवार के विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा ने बतौर उम्मीदवार पर्चा भरा. प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी, सिर्फ प्रचार करेंगी. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने को मास्टर स्ट्रोक, सोची समझी रणनीति बता रहे हैं जबकि बीजेपी के नेताओं ने इस फैसले के कारण राहुल को रणछोड़दास कहना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें पहले से पता था. उन्होंने पहले ही बता दिया था कि शाहजादे वायनाड से हार रहे है, इसलिए वायनाड में वोटिंग के बाद नई सीट खोजेंगे. आज वही हुआ. अमित शाह ने भी कहा कि जब गांधी नेहरू परिवार अपनी खानदानी सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है तो देश में कांग्रेस की क्या हालत होगी, ये किसी को बताने की ज़रूरत नहीं हैं. रायबरेली की तस्वीरें देखकर ऐसा लगा कि जैसे राहुल बड़े अनमने ढंग से चुनाव लड़ने रायबरेली गए. कांग्रेस के लोग तो ये कहते हैं कि राहुल का अमेठी और रायबरेली दोनों में से किसी सीट पर लड़ने की इच्छा नहीं थी लेकिन समाजवादी पार्टी ने दबाव बनाया. समाजवादी पार्टी के नेता बता रहे हैं कि अखिलेश यादव ने ये शर्त रखी कि राहुल और प्रियंका को अमेठी से लड़ना चाहिए, इसका असर पूरे प्रदेश में होगा. देर रात राहुल ने रायबरेली से लड़ने का फैसला किया. कांग्रेस के नेताओं के लिए इससे ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि प्रियंका गांधी को रायबरेली से नहीं लड़वाया गया..पिछले 5 साल से प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी के लिए रायबरेली चुनावक्षेत्र का काम देख रही थीं. ऐसी धारणा बनने लगी थी कि सोनिया, प्रियंका को इस चुनावक्षेत्र में अपनी उत्ताराधिकारी के तौर पर तैयार कर रही हैं. कांग्रेस के नेता कहते हैं कि इन दोनों सीटों से कौन लड़ेगा कौन नहीं लड़ेगा, ये परिवार का फैसला है और इसमें कोई कुछ नहीं बोल सकता. परिवार के इसी फैसले का नतीजा हुआ कि रॉबर्ट वाड्रा का अमेठी से चुनाव लड़ने का सपना भी टूट गया. पिछले कुछ महीनों में रॉबर्ट वाड्रा ने अलग अलग तरीके से कई बार ये धारणा पैदा की थी कि कि वो अमेठी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं. वह तो ये भी कहते थे कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि वो वहां से चुनाव लड़ें लेकिन गांधी परिवार ने फैसला किया. वाड्रा तो दूर राहुल गांधी ने भी अमेठी छोड़कर रायबरेली को चुना. अमेठी से इस बार कांग्रेस ने गांधी नेहरू परिवार के पुराने विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है. लुधियाना के रहने वाले किशोरी लाल शर्मा 1983 में अमेठी आए थे. उस समय राजीव गांधी, अमेठी से कांग्रेस के सांसद थे. उसके बाद से वो अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटों पर गांधी परिवार के मैनेजर रहे. हालांकि, 2019 में जब राहुल गांधी, अमेठी से चुनाव हारे, तो इसके लिए कांग्रेस के नेताओं ने के एल शर्मा को ही जिम्मेदार ठहराया था लेकिन, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने किशोरी लाल शर्मा का बचाव किया था. अमेठी में किशोरी लाल शर्मा के नामांकन दाखिले के वक्त न राहुल पहुंचे, न सोनिया. सिर्फ प्रियंका गांधी को भेजा. प्रियंका ने के एल शर्मा के लिए रोड शो किया, लोगों से समर्थन मांगा. जब प्रियंका से पूछा गया कि क्या स्मृति ईरानी के सामने के एल शर्मा टिक सकेंगे. तो प्रियंका ने कहा कि शर्मा ने 1999 में सोनिया गांधी को यहां से जिताया था, उसके बाद के सारे चुनाव में वो ही मैनेजर रहे हैं, अमेठी के हर गांव और हर परिवार को के एल शर्मा जानते हैं. प्रियंका ने कहा कि केएल शर्मा ज़रूर जीतेंगे.
कभी कभी तो ये देखकर आश्चर्य होता है कि चुनाव के दौरान हमारे नेता जनता के साथ कैसे कैसे गेम खेलते हैं. क्या वोट देते समय वायनाड के लोगों को ये जानने का हक नहीं था कि राहुल गांधी किसी दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ेंगे? वायनाड के लोगों से ये बात जान-बूझकर छुपाई गई. जब तक वायनाड में पोलिंग नहीं हो गई, राहुल गांधी मना करते रहे कि वो अमेठी या रायबरेली नहीं जाएंगे. कांग्रेस में हर कोई जानता था कि वायनाड की वोटिंग के बाद फैसला होगा. इसीलिए अमेठी और रायबरेली के उम्मीदवार घोषित नहीं किए गए. अब राहुल रायबरेली से लड़ेंगे. वायनाड के लोगों को वोट डालने से पहले इसकी जानकारी होनी चाहिए थी. इसी तरह हासन के लोगों के साथ भी धोखा हुआ. सारे नेता कांग्रेस हों या बीजेपी जानते थे कि देवेगौड़ा के पोते ने क्या किया है. सबने pen drive में प्रज्वल के Sex वीडियो देखे थे. बीजेपी का तो वहां JD-S के साथ गठबंधन है, चुप रहना मजबूरी हो सकती है. पर कांग्रेस की तो कोई मजबूरी नहीं थी. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, पुलिस उनके पास है, सबूत उपलब्ध थे, लेकिन सब चुपचाप तमाशा देखते रहे क्योंकि लगा कि अभी कुछ किया तो वोक्कालिगा वोटों का नुकसान हो जाएगा. ज़रा सोचिए. ये सारे नेता समझते हैं कि वोक्कालिगा समाज के लोग एक ऐसे नेता के खिलाफ एक्शन लेने से नाराज हो जाएंगे जिस पर सैकड़ों महिलाओं की आबरू लूटने का इल्जाम है! उसके घर के भेदी ने वीडियो उपलब्ध करवाए. वोटर करे तो क्या करे. उसने पूरा सच जाने बिना प्रज्वल रेवन्ना को वोट दिया होगा. मुझे लगता है कि चुनाव से पहले हर मतदाता को सच जानने का हक है. वायनाड हो या हासन, वोटर से जानबूझकर सच छिपाया गया.
WHY LEADERS CONCEAL TRUTH FROM VOTERS?
After weeks of keeping everybody in suspense, Congress leader Rahul Gandhi decided to contest from his mother Sonia Gandhi’s Rae Bareli constituency, and, on Friday, filed his nomination in the presence of his mother, sister Priyanka, brother-in-law Robert Vadra and party president Mallikarjun Kharge. Rahul decided not to contest from his traditional constituency Amethi, and in his place, family loyalist Kishori Lal Sharma filed his nomination to take on Union Minister Smriti Irani. Priyanka Gandhi opted not to contest and decided to devote her time to campaigning for party candidates. From the BJP camp, news came about Prime Minister Narendra Modi deciding to file his nomination in Varanasi on May 14. He will reach the city a day earlier, perform prayers before Kashi Vishwanath and take out a road show, While Congress leaders described Rahul’s decision to contest from Rae Bareli as a strategic decision, BJP described Rahul as ‘Ranchhod Das’ (one who runs away from fight). Prime Minister Narendra Modi said at his election rally that Rahul was losing in Wayanad, Kerala, and this was the reason why he opted for a safe seat in Rae Bareli. Congress sources said, surveys were conducted in both Amethi and Rae Bareli and it was found that the latter would be a safer seat for Rahul. Home Minister Amit Shah said at a Karnataka rally that Sonia Gandhi has again opted to launch her son and this time “the launchpad has been shifted from Amethi to Rae Bareli”. Watching the visuals of Rahul and his entourage going to file nomination in Rae Bareli, one gets the impression that Rahul appeared to be clearly disinterested. Some Congress leaders said that Rahul was unwilling to contest from both seats, but it was their ally Samajwadi Party which put pressure on Rahul to contest from UP. Reportedly, SP supremo Akhilesh Yadav put condition that Rahul or Priyanka should contest from Amethi, and this would have a statewide impact. Congress leaders were surprised why Priyanka Gandhi was not fielded from Rae Bareli, because it was she who was looking after this constituency for her ailing mother Sonia in Rae Bareli, for the last five years. An impression had gained ground that Sonia was grooming Priyanka as her successor in Rae Bareli. Congress leaders said, it was ultimately the Gandhi family’s decision and party leaders had no role in it. At the same time, Robert Vadra’s dreams of contesting from Amethi have also crashed. Vadra had been telling the media for the last several weeks that he was willing to contest from Amethi. He even went to the extent of saying that the voters of Amethi want him to contest. Ultimately, the family’s decision prevailed. Kishori Lal Sharma, the man picked up by Gandhi family, to take on Smriti Irani in Amethi, is originally from Ludhiana, Punjab. He first came to Amethi in 1983. Rajiv Gandhi was then the Congress MP, and Sharma looked after both Amethi and Rae Bareli constituencies as the family’s manager. In 2019, when Rahul Gandhi lost to Smriti Irani in Amethi, Congress leaders held K L Sharma responsible, but both Sonia and Priyanka Gandhi defended Sharma. On Friday, only Priyanka Gandhi was present when Sharma filed his nomination in Amethi. Bith Sonia and Rahul were absent. Priyanka held an impromptu road show for K L Sharma and sought people’s support. When Priyanka was asked by reporters whether Sharma would be able to defeat Smriti Irani, she replied, “it was K L Sharma who was behind Sonia Gandhi’s victory in 1999 and since then, he has been the manager during all elections. Sharma know every village and family in Amethi closely and he will definitely win.” One feels somewhat surprised how our leaders play games with voters during elections. Was it not the right of voters in Wayanad to know that their candidate Rahul would be contesting from some other seat in UP? This fact was deliberately kept secret from the people of Wayanad till polling was over in Kerala. Rahul Gandhi consistently denied that he would contest from Amethi or Rae Bareli.Every leader in Congress knew that any decision about Amethi or Rae Bareli would be taken after voting in Wayand was over. This was the reason why Congress refrained from annoucing its candidates from both seats in UP. The people of Wayanad had the right to know that Rahul would also be contesting from Rae Bareli. Similarly, the voters of Hassan in Karnataka were deliberately cheated. Most of the Congress and BJP leaders in the state knew what H D Devegowda’s grandson Prajwal Revanna had done and many of them had watched his sex videos on pen drive. BJP wa in alliance with Devegowda’s Janata Dal-S in Karnataka and one can understand BJP’s compulsion. There was no such compulsion for Congress party. The party is ruling Karnataka and controls the state police. Evidence was there, but most of the leaders sat silent watching the ‘tamasha’. They felt their Vokkaliga vote banks would be dented if any action was taken before polling. Just imagine. These leaders were expecting a backlash from Vokkaliga voters if action was taken against a sex fiend who sexually exploited hundreds of women. The pendrive was made available by his own driver. What can the voters do now? Many of them must have voted Prajwal Revanna without knowing the truth. My belief is: Every voter must have the right to know the truth before casting the vote, whether it is Wayanad or Hassan. The truth was concealed from voters in both cases.
पाकिस्तान मोदी से डरता है : वह नहीं चाहेगा भारत में कोई मजबूत पीएम हो
चुनाव के मैदान में पाकिस्तान की एंट्री हुई. पाकिस्तान के एक पूर्व मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान को राहुल गांधी का समर्थन करना चाहिए क्योंकि मोदी सरकार की नीतियां पाकिस्तान के खिलाफ है. फवाद चौधरी ने मोदी के खिलाफ राहुल के कैंपेन को ‘राहुल ऑन फायर’ कहकर तारीफ की. राहुल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की, लेकिन नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की इस बयानबाजी का पूरा-पूरा फायदा उठाया. मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ‘कांग्रेस के शहज़ादे’ को प्रधानमंत्री बनवाना चाहता है. मोदी ने कहा कि ‘कांग्रेस मरी, तो पाकिस्तान रोया’. मोदी ने पाकिस्तान के हवाले से कहा कि कांग्रेस के लिए अब पाकिस्तान दुआ कर रहा है. कांग्रेस के शाही परिवार के शहजादे को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पाकिस्तान उतावला हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने ये बातें गुजरात के आणंद में एक चुनाव रैली में कही. मोदी ने कहा कि ये बात तो सब जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान की मुरीद है लेकिन अब तो पाकिस्तान और कांग्रेस की दोस्ती खुलकर सामने आ गई है. फवाद हुसैन पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रह चुके हैं. राहुल गांधी के वीडियो को री-ट्वीट करके लिखा था- ‘Rahul on Fire’. जैसे ही फवाद चौधरी का ये ट्वीट सामने आया, बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया. मोदी तो पहले से ही कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप होने की बातें कह रहे थे. अब मोदी ने ये कह दिया कि कांग्रेस और पाकिस्तान की साझेदार खुलकर सामने आ गई है. मोदी की ये भाषण फवाद चौधरी ने भी सुना और उसके बाद ट्वीट करके कहा कि लगता है मोदी जी मेरे बयान से नाराज़ हो गए हैं. फवाद चौधरी ने कहा कि वो राहुल गांधी को व्य़क्तिगत रूप से नहीं जानते लेकिन मोदी सरकार की नीतियां उन्हें पसंद नहीं है, इसलिए राहुल गांधी का समर्थन किया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने गुजरात की चुनाव रैली में कहा कि जब जब चुनाव आता है, बीजेपी पाकिस्तान को ले आती है, ये सब बीजेपी का चुनावी हथकंडा है, इससे कोई फायदा नहीं होने वाला कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस पर सवाल उठाने से पहले मोदी को ये बताना चाहिए कि पाकिस्तान से उनका क्या रिश्ता है क्योंकि प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह तो कभी पाकिस्तान नहीं गए, लेकिन मोदी तो पहली बार प्रधानमंत्री बनते ही पाकिस्तान पहुंच गए थे. मोदी और पाकिस्तान का रिश्ता कोई रहस्य की बात नहीं है. मोदी ने पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपने पहले शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया. फिर नवाज शरीफ के आमंत्रण पर अचानक लाहौर भी गए. दुनिया को दिखा दिया कि उन्होंने पाकिस्तान को सुधरने का पूरा पूरा मौका दिया लेकिन जब पाकिस्तान नहीं माना, नहीं सुधरा, तो दो-दो बार घर में घुसकर मारा. एक बार हमारी फौज ज़मीन के रास्ते से गई और दूसरी बार बजरंगबली के रास्ते से उड़कर हमारी वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की. ये संक्षेप में मोदी का रिकॉर्ड है. ये मोदी का पाकिस्तान से रिश्ता है. अब कांग्रेस के रिश्ते को समझने की कोशिश करते हैं. कांग्रेस की सरकार में पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर पाकिस्तानियों से मोदी को हराने में मदद मांगी थी. अब 10 साल बाद पाकिस्तान के एक पूर्व मंत्री ने कहा राहुल को समर्थन देना चाहिए. फवाद चौधरी ने राहुल को ‘ऑन फायर’ कहकर उनकी तारीफ की. अब ये बताने की जरूरत नहीं है कि मोदी को ये मौका किसने दिया? और मोदी ऐसे किसी मौके को कभी नहीं छोड़ते. फुलटॉस फेंकोगे तो मोदी सिक्सर जरूर मारेंगे. अच्छा तो ये होता कि राहुल गांधी कहते कि उन्हें पाकिस्तान का समर्थन नहीं चाहिए. ये हमारे घर का मामला है, इसे हम आपस में निपट लेंगे. लेकिन राहुल तो इसपर खामोश रहे. अगर पाकिस्तान के नजरिए से देखें, तो पाकिस्तान को तो भारत में एक कमज़ोर सरकार चाहिए, एक कमजोर प्रधानमंत्री चाहिए. पाकिस्तान की मोदी से यही प्रॉब्लम है. मोदी एक मबूत प्रधानमंत्री हैं. उनके पास पूर्ण बहुमत वाली मजबूत और टिकाऊ सरकार है. पिछले 10 साल में पूरी दुनिया में भारत का रुतबा बढ़ा है, पाकिस्तान की हैसियत कम हुई है. पाकिस्तान मोदी से डरता है, इसीलिए पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनें.
PAKISTAN FEARS MODI : DOESN’T WANT A STRONG PM IN INDIA
Pakistan made its entry in the ongoing election campaign in India, with Prime Minister Narendra Modi saying Congress party has become a ‘mureed’(disciple) of Pakistan. The immediate provocation was, former Pakistan Information Minister Chaudhry Fawad Hussain retweeted a video showing Rahul attacking Modi in his rally, and Fawad commenting “Rahul on fire”. The BJP immediate reacted and asked whether Congress is planning to contest election in Pakistan. Fawad Chaudhry responded by saying, Pakistanis should support Rahul Gandhi because Modi’s policies do not suit Pakistan. Rahul Gandhi refused to comment, but on Thursday, Prime Minister Narendra Modi lambasted the Congress. Modi, in one of his Gujarat rallies, said, “Pakistan is crying because Congress is dying here. Leaders in Pakistan are praying for Congress. Pakistan is eager to make the shehzada (prince) the next prime minister. The partnership between Pakistan and Congress has been exposed. The country’s enemies want a weak government, and not a strong government in India.” Fawad Chaudhry reacted by saying, “it seems Modi is upset with my statement, personally I don’t know Rahul Gandhi, but I do not like Modi government’s policies and that is the reason why we in Pakistan should support Rahul Gandhi. “ Later, he took a strident tone by tweeting: “If Modi g and BJP can be so rattled by my one tweet, imagine what Muslims, Christians, Sikhs and enlightened and progressive Hindus together can do? These classes must unite to defeat narrative of division and hatred. Support anyone who can stop menace of Modi, be it Rahul or Mumta Baner Ji (sic) or Kejrewal (sic)..give your support to one who can win against Modi for safer region and peace..defeat hate monger BJP.” Rajasthan Congress leader Ashok Gehlot reacted to Modi’s remarks by saying, “whenever elections take place, BJP brings in Pakistan. All these are poll gimmicks of BJP and these won’t have any effect.” Congress leader Rashid Alvi said, Modi should first explain his relationship with Pakistan, why Dr Manmohan Singh, despite being PM, never visited Pakistan, but Modi landed in Pakistan soon after he became PM. There is nothing secret about the relationship between Modi and Pakistan. When he became Prime Minister, Modi extended his hand of friendship, and invited Prime Minister Nawaz Sharif to attend his first swearing-in ceremony. At Nawaz Sharif’s invitation, Modi suddenly visited Lahore and showed to the world that he gave full opportunity to Pakistan to improve bilateral relations. But Pakistan did not mend its aways and carried out terror attacks on our air bases. Twice, our armed forces had to enter their territory and carry out surgical strikes. First time, our forces carried out surgical strike on land, and the second time, after Pulwama, our air force bombed terror hideouts deep inside Pakistan. This, in short, is Modi’s record and his relationship with Pakistan. Let us try to understand Congress party’s relations with Pakistan. A former minister in Congress government Mani Shanker Aiyar went to Pakistan and sought Pakistan’s help to defeat Modi in 2014 elections. Ten years later, a former minister of Pakistan is openly saying that Pakistan must support Rahul Gandhi. Fawad Chaudhry praised him by writing “Rahul on fire” on social media. Needless to say, who gave the opportunity to Modi to attack Congress on Pakistan issue. Modi never leaves such chances. If you throw a full toss, Modi will hit a sixer, surely. It would have been better if Rahul Gandhi had state that he did not need Pakistan’s support, and our elections are internal matter. But Rahul Gandhi maintained silence. Let’s see this from Pakistan’s point of view. Pakistan will surely want an unstable government and a weak Prime Minister in India. This is the core problem of Pakistan as far as Modi is concerned. Modi has emerged as a strong prime minister, he has a stable government enjoying full majority, and in the last 10 years, India’s stature has grown while Pakistan’s status has declined for the worse. Pakistan fears Modi. It will never want him to become Prime Minister again.
राष्ट्रपति की अयोध्या यात्रा पर विपक्ष चुप क्यों है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अयोध्या जाकर भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन किये। हनुमानगढ़ी में बजरंगबली की पूजा अर्चना की। फिर सरयू की आरती में हिस्सा लिया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राष्ट्रपति का ये पहला अयोध्या दौरा है। महामहिम द्रौपदी मुर्मू अयोध्या में करीब पांच घंटे रहीं। पूरे देश में राष्ट्रपति के दौरे की चर्चा हुई लेकिन हैरानी की बात ये है कि आज विपक्ष के किसी नेता ने चुनावी रैलियों में अयोध्या का जिक्र नहीं किया। प्राण प्रतिष्ठा समारोह की बात नहीं की। जबकि पिछले कई दिनों से राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर अखिलेश यादव तक अपनी चुनावी सभाओं में रोज ये इल्जाम लगा रहे थे कि राष्ट्रपति को अयोध्या में रामलला के दर्शन नहीं करने दिए गए क्योंकि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी हैं। आरोप लगाया गया कि बीजेपी के नेता दलितों और आदिवासियों के साथ भेदभाव बरतते हैं। इसलिए राष्ट्रपति को प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया। लेकिन जब राष्ट्रपति अयोध्या पहुंचीं, भक्ति भाव से रामलला के दर्शन किये तो विरोधियों की जुबान बंद हो गई। लेकिन योगी आदित्यनाथ से लेकर अमित शाह और केशव प्रसाद मौर्य तक सबने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी को घेरा जो राष्ट्रपति का नाम लेकर बीजेपी पर हमले कर रहे थे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी राहुल गांधी से कहा कि वो झूठ और भ्रम की राजनीति बंद करें, राम की शरण में आएं, प्रभु राम उनका भी कल्याण करेंगे। न्यास के महासचिव चंपत राय ने कहा कि न सिर्फ़ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को, बल्कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्यौता दिया गया था, विपक्षी दल झूठे प्रचार कर रहे हैं, उनको राष्ट्रपति के बारे में दुष्प्रचार नहीं करना चाहिए। अयोध्या के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कांग्रेस पर हमला किया। गुजरात के साबरकांठा की चुनावी रैली में मोदी ने कहा कि ये वही कांग्रेस है, जो कहती थी कि राम मंदिर बनेगा तो देश में आग लग जाएगी लेकिन सच तो ये है कि जब से मंदिर बना है, कांग्रेस के नेताओं के दिल में आग धधक रही है।
योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के सोलापुर में अयोध्या का जिक्र किया। कहा, आजकल राहुल गांधी और उनके साथी इसलिए परेशान हैं कि अयोध्या में भव्य रामलला का मंदिर क्यों बन गया। योगी ने कहा कि जो लोग कहते थे कि राम थे ही नहीं, जो कहते थे अयोध्या में मंदिर बना तो खून की नदियां बहेंगी, जो राम का नाम लेने में शर्म महसूस करते थे, वे सब अब अयोध्या जाने के लिए छटपटा रहे हैं। लेकिन जनता इनका सच जान चुकी है। योगी ने कहा कि कांग्रेस को न प्रभु राम माफ करेंगे, न रामभक्त। सोलापुर से कांग्रेस की तरफ से सुशील कुमार शिन्दे की बेटी परणीति शिन्दे चुनाव लड़ रही हैं। यूपीए सरकार के वक्त सुशील शिन्दे देश के गृह मंत्री थे। सुशील शिन्दे ने संसद में में खड़े होकर saffron terror (केसरिया आतंकवाद) की बात की थी। सबसे पहले सुशील कुमार शिन्दे ने ही हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था इसीलिए योगी ने सुशील कुमार शिन्दे के उस बयान का हवाला देकर अयोध्या की बात की।
गृह मंत्री अमित शाह भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में थे। कोरबा की रैली में अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने पहले राम का विरोध किया, फिर राम मंदिर बनने का विरोध किया, जब इससे भी मन नहीं भरा तो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराया। अमित शाह ने कहा कि अब रामलला के ननिहाल वालों को उन्हें सबक ज़रूर सिखाना चाहिए। कल तक राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक सारे नेता अयोध्या के मुद्दे पर खूब बोल रहे थे, बीजेपी पर इल्जाम लगा रहे थे कि राष्ट्रपति आदिवासी हैं इसलिए द्रौपदी मुर्मू को अयोध्या आने का न्योता नहीं दिया गया। लेकिन बुधवार को जब राष्ट्रपति महोदया अयोध्या पहुंच गईं तो इस मुद्दे पर चुनावी रैलियों में विपक्ष का कोई नेता नहीं बोला। सिर्फ संजय राउत ने कहा कि अब चुनावी माहौल है, बीजेपी की नजर आदिवासी वोटों पर हैं, इसीलिए मोदी सरकार ने राष्ट्रपति को अयोध्या भेजा है।
ये सही है कि राम मंदिर इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा है। रोज़ दोनों तरफ से इसकी चर्चा होती है। बीजेपी के नेता याद दिलाते हैं कि नरेंद्र मोदी के प्रयासों से हिंदुओं का 500 साल पुराना सपना पूरा हो सका। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना। राहुल गांधी भी राम मंदिर का जिक्र करते हैं। राहुल आजकल अपनी हर चुनावी सभा में जब दलितों की बात करते हैं, जब मोदी को आदिवासियों का दुश्मन बताते हैं तो इसी क्रम में वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी ले आते हैं। राहुल कहते हैं कि मुर्मू को मंदिर में इसीलिए नहीं बुलाया गया कि वो आदिवासी हैं। राहुल गांधी ये भूल गए कि द्रौपदी मुर्मू को, एक आदिवासी महिला को, सर्वोच्च पर आसीन करने का निर्णय नरेंद्र मोदी का ही था पर चुनाव में सब अपने अपने हिसाब से बोलते हैं। अच्छी बात ये है कि राष्ट्रपति के राम मंदिर की यात्रा को राजनीति से दूर रखा गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो बीजेपी के स्टार कैंपेनर हैं, राष्ट्रपति के साथ दिखाई नहीं दिए। लेकिन राम मंदिर अब गांव गांव में लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 22 जनवरी से 22 अप्रैल तक 3 महीने में दुनिया भर से डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग अयोध्या जाकर भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन कर चुके हैं और ये अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। ईसाइयों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल वैटिकन सिटी को अब तक सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल जाता था। यहां साल भर में 90 लाख लोग आते हैं जबकि मुसलमानों के पवित्र स्थल मक्का में पिछले साल 1 करोड़ 35 लाख लोग उमरा करने पहुंचे थे। अंदाजा ये है कि जबतक एक साल पूरा होगा करीब 10 करोड़ लोग अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन कर चुके होंगे और ये एक ऐसा रिकॉर्ड होगा जिसको पार कर पाना किसी भी धार्मिक स्थल के लिए मुश्किल होगा।
WHY OPPOSITION IS SILENT ON PRESIDENT’S AYODHYA VISIT
President Droupadi Murmu on Wednesday offered prayers before Ram Lalla idol in the newly built temple in Ayodhya. In the evening, she watched Maha Aarti at Saryu river ghat. She also visited Hanuman Garhi to pray before Lord Hanuman. This was the President’s first visit to Ayodhya, where she stayed for nearly five hours. For the last several weeks, Congress leader Rahul Gandhi, Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav and Congress President Mallikarjun Kharge had been repeatedly alleging at their election rallies that the President was not invited to the consecration ceremony of Ram Lalla idol on January 22, though a large number of dignitaries were invited. Shri Ram Janmbhoomi Teerth Keshtra general secretary Champat Rai rejected the opposition’s charge that the President was not invited for the consecration ceremony. Champat Rai said, both President Murmu and former President Ram Nath Kovind were invited and the opposition was spreading falsehood that they were not invited because of their castes. More than 1,300 km away from Ayodhya, in Sabarkantha, Prime Minister Narendra Modi lashed out at the Congress on Ram temple issue. Modi said, “this is the same Congress party which had warned that the country will be on fire if the Ram temple is built, but the reality is that the hearts of Congress leaders are on fire since the time Ram temple was built”. More than 1,500 km away from Ayodhya, in Solapur, Maharashtra, Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath told a rally that Rahul Gandhi and his associates are worried over how the Ram temple was built within a short time. Yogi told voters, “these were the same leaders who doubted the very existence of Lord Ram, and had warned that rivers of blood will flow if the temple was built… Leaders who felt ashamed of taking Lord Ram’s name in public, are now yearning to visit Ram temple in Ayodhya, and the people know the truth”. He said, “neither Lord Ram nor Ram Bhakts will ever forgive the Congress for this”. Solapur is the place from where Congress leader Sushilkumar Shinde’s daughter Praniti Shinde is contesting. During UPA rule, Sushilkumar Shinde was the Home Minister and it was he who had coined the phrase “saffron terror”. In Lord Ram’s “nanihaal” (birthplace of Lord Ram’s mother Kaushalya) in Chhattisgarh, Home Minister Amit Shah lashed out at the Congress, saying the party had first questioned the existence of Lord Ram, then opposed the building of Ram temple, and thirdly rejected the invitation for attending the consecration ceremony. “Such a party must be taught a lesson”, Shah said. While Congress did not react, its ally Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut said, “Modi government sent the President to Ayodhya, because BJP is eyeing tribal votes.” It is true that Ram temple is a big issue in this election, and almost every day there are debates on this point. BJP leaders remind how Narendra Modi’s efforts fulfilled the 500-year-old dream of Hindus for building a grand temple at Ram’s birthplace. Rahul Gandhi also mentions the consecration ceremony in his speeches and alleges that the President was not asked to attend the ceremony. Rahul alleges that Murmu was not asked to attend because she was a tribal. Probably Rahul Gandhi forgot that it was Narendra Modi who installed a tribal woman on the topmost Constitutional seat in India. It is good that the President’s Ram temple visit was kept away from political mudslinging today. Since Yogi Adityanath is the star campaigner of BJP and was busy campaigning, he could not be present in Ayodhya to welcome the President. The Governor Anandiben Patel welcomed the President. Ram temple in Ayodhya has become the centre of attraction for millions of people living in India’s villages. Within a span of three months, from January 22 till April 22, more than 1.5 crore people from across the world visited Ram temple in Ayodhya and prayed before Ram Lalla idol. This, in itself, is a world record. Vatican City is considered the holiest place for Christians living across the world, and it is a big religious tourist spot, that attracted nine million people every year. Mecca in Saudi Arabia is the holiest place of Muslims. Last year 1.35 crore devotees performed umrah in Mecca. One calculation is that nearly 10 crore devotees will have darshan of Ram Lalla in the first year of Ram temple. This will set a world record, which may not be surpassed by any other religious tourist spot.
मुसलमान वोटरों को गोलबंद करने के लिए ‘वोट जिहाद’
उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान दो नये शब्द सुनाई दिए – ‘वोट जिहाद’. समाजवादी पार्टी की चुनाव सभा में मुसलमानों से कहा गया कि अगर अब भी इकट्ठे नहीं हुए तो ‘संघी सरकार’ आने वाली नस्लों को खत्म कर देगी, इसलिए अब वोट जिहाद का वक्त आ गया है. सलमान खुर्शीद के सामने उनकी भतीजी ने लोगों से कहा कि जो मुसलमान बीजेपी के नेताओं की सभाओं में जाते हैं, बीजेपी का समर्थन करते हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए, उन सबका हुक्का-पानी बंद होना चाहिए. अब तक आपने लव जिहाद शब्द खूब सुना होगा लेकिन इस चुनाव में वोट जिहाद की एंट्री हुई है. ये एंट्री कराई है सीनियर कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की भतीजी मारिया आलम खान ने. मारिया आलम खान समाजवादी पार्टी की नेता हैं. असल में मारिया आलम खान फ़र्रुख़ाबाद के क़ायमगंज में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं. फ़र्रुख़ाबाद से सलमान ख़ुर्शीद दो बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन गठबंधन के तहत ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है. यहां से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नवल किशोर शाक्य के लिए प्रचार करने मारिया आलम क़ायमगंज पहुंची थीं. इस इलाक़े में काफ़ी मुसलमान रहते हैं. मारिया आलम ने पहले तो बीजेपी उम्मीदवार मुकेश राजपूत के पक्ष में प्रचार करने वाले मुसलमानों को क़ौम का ग़द्दार बताया, उनका हुक्का पानी बंद करने की अपील की, फिर कहा कि आज मुस्लिम समुदाय पर जिस तरह हमले हो रहे हैं, उन्हें रोकना है तो मुसलमानों को एकजुट होकर बीजेपी के ख़िलाफ़ वोट देना होगा. मारिया आलम ने CAA-NRC का ज़िक्र करते हुए कहा कि अगर ज़ुल्म रोकना है, तो वोट जिहाद करना होगा, वोट जेहाद ही जुल्म से आज़ादी दिलाने का एकमात्र रास्ता है. मारिया ने जो कहा, वो यहां पेश है .. “अगर आज की बात की जाए, तो आज ये क़ुर्बानी ज़रूरी है….. हम उस जगह पहुंच चुके हैं कि जहां न हम जीत सकते हैं अकेले और न हम हार सकते हैं…… अगर अब भी हम एक नहीं हुए तो ये समझ लेना कि यहां से हमारा नाम-ओ-नक़्श मिटाने के लिए ये संघी सरकार जो कोशिश कर रही है उसको तुम कामयाब करने का काम करोगे. उसके मंसूबों को कामयाब करने का काम करोगे. इसलिए बहुत अक़्लमंदी के साथ, बहुत जज़्बाती न होकर के बहुत ख़ामोशी के साथ एक साथ होकर वोटों का जिहाद करो. क्योंकि हम सिर्फ़ वोटों का जिहाद कर सकते हैं और इस संघी सरकार को भगाने का काम कर सकते हैं. बहुत शर्म आती है जब मैंने आज ये सुना कि कुछ मुसलमानों ने आज यहां पर बैठकर मुकेश राजपूत की मीटिंग कराई. मुझे लगता है समाज को उनका हुक्का पानी बंद कर देना चाहिए. इतने मतलबी मत बनो की बच्चों की ज़िंदगियों से खेलो. हमारे बच्चों की जानों से खेलो. आज कितने लोग CAA NRC में जेलों में बंद और आपको बता दूं मुझे ख़ुशी हो रही है कि उन बच्चों के कितने केसेज़ सलमान ख़ुर्शीद साहब फ्री में लड़ रहे हैं. ये बहुत बड़ी बात है. हम लड़ रहे हैं आपके लिए संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन अगर आप साथ नहीं देंगे तो हम अकेले कुछ नहीं कर सकते. क्योंकि हमारी ताक़त आप हो. और आप अगर ऐसे दिल छोड़कर बैठ जाओगे कि अब कुछ नहीं होगा, तो ऐसा नहीं होता. सौ बार लड़ेंगे. सौ बार हारेंगे. लेकिन फिर भी उठकर चलेंगे. दूसरी बात ये है कि लोग कह रहे हैं कि आज जो भी आज मौक़ा मिलता है. आज जो भी चुनावी मीटिंग होती है कहते हैं संविधान ख़तरे में है. लोकतंत्र ख़तरे में है. मैं कहती हूं कि अब इंसानियत ख़तरे में है. इंसानियत पर हमले हैं. तो इस बार बहुत होश से वोट दो. किसी की बातों में किसी के बहकावे में मत आओ.” फ़र्रुख़ाबाद पुलिस ने मारिया आलम और सलमान ख़ुर्शीद के खिलाफ मजहब के नाम पर वोट मांग कर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का केस दर्ज किया है. असल में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन मुस्लिम और यादव वोट बैंक के भरोसे हैं. अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी को लगता है कि अगर यूपी में उनके उम्मीदवारों को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिलता है तो कई सीटों पर बीजेपी को फाइट दी जा सकती है. मुस्लिम वोटर्स क्या सोचते हैं, किसे वोट देते हैं, ये जानने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं हैं. यूपी में मुस्लिम मतदाता मानते हैं कि अब उन्हें दो वक्त का राशन मिलता है, कानून व्यवस्था बेहतर है, पुलिस बेवजह परेशान नहीं करती, कुर्ते वाले लूट-खसोट नहीं करते, घर बने हैं, सड़कें बनी हैं, सुकून की जिंदगी है लेकिन जब बात वोट की आती है तो ज्यादातर मुस्लिम मतदाता साइकिल का बटन दबाने की बात करते हैं. लेकिन एक बदलाव आजकल दिखाई देता है. कुछ मुसलिम ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि इतना सब मिलने के बाद उन्हें भी बदलना चाहिए. कुछ मुस्लिम नेताओं को ये डर लगता है कि कहीं मुस्लिम वोट टूट ना जाए. इसीलिए मुस्लिम बहुल इलाकों में वोट जिहाद जैसे लफ्ज Coin किए जा रहे हैं. मुसलमानों को डराया जा रहा है कि अगर बीजेपी की सरकार दोबारा आ गई तो उनकी identity (पहचान) खतरे में पड़ जाएगी. दूसरी तरफ बीजेपी की कोशिश है कि अगर विपक्ष मुस्लिम वोटों पर दांव लगा रहा है, तो उसे हिन्दू वोट पर फोकस करना चाहिए और ये काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बखूबी कर रहे हैं. मंगलवार को योगी ने बंगाल में आरोप लगाया कि ममता सरकार वहां बंगलादेशियों को गैरकानूनी तरीके से बसा कर हिन्दुओं को राज्य में अल्पसंख्यक बनाने की तैयारी कर रही है.
‘VOTE JIHAD’ SLOGAN TO MOBILIZE MUSLIM VOTERS
A new phrase ‘Vote Jihad’ was heard in the election lexicon of Uttar Pradesh on Tuesday. This was uttered by none other than the niece of senior Congress leader and former External Affairs Minister Salman Khurshid while addressing a Samajwadi party rally in Kaimganj, Farrukhabad. Maria Alam Khan is a leader of Samajwadi Party, while his uncle Salman Khurshid was elected MP from Farrukhabad twice, in 1991 and 2009. Since SP is the alliance partner of Congress, Salman Khurshid was present at the rally. Canvassing for SP candidate Nawal Kishore Shakya, Maria Alam Khan said, those Muslims who are supporting the BJP rival are nothing but ‘traitors of the community’ (Qaum Ke Gaddar) and all social contacts with them should be stopped (hukka-paani bandh). Speaking about Citizenship Amendment Act and National Register of Citizens, Maria Alam Khan said, Muslims must start “Vote Jihad” if they want to stop “atrocities” against them. She said, “we need this sacrifice (qurbani) today. We have reached a point, where we can neither win nor lose…. If Muslims do not unite, they will face complete eradication under BJP-RSS rule…..Let us all restrain our emotions, work cleverly and silently unite to carry out this ‘vote jihad’. Only then, we can we remove this Sanghi government. I was ashamed to hear that some of our local Muslims organized a meeting here for Mukesh Rajput (BJP candidate). We should impose social boycott (hukka-paani bandh) on them. There are so many youths who are languishing in jails today because of agitation against CAA, NRC, and Salman Khurshid Saheb is fighting their cases free of cost. We are all fighting for you, but if you do not join hands with us, we cannot do anything alone. You are our strength and if you lose your confidence, nothing can happen. We will fight hundred times and even lose, but our fight will continue. Those who are saying, Constitution and democracy are in danger, I can only say, even humanity is in danger. So vote with confidence this time, and do not be misguided.” The local police filed an FIR against Salman Khurshid and Maria Alam Khan for violating Model Code of Conduct by seeking votes in the name of religion. The Congress-SP alliance in Uttar Pradesh is dependent on Muslim and Yadav vote banks and both Rahul Gandhi and Akhilesh Yadav feel that if their candidates manage to get full support from Muslim voters, they can give a strong fight to BJP in several constituencies. One need not be an expert to find out what Muslim voters presently think and whom they vote for. Muslim voters in UP know that they get free ration daily, law and order situation has improved, police does not harass them unnecessarily, and those wearing kurtas (local leaders) do not engage in extortion. Moreover, roads and houses have been built and they are living a peaceful life, but at the time of polling, most of the Muslim voters say they have voted for ‘Cycle’ symbol (belonging to SP). But a change has now come. There are some people in Muslim community who think they must change too, after getting so many social welfare benefits. Some Muslim leaders fear their vote bank might break, and this could be the reason why the phrase ‘Vote Jihad’ has been coined. Muslims are being told that their identity will be in danger if BJP returns to power again. On the other hand, BJP leadership, after finding that the opposition is banking on Muslim voters, has started focussing on Hindu voters, not only in UP, but even in states like Bengal, where Chief Minister Yogi Adityanath alleged on Tuesday that Mamata Banerjee’s government is illegally settling Bangladeshis in order to reduce Hindus to a minority.